राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल, (पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र) की गाजियाबाद में चल रही बैठक में पर्यावरण संरक्षण व वैश्विक महामारी कोरोना के कारण बदलते परिवेश में स्वयंसेवकों को और अधिक गंभीरता व जिम्मेदारी के साथ कार्य करने का आह्वान किया गया। कहा गया कि सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए स्वरोजगार, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन को कार्य का आधार बनाना चाहिए। बैठक में संघ कार्य की वर्तमान स्थिति की समीक्षा के साथ आगामी कार्यक्रमों पर विचार किया गया।
उल्लेखनीय है कि संघ की प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर कार्यकारी मंडल की बैठक आयोजित होती है। मगर कोरोना काल को देखते हुए इस वर्ष यह बैठक क्षेत्रीय स्तर पर हो रही है। संघ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में मेरठ, ब्रज व उत्तरांचल प्रान्त शामिल हैं। गाजियाबाद के नेहरू नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में चल रही दो दिवसीय बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह सुरेश जोशी, सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, डॉ कृष्ण गोपाल, डॉ. मनमोहन वैद्य, मुकुंद जी, अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख सुरेश चंद्र, अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख राजकुमार मटाले सहित 3 प्रान्तों के 20 प्रतिनिधि उपस्थित हैं।
बैठक में सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना के कारण सामाजिक परिवेश में परिवर्तन आया है। इस बदलते परिवेश में स्वयंसेवकों को अपनी कार्य भूमिका बदलने की आवश्यकता है। बैठक में निर्णय लिया गया कि कोरोना के कारण ऑनलाइन व परिवार शाखाओं को अब अपने पूर्व स्वरूप में आना चाहिए। शाखाओं को कोरोना संबंधी सावधानियों के साथ शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए खुले मैदानों में लगाने की बात की गई। राष्ट्रभक्ति, सेवा, संस्कार की भावना मजबूत करने के लिए साप्ताहिक कुटुंब-बैठकें प्रारम्भ करने का आह्वान किया गया। भारत की प्राचीन कुटुम्ब परंपरा में परस्पर स्नेह व सामंजस्य विशेषता रही है।
सरकार्यवाह सुरेश जोशी (भय्याजी जोशी) के अनुसार पर्यावरण संरक्षण वर्तमान समय की मांग है। उन्होंने कहा कि जब पर्यावरण संरक्षण का विषय आता है तो जल प्रबंधन, जल के दुरुपयोग की रोकथाम, प्लास्टिक उपयोग पर रोक जैसे जागरूकता अभियान चलाने होंगे। समाज में अधिक से अधिक पौधारोपण की अलख जगानी होगी। सभी प्रान्तों ने अपने यहां चल रहे पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों व अभियानों की जानकारी बैठक में दी।
बैठक में स्वदेशी निर्मित सामान के उपयोग से भारत को आर्थिक रूप से सशक्त करने की अवधारणा को साकार करने पर जोर दिया गया। इसके लिए छोटे उद्योग, ग्रामीण कुटीर उद्योग का सहयोग करने की बात कही गई। बैठक में कोविड-19 के दौर में स्वयंसेवकों द्वारा किए गए सेवा कार्यों की चर्चा-समीक्षा भी हुई। (विश्व संवाद केंद्र)