विद्युत ट्रिपिंग की समस्या से मिलेगी निजात, अपडेट होगा ट्रांसमिशन सिस्टम..
उत्तराखंड: प्रदेश में ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी समय से काम नहीं हो पाया है, इसके चलते परियोजनाओं से उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने के काम में ट्रांसमिशन स्तर पर स्थितियां बेहद कमजोर दिखाई देती रही हैं। इसी में बेहतर बदलाव करने के लिए अब ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए प्राथमिकता तय करते हुए उन पर काम करने का निर्णय लिया गया है।
इसके लिए पूर्व में अपर सचिव ऊर्जा इकबाल अहमद की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित हो चुकी है जिसने अपनी रिपोर्ट शासन में सबमिट कर दी है। इस कमेटी ने राज्य में ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर के अपग्रेडेशन की जरूरत को लेकर सुझाव दिए हैं। इस सुझाव में प्राथमिकता के आधार पर ट्रांसमिशन को अपग्रेडेशन के लिए तीन चरण तय किए गए हैं। कमेटी ने राज्य में फिलहाल सबसे ज्यादा जरूरी ट्रांसमिशन अपग्रेडेशन के काम वाले स्टेशन पर जल्द से जल्द काम पूरा किए जाने के सुझाव दिए हैं। इन तीन चरणों में सबसे ज्यादा प्राथमिकता सबसे ज्यादा दबाव वाले ट्रांसमिशन को दी गई है।
इसके साथ ही मिड टर्म और लॉन्ग टर्म में भी ट्रांसमिशन को अपग्रेड करने का काम किया जाएगा। आपको बता दे कि राज्य में डिमांड बढ़ने के साथ ही विद्युत लाइनों पर बेहद ज्यादा दबाव बढ़ जाता है और ऐसी स्थिति में कई बार ट्रिपिंग की शिकायत भी सामने आती हैं। लोड बढ़ने पर लाइन ट्रिप कर जाती है और उसके कारण कई क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति पूरी तरह से बाधित हो जाती है। इतना ही नहीं कई बार ट्रांसमिशन को भी ऐसे हालातों में नुकसान भी झेलना पड़ता है। इन्हीं स्थितियों से निपटने के लिए ट्रांसमिशन को अपग्रेड किए जाने पर काम शुरू किया जा रहा है।
राज्य भर में ट्रांसमिशन के काम को करने के लिए भारी बजट की भी आवश्यकता होगी ऐसे में एक तरफ जहां ट्रांसमिशन के अपग्रेडेशन को बोर्ड की बैठक में मंजूरी दिलवाई जा चुकी है तो वहीं पिटकुल की लोन लेने की क्षमता को भी बढ़ाया गया है, ताकि इस काम में बजट को लेकर दिक्कत ना हो। उधर दूसरी तरफ तमाम परियोजनाओं को संचालित करने वाले निगम या अन्य संस्थाओं से भी समन्वय स्थापित किया जा रहा है। इसमें परियोजनाओं से विद्युत आपूर्ति के लिए बड़ी लाइनों को लेकर किस तरह से काम करना है इस पर भी निर्णय लेते हुए उसी के लिहाज से आने वाले दिनों में काम किए जाने के भी निर्देश जारी किए गए हैं।
शिक्षा विभाग को मिले 292 अतिथि शिक्षक, एक सप्ताह के भीतर होगी तैनाती
उत्तराखंड: प्रदेश में 292 अतिथि शिक्षकों का चयन किया गया है, खाली पदों के सापेक्ष 292 अभ्यर्थियों को पूर्व में तैयार की गयी। मेरिट सूची के आधार पर चयनित किया गया है। इन अतिथि शिक्षकों के चयनित होने के बाद शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अगले एक सप्ताह के भीतर इन अतिथि शिक्षकों को तैनाती दिए जाने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं। राज्य में अतिथि शिक्षकों का चयन विभिन्न चरणों में किया जा रहा है, इस बार तीसरे चरण के तहत इन शिक्षकों को चुना गया है।
प्रदेश में जिन अतिथि शिक्षकों का चयन किया गया है उसमें गणित के 46, भौतिक विज्ञान के 52, रसायन विज्ञान के 62, जीव विज्ञान के 32 और अंग्रेजी में 100 अतिथि शिक्षक शामिल हैं। तीसरे चरण के तहत चयनित किए गए अतिथि शिक्षकों में से चमोली जिले में विभिन्न विषयों के 43 अतिथि शिक्षकों की तैनाती की जाएगी। इसी तरह पिथौरागढ़ में 58, पौड़ी में 74, अल्मोड़ा में 52, उत्तरकाशी में तीन, टिहरी में आठ, नैनीताल में 7, चंपावत में 22, बागेश्वर में 19, रुद्रप्रयाग में 10 और देहरादून में तीन अतिथि शिक्षकों को तैनाती दी जाएगी।
इन सभी शिक्षकों को एक सप्ताह के भीतर तैनाती देने के निर्देश जारी हुए हैं। इन अतिथि शिक्षकों को ऐसे विद्यालयों में तैनाती दी जाएगी, जहां पर शिक्षकों की ज्यादा कमी दिखाई देगी। इस दौरान विभिन्न विषयों के आधार पर चयनित शिक्षकों को जरूरत के लिहाज से विद्यालय आवंटित होंगे। चयनित किए गए शिक्षकों में रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, अंग्रेजी और गणित विषयों के शिक्षकों को चुना गया है।
इससे पहले प्रवक्ता संवर्ग में 851 अतिथि शिक्षकों की तैनाती का निर्णय लिया गया था। जिसको दो चरणों में तमाम विद्यालयों में तैनाती के जरिए पूरा किया गया। जबकि इसके बाद मुख्य शिक्षा अधिकारी के स्तर पर विषयवार रिक्त पदों के सापेक्ष अतिथि शिक्षकों की डिमांड मांगी गई थी। उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए अलग-अलग प्रयोग किये जा रहे हैं। अतिथि शिक्षकों के जरिए सरकार विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को खत्म करने का प्रयास कर रही है। जिसमें काफी हद तक शिक्षा विभाग को कामयाबी भी मिल रही है।
उत्तराखंड में होम स्टे योजना में सब्सिडी के लिए कमरों की संख्या बढ़ाने की तैयारी, नीति में संशोधन का प्रस्ताव..
उत्तराखंड: पर्यटकों को ठहरने की सुविधा और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने को संचालित होम स्टे योजना में सब्सिडी के लिए कमरों की संख्या बढ़ाने की तैयारी है। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद नीति में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। वर्तमान में नीति के तहत अधिकतम छह नए कमरों के निर्माण के लिए प्रति कमरा 60 रुपये रुपये की राशि दी जाती है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में होम स्टे योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत नए कमरों के निर्माण व पुराने कमरों की सजा सज्जा के लिए सब्सिडी दी जाती है।
नए कमरों के लिए प्रति कमरे 60 हजार दिए जाते हैं, जबकि पुराने कमरों की मरम्मत व सजा सज्जा के लिए 25 हजार प्रति कमरा दिया जाता है। प्रदेश में अब तक छह हजार से अधिक होम स्टे पंजीकृत हो चुके हैं। होम स्टे योजना से जहां पर्यटकों को सस्ते दरों पर ठहरने के लिए कमरे के साथ प्राचीन संस्कृति और खानपान से रूबरू होने का मौका मिला है। साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। अब प्रदेश सरकार ने योजना में सब्सिडी के लिए कमरों की संख्या छह से बढ़ाकर 12 करने की तैयारी कर रही है।
उत्तराखंड सरकार का अवैध खनन पर वार, बढ़ाई जुर्माने की राशि..
उत्तराखंड: प्रदेश में अवैध खनन में पकड़ी जाने वाली पोकलेन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। ऐसे मामले में 10 टायर ट्रक-डंपर के पकड़े जाने पर जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी गई है। खनन की चोरी रोकने और माफिया पर शिकंजा कसने के लिए खनन विभाग ने खनिज की अवैध ढुलाई और खनन करने पर जुर्माना बढ़ा दिया है। निगरानी बढ़ाने के लिए खनन वाहनों में जीपीएस लगाना अनिवार्य होगा। शासन ने बुधवार को उत्तराखंड खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण का निवारण) (चतुर्थ संशोधन) नियमावली-2024 जारी कर दी है। इसके तहत खनिज की छोटे स्तर पर बिक्री के लिए 200 मीटर तक रिटेल भंडारण की अनुमति दी गई है।
नियमावली खनिजों के परिवहन प्रयुक्त होने वाले सभी वाहनों में जीपीएस लगाया जाना अनिवार्य किया गया है। जीपीएस और धर्मकांटा को भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के विभागीय ई- रवन्ना पोर्टल के साथ इंटीग्रेटेड किया जाएगा। इसके साथ खनिज ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले वाहनों का रूट एसडीएम, जिला खान अधिकारी और वाहन स्वामियों के समन्वय के साथ तय होगा। वाहन पर नंबर प्लेट न होने, अस्पष्ट होने और ई- रवन्ना न होने की स्थिति में पांच लाख तक जुर्माना जिला खान अधिकारी जिस स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट और रिटेल भंडारणकर्ता आदि से खनिज को लाया गया हो उस पर लगा सकेंगे।
नियमावली में रिटेल भंडारण को अनुमति दी गई, अब तुलनात्मक तौर पर छोटे स्तर भी कारोबार किया जा सकेगा। इसकी अनुमति पांच साल के लिए मिलेगी। यह दो सौ घनमीटर तक भंडारण कर सकेंगे। भंडारकर्ता को भंडारण क्षेत्रफल के संशोधन में सूचना समाचार पत्र में देगा, इस पर किसी व्यक्ति को आपत्ति है, तो सूचना की विज्ञप्ति प्रकाशित होने के 15 दिन में कर सकेगा।
दो से अधिक बार पकड़े गए वाहन को राज्य संपत्ति घोषित किया जाएगा
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के निदेशक राजपाल लेघा कहते हैं कि अवैध परिवहन में शामिल वाहनों पर जुर्माना बढ़ाया गया है, पहले दस टायर पर 50 हजार जुर्माना था, जो एक लाख किया गया है। पोकलेन पर भी जुर्माना बढ़ाया गया है। इसके अलावा दो या दो अधिक बार कोई ऐसा वाहन पकड़ा जाता है तो उसे आदतन अपराधी मानते हुए पकड़े गए वाहन का जब्त कर राज्य सरकार में समाहित कर राज्य संपत्ति घोषित कर दिया जाएगा। बुग्गी पर भी दो हजार का जुर्माना तय किया गया है।
किराए पर भूमि देने वालों की जिम्मेदारी तय हुई
अगर किसी व्यक्ति ने किराए पर भूमि खनिज भंडारण और खनन एक तय समय के लिए अनुमति दी है, यह अवधि निकल जाती है। उसके बाद उस जगह पर अवैध खनन और भंडारण पाए जाने पर उसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की होगी। साथ ही ई- रवन्ना प्रपत्रों की वैद्यता समाप्त होने के 72 घंटे में स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट आदि रिसीव नहीं करते हैं, तो ई- रवन्ना पत्र स्वत: विलोपित हो जाएंगे। ईश्ररवन्ना प्रपत्रों को डिजिटल करने और हाई सिक्योरिटी पेपर पर निर्गत किया जाएगा।
परिवार पहचान पत्र बनेगा कई तालों की मास्टर चाबी, सरकार करेगी MoU पर हस्ताक्षर..
उत्तराखंड: प्रदेश में परिवार पहचान पत्र योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकार अगले हफ्ते समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने जा रही है। इसके लिए एजेंसी का चयन कर लिया गया है। एजेंसी विभागों से योजनाओं के लाभार्थियों के आंकड़ों का विश्लेषण करने से लेकर इसकी मॉनिटरिंग तक का काम करेगी। सरकार का मानना है कि परिवार पहचान पत्र योजना के जरिये एकत्रित होने वाले आंकड़ों से सरकार की अन्य योजनाओं, रोजगार, उद्यम, जनगणना, निर्वाचन और शहरी व ग्रामीण घरों के बारे में ताजा जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।
यानी परिवार पहचान पत्र योजना की चाबी से सरकार सभी विभागों से जुड़ी वर्तमान और भावी योजनाओं के ताले खोल सकेगी। योजना के तहत दो तरह का परिवार पहचान पत्र उपलब्ध कराया जाएगा। पहला उन परिवारों के लिए जो स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। दूसरा उन लोगों के लिए, जिनका राज्य में आना-जाना लगा रहता है। परिवारों को यूजर आईडी व पासवर्ड दिया जाएगा, ताकि वे वेबसाइट पर अपने परिवार व सदस्यों के बारे में सूचनाओं को समय-समय पर अपडेट कर सकें।
पोर्टल तैयार, प्रकोष्ठ भी गठित
आपको बता दे कि परिवार पहचान पत्र का जिम्मा नियोजन विभाग को सौंपा गया है। नियोजन विभाग ने पहले चरण में राष्ट्रीय सूचना केंद्र के सहयोग से पोर्टल तैयार कर लिया है। इसी के जरिये योजना का संचालन और मॉनिटरिंग का कार्य होगा। नियोजन विभाग में एक प्रकोष्ठ का गठन कर दिया गया है, जिसमें योजनाकारों और विश्लेषकों को जिम्मेदारी दी गई है।
डुप्लीकेसी खत्म होगी, नहीं हो पाएगा फर्जीवाड़ा
परिवार पहचान पत्र बनने के बाद सरकार के पास प्रत्येक परिवार के बारे में यह जानकारी भी होगी कि वह किस-किस सरकारी योजना का लाभ ले रहा है। इससे योजनाओं में फर्जीवाड़े की आशंका कम होगी और डुप्लीकेसी नहीं हो पाएगी।
योजना से होंगे कई फायदे
1- सरकार के पास यह जानकारी होगी कि राज्य में कितने लोग बेरोजगार हैं।
2- लोगों को वेबसाइट पर यह जानकारी मिल सकेगी कि वे किन-किन योजनाओं के पात्र हैं और किनका लाभ ले रहे हैं।
3- परिवारों के उपलब्ध प्रमाणित आंकड़े जनगणना, निर्वाचन, सहकारिता, कृषि, उद्योग आदि के कार्यों में उपयोगी होंगे।
4- आंकड़े उपलब्ध होने से सर्वे कराने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
परिवार पहचान पत्र योजना के लिए जल्द एक एजेंसी के साथ हम एमओयू करने जा रहे हैं। यह एजेंसी योजना को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने में सहयोग करेगी। अन्य राज्यों का अध्ययन करने से हमें योजना को और प्रभावी बनाने में मदद मिली है।
सचिवालय और जिला कारागार सुद्धोवाला ईट राईट कैम्पस घोषित, सीएस ने सौंपा प्रमाण पत्र..
उत्तराखंड: भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, भारत सरकार (एफएसएसएआई) ने उत्तराखण्ड सचिवालय एवं जिला कारागार परिसर सुद्धोवाला को ईट राईट कैंपस घोषित किया है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिव, सचिवालय प्रशासन एवं महानिरीक्षक जेल को भारत सरकार द्वारा निर्गत प्रमाणपत्र सौंपते हुए इस पहल को महत्वपूर्ण, सराहनीय एवं कारगर बताया।
उत्तराखंड सचिवालय ईट राईट कैंपस के रूप में प्रमाणीकृत देश के चुनिन्दा सचिवालय परिसरों में शामिल हो गया है। सुरक्षित स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय दृष्टि से बेहतर भोजन उपलब्ध कराने एवं स्वच्छता के मानकों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा राज्य सचिवालय परिसर एवं जिला कारागार परिसर को ईट राईट कैंपस का प्रमाणपत्र निर्गत किया गया है।
मुख्य सचिव ने की सचिवालय प्रशासन की सराहना..
राज्य सचिवालय स्थित सभागार में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में इस सम्बन्ध में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर मुख्य सचिव द्वारा भारत सरकार की ओर से निर्गत ईट राईट कैम्पस प्रमाण पत्र को सचिवालय प्रशासन के सचिव दीपेन्द्र चौधरी एवं उपमहानिरीक्षक जेल को प्रदान किया गया। इस महत्वपूर्ण एवं कारगर पहल के लिए मुख्य सचिव ने सचिवालय प्रशासन की सराहना की और कार्यक्रम में मौजूद महानिरीक्षक जेल की ओर से ईट राईट कैंपस प्रमाणीकरण के लिए किए गए प्रयासों की प्रशंसा की।
राधा रतूड़ी ने इस उपलब्धि के लिए सचिवालय परिसर में कार्यशील विभिन्न खान-पान सेवाओं, इंदिरा अम्मा भोजनालय, जी.एम.वी.एन कैन्टीन के फूड सुपरवाइजर को अपनी ओर से शुभकामनाएं दी। उनका कहना हैं कि उन्हें सुरक्षित एवं स्वच्छ खाद्य पदार्थ के मानक अनुसार अपनी सेवाऐं बनाए रखने की कसौटी पर प्रतिदिन खरा उतरना चाहिए।
ज्योतिर्मठ आपदा को लेकर बीकेटीसी अध्यक्ष ने की बैठक..
आपदा सचिव और कमिश्नर अक्टूबर में जाएंगे ज्योतिर्मठ..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के साथ बैठक कर ज्योतिर्मठ आपदा को लेकर विचार विमर्श किया। सचिव ने कहा कि ज्योतिर्मठ की सुरक्षा के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। सचिवालय में हुई बैठक में अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि ज्योतिर्मठ क्षेत्र का दौरा कर आपदा प्रभावितों व स्थानीय लोगाें के साथ बैठक कर समस्याओं को सुना जाए। कहा, भू-धंसाव क्षेत्र में सुरक्षात्मक कार्यों और प्रभावितों की समस्याओं का समाधान करने के लिए तेजी से काम करने की जरूरत है।
सचिव आपदा प्रबंधन का कहना हैं कि अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय, चमोली डीएम और अन्य अफसरों संग ज्योतिर्मठ का भ्रमण कर लोगों से बैठक करेंगे। ज्योतिर्मठ नगर की सुरक्षा के लिए शासन गंभीर है। विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर भी लोगों से वार्ता कर समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है। बैठक में बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर सिंह पंवार भी मौजूद थे।
जस्टिस नरेंद्र जी होंगे उत्तराखंड हाईकोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश..
10 अक्टूबर को रिटायर हो रही हैं चीफ जस्टिस रितु बाहरी..
उत्तराखंड: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश नरेंद्र जी को उत्तराखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट की वर्तमान मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी 10 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रही हैं। न्यायमूर्ति नरेंद्र जी की नियुक्ति 10 अक्टूबर से प्रभावी मानी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने मंगलवार 24 सितम्बर को यह सिफारिश की है। न्यायमूर्ति नरेंद्र जी का पैतृक हाईकोर्ट कर्नाटक है और वे कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश रहे हैं। उनकी नियुक्ति 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट में हुई और 10 अक्टूबर 2023 को आंध्र प्रदेश स्थान्तरित हुए थे। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले, उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय में वकालत की। वह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायिक और प्रशासनिक पक्षों में काफी अनुभवी न्यायाधीश हैं।
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने की सिफारिश..
कॉलेजियम ने माना है कि वर्तमान में कर्नाटक उच्च न्यायालय का उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। न्यायमूर्ति नरेंद्र जी उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए उपयुक्त हैं। इसलिये 10 अक्टूबर 2024 को उत्तराखंड हाईकोर्ट की मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी की सेवानिवृत्ति के बाद न्यायमूर्ति नरेंद्र जी को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए। न्यायमूर्ति नरेंद्र जी का जन्म 10 जनवरी 1964 को हुआ है। उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स और एलएलबी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 23 अगस्त, 1989 को बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु में एक वकील के रूप में नामांकित हुए। 1989 से 1992 तक मद्रास उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की। वर्ष 1993 में उन्होंने अपना पंजीयन कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल में स्थानांतरित किया।
सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए दून से कर्णप्रयाग के बीच स्पीड तय..
उत्तराखंड: सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए देहरादून से कर्णप्रयाग के बीच सड़क पर वाहनों की गतिसीमा तय कर दी गई है। सड़क यातायात शिक्षा संस्थान (आईआरटीई) फरीदाबाद ने सड़क का सर्वे कर परिवहन मुख्यालय को रिपोर्ट सौंपी है। अब इसी आधार पर प्रदेश की अन्य सड़कों पर भी गति सीमा तय की जाएगी। हादसों पर लगाम लगाने के लिए परिवहन मुख्यालय ने आईआरटीई फरीदाबाद को ट्रायल के तौर पर सड़क के अध्ययन और गति सीमा तय करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। संस्थान के विशेषज्ञों ने सड़क पर ट्रैफिक दबाव, सड़क की चौड़ाई, ढलान, सुरक्षा उपायों, पूर्व के हादसों पर अध्ययन किया।
पूरी सड़क पर वाहनों की गतिसीमा 25 से 50 किमी प्रति घंटा तय की गई है। दून से ऋषिकेश के बीच अधिकतम 50 की गतिसीमा है, जबकि पर्वतीय क्षेत्र में कई जगहों पर 25 की गतिसीमा भी रखी गई है। संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह का कहना हैं कि आईआरटीई ने इस अध्ययन में पूरी सड़क को 22 हिस्सों में बांटकर उन पर यातायात दबाव व अन्य पहलुओं को देखते हुए यह गतिसीमा तय की है।
हर आधे किमी पर लगेंगे बोर्ड..
रिपोर्ट में ये भी सिफारिश की गई कि सड़क पर हर दाएं या बाएं मोड से पहले ही साइन बोर्ड लगाया जाएगा। हर आधे किलोमीटर पर ऐसे ही करीब 200 बोर्ड लगाए जाएंगे, ताकि दिन या रात में वाहन चलाने वालों को किसी तरह की असुविधा न हो। वह पहाड़ के टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर भी आसानी से सुरक्षित वाहन संचालन कर सकें।
अब अन्य सड़कों पर तय होगी गतिसीमा..
आईआरटीई की ओर से राज्य के परिवहन अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण में परिवहन विभाग के अधिकारियों को सड़कों पर गति सीमा तय करने के सभी मानक समझाए गए हैं। परिवहन विभाग के अधिकारी ही सभी मानकों के हिसाब से वाहनों की गति सीमा तय करेंगे। मुख्यालय के स्तर से गति सीमा में बदलाव का नियम तत्काल प्रभाव से लागू किया या है। कुछ सड़कों पर गति सीमा भविष्य के आयोजनों को देखते हुए भी तय की जाएगी।सचिव परिवहन बृजेश कुमार संत का कहना हैं कि गति सीमा को लेकर रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। इसका अनुपालन किया जा रहा है। अन्य सड़कों पर भी इसी पैटर्न पर वाहनों की गतिसीमा निर्धारित की जाएगी।
चारधाम यात्रा ने जोर पकड़ा, 22 दिन में यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में 1.45 लाख श्रद्धालुओं ने किया दर्शन..
उत्तराखंड: सीजन के दूसरे चरण में चारधाम यात्रा धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। इस माह के 22 दिन में ही गंगोत्री व यमुनोत्री धामों में 1.45 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं, इस साल यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा छह लाख के पार पहुंच चुका है। जबकि गंगोत्री धाम में भी 6.80 लाख श्रद्धालु पहुंच चुके हैं।मानसून सीजन में अतिवृष्टि के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आई थी। लेकिन अब बरसात थमते ही यह धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। इस माह 22 सितंबर तक दोनों धामों में अच्छी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। आने वाले दिनों में प्रशासन श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने की संभावना जता रहा है। जानकीचट्टी व फूलचट्टी के मध्य में भूस्खलन के कारण क्षतिग्रस्त सड़क के स्थान पर नवनिर्मित वैकल्पिक मार्ग पर यातायात शुरू कर दिया गया है।
दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या नया रिकॉर्ड है बना सकती..
जिला प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 10 मई को कपाट खुलने के बाद 136 दिन की यात्रा में यमुनोत्री धाम में कुल 602364 श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं गंगोत्री धाम में यह संख्या 680950 हो गई है। अभी यात्रा काल के लिए डेढ़ माह का समय शेष है, ऐसे में दोनों धामों में श्रद्धालुओं की दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या नया रिकॉर्ड बना सकती है। डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने चारधाम यात्रा से जुड़े सभी विभागों को यात्रियों की सुविधाओं के लिए व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त रखने एवं यमुनोत्री पैदल मार्ग पर तय एसओपी के अनुसार ही आवागमन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं।