19 आतंकियों के ढेर होने का दावा
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों के साथ हुई एक घातक मुठभेड़ में 11 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। शहीदों में लेफ्टिनेंट कर्नल जुनैद आरिफ और उनके सेकेंड इन कमांड मेजर तैयब राहत भी शामिल हैं। पाकिस्तानी सेना ने बताया कि ओरकजई जिले में आतंकियों के छिपे होने की खुफिया सूचना मिलने के बाद इलाके को घेरकर कार्रवाई की गई।
मुठभेड़ में सेना ने 19 आतंकियों को भी ढेर करने का दावा किया है। घटना के बाद सेना ने पूरे इलाके में सर्च अभियान तेज कर दिया है। खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हाल के वर्षों में आतंकवादी हमले बढ़े हैं। टीटीपी और सरकार के बीच 2022 में संघर्ष विराम टूटने के बाद से हमले लगातार बढ़ रहे हैं।
सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीआरएसएस) की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में 2025 की पहली तीन तिमाहियों में कम से कम 901 लोग आतंकवादी घटनाओं और सैन्य ऑपरेशनों में मारे गए हैं। कुल मौतें अब तक 2414 हो चुकी हैं, जो पिछले साल की पूरी संख्या के लगभग बराबर है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 पाकिस्तान के लिए दशक का सबसे खूनी साल बन सकता है।
ट्रंप बोले – टैरिफ से अमेरिका हुआ मजबूत और दुनिया में फैली शांति
वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच हुए मई महीने के संघर्ष को रोकने का श्रेय खुद को दिया है। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दोनों परमाणु शक्तियों के बीच तनाव को कम करने में “टैरिफ यानी आयात शुल्क” को एक राजनयिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया।
ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा
“टैरिफ हमारे लिए बहुत प्रभावशाली साधन हैं। ये न केवल अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत बनाते हैं, बल्कि युद्ध रोकने में भी मददगार साबित होते हैं। अगर मैंने टैरिफ की ताकत का इस्तेमाल न किया होता, तो आज चार बड़े युद्ध चल रहे होते।”
ट्रंप ने कहा कि उस वक्त भारत और पाकिस्तान दोनों ही “हमले के लिए तैयार” थे, सात विमान गिराए गए थे, लेकिन उनकी कूटनीतिक पहल के बाद हालात शांत हुए। उन्होंने कहा,
“मैं यह नहीं बताना चाहता कि मैंने क्या कहा था, लेकिन जो भी कहा, उसने असर दिखाया। दोनों देश रुक गए — और यह सब व्यापार व टैरिफ की वजह से संभव हुआ।”
भारत का जवाब: संघर्ष विराम हमारी सीधी बातचीत से हुआ
ट्रंप के इस दावे पर भारत पहले भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है। नई दिल्ली ने कहा था कि मई में हुआ संघर्ष विराम किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से नहीं, बल्कि दोनों देशों के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच सीधी बातचीत के बाद हुआ था।
भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था। इस कार्रवाई में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया था। चार दिन तक चली कार्रवाई के बाद 10 मई को संघर्ष विराम समझौता हुआ।
तब भी ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इसका श्रेय लेने की कोशिश की थी, जिस पर भारत ने साफ इनकार किया था।
ट्रंप के ‘सात युद्ध रोकने’ के दावे पर बहस
ट्रंप ने अपने हालिया बयान में कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में अब तक सात अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को रुकवाया है — जिनमें भारत-पाकिस्तान, कंबोडिया-थाईलैंड, कोसोवो-सर्बिया, कॉन्गो-रवांडा, इस्राइल-ईरान, मिस्र-इथियोपिया और आर्मेनिया-अजरबैजान शामिल हैं।
उनका दावा है कि इन युद्धों को उन्होंने “ट्रेड और टैरिफ की ताकत” से रोका।
“अगर मेरे पास टैरिफ न होते, तो आज भी चार युद्ध चल रहे होते और रोज़ हजारों लोग मारे जा रहे होते,”
ट्रंप ने कहा।
सरकार ने संवाद और सुधार की राह अपनाने का दिया आश्वासन
रबात। मोरक्को में सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है। बीते दिनों बड़ी संख्या में युवा सड़कों पर उतरे और सुरक्षा बलों से उनकी झड़प हो गई, जिसमें तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। हालात बिगड़ने के बाद अब सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह युवाओं की समस्याओं का समाधान करने और संवाद की राह अपनाने को तैयार है।
प्रधानमंत्री अजीज अखन्नौच ने मंत्रिपरिषद की बैठक में कहा कि सरकार प्रदर्शनकारियों की शिकायतों को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कानून-व्यवस्था बनाए रखने में जुटे सुरक्षा बलों की सराहना की। पीएम ने साफ किया कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मूलभूत सुविधाओं को लेकर उठाई जा रही मांगों पर चर्चा के लिए सरकार तैयार है।
सरकारी बयान के मुताबिक, हाल के दंगों में 354 लोग घायल हुए हैं, जिनमें अधिकांश पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर बैंकों, दुकानों और सार्वजनिक भवनों को नुकसान पहुंचाया है। गृह मंत्रालय ने दावा किया कि मृतक प्रदर्शनकारी पुलिस के हथियार छीनने की कोशिश कर रहे थे, हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों से इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।
अधिकारियों के अनुसार, देश के 23 प्रांतों में फैले इन प्रदर्शनों में करीब 70 प्रतिशत प्रतिभागी नाबालिग हैं। वहीं, युवाओं के नेतृत्व में जारी यह आंदोलन फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है।
इस्राइल ने किया अमेरिकी शांति पहल का समर्थन, हमास के रुख पर टिकी नजरें
वॉशिंगटन। अमेरिकी शांति प्रस्ताव पर हमास ने तुरंत फैसला नहीं किया; उसने प्रस्ताव पर विचार करने और अन्य फलस्तीनी समूहों से परामर्श करने का ऐलान किया है। ट्रंप ने हमास को प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया के लिए “तीन-चार दिन” का समय दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेश किए गए गाजा के लिए शांति प्रस्ताव पर हमास ने तत्काल निर्णय नहीं लिया है। हमास ने कहा है कि वह प्रस्ताव की समीक्षा करेगा और अन्य फलस्तीनी गुटों के साथ इस पर चर्चा करेगा। इस बीच इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस प्रस्ताव का समर्थन कर चुके हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि हमास भी इसे स्वीकार करेगा या नहीं।
ट्रंप ने कहा है कि प्रस्ताव में हमास को प्रभावी रूप से हथियार डालने के बदले गाजा में युद्धविराम और मानवीय तथा पुनर्निर्माण सहायता का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमास के पास प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देने के लिए केवल “तीन-चार दिन” हैं और अगर वे सहमति नहीं देते तो परिणाम बहुत दुखद हो सकते हैं। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि प्रस्ताव पर बातचीत की गुंजाइश सीमित है और यदि हमास असहमत रहता है तो वे इस्राइल का समर्थन करेंगे।
कतर और मिस्र के अधिकारियों ने यह प्रस्ताव हमास के वार्ताकारों के समक्ष रखा है और वे फिलहाल इसकी समीक्षा कर रहे हैं। इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि वह गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए तैयार है और सहायता वितरण संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों व रेड क्रिसेंट के जरिए किया जाएगा—बशर्ते सहायता को निष्पक्ष और बिना बाधा पहुंचाया जा सके।
धार्मिक नेताओं की भी अपीलें आई हैं: पोप लियो ने हमास से शांति प्रस्ताव स्वीकार करने, तुरंत युद्धविराम करने और बंधकों की रिहाई का आग्रह किया है। पोप ने इसे यथार्थवादी पहल बताया और उम्मीद जताई कि हमास निर्धारित समय में फैसला करेगा।
स्थिति फिलहाल संवेदनशील बनी हुई है — वक्तसीमाएँ, अंतरराष्ट्रीय दबाव और क्षेत्रीय मध्यस्थता मिलकर अगले कुछ दिनों में घटनाक्रम तय करेंगी। मानवीय सहायता, बंधकों की सुरक्षा और स्थानीय लोगों की सुरक्षा इस पूरे प्रस्ताव के सबसे अहम पहलू बने हुए हैं।
धमाके से सड़क पर खड़ी गाड़ियां और इमारतें क्षतिग्रस्त
क्वेटा। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा मंगलवार को एक भीषण धमाके से दहल उठी। फ्रंटियर कॉर्प्स (FC) मुख्यालय के पास जरघुन रोड पर हुए इस हमले में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। विस्फोट के बाद पूरे इलाके में अफरातफरी और दहशत का माहौल फैल गया।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, यह हमला आत्मघाती बम धमाका था। हमलावर ने खुद को उड़ा लिया, जिसके तुरंत बाद भारी गोलीबारी शुरू हो गई। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए छह आतंकियों को ढेर कर दिया, जिनमें आत्मघाती हमलावर भी शामिल था।
धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि आसपास की इमारतों की खिड़कियां चकनाचूर हो गईं। कई गाड़ियां, मोटरसाइकिल और रिक्शे पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। मौके से उठता काला धुआं आसमान तक दिखाई देता रहा। क्वेटा के सिविल अस्पताल ने पुष्टि की कि मृतकों के 10 शव अस्पताल लाए गए हैं और 20 से ज्यादा घायल भर्ती हैं, जिनमें कई की हालत नाजुक है।
राहत दलों ने तुरंत घायलों को नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया। इस बीच सुरक्षा बलों ने इलाके को सील कर दिया और बम डिस्पोजल स्क्वॉड को मौके पर तैनात किया गया। बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री मीर सरफराज बुगटी ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि सुरक्षाबलों और नागरिकों की कुर्बानियां व्यर्थ नहीं जाएंगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रदेश को हर हाल में सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाया जाएगा।
पिछले दिनों भी हमले
गौरतलब है कि 24 सितंबर को भी बलूचिस्तान के मुस्तुंग इलाके में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को निशाना बनाया गया था, जिसमें 12 लोग घायल हुए थे। वहीं, 23 सितंबर को क्वेटा रेलवे स्टेशन के पास पटरियों पर भी धमाका हुआ था।
नुसेरात कैंप में एक ही परिवार के 9 सदस्य मारे गए, तुफाह इलाके में घर ढहने से 11 की जान गई
गाजा। गाजा में इस्राइली हवाई हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीती रात हुए हमलों में कम से कम 38 लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्धविराम की अपीलें तेज हो रही हैं, लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू हमले रोकने के बजाय और कड़े रुख पर कायम हैं।
शनिवार तड़के मध्य और उत्तरी गाजा में कई घरों पर बमबारी हुई। नुसेरात शरणार्थी शिविर में एक ही परिवार के नौ सदस्य मारे गए, जबकि गाजा सिटी के तुफाह इलाके में एक घर पर हुए हमले में 11 लोगों की मौत हो गई। इनमें आधे से ज्यादा महिलाएं और बच्चे थे। एक अन्य शिविर पर हमले में चार और लोगों की जान गई।
अस्पताल और मानवीय संकट
लगातार बमबारी से गाजा के अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र लगभग ढह चुके हैं। कई अस्पताल दवाओं, उपकरणों और ईंधन की कमी से जूझ रहे हैं। दो क्लिनिक पूरी तरह नष्ट हो गए हैं और कई डॉक्टर-नर्स सुरक्षा कारणों से अस्पताल छोड़ने को मजबूर हुए हैं। ‘डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ ने भी शुक्रवार को गाजा सिटी में अपनी सेवाएं निलंबित कर दीं, क्योंकि इस्राइली टैंक उनके स्वास्थ्य केंद्रों के बेहद करीब पहुंच गए थे।
गाजा प्रशासन के मुताबिक, 12 सितंबर से राहत सामग्री की आपूर्ति बंद है और अब तक 65,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 1.67 लाख घायल हैं। मृतकों में लगभग आधी संख्या महिलाओं और बच्चों की है।
संयुक्त राष्ट्र में विवादित भाषण
शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में नेतन्याहू के भाषण के दौरान कई देशों के प्रतिनिधि हॉल से बाहर चले गए। भाषण के बीच विरोध के नारे लगे, हालांकि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल उनके साथ खड़ा दिखा। कुछ हिस्सों में तालियां भी गूंजीं। अपने संबोधन में नेतन्याहू ने ‘अभिशाप’ नामक क्षेत्रीय मानचित्र दिखाते हुए गाजा में जारी अभियान को जायज ठहराया।
अमेरिका की कोशिशें
उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि गाजा युद्ध को खत्म करने और बंधकों की रिहाई को लेकर समझौता करीब है। उन्होंने संकेत दिया कि जल्द ही इस्राइल और फलस्तीन के बीच शांति वार्ता की रूपरेखा तय की जा सकती है। इस बीच, अमेरिका ने 21 बिंदुओं वाला एक शांति प्रस्ताव कई देशों के साथ साझा किया है, जिसमें बंधकों की सुरक्षित रिहाई और मानवीय आपूर्ति बहाल करने पर जोर दिया गया है।
राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला ने ट्रंप प्रशासन के 50% टैरिफ को बताया राजनीतिक और अतार्किक
ब्रासीलिया। ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने अमेरिका पर एक बार फिर सीधा हमला बोला है। उन्होंने ट्रंप प्रशासन द्वारा ब्राजील पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को “राजनीतिक और अव्यावहारिक” करार दिया। लूला ने न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित अपने लेख में साफ शब्दों में लिखा कि उनकी सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन “ब्राजील का लोकतंत्र बिकाऊ नहीं है।”
अमेरिकी टैरिफ से विवाद भड़का
जुलाई में तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्राजील पर भारी-भरकम टैरिफ लगाते हुए आरोप लगाया था कि लूला सरकार पूर्व राष्ट्रपति जेर बोल्सोनारो के खिलाफ बदले की राजनीति कर रही है। हालांकि, ठीक इसी हफ्ते ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट ने बोल्सोनारो को 2022 में तख्तापलट की साजिश के लिए दोषी ठहराते हुए 27 साल की सजा सुनाई है।
लूला ने दिया दो टूक जवाब
लूला ने कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यह ब्राजील की लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती का प्रमाण है। उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि फैसले से पहले महीनों लंबी जांच हुई थी, जिसमें यहां तक सामने आया कि उनकी, उपराष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की हत्या की साजिश रची गई थी। अमेरिकी टैरिफ पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “यह न केवल गुमराह करने वाला है, बल्कि पूरी तरह से अतार्किक कदम है।”
अमेरिका की चेतावनी पर ब्राजील का पलटवार
बोल्सोनारो की सजा के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ने सख्त बयान दिया था कि ट्रंप प्रशासन हालात को देखते हुए कदम उठाएगा। इस पर ब्राजील ने नाराजगी जताई और विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी टिप्पणी को “अनुचित धमकी” बताया। मंत्रालय ने साफ किया कि ब्राजील की न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र है और बोल्सोनारो मामले में सभी कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ है।
सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बीच भड़की हिंसा
काठमांडू। नेपाल इस समय अभूतपूर्व राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का गुस्सा अब हिंसक प्रदर्शनों में बदल चुका है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि देशभर की जेलों पर भी इसका असर साफ दिखने लगा है। कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच लगातार झड़पें हो रही हैं, जिसमें कुछ कैदी मारे जा चुके हैं और हजारों फरार हो गए हैं। हालात काबू से बाहर होते देख सरकार ने सख्ती बढ़ा दी है, जबकि नेपाल-भारत सीमा पर भी चौकसी तेज कर दी गई है।
गुरुवार को रामेछाप जिले की जेल में कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक भिड़ंत हो गई। कैदियों ने गैस सिलेंडर से धमाका कर जेल से भागने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों की फायरिंग में तीन कैदियों की मौत हो गई और 13 घायल हो गए।
इससे पहले मंगलवार से अब तक देशभर की 25 से अधिक जेलों में हिंसा भड़क चुकी है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार करीब 15,000 कैदी विभिन्न जेलों से फरार हो गए हैं। इनमें काठमांडू की सुंदरहर जेल से 3,300, नक्कू जेल से 1,400 और डिल्लीबजार जेल से 1,100 कैदी शामिल हैं।
अन्य जिलों में भी हालात गंभीर हैं। सुनसरी के झुम्का जेल से 1,575, चितवन से 700, कपिलवस्तु से 459, कैलाली से 612, कंचनपुर से 478 और सिन्धुली से 500 कैदी भाग निकले। रौतहट के गौर जेल में 291 कैदियों में से 260 भाग गए थे, जिनमें से अब तक केवल 31 को ही पकड़ा जा सका है।
स्थिति और भयावह तब हो गई जब पश्चिम नेपाल के बांके जिले के नौबस्ता नाबालिग सुधार गृह में भी हिंसा भड़क उठी। यहां सुरक्षाबलों की गोलीबारी में पांच नाबालिग कैदी मारे गए, जब वे गार्ड से हथियार छीनने की कोशिश कर रहे थे।
नेपाल में लगातार बढ़ते इन घटनाक्रमों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे जेन जेड युवाओं का आंदोलन अब पूरे देश को हिला रहा है।
भारत-नेपाल सीमा पर भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। सुरक्षाबलों की निगरानी कड़ी कर दी गई है, क्योंकि आशंका है कि फरार कैदी सीमा पार करने की कोशिश कर सकते हैं।
देशभर में 27 लोग गिरफ्तार, सेना ने शांति बनाए रखने की अपील की
काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने राजनीतिक हालात पूरी तरह बदल दिए हैं। राजधानी काठमांडू समेत देशभर में जेनरेशन जेड की अगुवाई में हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने अब हिंसक रूप ले लिया है। आगजनी, लूटपाट और झड़पों के बीच सुरक्षा बलों ने सख्ती बढ़ाते हुए 27 लोगों को गिरफ्तार किया और कई इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गिरफ्तारियां मंगलवार रात से बुधवार सुबह के बीच हुईं।
सुरक्षा बलों ने काठमांडू के गौशाला-चाबाहिल-बौद्ध क्षेत्र से चोरी की गई 33.7 लाख नेपाली रुपये नकद और बड़ी संख्या में हथियार बरामद किए हैं। इनमें 31 गन, मैगजीन और गोला-बारूद शामिल हैं। झड़पों में 23 पुलिसकर्मी और 3 आम नागरिक घायल हुए, जिनका इलाज सैन्य अस्पतालों में चल रहा है।
कर्फ्यू और निषेधाज्ञा लागू
बढ़ती हिंसा को देखते हुए सेना ने देशभर में कर्फ्यू और निषेधाज्ञा लागू कर दी है। कर्फ्यू गुरुवार सुबह 6 बजे से प्रभावी रहेगा, जबकि निषेधाज्ञा बुधवार शाम 5 बजे तक जारी रहेगी। सेना का कहना है कि हिंसा और लूटपाट में अराजक तत्व शामिल हैं, जिन्हें रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
भारी तबाही और राजनीतिक संकट
इस हिंसा में सबसे ज्यादा नुकसान काठमांडू में हुआ है। हिल्टन होटल जलकर खाक हो गया, राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में तोड़फोड़ और आगजनी हुई। पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनल के घर में आग लगने से उनकी पत्नी की मौत हो गई। कांतिपुर मीडिया ग्रुप के दफ्तर में भी आगजनी हुई।
स्थिति बिगड़ने के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। बता दें कि यह विरोध प्रदर्शन 8 सितंबर से शुरू हुए थे, जब सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया था। आंदोलनकारियों की मुख्य मांग भ्रष्टाचार पर रोक, सरकार में पारदर्शिता और जनता के सवालों के जवाब हैं।
कॉल रिकॉर्ड से लेकर विदेश यात्राओं तक की जानकारी ऑनलाइन बिक्री पर उपलब्ध
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में एक बार फिर साइबर सुरक्षा की गंभीर चूक सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हजारों नागरिकों और कई केंद्रीय मंत्रियों का संवेदनशील डेटा लीक होकर ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। लीक हुए डेटा में मोबाइल सिम डिटेल्स, कॉल रिकॉर्ड, राष्ट्रीय पहचान पत्र की जानकारी से लेकर विदेश यात्राओं तक की जानकारी शामिल है। बताया जा रहा है कि यह डेटा बेहद कम दामों में बेचा जा रहा है।
ऑनलाइन बिक रहा डेटा, सरकार पर उठे सवाल
इससे पहले भी पाकिस्तान में कई बार डेटा लीक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन सरकार ठोस कार्रवाई करने में नाकाम रही है। ताजा मामले में मोबाइल लोकेशन डेटा मात्र 500 रुपये में और कॉल रिकॉर्ड 2000 रुपये में उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं, विदेश यात्राओं की जानकारी 5000 रुपये में खरीदी जा सकती है। खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि जिन लोगों का डेटा लीक हुआ है, उनका दुरुपयोग और उत्पीड़न हो सकता है।
जांच के आदेश, बनी 14 सदस्यीय कमेटी
घटना को लेकर आम जनता में नाराजगी बढ़ गई है और लोग सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए गृहमंत्री मोहसिन नकवी ने जांच के आदेश दिए हैं। इस संबंध में 14 सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है, जिसे दो सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
वैश्विक स्तर पर भी बढ़ रहा खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि डेटा लीक अब पूरी दुनिया में एक गंभीर चुनौती बन गया है। हाल ही में साइबर सुरक्षा रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दुनियाभर के करीब 16 अरब लोगों का डेटा लीक हुआ है, जिसे इंटरनेट इतिहास की सबसे बड़ी डेटा चोरी बताया गया।
