गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ पर आयोजित होने वाली परेड में इस वर्ष केदारनाथ मंदिर की झांकी भी देखने को मिलेगी। भारत सरकार ने केदारखंड थीम पर आधारित उत्तराखंड राज्य की झांकी का अंतिम रूप से चयन कर लिया है।
उत्तराखंड के सूचना व लोकसंपर्क विभाग के महानिदेशक डॉ.मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि केंद्रीय रक्षा मंत्रालय में विभिन्न स्तरों पर आयोजित बैठकों के पश्चात उत्तराखण्ड राज्य की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में स्थान मिला है। इस वर्ष राज्य की ओर से प्रदर्शित की जाने वाली झांकी का विषय केदारखण्ड रखा गया है।
झांकी के अग्र भाग में राज्य पशु कस्तूरी मृग, राज्य पक्षी मोनाल व राज्य पुष्प ब्रह्मकमल तथा पार्श्व भाग में केदारनाथ मन्दिर परिसर और ऋद्धालुओं को दर्शाया गया है। झांकी के चयन हेतु रक्षा मंत्रालय में सूचना विभाग के उपनिदेशक के.एस.चौहान ने थीम, डिजाइन, मॉडल तथा संगीत आदि का प्रस्तुतिकरण किया, जिसके फलस्वरुप राज्य की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड-2021 में अन्तिम रुप से चयनित किया गया है।
सूचना विभाग के अनुसार झांकी डिजाइन के चयन की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। इस वर्ष प्रारम्भ में 32 राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेशों ने प्रतिभाग किया था, जिसमें से अंतिम रुप से केवल 17 राज्यों का चयन किया गया है।
इससे पूर्व उत्तराखण्ड राज्य द्वारा वर्ष 2003 में फुलदेई, वर्ष 2005 में नंदाराजजात, वर्ष 2006 में फूलों की घाटी, वर्ष 2007 में कार्बेट नेशनल पार्क, वर्ष 2009 में साहसिक पर्यटन, वर्ष 2010 में कुम्भ मेला हरिद्वार, वर्ष 2014 में जड़ी बूटी, वर्ष 2015 में केदारनाथ, वर्ष 2016 में रम्माण, वर्ष 2018 में ग्रामीण पर्यटन तथा वर्ष 2019 में अनाशक्ति आश्रम (कौसानी प्रवास एवं अनाशक्ति) विषयों पर आधारित झांकियों का सफल प्रदर्शन राजपथ पर किया जा चुका है।
कोरोना को मात देकर मंगलवार को सरकारी कामकाज संभालते ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए। पहला, उन्होंने नर्सिंग की भर्ती में मानकों में संशोधन के निर्देश दिए। दूसरा, राज्य के सरकारी विभागों में कार्यरत दिव्यांग कार्मिकों को सरकारी आवासों के आवंटन में मिलने वाला आरक्षण तीन से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने नर्सिंग प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं के ज्ञापन का संज्ञान लेकर सचिव स्वास्थ्य को निर्देश दिए कि नर्सिंग स्टाफ की भर्ती में आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर शीघ्र आगामी कैबिनेट में लाया जाए।
वर्तमान में प्रदेश में नर्सिंग स्टाफ के 1200 से ज्यादा पदों पर भर्ती की प्रक्रिया संचालित की जा रही है। इन पदों पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों से 30 बेड के अस्पताल में एक साल का अनुभव मांगा गया है। इसके साथ ही कुछ अन्य अहर्ताएं भी रखी गई हैं। इन अहर्ताओं के कारण बड़ी संख्या में प्रशिक्षित युवक नर्सिंग भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।
सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार नर्सिंग भर्ती के लिए अब 30 बेड के अस्पताल में एक साल के अनुभव की शर्त को हटाया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट के सम्मुख रखेंगे। इस संशोधन के बाद फार्म 16 की अनिवार्यता भी स्वत ही खत्म हो जाएगी।
इसके साथ ही, त्रिवेंद्र सरकार ने सरकारी आवासों के आवंटन में दिव्यांग कार्मिकों को मिलने वाला आरक्षण तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया है। राज्य सरकार के इस निर्णय से जाहिर तौर पर दिव्यांग कार्मिकों को अब पहले से ज्यादा संख्या में सरकारी आवास मिल सकेंगे।
दीगर है कि पूर्व में दिव्यांग कार्मिकों को सरकारी आवास पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। कई बार पात्र दिव्यांग कार्मिक सरकारी आवास पाने से वंचित रह जाते थे क्योंकि उस समय दिव्यांग कार्मिकों को केवल 3 प्रतिशत आरक्षण ही सरकारी आवासों के आवंटन में मिल पा रहा था लेकिन अब राज्य सरकार ने उनकी इस पीड़ा को समझते हुए इसे दूर करने का प्रयास किया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार से कामकाज शुरू कर दिया है। आइसोलेशन पीरियड पूरा करने के बाद उन्होंने नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर फाइलों का निस्तारण किया।
त्रिवेंद्र को 28 दिसंबर को डॉक्टरी जांच के लिए दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था, जहां से उन्हें 2 जनवरी को डिस्चार्ज किया गया। तब से वे दिल्ली आवास पर होम आइसोलेशन में थे।
यहां बता दें कि विगत 18 दिसंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उसके बाद उनकी रिपोर्ट सामान्य आ गई थी। तब से वे देहरादून में होम आइसोलेशन में थे। विधानसभा सत्र के दौरान उन्होंने सदन की कार्रवाई में वर्चुअली भाग लिया था।
इसके बाद हल्के बुखार की शिकायत के चलते वे एक दिन के लिए राजधानी के दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए थे। वहां डॉक्टरों ने उन्हें जरुरी परीक्षणों के लिए दिल्ली एम्स के लिए रेफर किया था।
सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए आमजन को दिक्कतों का सामना न करना पड़े। यह सुनिश्चित करने के लिए माह अक्टूबर में शुरू किया गया मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम यानी सीएम क्यूआरटी(क्विक रेस्पॉन्स टीम) तेजी से अपने लक्ष्यों को हासिल करने की ओर अग्रसर है। बीते तीन माह में इस सेवा के जरिए 70 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की समस्याओं का निराकरण किया गया। जबकि शेष शिकायतों पर भी कार्यवाही गतिमान है।
उत्तराखंड सरकार की दूरगामी नीति के अंतर्गत जरूरतमंदों की बुनियादी समस्याओं के निदान की दिशा में गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य रोजगार आदि शामिल हैं। राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश के निवासियों को मूलभूत सुविधाएं समय पर मिलें और कोशिश है कि सबकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति समय पर सुनिश्चित हो सके। यदि कहीं पर किसी की कोई शिकायत हो तो उसका तत्काल निदान किया जाए।
इसी उद्देश्य के साथ अक्टूबर माह में प्रदेश के सात जिलों में मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसमें जिला स्तर पर शिविरों का आयोजन जिलाधिकारी-सीडीओ के स्तर से किया जा रहा है। यूं तो 21 सितंबर को इस सेवा को शुरू किया गया लेकिन आधिकारिक रूप से जिलों में इस सेवा ने 1 अक्टूबर 2020 से कार्य करना प्रारंभ किया। तब से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक इस शिविरों के जरिए प्रदेशभर में लोगों की कुल 4025 शिकायतें विभिन्न विभागों को प्राप्त हुई जिनमें से 2904 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया है। यानि अब तक 70 प्रतिशत शिकायतों का निस्तरण किया जा चुका है।
इन विभागों की शिकायतों का हो रहा निदान
बिजली, सड़क, सिंचाई, वन, जल संस्थान, पेयजल निगम, जल संस्थान, स्वजल, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास, कृषि विभाग, राजस्व विभाग, पशुपालन विभाग, समाज कल्याण, उरेडा, जिला पंचायत, दूरसंचार, मंडी समिति, उद्यान विभाग, स्वास्थ्य विभाग, कृषि एवं भूमि संरक्षण, पर्यटन विभाग, पुलिस, पीएमजीएवाई, नलकूप विभाग, खाद्य आपूर्ति, उपकोषागार, ग्रामीण निर्माण विभाग, नगर पालिका आदि।
उत्तराखंड के रुड़की शहर में एक अजीबो-गरीब मामले ने पुलिस को भी परेशानी में डाल दिया। यहां दो महिलाएं एक युवक को अपना पति बताते हुए पुलिस के सामने ही भिड़ गईं। पुलिस ने डांट-फटकार कर महिलाओं को शांत किया और घर वापस भेजा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार को शहर की सिविल लाइन्स कोतवाली में दो महिलाएं एक युवक के साथ पहुंचीं। दोनों महिलाएं युवक को अपना-अपना पति बताते हुए हंगामा करने लगीं। एक महिला ने कहा कि उसकी युवक के साथ सात वर्ष पूर्व शादी हुई है और उसका एक बेटा भी है। दूसरी महिला ने कहा कि उसकी युवक के साथ तीन साल पहले मुलाकात हुई थी। दोनों की मुलाक़ात पहले दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई। बाद में दोनों ने मंदिर में शादी कर ली थी। उसका भी एक बच्चा है।
दोनों महिलाएं पति पर अधिकार को लेकर कोतवाली में काफी देर तक बहस करती रहीं और हंगामा करने लगीं। पुलिस ने काफी समझाने की कोशिश की। मगर दोनों मानने को तैयार नहीं हुईं। दोनों महिलाएं पति को अपने-अपने साथ रखने की जिद पर अड़ गईं। आखिर में पुलिस ने थोड़ा सख्त रुख दिखाया और दोनों महिलाओं को मामले का निपटारा आपस में करने की बात कह कर घर भेज दिया।
नेपाल सीमा से जुड़े उत्तराखंड के चम्पावत जिले के गुमदेश क्षेत्र में बिल जमा नहीं करने पर विद्युत विभाग ने भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के टावरों की बिजली काट दी। विद्युत विभाग की इस कार्रवाई का झटका क्षेत्र के मोबाइल फोन उपभोक्ताओं को लगा है। क्षेत्र के उपभोक्ताओं का संचार संपर्क दुनिया से कट गया है और उपभोक्ताओं के फोन शोपीस बन गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस दूरस्थ क्षेत्र में अधिकांश उपभोक्ता बीएसएनएल की ही सेवा पर निर्भर हैं। बीएसएनएल पर विद्युत विभाग का काफी बकाया चल रहा है। विद्युत विभाग ने दिसंबर माह में बीएसएनएल को नोटिस भी जारी किया था। मगर बीएसएनएल ने बिल जमा नहीं किया। इस पर विद्युत विभाग ने क्षेत्र के कुछ मोबाइल टॉवरों की बिजली काट दी। बताया जा रहा है की विद्युत विभाग कुछ अन्य टावरों की भी बिजली काटने की तैयारी में है। इसके लिए विभाग ने बीएसएनएल को नोटिस दे दिया है।
संचार सुविधा ठप होने से क्षेत्र की जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। खास कर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के अलावा बैंकिंग सुविधाओं पर भी इसका असर पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में साल 2020 में उत्तराखंड में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। बातें कम, काम ज्यादा की तर्ज पर इस वर्ष राज्य में तेजी से विकास कार्य हुए। एक ओर वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ाई लड़ी गई, वहीं राज्य को नई दिशा देने वाले फैसले लिए गए। इस वर्ष जनभावनाओं का सम्मान देखा गया तो वर्षों से लम्बित परियेाजनाओं को पूरा होते हुए भी देखा गया। यदि इस वर्ष की महत्वपूर्ण घटनाओं पर नजर डालें तो उत्तराखंड में वर्ष 2020 में विकास ने निश्चित रूप से गति पकड़ी है। आइये जानते हैं सरकार की इस साल की उपलब्धियों के बारे में।
गैरसैंण बनी ग्रीष्मकालीन राजधानी
गैरसैैंण राज्य आंदोलन की मूल भावना थी। गैरसैंण प्रतीक है, समूचे पर्वतीय क्षेत्रों के विकास का। इसी भावना और सोच के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने गैरसैंण-भराड़ीसैंण को उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। इस वर्ष 4 मार्च को मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में आयेाजित बजट सत्र के दौरान उत्तराखण्डवासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए गैरसैण-भराड़ीसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा की और 8 जून को बाकायदा अधिसूचना जारी कर दी गई।
चार धाम देवस्थानम बोर्ड का विधिवत गठन
राज्य गठन के बाद किया गया सबसे बड़ा साहसिक और ऐतिहासिक फैसला है, देवस्थानम बोर्ड बनाना। 15 जनवरी 2020 को विधिवत रूप से ‘उत्तराखण्ड चार धाम देवस्थानम बोर्ड’ का गठन किया गया। भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक-हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है। देवस्थानम बोर्ड का गठन भविष्य की जरूरतों को देखते हुए किया गया है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
वर्ष 2020 में त्रिवेंद्र सरकार की एक बड़ी देन है ‘मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना’। 28 मई को प्रारम्भ की गई यह योजना कोराना काल में वापस आए प्रवासियों और राज्य के युवाओं को सम्मानजनक तरीके से आजीविका प्रदान करने का बड़ा माध्यम बन रही हैै। एमएसएमई के तहत ऋण और अनुदान की व्यवस्था है। इसमें विनिर्माण में 25 लाख रूपये और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रूपये तक की परियोजनाओं पर ऋण की व्यवस्था है।
किसानों की खुशहाली
इस वर्ष राज्य सरकार ने किसानों के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए। पं.दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना में बिना ब्याज के किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे ऋण की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रूपए कर दिया गया है। इसी प्रकार स्वयं सहायता समूह पांच रूपए तक का ब्याज मुक्त ऋण का लाभ ले सकते हैं। प्रदेश में पहली बार गन्ना किसानों का 100 प्रतिशत भुगतान, किया गया है।
केवल 1 रूपए में ग्रामीण घरों में पानी का कनेक्शन
प्रदेश में ग्रामीण घरों को पीने के पानी का कनेक्शन केवल 1 रूपए में दिया जा रहा है जो कि पहले 1360 रूपए था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के हर घर को नल से जल के मिशन को प्रदेश में तेजी से आगे बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इसी प्रकार मुख्यमंत्री ने शहरी क्षेत्रों में भी गरीब परिवारों को केवल 100 रुपये में पानी का कनेक्शन देने का निर्णय लिया है जो कि पहले 6000 रुपये था।
गुड गर्वनेंस के लिए ई गर्वनेंस
जनवरी माह में प्रदेश मंत्रीमण्डल की पहली ई-केबिनेट बैठक हुई। राज्य में ई-आफिस की प्रक्रिया में भी तेजी लाई गई। सचिवालय के लगभग सभी अनुभागों में ई-आफिस शुरू किया जा चुका है। 3773 फाईलें ई-आफिस के माध्यम से बना दी गई हैं। सचिवालय के साथ ही 27 विभाग ई-आफिस प्रणाली के अन्तर्गत आ चुके हैं। कई जिलों के जिलाधिकारी कार्यालयों में ई-आफिस प्रणाली शुरू। राज्य के हर न्याय पंचायत से ई-पंचायत सेवा उपलब्ध कराने वाला उत्तराखण्ड देश का तीसरा राज्य बन गया है।
हेल्थ सिस्टम को मजबूती और कोरोना से जंग
कोराना काल में राज्य में हेल्थ सिस्टम को काफी मजबूत किया गया है। राज्य में पर्याप्त संख्या में कोविड अस्पताल, आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, आक्सीजन सपोर्ट बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। अटल आयुष्मान योजना में लगभग 40 लाख लोगों के गोल्डन कार्ड और 2 लाख 12 हजार मरीजों को निःशुल्क उपचार, जिन पर 203 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया गया है। राज्य और जिला स्तर पर कोविड-19 वैक्सीन वितरण और भण्डारण के लिये टास्क फोर्स गठित की गई है। इसका आवश्यक डाटा संकलित किया जा चुका है, अन्य तैयारियां गतिमान हैं।
शिक्षा के उन्नयन और गुणात्मक सुधार हेतु उत्कृष्ट कार्य करने वाले सरकारी शिक्षकों को उत्तराखंड सरकार द्वारा दिए जाने वाले शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार के लिए 19 शिक्षकों का चयन किया गया है। इनमे 8 प्रारम्भिक व 11 शिक्षक माध्यमिक शिक्षा के हैं। प्रारम्भिक शिक्षा में उत्कृष्टता पुरस्कार पाने वालों में महिला शिक्षिकाओं का बोलबाला रहा। शिक्षा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने मंगलवार को शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कारों की घोषणा की। यह पुरस्कार वर्ष 2018 के लिए दिए जाएंगे।
प्रारम्भिक शिक्षा में जिन अध्यापकों को इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है, उनमें प्राथमिक विद्यालय, बैनोली भरदार(रुद्रप्रयाग) से अंजू लिंगवाल, उच्च प्राथमिक विद्यालय, आमपाटा (टिहरी गढ़वाल) से मधु नेगी, आवासीय विद्यालय नाभा हाउस, ऋषिकेश से सुशीला बर्त्वाल, प्राथमिक विद्यालय, टाउन (पिथौरागढ़) से रुबीना खान, कन्या जूनियर हाई स्कूल, मन्यूड़ा (बागेश्वर) से निर्मला आर्य, उच्च प्राथमिक विद्यालय, सूर्यागांव (नैनीताल)से संतोष कुमार जोशी, प्राथमिक विद्यालय, लमगड़ा (अल्मोड़ा) से दीपा आर्य व प्राथमिक विद्यालय, कचनाल गाजी (उधमसिंह नगर) से किरण शर्मा शामिल हैं।
माध्यमिक शिक्षा में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, पुरोला (उत्तरकाशी) की बनिता पंवार, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, कुजासु पोखरी (चमोली) के गिरीश चंद्र डिमरी, राजकीय इंटर कॉलेज, रुद्रप्रयाग के विनोद प्रकाश भट्ट, राजकीय इंटर कॉलेज, मंजाकोट चौरास (टिहरी) के डॉ.अशोक कुमार बड़ोनी, गुरु रामराय इंटर कॉलेज, सहसपुर (देहरादून) के रविंद्र कुमार सैनी, राजकीय इंटर कॉलेज, खौलाचौंरी कोट (पौड़ी) के वीरेंद्र प्रसाद खंकरियाल, राजकीय इंटर कॉलेज, धारचूला (पिथौरागढ़) के बहादुर सिंह कुंवर, राजकीय इंटर कॉलेज, चम्पावत के सुरेश राम, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सल्यूड़ा (नैनीताल) के शम्भूदयाल शाह, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, स्याल्दे (अल्मोड़ा) की गीता रानी व राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, तुर्कागौरी (उधमसिंह नगर) के नरेंद्र पाल सिंह पुरस्कार के लिए चयनित हुए हैं।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने जल जीवन मिशन के तहत सभी स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में पेयजल की उपलब्धता का टारेगट शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। सोमवार को आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव ने यह निर्देश अधिकारियों को दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत निर्धारित मानकों का पूर्णतः पालन करते हुए पेयजल उपलब्ध कराया जाए और इसकी लगातार मॉनिटरिंग भी हो। जिलाधिकारी भी कार्यों की प्रगति बैठक समय-समय पर लेते रहें।
उन्होंने सुस्ती दिखाने पर कार्रवाई की चेतावनी देते हुए, रिपोर्ट उनके कार्यालय को शीघ्र भेजे जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि योजना को प्राथमिकता पर लेते हुए जनपद मुख्यालयों में रिक्त अवर अभियंता व सहायक अभियंता के पदों पर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि मुख्य अभियंता फील्ड में जाएं और समस्याओं का निराकरण करें। साथ ही चीफ इंजीनियर भी लगातार भ्रमण करें।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में कमी न हो इसके लिए जल जीवन मिशन में तेजी लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि पानी मौलिक आवश्यकता है। प्रत्येक घर तक इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
इस अवसर पर जल संस्थान एवं जल निगम के अधिकारी तथा वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी जिलाधिकारी जुड़े थे।
देहरादून। कोरोना महामारी के चलते प्रशासन ने क्रिसमस व नए साल पर आयोजित होने वाले सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है।
राजधानी देहरादून के जिलाधिकारी डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव द्वारा जारी आदेश के अनुसार 25 दिसंबर को क्रिसमस तथा 31 दिसंबर व 1 जनवरी को नव वर्ष के अवसर पर होटल, बार, रेस्टोरेंट व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सामूहिक कार्यक्रमों और पार्टी के आयोजन की अनुमति नहीं होगी।
प्रशासन ने इस आदेश का अनुपालन अनिवार्य बताया है और चेतावनी दी है कि आदेश के उल्लघंन की स्थिति में आपदा प्रबन्धन अधिनियम, उत्तराखंड महामारी अधिनियम समेत भारतीय दंड संहिता आदि के तहत कार्रवाई की जाएगी।