ओवरटेक के दौरान हुआ हादसा, कई लोग गंभीर रूप से घायल
कंपाला (युगांडा)। पूर्वी अफ्रीकी देश युगांडा में भीषण सड़क हादसे ने पूरे देश को दहला दिया। पश्चिमी युगांडा के गुलु हाईवे पर दो बसों और दो अन्य वाहनों की आमने-सामने की टक्कर में कम से कम 63 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
पुलिस के मुताबिक, दोनों बसें विपरीत दिशा से आ रही थीं और ओवरटेक करने की कोशिश में आमने-सामने टकरा गईं। हादसा किरियानडोंगो कस्बे के पास हुआ, जहां टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों बसें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। राहत और बचाव दल ने स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को नजदीकी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया है।
रेड क्रॉस ने बताया भयावह दृश्य
रेड क्रॉस की प्रवक्ता आइरीन नाकासीता ने कहा कि हादसे के बाद का दृश्य बेहद दर्दनाक था। कई शव बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गए थे, जिन्हें पहचानना भी मुश्किल था। उन्होंने बताया कि देर रात होने के कारण मौके पर तुरंत मदद पहुंचाना भी मुश्किल रहा।
ओवरटेक और तेज रफ्तार बनी हादसे की वजह
पुलिस जांच में सामने आया है कि हादसे की मुख्य वजह खतरनाक ओवरटेकिंग और तेज रफ्तार थी। युगांडा पुलिस ने बताया कि देश में सड़क हादसों के मामलों में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। वर्ष 2024 में कुल 5,144 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई थी, जो 2023 के 4,806 से कहीं ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार, 44.5% हादसे लापरवाह ड्राइविंग और ओवरस्पीडिंग के कारण होते हैं।
पुलिस ने लोगों से की अपील
युगांडा पुलिस ने सभी वाहन चालकों से अपील की है कि वे सड़क पर चलते समय विशेष सतर्कता बरतें। अधिकारियों ने कहा कि ओवरटेकिंग के दौरान लापरवाही देश में सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह बन चुकी है। पुलिस ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे ट्रैफिक नियमों का पालन करें ताकि भविष्य में ऐसे दर्दनाक हादसे रोके जा सकें।
एलडीपी की नेता ने बहुमत से हासिल की जीत, संसद में 237 वोट मिले
टोक्यो। जापान की राजनीति में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ, जब संसद ने अति-रूढ़िवादी नेता साने ताकाइची को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री चुना गया। 64 वर्षीय ताकाइची ने ‘लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी’ (एलडीपी) की ओर से बहुमत हासिल कर पूर्व प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा की जगह ली। संसद के निचले सदन में हुए मतदान में ताकाइची को 237 वोट मिले, जो 465 सदस्यीय सदन में स्पष्ट बहुमत है।
प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद ताकाइची ने अपने पहले संबोधन में कहा,
“मैं अपने वादे निभाऊंगी, और जापान के पुनर्निर्माण के लिए घोड़े की तरह काम करूंगी। मैं वर्क-लाइफ बैलेंस की बात नहीं करूंगी — मैं बस काम करूंगी, काम करूंगी और काम करूंगी।”
उन्होंने पार्टी के सभी सदस्यों से एकजुट होकर देश को मजबूत बनाने का आह्वान किया और कहा कि “यह खुशी का नहीं, जिम्मेदारी का क्षण है।”
‘आयरन लेडी’ कहलाने वाली साने ताकाइची
राजनीति में तीन दशक से अधिक का अनुभव रखने वाली ताकाइची को जापान की ‘आयरन लेडी’ कहा जाता है। वह आर्थिक सुरक्षा मंत्री समेत कई अहम पद संभाल चुकी हैं। कट्टर विचारों के कारण उन्हें कभी ‘लेडी ट्रंप’ कहा गया, तो पूर्व प्रधानमंत्री किशिदा ने उन्हें मज़ाक में ‘तालिबान ताकाइची’ तक कह दिया था। ताकाइची रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने, सैन्य खर्च बढ़ाने, साइबर सुरक्षा और आव्रजन पर सख्त नीति की समर्थक हैं।
टीवी एंकर से प्रधानमंत्री तक का सफर
साने ताकाइची का जन्म 7 मार्च 1961 को जापान के नारा प्रांत में हुआ। पिता टोयोटा कंपनी में कार्यरत थे और मां पुलिस अधिकारी थीं। पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच उन्होंने कोबे विश्वविद्यालय से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की और बाद में टीवी एंकरिंग भी की।
1984 में उन्होंने मात्सुशिता इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नमेंट एंड मैनेजमेंट में दाखिला लिया, जहाँ से उन्हें एक प्रोग्राम के तहत वॉशिंगटन डीसी भेजा गया। वहां उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस सदस्य पैट श्रोएडर के साथ काम किया और उस अनुभव पर किताब भी लिखी।
शिंजो आबे की शिष्या, एलडीपी की पहली महिला अध्यक्ष
अमेरिका से लौटने के बाद ताकाइची ने राजनीति में कदम रखा। 1993 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सांसद बनीं और तीन साल बाद एलडीपी से जुड़ गईं।
पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ काम करते हुए उन्होंने राजनीति की बारीकियां सीखीं। 2021 और 2024 में पार्टी अध्यक्ष का चुनाव हारने के बाद, इस बार उन्होंने कृषि मंत्री शिंजिरो कोइजुमी को हराकर जीत दर्ज की।
आज वह एलडीपी की पहली महिला अध्यक्ष और जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बन चुकी हैं — जो किसी राजनीतिक खानदान से नहीं आतीं।
ड्रम बजाने और कार चलाने की शौकीन पीएम
राजनीति से इतर ताकाइची का व्यक्तित्व बेहद दिलचस्प है। उन्हें ड्रम बजाने, मोटरसाइकिल चलाने, और स्कूबा डाइविंग का शौक है। वह जापानी रॉक संगीत की फैन हैं और हनशिन टाइगर्स बेसबॉल टीम की समर्थक भी।
विचारों में कट्टरता, जीवन में अनुशासन
ताकाइची महिला सशक्तिकरण की पक्षधर हैं, लेकिन परंपरा पर अडिग रहती हैं। वह समलैंगिक विवाह और शादी के बाद अलग उपनाम रखने की प्रथा का विरोध करती हैं, जबकि शाही परिवार में पुरुष उत्तराधिकार की समर्थक हैं।
निजी जीवन भी चर्चा में रहा
ताकाइची ने 2004 में सांसद ताकू यामामोतो से विवाह किया था। दोनों का 2017 में तलाक हो गया, लेकिन 2021 में दोबारा शादी की। उनके कोई जैविक संतान नहीं है, पर उन्होंने यामामोतो की पहली शादी के बच्चों को अपनाया है।
अतीत में विवाद भी झेले
2011 में ताकाइची की एक फोटो ने विवाद खड़ा कर दिया था, जिसमें वे एक अतिवादी दल के नेता के साथ दिखीं। बाद में उन्होंने सफाई दी कि उस वक्त उन्हें उस व्यक्ति के विचारों की जानकारी नहीं थी।
साने ताकाइची ने किसे हराया?
प्रधानमंत्री पद के लिए हुए मुकाबले में ताकाइची ने कृषि मंत्री शिंजिरो कोइजुमी, मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी, व्यापार मंत्री तोशिमित्सु मोटेगी, और आर्थिक मंत्री ताकायुकी कोबायाशी को पछाड़ा। उनकी यह जीत जापान की राजनीति में महिलाओं के लिए एक नई शुरुआत मानी जा रही है।
सेना और बचाव दल दिन-रात राहत कार्य में जुटे, कई इलाकों का संपर्क टूटा
मैक्सिको सिटी। मैक्सिको इन दिनों भीषण आपदा से जूझ रहा है। लगातार हो रही भारी बारिश और भूस्खलन ने देश के कई हिस्सों को तबाह कर दिया है। हालात इतने भयावह हैं कि बाढ़ की चपेट में आकर 400 लोगों का एक पूरा गांव मानो नक्शे से मिट गया है। सैकड़ों लोग अब भी ऊंचे इलाकों में फंसे हुए हैं, जबकि बचाव टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी हैं।
मैक्सिको सरकार के मुताबिक, बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 64 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग लापता हैं। सेना और नागरिक बचाव दलों की टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी हैं। सड़कों के ध्वस्त होने और संचार व्यवस्था ठप पड़ने से कई इलाके पूरी तरह से बाहरी संपर्क से कट गए हैं।
आपदा के बाद बचे लोगों की आंखों में तबाही के मंजर ताज़ा हैं। एक पीड़ित महिला ने बताया, “कुछ भी नहीं बचा, हमारे घर, सड़कें और पुल सबकुछ पानी में बह गए हैं।”
अधिकारियों का कहना है कि देश के पश्चिमी हिस्सों में दो उष्णकटिबंधीय तूफानों के टकराने से यह भारी तबाही हुई। नदियों में जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है और पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन लगातार हो रहा है। राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता प्रभावित इलाकों तक पहुंच बनाना और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना है।
सबसे अधिक प्रभावित राज्य:
वेराक्रूज, हिडाल्गो और पुएबला राज्य सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
वेराक्रूज में 29 लोगों की मौत हुई है और करीब 3 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं।
हिडाल्गो में करीब 1 लाख घर तबाह हो चुके हैं।
चार दिनों में यहां 24 इंच से अधिक बारिश दर्ज की गई है।
सेना के हजारों जवान राहत सामग्री लेकर दूरदराज के इलाकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, जहां तक पहुंचने के लिए उन्हें कई बार 6 से 7 घंटे तक पैदल चलना पड़ रहा है। कई स्थानीय लोग खुद ही राहत कार्यों में जुटे हैं, जबकि विदेशों में बसे रिश्तेदार निजी हेलीकॉप्टरों के ज़रिए अपने परिजनों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
ट्रंप ने शी जिनपिंग से मुलाकात से किया इनकार, कहा — अब बातचीत की कोई वजह नहीं
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन पर आर्थिक हमला बोल दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि 1 नवंबर 2025 से चीन से आने वाले सभी उत्पादों पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप का यह कदम दोनों देशों के बीच एक नई ट्रेड वॉर की शुरुआत माना जा रहा है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट कर कहा कि यह नया टैरिफ, पहले से लागू शुल्कों के अतिरिक्त होगा। इसके साथ ही अमेरिका ने महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर पर भी निर्यात नियंत्रण (Export Control) लागू करने का फैसला किया है। ट्रंप ने इसे चीन के “असाधारण रूप से आक्रामक व्यवहार” के जवाब में उठाया गया कदम बताया।
चीन-अमेरिका में बढ़ा तनाव
ट्रंप के इस ऐलान से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। फिलहाल चीन के उत्पादों पर अमेरिका 30% टैरिफ पहले से ही लागू कर चुका है, जिसे ट्रंप प्रशासन ने फेंटेनाइल व्यापार और अनुचित व्यापार व्यवहारों के आरोपों के चलते लगाया था।
ट्रंप ने अपने पोस्ट में चीन पर आरोप लगाया कि उसने हाल ही में कई देशों को दुर्लभ मृदा खनिजों (Rare Earth Minerals) पर निर्यात नियंत्रण के संबंध में पत्र भेजे हैं। उन्होंने कहा कि चीन की यह नीति स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों, सैन्य उपकरणों और नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक जैसे क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।
ट्रंप ने लिखा, “चीन को दुनिया को बंधक बनाकर नहीं रखना चाहिए। उसका रवैया बेहद शत्रुतापूर्ण है।”
शी जिनपिंग से मुलाकात पर संशय
ट्रंप ने यह भी कहा कि अब वे इस महीने के अंत में दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने पर पुनर्विचार कर रहे हैं। उन्होंने लिखा, “दो हफ्ते बाद मेरी मुलाकात तय थी, लेकिन अब ऐसा करने का कोई कारण नहीं दिखता।”
19 आतंकियों के ढेर होने का दावा
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों के साथ हुई एक घातक मुठभेड़ में 11 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। शहीदों में लेफ्टिनेंट कर्नल जुनैद आरिफ और उनके सेकेंड इन कमांड मेजर तैयब राहत भी शामिल हैं। पाकिस्तानी सेना ने बताया कि ओरकजई जिले में आतंकियों के छिपे होने की खुफिया सूचना मिलने के बाद इलाके को घेरकर कार्रवाई की गई।
मुठभेड़ में सेना ने 19 आतंकियों को भी ढेर करने का दावा किया है। घटना के बाद सेना ने पूरे इलाके में सर्च अभियान तेज कर दिया है। खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हाल के वर्षों में आतंकवादी हमले बढ़े हैं। टीटीपी और सरकार के बीच 2022 में संघर्ष विराम टूटने के बाद से हमले लगातार बढ़ रहे हैं।
सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीआरएसएस) की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में 2025 की पहली तीन तिमाहियों में कम से कम 901 लोग आतंकवादी घटनाओं और सैन्य ऑपरेशनों में मारे गए हैं। कुल मौतें अब तक 2414 हो चुकी हैं, जो पिछले साल की पूरी संख्या के लगभग बराबर है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 पाकिस्तान के लिए दशक का सबसे खूनी साल बन सकता है।
ट्रंप बोले – टैरिफ से अमेरिका हुआ मजबूत और दुनिया में फैली शांति
वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच हुए मई महीने के संघर्ष को रोकने का श्रेय खुद को दिया है। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दोनों परमाणु शक्तियों के बीच तनाव को कम करने में “टैरिफ यानी आयात शुल्क” को एक राजनयिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया।
ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा
“टैरिफ हमारे लिए बहुत प्रभावशाली साधन हैं। ये न केवल अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत बनाते हैं, बल्कि युद्ध रोकने में भी मददगार साबित होते हैं। अगर मैंने टैरिफ की ताकत का इस्तेमाल न किया होता, तो आज चार बड़े युद्ध चल रहे होते।”
ट्रंप ने कहा कि उस वक्त भारत और पाकिस्तान दोनों ही “हमले के लिए तैयार” थे, सात विमान गिराए गए थे, लेकिन उनकी कूटनीतिक पहल के बाद हालात शांत हुए। उन्होंने कहा,
“मैं यह नहीं बताना चाहता कि मैंने क्या कहा था, लेकिन जो भी कहा, उसने असर दिखाया। दोनों देश रुक गए — और यह सब व्यापार व टैरिफ की वजह से संभव हुआ।”
भारत का जवाब: संघर्ष विराम हमारी सीधी बातचीत से हुआ
ट्रंप के इस दावे पर भारत पहले भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है। नई दिल्ली ने कहा था कि मई में हुआ संघर्ष विराम किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से नहीं, बल्कि दोनों देशों के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच सीधी बातचीत के बाद हुआ था।
भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था। इस कार्रवाई में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया था। चार दिन तक चली कार्रवाई के बाद 10 मई को संघर्ष विराम समझौता हुआ।
तब भी ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इसका श्रेय लेने की कोशिश की थी, जिस पर भारत ने साफ इनकार किया था।
ट्रंप के ‘सात युद्ध रोकने’ के दावे पर बहस
ट्रंप ने अपने हालिया बयान में कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में अब तक सात अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को रुकवाया है — जिनमें भारत-पाकिस्तान, कंबोडिया-थाईलैंड, कोसोवो-सर्बिया, कॉन्गो-रवांडा, इस्राइल-ईरान, मिस्र-इथियोपिया और आर्मेनिया-अजरबैजान शामिल हैं।
उनका दावा है कि इन युद्धों को उन्होंने “ट्रेड और टैरिफ की ताकत” से रोका।
“अगर मेरे पास टैरिफ न होते, तो आज भी चार युद्ध चल रहे होते और रोज़ हजारों लोग मारे जा रहे होते,”
ट्रंप ने कहा।
सरकार ने संवाद और सुधार की राह अपनाने का दिया आश्वासन
रबात। मोरक्को में सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है। बीते दिनों बड़ी संख्या में युवा सड़कों पर उतरे और सुरक्षा बलों से उनकी झड़प हो गई, जिसमें तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। हालात बिगड़ने के बाद अब सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह युवाओं की समस्याओं का समाधान करने और संवाद की राह अपनाने को तैयार है।
प्रधानमंत्री अजीज अखन्नौच ने मंत्रिपरिषद की बैठक में कहा कि सरकार प्रदर्शनकारियों की शिकायतों को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कानून-व्यवस्था बनाए रखने में जुटे सुरक्षा बलों की सराहना की। पीएम ने साफ किया कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मूलभूत सुविधाओं को लेकर उठाई जा रही मांगों पर चर्चा के लिए सरकार तैयार है।
सरकारी बयान के मुताबिक, हाल के दंगों में 354 लोग घायल हुए हैं, जिनमें अधिकांश पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर बैंकों, दुकानों और सार्वजनिक भवनों को नुकसान पहुंचाया है। गृह मंत्रालय ने दावा किया कि मृतक प्रदर्शनकारी पुलिस के हथियार छीनने की कोशिश कर रहे थे, हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों से इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।
अधिकारियों के अनुसार, देश के 23 प्रांतों में फैले इन प्रदर्शनों में करीब 70 प्रतिशत प्रतिभागी नाबालिग हैं। वहीं, युवाओं के नेतृत्व में जारी यह आंदोलन फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है।
इस्राइल ने किया अमेरिकी शांति पहल का समर्थन, हमास के रुख पर टिकी नजरें
वॉशिंगटन। अमेरिकी शांति प्रस्ताव पर हमास ने तुरंत फैसला नहीं किया; उसने प्रस्ताव पर विचार करने और अन्य फलस्तीनी समूहों से परामर्श करने का ऐलान किया है। ट्रंप ने हमास को प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया के लिए “तीन-चार दिन” का समय दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेश किए गए गाजा के लिए शांति प्रस्ताव पर हमास ने तत्काल निर्णय नहीं लिया है। हमास ने कहा है कि वह प्रस्ताव की समीक्षा करेगा और अन्य फलस्तीनी गुटों के साथ इस पर चर्चा करेगा। इस बीच इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस प्रस्ताव का समर्थन कर चुके हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि हमास भी इसे स्वीकार करेगा या नहीं।
ट्रंप ने कहा है कि प्रस्ताव में हमास को प्रभावी रूप से हथियार डालने के बदले गाजा में युद्धविराम और मानवीय तथा पुनर्निर्माण सहायता का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमास के पास प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देने के लिए केवल “तीन-चार दिन” हैं और अगर वे सहमति नहीं देते तो परिणाम बहुत दुखद हो सकते हैं। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि प्रस्ताव पर बातचीत की गुंजाइश सीमित है और यदि हमास असहमत रहता है तो वे इस्राइल का समर्थन करेंगे।
कतर और मिस्र के अधिकारियों ने यह प्रस्ताव हमास के वार्ताकारों के समक्ष रखा है और वे फिलहाल इसकी समीक्षा कर रहे हैं। इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि वह गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए तैयार है और सहायता वितरण संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों व रेड क्रिसेंट के जरिए किया जाएगा—बशर्ते सहायता को निष्पक्ष और बिना बाधा पहुंचाया जा सके।
धार्मिक नेताओं की भी अपीलें आई हैं: पोप लियो ने हमास से शांति प्रस्ताव स्वीकार करने, तुरंत युद्धविराम करने और बंधकों की रिहाई का आग्रह किया है। पोप ने इसे यथार्थवादी पहल बताया और उम्मीद जताई कि हमास निर्धारित समय में फैसला करेगा।
स्थिति फिलहाल संवेदनशील बनी हुई है — वक्तसीमाएँ, अंतरराष्ट्रीय दबाव और क्षेत्रीय मध्यस्थता मिलकर अगले कुछ दिनों में घटनाक्रम तय करेंगी। मानवीय सहायता, बंधकों की सुरक्षा और स्थानीय लोगों की सुरक्षा इस पूरे प्रस्ताव के सबसे अहम पहलू बने हुए हैं।
धमाके से सड़क पर खड़ी गाड़ियां और इमारतें क्षतिग्रस्त
क्वेटा। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा मंगलवार को एक भीषण धमाके से दहल उठी। फ्रंटियर कॉर्प्स (FC) मुख्यालय के पास जरघुन रोड पर हुए इस हमले में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। विस्फोट के बाद पूरे इलाके में अफरातफरी और दहशत का माहौल फैल गया।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, यह हमला आत्मघाती बम धमाका था। हमलावर ने खुद को उड़ा लिया, जिसके तुरंत बाद भारी गोलीबारी शुरू हो गई। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए छह आतंकियों को ढेर कर दिया, जिनमें आत्मघाती हमलावर भी शामिल था।
धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि आसपास की इमारतों की खिड़कियां चकनाचूर हो गईं। कई गाड़ियां, मोटरसाइकिल और रिक्शे पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। मौके से उठता काला धुआं आसमान तक दिखाई देता रहा। क्वेटा के सिविल अस्पताल ने पुष्टि की कि मृतकों के 10 शव अस्पताल लाए गए हैं और 20 से ज्यादा घायल भर्ती हैं, जिनमें कई की हालत नाजुक है।
राहत दलों ने तुरंत घायलों को नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया। इस बीच सुरक्षा बलों ने इलाके को सील कर दिया और बम डिस्पोजल स्क्वॉड को मौके पर तैनात किया गया। बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री मीर सरफराज बुगटी ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि सुरक्षाबलों और नागरिकों की कुर्बानियां व्यर्थ नहीं जाएंगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रदेश को हर हाल में सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाया जाएगा।
पिछले दिनों भी हमले
गौरतलब है कि 24 सितंबर को भी बलूचिस्तान के मुस्तुंग इलाके में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को निशाना बनाया गया था, जिसमें 12 लोग घायल हुए थे। वहीं, 23 सितंबर को क्वेटा रेलवे स्टेशन के पास पटरियों पर भी धमाका हुआ था।
नुसेरात कैंप में एक ही परिवार के 9 सदस्य मारे गए, तुफाह इलाके में घर ढहने से 11 की जान गई
गाजा। गाजा में इस्राइली हवाई हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीती रात हुए हमलों में कम से कम 38 लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्धविराम की अपीलें तेज हो रही हैं, लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू हमले रोकने के बजाय और कड़े रुख पर कायम हैं।
शनिवार तड़के मध्य और उत्तरी गाजा में कई घरों पर बमबारी हुई। नुसेरात शरणार्थी शिविर में एक ही परिवार के नौ सदस्य मारे गए, जबकि गाजा सिटी के तुफाह इलाके में एक घर पर हुए हमले में 11 लोगों की मौत हो गई। इनमें आधे से ज्यादा महिलाएं और बच्चे थे। एक अन्य शिविर पर हमले में चार और लोगों की जान गई।
अस्पताल और मानवीय संकट
लगातार बमबारी से गाजा के अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र लगभग ढह चुके हैं। कई अस्पताल दवाओं, उपकरणों और ईंधन की कमी से जूझ रहे हैं। दो क्लिनिक पूरी तरह नष्ट हो गए हैं और कई डॉक्टर-नर्स सुरक्षा कारणों से अस्पताल छोड़ने को मजबूर हुए हैं। ‘डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ ने भी शुक्रवार को गाजा सिटी में अपनी सेवाएं निलंबित कर दीं, क्योंकि इस्राइली टैंक उनके स्वास्थ्य केंद्रों के बेहद करीब पहुंच गए थे।
गाजा प्रशासन के मुताबिक, 12 सितंबर से राहत सामग्री की आपूर्ति बंद है और अब तक 65,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 1.67 लाख घायल हैं। मृतकों में लगभग आधी संख्या महिलाओं और बच्चों की है।
संयुक्त राष्ट्र में विवादित भाषण
शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में नेतन्याहू के भाषण के दौरान कई देशों के प्रतिनिधि हॉल से बाहर चले गए। भाषण के बीच विरोध के नारे लगे, हालांकि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल उनके साथ खड़ा दिखा। कुछ हिस्सों में तालियां भी गूंजीं। अपने संबोधन में नेतन्याहू ने ‘अभिशाप’ नामक क्षेत्रीय मानचित्र दिखाते हुए गाजा में जारी अभियान को जायज ठहराया।
अमेरिका की कोशिशें
उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि गाजा युद्ध को खत्म करने और बंधकों की रिहाई को लेकर समझौता करीब है। उन्होंने संकेत दिया कि जल्द ही इस्राइल और फलस्तीन के बीच शांति वार्ता की रूपरेखा तय की जा सकती है। इस बीच, अमेरिका ने 21 बिंदुओं वाला एक शांति प्रस्ताव कई देशों के साथ साझा किया है, जिसमें बंधकों की सुरक्षित रिहाई और मानवीय आपूर्ति बहाल करने पर जोर दिया गया है।