- प्रह्लाद सबनानी
वरिष्ठ स्तंभकार
अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने घोषणा की है कि वे प्रदेश के 6 जिलों सीतापुर, लखीमपुर, पीलीभीत, बरेली, शाहजहांपुर एवं फर्रुखाबाद के 5 तीर्थस्थलों को आपस में जोड़ने हेतु 500 किलोमीटर से भी लम्बा श्री परशुराम तीर्थ सर्किट बनाने जा रहे हैं। ये पांचों तीर्थ स्थल, नैमिष धाम, महर्षि दधीचि स्थल मिश्रिख, गोला गोकर्णनाथ, गोमती उद्गम, पूर्णागिरी मां के मंदिर के बॉर्डर से बाबा नीब करोरी धाम और जलालाबाद परशुराम की जन्मस्थली, हिंदुओं की आस्था के प्रमुख केंद्र हैं।
इसी प्रकार दक्षिण भारत की शैली में वृंदावन के ‘रंगजी’ मंदिर के आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण कर उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना को पूर्ण करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने 16.20 करोड़ रुपये की कार्ययोजना बनाई है। इस दिव्यदेश मंदिर का निर्माण वर्ष 1833 में शुरू हुआ था। भगवान नारायण के लोक को ‘दिव्यदेश’ की संज्ञा दी जाती है। दिव्यदेश की पहचान पांच प्रमुख स्तंभों से होती है। इसमें गरुड़ स्तंभ, गोपुरम, पुष्करणी, पुष्प उद्यान और गोशाला होती है। ऐसे 107 दिव्यदेश भारत में और एक नेपाल में स्थित हैं।
अयोध्या में भी भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य जोर शोर से चल रहा है। 5 अगस्त 2020 को शुरु हुए श्रीराम मंदिर के निर्माण कार्य का लगभग एक तिहाई काम सम्पन्न हो चुका है। अब श्रीराम मंदिर के गर्भगृह का निर्माण कार्य शुरू हुआ है। मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने गर्भगृह की पहली शिला रखते हुए कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ‘राष्ट्र मंदिर’ का रूप ले लेगा। 1100 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से बनने वाले इस श्रीराम मंदिर के निर्माण में अभी तक 192 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। श्रीराम जन्मभूमि परिसर से कुछ दूरी पर दक्षिण भारत के द्रविड़ शैली में भव्य श्रीरामलला देवस्थानम मंदिर भी बनाया जा रहा है।
पूर्व में केंद्र सरकार ने भी देश के 12 शहरों को “हृदय” योजना के अंतर्गत भारत के विरासत शहरों के तौर पर विकसित करने की घोषणा की है। ये शहर हैं, अमृतसर, द्वारका, गया, कामाख्या, कांचीपुरम, केदारनाथ, मथुरा, पुरी, वाराणसी, वेल्लांकनी, अमरावती एवं अजमेर। हृदय योजना के अंतर्गत इन शहरों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, ताकि इन शहरों की पुरानी विरासत को पुनर्विकसित कर पुनर्जीवित किया जा सके। इस हेतु देश में 15 धार्मिक सर्किट भी विकसित किये जा रहे हैं। जिनमें शामिल हैं, हिमालय सर्किट, नोर्थ ईस्ट सर्किट, कृष्ण सर्किट, बुद्धिस्ट सर्किट, कोस्टल सर्किट, डेजर्ट सर्किट, ट्राइबल सर्किट, वाइल्ड लाइफ सर्किट, रुरल सर्किट, स्पीरीचुअल सर्किट, रामायण सर्किट, हेरीटेज सर्किट, तीर्थंकर सर्किट एवं सूफी सर्किट। “हृदय” योजना को लागू करने के बाद से केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने कई परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इनमें से अधिकतर परियोजनाओं पर काम भी प्रारम्भ हो चुका है। इन सभी योजनाओं का चयन सम्बंधित राज्य सरकारों की राय के आधार पर किया गया है।
इसी प्रकार, पर्यटन मंत्रालय ने “प्रसाद” नामक एक विशेष योजना को प्रारम्भ किया है। जिसके अंतर्गत 15 राज्यों में धार्मिक स्थलों पर 24 परियोजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढांचे को विकसित करने के उद्देश्य से पर्यटन मंत्रालय द्वारा वित्त की व्यवस्था की जाती है। “प्रसाद” योजना के अंतर्गत रोड, रेल एवं जलमार्ग के माध्यम से परिवहन की व्यवस्था विकसित की जा रही है। इन चुने हुए धार्मिक स्थलों पर बैंकों के एटीएम का जाल बिछाया गया है। वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था, पीने के पानी की व्यवस्था, रेस्ट रूम का निर्माण, वेटिंग रूम का निर्माण, फर्स्ट-एड के अंतर्गत दवाईयों की व्यवस्था, बिजली की व्यवस्था, दूरसंचार के साधनों की व्यवस्था, आदि की जा रही है। इन विभिन्न परियोजनाओं को निजी एवं सरकारी क्षेत्र में, पीपीपी मॉडल के अंतर्गत, संयुक्त रूप से चलाने के प्रयास किये जा रहे है। इस योजना को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भी प्रयास किए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार भारत में धार्मिक स्थलों को विकसित करने में एकाएक इतनी दिलचस्पी क्यों लेने लगीं हैं? इसका उत्तर दरअसल इस तथ्य में छुपा है कि भारत में यात्रा एवं पर्यटन उद्योग 8 करोड़ व्यक्तियों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रहा है एवं देश के कुल रोजगार में पर्यटन उद्योग की 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। भारत में प्राचीन समय से धार्मिक स्थलों की यात्रा, पर्यटन उद्योग में, एक विशेष स्थान रखती है। एक अनुमान के अनुसार, देश के पर्यटन में धार्मिक यात्राओं की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत के बीच रहती है। देश के पर्यटन उद्योग में लगभग 19 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित की जा रही है जबकि वैश्विक स्तर पर पर्यटन उद्योग केवल 5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कर रहा है। भारत में पर्यटन उद्योग लगभग 23,400 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आय अर्जित कर रहा है। देश में पर्यटन उद्योग में 87 प्रतिशत हिस्सा देशी पर्यटन का है जबकि शेष 13 प्रतिशत हिस्सा विदेशी पर्यटन का है। अतः भारत में रोजगार के नए अवसर निर्मित करने के उद्देश्य से केंद्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार धार्मिक स्थलों को विकसित करने हेतु प्रयास कर रही हैं।
पर्यटन उद्योग में कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियों का समावेश रहता है। यथा, अतिथि सत्कार, परिवहन, यात्रा इंतजाम, होटल आदि। इस क्षेत्र में व्यापारियों, शिल्पकारों, दस्तकारों, संगीतकारों, कलाकारों, होटेल, वेटर, कूली, परिवहन एवं टूर आपरेटर आदि को भी रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। उक्त कारणों में चलते हाल ही के समय में भारत में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के चार मंत्रालय – पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, रेल्वे मंत्रालय एवं परिवहन मंत्रालय, आपस में तारतम्य बनाते
हुए मिलकर कार्य कर रहे हैं। इन चारों मंत्रालयों के संयुक्त प्रयासों से देश में धार्मिक यात्राओं को आसान बना दिया गया है। परिवहन मंत्रालय द्वारा विभिन्न तीर्थ स्थलों पर आसानी से पहुंचने हेतु मार्गों को विकसित किया गया है एवं बुनियादी ढांचे को भी विकसित किया जा रहा है। जिसके चलते देश के नागरिकों द्वारा धार्मिक यात्राएं करने की मात्रा में काफी उच्छाल देखने में आ रहा है।
भारतीय रेल ने कई विशेष सर्किट मार्ग पर विशेष रेलगाड़ियों को चलाने का अभियान भी प्रारम्भ किया है। नवम्बर 2018 से श्री रामायण एक्सप्रेस नामक विशेष रेलगाड़ी प्रारम्भ की गई है। यह रेल भारत एवं श्रीलंका में प्रभु श्रीराम से सम्बंधित महत्वपूर्ण स्थानों के मार्ग के बीच चलायी जा रही है। यह रेल प्रभु श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या से प्रारम्भ होती है एवं रेल के मार्ग में पड़ने वाले प्रभु श्रीराम की श्रद्धा के प्रमुख केंद्रों पर रूकती है। साथ ही, यदि श्रद्धा स्थल रेल्वे मार्ग से कुछ दूरी पर स्थित है तो भारतीय रेल श्रद्धालुओं को उक्त स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था भी करती है। इस तरह की कई अन्य विशेष रेलगाड़ियां राजकोट, जयपुर एवं मदुरई आदि स्थानों से भी चलाई जा रही हैं।
साथ ही अब वैष्णो देवी मंदिर पर पहुंच मार्ग को भी आसान बना दिया गया है। अब जम्मू-उधमपुर-कटरा रेलवे लाइन भी प्रारम्भ कर दी गई है। अब दिल्ली से कटरा तक रेल सेवा उपलब्ध करा दी गई है। कई रेलगाड़ियां अब सीधे कटरा तक पहुंच रही हैं। इससे वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को बहुत आसानी हो गई है। इसी प्रकार, एक विशेष पर्यटन रेलगाड़ी भारत दर्शन के लिए भी चलायी जा रही है। इस पैकेज टूर में 6 धार्मिक स्थल शामिल किए गए हैं, यथा, बैद्यनाथ, गंगासागर, कोलकत्ता, वाराणसी, प्रयागराज, आदि।
बुद्धिस्ट सर्किट पर भी विशेष रेलगाड़ियां अब चलाई जाने लगी हैं। विशेष पैकेज टूर के अंतर्गत बोद्धगया, नालंदा एवं वाराणसी शहरों के बीच 8 दिन की धार्मिक यात्रा सम्पन कराई जा रही है। भगवान बुद्ध के दर्शनार्थ यात्री विभिन्न देशों यथा जापान, चीन, थाईलैंड एवं श्रीलंका आदि से आते हैं। बुद्धिस्ट सर्किट पर पड़ने वाले अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन भी विदेशों से आए हुए इन यात्रियों को कराए जाते हैं एवं इनके सुख सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। पूरी सुविधाएं रेल्वे विभाग द्वारा प्रदान की जाती हैं।
गुरुद्वारा सर्किट पर पंज तख़्त एक्स्प्रेस नामक रेलगाड़ी चलायी जा रही है। इसके माध्यम से सिख धर्माविलंबियों को इस सर्किट पर पड़ने वाले गुरुद्वारों की यात्रा बहुत ही सहज तरीके से करायी जा रही है। इनमें शामिल हैं, अमृतसर में श्री अकाल तख़्त, श्री आनन्दपुर साहिब में तख़्त केशगड़, भटिंडा में तख़्त श्री दमदमा साहिब, पटना में तख़्त श्री पटना साहिब एवं नांदेड़ में तख़्त श्री हजूर साहिब।
उत्तराखंड में चार धाम – केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री – को भी बारहों महीने के लिए रोड के माध्यम से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे है। यह एक विशेष सर्किट के तौर पर विकसित किया जा रहा है।
उक्त विभिन्न सर्किट को विकसित करने के पीछे भारत की जड़ें तलाशने के साथ ही देश में धार्मिक पर्यटन को पंख देने की मंशा भी काम कर रही है। योग एवं आयुर्वेद भी हाल ही के समय में विदेशों में काफी लोकप्रिय हो गया है। अतः इसकी खोज के लिए विदेशों से भी कई पर्यटक भारत में धार्मिक पर्यटन करने के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। इससे विदेशी पर्यटन भी देश में तेजी से वृद्धि दर्ज कर रहा है।
केंद्र सरकार के साथ साथ हम नागरिकों का भी कुछ कर्तव्य है कि देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हम भी कुछ कार्य करें। जैसे प्रत्येक नागरिक, देश में ही, एक वर्ष में कम से कम दो देशी पर्यटन स्थलों का दौरा अवश्य करे। विदेशों से आ रहे पर्यटकों के आदर सत्कार में कोई कमी न रखें ताकि वे अपने देश में जाकर भारत के सत्कार का गुणगान करे। आज करोड़ों की संख्या में भारतीय, विदेशों में रह रहे हैं। यदि प्रत्येक भारतीय यह प्रण करे की प्रतिवर्ष कम से कम 5 विदेशी पर्यटकों को भारत भ्रमण हेतु प्रेरणा देगा तो एक अनुमान के अनुसार विदेशी पर्यटकों की संख्या को एक वर्ष के अंदर ही दुगना किया जा सकता है।
शक्तिमान’ पर बनेगी 300 करोड़ की फिल्म मुकेश खन्ना ने किया खुलासा..
देश-विदेश: बी आर चोपड़ा की बनाई ‘महाभारत’ में भीष्म पितामह और अपने ही बनाए धारावाहिक ‘शक्तिमान’ में लीड रोल करके दुनिया भर में मशहूर हुए अभिनेता मुकेश खन्ना इन दिनों सामाजिक कार्यों में जुटे हुए हैं। मुकेश खन्ना ने अपने चर्चित धारावाहिक ‘शक्तिमान’ के अधिकार सोनी पिक्चर्स को दे दिए हैं। मुकेश खन्ना कहते हैं, ‘ये प्रोजेक्ट मेरे पास कई साल के बाद आया है। लोग मुझसे बोलते थे कि शक्तिमान 2 बनाइए। मुझे शक्तिमान को टीवी पर फिर नहीं लाना था। अंदर अंदर बातें होती तो मैंने सोनी वालों के साथ हाथ मिला लिया, उन्होंने भी इसे सार्वजनिक कर दिया है और मैंने भी। लोग पूछते हैं कि कि अब आगे क्या हो रहा है? अब लोगो को मैं क्या बोलूं क्योंकि यह बड़ी फिल्म है कम से कम तीन सौ करोड़ की। जब तक सब अनुबंधित नहीं हो जाते तब तक इस बारे में ज्यादा कुछ बता नहीं सकते।
इस बारे में काफी कुरेदने पर मुकेश खन्ना बताते हैं, ‘ये फिल्म स्पाइडर मैन बनाने वाले बना रहे हैं। लेकिन, शक्तिमान देसी होगा। फिल्म की कहानी मैंने अपने हिसाब से तैयार करवाई है। मेरी उनसे यही शर्त थी कि आप कहानी नहीं बदलेंगे। लोग पूछते हैं कि शक्तिमान कौन बनेगा? यह भी अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है, जिसका जवाब मैं नहीं दूंगा लेकिन यह भी तय है कि बिना मुकेश खन्ना के शक्तिमान नहीं बनेगा। क्योंकि अगर दूसरा कोई शक्तिमान बनेगा तो पूरा देश उसे स्वीकार नहीं करेगा।’ यह पूछने पर कि क्या फिल्म को कोई हॉलीवुड का निर्देशक निर्देशित करेगा? मुकेश खन्ना ने कहा कि फिल्म की कहानी हिंदुस्तान की है तो निर्देशक भी यही का होगा क्योंकि बाहर का निर्देशक हिन्दुस्तान की कहानी को समझ नहीं पाएगा।
धारा-144 के बीच शुक्रवार को बाबा केदार की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर से सादगीपूर्वक केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान कर गई। डोली अपने पहले पड़ाव गौरीकुंड पहुंच गई है। वहां से डोली शनिवार को केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी। केदारनाथ मंदिर के कपाट 17 मई को खोले जाएंगे।
ऐतिहासिक ओंकारेश्वर मंदिर में परम्पराओं व वैदिक विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद बाबा केदार की डोली ने आज पूर्वाह्न केदारनाथ के लिए प्रस्थान किया। कोरोना महामारी के चलते डोली के दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ ना जुटने पाए, इसके लिए रुद्रप्रयाग के जिला प्रशासन ने कर्फ्यू के साथ-साथ ऊखीमठ समेत पूरे यात्रा मार्ग पर धारा-144 लागू की हुई है।

ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में बाबा केदार की डोली
डोली के साथ केदारनाथ जाने के लिए प्रशासन ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के 14 अधिकारी/ कर्मचारी और 14 हक़-हकूकधारियों को ही अनुमति दी गई है। इस अवसर पर रावल भीमाशंकर लिंग, उप जिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी. सिंह, कार्याधिकारी एनपी जमलोकी, पुजारी बागेश लिंग, डोली प्रभारी युद्धवीर पुष्पवान आदि उपस्थित थे।
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि 17 मई को प्रात:पांच बजे श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। प्रदेश सरकार ने कोरोना के चलते फिलहाल के लिए चारधाम यात्रा को स्थगित रखा है। लिहाजा, केवल मंदिर के कपाट खोले जाएंगे और मंदिर के पुजारी ही नियमित पूजा- अर्चना करेंगे।
यमुनोत्री के कपाट खुले
अक्षय तृतीया के अवसर पर शुक्रवार को ही अभिजीत मुहुर्त 12 बजकर 15 मिनट पर श्री यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए। आज प्रात: श्री यमुनोत्री जी की चलविग्रह डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल खरशाली( खुशीमठ) से प्रस्थान किया। उनको विदा करने छोटे भाई शनिदेव महाराज यमुनोत्री धाम पहुंचे।
यमुनोत्री धाम के कपाट भी चुनिंदा तीर्थ पुरोहितो व पुलिस -प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में खुले। इस अवसर पर मंदिर समिति अध्यक्ष व बड़कोट के उपजिलाधिकारी चतरसिंह चौहान, सचिव सुरेश उनियाल, पवन उनियाल, कृतेश्वर उनियाल आदि मौजूद रहे।

कपाट खुलने के अवसर पर यमुनोत्री धाम
कल खुलेंगे गंगोत्री के कपाट
मां गंगा की चलविग्रह डोली ने आज दोपहर शीतकालीन गद्दीस्थल मुखवा (मुखीमठ) से गंगोत्री धाम के लिए प्रस्थान किया। डोली आज रात्रि प्रवास हेतु भैरव घाटी पहुंचेगी और कल सुबह गंगोत्री धाम पहुंचेगी। शनिवार 15 मई को प्रात: 7 बजकर 31 मिनट पर श्री गंगोत्री धाम के कपाट खुलेंगे। इस अवसर पर भटवाड़ी के उप जिलाधिकारी देवेन्द्र सिंह नेगी, देवस्थानम बोर्ड के विशेष कार्याधिकारी राकेश सेमवाल, गंगोत्री मंदिर समिति अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल आदि उपस्थित थे।
18 मई को खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट
हिन्दुओं के एक अन्य विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार १८ मई को प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर खुलेंगे। इससे पहले 16 मई को आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ बद्रीनाथ के रावल ईश्वरीप्रसाद नंबूदरी पांडुकेश्वर स्थित श्री योगध्यान बदरी मंदिर पहुंचेगे और वहां से 17 मई की शाम को श्री बद्रीनाथ धाम पहुंचेगे।
घर बैठे दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण प्रदेश सरकार द्वारा श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा पर रोक लगायी गयी है। स्थिति सामान्य होते ही चारधाम यात्रा शुरू हो सकेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द स्थितियां सामान्य होंगी। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं को चारों धामों के वर्चुअल दर्शन कराने हेतु देवस्थानम बोर्ड को कहा गया है। देवस्थानम बोर्ड शीघ्र ही वर्चुअल दर्शन की व्यवस्था करेगा।
,… श्री केदारनाथ तथा श्री बद्रीनाथ धाम के वर्चुअल दर्शन कराएंगे। जहां तक अनुमति होती है, भक्तगण वहां तक इन धामों के दर्शनों का लाभ घर बैठे ही प्राप्त कर सकेंगे। वर्तमान समय में सच्ची देशभक्ति यही है कि आप सभी वैक्सीन अवश्य लगाएं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। 2/3
— Satpal Maharaj (@satpalmaharaj) May 13, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप श्री बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगरी के रूप में विकसित करने के लिए भारत सरकार के तेल व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और उत्तराखंड सरकार के श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच गुरूवार को लगभग 100 करोड़ के कार्यों के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।
वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय तेल व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। तेल व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सार्वजनिक प्रतिष्ठान – इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, ओएनजीसी तथा गैस ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया द्वारा बद्रीनाथ धाम में पहले चरण की विकास गतिविधियों में 99.60 करोड़ रूपये की धनराशि दी जाएगी।
Oil PSUs have committed ₹100 crore towards the Badrinath development master plan and will be undertaking several works for the beautification of the temple & its surroundings, including pilgrim and environment-friendly amenities, water supply, sewage management among others. pic.twitter.com/UINWqsZola
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) May 6, 2021
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि उत्तराखंड स्थित चार धाम आध्यात्मिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक कारणों से लाखों लोगों के हृदय के निकट है। उन्होंने कहा कि तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठान न केवल बद्रीनाथ का विकास कार्य करेंगे, बल्कि केदारनाथ, उत्तरकाशी, यमुनोत्री तथा गंगोत्री के विकास का हिस्सा भी बनेंगे।
तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधान ने कहा कि ये प्रतिष्ठान बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगर के रूप में विकसित करने के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को साकार करने के लिए आगे आए हैं। पर्यटन प्रमुख उद्योग है, जो राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बद्रीनाथ जैसे स्थलों के विकास से और अधिक संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री तीरथ ने कहा प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद केदारनाथ में पुनर्निर्माण के कार्य शुरू हुए थे जो कि अब अपने अंतिम चरणों में हैं। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने बद्रीनाथ धाम के कायाकल्प का भी निर्णय लिया। बद्रीनाथ में आगामी 100 वर्षों की आवश्यकताओं के मद्देनजर सुविधाओं का विकास चरणबद्ध तरीके से किया जाना है। उन्होंने बद्रीनाथ धाम के विकास में सहयोग के लिए केंद्र सरकार का आभार भी जताया।
प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि श्री बद्रीनाथ धाम का धार्मिक के साथ ही आर्थिक महत्व भी है। यहां से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है। उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण कार्यो के दौरान हमें इस बात का भी ध्यान रखना है कि यहां पर पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
उत्तराखंड में कोविड के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा को स्थगित करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि धामों के कपाट निर्धारित समय पर ही खुलेंगे और तीर्थ-पुरोहित मंदिरों में नियमित रूप से पूजा-पाठ करेंगे। लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर चारधाम यात्रा को स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है की प्रदेश में स्थित चारधामों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री की यात्रा अगले माह 14 मई से शुरू होनी थी। परंपरानुसार 14 मई को गंगोत्री व यमुनोत्री, 17 मई को केदारनाथ तथा 18 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने हैं। मगर इस बार कोविड की परिस्थितियों के मद्देनजर राज्य सरकार ने चारधामों के कपाट निर्धारित तिथियों पर खोलने की घोषणा के साथ यात्रा पर आम श्रद्धालुओं के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखंड में भी लगातार कोविड के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। लोगों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 से लड़ाई के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) April 29, 2021
गुरूवार को अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा को स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा की किसी को अनुमति नहीं होगी। केवल तीर्थ पुरोहितों को ही नियमित पूजा-पाठ की अनुमति होगी। स्थानीय लोग भी मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए नहीं जा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि चारधाम के पट नियमित समय पर ही खुलेंगे और तीर्थ-पुरोहित ही पूजा करेंगे। बाकी देश के लोगों के लिए चारधाम यात्रा अभी बंद है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस समय कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। उत्तराखण्ड में भी लगातार कोविड के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे समय में सरकार पूरी तरह से सजग है और इसी क्रम में तय हुआ है कि अभी चारधाम यात्रा को स्थगित रखा जाए। उन्होंने कहा कि लोगों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 से लड़ाई में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
पीएम मोदी ने जाना संतों के स्वास्थ्य का हाल, कोरोना संकट के चलते कुंभ को प्रतीकात्मक रखने की अपील की
हरिद्वार में चल रहे महाकुंभ के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से फोन पर बातचीत की और सभी संतों के स्वास्थ्य का हाल जाना। उन्होंने प्रशासन के साथ पूरा सहयोग करने के लिए संत समाज के प्रति आभार जताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है। ट्वीट में मोदी ने अनुरोध किया कि दो शाही स्नान संपन्न हो चुके हैं इसलिए आगे कुंभ को अब प्रतीकात्मक ही रखा जाए। इससे महामारी के खिलाफ लड़ाई में ताकत मिलेगी।
मैंने प्रार्थना की है कि दो शाही स्नान हो चुके हैं और अब कुंभ को कोरोना के संकट के चलते प्रतीकात्मक ही रखा जाए। इससे इस संकट से लड़ाई को एक ताकत मिलेगी। @AvdheshanandG
— Narendra Modi (@narendramodi) April 17, 2021
मोदी के ट्वीट के जवाब में स्वामी अवधेशानंद गिरि ने प्रधानमंत्री के आह्वान का सम्मान करते हुए प्रतिक्रिया दी और श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि कोविड की परिस्थितियों को देखते हुए भारी संख्या में स्नान के लिए न आएं और कोविड नियमों का अवश्य पालन करें।
यहां यह बता दें, कि हरिद्वार में कुंभ के दौरान अब तक कई प्रमुख संत कोरोना से संक्रमित हो गए हैं। कोरोना संकट को देखते हुए कुछ संतों ने कुंभ को सांकेतिक रखने की बात भी कही है।
कुंभनगरी हरिद्वार में आयोजित विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में धर्मांतरण व लव जिहाद जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई और इनके विरुद्ध ठोस कानूनों की जरुरत पर जोर दिया गया। बैठक में साधु-संतों ने देशभर में हिंदू मंदिरों के अधिग्रहण पर गहरा आक्रोश जताया और इस संबंध में एक प्रस्ताव प्रस्ताव पारित कर मंदिरों पर से सरकारी नियंत्रण समाप्त करने की मांग की गई। साथ ही इसके लिए देशभर में जनजागरण अभियान चलाने का संकल्प भी लिया गया।
विहिप की मार्गदर्शक मंडल की एक दिवसीय बैठक शुक्रवार को हरिद्वार के भोपतवाला स्थित अखण्ड परमधाम आश्रम में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने की। बैठक में संतों ने लव जिहाद की समस्या पर आक्रोश प्रकट करते हुए कहा कि यह विधर्मियों की सोची समझी साजिश है, जिसके खिलाफ केन्द्र सरकार प्रभावी कानून बनाए।

शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती महाराज से चर्चा करते मुख्यमंत्री तीरथ
संतों ने मांग की, कि मंदिरों का अधिग्रहण समाप्त हो, देश की भूमि पर बढ़ती जा रही अवैध कब्रगाहों, मजारों पर प्रतिबंध लगे, देश में मठ-मंदिरों पर सरकारी टैक्सों को समाप्त किया जाए। गौ व गंगा की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास किये जाएं। बैठक में पाकिस्तान में हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों का मामला भी उठा। मांग की गई कि पाकिस्तान से आने वाले हिन्दुओं को भारत में शरण मिलनी चाहिए। पाकिस्तान में हिन्दुओं की जो दुर्दशा हो रही है, वह हिन्दुत्व के लिए ही नहीं। अपितु मानवता के लिए भी चिंता का विषय है।

बैठक में उपस्थित संतगण
बैठक में पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पूर्व में प्रदेश सरकार द्वारा गठित किए गए चारधाम देवस्थानम बोर्ड में शामिल 51 मंदिरों के अधिग्रहण पर पुनर्विचार की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस संबंध में शीघ्र ही तीर्थ पुरोहितों की बैठक बुला कर निर्णय लिया जाएगा। चारधामों के बारे में शंकराचार्य द्वारा प्राचीन काल से जो व्यवस्था की गई है, उसका पूरी तरह से पालन किया जाएगा।
Press note containing deliberations made in the Kendriya Margdarshak Mandal Meet of VHP in Haridwar today. A resolution is also passed to free all Temples from Govt Control.. pic.twitter.com/WLepzXksln
— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) April 9, 2021
बैठक में जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, स्वामी परमानंद महाराज, निर्वाणी पीठाधीश्वर स्वामी विशोकानंद भारती, स्वामी अविचलदास, स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी चिदानंद मुनि, स्वामी ललितानंद गिरि महाराज, स्वामी कैलाशानन्द गिरी समेत कई प्रमुख संतों ने अपने विचार रखे।
हरिद्वार में चल रहे महाकुंभ के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक यात्रियों की सेवा के साथ-साथ यातायात व्यवस्था में भी सहयोग करेंगे। इसके लिए प्रदेशभर से बड़ी संख्या में संघ के कार्यकर्त्ता हरिद्वार पहुंचे गए हैं। गंगा तट पर आयोजित “सेवा संकल्प” कार्यक्रम में इन सभी कार्यकर्ताओं को मां गंगा को साक्षी मान कर कुंभ ड्यूटी के दौरान पूर्ण निष्ठा से समाज की सेवा का संकल्प दिलाया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ के पश्चिम उत्तरप्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक सूर्यप्रकाश टोंक ने कहा कि मां गंगा की सेवा करने का मौका हर किसी को नहीं मिलता, महाकुम्भ में रहकर जन सेवा करने का अवसर स्वयंसेवकों को मिला है, वह सौभाग्य से मिला है। इस सेवा का फल कुम्भ स्नान से भी अधिक फलदाई है। उन्होंने कहा कि संघ का स्वभाव ही सेवा है। अब तक हजारों अवसरों पर संघ के स्वयंसेवक प्रतिकूल परिस्थितियों में समाज सेवा के लिए सड़कों पर उतरे हैं। लेकिन यह पहला अवसर है, जब अनुकूल परिस्थितियों में सेवा के लिए स्वयंसेवक मोर्चे पर तैनात हो रहा है।
संघ के उत्तराखंड के प्रांत प्रचारक युद्धवीर ने कहा कि पूरे प्रदेश से आए कार्यकर्ता निःस्वार्थ भाव से समाज सेवा के लिए यहां आए हैं। प्रत्येक स्वयंसेवक अपनी स्वेच्छा से कुंभ सेवा के लिए तैयार है। हमारे किसी भी व्यवहार से किसी को नुकसान न हो, इसके लिए हम सभी को शांति, संयम, अनुशासन से कार्य करना है। उन्होंने कहा कि यातायात व्यवस्था में तैनात स्वयंसेवक मौके पर तैनात पुलिस कर्मियों के सहयोग के लिए है। इसलिए वह प्वाइंट पर तैनात उच्चाधिकारियों के उचित मार्गदर्शन में ही कार्य करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बाल्मीकि आश्रम के पीठाधीश्वर महंत मानदास महाराज ने कहा कि सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। संघ के स्वयंसेवक बिना भेदभाव के समाज सेवा के लिए संकल्पित रहते हैं। देश, धर्म, समाज की सेवा करने से ही परम मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस अवसर संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम सिंह भी उपस्थित थे।
महाकुंभ के दौरान आयोजित हो रही विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय
मार्गदर्शक मंडल की बैठक में प्रमुख साधू-संतों के अलावा विहिप
के केंद्रीय पदाधिकारी भाग लेंगे और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
महाकुंभ के आयोजन के बीच विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की एक महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार 9 अप्रैल को हरिद्वार में होगी। प्रात: 10 बजे से सायं 6 बजे तक चलने वाली यह बैठक भोपतवाला स्थित अखंड परमधाम आश्रम में होगी।
मार्गदर्शक मंडल की इस बैठक में देशभर के वरिष्ठ साधू-संतों के अतिरिक्त विहिप के केंद्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार, उपाध्यक्ष व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय, विहिप महामंत्री मिलिंद परांडे, केन्द्रीय धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी, मार्गदर्शक मंडल के संयोजक जीवेश्वर मिश्र सहित अनेक केंद्रीय पदाधिकारियों के भाग लेने की संभावना है।
बैठक में श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान तथा मंदिर निर्माण, हिंदू मंदिरों की स्वायत्तता व सरकारी नियंत्रण से मुक्ति, धर्मांतरण व लव जिहाद जैसे अनेक सम-सामयिक विषयों पर चर्चा की संभावना है। विहिप हिन्दू मंदिरों की स्वायत्तता की पक्षधर है और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त रखना चाहती है।
हाल ही में तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए घोषित अपने संकल्प पत्र में भाजपा ने जब धर्मांतरण का विरोध और मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण से मुक्त करने की बात कही, तो विहिप ने भाजपा की इस घोषणा का बयान जारी कर स्वागत किया था।
उल्लेखनीय है कि, उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री समेत लगभग 50 से अधिक मंदिरों को अधिग्रहित कर बनाए गए उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर तीर्थ-पुरोहित समाज और स्थानीय हक-हकूकधारी नाराज हैं। विहिप की मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के अभियान से देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे लोगों के पक्ष को मजबूती मिलेगी।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश की मातृशक्ति को एक सौगात दी है। कुंभ के मुख्य पर्वों पर प्रदेश की महिलाओं को उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों मेें मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलेगी। इसी तरह कुमायूं के प्रसिद्ध पूर्णागिरि मेले में जाने वाली महिलाओं को भी मुफ्त यात्रा का लाभ मिलेगा।
इन दिनों उत्तराखंड के हरिद्वार में महाकुंभ की धूम है। बड़ी तादाद में देश-विदेश के श्रद्धालू पुण्य लाभ के लिए महाकुंभ में पहुंच रहे हैं। संतों के अखाड़ों का वैभव कुंभ की रौनक बढ़ा रहे हैं। सरकार के बेहतर प्रबंधन में संचालित हो रहे इस भव्य आयोजन में गंगा मैया के जयकारों व मंत्रोच्चार से धर्मनगरी गुंजायमान हो रही है।
कुंभ में विभिन्न स्नान पर्वों का विशेष महत्व होता है। इन पर्वों पर बड़ी तादाद में श्रद्धालू स्नान के लिए पहुंचते हैं। प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के स्नान पर्वों पर हरिद्वार की यात्रा करने वाली प्रदेश की महिलाओं को परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा दी है।
प्रदेश सरकार ने चंपावत जिले के पूर्णागिरि धाम में लगने वाले मेले के लिए भी प्रदेश की महिलाओं को परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा दे दी है। पूर्णागिरि एक प्रसिद्ध सिद्धपीठ है। यहां प्रतिवर्ष तीन माह तक मेले का आयोजन होता है, किन्तु इस वर्ष कोरोना महामारी को देखते हुए केवल अप्रैल माह में ही मेले का आयोजन होगा।