दो घंटे की मशक्कत के बाद काबू में आई आग, इलाके में शोक का माहौल
मनाडो (इंडोनेशिया)। इंडोनेशिया के उत्तरी सुलावासी प्रांत में एक वृद्धाश्रम में आग लगने से 16 बुजुर्गों की जान चली गई। यह हादसा मनाडो शहर के एक रिहायशी इलाके में उस समय हुआ, जब वृद्धाश्रम में रह रहे अधिकांश लोग सो रहे थे। अचानक लगी आग ने कुछ ही देर में पूरे भवन को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे अफरा-तफरी मच गई।
पुलिस के मुताबिक, एक मंजिला इमारत में संचालित इस रिटायरमेंट होम में कई बुजुर्ग रह रहे थे। आग इतनी तेजी से फैली कि कई लोगों को बाहर निकलने का मौका नहीं मिल सका। हादसे में 15 लोगों की मौत झुलसने से हुई, जबकि एक व्यक्ति की दम घुटने के कारण जान चली गई। वहीं 15 अन्य लोगों को सुरक्षित बाहर निकालकर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
दमकल की छह गाड़ियां, दो घंटे में काबू
आग की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की छह गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। इस दौरान आसपास के स्थानीय लोगों ने भी राहत और बचाव कार्य में मदद की। घायलों और मृतकों की पहचान के लिए परिजनों को अस्पताल बुलाया गया है।
शॉर्ट सर्किट की आशंका, जांच जारी
प्राथमिक जांच में आग लगने की वजह बिजली की फिटिंग में खराबी मानी जा रही है। हालांकि पुलिस और फायर विभाग ने कहा है कि घटना के वास्तविक कारणों का पता विस्तृत जांच के बाद ही चल सकेगा। हादसे के बाद इलाके में शोक का माहौल है और प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है।
ट्रक हादसों के बाद अमेरिका में कड़ा एक्शन
वॉशिंगटन। अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे विदेशी ट्रक चालकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए बॉर्डर पेट्रोल पुलिस ने 30 भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया है। ये सभी लोग कमर्शियल ड्राइवर लाइसेंस के आधार पर ट्रक चला रहे थे। यह कार्रवाई यूएस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) द्वारा चलाए गए एक विशेष अभियान के तहत की गई, जिसका मकसद अमेरिकी राजमार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बताया गया है।
सीबीपी की ओर से जारी बयान के अनुसार, कैलिफोर्निया के एल सेंट्रो सेक्टर में इमिग्रेशन चेकपॉइंट्स पर जांच के दौरान कुल 49 अवैध अप्रवासियों को पकड़ा गया। इनमें से 30 भारतीय नागरिक हैं, जबकि अन्य अल सल्वाडोर, चीन, एरिट्रिया, हैती, होंडुरास, मैक्सिको, रूस, सोमालिया, तुर्किये और यूक्रेन से संबंध रखते हैं। अधिकारियों ने बताया कि यह अभियान 23 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच चलाया गया, जिसमें कुल 42 ऐसे ट्रक चालकों की पहचान हुई जो अवैध रूप से अमेरिका में रहकर व्यावसायिक वाहन चला रहे थे।
जांच में सामने आया कि गिरफ्तार किए गए 31 लोगों के पास कैलिफोर्निया राज्य द्वारा जारी कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस थे, जबकि अन्य के लाइसेंस फ्लोरिडा, इलिनोइस, इंडियाना, ओहायो, मैरीलैंड, मिनेसोटा, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, पेंसिल्वेनिया और वाशिंगटन जैसे राज्यों से जारी किए गए थे। इमिग्रेशन एजेंसियों का कहना है कि इन चालकों को कभी भी व्यावसायिक ट्रक चलाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए थी।
अधिकारियों के मुताबिक, यह सख्त कदम हाल के महीनों में सामने आई कई गंभीर सड़क दुर्घटनाओं के बाद उठाया गया है, जिनमें अवैध रूप से रह रहे ट्रक चालकों की लापरवाही से लोगों की जान गई। एजेंसी ने साफ किया कि इस अभियान का उद्देश्य इमिग्रेशन कानूनों को सख्ती से लागू करना, कमर्शियल ट्रांसपोर्ट सेक्टर में नियमों का पालन सुनिश्चित करना और आम जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है।
बॉर्डर पेट्रोल अधिकारियों ने कहा कि होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेशन और अन्य संघीय एजेंसियों के सहयोग से इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि जिन राज्यों ने नियमों के बावजूद ऐसे लोगों को कमर्शियल लाइसेंस जारी किए, उनकी भूमिका की भी समीक्षा की जाएगी।
दिसंबर महीने में दक्षिण अफ्रीका में यह दूसरी बड़ी गोलीबारी की घटना
जोहानिसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका के सबसे बड़े शहर जोहानिसबर्ग में रविवार को हुई सामूहिक गोलीबारी ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थित बेकर्सडाल टाउनशिप में अज्ञात बंदूकधारियों ने एक अवैध शराबखाने को निशाना बनाते हुए ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिसमें कम से कम नौ लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावर अचानक शराबखाने में दाखिल हुए और बिना किसी चेतावनी के वहां मौजूद लोगों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। इस हमले से मौके पर अफरा-तफरी मच गई और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। प्रारंभिक तौर पर मृतकों की संख्या दस बताई जा रही थी, लेकिन बाद में अधिकारियों ने नौ मौतों की पुष्टि की।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हमलावर दो वाहनों में सवार होकर आए थे। फायरिंग के बाद वे घटनास्थल से फरार हो गए और भागते समय भी गोलियां चलाते रहे। प्रांतीय पुलिस आयुक्त मेजर जनरल फ्रेड केकाना के अनुसार, मृतकों में एक व्यक्ति वह भी शामिल है जो शराबखाने के बाहर वाहन चला रहा था और गोलीबारी की चपेट में आ गया।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और आपातकालीन सेवाएं मौके पर पहुंचीं। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां कुछ की हालत नाजुक बनी हुई है। अधिकारियों का कहना है कि गंभीर रूप से घायल लोगों के चलते मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
फिलहाल पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर जांच शुरू कर दी है। हालांकि, अभी तक न तो हमलावरों की पहचान हो सकी है और न ही हमले के पीछे के मकसद का खुलासा हुआ है। अवैध शराबखानों से जुड़ी आपराधिक गतिविधियों के एंगल से भी जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि दिसंबर महीने में दक्षिण अफ्रीका में यह दूसरी बड़ी गोलीबारी की घटना है। इससे पहले प्रिटोरिया के पास एक हॉस्टल में हुए हमले में तीन साल के बच्चे समेत 12 लोगों की जान चली गई थी। लगातार हो रही ऐसी घटनाओं ने देश में कानून-व्यवस्था और नागरिक सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
बीबीसी की माफी के बाद भी नहीं थमे ट्रंप, अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिटिश सार्वजनिक प्रसारक बीबीसी के खिलाफ बड़ा कानूनी कदम उठाया है। ट्रंप ने बीबीसी पर मानहानि और भ्रामक रिपोर्टिंग का आरोप लगाते हुए 10 अरब अमेरिकी डॉलर के हर्जाने की मांग के साथ मुकदमा दायर किया है। उनका आरोप है कि बीबीसी ने जानबूझकर उनके बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा और 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास किया गया।
फ्लोरिडा में दायर 33 पन्नों की याचिका में ट्रंप ने कहा है कि बीबीसी ने उनके खिलाफ “झूठी, अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण” सामग्री प्रसारित की। मुकदमे में दावा किया गया है कि प्रसारक ने न केवल पत्रकारिता की मर्यादाओं का उल्लंघन किया, बल्कि अनुचित व्यापारिक व्यवहार अपनाते हुए राजनीतिक हस्तक्षेप भी किया।
भाषण की एडिटिंग को लेकर विवाद
ट्रंप का कहना है कि बीबीसी ने 6 जनवरी 2021 को दिए गए उनके भाषण के अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर इस तरह पेश किया, जिससे उनके बयान का अर्थ पूरी तरह बदल गया। आरोप है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील वाले हिस्से को हटा दिया गया और ऐसे शब्दों को जोड़ दिया गया, जो उन्होंने कहे ही नहीं थे।
पहले माफी, अब मुकदमा
इस विवाद को लेकर ट्रंप पहले भी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दे चुके थे। इसके बाद बीते महीने बीबीसी ने भाषण की एडिटिंग को लेकर ट्रंप से माफी तो मांगी थी, लेकिन मानहानि के आरोपों को खारिज कर दिया था। बीबीसी के अध्यक्ष समीर शाह ने इसे संपादकीय निर्णय में हुई चूक बताया था। इस मामले के सामने आने के बाद बीबीसी के शीर्ष समाचार अधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया था।
डॉक्यूमेंट्री बनी विवाद की जड़
विवाद की जड़ बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री है, जो 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले ‘ट्रंप: ए सेकेंड चांस?’ शीर्षक से प्रसारित की गई थी। इस डॉक्यूमेंट्री में 6 जनवरी 2021 के भाषण के तीन अलग-अलग बयानों को जोड़कर एक ही संदर्भ में दिखाया गया, जबकि वे कथन लगभग एक घंटे के अंतराल में दिए गए थे। इससे ऐसा प्रतीत हुआ कि ट्रंप ने समर्थकों को उग्र कदम उठाने के लिए प्रेरित किया, जबकि शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील वाले अंश को प्रसारण से बाहर रखा गया।
ट्रंप का तीखा बयान
व्हाइट हाउस में बिना सवाल-जवाब के दिए गए बयान में ट्रंप ने कहा कि बीबीसी ने उनके “मुंह में ऐसे शब्द डाल दिए, जो उन्होंने कभी कहे ही नहीं”। उन्होंने कहा कि उन्होंने देशभक्ति और शांति की बात की थी, लेकिन वही हिस्से जानबूझकर नहीं दिखाए गए।
कानूनी चुनौतियां भी संभव
यह मुकदमा फ्लोरिडा की अदालत में दायर किया गया है, क्योंकि ब्रिटेन में मानहानि से जुड़े मामलों की समयसीमा पहले ही समाप्त हो चुकी है। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में भी इस केस को लेकर चुनौतियां सामने आ सकती हैं, क्योंकि विवादित डॉक्यूमेंट्री वहां आधिकारिक रूप से प्रसारित नहीं की गई थी।
भारत–श्रीलंका साझेदारी के तहत पुनर्वास और पुनर्निर्माण पर हुई महत्वपूर्ण बातचीत
कोलंबो। श्रीलंका में चक्रवाती तूफान दित्वाह ने भीषण तबाही मचाते हुए भारी जन–धन की हानि की है। ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 486 लोगों की मौत, 341 लोग लापता, और हजारों परिवार विस्थापित हो गए हैं। तूफान के बाद आई भीषण बाढ़ और लगातार हो रहे भूस्खलन ने राहत-बचाव कार्यों को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। इस गंभीर स्थिति के बीच भारत ने मानवीय आधार पर तत्काल सहायता बढ़ाते हुए श्रीलंका के पुनर्निर्माण प्रयासों में सहयोग देने की घोषणा की है।
भारत की मदद पर चर्चा
श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त संतोष झा ने शुक्रवार को आवास और निर्माण मंत्री सुसील रानासिंघे से मुलाकात कर तूफान से हुई तबाही, राहत कार्यों की प्रगति और आगे की आवश्यकताओं पर विस्तृत चर्चा की। उच्चायुक्त ने बताया कि भारत श्रीलंका के पुनर्वास और पुनर्निर्माण अभियानों में हर संभव सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।
उच्चायुक्त संतोष झा ने एक्स (X) पर साझा पोस्ट में कहा कि चर्चा के दौरान दोनों देशों के बीच आवास निर्माण और पुनर्निर्माण क्षेत्र में विकास सहयोग को मजबूत करने के विकल्पों पर भी विचार किया गया।
भीषण तबाही के आँकड़े
श्रीलंका के आपदा प्रबंधन विभाग की शुक्रवार सुबह जारी रिपोर्ट के अनुसार:
486 लोगों की मौत
341 लोग लापता
2,303 घर पूरी तरह ध्वस्त
52,489 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त
तूफान की मार से प्रभावित क्षेत्रों में अभी भी जलभराव, भूस्खलन और सड़क संपर्क बाधित होने की स्थिति बनी हुई है।
भारत का राहत अभियान जारी
भारत, ऑपरेशन सागर बंधु के तहत श्रीलंका के लिए बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता भेज रहा है। इसमें हवाई, समुद्री और जमीनी मार्गों से राहत सामग्री, चिकित्सा सहायता, खाद्य पैकेट, पानी और अन्य आवश्यक संसाधन पहुंचाए जा रहे हैं। भारतीय टीमों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत और पुनर्वास कार्यों को तेज़ी से संचालित किया जा रहा है।
11 लाख से अधिक लोग प्रभावित
कोलंबो। श्रीलंका इन दिनों चक्रवात दित्वाह की विनाशकारी मार झेल रहा है, जिसने देश के कई हिस्सों में व्यापक तबाही मचा दी है। लगातार बारिश, तेज हवाओं और भारी बाढ़ के कारण हालात इतने बिगड़ गए हैं कि हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं और कई इलाकों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है। देश के डिजास्टर मैनेजमेंट सेंटर (DMC) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अब तक 334 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 370 से अधिक लोग लापता हैं। सबसे अधिक नुकसान कैंडी जिला में दर्ज किया गया है, जहां अकेले 88 लोगों की जान गई और 150 लोग अभी भी लापता हैं।
आपदा का असर कई जिलों में गहरा रहा—बादुला में 71, नुवारा एलिया में 68 और मटाले में 23 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। DMC ने बताया कि कुल 3,09,607 परिवारों के 11 लाख से अधिक लोग किसी न किसी रूप में इस आपदा से प्रभावित हुए हैं। बाढ़ ने नदियों के जलस्तर को ऐतिहासिक स्तर तक पहुंचा दिया, जिससे कई शहर पूरी तरह जलमग्न हो गए है, बड़े पुल बह गए और कई महत्वपूर्ण सड़कें और इमारतें ढह गईं।
नेपाल की आपात सहायता
चक्रवात से जूझ रहे श्रीलंका की कठिनाइयों को देखते हुए नेपाल सरकार ने आगे आकर 2 लाख अमेरिकी डॉलर की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। यह राशि राहत और बचाव कार्यों को गति देने के लिए उपयोग की जाएगी। कई जिलों में बाढ़ और भूस्खलन के कारण संचार और परिवहन व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
स्टारलिंक की बड़ी घोषणा—मुफ़्त इंटरनेट
आपदा के दौरान संचार व्यवस्था को बनाए रखने की कोशिश में, स्टारलिंक ने प्रभावित क्षेत्रों में मुफ़्त इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने की घोषणा की है। कंपनी ने कहा कि दिसंबर 2025 तक नए और पुराने सभी उपयोगकर्ताओं को मुफ्त कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी, ताकि राहत और बचाव कार्यों में तेजी आ सके।
भारत का ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ शुरू
श्रीलंका की स्थिति को देखते हुए भारत ने मानवीय आधार पर ऑपरेशन सागर बंधु की शुरुआत की है। भारतीय वायुसेना के विशेष विमान के माध्यम से 21 टन राहत सामग्री, 80 से अधिक NDRF के जवान और 8 टन महत्वपूर्ण उपकरण कोलंबो पहुंचाए गए। इसके अलावा पुणे से भी NDRF की एक टीम और अतिरिक्त उपकरण एयरलिफ्ट किए गए।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत ने मुश्किल हालात में भी तेज और समन्वित राहत कार्य करते हुए अपने पड़ोसी देश के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।
अमेरिका में फिर फैली दहशत: कैलिफोर्निया में बच्चे की बर्थडे पार्टी बनी गोलीबारी का मैदान, चार की मौत
वॉशिंगटन- अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में एक बार फिर सामूहिक गोलीबारी की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। स्टॉकटन शहर में एक निजी बैंक्वेट हॉल में चल रही बच्चे की जन्मदिन पार्टी अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से दहल उठी। घटना में चार लोगों की जान गई, जबकि 10 लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। मरने वालों में दो मासूम बच्चे भी शामिल हैं।
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, यह हमला लक्षित गोलीबारी जैसा प्रतीत होता है। सैन जाओकिन काउंटी शेरिफ ऑफिस ने सोशल मीडिया पर बताया कि शुरुआती जांच में स्पष्ट हुआ है कि हमलावरों ने खास लोगों को निशाना बनाकर हमला किया। पुलिस टीम हॉल के अंदर से बरामद किए गए सबूतों की जांच कर रही है और घटना की वजह तलाश रही है।
गोलीबारी लुसिले एवेन्यू के 1900 ब्लॉक में स्थित बैंक्वेट हॉल में हुई। घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। स्टॉकटन के डिप्टी मेयर जेसन ली ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए बताया कि “एक खुशहाल समारोह को हिंसा ने तबाही में बदल दिया। प्रशासन पीड़ित परिवारों के संपर्क में है।”
घटना के बाद पुलिस ने इलाके की सड़कों को सील कर दिया है और आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
हालिया महीनों में बढ़ी गोलीबारी की घटनाएँ
अमेरिका में बीते कुछ महीनों से लगातार हिंसक घटनाएँ सामने आ रही हैं। पिछले महीने मिसिसिपी डेल्टा क्षेत्र में हुई दो अलग-अलग गोलीबारी में छह लोगों की मौत और 12 लोग घायल हुए थे। इनमें से एक हमला हाई स्कूल फुटबॉल गेम के बाद हुआ, जबकि दूसरा हमला होमकमिंग वीकेंड के दौरान स्कूल परिसर में हुआ था।
वॉशिंगटन गोलीकांड के बाद ट्रंप सख्त, कहा– अवैध प्रवासियों की नागरिकता होगी रद्द
वॉशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को प्रवासन नीति पर बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि थर्ड वर्ल्ड देशों से आने वाले प्रवास को स्थायी रूप से रोकने के कदम उठाए जाएंगे। ट्रंप के अनुसार, यह निर्णय अमेरिका में बढ़ते अवैध प्रवेश, हिंसक अपराधों और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक है। यह बयान वॉशिंगटन डीसी में एक अफगान नागरिक द्वारा दो नेशनल गार्ड सैनिकों पर की गई गोलीबारी के बाद सामने आया, जिसमें एक सैनिक की मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल है।
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर जारी संदेश में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अमेरिका में आने वाले ऐसे प्रवासियों को देश से बाहर किया जाएगा, जो अपराधों में शामिल हों या राष्ट्रीय हित के लिए बोझ साबित हों। उन्होंने दावा किया कि अवैध तरीक़े से दाखिल हुए लोगों के रिकॉर्ड रद्द किए जाएंगे और ऐसे व्यक्तियों की नागरिकता भी समाप्त की जा सकती है जो कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बनें। ट्रंप ने यह भी कहा कि गैर-अमेरिकी नागरिकों को मिलने वाले सरकारी लाभ और सब्सिडी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक गोलीबारी के आरोपी रहमानुल्लाह लकनवाल, 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिका आया था। ट्रंप ने इस घटना को ‘आतंकी हमला’ करार देते हुए चेतावनी दी कि भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में ऐसे हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन रहे हैं। हमले में घायल दो सैनिकों में से यूएस आर्मी स्पेशलिस्ट सारा बेकस्ट्रम की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
घटना के बाद यूएससीआईएस ने 19 देशों के इमिग्रेशन आवेदन पर सुरक्षा जांच को और मजबूत करने के नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन देशों की परिस्थितियों और जोखिम स्तर का मूल्यांकन करते हुए प्रक्रिया को और कठोर बनाया जाएगा।
ट्रंप ने इस मौक़े पर पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन की इमिग्रेशन नीतियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि बाइडन प्रशासन ने लाखों लोगों को बिना पर्याप्त जांच के अमेरिका में प्रवेश की अनुमति दी, जिसके चलते देश की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर पड़ी है।
ट्रंप के बयान पर भड़के रामाफोसा, कहा– दक्षिण अफ्रीका को G20 से बाहर करना दुर्भाग्यपूर्ण
केपटाउन। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वर्ष 2026 में मियामी में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका को आमंत्रित नहीं किया जाएगा। राष्ट्रपति रामाफोसा ने इस बयान को निराधार और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन लगातार गलत सूचनाओं के आधार पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाता रहा है।
रामाफोसा ने स्पष्ट किया कि इस वर्ष दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन को वैश्विक स्तर पर अत्यंत सफल माना गया और इससे बहुपक्षवाद की प्रासंगिकता और मजबूती को पुनः स्थापित किया गया। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका जी20 का “पूर्ण, सक्रिय और रचनात्मक सदस्य” है और आगे भी रहेगा। साथ ही उन्होंने सदस्य देशों से आग्रह किया कि जी20 की प्रक्रिया सर्वसम्मति, सहयोग और समान भागीदारी की भावना के साथ आगे बढ़ती रहनी चाहिए।
दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उनका देश एक स्वायत्त संवैधानिक लोकतंत्र है और किसी भी अन्य देश द्वारा किए गए अपमानजनक टिप्पणी या दबाव को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि दक्षिण अफ्रीका हमेशा सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करता है और किसी भी राष्ट्र का अपमान नहीं करता।
राष्ट्रपति रामाफोसा के अनुसार, चूंकि अमेरिका इस वर्ष के जी20 सम्मेलन में उपस्थित नहीं था, इसलिए संबंधित प्रक्रियाओं से जुड़े दायित्व जोहान्सबर्ग में दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के मुख्यालय में तैनात अमेरिकी दूतावास के एक अधिकारी को सौंपे गए। उन्होंने कहा कि जी20 के संस्थापक सदस्यों में से एक होने के नाते दक्षिण अफ्रीका हमेशा साझेदारी, सहमति और सहयोग की भावना को प्राथमिकता देता है। इसी क्रम में यह उम्मीद की गई थी कि अमेरिकी प्रशासन दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता के दौरान सभी बैठकों में भाग लेगा, लेकिन उसने स्वेच्छा से शिखर सम्मेलन में शामिल न होने का निर्णय लिया।
राहत शिविर बनाए गए, लोगों से सुरक्षित जगहों पर जाने की अपील
मेदान सुमात्रा। इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में लगातार हो रही तेज बारिश ने व्यापक तबाही मचा दी है। भारी बारिश से आई अचानक बाढ़ और भूस्खलन में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि छह लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। प्रशासन के अनुसार पिछले सप्ताह से जारी मानसूनी बारिश के कारण कई नदियों के तटबंध टूट गए, जिससे हालात और बिगड़ गए।
स्थानीय पुलिस के मुताबिक, उत्तर सुमात्रा के पहाड़ी इलाकों में कीचड़, चट्टानों और बड़े-बड़े पेड़ों के गिरने से व्यापक क्षति हुई है। कई गांवों में घर मलबे के नीचे दब गए हैं, जिससे राहत दलों को प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि सबसे ज़्यादा प्रभावित सिबोल्गा शहर में अब तक पांच शव बरामद किए गए हैं, जबकि तीन घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, मध्य तपनौली जिले में भूस्खलन के कारण कई मकान ढह गए, जिसमें एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गई। बाढ़ से करीब 2,000 घर और सार्वजनिक भवन जलमग्न हो गए हैं।
दक्षिण तपनौली जिले में पेड़ गिरने से एक व्यक्ति की मौत और एक अन्य के घायल होने की पुष्टि की गई है। मंडेलिंग नटाल जिले में एक पुल बह गया और 470 से अधिक घर पानी में डूब गए। नियास द्वीप पर कीचड़ और मलबे के ढेर ने मुख्य सड़क को पूरी तरह अवरुद्ध कर दिया है।
सिबोल्गा के पुलिस प्रमुख एडी इंगंटा ने बताया कि प्रशासन ने आपातकालीन राहत शिविर स्थापित कर दिए हैं और खतरे वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को तुरंत स्थान खाली करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि लगातार हो रही बारिश नए भूस्खलन का खतरा बढ़ा रही है। खराब मौसम और रास्तों के बाधित होने के कारण बचाव अभियान भी धीमा पड़ गया है।
उधर, राष्ट्रीय आपदा एजेंसी ने जावा द्वीप के दो जिलों में 10 दिनों से चल रहे राहत अभियान की समाप्ति की घोषणा की थी, लेकिन ठीक उसके बाद ही सुमात्रा में बाढ़ और भूस्खलन का नया संकट पैदा हो गया। मध्य जावा के सिलाकैप और बंजारनेगारा जिलों में भूस्खलन से हुई तबाही में अब तक 38 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
