उत्तराखंड के इस लोकपर्व पर सीएम धामी ने दी प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं..
उत्तराखंड: प्रदेश में दीपावली के 11 दिन बाद भी दिपावली का त्यौहार मनाया जाता है। ये दीपावली गढ़वाल में मनाई जाती है और इसे इगास बग्वाल कहा जाता है। इसके साथ ही इसे बूढ़ी दीपावली भी कहा जाता है। प्रदेश में आज इगास बग्वाल की धूम है।प्रदेश में आज लोक पर्व इगास बग्वाल की धूम है। सुबह से ही पहाड़ों पर स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा की जा रही है। लोगों के घरों में पकवान बनाए जा रहे हैं। आज रात पहाड़ों पर भैलों की जगमग रोशनी में अपने उत्तराखंड का ये त्यौहार मनाया जाएगा।
इगास बग्वाल को खेला जाता है भैला..
इगास के त्यौहार के दिन और चौथी बग्वाल के दिन भैला खेलने का खास रिवाज है। अगर आप पहाड़ों के आंचल से ताल्लुक रखते हैं तो आपने अंधेरे में पहाड़ों को जगमगा देने वाली ये रोशनी जरूर देखी होंगी। पहाड़ों पर इगास बग्वाल के दिन आतिशबाजी नहीं होती बल्कि इस दिन सभी भैला खेलते हैं।जहां एक ओर उत्तराखंड में इगास बग्वाल की धूम है तो वहीं राजधानी दिल्ली में भी इस बार इगास बग्वाल का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा। दिल्ली में भी उत्तराखंड की रौनक देखने को मिलेगी। दिल्ली के बुराड़ी में भैलों खेला जाएगा। भैलों की जगमगाती रोशनी दिल्ली में भी देखने को मिलेगी।
इगास-बग्वाल, घुघुतिया त्यौहार पर राजकीय अवकाश घोषित करने की मांग..
देहरादून- उत्तराखंड क्रांति दल ने पर्वतीय पर्व इगास-बग्वाल और घुघुतिया में राजकीय अवकाश घोषित करने की मांग को लेकर सीएम को ज्ञापन भेजा है। कलेक्ट्रेट में डीएम के माध्यम से ये ज्ञापन दिया गया। यूकेडी के केंद्रीय महामंत्री जय प्रकाश उपाध्याय का कहना हैं कि उत्तराखंड में अपनी संस्कृति और विरासत को समेटे हुए दो प्रमुख त्योहार इगास बग्वाल और घुघुतिया बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं ।
यह त्यौहार देवभूमि की पहचान है। इगास का त्यौहार उत्तराखंडियों की दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ-साथ समृद्ध लोक संस्कृति का बड़ा प्रतीक है। वीर माधो सिंह भंडारी जब लड़ाई जीत कर घर लौटे तो उनके इंतजार में बैचेन पूरे इलाके ने जमकर खुशियां मनाई।
यह त्यौहार वीरता, शौर्य एवं अपनी प्रदेश के लिए त्याग का त्योहार है वहीं मकर सक्रांति पर मनाए जाने वाला घुघुतिया त्यौहार मुख्य रूप से प्रकृति से प्रेम का त्योहार है। इस दिन हम पक्षियों के प्रति अपने प्रेम का इजहार करते हैं और उनके लिए भी पकवान बनाते हैं।
उनको भी पकवान खाने के लिए आमंत्रित करते हैं ऐसी लोकप्रिय संस्कृति उत्तराखंड के अलावा कहीं और देखने को भी नहीं मिलता हैं। फिर भी हम इसका प्रचार एवं संरक्षण करने में असफल हो रहे हैं। इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जाने आवश्यक हैं। लिहाजा यूकेडी ने सरकार से मांग की हैं। कि वह इन दोनों त्योहारों पर सार्वजनिक अवकाश घोषित कर इसके प्रचार एवं प्रसार के लिए कार्यक्रम आयोजित करे।