शी जिनपिंग ने कहा- 2026 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 21 देशों के शीर्ष नेता इसी शहर में विकास और सहयोग के नए एजेंडा पर चर्चा करेंगे
बीजिंग/सियोल। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ऐलान किया कि वर्ष 2026 का एपीईसी शिखर सम्मेलन चीन के शेनझेन में आयोजित होगा। दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में सम्पन्न एपीईसी-2025 की समापन बैठक में शी ने कहा कि एक समय मछुआरों का छोटा सा कस्बा रहा शेनझेन आज चीन के खुलेपन और तकनीकी विकास का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय महानगर है। उन्होंने कहा कि 2026 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 21 देशों के शीर्ष नेता इसी शहर में विकास और सहयोग के नए एजेंडा पर चर्चा करेंगे।
ट्रंप-शी मुलाकात से एपीईसी-2025 में बना माहौल
इस बार के एपीईसी शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात सबसे ज्यादा चर्चा में रही। दोनों नेताओं ने टैरिफ और स्ट्रेटेजिक मिनरल्स ट्रेड पर महत्वपूर्ण सहमति बनाई। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका चीन पर लगे फेंटानिल से जुड़े टैरिफ को 20% से घटाकर 10% करेगा। बदले में चीन ने अमेरिका से सोयाबीन और सेमीकंडक्टर चिप्स की खरीद को हरी झंडी दी और दुर्लभ खनिजों के निर्यात नियंत्रण को नरम करने पर हामी भरी।
ट्रंप ने यह भी कहा कि वे अप्रैल 2026 में चीन की यात्रा पर आएंगे। संकेत मिले हैं कि ट्रंप भी शेनझेन में होने वाले अगले एपीईसी में शामिल हो सकते हैं।
AI, टेक्नोलॉजी और डेवलपमेंटल सपोर्ट पर जोर
शी ने सदस्य देशों से कहा कि एशिया-प्रशांत की असली ताकत उसकी एकजुटता में है। नई तकनीकों—खासतौर पर AI—में ओपन इनोवेशन को बढ़ावा दिया जाए और विकसित देश विकासशील देशों को टेक्नोलॉजी, फाइनेंस और कैपेसिटी बिल्डिंग में मदद दें।
शेनझेन को APEC-2026 होस्ट का दर्जा क्यों
शेनझेन चीन का पहला स्पेशल इकोनॉमिक जोन रहा है। यही से देश की आधुनिक आर्थिक सुधार मॉडल की शुरुआत हुई। टेक स्टार्टअप्स, मैन्युफैक्चरिंग हब और समुद्री व्यापार की मजबूत पकड़ के कारण चीन इसे 2026 शिखर सम्मेलन के लिए “आदर्श स्थान” के रूप में प्रोजेक्ट कर रहा है।
ट्रंप ने कहा– रिपब्लिकन साधारण बहुमत से पारित करें कानून, वरना देश को होगा और नुकसान
वॉशिंगटन। अमेरिका में जारी सरकारी शटडाउन को लेकर सियासी टकराव और गहरा गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटरों से अपील की है कि वे ‘परमाणु विकल्प (Nuclear Option)’ अपनाकर फिलिबस्टर नियम को खत्म करें। उनका कहना है कि अगर यह कदम उठाया गया तो शटडाउन तत्काल समाप्त हो सकता है और सरकार सामान्य बहुमत से कानून पारित कर सकेगी।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “अब वक्त है कि रिपब्लिकन अपना ‘ट्रंप कार्ड’ खेलें — फिलिबस्टर खत्म करें और शटडाउन का अंत करें।”
उनका यह बयान एशिया दौरे से लौटने के बाद आया है। ट्रंप ने दावा किया कि डेमोक्रेट्स ने सरकार को शटडाउन की स्थिति में पहुंचा दिया है और रिपब्लिकन पार्टी को अब निर्णायक कदम उठाना चाहिए।
फिलिबस्टर विवाद फिर गर्माया
अमेरिकी राजनीति में फिलिबस्टर एक ऐसा नियम है, जिसके तहत सीनेट में किसी भी विधेयक को पारित करने के लिए 60 वोटों की आवश्यकता होती है। यह नियम लंबे समय से विवाद का विषय बना हुआ है, क्योंकि इसके जरिए विपक्ष किसी भी विधेयक को रोक सकता है।
ट्रंप ने कहा कि अतीत में डेमोक्रेटिक पार्टी के कई नेताओं ने भी इस नियम को समाप्त करने की बात कही थी, ताकि मतदान अधिकार और गर्भपात से जुड़े कानून पारित किए जा सकें, लेकिन उन्हें अपनी ही पार्टी से पूरा समर्थन नहीं मिला।
“अगर डेमोक्रेट्स सत्ता में होते, तो वे फिलिबस्टर खत्म कर देते” – ट्रंप
राष्ट्रपति ने आरोप लगाया कि अगर डेमोक्रेट्स को मौका मिलता, तो वे अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए यह नियम खत्म करने में हिचकिचाते नहीं। उन्होंने कहा कि अब जबकि रिपब्लिकन सत्ता में हैं, उन्हें देशहित में वही कदम उठाना चाहिए।
शटडाउन से अमेरिका की सेवाओं पर असर
सरकारी शटडाउन को एक माह से अधिक हो चुका है। इससे कई फेडरल एजेंसियों के कामकाज प्रभावित हुए हैं और एसएनएपी (खाद्य सहायता) जैसी योजनाओं पर भी असर पड़ने का खतरा है।
कई रिपब्लिकन सीनेटर अस्थायी रूप से 60 वोटों के नियम को निलंबित करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, जबकि डेमोक्रेट्स फंडिंग बिल में अफोर्डेबल केयर एक्ट की सब्सिडी बढ़ाने की मांग पर अड़े हैं।
सीनेट में फिलहाल रिपब्लिकन के पास 53 सीटें हैं, जिससे यह स्पष्ट नहीं है कि फिलिबस्टर खत्म करने के लिए पार्टी के पास पर्याप्त समर्थन मौजूद है या नहीं।
सदी के सबसे भीषण तूफानों में शामिल ‘मेलिसा’, 295 किमी/घंटा की रफ्तार से चली हवाएं
सैंटियागो डी क्यूबा। सदी के सबसे शक्तिशाली तूफानों में शामिल ‘मेलिसा’ ने क्यूबा, हैती और जमैका में भारी तबाही मचा दी है। 295 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाओं ने सैकड़ों घरों की छतें उड़ा दीं, पेड़-पौधे और बिजली के खंभे उखाड़ दिए, जबकि दर्जनों लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। हजारों परिवार बेघर हो गए हैं और कई इलाके अब भी पानी में डूबे हैं।
जमैका के सेंट एलिजाबेथ जिले में भूस्खलन के कारण मुख्य सड़कें बंद हैं। कई घरों में कमर तक पानी भरा है, और राहत शिविरों में करीब 25 हजार से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं। बिजली मंत्री डिक्सन के मुताबिक, 77 प्रतिशत इलाके अंधेरे में डूबे हैं। प्रधानमंत्री एंड्रयू होलनेस ने कहा कि “पुनर्निर्माण में समय लगेगा, लेकिन सरकार राहत कार्य में पूरी तरह जुटी है।”
हैती में 25 लोगों की मौत और 18 के लापता होने की पुष्टि हुई है। नागरिक सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, दक्षिणी तटीय इलाकों में बाढ़ से कई घर बह गए हैं। पेटिट-गोआव कस्बे में 160 से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त और 80 पूरी तरह तबाह हो गए। मृतकों में 10 बच्चे भी शामिल हैं।
क्यूबा के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में हालात बेहद गंभीर हैं। कई इमारतें जमींदोज हो गईं, सड़कें बंद हैं और अस्पतालों में क्षति हुई है। 7.3 लाख से अधिक लोग अब भी राहत शिविरों में रह रहे हैं। राष्ट्रपति मिगेल डियास-कानेल ने कहा कि जैसे ही मौसम स्थिर होगा, पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अब यह तूफान श्रेणी-2 में कमजोर हुआ है और अगले कुछ घंटों में बहामास में तेज हवाओं और बाढ़ का कारण बन सकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मदद की पेशकश शुरू हो गई है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और अमेरिकी राहत दल प्रभावित क्षेत्रों में सहायता भेजने की तैयारी में हैं। वहीं, स्थानीय प्रशासन का कहना है कि असली नुकसान का आंकलन बिजली और संचार बहाल होने के बाद ही संभव होगा।
वॉशिंगटन। भारत और अमेरिका की नौसेनाओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और सामरिक सहयोग को और मजबूत करते हुए डिएगो गार्सिया के पास संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया। यह अभ्यास मुख्य रूप से पनडुब्बी-रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare) और समुद्री क्षेत्र की निगरानी क्षमताओं पर केंद्रित रहा।
अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “भारतीय और अमेरिकी नौसेनाएं एक साथ उड़ान भर रही हैं। डिएगो गार्सिया के पास हुआ संयुक्त पी-8 प्रशिक्षण न केवल पनडुब्बी-रोधी युद्ध कौशल को मजबूत करता है, बल्कि समुद्री जागरूकता और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सामूहिक सुरक्षा को भी सशक्त बनाता है।”
यह संयुक्त अभ्यास 22 से 28 अक्टूबर के बीच आयोजित किया गया। इसमें अमेरिकी नौसेना के P-8A Poseidon और भारतीय नौसेना के P-8I विमान ने हिस्सा लिया। दोनों देशों की टीमों ने एक साथ उड़ान भरते हुए समुद्री गश्त, संचार समन्वय और टोही अभियानों में सहयोग किया।
अमेरिकी रक्षा सूचना वितरण सेवा (DVIDS) के अनुसार, यह अभ्यास ‘कमांडर टास्क फोर्स 72 (CTF-72)’ के तहत हुआ, जो सातवें बेड़े के समुद्री गश्ती और टोही अभियानों का नियंत्रण केंद्र है। इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से निगरानी, सुरक्षा और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाना है।
भारतीय P-8I विमान के डिएगो गार्सिया पहुंचने के बाद दोनों देशों के चालक दल ने अभ्यास के लिए संयुक्त योजना तैयार की। इस दौरान समुद्री खुफिया जानकारी साझा करने और समन्वित प्रतिक्रिया की रणनीतियों पर विशेष ध्यान दिया गया। अभ्यास का समापन एक संयुक्त उड़ान मिशन और द्विपक्षीय पनडुब्बी-रोधी अभियान के साथ हुआ।
यह प्रशिक्षण ‘टाइगर ट्रायम्फ 2025’ जैसे पहले हुए सहयोगी अभियानों पर आधारित रहा, जिनमें दोनों देशों ने संयुक्त संचार, उपग्रह और मानव रहित तकनीकों (Unmanned Systems) के इस्तेमाल से आपसी तालमेल और युद्ध तैयारी में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की थी।
अमेरिकी नौसेना का सातवां बेड़ा हिंद-प्रशांत में अग्रिम पंक्ति पर तैनात सबसे बड़ा बेड़ा है, जो क्षेत्र में स्वतंत्र और खुले समुद्री क्षेत्र (Free and Open Indo-Pacific) की रणनीति को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
10 लोग गंभीर रूप से घायल
काठमांडू। नेपाल के करनाली प्रांत के रुकुम पश्चिम जिले में देर रात एक भयानक सड़क हादसा हुआ। झरमारे इलाके में एक जीप 700 फीट गहरी खाई में गिर गई, जिससे 8 लोगों की मौत और 10 अन्य घायल हो गए।
घटना उस समय हुई जब 18 यात्रियों को ले जा रही जीप मुसीकोट के खलांगा से अथबिस्कोट के स्यालीड़ी जा रही थी। जानकारी के अनुसार, हादसे में सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक व्यक्ति की स्थानीय अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई।
जानकारी के मुताबिक, मृतकों की उम्र 15 से 30 वर्ष के बीच थी। घायल यात्रियों का इलाज फिलहाल रुकुम जिले के अस्पताल में चल रहा है।
ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात 30 अक्टूबर को बुसान में
वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दक्षिण कोरिया में अगले सप्ताह होने वाले एपीईसी शिखर सम्मेलन के अवसर पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से 30 अक्टूबर को उनकी मुलाकात तय होने से पहले व्हाइट हाउस में प्रेस वार्ता की। ट्रम्प ने प्रेस वार्ता में चीन पर कड़े आरोप लगाए और कहा कि उनकी पहली बातचीत फेंटेनाइल और नशीले पदार्थों के अवैध रास्तों को रोकने पर केन्द्रित होगी।
ट्रम्प के आरोप: चीन वेनेजुएला के रास्ते फेंटेनाइल भेज रहा है
ट्रम्प ने कहा कि चीन वेनेजुएला के रास्ते फेंटेनाइल (नशीला पदार्थ) अमेरिका में भेज रहा है ताकि वे अमेरिकी और मेक्सिकन सीमाई नियंत्रणों से बच सकें। उन्होंने दावे किए कि चीन इस व्यापार से बड़ी कमाई कर रहा है और इसे रोकने के लिए वह जिनपिंग से इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे।
टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी
राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह भी कहा कि अमेरिका चीन पर लगने वाले कुछ आयात शुल्क (टैरिफ) को 1 नवंबर से बढ़ा रहा है और कुछ मदों पर यह दर 157% तक पहुंच जाएगी। उन्होंने टैरिफ के पीछे आर्थिक दलीलें पेश कीं और कहा कि वर्तमान 20% दर से चीन को नुकसान हो रहा है, जबकि अमेरिका इस पर और सख्ती कर सकता है।
कांग्रेस को योजना बताएंगे; ड्रग तस्करों पर कार्रवाइयों का जिक्र
ट्रम्प ने कहा कि वह कांग्रेस को वेनेजुएला में जमीन पर कार्टेल के खिलाफ संभावित हमलों की योजना के बारे में ब्रिफ करेंगे और प्रशासन पहले से समुद्री अभियानों में कार्रवाई कर रहा है। उनके बयान के अनुसार पिछले माह लगभग 3,200 कथित ड्रग कार्टेल सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। ट्रम्प ने यह भी कहा कि वे सख्त कार्रवाई करने से नहीं हिचकेंगे और देश में ड्रग पहुँचाने वालों को रोकने के लिए जो भी कदम आवश्यक होंगे, उठाए जाएंगे।
हिंसक टिप्पणी पर विवाद की संभावना
प्रेस वार्ता के दौरान ट्रम्प ने रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ का संकेत देते हुए कहा, “ हम उनको बताने जा रहे हैं कि हम क्या करने वाले हैं,” और कड़े अंदाज़ में कहा कि उन्होंने युद्ध घोषित करने की आवश्यकता देखी नहीं बल्कि उन लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की बात कही जो अमेरिका में ड्रग ला रहे हैं। ऐसे बयानों से कूटनीतिक और कानूनी मायनों में सवाल उठने की संभावना है और इन्हें लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया आ सकती है।
बैठक का राजनीतिक और कूटनीतिक निहितार्थ
यह बैठक 2019 के बाद ट्रम्प-शी की पहली आमना-सामना होगी और दोनों नेताओं के बीच अर्थव्यवस्था, भू-राजनीतिक तनाव और सुरक्षा मामलों पर कड़ा संवाद अपेक्षित है। फेंटेनाइल और नशीले पदार्थों के अवैध प्रवाह को रोकने का उपाय, सीमा सुरक्षा, और व्यापार-टैरिफ दोनों ही एजेंडों में उच्च प्राथमिकता पर हैं — जिनका असर द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता दोनों पर पड़ेगा।
ओवरटेक के दौरान हुआ हादसा, कई लोग गंभीर रूप से घायल
कंपाला (युगांडा)। पूर्वी अफ्रीकी देश युगांडा में भीषण सड़क हादसे ने पूरे देश को दहला दिया। पश्चिमी युगांडा के गुलु हाईवे पर दो बसों और दो अन्य वाहनों की आमने-सामने की टक्कर में कम से कम 63 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
पुलिस के मुताबिक, दोनों बसें विपरीत दिशा से आ रही थीं और ओवरटेक करने की कोशिश में आमने-सामने टकरा गईं। हादसा किरियानडोंगो कस्बे के पास हुआ, जहां टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों बसें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। राहत और बचाव दल ने स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को नजदीकी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया है।
रेड क्रॉस ने बताया भयावह दृश्य
रेड क्रॉस की प्रवक्ता आइरीन नाकासीता ने कहा कि हादसे के बाद का दृश्य बेहद दर्दनाक था। कई शव बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गए थे, जिन्हें पहचानना भी मुश्किल था। उन्होंने बताया कि देर रात होने के कारण मौके पर तुरंत मदद पहुंचाना भी मुश्किल रहा।
ओवरटेक और तेज रफ्तार बनी हादसे की वजह
पुलिस जांच में सामने आया है कि हादसे की मुख्य वजह खतरनाक ओवरटेकिंग और तेज रफ्तार थी। युगांडा पुलिस ने बताया कि देश में सड़क हादसों के मामलों में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। वर्ष 2024 में कुल 5,144 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई थी, जो 2023 के 4,806 से कहीं ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार, 44.5% हादसे लापरवाह ड्राइविंग और ओवरस्पीडिंग के कारण होते हैं।
पुलिस ने लोगों से की अपील
युगांडा पुलिस ने सभी वाहन चालकों से अपील की है कि वे सड़क पर चलते समय विशेष सतर्कता बरतें। अधिकारियों ने कहा कि ओवरटेकिंग के दौरान लापरवाही देश में सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह बन चुकी है। पुलिस ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे ट्रैफिक नियमों का पालन करें ताकि भविष्य में ऐसे दर्दनाक हादसे रोके जा सकें।
एलडीपी की नेता ने बहुमत से हासिल की जीत, संसद में 237 वोट मिले
टोक्यो। जापान की राजनीति में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ, जब संसद ने अति-रूढ़िवादी नेता साने ताकाइची को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री चुना गया। 64 वर्षीय ताकाइची ने ‘लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी’ (एलडीपी) की ओर से बहुमत हासिल कर पूर्व प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा की जगह ली। संसद के निचले सदन में हुए मतदान में ताकाइची को 237 वोट मिले, जो 465 सदस्यीय सदन में स्पष्ट बहुमत है।
प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद ताकाइची ने अपने पहले संबोधन में कहा,
“मैं अपने वादे निभाऊंगी, और जापान के पुनर्निर्माण के लिए घोड़े की तरह काम करूंगी। मैं वर्क-लाइफ बैलेंस की बात नहीं करूंगी — मैं बस काम करूंगी, काम करूंगी और काम करूंगी।”
उन्होंने पार्टी के सभी सदस्यों से एकजुट होकर देश को मजबूत बनाने का आह्वान किया और कहा कि “यह खुशी का नहीं, जिम्मेदारी का क्षण है।”
‘आयरन लेडी’ कहलाने वाली साने ताकाइची
राजनीति में तीन दशक से अधिक का अनुभव रखने वाली ताकाइची को जापान की ‘आयरन लेडी’ कहा जाता है। वह आर्थिक सुरक्षा मंत्री समेत कई अहम पद संभाल चुकी हैं। कट्टर विचारों के कारण उन्हें कभी ‘लेडी ट्रंप’ कहा गया, तो पूर्व प्रधानमंत्री किशिदा ने उन्हें मज़ाक में ‘तालिबान ताकाइची’ तक कह दिया था। ताकाइची रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने, सैन्य खर्च बढ़ाने, साइबर सुरक्षा और आव्रजन पर सख्त नीति की समर्थक हैं।
टीवी एंकर से प्रधानमंत्री तक का सफर
साने ताकाइची का जन्म 7 मार्च 1961 को जापान के नारा प्रांत में हुआ। पिता टोयोटा कंपनी में कार्यरत थे और मां पुलिस अधिकारी थीं। पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच उन्होंने कोबे विश्वविद्यालय से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की और बाद में टीवी एंकरिंग भी की।
1984 में उन्होंने मात्सुशिता इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नमेंट एंड मैनेजमेंट में दाखिला लिया, जहाँ से उन्हें एक प्रोग्राम के तहत वॉशिंगटन डीसी भेजा गया। वहां उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस सदस्य पैट श्रोएडर के साथ काम किया और उस अनुभव पर किताब भी लिखी।
शिंजो आबे की शिष्या, एलडीपी की पहली महिला अध्यक्ष
अमेरिका से लौटने के बाद ताकाइची ने राजनीति में कदम रखा। 1993 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सांसद बनीं और तीन साल बाद एलडीपी से जुड़ गईं।
पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ काम करते हुए उन्होंने राजनीति की बारीकियां सीखीं। 2021 और 2024 में पार्टी अध्यक्ष का चुनाव हारने के बाद, इस बार उन्होंने कृषि मंत्री शिंजिरो कोइजुमी को हराकर जीत दर्ज की।
आज वह एलडीपी की पहली महिला अध्यक्ष और जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बन चुकी हैं — जो किसी राजनीतिक खानदान से नहीं आतीं।
ड्रम बजाने और कार चलाने की शौकीन पीएम
राजनीति से इतर ताकाइची का व्यक्तित्व बेहद दिलचस्प है। उन्हें ड्रम बजाने, मोटरसाइकिल चलाने, और स्कूबा डाइविंग का शौक है। वह जापानी रॉक संगीत की फैन हैं और हनशिन टाइगर्स बेसबॉल टीम की समर्थक भी।
विचारों में कट्टरता, जीवन में अनुशासन
ताकाइची महिला सशक्तिकरण की पक्षधर हैं, लेकिन परंपरा पर अडिग रहती हैं। वह समलैंगिक विवाह और शादी के बाद अलग उपनाम रखने की प्रथा का विरोध करती हैं, जबकि शाही परिवार में पुरुष उत्तराधिकार की समर्थक हैं।
निजी जीवन भी चर्चा में रहा
ताकाइची ने 2004 में सांसद ताकू यामामोतो से विवाह किया था। दोनों का 2017 में तलाक हो गया, लेकिन 2021 में दोबारा शादी की। उनके कोई जैविक संतान नहीं है, पर उन्होंने यामामोतो की पहली शादी के बच्चों को अपनाया है।
अतीत में विवाद भी झेले
2011 में ताकाइची की एक फोटो ने विवाद खड़ा कर दिया था, जिसमें वे एक अतिवादी दल के नेता के साथ दिखीं। बाद में उन्होंने सफाई दी कि उस वक्त उन्हें उस व्यक्ति के विचारों की जानकारी नहीं थी।
साने ताकाइची ने किसे हराया?
प्रधानमंत्री पद के लिए हुए मुकाबले में ताकाइची ने कृषि मंत्री शिंजिरो कोइजुमी, मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी, व्यापार मंत्री तोशिमित्सु मोटेगी, और आर्थिक मंत्री ताकायुकी कोबायाशी को पछाड़ा। उनकी यह जीत जापान की राजनीति में महिलाओं के लिए एक नई शुरुआत मानी जा रही है।
सेना और बचाव दल दिन-रात राहत कार्य में जुटे, कई इलाकों का संपर्क टूटा
मैक्सिको सिटी। मैक्सिको इन दिनों भीषण आपदा से जूझ रहा है। लगातार हो रही भारी बारिश और भूस्खलन ने देश के कई हिस्सों को तबाह कर दिया है। हालात इतने भयावह हैं कि बाढ़ की चपेट में आकर 400 लोगों का एक पूरा गांव मानो नक्शे से मिट गया है। सैकड़ों लोग अब भी ऊंचे इलाकों में फंसे हुए हैं, जबकि बचाव टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी हैं।
मैक्सिको सरकार के मुताबिक, बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 64 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग लापता हैं। सेना और नागरिक बचाव दलों की टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी हैं। सड़कों के ध्वस्त होने और संचार व्यवस्था ठप पड़ने से कई इलाके पूरी तरह से बाहरी संपर्क से कट गए हैं।
आपदा के बाद बचे लोगों की आंखों में तबाही के मंजर ताज़ा हैं। एक पीड़ित महिला ने बताया, “कुछ भी नहीं बचा, हमारे घर, सड़कें और पुल सबकुछ पानी में बह गए हैं।”
अधिकारियों का कहना है कि देश के पश्चिमी हिस्सों में दो उष्णकटिबंधीय तूफानों के टकराने से यह भारी तबाही हुई। नदियों में जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है और पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन लगातार हो रहा है। राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता प्रभावित इलाकों तक पहुंच बनाना और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना है।
सबसे अधिक प्रभावित राज्य:
वेराक्रूज, हिडाल्गो और पुएबला राज्य सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
वेराक्रूज में 29 लोगों की मौत हुई है और करीब 3 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं।
हिडाल्गो में करीब 1 लाख घर तबाह हो चुके हैं।
चार दिनों में यहां 24 इंच से अधिक बारिश दर्ज की गई है।
सेना के हजारों जवान राहत सामग्री लेकर दूरदराज के इलाकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, जहां तक पहुंचने के लिए उन्हें कई बार 6 से 7 घंटे तक पैदल चलना पड़ रहा है। कई स्थानीय लोग खुद ही राहत कार्यों में जुटे हैं, जबकि विदेशों में बसे रिश्तेदार निजी हेलीकॉप्टरों के ज़रिए अपने परिजनों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
ट्रंप ने शी जिनपिंग से मुलाकात से किया इनकार, कहा — अब बातचीत की कोई वजह नहीं
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन पर आर्थिक हमला बोल दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि 1 नवंबर 2025 से चीन से आने वाले सभी उत्पादों पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप का यह कदम दोनों देशों के बीच एक नई ट्रेड वॉर की शुरुआत माना जा रहा है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट कर कहा कि यह नया टैरिफ, पहले से लागू शुल्कों के अतिरिक्त होगा। इसके साथ ही अमेरिका ने महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर पर भी निर्यात नियंत्रण (Export Control) लागू करने का फैसला किया है। ट्रंप ने इसे चीन के “असाधारण रूप से आक्रामक व्यवहार” के जवाब में उठाया गया कदम बताया।
चीन-अमेरिका में बढ़ा तनाव
ट्रंप के इस ऐलान से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। फिलहाल चीन के उत्पादों पर अमेरिका 30% टैरिफ पहले से ही लागू कर चुका है, जिसे ट्रंप प्रशासन ने फेंटेनाइल व्यापार और अनुचित व्यापार व्यवहारों के आरोपों के चलते लगाया था।
ट्रंप ने अपने पोस्ट में चीन पर आरोप लगाया कि उसने हाल ही में कई देशों को दुर्लभ मृदा खनिजों (Rare Earth Minerals) पर निर्यात नियंत्रण के संबंध में पत्र भेजे हैं। उन्होंने कहा कि चीन की यह नीति स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों, सैन्य उपकरणों और नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक जैसे क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।
ट्रंप ने लिखा, “चीन को दुनिया को बंधक बनाकर नहीं रखना चाहिए। उसका रवैया बेहद शत्रुतापूर्ण है।”
शी जिनपिंग से मुलाकात पर संशय
ट्रंप ने यह भी कहा कि अब वे इस महीने के अंत में दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने पर पुनर्विचार कर रहे हैं। उन्होंने लिखा, “दो हफ्ते बाद मेरी मुलाकात तय थी, लेकिन अब ऐसा करने का कोई कारण नहीं दिखता।”
