कांग्रेस नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा मोदी सरकार को घेरने के चक्कर में हर बार नौसिखिया साबित हो रहे हैं और हंसी का पात्र बन जा रहे हैं। ठोस तथ्यों के अभाव और होम वर्क किये बगैर मोदी सरकार पर हमला करना अक्सर उनको भारी पड़ जाता है। सर्वाधिक चर्चित उदाहरण राफेल विमान सौदों का है। राफेल विमानों की खरीददारी को लेकर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाने में जमीन-आसमान एक कर दिया था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राहुल सोते-जागते राफेल में घोटाले का आरोप लगाते रहे। मगर उनके सारे आरोप फुस्स साबित हुए। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ही बुरी तरह से हार का सामना नहीं करना पड़ा, बल्कि खुद राहुल गांधी अपने परिवार की परम्परागत सीट अमेठी से चुनाव हार गए। सुप्रीम कोर्ट तक से राफेल मामले का निर्णय कांग्रेस के लिए निराशाजनक रहा। वर्तमान में कृषि विधेयकों के विरोध ने कांग्रेस, राहुल व प्रियंका की किरकिरी करा दी है।
क्या हैं ये अध्यादेश
कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार द्वारा संसद में पेश किये गए कृषि सम्बन्धी तीन विधेयकों का जोरदार विरोध कर रही है। मोदी कैबिनेट ने इस वर्ष जून में ‘कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020’, ‘किसानों (सशक्तिकरण और सरंक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं अध्यादेश, 2020’ तथा ‘आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश,2020’ पारित किये थे। सरकार संसद के वर्तमान सत्र में इन अध्यादेशों को कानूनी रूप देने के लिए जुटी हुई है।
अब तक किसानों पर हैं ये प्रतिबन्ध
इन अध्यादेशों के कानून बन जाने के बाद किसानों को कई तरह की सहूलियतें मिलेंगीं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अभी तक किसान अपने उत्पादों को केवल सरकार द्वारा निर्धारित मंडियों में लाइसेंसधारी व्यापारियों को ही बेच सकते हैं। सरकार द्वारा निर्धारित मंडियों के अलावा कहीं और अपने उत्पादों को बेचना किसानों के लिए प्रतिबंधित है। इस कारण किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पता है। किसानों के बजाय बिचौलिये और दलाल ज्यादा फायदा उठाते हैं।
किसानों को ये मिलेंगी सहूलियत
केंद्र सरकार के इन अध्यादेशों के लागू होने के बाद किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए एक मुक्त बाजार मिलेगा। वो अपनी सहूलियत और मर्जी से कही भी अपने उत्पाद बेच सकेंगे। बाजार में प्रतिस्पर्धा होने के कारण किसानों को उपज का उचित मूल्य मिलेगा। अध्यादेशों में ऐसे ही तमाम अन्य प्राविधान हैं, जो किसानों की खुशहाली बढ़ाने में कारगर साबित होंगे और किसानों को उनकी मेहनत के अनुरूप उन्हें उनका हक मिलेगा।
राहुल, प्रियंका समेत पूरी कांग्रेस विरोध में
कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस इन अध्यादेशों को पूरी तरह से किसान विरोधी बता रही है और उसके छोटे से लेकर बड़ा नेता बयानबाजी करने में लगा हुआ है। कांग्रेस के इस अभियान में भाई राहुल के बाद शनिवार को बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हो गईं। प्रियंका ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया और मोदी सरकार को किसान विरोधी बताया।
कांग्रेस ऐसे फंसी अपने जाल में
मोदी सरकार का विरोध करने से पहले राहुल, प्रियंका और कांग्रेस नेताओं ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जारी घोषणा पत्र पर ध्यान देने की जरुरत भी नहीं समझी। मोदी सरकार ने इन अध्यादेशों में जो प्राविधान किये हैं, उन्हें कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था। कांग्रेस के इस विरोध को बेपर्दा करने में पार्टी से निलंबित राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा ने जरा भी देर नहीं लगाई। झा ने ट्वीट कर कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में खुद इन प्राविधानों की हिमायत की थी।
सोशल मीडिया पर हो रही छीछालेदर
संजय झा के बयान के साथ कांग्रेस के लोकसभा घोषणा पत्र का वह पेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें पार्टी ने ये प्राविधान करने की बात कही थी। इसके साथ ही पार्टी के यूट्यूब चैनल पर मौजूद एक वीडियो भी जबरदस्त तरीके से वायरल हो रहा है। यह वीडियो वर्ष 2013 का है। इसमें राहुल गांधी कांग्रेस शासित 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस में बैठे हुए हैं। कांफ्रेंस को राहुल के साथ कांग्रेस नेता अजय माकन सम्बोधित कर रहे हैं। माकन कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक का हवाला देते हुए राहुल गांधी के सामने इन प्राविधानों को लागू किये जाने की जरुरत पर जोर देते हैं। सोशल मीडिया पर कांग्रेस, राहुल व प्रियंका की इस मामले को लेकर जमकर छीछालेदर हो रही है।