केरल के तिरुअनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तस्करी के माध्यम से लाये जा रहे 30 किग्रा सोने का मामला प्रदेश की कम्युनिस्ट सरकार के गले की फांस बन गयी है। सोने की तस्करी के मामले ने केरल की राजनीति में जो तूफ़ान खड़ा किया है, वह फिलहाल शांत होता नहीं दिखाई दे रहा है। पीले सोने की तस्करी ने लाल झंडे की सरकार को सांसत में डाल दिया है। भारतीय जनता पार्टी इस प्रकरण में सीधे तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय की संलिप्तता का आरोप लगा कर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का त्याग पत्र मांगने पर तुली हुई है, तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया की प्रदेश सरकार का मुख्य काम सोने की तस्करी और ड्रग ट्रैफकिंग है।
उल्लेखनीय है, कि गत 5 जुलाई को तिरुअनंतपुरम हवाई अड्डे पर एक गोपनीय सूचना के आधार पर सीमाकर अधिकारियों ने तीस किलो सोना पकड़ा था। यह एक बक्से में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से पहुंचा था। बक्सा UAE के दूतावास के नाम था। जब एयरपोर्ट पर इस मामले का खुलासा हुआ तो ‘राजनयिक सामान’ की आड़ में भेजे गए इस पैकेट को UAE कॉन्सुलेट ने अपना मानने से इनकार कर दिया। सोना तस्करी मामले का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि सोना उस कूटनीतिक माध्यम से लाया गया था, जिसमें विदेशी राजनयिकों की कोई जांच नहीं होती है।
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केरल पुलिस ने जब इस मामले की जांच की तो इसमें मुख्य अभियुक्त के रूप में स्वप्ना सुरेश का नाम सामने आया। स्वप्ना पहले UAE कॉन्सुलेट की अधिकारी थीं और उसके बाद वह केरल राज्य सूचना प्रौद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रही थी। स्वप्ना सुरेश का मुख्यमंत्री कार्यालय में बेरोकटोक आना-जाना था। यह भी कहा जाता है कि शाम ढलते ही उसके आवास पर पार्टियां होती थीं। इसमें केरल सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तक की उपस्थिति होती थी। मामले में नाम आने के बाद स्वप्ना सुरेश फरार हो गयी थी।
अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटे मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शोर-शराबा होते देख प्रकरण की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से जांच कराने की केंद्र सरकार से मांग कर डाली। केंद्र सरकार ने तस्करी मामले में आतंकी फंडिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए 9 जुलाई को NIA को जांच सौंपी। NIA ने जांच शुरू कर स्वप्ना सुरेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे बेंगलुरु से गिरफ्तार कर दिया। NIA ने इस मामले में 25 लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें से 20 की गिरफ्तारी हो चुकी है।
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इस सनसनीखेज तस्करी मामले में एक नाटकीय मोड़ तब आया जब स्वप्ना सुरेश की केरल के मुख्यमंत्री विजयन के प्रधान सचिव व आईटी सचिव एम शिवशंकर व राज्य के एक मंत्री केटी जलील के साथ लगातार टेलीफोन संपर्क में रहने का मामला सामने आया। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शिवशंकर को मुख्यमंत्री के करीबी अधिकारियों में गिना जाता है। तस्करी प्रकरण में शिवशंकर की भूमिका संदिग्ध होने की बात सामने आने पर मुख्यमंत्री ने शिवशंकर को निलंबित कर दिया। NIA और प्रवर्तन निदेशालय (ED) शिवशंकर से कई बार पूछताछ कर चुके हैं।
NIA ने स्वप्ना सुरेश के टेलीफोन रिकॉर्ड का ब्यौरा हासिल किया है। मुख्य अभियुक्त स्वप्ना सुरेश ने ED के समक्ष दावा किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय में उसका ‘‘अच्छा-खासा प्रभाव” था। ED ने कोच्चि की विशेष NIAअदालत में यह दावा किया है। NIA के अलावा सीमा शुल्क विभाग, ED व अन्य एजेंसियां भी मामले की जाँच में जुटी हुई हैं।
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इधर, यह मामला केरल की राजनीति भूचाल का सबब बना हुआ है। केरल में लगातार अपनी राजनीतिक पैठ को मजबूत करने में जुटी भाजपा इस मुद्दे पर केरल की कम्युनिस्ट सरकार को बख्शने के मूड में नहीं दिखाई दे रही है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से लेकर केरल इकाई के अध्यक्ष के.सुरेंद्रन तक ने तस्करी मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय को सीधे निशाने पर लिया है। सुरेंद्रन ने गुरूवार को भी कोझिकोड में आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के उच्चाधिकारियों से लेकर सत्तारूढ़ दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) तक के नेता तस्करी मामले में लिप्त हैं। दूसरी तरफ, कांग्रेस पार्टी भी इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार पर हमलावर हो उठी है। विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथल्ला ने शुक्रवार को तिरुअनंतपुरम में केरल सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। चेन्निथल्ला ने आरोप लगाया की इस सरकार का मुख्य काम सोने की तस्करी और ड्रग ट्रैफकिंग है।