उत्तराखंड सरकार ने नैनीताल (Nainital) की सुंदरता में चार चांद लगाने वाली नैनी झील (Naini Lake) के सौंदर्य और सरंक्षण के लिए विशेष प्रयास शुरु किए हैं। सोमवार को अपने एक दिवसीय नैनीताल भ्रमण के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने नैनी झील में एक करोड़ की लागत से यूनडीपी (UNDP) के सहयोग से स्थापित दिव्य नैनी झील जल गुणवत्ता आंकलन प्रणाली का लोकापर्ण किया।
इस प्रणाली के तहत झील की जल गुणवत्ता के सतत मापन हेतु दो प्रोटियएस सेंसर स्थापित किए गए हैं। जिनसे झील के पानी की गुणवत्ता संबंधी आंकड़ों को एलईडी स्क्रीन पर आम जनमानस के लिए प्रसारित किया जा रहा है। झील की गुणवत्ता संबंधित आंकड़ों के सतत प्रदर्शन से स्थानीय लोगों व पर्यटकों को झील को स्वच्छ रखने हेतु जागरुकता बढ़ेगी। साथ ही जल गुणवत्ता के विस्तृत आंकड़ों एवं चेतावनी एसएमएस एवं मोबाइल ऐप द्वारा लोगों को प्रसारित की जाएगी। इन सेंसरों के जरिए झील का पूर्ण रासायनिक विश्लेषण किया जाएगा। इससे झील के अन्तर्जलीय वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं हेतु अनुकूल पर्यावरण विकास एवं प्रबंधन हो सकेगा और झील के सरंक्षण में सहयोग मिलेगा।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि नैनी झील अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए दुनिया भर मे जानी जाती है और सदैव से ही पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। उन्होंने कहा नैनी झील हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने सभी से नैनीझील को स्वस्थ व स्वच्छ रखने की अपील भी की। उन्होंने उम्मीद जताई कि झील के लिए स्थापित की गई जल गुणवत्ता प्रणाली जल संरक्षण के साथ ही जल की निर्मलता भी बनाए रखेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रदेश की नदियों, झीलों, तालाबों और जल स्रोतों को पुर्नजीवित करने के लिए व्यापक जन अभियान शुरु किया गया है, जिसमें सफलता मिली है। प्रदेश की कोसी, गगास, रिस्पना, शिप्रा नदियों में व्यापक वृक्षारोपण का कार्य किया गया है। सौंग व जमरानी बांध बनने से 125 करोड़ की बिजली बचत होगी। उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा में तड़ाग ताल के पुर्नजीवन एवं संरक्षण हेतु 10 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं।
इस अवसर पर स्थानीय विधायक संजीव आर्य ने क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं को मुख्यमंत्री के सम्मुख रखा।