जयशंकर बोले- ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नहीं हुई ट्रंप-मोदी की बातचीत
नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर सरकार की ओर से विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने विस्तृत बयान दिया। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संघर्ष विराम को लेकर किए गए दावों को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि 22 अप्रैल से 16 जून 2025 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।
जयशंकर ने विपक्षी दलों को स्पष्ट शब्दों में जवाब देते हुए कहा, “मैं साफ-साफ कहना चाहता हूं कि इन दो महीनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच एक बार भी संवाद नहीं हुआ। संघर्ष विराम के संदर्भ में जो भी प्रयास हुए, वे पाकिस्तान की ओर से डीजीएमओ के माध्यम से हुए।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की नीति रही है कि किसी भी मुद्दे का समाधान सिर्फ द्विपक्षीय बातचीत से ही होगा, किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी।
मध्यस्थता से इनकार, पाकिस्तान को चेतावनी
विदेश मंत्री ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई देशों ने भारत से हालात के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि संघर्ष विराम तभी होगा जब पाकिस्तान खुद पहल करेगा और वह भी सैन्य चैनलों के ज़रिए। जयशंकर ने दोहराया, “हम पाकिस्तानी हमले का मुँहतोड़ जवाब दे रहे हैं और जब तक ज़रूरत होगी, देते रहेंगे।”
सिंधु जल समझौते और कांग्रेस पर हमला
संसद में अपने संबोधन में जयशंकर ने कांग्रेस पार्टी को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने सिंधु जल समझौते को भारत के हितों के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह समझौता एकतरफा था, जिसमें भारत ने अपनी प्रमुख नदियों का जल पाकिस्तान को बिना किसी ठोस रणनीति के दे दिया। उन्होंने कहा, “दुनिया में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जहां कोई देश अपने जल संसाधनों को इस तरह पड़ोसी देश को सौंप देता हो। यह तत्कालीन कांग्रेस सरकार की बड़ी चूक थी।”
संक्षेप में, डॉ. जयशंकर ने संसद में स्पष्ट किया कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में नहीं झुकेगा और राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा, चाहे वह संघर्ष विराम हो या जल नीति।
लोकसभा से राज्यसभा तक नेहरू को लेकर विपक्ष और सरकार आमने-सामने
नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का उल्लेख किए जाने पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने इसे सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया और दोनों नेताओं पर तीखा हमला बोला।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जवाहरलाल नेहरू का नाम लेकर हर बहस को भटकाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि दोनों नेता नेहरू के प्रति ‘ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी)’ से ग्रस्त हैं।
रमेश ने कहा, “लोकसभा में हुई चर्चा में एक बार फिर यह साफ हो गया कि सरकार के पास अपनी विफलताओं का कोई जवाब नहीं है। वे बार-बार नेहरू का नाम लेकर जनता को गुमराह करना चाहते हैं, क्योंकि उनकी नीतियों और कामकाज पर उठ रहे सवालों का सामना करने की उनकी मंशा नहीं है।”
उन्होंने कहा कि सार्थक बहस से बचने के लिए भाजपा के शीर्ष नेता इतिहास की गलत व्याख्या करते हैं और विपक्ष को बदनाम करने में जुट जाते हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह खुद को इतिहासकार समझते हैं, लेकिन उनका उद्देश्य सिर्फ भ्रम फैलाना है।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के बयान:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान कहा कि नेहरू सरकार ने अक्साई चीन का 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र गंवा दिया। उन्होंने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर करके भी रणनीतिक गलती की थी। पीएम ने सवाल किया कि पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) आज तक क्यों नहीं वापस लिया गया और इसका जिम्मेदार कौन है?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश का विभाजन और पीओके की मौजूदा स्थिति नेहरू सरकार की नीतियों का परिणाम हैं। उन्होंने कहा, “1948 में जब भारतीय सेना कश्मीर में निर्णायक स्थिति में थी, तब नेहरू ने बिना किसी सलाह के युद्धविराम की घोषणा कर दी। सरदार पटेल इसके खिलाफ थे, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई।”
नीतीश सरकार पर हमले के दो दिन बाद चिराग ने फिर जताया समर्थन
नई दिल्ली। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री और लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के बाद नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। यह बयान उन्होंने उस टिप्पणी के दो दिन बाद दिया है, जिसमें उन्होंने नीतीश सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए अफसोस जताया था कि सरकार ने अपराधियों के सामने घुटने टेक दिए हैं।
एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए चिराग पासवान ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और सेना दोनों को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनडीए एक मजबूत और विजयी गठबंधन है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही बिहार चुनाव लड़े जाएंगे।
अपने बयान में पासवान ने दोहराया, “मेरी प्रतिबद्धता और निष्ठा प्रधानमंत्री मोदी के प्रति है। बिहार की जनता एक बार फिर एनडीए को समर्थन देगी और चुनाव परिणामों के बाद नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे।”
वहीं मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया पहले भी चार बार हो चुकी है और केवल तकनीकी बदलाव के साथ इसे डिजिटल रूप दिया गया है, बाकी सब वैसा ही है।
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से वापसी और चंद्रयान-3 की सफलता से देश में बढ़ी वैज्ञानिक चेतना- पीएम मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 124वें एपिसोड में देशवासियों से संवाद करते हुए विज्ञान, खेल, संस्कृति और स्वाभिमान की मिसालों को साझा किया। उन्होंने युवाओं की उपलब्धियों, ऐतिहासिक धरोहरों की अहमियत और टेक्सटाइल सेक्टर की ताकत पर प्रकाश डालते हुए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ते कदमों को सराहा।
1. विज्ञान और अंतरिक्ष में भारत का परचम:
प्रधानमंत्री ने शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से वापसी और चंद्रयान-3 की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि इससे देश में वैज्ञानिक चेतना बढ़ी है। बच्चों के लिए ‘इंस्पायर मानक’ जैसे अभियानों ने इनोवेशन को नई उड़ान दी है।
2. ओलंपियाड्स में भारतीय प्रतिभाओं की चमक:
इंटरनेशनल केमिस्ट्री और मैथ ओलंपियाड में भारतीय छात्रों की शानदार जीत का उल्लेख करते हुए पीएम ने युवाओं की वैज्ञानिक क्षमता को सराहा। आने वाले एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स ओलंपियाड को भारत के लिए बड़ी उपलब्धि बताया।
3. ऐतिहासिक किले: संस्कृति और स्वाभिमान के प्रतीक:
पीएम मोदी ने यूनेस्को द्वारा मराठा किलों को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिलने पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने भारत के अन्य किलों का भी उल्लेख किया जो इतिहास, वीरता और स्वाभिमान के प्रतीक हैं।
4. टेक्सटाइल सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी:
प्रधानमंत्री ने पैठणी और संथाली साड़ियों का उदाहरण देकर कहा कि भारत का हैंडलूम सेक्टर सिर्फ कारोबार नहीं, सांस्कृतिक विरासत की पहचान है। आज 3000 से अधिक टेक्सटाइल स्टार्टअप देश को वैश्विक पहचान दिला रहे हैं।
5. लोक संस्कृति से पर्यावरण जागरूकता:
ओडिशा के क्योंझर जिले में भजन मंडलियों द्वारा जंगल की आग पर चेतना फैलाने के प्रयासों की सराहना की गई। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी परंपराएं आज भी समाज को दिशा देने की ताकत रखती हैं।
6. पांडुलिपियों को डिजिटल बनाना जरूरी:
तमिलनाडु के मणि मारन के प्रयासों का जिक्र करते हुए पीएम ने भारतीय ज्ञान परंपरा को सहेजने के लिए पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण पर जोर दिया।
7. मछलीपालन और काजीरंगा में पक्षी गणना की सराहना:
प्रधानमंत्री मत्स्य योजना और असम के काजीरंगा में पक्षियों की नई प्रजातियों की खोज को विकास की दिशा में महत्वपूर्ण बताया।
8. खेलों और स्वच्छता आंदोलन में भारत की छलांग:
वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स में भारत के 600 मेडल और स्वच्छ भारत मिशन की सफलता का उल्लेख करते हुए पीएम ने इसे जन आंदोलन बताया।
9. स्वतंत्रता संग्राम और पर्वों की भावना:
खुदीराम बोस जैसे वीरों के बलिदान, भारत छोड़ो आंदोलन और विभाजन विभीषिका दिवस की याद दिलाते हुए पीएम ने अगस्त को ‘क्रांति का महीना’ कहा। साथ ही सावन और रक्षाबंधन जैसे त्योहारों की शुभकामनाएं भी दीं।
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) ने शुक्रवार को विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन से औपचारिक रूप से अलग होने का ऐलान कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। पार्टी ने स्पष्ट किया कि वह अब इस गठबंधन का हिस्सा नहीं है और कांग्रेस की भूमिका पर सीधा सवाल खड़ा किया है।
AAP दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने बयान में कहा, “हमारा सभी विपक्षी दलों से समन्वय है, चाहे वह तृणमूल कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी। लेकिन हम अब कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।” उन्होंने हेमंत सोरेन और एमके स्टालिन की पार्टियों के साथ अच्छे संबंधों का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर नेतृत्व को लेकर निशाना साधा।
AAP की इस घोषणा पर कांग्रेस ने भी तीखा पलटवार किया है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने AAP की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा, “हमने पहले ही संदेह जताया था कि AAP की नीयत गठबंधन को लेकर स्पष्ट नहीं है। वे केवल राजनीतिक सुविधा के लिए INDIA गठबंधन में शामिल हुए थे। उनका असली मकसद सत्ता भोगना है और वे वही करते हैं जो भाजपा चाहती है।”
संदीप दीक्षित ने AAP पर ‘लक्ष्मी जी की सेवा’ करने और नैतिक राजनीति से भटकने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी विपक्ष की एकजुटता के बजाय सिर्फ व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए काम कर रही है।
AAP और कांग्रेस के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव अब खुलकर सामने आ गया है, जिससे आगामी चुनावी समीकरणों पर भी असर पड़ सकता है।
असम-बंगाल के बीच घुसपैठ और भाषा को लेकर सियासी घमासान
गुवाहाटी। असम और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों के बीच सियासी टकराव एक बार फिर गर्मा गया है। इस बार टकराव की वजह बना है घुसपैठ, भाषायी पहचान और एनआरसी जैसे मुद्दों पर बढ़ता तनाव।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि असम की लड़ाई अपने ही लोगों से नहीं, बल्कि सीमा पार से हो रही घुसपैठ के खिलाफ है, जिसने राज्य के जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ दिया है। उन्होंने दावा किया कि कई जिलों में हिंदू अब अल्पसंख्यक बनते जा रहे हैं।
सीएम सरमा ने लिखा, “यह कोई राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि कड़वी सच्चाई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बाहरी आक्रमण करार दिया है। जब हम अपनी संस्कृति और पहचान की रक्षा करने की कोशिश करते हैं, तब कुछ लोग इसे राजनीति का रंग देने लगते हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि असम सभी भाषाओं और समुदायों का सम्मान करता है, लेकिन सीमाओं और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना राज्य की जिम्मेदारी है।
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘बांग्ला भारत की दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और असम में भी इसका बड़ा स्थान है। लेकिन भाजपा असम में बंगाली भाषियों को निशाना बना रही है। यह पूरी तरह से असंवैधानिक और विभाजनकारी है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार असम में बांग्लाभाषियों को डराने-धमकाने की कोशिश कर रही है, उनकी भाषा और पहचान को खत्म कर रही है। सीएम ममता ने कहा कि वह हर उस नागरिक के साथ हैं जो अपनी भाषा, संस्कृति और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ रहा है।
विवाद की जड़ में क्या है?
इस ताजा विवाद की शुरुआत तब हुई जब तृणमूल कांग्रेस से जुड़ी ट्रेड यूनियन INTTUC ने सिलीगुड़ी में एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषियों को “माइग्रेंट” बताकर परेशान किया जा रहा है। ममता बनर्जी ने संकेत दिया है कि यह मुद्दा जल्द ही बंगाल विधानसभा में गूंज सकता है।
वहीं असम सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह घुसपैठ के खिलाफ संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत कार्रवाई करती रहेगी।
लोकसभा के बाद विधानसभा में भी बिखरी एमवीए, उद्धव ने बताई अंदरूनी खामियां
मुंबई— महाराष्ट्र में आगामी नगर निकाय चुनाव से पहले महाविकास अघाड़ी (MVA) के भीतर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गठबंधन की आंतरिक खींचतान और हालिया विधानसभा चुनावों में मिली हार को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो “साथ रहने का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा।”
गठबंधन की एकता पर उठे सवाल
ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में सीटों के बंटवारे और उम्मीदवार चयन में हुई देरी को एमवीए की सबसे बड़ी कमजोरी बताया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन मिलने के बावजूद गठबंधन दलों ने आपसी समन्वय पर ध्यान नहीं दिया और चुनाव में दलगत हितों की होड़ ने जनता को भ्रमित किया।
“ऐसे ही चले तो जनता भरोसा खो देगी” – उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट कहा कि अगर आगे भी यही रवैया जारी रहा तो जनता का भरोसा टूट जाएगा। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान शिवसेना (यूबीटी) को कुछ ऐसी सीटें छोड़नी पड़ीं, जहां उसका मजबूत जनाधार था। “सीटों के चयन में हुई खींचतान और उम्मीदवारों को लेकर बनी असहमति ने संगठन की कमजोरी उजागर की,” ठाकरे ने जोड़ा।
“अपनी गलतियां भी माननी होंगी”
ठाकरे ने कहा कि गठबंधन सिर्फ चुनाव आयोग या ईवीएम पर दोष डालकर बच नहीं सकता। उन्होंने ‘लड़की बहन योजना’ जैसे घोषणापत्री वादों को भी हार का कारण बताया और कहा कि इससे मतदाता भ्रमित हुआ। उन्होंने कहा, “हमें आत्ममंथन करना होगा और अपनी गलतियां स्वीकारनी होंगी।”
चुनाव नतीजों की हकीकत
2024 लोकसभा चुनाव में एमवीए ने महाराष्ट्र की 48 में से 30 सीटें जीती थीं, लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार गुट वाली महायुति ने भारी बहुमत हासिल किया। बीजेपी को 132, शिंदे की शिवसेना को 57 और एनसीपी (अजित पवार) को 41 सीटें मिलीं। दूसरी ओर, एमवीए को सिर्फ 46 सीटें ही मिल पाईं — जिसमें ठाकरे गुट को 20, शरद पवार को 16 और कांग्रेस को 10 सीटें मिलीं।
ट्रंप के दावे पर मचा बवाल, कांग्रेस ने पीएम मोदी से माँगा जवाब
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक हालिया बयान ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने दावा किया कि उनके हस्तक्षेप के चलते ही भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम संभव हो सका। इसके जवाब में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी का आरोप है कि पीएम मोदी ने व्यापारिक हितों के लिए देश के सम्मान से समझौता किया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले ट्रंप का यह बयान कई सवाल खड़े करता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “यह 24वीं बार है जब ट्रंप यह कह रहे हैं कि उन्होंने भारत-पाक युद्ध रोका और मोदी सरकार अब भी चुप है।”
कांग्रेस ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, “ट्रंप कह रहे हैं कि भारत-पाक के बीच लड़ाई में पांच जेट मार गिराए गए। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने व्यापार समझौता रोकने की धमकी दी, तभी दोनों देश युद्धविराम पर राजी हुए। मगर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी यह सवाल उठाती है कि क्या भारत ने वाकई व्यापार के बदले राष्ट्रीय स्वाभिमान को गिरवी रख दिया?”
जयराम रमेश ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप लगातार दो बातें दोहरा रहे हैं — पहला कि उन्होंने युद्ध रुकवाया और दूसरा कि व्यापार सौदे के बिना भारत-पाक को पीछे हटना पड़ा। अब यह संसद और देश का अधिकार है कि पीएम मोदी स्पष्ट करें कि ट्रंप के दावों में कितनी सच्चाई है।”
ट्रंप ने क्या कहा?
एक रैली में ट्रंप ने दावा किया, “हमने कई बड़े युद्ध रोके। भारत और पाकिस्तान के बीच तो हालात बहुत खराब हो रहे थे। मुझे लगता है वहां पांच फाइटर जेट भी मार गिराए गए थे। ये दोनों परमाणु संपन्न देश हैं, जो एक-दूसरे पर हमले कर रहे थे। हम चाहते थे कि यह युद्ध रुके और इसके लिए हमने व्यापारिक दबाव का इस्तेमाल किया।”
ट्रंप ने इसके साथ ही BRICS जैसे संगठनों पर भी निशाना साधा और धमकी दी कि इन देशों से आयात पर वह 10% टैरिफ लगाने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह समूह चाहे जो भी करे, वह ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएगा।
आरएसएस प्रमुख ने ‘उद्योगवर्धिनी’ के मंच से दिए महिला सशक्तिकरण के संदेश
महाराष्ट्र। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने महिला सशक्तिकरण को देश की प्रगति का आधार बताते हुए कहा कि महिलाओं को सामाजिक बेड़ियों और रूढ़ियों से मुक्त करना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। वे महाराष्ट्र के सोलापुर में ‘उद्योगवर्धिनी’ संस्था द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि महिलाएं समाज की रीढ़ होती हैं। वे सिर्फ घर और परिवार का ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के संस्कार और सोच का भी निर्माण करती हैं। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल सामाजिक सुधार नहीं, बल्कि देश के समग्र विकास की कुंजी है।
भागवत ने यह भी स्पष्ट किया कि महिलाओं को ऊपर उठाने की बात करना पुरुषों का अहंकार है। उन्होंने कहा, “महिलाओं को सिर्फ स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए, ना कि उन्हें निर्देशित करने की कोशिश करनी चाहिए। जब एक महिला आगे बढ़ती है, तो समाज अपने आप आगे बढ़ता है।”
इस मौके पर उन्होंने ‘उद्योगवर्धिनी’ संस्था द्वारा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास देश में सकारात्मक बदलाव की नींव रखते हैं।
आस्था और विरासत को आतंकवाद से जोड़ना निंदनीय, समाज की एकता को किया जा रहा चोटिल
उत्तर प्रदेश। वाराणसी में आयोजित बिरसा मुंडा राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सामाजिक और धार्मिक आयोजनों को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम व सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने विशेष रूप से कांवड़ यात्रा को लेकर हो रही आलोचनाओं को भारत की सांस्कृतिक विरासत और आस्था का अपमान बताया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांवड़ यात्रा भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जिसमें समाज के सभी वर्ग—श्रमिक से लेकर उच्च वर्ग तक—बिना किसी जातीय या क्षेत्रीय भेदभाव के सम्मिलित होते हैं। उन्होंने इस यात्रा को लेकर सोशल मीडिया और कुछ वर्गों द्वारा की जा रही आलोचना को निंदनीय बताते हुए कहा कि कांवड़ियों को “उपद्रवी” और “आतंकवादी” कहना भारत की परंपरा और आस्था का अपमान है।
सीएम योगी ने कहा, “जो लोग कांवड़ यात्रा को बदनाम करते हैं, वही लोग जनजातीय समुदाय को देश से अलग करने की साजिशें रचते आए हैं। वे सोशल मीडिया के फेक अकाउंट से जातीय तनाव फैलाने की कोशिश करते हैं। हमें इस मानसिकता से सावधान रहना होगा, ताकि समाज और राष्ट्र की एकता को मजबूत किया जा सके।”
उन्होंने बिरसा मुंडा के जीवन और संघर्ष को प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि उनकी विरासत हमें सामाजिक न्याय और एकता की राह दिखाती है। ब्रिटिश शासन और जमींदारी के खिलाफ उनका आंदोलन आज भी प्रासंगिक है।
मुख्यमंत्री ने जौनपुर की एक घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि जब कुछ लोग नियमों की अवहेलना कर ताजिया निकालने का प्रयास कर रहे थे और हाईटेंशन तार की चपेट में आकर हादसे का शिकार हो गए, तब प्रशासनिक निर्णय लेने की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने कहा, “ये लातों के भूत हैं, जो बातों से नहीं मानते।”
सीएम ने आम नागरिकों से अपील की कि वे किसी भी विवाद में जबरन हस्तक्षेप न करें। “अगर आप दारोगा की भूमिका में उतरेंगे तो पिट सकते हैं,” उन्होंने कहा। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार का अराजकता फैलाने का प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और प्रशासन इसे सख्ती से नियंत्रित करेगा।