बीते एक वर्ष में कोरोना महामारी ने सभी को प्रभावित किया है। इस दौरान सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से देश के प्रत्येक वर्ग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हालांकि, समाज का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो लोगों का सहयोग करने के साथ-साथ समाज में सकारात्मकता फैलाने का कार्य भी कर रहा है। लेकिन, जैसे कि हर समाज की सच्चाई है… कुछ ऐसे समूह भी हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी सिर्फ नकारात्मकता परोसते हैं और वर्षों से क्रांतिकारी होने का ढोंग करने वाले लोग अब अपने-अपने बिल में छिपे हुए हैं।
अफजल गुरु की बरसी मनाने और भारत के टुकड़े करने के नारे लगाने के आरोप में देशद्रोह का मुकदमा झेल रहे कम्युनिस्ट पार्टी के नेता कन्हैया कुमार गायब हैं। उनकी ओर से कोरोना के खिलाफ जंग में कोई क्रांतिकारी पहल नहीं दिख रही।
वामपंथी मीडिया द्वारा क्रांतिकारी के रूप में प्रस्तुत किए गए कन्हैया कुमार जब देश में विपत्ति आई तो अपने बिल में जाकर छिप गए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं समय-समय पर मुख्यतः केंद्र की सरकार पर तंज कसने वाले कन्हैया कुमार खुद आगे बढ़कर किसी की भी मदद करते हुए नजर नहीं आ रहे।
एक अन्य़ कथित क्रांतिकारी हार्दिक पटेल, जिसके माध्यम से गुजरात में सरकार गिराने के लिए पाटीदार आंदोलन करवाया गया था, वह आज गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। हार्दिक पटेल वर्तमान समय में कहीं पर भी कोरोना वायरस महामारी से लोगों को बचाने के लिए सहयोग का पहल करते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं। हां, सोशल मीडिया पर अवश्य एक्टिव हैं।
अक्सर अपने विवादित ट्वीट के कारण चर्चाओं में रहने वाली स्वरा भास्कर भी वर्तमान संकट के समय गायब हैं। सरकार को तो कोस रही हैं, लेकिन अपने स्तर पर समाज या कुछ लोगों की सहायता को कोई कार्य किया हो तो हमें भी बताएं। जिन्हें सरकार के खिलाफ भड़का रही थीं, या जिनके साथ आंदोलन कर रही थीं, उनकी ही सहायता कर रही हों तो भी बताएं ?
गुजरात से विधायक और एक बड़े क्रांतिकारी जिग्नेश मेवाणी भी जमीन पर कहीं नज़र नहीं आ रहे हैं। इसके विपरीत वे ट्विटर पर क्रांति करते दिखाई दे रहे हैं और ट्विटर के माध्यम से फेक खबरें परोस रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने एक ट्वीट किया – ”मोदी जी के जन्मस्थल वडनगर में ऑक्सीजन प्लांट के फेल हो जाने के चलते 8 मरीजों की मौत हो गई। ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना दोबारा न हो उसे सुनिश्चित करने के बजाय या दोषियों के खिलाफ जांच के आदेश के बजाय रुपाणी सरकार लगी है हकीकत छुपाने में। क्या हो रहा है गुजरात में ? कहां है मोदी जी?”
मेवाणी के ट्वीट के बाद गुजरात के आरोग्य कमिश्नर को आधिकारिक बयान जारी करना पड़ा और स्पष्ट करना पड़ा कि वडनगर के अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट फेल होने की बात पूरी तरह गलत है। वडनगर में इस तरह का कोई भी हादसा नहीं हुआ है, यहां तक कि यहां मरीज की मौत होने की बात भी बेबुनियाद है।
साफ है कि इस तरह की गलत बात सोशल मीडिया में कहे जाने पर लोगों में डर का माहौल पैदा होता है। मगर मेवाणी जैसे कथित क्रांतिकारियों को इससे कोई लेना देना नहीं है। उन्हें तो अपनी क्षुद्र राजनीति से मतलब है।
इनके अलावा भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण व अन्य अनेक कथित क्रांतिकारी-समाजसेवी संकट के समय नजर नहीं आ रहे। जो नजर आ रहे हैं वो अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहे और समाज में नकारात्मकता फैलाने का ही काम कर रहे हैं। वामपंथी मीडिया और पत्रकार समूह जिन्हें आने वाले समय का नेतृत्वकर्ता बताते हुए नहीं थकता, जब देश पर विपत्ति आई है तो ये नेतृत्वकर्ता क्रांतिकारी नदारद हैं।