केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा धारा-370 हटाए जाने से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास में बाधक बने तमाम कानून भी खत्म हो गए और इस क्षेत्र के विकास की रफ्तार पर लगा “स्पीड ब्रेकर” ध्वस्त हो गया है। नकवी ने दावा किया कि केंद्र सरकार की विभिन्न आर्थिक, शैक्षणिक विकास योजनाओं व कार्यक्रमों का लाभ जम्मू-कश्मीर, लेह-कारगिल के लोगों को मिलना शुरू हो गया है।
लेह के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे नकवी ने लेह, साबू-थांग, शुकोट शमा, शुकोट गोंगमा, फ्यांग आदि का दौरा कर विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से भेंट एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ विकास योजनाओं की समीक्षा की। इस दौरान उनके साथ स्थानीय सांसद जामियांग शेरिंग नामग्याल भी उपस्थित थे।
नकवी ने कहा कि 2019 में धारा-370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर और लेह-कारगिल में विकास की “राजनैतिक एवं कानूनी अड़चने” खत्म हुई है और विकास का चौमुखी समावेशी माहौल बना है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर, लेह-कारगिल में प्रशासनिक, भूमि, आरक्षण आदि सुधार हुए हैं। केंद्र सरकार के 890 कानून लागू हो गए हैं। राज्य के 164 कानून खत्म किये गए हैं। 138 कानूनों में सुधार किया गया है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था में सुधार कर अधिक से अधिक जरूरतमंदों को लाभ पहुँचाया गया है।
75 हजार से ज्यादा युवाओं को रोजगारपरक कौशल विकास की ट्रेनिंग मुहैया कराई गई है। 50 नए कॉलेज स्थापित किये जा रहे हैं। वर्तमान में जो कॉलेज हैं उनमे 1 वर्ष में 25 हजार नयी सीटें बढ़ाई गयी हैं। लाखों छात्र-छात्राओं को विभिन्न स्कॉलरशिप्स दी गई हैं। लद्दाख में 1 नए मेडिकल कॉलेज व 1 इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की जा रही है। लेह में नेशनल स्किल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट की स्थापना की जा रही है। हजारों रिक्त पड़ी सरकारी नौकरियों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 35 हजार से ज्यादा स्कूल टीचर्स को नियमित कर दिया गया है। 500 करोड़ रूपए से ज्यादा कंस्ट्रक्शन मजदूरों, पिट्ठूवाला, रेहड़ी वालों, महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों के लिए दिए गए हैं। जम्मू, कश्मीर, लद्दाख को “इन्वेस्टमेंट हब” बनाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट सम्मिट से 14 हजार करोड़ रूपए का निवेश आया है।
नकवी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के सभी निवासियों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराया गया है। आयुष्मान भारत का लाभ 30 लाख से ज्यादा लोगों को दिया गया है। कोरोना काल में 17 विशेष अस्पताल, 60 हजार नए बेड की व्यवस्था की गई है। कोरोना के चलते देश-विदेश में फंसे जम्मू, कश्मीर, लद्दाख के 2 लाख 50 हजार से ज्यादा लोगों को वापस उनके घर पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर और लेह-लद्दाख में बड़े पैमाने पर विकास कार्यों की रुपरेखा बनाई है।
सरकारी विज्ञापनों की विषयवस्तु के विनियमन के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा अधिकार प्राप्त समिति (Committee on Content Regulation in Government Advertising, CCRGA) की बैठक में समिति के निर्देशों का पालन न किये जाने को गंभीर मानते हुए कठोर कार्रवाई करने पर विचार किया गया। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक में दो अन्य सदस्य एशियन फेडरेशन ऑफ एडवरटाइजिंग एसोसिएशन के रमेश नारायण और प्रसार भारती बोर्ड के अंशकालिक सदस्य अशोक कुमार टंडन उपस्थित थे।
बैठक में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, केंद्र की भांति राज्यों के लिए भी सरकारी विज्ञापनों की विषयवस्तु की निगरानी के लिए तीन सदस्यीय समितियों का गठन अनिवार्य किया गया है। मगर कई राज्यों ने अपने यहाँ इस समिति का गठन नहीं किया है। विभिन राज्यों द्वारा समिति का गठन न किये जाने के तथ्य को CCRGA ने गंभीरता से लिया है।
बैठक में CCRGA का ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया गया कि जिन राज्यों में समितियां कार्य कर रही हैं, वहां उनके पास शिकायतें आ रही हैं। मगर कई मामलों में सम्बंधित पक्षों द्वारा समितियों की ओर से भेजे गए नोटिसों का जवाब नहीं दिया जा रहा है। ऐसे मामलों में CCRGA ने कोविड महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए संबंधित पक्षों को अपना जवाब भेजने के लिए कुछ और समय देने का फैसला लिया है।
बैठक में कहा गया कि नोटिस के जवाब में अनुचित देरी की स्थिति में यदि आवश्यक हो तो समिति विज्ञापन जारी करने वाली सरकारी एजेंसी के संबंधित अधिकारी को पेश होने के लिए भी कह सकती है। चेतावनी दी गई कि CCRGA के आदेशों का पालन न करने की स्थिति में, समिति अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर संबंधित राज्य सरकारों की नोडल एजेंसियों पर भविष्य में विज्ञापन जारी करने पर रोक लगाने के लिए बाध्य होगी।
क्या है CCRGA ?
उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के क्रम में भारत सरकार ने 6 अप्रैल, 2016 को सरकारी विज्ञापन एजेंसियों की ओर से सभी मीडिया प्लेटफार्मों पर जारी विज्ञापनों की विषय वस्तु पर निगरानी रखने के लिए “पूरी तरह से तटस्थत और निष्पक्ष” सोच रखने वाले तथा अपने क्षेत्र में उत्कृटता हासिल कर चुके व्यक्तियों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इसी अनुरूप राज्य स्तर पर वहां की सरकारों द्वारा समिति गठित की जानी है।
उच्चतम न्यायालय के निर्देश थे कि सरकारी विज्ञापनों की सामग्री सरकार के संवैधानिक और कानूनी दायित्वों के साथ-साथ नागरिक अधिकारों के नजरिए से भी प्रासंगिक होनी चाहिए। विज्ञापनों की सामग्री को एक उद्देश्यपूर्ण, निष्पक्ष और सुलभ तरीके से प्रस्तुत किया जाना चाहिए और इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए ताकि वह अभियान के उद्देश्यों को पूरा करती हो। विज्ञापन सामग्री उद्देश्यपूर्ण होनी चाहिए और किसी भी प्रकार से सत्ता पक्ष के राजनीतिक हितों को बढ़ावा देने वाली नहीं होनी चाहिए। विज्ञापन अभियानों को न्यायसंगत, कुशल और प्रभावी तरीके से चलाया जाना चाहिए तथा सभी सरकारी विज्ञापन कानूनी नियमों के अनुरूप होने चाहिए और इनके लिए वित्तीय नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए।
CCRGA को उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के संबंध में मिली जन शिकायतों को निबटाने तथा इस बारे में आवश्यकतानुसार सुझाव देने का अधिकार दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह 17 सितम्बर को 70 वर्ष के हो जायेंगे। उनके जन्मदिन को लेकर भारतीय जनता पार्टी देशभर में पूरे सप्ताह कार्यक्रम आयोजित करेगी। इसे सेवा सप्ताह नाम दिया गया है। इस दौरान पार्टी कार्यकर्त्ता विभिन्न प्रकार के सेवा कार्य चला कर प्रधानमंत्री मोदी के स्वस्थ व दीर्घायु जीवन की कामना करेंगे।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा इस सम्बन्ध में सभी राज्य इकाइयों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। सेवा सप्ताह के तहत विभिन्न आयोजन 14 सितम्बर से शुरू होकर 20 सितम्बर तक चलेंगे। सेवा सप्ताह के तहत भाजपा कार्यकर्त्ता दिव्यांगों को विभिन्न प्रकार के कृत्रिम अंगों व उपकरणों और गरीबों को चश्मों का वितरण करेंगे। विभिन्न स्थानों पर गरीब बस्तियों व चिकित्सालयों में फलों का वितरण, रक्तदान शिविर आयोजित किये जाएंगे। प्रत्येक बूथ पर वृक्षारोपण कर पर्यावरण सरंक्षण का संकल्प लिया जाएगा। सभी जिला मुख्यालयों में सार्वजानिक स्थानों पर स्वच्छता कार्यक्रम चलाये जाएंगे।
इसके साथ ही विभिन्न स्तरों पर प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर वेबिनारों का आयोजन होगा, जिनमें समाज के प्रबुद्ध नागरिकों व बुद्धिजीवियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। भाजपा की सोशल मीडिया टीम इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों व व्यक्तित्व पर स्लाइड की प्रदर्शनी बना कर सोशल मीडिया में प्रचारित – प्रसारित करेगी।
केंद्र सरकार ने विभिन्न प्रकार के मानसिक रोगियों की सहायता के लिए सातों दिन, चौबीसों घंटे (24×7) की एक टोल-फ्री मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्पलाइन (1800-599-0019) शुरू की है। ‘किरण’ नाम से शुरू गई यह हेल्पलाइन मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों को राहत और मदद उपलब्ध कराएगी। केंद्र सरकार ने विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के कारण बढ़ती हुई मानसिक बीमारी की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए इसे शुरू किया है।
यह हेल्पलाइन तनाव, चिंता, अवसाद, डर के झटके, नशीले पदार्थों का सेवन, आत्महत्या, महामारी से प्रेरित मनोवैज्ञानिक मुद्दों, व्यग्रता, जुनूनी बाध्यकारी विकार (ओसीडी), पैनिक अटैक समायोजन विकार, पोस्ट-ट्रोमेटिक (अभिघातजन्य) तनाव विकार आदि से संबंधित मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिए कार्य करेगी। देश के किसी भी हिस्से से किसी भी मोबाइल या किसी लैंड लाइन से टोल फ्री नंबर 1800-599-0019 डॉयल कर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक अथवा मनोचिकित्सक अपनी सलाह और सुझाव देंगे। मरीजों की जानकारी गोपनीय रखी जाएगी।
यह हेल्पलाइन में 13 भाषाओं – हिंदी, असमिया, तमिल, मराठी, ओडिया, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, बंगाली, उर्दू और अंग्रेजी में काम करेगी। हेल्पलाइन का उद्देश्य जल्द जांच, प्राथमिक चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक सहायता, संकट प्रबंधन, मानसिक भलाई, विचलित व्यवहारों की रोकथाम, मनोवैज्ञानिक संकट प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को रेफरल संबंधी मदद करना है।
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई इस हेल्पलाइन का सोमवार को विभागीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने वर्चुअल मोड वेबकास्ट के माध्यम से की शुरूआत की। गहलोत ने इस हेल्पलाइन के बारे में पोस्टर, ब्रोशर और संसाधन पुस्तिका भी जारी की। दिव्यांगताग्रस्त व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग की सचिव शकुंतला डी. गामलिन व संयुक्त सचिव प्रबोध सेठ भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर गहलोत ने कहा कि किरन हेल्पलाइन जल्दी जांच, प्राथमिक चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक सहायता, संकट प्रबंधन, मानसिक भलाई, सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देने, मनोवैज्ञानिक संकट प्रबंधन आदि के उद्देश्य से मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराएगी। यह पूरे देश में व्यक्तियों, परिवारों, गैर सरकारी संगठनों, मूल संघों, व्यावसायिक संघों, पुनर्वास संस्थानों, अस्पतालों और किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को 13 भाषाओं में पहले चरण की सलाह, परामर्श और संदर्भ उपलब्ध कराने वाली जीवन रेखा के रूप में काम करेगी। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि यह हेल्पलाइन बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों के लिए भी बहुत लाभकारी सिद्ध होगी।
चर्चित फिल्म निर्देशक, अभिनेता व पटकथा लेखक करण राजदान अपनी आने वाली फिल्म ‘हिंदुत्व’ और एक डॉक्यूमेंट्री ‘शिवतंत्र’ की शूटिंग उत्तराखंड में करना चाहते हैं। राजदान ने इस सम्बन्ध में आज प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके आवास पर भेंट की।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र से भेंट के दौरान राजदान ने कहा कि वे उत्तराखण्ड में ‘हिन्दुत्व’ फिल्म की शूटिंग करना चाहते हैं। इस फिल्म की 90 प्रतिशत शूटिंग वे उत्तराखण्ड में करेंगे। फिल्म की शूटिंग अगले वर्ष जनवरी-फरवरी में शुरू होगी। इसके अलावा उन्होंने उत्तराखण्ड में एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘शिवतंत्र’ की शूटिंग करने की इच्छा भी जताई। करण राजदान ने परदे के आगे और पीछे दोनों तरह की भूमिकाओं का निर्वाह किया है और चर्चाओं में रहे हैं। उन्होंने कई हिट टीवी सीरियलों की कहानियां भी लिखी हैं।
फिल्म निर्देशक करण राजदान द्वारा उत्तराखण्ड में फिल्म की शूटिंग की इच्छा पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने उन्हें अपनी सहमति प्रदान की। मुख्यमंत्री ने डॉक्यूमेंट्री ‘शिवतंत्र’ को लेकर करण राजदान को सुझाव दिया कि इसकी शूटिंग पंच केदारों में किसी भी स्थान पर की जा सकती है। उल्लेखनीय है, कि गढ़वाल के हिमालयी क्षेत्र में स्थित श्री केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ व कल्पेश्वर मंदिरों की पंच केदारों के रूप में मान्यता है। ये सभी भगवान शिव के मंदिर हैं।
भेंट के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने करण राजदान को बताया कि उत्तराखण्ड में फिल्म शूटिंग के लिए एक सरल फिल्म नीति बनाई गई है। अब एक दिन में भी फिल्म शूटिंग की ऑनलाईन अनुमति दी जा रही है। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड का नैसर्गिक सौन्दर्य एवं प्राकृतिक वातावारण फिल्म की शूटिंग के लिए अनुकूल है। इसलिए फिलमकारों का रूझान उत्तराखण्ड के प्रति बढ़ा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के अपर सचिव डॉ. नीरज खैरवाल तथा उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के नोडल अधिकारी के.एस.चौहान भी उपस्थित थे।
देश में कोविड महामारी नौवें महीने में प्रवेश कर गया है। इस दौरान कई राज्यों ने महामारी से लड़ने के लिए इसके अनुकूल नए उपाय भी शुरू किए हैं। इस क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाये गए कदम भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय को भी भा गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने विज्ञप्ति जारी कर यूपी सरकार के प्रयासों की जानकारी दी है और इसे कोविड-19 को लेकर ‘बेहतरीन उपाय’ बताया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार यूपी सरकार ने कोविड के पॉजिटिव मामलों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए विगत 18 जुलाई को प्रदेश के सभी जिलों में एकीकृत कोविड नियंत्रण एवं कमान केंद्र (ICCCC) की स्थापना की। इसके अलावा राज्य मुख्यालय पर भी सभी संबंधित विभागों के प्रतिनिधित्व के साथ ICCCC स्थापित किया गया। इन केंद्रों का कार्य मुख्य रूप से गैर फार्मास्युटिकल हस्तक्षेपों (non-pharmaceutical interventions) के लिए संबंधित विभागों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करने का है। इन केंद्रों पर कोविड-19 रोगियों को जल्द ही इलाज के लिए उचित स्तर के डेटिकेटेड कोविड सुविधा केंद्रों तक पहुंचाने की सहूलियत मिलती है। ये केंद्र क्षेत्रीय इकाइयों के साथ मिलकर रोग-संबंधी लक्षण वाले मरीजों और उनके संपर्क में आए लोगों का शीघ्र परीक्षण, प्रयोगशाला की स्थिति की जानकारी, अस्पताल में भर्ती की स्थिति में परिवहन सुविधा और घर में पृथकवास में रहकर इलाज करा रहे मरीजों की नियमित निगरानी सुनिश्चित करते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने ने एक एकीकृत राज्य कोविड पोर्टल http://upcovid19tracks.in भी विकसित किया है जो कोविड रोगियों की निगरानी, परीक्षण और उपचार से संबंधित सभी सूचनाएं एकत्रित करता है। सरकार द्वारा जिला स्तर पर डेटा और डेटा प्रबंधन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमित प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। यह पोर्टल कोविड-19 को लेकर विभिन्न तथ्यों के विश्लेषण में सहायक साबित हो रहा है। पोर्टल पर प्राप्त डिजिटल डेटा की उपलब्धता से त्वरित निर्णय लेने और तथ्यों का सूक्ष्म विश्लेषण संभव हुआ है। इस पोर्टल ने भारत सरकार के पोर्टल के साथ पारस्परिकता के माध्यम से भी फायदा उठाया है।
चर्चित केशवा नन्द भारती बनाम केरल सरकार मामले के मुख्य याचिकाकर्ता स्वामी केशवा नन्द भारती का रविवार को निधन हो गया। केरल के कासरगोड जिले के इडनीर मठ के प्रमुख स्वामी केशवा नन्द भारती ने 79 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम नेताओं ने ट्वीट कर उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
1973 में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की 13 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। यह फैसला आज भी प्रासंगिक बना हुआ है और कई अन्य देशों की अदालतों ने भी इसे कोट किया है। दरअसल, केरल की तत्कालीन कम्युनिस्ट सरकार ने एक भूमि सुधार कानून बना कर जमींदारों व मठों की भूमि अधिग्रहित कर ली। स्वामी केशवा नन्द भारती ने केरल भूमि सुधार अधिनियम, 1963 को अदालत में चुनौती दी। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद-29 को भी चुनौती दी, जिसके तहत केरल सरकार का कानून था। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद- 26 , जिसके तहत धार्मिक संस्थाओं को अधिकार दिए गए थे, के आधार पर राहत की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान यह सवाल उठा कि क्या संसद को अधिकार है कि वह संविधान की मूल प्रस्तावना को बदल सके ? केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में 68 दिन तक सुनवाई हुई। यह सुनवाई 31 अक्टूबर 1972 को शुरू होकर 23 मार्च 1973 को खत्म हुई। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सीकरी की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 7:6 के बहुमत से 24 अप्रैल 1973 को न्यायिक इतिहास का यह सबसे महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। मामूली बहुमत से हुए इस निर्णय में यह माना गया कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन उस हद तक ही कर सकती है, जहाँ तक कि वो संशोधन संविधान के बुनियादी ढांचे और आवश्यक विशेषताओं में परिवर्तन या संशोधन नहीं करे। यानि संविधान की प्रस्तावना की भावना से कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 368; जो संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्तियाँ प्रदान करता है, के तहत संविधान की आधारभूत संरचना में बदलाव नहीं किया जा सकता है। केशवानंद भारती मामले ने संविधान की ‘आधारभूत संरचना’ (Basic Structure) का ऐतिहासिक सिद्धांत दिया था।
स्वामी केशवा नन्द भारती के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के सभी प्रमुख नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि पूज्य केशव नन्द भारती को समाज सेवा और उपेक्षितों के सशक्तिकरण को लेकर उनके योगदान के लिए याद रखा जाएगा। वे समृद्घ भारतीय संस्कृति और हमारे महान संविधान से गहरे जुड़े हुए थे। वे हमेशा पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को स्टेट बिजनेस रिफार्म एक्शन प्लान-2019 के चौथे एडिशन के तहत ईज आफ डूईंग बिजनेस के क्षेत्र में राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग जारी की। रैकिंग में आंध्र प्रदेश ने पहला, उत्तर प्रदेश ने दूसरा व तेलंगाना ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। उत्तराखण्ड 2015 में 23वें स्थान पर था, उसे अब 11वां स्थान प्राप्त हुआ है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों, वित्त मंत्रियों व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में यह रैंकिंग जारी की। वित्त मंत्री ने पहले तीन स्थान प्राप्त करने वाले राज्यों को लगातार सुधारवादी कदम उठाने के लिए बधाई दी और आशा जताई कि आने वाले समय में यह सुधार और दिखेंगे।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मकसद अपने तक सीमित रहना नहीं है, बल्कि अपनी शक्ति बढ़ाने का है। इस तरीके से हम अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि आत्मनिर्भर भारत अधिक से अधिक निर्यात को बेहतर मूल्य निर्धारण व गुणवत्ता की प्रतिस्पर्धा के साथ नेतृत्व करेगा और उस भारतीय कौशल को प्रदर्शित करेगा, जो उसे पूर्णता प्रदान करते हैं।
वीडियो कांफ्रेंसिंग में शामिल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस अवसर पर कहा कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 से राज्यों की ईज ऑफ डूईंग बिजनेस रैंकिंग जारी की जा रही है। ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के अंतर्गत राज्यों द्वारा किये जा रहे रिफॉर्म, केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों के बीच सकारात्मक साझेदारी की अनूठी मिसाल है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के पश्चात निर्धारित रिफॉर्म एक्शन प्लान राज्यों को निवेश के अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए एक समुचित रोड मैप प्रदान करता है। उत्तराखण्ड ने आरंभ से ही ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के क्षेत्र में लगातार सक्रियता से कार्य किया है। वर्ष 2015 की पहली रैंकिंग में हम 23वें स्थान पर थे और वर्ष 2019 में 11वें स्थान पर रहे हैं। उत्तराखण्ड राज्य राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि प्राप्त करने वाले राज्यों की श्रेणी में सम्मिलित हो इसके लिये प्रभावी प्रयास किये जायेंगे।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य को निवेशकों के लिए एक आदर्श गंतव्य के रूप में विकसित करने की दिशा में हम कृत संकल्प है। इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा राज्य में निवेश हेतु उद्यमियों को अनेक सहुलियतें दिये जाने से सम्बन्धित कार्ययोजना बनायी है, जिसका परिणाम शीघ्र धरातल पर दिखायी देगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में उद्योगों के अनुकूल माहोल तैयार करने के साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा आत्म निर्भर भारत के लिए की गई पहल को साकार करने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा कारगर प्रयास किये जा रहे हैं। स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही एक जनपद एक उत्पाद की दिशा में भी योजना बनायी जा रही है।
बैंक में नौकरी का अवसर खोज रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है। नैनीताल बैंक लिमिटेड ने प्रॉबेशनरी ऑफिसर व क्लर्क के 155 पदों के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किये हैं। आवेदन पत्र ऑनलाइन जमा करने की तिथि 15 सितंबर तक है।
नैनीताल बैंक ने प्रॉबेशनरी अधिकारी के 75 व लिपिक वर्ग के 80 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किये हैं। प्रॉबेशनरी अधिकारी के पद के लिए उम्मीदवार के पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन अथवा पोस्ट ग्रेजुएशन में कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। जबकि लिपिक पद के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन अथवा पोस्ट ग्रेजुएशन में कम से कम 45 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। दोनों पदों के आवेदकों को कम्प्यूटर की जानकारी भी जरुरी है। संबंधित क्षेत्र में एक से दो साल के अनुभव वाले उम्मीदवारों को वरीयता दी जाएगी।
प्रोबेशनरी ऑफिसर के पदों पर चयनित उम्मीदवारों को प्रतिमाह 23,700 से 42,020 रुपये और क्लर्क पदों पर चयनित उम्मीदवारों को प्रतिमाह 11,765 से 31,540 रुपये प्रति माह भुगतान किया जाएगा।
उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु सीमा 21 साल और अधिकतम आयु सीमा 30 साल होनी चाहिए।
चयनित उम्मीदवारों को उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में कहीं भी जॉब करना पड़ सकता है। उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर किया जाएगा।
परीक्षा केंद्र हल्द्वानी, देहरादून, रूड़की, बरेली, मेरठ, मुरादाबाद, लखनऊ, जयपुर, दिल्ली व अंबाला में बनाये जाएंगें।
प्रोबेशनरी अधिकारी पद के लिए 2000 रुपये और लिपिक पद के लिए 1500 रुपये आवेदन शुल्क तय किया गया है।
इन पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन 29 अगस्त से शुरू हो गए हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर है।
इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी के लिए नैनीताल बैंक की वेबसाइट देखिए –
केरल के तिरुअनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तस्करी के माध्यम से लाये जा रहे 30 किग्रा सोने का मामला प्रदेश की कम्युनिस्ट सरकार के गले की फांस बन गयी है। सोने की तस्करी के मामले ने केरल की राजनीति में जो तूफ़ान खड़ा किया है, वह फिलहाल शांत होता नहीं दिखाई दे रहा है। पीले सोने की तस्करी ने लाल झंडे की सरकार को सांसत में डाल दिया है। भारतीय जनता पार्टी इस प्रकरण में सीधे तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय की संलिप्तता का आरोप लगा कर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का त्याग पत्र मांगने पर तुली हुई है, तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया की प्रदेश सरकार का मुख्य काम सोने की तस्करी और ड्रग ट्रैफकिंग है।
उल्लेखनीय है, कि गत 5 जुलाई को तिरुअनंतपुरम हवाई अड्डे पर एक गोपनीय सूचना के आधार पर सीमाकर अधिकारियों ने तीस किलो सोना पकड़ा था। यह एक बक्से में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से पहुंचा था। बक्सा UAE के दूतावास के नाम था। जब एयरपोर्ट पर इस मामले का खुलासा हुआ तो ‘राजनयिक सामान’ की आड़ में भेजे गए इस पैकेट को UAE कॉन्सुलेट ने अपना मानने से इनकार कर दिया। सोना तस्करी मामले का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि सोना उस कूटनीतिक माध्यम से लाया गया था, जिसमें विदेशी राजनयिकों की कोई जांच नहीं होती है।
केरल पुलिस ने जब इस मामले की जांच की तो इसमें मुख्य अभियुक्त के रूप में स्वप्ना सुरेश का नाम सामने आया। स्वप्ना पहले UAE कॉन्सुलेट की अधिकारी थीं और उसके बाद वह केरल राज्य सूचना प्रौद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रही थी। स्वप्ना सुरेश का मुख्यमंत्री कार्यालय में बेरोकटोक आना-जाना था। यह भी कहा जाता है कि शाम ढलते ही उसके आवास पर पार्टियां होती थीं। इसमें केरल सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तक की उपस्थिति होती थी। मामले में नाम आने के बाद स्वप्ना सुरेश फरार हो गयी थी।
अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटे मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शोर-शराबा होते देख प्रकरण की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से जांच कराने की केंद्र सरकार से मांग कर डाली। केंद्र सरकार ने तस्करी मामले में आतंकी फंडिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए 9 जुलाई को NIA को जांच सौंपी। NIA ने जांच शुरू कर स्वप्ना सुरेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे बेंगलुरु से गिरफ्तार कर दिया। NIA ने इस मामले में 25 लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें से 20 की गिरफ्तारी हो चुकी है।
इस सनसनीखेज तस्करी मामले में एक नाटकीय मोड़ तब आया जब स्वप्ना सुरेश की केरल के मुख्यमंत्री विजयन के प्रधान सचिव व आईटी सचिव एम शिवशंकर व राज्य के एक मंत्री केटी जलील के साथ लगातार टेलीफोन संपर्क में रहने का मामला सामने आया। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शिवशंकर को मुख्यमंत्री के करीबी अधिकारियों में गिना जाता है। तस्करी प्रकरण में शिवशंकर की भूमिका संदिग्ध होने की बात सामने आने पर मुख्यमंत्री ने शिवशंकर को निलंबित कर दिया। NIA और प्रवर्तन निदेशालय (ED) शिवशंकर से कई बार पूछताछ कर चुके हैं।
NIA ने स्वप्ना सुरेश के टेलीफोन रिकॉर्ड का ब्यौरा हासिल किया है। मुख्य अभियुक्त स्वप्ना सुरेश ने ED के समक्ष दावा किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय में उसका ‘‘अच्छा-खासा प्रभाव” था। ED ने कोच्चि की विशेष NIAअदालत में यह दावा किया है। NIA के अलावा सीमा शुल्क विभाग, ED व अन्य एजेंसियां भी मामले की जाँच में जुटी हुई हैं।
इधर, यह मामला केरल की राजनीति भूचाल का सबब बना हुआ है। केरल में लगातार अपनी राजनीतिक पैठ को मजबूत करने में जुटी भाजपा इस मुद्दे पर केरल की कम्युनिस्ट सरकार को बख्शने के मूड में नहीं दिखाई दे रही है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से लेकर केरल इकाई के अध्यक्ष के.सुरेंद्रन तक ने तस्करी मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय को सीधे निशाने पर लिया है। सुरेंद्रन ने गुरूवार को भी कोझिकोड में आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के उच्चाधिकारियों से लेकर सत्तारूढ़ दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) तक के नेता तस्करी मामले में लिप्त हैं। दूसरी तरफ, कांग्रेस पार्टी भी इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार पर हमलावर हो उठी है। विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथल्ला ने शुक्रवार को तिरुअनंतपुरम में केरल सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। चेन्निथल्ला ने आरोप लगाया की इस सरकार का मुख्य काम सोने की तस्करी और ड्रग ट्रैफकिंग है।