उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने 5 अगस्त को अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर निर्माण कार्य के शुभारंभ को ऐतिहासिक अवसर बताया है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वे रामायण में जिस धर्म या मर्यादित सदाचार का वर्णन है उसे अपने जीवन में आत्मसात करें और उसके सार्वभौमिक संदेश का प्रचार-प्रसार करें।
आज ‘वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ फेसबुक पेज पर 17 भाषाओं में लिखी गई “श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण और उन आदर्शों की स्थापना” शीर्षक पोस्ट में उपराष्ट्रपति ने 5 अगस्त से प्रस्तावित राम मंदिर के पुनर्निर्माण को स्वतः स्फूर्त उत्सव सा अवसर बताया है। उन्होंने लिखा है कि यदि हम रामायण को सही परिपेक्ष्य में देखें तो यह अवसर समाज के आध्यात्मिक अभ्युदय का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह ग्रंथ धर्म और सदाचरण के भारतीय जीवन दर्शन का विस्तार समग्रता में दिखाता है।
उन्होंने लिखा कि रामायण एक कालजई रचना है, जो हमारे समाज की साझा चेतना का अभिन्न अंग है। श्री राम मर्यादा पुरुष हैं। वे उन मूल्यों के साक्षात मूर्त स्वरूप हैं, जो किसी भी न्यायपूर्ण और संतुलित सामाजिक व्यवस्था का आधार हैं। दो सहस्त्राब्दी पूर्व लिखे गए इस महाकाव्य की महिमा के विषय में लिखते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा है कि रामायण के आदर्श सार्वभौमिक हैं, जिन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक समाजों पर अमिट सांस्कृतिक प्रभाव छोड़ा है।
वेद और संस्कृत के विद्वान आर्थर एंटनी मैक्डोनल्ड को उद्दृत करते हुए वे लिखते हैं कि भारतीय ग्रंथों में जिन राम का वर्णन है, वो मूलतः पंथ निरपेक्ष हैं और उन्होंने विगत ढाई सहस्त्राब्दी में जन सामान्य के जीवन और विचारों पर अमिट प्रभाव छोड़ा है। उन्होंने लिखा है कि राम कथा देश-विदेश के कलाकारों, कथाकारों, लोक कला, संगीत, काव्य, नृत्य के लिए अनुकरणीय कथानक रहा है। इस क्रम में उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया के बाली, मलाया, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस जैसे देशों में रामकथा पर आधारित विभिन्न कला विधाओं का उल्लेख किया है, जो राम कथा की सार्वभौमिक लोकप्रियता का परिचायक है।
इस महाकाव्य का अलेक्जेंडर बारानिकोव द्वारा रूसी भाषा में अनुवाद किया गया। रूसी थिएटर कलाकार गेनेडी पेंचनिकोव ने इसका मंचन किया। कंबोडिया के प्रसिद्ध अंकोरवाट मंदिर की दीवारों पर राम कथा को उकेरा गया है। इंडोनेशिया के प्रंबनान मंदिर की राम कथा पर आधारित नृत्य नाटिका प्रसिद्ध है। ये सभी विश्व के सांस्कृतिक पटल पर रामायण के प्रभाव को दर्शाते हैं।
उन्होंने लिखा है कि बौद्ध, जैन और सिक्ख परम्पराओं में भी राम कथा का समावेश किया गया है। विभिन्न भाषाओं में इस महाकाव्य के इतने सारे संस्करण होना, यह साबित करता है कि इस कथानक में ऐसा कुछ तो है जो उसे आज भी लोगों में लोकप्रिय तथा समाज के लिए प्रासंगिक बनाता है। श्री राम उन मर्यादाओं और गुणों के साक्षात मूर्ति हैं, जिनके लिए हर व्यक्ति प्रयास करता है। हर समाज अपेक्षा करता है।
राम कथा के बारे में नायडू ने लिखा है कि यह वन गमन के दौरान राम के जीवन में हुई घटनाओं में गुंथी हुई उनकी मर्यादाओं की कथा है, जिसमें सत्य, शांति, सहयोग, समावेश, करुणा, सहानुभूति, न्याय, भक्ति, त्याग जैसे सार्वकालिक, सार्वभौमिक गुणों के दर्शन होते हैं और यह भारतीय जीवन दर्शन का आधार हैं।
नायडू ने लिखा है कि इन्हीं कारणों से रामायण आज भी प्रासंगिक है। महात्मा गांधी ने राम राज्य को ऐसी जन केंद्रित लोकतांत्रिक व्यवस्था के मानदंड के रूप में देखा, जो शांतिपूर्ण सह अस्तित्व, समावेशी सद्भाव तथा जन सामान्य के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहती है। उनका मानना था कि राम कथा समाज में लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने के लिए हमारी राजनैतिक, न्यायिक और प्रशासकीय व्यव्स्था के लिए एक अनुकरणीय मानदंड है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राफेल लड़ाकू विमानों की भारत में लैंडिंग को गेम चेंजर बताया है। शाह ने ट्वीट कर कहा कि राफेल विमानों की लैंडिंग हमारी सशक्त भारतीय वायु सेना के लिए एक ऐतिहासिक दिन और भारत के लिये गौरवशाली क्षण है। राफेल दुनिया के सबसे शक्तिशाली विमान हैं और ये विमान आकाश में किसी भी चुनौती को नाकाम करने में सक्षम हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि राफेल विमान हमारे वायु शूरवीरों को अपने उत्कृष्ट पराक्रम के साथ हमारे आकाश की सुरक्षा करने में मदद करेंगे।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा नई पीढ़ी के राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत को एक शक्तिशाली और सुरक्षित राष्ट्र बनाने की कटिबद्धता का सच्चा साक्ष्य है। मोदी सरकार भारत की सुरक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं प्रधानमंत्री का हमारी वायुसेना को यह अभूतपूर्व मजबूती देने के लिए आभार व्यक्त करता हूँ।
शाह ने कहा कि गति से लेकर हथियार क्षमता तक, राफेल बहुत आगे हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि ये विश्वस्तरीय लड़ाकू विमान गेम चेंजर साबित होंगे। इस महत्वपूर्ण दिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भारतीय वायु सेना और सम्पूर्ण देश को बधाई।
देश में कोरोना महामारी के चलते 24 मार्च से सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा हुई थी। लॉकडाउन के दौरान किसी को भी भूखे नहीं सोने देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 26 मार्च को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) की घोषणा की थी।
योजना के तहत परिवार के हर सदस्य को 5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो चने की दाल मुफ्त देने की घोषणा की गई थी। अब तक इसके तहत अप्रैल में 93% , मई में 91% और जून में 71% लाभार्थियों को अनाज दिया जा चुका है। इसके लिए राज्यों ने अब तक 116 लाख मीट्रिक टन अनाज केंद्र सरकार से लिया है।
अप्रैल से जून तक PMGKAY के सफल कार्यान्वयन के बाद केंद्र सरकार ने इस योजना को जुलाई से नवम्बर तक 5 महीने के लिए और बढ़ा दिया था। इस योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA )और अंत्योदय अन्न योजना (AAY) में शामिल लगभग 81 करोड़ लाभार्थियों को खाद्यान्न मुफ्त प्रदान किया जा रहा है।
जुलाई से नवंबर तक PMGKAY के दूसरे चरण के लिए 200.19 लाख मैट्रिक टन खाद्यान्न का आवंटन निर्धारित किया गया है, जिसमें 91.33 एलएमटी गेहूं व 109.96 एलएमटी चावल है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार इस योजना की लाभार्थियों के साथ-साथ राज्य सरकारों से भी बहुत उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। दूसरे चरण में यह योजना को 8 जुलाई को शुरू कर दी गई थी और 27 जुलाई तक 33.40 एलएमटी खाद्यान्न लाभार्थियों के वितरण के लिए राज्य सरकारों को जारी कर दिया गया है, जिसमें 13.42 एलएमटी गेहूं और 19.98 एलएमटी चावल है। यह आवंटन जुलाई माह के लिए होने वाले पूरे आवंटन का लगभग 83 प्रतिशत है।
खाद्य मंत्रालय के मुताबिक NFSA व AAY के तहत प्रत्येक लाभार्थी को सब्सिडी मूल्य पर मिलने वाला राशन कोटा पूर्व की भांति मिलता रहेगा और साथ ही गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत भी खाद्यान्न मुफ्त मिलेगा।
खाद्य मंत्रालय के मुताबिक भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने इन 5 महीनों में आवंटन के अनुसार खाद्यान्न स्टॉक देश के हर हिस्से तक पहुंचाने के लिए व्यापक लॉजिस्टिक प्लानिंग की है। केंद्र सरकार इसे एक चुनौती के रूप में देख रही है, क्योंकि इतनी बढ़ी मात्रा में खाद्यान्न की ढुलाई आसान काम नहीं है। यह मात्रा सामान्य आवंटन से दोगुनी है। इसके साथ ही भंडारण क्षमता भी बढ़ाई गई है। FCI के पास मौजूदा भंडारण क्षमता और परिवहन की व्यवस्था नियमित आवंटन के अनुसार ही है।
एफसीआई इस चुनौती के लिए पूरी तरह से तैयार है। लॉकडाउन की अवधि के दौरान की सबसे कठिन परिस्थितियों में FCI खाद्यान्न वितरित करने की अपनी क्षमताओं पर खरा उतरा है। लॉकडाउन में FCI ने कुशल लॉजिस्टिक संचालन के नए रिकॉर्ड बनाए गए हैं।
खाद्य मंत्रालय का प्रयास है कि प्रधानमंत्री मोदी की मंशा के अनुरूप खाद्यान्न निर्धारित आवंटन के अनुसार देश के हर कोने तक पहुंचे। खाद्य मंत्रालय के अनुसार FCI ने चालू सत्र के लिए खरीद का काम पहले ही पूरा कर लिया है और गेहूं तथा चावल दोनों की खरीद में नए रिकॉर्ड बनाए हैं। हाल ही में समाप्त फसल सीजन में FCI ने कुल 389.76 एलएमटी गेहूं और 504.91 एलएमटी चावल की खरीद की है। खाद्य मंत्रालय मॉनसून के वर्तमान रुझान को देखते हुए, 2020-21 के आगामी खरीफ सीजन को भी अच्छा होने की उम्मीद लगाए हुए है।
भारतीय वायु सेना के इतिहास में 27 जुलाई की तिथि एक नए अध्याय के रूप में जुड़ गयी है, जब आज अत्याधुनिक मिसाइलों और घातक बमों से लैस पांच राफेल लड़ाकू विमान फ्रांस से भारत के लिए रवाना हुए। राफेल लड़ाकू विमानों ने आज सुबह फ्रांस के मेरिग्नैक स्थित दसॉल्ट एविएशन फैसिलिटी से भारत के लिए उड़ान भरी है। इन पांच विमानों में तीन सिंगल सीटर विमान और दो ट्विन सीटर विमान शामिल हैं। भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ 60 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील की थी। ये पांच विमान भारत और फ्रांस के बीच हुई 36 विमानों के समझौते की पहली खेप है।
भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट 7000 किलोमीटर की हवाई दूरी तय कर इन विमानों को बुधवार को अंबाला एयरबेस पहुंचाएंगे। राफेल भारतीय वायु सेना के 17 वें स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज’ का हिस्सा बनेगा, जो राफेल विमान से सुसज्जित पहला स्क्वाड्रन है। राफेल को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में अगस्त में शामिल किया जाएगा।
इन विमानों का आगमन दो चरणों में करने की योजना बनाई गई है। विमानों को वहां से लाने की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना के पायलटों को दी गई है जिन्होंने इन विमानों को उड़ाने का व्यापक प्रशिक्षण लिया है। वहां से आगमन के पहले चरण के दौरान हवा से हवा में ईंधन भरने का काम भी यही पायलट करेंगे। फ्रांसीसी वायु सेना द्वारा उपलब्ध कराए गए विशेष टैंकर की सहायता से यह काम सफलतापूर्वक किया जाएगा।
भारत को ये विमान पहले मई में मिलने वाले थे, लेकिन कोरोना के कारण इनके मिलने में दो महीने की देरी हो गई। राफेल विमानों की पहली खेप में छह जेट भारत को मिलने हैं। पहले राफेल विमान को अक्टुबर 2019 में भारत को सौंपा गया था। इन विमानों के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से देश की सामरिक शक्ति में जबरदस्त इजाफा होगा। भारत आने वाले 5 वीं जेनरेशन के इन राफेल फाइटर जेट्स में दुनिया की सबसे आधुनिक हवा से हवा में मार करने वाली मीटिआर मिसाइल भी लगी होंगी।
दिल्ली के लुटियन्स जोन स्थित सरकारी बंगले को छोड़ने से पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी व राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी को परिवार सहित चाय पर आमंत्रित किया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कुछ समय पूर्व प्रियंका गांधी को पूर्व प्रधानमंत्री के परिजन के तौर पर दी गई स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) की सुरक्षा वापस ले ली थी। प्रियंका को केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के घेरे में जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। प्रियंका अभी तक ना ही सांसद रहीं हैं और ना ही उनके पास कोई सरकारी पद रहा है। मगर SPG घेरे में रहने के दौरान उन्हें सुरक्षा मानकों के अनुरूप वर्ष 1997 में 35 – लोधी एस्टेट का सरकारी बंगला दिया गया था। SPG सुरक्षा हटने के बाद केंद्र सरकार ने उन्हें 1 अगस्त तक सरकारी बंगला खाली करने को कहा था।
बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी बंगले को खाली करने की तैयारी में हैं। उन्होंने फिलहाल के लिए गुरुग्राम में फ्लैट लिया है। इधर, भाजपा के राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने स्वास्थ्य कारणों के चलते अपने लिए कोई अन्य बंगला आवंटित करने की मांग की थी। बलूनी अभी तक 20 – गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित बंगले पर रहते हैं। बलूनी के अनुरोध पर सरकार ने उन्हें प्रियंका गांधी द्वारा खाली किया जा रहा बंगला आवंटित किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, प्रियंका गांधी ने बंगला छोड़ने से पहले सामान्य शिष्टाचार के तहत नए आवंटी को पत्नी सहित चाय पर आमंत्रित किया है। अनिल बलूनी के कार्यालय को पत्र और फोन के माध्यम से यह निमंत्रण भेजा गया है।
उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के प्रति भेदभाव और संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर उसका आदरपूर्वक अंतिम संस्कार तक न करने देने जैसी घटनाओं पर व्यथित हैं। उन्होंने ऐसी घटनाओं को नितांत दुर्भाग्यपूर्ण बताया तथा स्थानीय समुदाय और वृहत्तर समाज से ऐसी प्रवृतियों को रोकने को कहा।
आज अपने फेसबुक पोस्ट में नायडू ने कहा कि ऐसी कुवृत्तियों को जड़ से समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा संक्रमित व्यक्ति सहायता व संवेदना की अपेक्षा करता है। कोई भी इस संक्रमण से पूरी तरह से निरापद नहीं है। यह अदृश्य वायरस किसी को भी संक्रमित कर सकता है।उन्होंने कहा ऐसा खेदजनक असंवेदनशील भेदभाव भारत की उस सहिष्णुतावादी परंपरा के विरुद्ध है जिसने समय-समय पर आहत मानवता के प्रति दया और करुणा का व्यवहार किया है। संक्रमित व्यक्ति की अंत्येष्टि पर मनाही की घटनाओं पर क्षोभ व्यक्त करते हुए उन्होंने लिखा कि यह भारतीय मूल्यों के विरुद्ध है, जहां शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना रखी जाती है। ढांढस और भरोसा दिया जाता है।
उन्होंने कहा ऐसे व्यवहार का मूल कारण लोगों में जानकारी का न होना है। इसके लिए आवश्यक है कि स्वास्थ्य प्रशासन और मीडिया लोगों तक प्रमाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाएं। प्रमाणिक जानकारी के अभाव में अंधविश्वास व अफवाहें फैलती हैं। जबकि जानकारी होने से व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
नायडू ने आशा व्यक्त की है कि अपने साझे प्रयास से हम इस महामारी के प्रभावों से उबरने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमें बढ़ते ग्राफ को समतल करने पर जोर देना है, जिसके लिए नागरिकों को ज़िम्मेदारीपूर्वक आचरण करना होगा। मास्क लगाना, हाथ धोना, सामाजिक दूरी जैसी सावधानियों का पालन करना होगा। उन्होंने प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए योग के अभ्यास की सलाह भी दी।
अपने फेसबुक पोस्ट में उपराष्ट्रपति ने आज कारगिल विजय दिवस पर युद्ध में वीरगति को प्राप्त अमर शहीदों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की और लिखा है कि मातृ भूमि की एकता, अखंडता व संप्रभुता की रक्षा करने के लिए सेनाओं के शौर्य, साहस, देशभक्ति और उनके बलिदान के प्रति सम्पूर्ण राष्ट्र सदैव कृतज्ञ रहेगा।
उन्होंने किसानों जैसे अनजान कोरोना योद्धाओं के प्रति आभार व्यक्त करने का आह्वाहन किया, जो निःस्वार्थ भाव से देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों, स्वच्छता कर्मियों, पुलिस, मीडिया तथा समान पहुंचाने वाले कर्मियों जैसे कोरोना योद्धाओं के प्रयासों में सहयोग और समर्थन देने का आग्रह
किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार 27 जुलाई को कोविड-19 को लेकर उच्च प्रवाह क्षमता वाली परीक्षण सुविधाओं का शुभारंभ करेंगे। इन सुविधाओं से देश में परीक्षण करने की क्षमता बढ़ेगी। साथ ही बीमारी की शुरुआती पहचान और समय रहते उपचार करने में तेजी आएगी। इससे कोरोना महामारी के फैलाव को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से इन सेवाओं का शुभारम्भ करेंगे। इन तीन उच्च क्षमता प्रवाह वाली परीक्षण सुविधाओं को रणनीतिक तौर पर आईसीएमआर – राष्ट्रीय कैंसर निवारण एवं अनुसंधान संस्थान, नोएडा, आईसीएमआर- राष्ट्रीय प्रजननीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान, मुंबई व आईसीएमआर- राष्ट्रीय हैजा एवं आंत्र बीमारी संस्थान, कोलकाता में स्थापित किया गया है। हाई फ्लो कैपेसिटी सुविधा हासिल करने के बाद ये संसथान रोज 10,000 से अधिक नमूनों का परीक्षण करने में सक्षम होंगे। इन सुविधाओं से युक्त प्रयोगशालाओं से संक्रामक डायग्नोस्टिक मटेरियल से स्वास्थ्यकर्मियों को बचाने और उनके प्रतिवर्तन काल (टर्नअराउंड टाइम) को कम करने में मदद मिलेगी। इन प्रयोगशालाओं में कोविड के अलावा अन्य बीमारियों का भी परीक्षण हो सकेगा। महामारी खत्म होने के बाद हेपेटाइटिस बी एवं सी, एचआईवी, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस, साइटोमेगालोवायरस, क्लैमाइडिया,नीसेरिया,डेंगू इत्यादि बीमारियों के लिए भी परीक्षण कार्य होगा।
पिछले 24 घंटों में कोविड-19 से ठीक हुए लोगों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज
इधर, पिछले 24 घंटों में कोविड-19 से ठीक हुए लोगों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 36,145 रोगी ठीक हुए और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इसके साथ ठीक हुए मामलों की कुल संख्या बढ़कर 8,85,576 हो गई है। ठीक होने की दर भी नए उच्च स्तर पर पहुंच गई है। यह बढ़कर 64 प्रतिशत के नजदीक हो गई है। आज यह 63.92 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि ज्यादा रोगी ठीक हो रहे हैं। इस प्रकार से कोविड-19 से ठीक हुए और सक्रिय मामलों के बीच का अंतर लगातार व्यापक रूप से बढ़ रहा है। यह अंतर 4 लाख से ज्यादा हो गया है और यह वर्तमान में 4,17,694 है। ठीक हुए मामले, सक्रिय मामलों 4,67,882 से 1.89 गुना ज्यादा हैं।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को कोविड-19 महामारी का प्रभावी प्रबंधन करने के लिए जांच, खोज, उपचार रणनीति को जारी रखने और उसे प्रभावी रूप से लागू करने की सलाह दी है। पहली बार एक ही दिन में रिकॉर्ड संख्या में 4,40,000 से ज्यादा लोगों की जांच की गई। पिछले 24 घंटों में 4,42,263 नमूनों की जांच के साथ, प्रति मिलियन परीक्षण (टीपीएम) की संख्या बढ़कर 11,805 हो गई है और कुल परीक्षण की संख्या 1,62,91,331 हो गई है। पहली बार सरकारी प्रयोगशालाओं ने 3,62,153 नमूनों की जांच करके एक नया रिकॉर्ड बनाया है। निजी प्रयोगशालाओं ने भी एक ही दिन में 79,878 नमूनों की जांच कर नई ऊंचाई प्राप्त कर ली है। मृत्यु दर के मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और यह वर्तमान में 2.31 प्रतिशत है। भारत दुनिया के सबसे कम मृत्यु दर वाले देशों में से एक है।
देश में कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रसार बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि वर्तमान में संक्रमितों की संख्या 13 लाख के पार पहुंच गई है। लोग इससे बचने के लिए मास्क लगाने, सोशल डिस्टैंसिंग और हैंड सैनिटाइजर का उपयोग कर रहे हैं।
इसी बीच अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी जारी की है कि हैंड सैनिटाइजर का अधिक उपयोग हानिकारक हो सकता है। ऐसे में इसका अधिक उपयोग करने से बचना चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ आरके वर्मा ने कहा, “यह अभूतपूर्व समय है, किसी ने नहीं सोचा था कि इस प्रकृति के एक वायरस का प्रकोप होगा। अपने आप को बचाने के लिए मास्क का प्रयोग करें, गर्म पानी बार-बार पिएं और हाथों को जोर से धोएं।” उन्होंने कहा कि हैंड सैनिटाइजर का आवश्यकता से अधिक उपयोग हानिकारक हो सकता है। ऐसे में लोगों को सैनिटाइजर के दुरुपयोग से बचने का प्रयास करना चाहिए।
डॉ वर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के तेजी से फैलने के दौरान जब लोग संक्रमण से बचने के लिए हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करने लगे थे तब चिकित्सा विशेषज्ञों चेतावनी जारी की थी कि सैनिटाइजर के अधिक उपयोग से त्वचा को स्वस्थ रखने वाले बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। उन्होंने सलाह दी थी कि जब आपके पास साबुन और पानी उपलब्ध हो तो हाथों को सैनिटाइज करने की जगह उससे हाथ धोना चाहिए। यह अधिक सुरक्षित है।
भारत में यह है कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति
देश में 13 लाख से ज्यादा लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में संक्रमितों की कुल संख्या 13,36,861 हो गई है। इनमें से 4,56,071 सक्रिय मामले हैं, 8,49,432 लोग ठीक हो चुके हैं और 31,358 मरीजों की मौत हुई है। बीते 24 घंटों के दौरान देशभर में 48,916 नए मरीज मिले और 757 लोगों की मौत हुई। इससे पहले कल रिकॉर्ड 49,310 नए मामले सामने आए थे।
मौत
देश में पिछले 24 घंटों में हुई 757 मौतों में से सबसे अधिक महाराष्ट में 278 लोगों की हुई है। इसी तरह कर्नाटक 108, तमिलनाडु 88, उत्तर प्रदेश 59, आंध्र प्रदेश 49, पश्चिम बंगाल 35, दिल्ली 32, गुजरात 26, जम्मू-कश्मीर 14, मध्य प्रदेश 11, राजस्थान और तेलंगाना आठ-आठ मौत हुई है। असम, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में छह-छह, पंजाब पांच, केरल और हरियाणा चार-चार, बिहार और झारखंड तीन-तीन और पुड्डुचेरी, त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड की एक-एक मौत हुई है।
रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (Permanent Commission) प्रदान करने के लिए औपचारिक सरकारी मंजूरी पत्र जारी कर दिया है। इससे महिला अधिकारियों को सेना में बड़ी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए रास्ता साफ़ हो गया है।
रक्षा मंत्रालय के मुख्य प्रवक्ता ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। अभी तक सेना की जज एवं एडवोकेट जनरल (जेएजी) व आर्मी एजुकेशनल कॉर्प्स (एईसी) शाखा में ही महिला अधिकारीयों को स्थायी कमीशन था। केंद्र सरकार के आ के आदेश के बाद भारतीय सेना के सभी दस वर्गों अर्थात आर्मी एयर डिफेंस (एएडी), सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आर्मी ऐवियेशन, इलेक्ट्रोनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई), आर्मी सर्विस कॉर्प्स (एएससी), आर्मी आर्डनेंस कॉर्प्स (एओसी) और इंटेलीजेंट कॉर्प्स में शॉर्ट सर्विस कमीशंड (एसएससी) महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन की स्वीकृति मिल गयी है।
आदेश की प्रत्याशा में, सेना मुख्यालय ने प्रभावित महिला अधिकारियों के लिए स्थायी आयोग चयन बोर्ड के संचालन के लिए तैयारी संबंधी कार्रवाइयों शुरू कर दी थीं। मंत्रालय के आदेश के बाद जैसे ही सभी प्रभावित एसएससी महिला अधिकारी अपने विकल्प का उपयोग करेंगी और वांछनीय दस्तावेजीकरण को पूर्ण करेंगी, चयन बोर्ड कार्रवाई शुरू कर देगा।
अभी तक आर्मी में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) में सेवा दे चुके पुरुष अधिकारीयों को ही स्थायी कमीशन का विकल्प मिल रहा था। महिला अधिकारी इससे वंचित थीं। स्थायी कमीशन से महिलाएं 20 साल तक काम कर पाएंगी। शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत अधिकारियों को चौदह साल में रिटायर कर दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती है। ऐसे में रिटायरमेंट के बाद महिला अधिकारियों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो जाता। इसके अलावा भी कई ऐसी सुविधाएं हैं जो इन्हें नहीं मिलती है। वायुसेना और नौसेना में महिला अफसरों को पहले से ही स्थायी कमीशन मिल रहा है।
कोविड-19 महामारी ने फेस मास्क के उपयोग को दैनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना दिया है। लोग मास्क का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन इसके कारण उन्हें कुछ असुविधाओं का भी सामना करना पड़ रहा है। जैसे छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ 2) को फिर से सांस के रूप में वापस लेना। विषेशज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक ऐसा होने से मानव दक्षता कम हो सकती है और यह मस्तिष्क-हाइपोक्सिया का भी कारण बन सकता है। इसके अलावा मास्क के उपयोग के दौरान साँस की नमी पैदा होती है, जो चश्मे को धूमिल करती है। मास्क के अंदर पसीने और गर्म वातावरण जैसे सुरक्षा मुद्दे भी चिंतित करने वाले मुद्दे हैं। मास्क के उपयोग से व्यक्ति की बातचीत में अस्पष्टता आदि की समस्या पैदा हो रही है।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज (SNBNCBS), कोलकाता के निदेशक प्रोफेसर समित कुमार रे के मार्गदर्शन में प्रोफेसर समीर के पाल और उनकी टीम ने स्वच्छ व आराम से साँस लेने के लिए एक सक्रिय रेस्पिरेटर मास्क विकसित किया है, जिसमें सांस छोड़ने के लिए वाल्व और सूक्ष्म कण नियंत्रण के लिए फ़िल्टर लगा हुआ है।
संस्थान, डीएसटी द्वारा वित्त पोषित तकनीकी अनुसंधान केंद्रों (टीआरसी) में से एक को होस्ट भी कर रहा है। सक्रिय रेस्पिरेटर मास्क कार्बन डाइऑक्साइड को पुनः सांस लेने, उत्सर्जित नमी तथा पसीने और गर्म वातावरण की समस्या से छुटकारा दिलाने में सक्षम है। यह फेस मास्क व्यक्ति की बातचीत की स्पष्टता में भी सुधार करता है और पहनने वाले को वायुजनित दूषित पदार्थों के संपर्क से बचाते हुए आरामदायक, स्वच्छ सांस लेने की सुविधा देता है।
इसके अलावा, संस्थान द्वारा एक एंटी माइक्रोबॉयल लेयर के साथ नैनो-सेनीटाइजर भी विकसित किया गया है। यह नैनो- सेनीटाइजर सामान्य सेनीटाइजर के उपयोग से होने वाली समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। सामान्य सेनीटाइजर के लगातार उपयोग के कारण त्वचा के निर्जलीकरण की समस्या होती है। संस्थान द्वारा विकसित यह सेनीटाइजर लंबी अवधि तक उपयोग के बावजूद आरामदायक तरीके से हाथ को स्वच्छ रखता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के डीएसआईआर के उद्यम, राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एन आर डी सी) ने इन दोनों तकनीकों को कोलकाता स्थित कंपनी, मेसर्स पॉलमेक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित किया है। दोनों उत्पादों के पहले बैच को लॉन्च करने का लक्ष्य 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर रखा गया है। हालांकि अभी इनकी कीमतों के बारे में खुलासा नहीं किया गया है।