अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के भूमिपूजन कार्यक्रम से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) बौखलाहट में दिखाई दे रहा है। बोर्ड ने कार्यक्रम से कुछ घंटे पूर्व एक विवादास्पद ट्वीट किया है। ट्वीट में एक तरह से सुप्रीकोर्ट के निर्णय पर भी सवाल उठाया गया है और धमकी भरे अंदाज़ में कहा गया है कि ‘ बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्ज़िद ही रहेगी।
AIMPLB ने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा है कि ‘ बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद ही रहेगी। हागिया सोफिया इसका एक बड़ा उदहारण है। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण निर्णय द्वारा जमीन का पुनर्निर्धारण इसे बदल नहीं सकता है। दुःखी होने की जरूरत नहीं है। कोई स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है। यह राजनीती है ‘
बोर्ड ने जिस अंदाज में यह ट्वीट किया है, वह कई सवाल खड़ा कर रहा है। बोर्ड ने अप्रत्यक्ष तौर पर सुप्रीकोर्ट के निर्णय पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। बोर्ड ने तुर्की की हागिया सोफिया संग्रहालय का उदाहरण दिया है, जो 900 साल तक चर्च, 500 साल तक मस्जिद, फिर संग्रहालय और अब फिर से मस्जिद बन गई है।
क्या है हागिया सोफिया का इतिहास
हागिया सोफिया या आयासोफ़िया तुर्की के इस्तांबुल शहर में स्थित एक चर्च था। इसका निर्माण रोमन सम्राट जस्टिनियन प्रथम के काल में 532 ईस्वी में हुआ था। उस समय यह संसार के सबसे बड़े चर्चों में एक था। माना जाता है कि इसने स्थापत्यकला के इतिहास को एक नया मोड़ दिया। सन् 1453 में कुस्तुनतुनिया शहर, जिसे बाद में इस्तांबुल नाम दिया गया, पर उस्मानिया सल्तनत ने कब्जा किया। उस्मानिया सल्तनत ने इस चर्च में तोड़फोड़ कर इसे मस्जिद बना दिया। उस्मानिया साम्राज्य के पतन के बाद वर्ष 1935 में देश की बागडोर मुस्तफा कमाल अतातुर्क के हाथ आई। कमाल अतातुर्क उदारवादी छवि के थे। उन्होंने तुर्की को मुस्लिम कट्टरपंथ से दूर कर आधुनिक व धर्मनिरपेक्ष देश बनाने का प्रयास किया। कमाल अतातुर्क ने हागिया सोफिया को लेकर चर्च व मस्जिद के विवाद को समाप्त करके उसे संग्रहालय बना दिया था। यह संग्रहालय यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल है।
यह इमारत इस वर्ष तब फिर चर्चा में आईं जब तुर्की की एक अदालत ने ईसाईयों व अन्य पक्षों की आपत्ति को दरकिनार करते हुए इसे मस्जिद करार दे दिया। अदालत के आदेश के बाद तुर्की के कट्टरपंथी माने जाने वाले राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन ने अन्तर्राष्ट्रीय चेतावनी की परवाह किए बगैर विगत 20 जुलाई को संग्रहालय को पुनः मस्जिद बना दिया। यानि, हागीया सोफिया 900 साल तक चर्च, 500 साल तक मस्जिद, फिर संग्रहालय और अब फिर से मस्जिद बन गई है।