घने जंगलों वाले क्षेत्र में गिरा रूसी लड़ाकू विमान
मास्को। फिनलैंड की सीमा के करीब स्थित करेलिया क्षेत्र में एक रूसी Su-30 लड़ाकू विमान प्रशिक्षण उड़ान के दौरान हादसे का शिकार हो गया। दुर्घटना में विमान के दोनों पायलटों की मौत हो गई। रूसी रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की कि यह एक नियमित प्रशिक्षण मिशन था, जिसके दौरान विमान अचानक नियंत्रण खो बैठा और घने जंगलों वाले निर्जन क्षेत्र में गिर गया।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, दुर्घटना के समय विमान पर कोई हथियार या गोला-बारूद नहीं था। मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि विमान नियमित उड़ान के लिए रवाना हुआ था, लेकिन जल्द ही उसका संपर्क टूट गया और बाद में उसे दुर्घटनाग्रस्त पाया गया।
घटना के बाद करेलिया गणराज्य के गवर्नर आर्टुर परफेनचिकोव ने तत्काल आपातकालीन सेवाओं को संदिग्ध स्थल की ओर रवाना किया। उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच के अनुसार, विमान घने जंगलों में गिरने के कारण जमीन पर किसी प्रकार के नुकसान या नागरिक जनहानि की सूचना नहीं है।
आपातकालीन टीमें मौके पर पहुंचकर मलबा तलाश रही हैं और दुर्घटना के कारणों की जांच जारी है। रूस के रक्षा अधिकारियों ने घटना को बेहद गंभीर बताते हुए विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं।
पुलिस से बचकर भाग रहा था युवक, 11 लोग घायल
वॉशिंगटन। फ्लोरिडा के टेम्पा शहर में एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को दहला दिया। पुलिस से बचकर भाग रहा एक युवक तेज रफ़्तार में कार लेकर ऐसे दौड़ा कि नियंत्रण खो बैठा और गाड़ी सीधे एक भीड़भाड़ वाले बार में जा घुसी। इस भीषण टक्कर में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 लोग घायल हो गए।
टेम्पा पुलिस के अनुसार करीब रात 12.40 बजे पेट्रोलिंग टीम ने एक सेडान को लापरवाही से चलाते हुए देखा और उसे रोकने का प्रयास किया। जैसे ही पुलिस आगे बढ़ी, कार चालक ने गति और बढ़ा दी और भागने लगा। पीछा करते हुए अचानक मोड़ पर कार अनियंत्रित हो गई और पास के बार के अंदर जा घुस गई, जहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
हादसे के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई। तीन लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि एक घायल ने अस्पताल ले जाते समय अपनी जान गंवा दी। कई घायल अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें दो की हालत नाज़ुक बताई जा रही है।
पुलिस ने बताया कि आरोपी की पहचान 22 वर्षीय सिलास सिंपसन के रूप में की गई है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपी इससे पहले भी स्ट्रीट रेसिंग में शामिल था और जब पुलिस ने उसे दोबारा तेज रफ़्तार में देखा तो वह बचकर निकलने की कोशिश कर रहा था।
आरोपी को गिरफ्तार कर हिल्सबोरो काउंटी जेल भेज दिया गया है। उसके खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने, पुलिस से बचकर भागने और जान से मारने जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
बिना वेतन काम कर रहे कर्मी, हवाई अड्डों पर बढ़ा संकट
वॉशिंगटन। अमेरिका में सरकारी शटडाउन हुए 34 दिन बीत चुके हैं और इसका असर अब देश की हवाई सेवाओं पर साफ दिखाई देने लगा है। एयर ट्रैफिक नियंत्रक और सुरक्षा जांच करने वाले कर्मचारी बिना वेतन के काम कर रहे हैं। कई कर्मचारी आर्थिक दबाव के कारण ड्यूटी पर नहीं आ रहे, जिससे तमाम बड़े हवाई अड्डों पर उड़ानों का संचालन बुरी तरह प्रभावित हो गया है।
रिपोर्टों के अनुसार, नियंत्रक अतिरिक्त काम और दूसरी तरह की नौकरी करने को मजबूर हैं ताकि रोजमर्रा का खर्च चला सकें। इसका असर हवाई अड्डों की व्यवस्था पर दिख रहा है—सुरक्षा जांच में लंबी लाइनें, यात्री परेशान और सुरक्षा का भरोसा भी कम हो रहा है।
“हवाई तंत्र हर दिन थोड़ा और असुरक्षित होता जा रहा”
नेशनल एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निक डेनियल्स ने कहा कि लगातार बिना वेतन के काम करने से कर्मचारियों पर मानसिक दबाव बहुत बढ़ गया है। उनके मुताबिक जब दिमाग में किराया, बिल और घर के खर्च की चिंता रहती है, तो सौ प्रतिशत ध्यान दे पाना संभव नहीं है और यह स्थिति हवाई सुरक्षा को प्रभावित कर रही है।
परिवहन मंत्री की सफाई — उड़ानों में देरी सुरक्षा को बचाने के लिए
अमेरिका के परिवहन मंत्री सीन डफी का कहना है कि उड़ानों में देरी करना मजबूरी है, क्योंकि स्टाफ की कमी से जोखिम बढ़ गया है। उनका कहना है कि अगर स्थिति और बिगड़ी तो पूरा वायुक्षेत्र अस्थायी रूप से बंद भी करना पड़ सकता है। लेकिन सुरक्षा से किसी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा।
कई बड़े हवाई अड्डों पर व्यवस्था चरमराई
शिकागो, डेनवर, ह्यूस्टन और नेवार्क जैसे बड़े विमानतल पर देरी लगातार बढ़ रही है। ह्यूस्टन के हवाई अड्डे ने यात्रियों को सूचना दी है कि सुरक्षा जांच में तीन घंटे तक लग सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कई कर्मचारी अब मजबूरी में पहले अपने परिवार और जरूरतों को महत्व दे रहे हैं। कुछ नियंत्रकों ने तो कहा कि अगर वे ध्यान में कमी महसूस करते हैं, तो ड्यूटी पर न जाना ही बेहतर है ताकि हादसे का कोई जोखिम न बढ़े।
समस्या सुरक्षा से ज़्यादा भरोसे की हो गई है
यात्रा संगठनों का कहना है कि हवाई यात्रियों का भरोसा टूट रहा है, क्योंकि समय पर उड़ान और समय पर पहुंचने की उम्मीद खत्म होती जा रही है। यूनियन की ओर से फिर अपील की गई है कि सरकार को तुरंत खोला जाए। अब कर्मचारियों और यात्रियों के लिए इस स्थिति को और ज्यादा झेलना संभव नहीं है।
शी जिनपिंग ने कहा- 2026 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 21 देशों के शीर्ष नेता इसी शहर में विकास और सहयोग के नए एजेंडा पर चर्चा करेंगे
बीजिंग/सियोल। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ऐलान किया कि वर्ष 2026 का एपीईसी शिखर सम्मेलन चीन के शेनझेन में आयोजित होगा। दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में सम्पन्न एपीईसी-2025 की समापन बैठक में शी ने कहा कि एक समय मछुआरों का छोटा सा कस्बा रहा शेनझेन आज चीन के खुलेपन और तकनीकी विकास का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय महानगर है। उन्होंने कहा कि 2026 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 21 देशों के शीर्ष नेता इसी शहर में विकास और सहयोग के नए एजेंडा पर चर्चा करेंगे।
ट्रंप-शी मुलाकात से एपीईसी-2025 में बना माहौल
इस बार के एपीईसी शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात सबसे ज्यादा चर्चा में रही। दोनों नेताओं ने टैरिफ और स्ट्रेटेजिक मिनरल्स ट्रेड पर महत्वपूर्ण सहमति बनाई। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका चीन पर लगे फेंटानिल से जुड़े टैरिफ को 20% से घटाकर 10% करेगा। बदले में चीन ने अमेरिका से सोयाबीन और सेमीकंडक्टर चिप्स की खरीद को हरी झंडी दी और दुर्लभ खनिजों के निर्यात नियंत्रण को नरम करने पर हामी भरी।
ट्रंप ने यह भी कहा कि वे अप्रैल 2026 में चीन की यात्रा पर आएंगे। संकेत मिले हैं कि ट्रंप भी शेनझेन में होने वाले अगले एपीईसी में शामिल हो सकते हैं।
AI, टेक्नोलॉजी और डेवलपमेंटल सपोर्ट पर जोर
शी ने सदस्य देशों से कहा कि एशिया-प्रशांत की असली ताकत उसकी एकजुटता में है। नई तकनीकों—खासतौर पर AI—में ओपन इनोवेशन को बढ़ावा दिया जाए और विकसित देश विकासशील देशों को टेक्नोलॉजी, फाइनेंस और कैपेसिटी बिल्डिंग में मदद दें।
शेनझेन को APEC-2026 होस्ट का दर्जा क्यों
शेनझेन चीन का पहला स्पेशल इकोनॉमिक जोन रहा है। यही से देश की आधुनिक आर्थिक सुधार मॉडल की शुरुआत हुई। टेक स्टार्टअप्स, मैन्युफैक्चरिंग हब और समुद्री व्यापार की मजबूत पकड़ के कारण चीन इसे 2026 शिखर सम्मेलन के लिए “आदर्श स्थान” के रूप में प्रोजेक्ट कर रहा है।
ट्रंप ने कहा– रिपब्लिकन साधारण बहुमत से पारित करें कानून, वरना देश को होगा और नुकसान
वॉशिंगटन। अमेरिका में जारी सरकारी शटडाउन को लेकर सियासी टकराव और गहरा गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटरों से अपील की है कि वे ‘परमाणु विकल्प (Nuclear Option)’ अपनाकर फिलिबस्टर नियम को खत्म करें। उनका कहना है कि अगर यह कदम उठाया गया तो शटडाउन तत्काल समाप्त हो सकता है और सरकार सामान्य बहुमत से कानून पारित कर सकेगी।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “अब वक्त है कि रिपब्लिकन अपना ‘ट्रंप कार्ड’ खेलें — फिलिबस्टर खत्म करें और शटडाउन का अंत करें।”
उनका यह बयान एशिया दौरे से लौटने के बाद आया है। ट्रंप ने दावा किया कि डेमोक्रेट्स ने सरकार को शटडाउन की स्थिति में पहुंचा दिया है और रिपब्लिकन पार्टी को अब निर्णायक कदम उठाना चाहिए।
फिलिबस्टर विवाद फिर गर्माया
अमेरिकी राजनीति में फिलिबस्टर एक ऐसा नियम है, जिसके तहत सीनेट में किसी भी विधेयक को पारित करने के लिए 60 वोटों की आवश्यकता होती है। यह नियम लंबे समय से विवाद का विषय बना हुआ है, क्योंकि इसके जरिए विपक्ष किसी भी विधेयक को रोक सकता है।
ट्रंप ने कहा कि अतीत में डेमोक्रेटिक पार्टी के कई नेताओं ने भी इस नियम को समाप्त करने की बात कही थी, ताकि मतदान अधिकार और गर्भपात से जुड़े कानून पारित किए जा सकें, लेकिन उन्हें अपनी ही पार्टी से पूरा समर्थन नहीं मिला।
“अगर डेमोक्रेट्स सत्ता में होते, तो वे फिलिबस्टर खत्म कर देते” – ट्रंप
राष्ट्रपति ने आरोप लगाया कि अगर डेमोक्रेट्स को मौका मिलता, तो वे अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए यह नियम खत्म करने में हिचकिचाते नहीं। उन्होंने कहा कि अब जबकि रिपब्लिकन सत्ता में हैं, उन्हें देशहित में वही कदम उठाना चाहिए।
शटडाउन से अमेरिका की सेवाओं पर असर
सरकारी शटडाउन को एक माह से अधिक हो चुका है। इससे कई फेडरल एजेंसियों के कामकाज प्रभावित हुए हैं और एसएनएपी (खाद्य सहायता) जैसी योजनाओं पर भी असर पड़ने का खतरा है।
कई रिपब्लिकन सीनेटर अस्थायी रूप से 60 वोटों के नियम को निलंबित करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, जबकि डेमोक्रेट्स फंडिंग बिल में अफोर्डेबल केयर एक्ट की सब्सिडी बढ़ाने की मांग पर अड़े हैं।
सीनेट में फिलहाल रिपब्लिकन के पास 53 सीटें हैं, जिससे यह स्पष्ट नहीं है कि फिलिबस्टर खत्म करने के लिए पार्टी के पास पर्याप्त समर्थन मौजूद है या नहीं।
सदी के सबसे भीषण तूफानों में शामिल ‘मेलिसा’, 295 किमी/घंटा की रफ्तार से चली हवाएं
सैंटियागो डी क्यूबा। सदी के सबसे शक्तिशाली तूफानों में शामिल ‘मेलिसा’ ने क्यूबा, हैती और जमैका में भारी तबाही मचा दी है। 295 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाओं ने सैकड़ों घरों की छतें उड़ा दीं, पेड़-पौधे और बिजली के खंभे उखाड़ दिए, जबकि दर्जनों लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। हजारों परिवार बेघर हो गए हैं और कई इलाके अब भी पानी में डूबे हैं।
जमैका के सेंट एलिजाबेथ जिले में भूस्खलन के कारण मुख्य सड़कें बंद हैं। कई घरों में कमर तक पानी भरा है, और राहत शिविरों में करीब 25 हजार से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं। बिजली मंत्री डिक्सन के मुताबिक, 77 प्रतिशत इलाके अंधेरे में डूबे हैं। प्रधानमंत्री एंड्रयू होलनेस ने कहा कि “पुनर्निर्माण में समय लगेगा, लेकिन सरकार राहत कार्य में पूरी तरह जुटी है।”
हैती में 25 लोगों की मौत और 18 के लापता होने की पुष्टि हुई है। नागरिक सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, दक्षिणी तटीय इलाकों में बाढ़ से कई घर बह गए हैं। पेटिट-गोआव कस्बे में 160 से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त और 80 पूरी तरह तबाह हो गए। मृतकों में 10 बच्चे भी शामिल हैं।
क्यूबा के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में हालात बेहद गंभीर हैं। कई इमारतें जमींदोज हो गईं, सड़कें बंद हैं और अस्पतालों में क्षति हुई है। 7.3 लाख से अधिक लोग अब भी राहत शिविरों में रह रहे हैं। राष्ट्रपति मिगेल डियास-कानेल ने कहा कि जैसे ही मौसम स्थिर होगा, पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अब यह तूफान श्रेणी-2 में कमजोर हुआ है और अगले कुछ घंटों में बहामास में तेज हवाओं और बाढ़ का कारण बन सकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मदद की पेशकश शुरू हो गई है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और अमेरिकी राहत दल प्रभावित क्षेत्रों में सहायता भेजने की तैयारी में हैं। वहीं, स्थानीय प्रशासन का कहना है कि असली नुकसान का आंकलन बिजली और संचार बहाल होने के बाद ही संभव होगा।
वॉशिंगटन। भारत और अमेरिका की नौसेनाओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और सामरिक सहयोग को और मजबूत करते हुए डिएगो गार्सिया के पास संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया। यह अभ्यास मुख्य रूप से पनडुब्बी-रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare) और समुद्री क्षेत्र की निगरानी क्षमताओं पर केंद्रित रहा।
अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “भारतीय और अमेरिकी नौसेनाएं एक साथ उड़ान भर रही हैं। डिएगो गार्सिया के पास हुआ संयुक्त पी-8 प्रशिक्षण न केवल पनडुब्बी-रोधी युद्ध कौशल को मजबूत करता है, बल्कि समुद्री जागरूकता और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सामूहिक सुरक्षा को भी सशक्त बनाता है।”
यह संयुक्त अभ्यास 22 से 28 अक्टूबर के बीच आयोजित किया गया। इसमें अमेरिकी नौसेना के P-8A Poseidon और भारतीय नौसेना के P-8I विमान ने हिस्सा लिया। दोनों देशों की टीमों ने एक साथ उड़ान भरते हुए समुद्री गश्त, संचार समन्वय और टोही अभियानों में सहयोग किया।
अमेरिकी रक्षा सूचना वितरण सेवा (DVIDS) के अनुसार, यह अभ्यास ‘कमांडर टास्क फोर्स 72 (CTF-72)’ के तहत हुआ, जो सातवें बेड़े के समुद्री गश्ती और टोही अभियानों का नियंत्रण केंद्र है। इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से निगरानी, सुरक्षा और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाना है।
भारतीय P-8I विमान के डिएगो गार्सिया पहुंचने के बाद दोनों देशों के चालक दल ने अभ्यास के लिए संयुक्त योजना तैयार की। इस दौरान समुद्री खुफिया जानकारी साझा करने और समन्वित प्रतिक्रिया की रणनीतियों पर विशेष ध्यान दिया गया। अभ्यास का समापन एक संयुक्त उड़ान मिशन और द्विपक्षीय पनडुब्बी-रोधी अभियान के साथ हुआ।
यह प्रशिक्षण ‘टाइगर ट्रायम्फ 2025’ जैसे पहले हुए सहयोगी अभियानों पर आधारित रहा, जिनमें दोनों देशों ने संयुक्त संचार, उपग्रह और मानव रहित तकनीकों (Unmanned Systems) के इस्तेमाल से आपसी तालमेल और युद्ध तैयारी में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की थी।
अमेरिकी नौसेना का सातवां बेड़ा हिंद-प्रशांत में अग्रिम पंक्ति पर तैनात सबसे बड़ा बेड़ा है, जो क्षेत्र में स्वतंत्र और खुले समुद्री क्षेत्र (Free and Open Indo-Pacific) की रणनीति को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
10 लोग गंभीर रूप से घायल
काठमांडू। नेपाल के करनाली प्रांत के रुकुम पश्चिम जिले में देर रात एक भयानक सड़क हादसा हुआ। झरमारे इलाके में एक जीप 700 फीट गहरी खाई में गिर गई, जिससे 8 लोगों की मौत और 10 अन्य घायल हो गए।
घटना उस समय हुई जब 18 यात्रियों को ले जा रही जीप मुसीकोट के खलांगा से अथबिस्कोट के स्यालीड़ी जा रही थी। जानकारी के अनुसार, हादसे में सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक व्यक्ति की स्थानीय अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई।
जानकारी के मुताबिक, मृतकों की उम्र 15 से 30 वर्ष के बीच थी। घायल यात्रियों का इलाज फिलहाल रुकुम जिले के अस्पताल में चल रहा है।
ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात 30 अक्टूबर को बुसान में
वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दक्षिण कोरिया में अगले सप्ताह होने वाले एपीईसी शिखर सम्मेलन के अवसर पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से 30 अक्टूबर को उनकी मुलाकात तय होने से पहले व्हाइट हाउस में प्रेस वार्ता की। ट्रम्प ने प्रेस वार्ता में चीन पर कड़े आरोप लगाए और कहा कि उनकी पहली बातचीत फेंटेनाइल और नशीले पदार्थों के अवैध रास्तों को रोकने पर केन्द्रित होगी।
ट्रम्प के आरोप: चीन वेनेजुएला के रास्ते फेंटेनाइल भेज रहा है
ट्रम्प ने कहा कि चीन वेनेजुएला के रास्ते फेंटेनाइल (नशीला पदार्थ) अमेरिका में भेज रहा है ताकि वे अमेरिकी और मेक्सिकन सीमाई नियंत्रणों से बच सकें। उन्होंने दावे किए कि चीन इस व्यापार से बड़ी कमाई कर रहा है और इसे रोकने के लिए वह जिनपिंग से इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे।
टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी
राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह भी कहा कि अमेरिका चीन पर लगने वाले कुछ आयात शुल्क (टैरिफ) को 1 नवंबर से बढ़ा रहा है और कुछ मदों पर यह दर 157% तक पहुंच जाएगी। उन्होंने टैरिफ के पीछे आर्थिक दलीलें पेश कीं और कहा कि वर्तमान 20% दर से चीन को नुकसान हो रहा है, जबकि अमेरिका इस पर और सख्ती कर सकता है।
कांग्रेस को योजना बताएंगे; ड्रग तस्करों पर कार्रवाइयों का जिक्र
ट्रम्प ने कहा कि वह कांग्रेस को वेनेजुएला में जमीन पर कार्टेल के खिलाफ संभावित हमलों की योजना के बारे में ब्रिफ करेंगे और प्रशासन पहले से समुद्री अभियानों में कार्रवाई कर रहा है। उनके बयान के अनुसार पिछले माह लगभग 3,200 कथित ड्रग कार्टेल सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। ट्रम्प ने यह भी कहा कि वे सख्त कार्रवाई करने से नहीं हिचकेंगे और देश में ड्रग पहुँचाने वालों को रोकने के लिए जो भी कदम आवश्यक होंगे, उठाए जाएंगे।
हिंसक टिप्पणी पर विवाद की संभावना
प्रेस वार्ता के दौरान ट्रम्प ने रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ का संकेत देते हुए कहा, “ हम उनको बताने जा रहे हैं कि हम क्या करने वाले हैं,” और कड़े अंदाज़ में कहा कि उन्होंने युद्ध घोषित करने की आवश्यकता देखी नहीं बल्कि उन लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की बात कही जो अमेरिका में ड्रग ला रहे हैं। ऐसे बयानों से कूटनीतिक और कानूनी मायनों में सवाल उठने की संभावना है और इन्हें लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया आ सकती है।
बैठक का राजनीतिक और कूटनीतिक निहितार्थ
यह बैठक 2019 के बाद ट्रम्प-शी की पहली आमना-सामना होगी और दोनों नेताओं के बीच अर्थव्यवस्था, भू-राजनीतिक तनाव और सुरक्षा मामलों पर कड़ा संवाद अपेक्षित है। फेंटेनाइल और नशीले पदार्थों के अवैध प्रवाह को रोकने का उपाय, सीमा सुरक्षा, और व्यापार-टैरिफ दोनों ही एजेंडों में उच्च प्राथमिकता पर हैं — जिनका असर द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता दोनों पर पड़ेगा।
ओवरटेक के दौरान हुआ हादसा, कई लोग गंभीर रूप से घायल
कंपाला (युगांडा)। पूर्वी अफ्रीकी देश युगांडा में भीषण सड़क हादसे ने पूरे देश को दहला दिया। पश्चिमी युगांडा के गुलु हाईवे पर दो बसों और दो अन्य वाहनों की आमने-सामने की टक्कर में कम से कम 63 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
पुलिस के मुताबिक, दोनों बसें विपरीत दिशा से आ रही थीं और ओवरटेक करने की कोशिश में आमने-सामने टकरा गईं। हादसा किरियानडोंगो कस्बे के पास हुआ, जहां टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों बसें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। राहत और बचाव दल ने स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को नजदीकी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया है।
रेड क्रॉस ने बताया भयावह दृश्य
रेड क्रॉस की प्रवक्ता आइरीन नाकासीता ने कहा कि हादसे के बाद का दृश्य बेहद दर्दनाक था। कई शव बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गए थे, जिन्हें पहचानना भी मुश्किल था। उन्होंने बताया कि देर रात होने के कारण मौके पर तुरंत मदद पहुंचाना भी मुश्किल रहा।
ओवरटेक और तेज रफ्तार बनी हादसे की वजह
पुलिस जांच में सामने आया है कि हादसे की मुख्य वजह खतरनाक ओवरटेकिंग और तेज रफ्तार थी। युगांडा पुलिस ने बताया कि देश में सड़क हादसों के मामलों में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। वर्ष 2024 में कुल 5,144 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई थी, जो 2023 के 4,806 से कहीं ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार, 44.5% हादसे लापरवाह ड्राइविंग और ओवरस्पीडिंग के कारण होते हैं।
पुलिस ने लोगों से की अपील
युगांडा पुलिस ने सभी वाहन चालकों से अपील की है कि वे सड़क पर चलते समय विशेष सतर्कता बरतें। अधिकारियों ने कहा कि ओवरटेकिंग के दौरान लापरवाही देश में सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह बन चुकी है। पुलिस ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे ट्रैफिक नियमों का पालन करें ताकि भविष्य में ऐसे दर्दनाक हादसे रोके जा सकें।
