उत्तराखंड सरकार ने महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को अमली जामा पहनाने के लिए कमर कस ली है। योजना के तहत संचालित होने वाली गतिविधियों का बेहतर क्रियान्वयन कैसे किया जाए, इसके उपाय सुझाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया है।
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने गुरुवार को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। आदेश के मुताबिक प्रकोष्ठ का अध्यक्ष उत्तराखंड पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी को नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही प्रकोष्ठ में दो सदस्यों के तौर पर मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट व स्वयंसेवी संस्था हार्क के प्रमुख महेन्द्र सिंह कुँवर को नियुक्त किया गया है।
यहां बता दें, कि प्रदेश में अधिक से अधिक लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने खासकर लॉकडाउन के चलते घर लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना की तर्ज पर प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसमें निर्माण व सेवा क्षेत्र में अपना काम करने के लिए इच्छुक बेरोजगारों को ऋण व अनुदान की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एमएसएमई के तहत बनाई गई है। योजना में विनिर्माण में 25 लाख और सेवा क्षेत्र में 10 लाख तक की लागत की परियोजना हेतु स्वरोजगार के लिए ऋण लिया जा सकता है। योजना में 25 प्रतिशत तक अनुदान की व्यवस्था है। मार्जिन मनी को अनुदान के रूप में समायोजित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत इससे सम्बन्धित लगभग सभी विभागों की योजनाओं को शामिल किया गया है। राज्य स्तर पर सभी विभागों के समन्वय के लिए यह प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है। अन्य विभागों में संचालित स्वरोजगार योजनाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत लाते हुए उद्यान, कृषि, माइक्रो फूड प्रोसेसिंग, पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय, पोल्ट्री, जैविक कृषि आदि पर विशेष महत्व दिया जा रहा है। योजना में 150 से अधिक कार्य शामिल किए गए हैं।
प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एस.एस. नेगी ने बताया कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनपदों में स्वरोजगार को आगे बढ़ाने के लिये प्रयास किये जायेंगे, ताकि युवा स्वरोजगार अपनाने के साथ ही अन्य के लिये भी रोजगार देने वाले बन सकें। विभिन्न विभागों के स्तर पर स्वरोजगार के जो कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, उनसे भी समन्वय किया जायेगा। इससे अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार का लाभ मिल सकेगा।