ग्रुप-बी (गैर-राजपत्रित) और समूह-सी की नौकरियों के लिए साक्षात्कार समाप्त करने की केंद्र सरकार की नीति पर 23 राज्यों व 8 केंद्र शासित प्रदेशों ने भी अपनी मुहर लगा दी है। 15 अगस्त 2015 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साक्षात्कार की प्रक्रिया को समाप्त करने और नौकरी के लिए चयन पूरी तरह से लिखित परीक्षा के आधार पर करने का सुझाव दिया था। प्रधानमंत्री के सुझाव पर त्वरित रूप से अमल करते हुए केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने तीन महीने के भीतर 1 जनवरी, 2016 को केंद्र सरकार की भर्तियों में साक्षात्कार की प्रक्रिया की समाप्ति कर दी थी। मोदी सरकार ने सभी राज्य सरकारों व केंद्र सरकारों को भी इस पर अमल करने के लिए कहा था।
महाराष्ट्र और गुजरात ने दिखाई तेजी
केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत व प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि अब तक देश के 23 राज्यों 8 केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नौकरियों में साक्षात्कार की प्रक्रिया समाप्त कर दी गयी है। इसे सुधारवादी कदम बताते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जहां महाराष्ट्र और गुजरात जैसे कुछ राज्यों ने इस नियम को लागू करने में तेजी दिखायी, वहीं कुछ राज्य ऐसे भी थे जो नौकरियों के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया के आयोजन को समाप्त करने के लिए बेहद अनिच्छुक थे।
लिखित परीक्षा के अंक होंगे योग्यता का पैमाना
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि कुछ राज्य सरकारों को काफी समझाने और बार-बार याद दिलाने के बाद देश के सभी 8 केंद्र शासित प्रदेशों और 28 राज्यों में से 23 में साक्षात्कार आयोजित करने की प्रथा बंद कर दी गई है। इसमें जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख भी शामिल है। डॉ. सिंह ने कहा कि अतीत में कुछ पसंदीदा उम्मीदवारों की मदद के लिए साक्षात्कार में अंकों के बारे में शिकायतें, आपत्तियां और आरोप दर्ज होते थे। साक्षात्कार की समाप्ति के बाद चयन के लिए केवल लिखित परीक्षा के अंकों को योग्यता का पैमाना मानने से सभी उम्मीदवारों के लिए चयन के समान अवसर उपलब्ध होंगे।
सरकारी खजाने में भी बचत
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि इस कदम की वजह से भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हुई है। कई राज्यों से सरकारी खजाने में भारी बचत की सूचना भी मिली है, क्योंकि अक्सर हजारों की संख्या में उम्मीदवारों के साक्षात्कार के आयोजन में काफी खर्च हो जाता था और साक्षात्कार की यह प्रक्रिया कई दिनों तक जारी रहती थी।