पिथौरागढ़ और चमोली के कीड़ाजड़ी और गुच्छी मशरूम को वन उपज की श्रेणी में लाने की तैयारी
उत्तराखंड: पिथौरागढ़ और चमोली के उच्च हिमालय में लोग कीड़ाजडी के विदोहन के लिए जाते हैं। इसके अच्छे खासे दाम होते हैं। इसी तरह गुच्छी मशरूम की खासी डिमांड होती है। वन विभाग उच्च हिमालय के क्षेत्र में मिलने वाले कीड़ाजड़ी (यारसागुंबा) और गुच्छी मशरूम को वन उपज की श्रेणी में लाने की तैयारी है। इसके लिए वन मुख्यालय में हुई बैठक में फैसला लिया गया था कि जल्द ही प्रस्ताव बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। वन महकमे के अनुसार वन उपज की श्रेणी में आने के बाद कीड़ाजड़ी के अनियंत्रित विदोहन रोकने में मदद मिलेगी
तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर अप्रैल में जब बर्फ पिघलती है तो पिथौरागढ़ और चमोली के उच्च हिमालय में लोग कीड़ाजडी के विदोहन के लिए जाते हैं। इसके अच्छे खासे दाम होते हैं। इसी तरह गुच्छी मशरूम की खासी डिमांड होती है। जो बहुत महंगा बिकता है। यह दोनों हिमालय में होते हैं लेकिन अभी तक वन उपज की दोनों श्रेणियों में नहीं हैं। वर्ष-2018 में एक आदेश हुआ था। जिसमें कहा गया था कि कीड़ाजड़ी के लिए रवन्ना कटेगा और प्रति सौ ग्राम तक कीड़ाजड़ी के लिए संबंधित व्यक्ति को एक हजार रुपये तक राशि देनी होगी। इसके अलावा अन्य सूचना भी रेंजर के पास दर्ज करानी होगी। पर इस आदेश का कोई बहुत ज्यादा अनुपालन नहीं हो सका। अब नए सिरे से कोशिश को शुरू किया गया है।
अनियंत्रित विदोहन रोकने में मिलेगी मदद..
वन महकमे के अनुसार वन उपज की श्रेणी में आने के बाद कीड़ाजड़ी और गुच्छी के विदोहन का काम व्यवस्थित तरीके से हो सकेगा। कौन विदोहन कर रहा है कहां पर विदोहन किया जा रहा है। कितनी मात्रा में विदोहन हुआ है समेत अन्य जानकारी भी विभाग के पास रहेगी। इसके साथ ही कीड़ाजड़ी को लेकर वन उपज को लेकर दुविधा की स्थिति रहती है वह साफ हो सकेगी। स्पष्ट होने के बाद नियम को लागू कराने में मदद मिलेगी। इसके लिए ट्रांजिट फीस भी संबंधित व्यक्ति को देना होगा, इससे सरकार को राजस्व भी मिलेगा।
प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन कहते हैं कि बीते एक बैठक हुई थी, इसमें कीड़ जड़ी और गुच्छी मशरूम को वन उपज की श्रेणी में लाने का फैसला हुआ था, अब इसके मिनट्स बने हैं। आगे प्रस्ताव बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। मुख्य वन संरक्षक वन पंचायत डॉ. पराग मधुकर धकाते कहते हैं कि वन उपज में आने के बाद अनियंत्रित विदोहन को रोकने में मदद मिलेगी साथ ही राजस्व की प्राप्ति भी होगी।
जीका वायरस को लेकर सरकार अलर्ट, केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए जारी की एडवायजरी..
देश-विदेश: केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को जीका वायरस को लेकर एडवाइजरी जारी की है। ये एडवाइजरी हाल में महाराष्ट्र में पाए गए जीका वायरस को लेकर जारी की गई है। सरकार ने सभी राज्यों से आग्रह किया है कि वे अपने यहां प्रेग्नेंट महिलाओं में इस वायरस की जांच के जरिए निरंतर निगरानी बनाए रखें। केंद्र ने राज्यों को यह भी सलाह दी है कि वे गर्भवती महिलाओं में संक्रमण की जांच करके और जीका के लिए पॉजिटिव टेस्ट पाए जाने वाली गर्भवती महिलाओं के भ्रूण विकास पर निगरानी भी निरंतर बनाए रखें।
स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने एडवाइजरी में कहा, चूंकि जीका प्रभावित गर्भवती महिला के भ्रूण में माइक्रोसेफली और न्यूरोलॉजिकल परिणामो से जुड़ा हुआ है, इसलिए राज्यों को सलाह दी गई है कि वे डॉक्टरों को निगरानी के लिए अलर्ट करें। राज्यों से आग्रह किया जाता है कि वे प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं या प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले मामलों को संभालने के लिए गर्भवती महिलाओं की जांच करें, जीका के लिए पॉजिटिव पाए जाने वाली गर्भवती माताओं के भ्रूण के विकास की भी निगरानी करें। इसी के साथ राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे समाज के बीच डर को कम करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्मों पर एहतियाती आईईसी संदेशों के माध्यम से जागरुकता को बढ़ावा दें, क्योंकि जीका किसी भी अन्य वायरल संक्रमण की तरह है, जिसके अधिकांश मामले लक्षणहीन और हल्के होते हैं। हालांकि, इसे माइक्रोसेफली से जुड़ा हुआ बताया जाता है, लेकिन 2016 के बाद से देश में जीका से जुड़े माइक्रोसेफली की कोई रिपोर्ट नहीं आई है।
क्या होता है जीका वायरस?
जीका डेंगू और चिकनगुनिया की तरह एडीज मच्छर की वजह से होने वाली वायरल बीमारी है। यह एक गैर-घातक बीमारी है। हालांकि, जीका से प्रभावित गर्भवती महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में माइक्रोसेफली (सिर का आकार कम होना) होता है, जो इसे एक बड़ी चिंता का विषय बनाता है। बता दे कि 2024 में भारत में जीका वायरस के 8 केस मिले हैं। जिन्में पुणे से 6, कोल्हापुर और संगमनेर से एक-एक मामला सामने आया है।
भारी संख्या में बाबा बर्फानी के दर्शन करने पहुंच रहे श्रद्धालु..
देश-विदेश: इस साल भारी संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए अमरनाथ पहुंच रहे हैं। इतनी संख्या में दर्शन कर श्रद्धालुओं ने इतिहास रच दिया है। बताया जा रहा है कि हर दिन 20 हजार से ज्यादा लोग पवित्र गुफा के दर्शन कर रहे हैं। इतनी संख्या में बाबा बर्फानी के दर्शन कर श्रद्धालुओं ने इतिहास रच दिया है। अमरनाथ यात्रा शुरु होने के सिर्फ 5 दिनों में कुल 1,05,282 भक्तों ने बाबा अमरनाथ के दर्शन किए हैं। ये यात्रा 29 जून से शुरु हो गई थी।
आपको बता दें कि पहले पांच दिनों में ही एक लाख से ज्यादा भक्तों ने बाबा बर्फानी के दर्शन कर लिए हैं। पिछले साल के मुकाबले यह आंकड़ा काफी ज्यादा है। अकेले 3 जुलाई को 30,586 तीर्थयात्रियों ने अमरनाथ के दर्शन किए। अमरनाथ श्राइन बोर्ड और प्रशासन की तरफ से किए गए इंतजानों से यात्री इस बार काफी उत्साहित हैं। खास इंतजामों के चलते भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं। सुरक्षा के इंतजामों मे कोई कमी नहीं है। इसके साथ ही पवित्र गुफा के दोनों मार्गों पर तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए करीब 1 लाख से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। साथ ही तीर्थयात्रियों की सेवा के लिए लखनपुर पवित्र गुफा तक विभिन्न धार्मिक संगठनों द्वारा 132 से अधिक नि:शुल्क लंगर की व्यवस्था की गई है।
उत्तराखंड पुलिस के 2 दारोगाओं पर केदारनाथ में महिला श्रद्धालु से छेड़छाड़ का आरोप..
एक साल पुराने मामले में अब हुए सस्पेंड..
उत्तराखंड: प्रदेश मे एकाएक महिला उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे है। उत्पीड़न के आरोप भी उन पर लग रहे है जिनके जिम्मे महिला अपराध की रोकथाम है। पंतनगर मे हुई घटना के बाद अब रुद्रप्रयाग से एक युवती को चौकी की महिला पुलिस कैंप मे रोक क़र शराब के नशे मे दरोगा द्वारा छेड़छाड़ करने का मामला सामने आया है। युवती ने चौकी इंचार्ज केदारनाथ पर भी महिला पुलिस कैंप का दरवाज़ा बंद करने का आरोप लगाया है। युवती मध्यप्रदेश से केदारनाथ धाम दर्शन के लिए आयी थी। आपको बता दे कि यह संदेश अचानक या बेवजह नहीं था। बताया गया है कि करीब एक साल पुराने मामले में हुई कार्रवाई के बाद पुलिस महानिदेशक ने पुलिसकर्मियों को यह संदेश दिया है। दरअसल यह पूरा प्रकरण रुद्रप्रयाग जिले का है। यहां पिछले साल एक महिला द्वारा दो पुलिस दारोगाओं पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था।
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश निवासी एक युवती ने शिकायत क़र बताया कि वह बीते साल 26 मई को पैदल केदारनाथ दर्शन के लिए आयी थी। दर्शन के बाद उनको हेलीकाप्टर से वापस आना था। परन्तु मौसम ख़राब होने की वजह से हेलीकाप्टर सेवा बंद हो गई। जिस कारण उन्होंने वही रुक क़र होटल तलाश किए। होटल खाली ना मिलने के बाद उन्होंने चौकी प्रभारी केदारनाथ अंजुल रावत से सम्पर्क किया। चौकी प्रभारी ने उनको महिला पुलिस कैंप मे रुकने को कहा और आश्वासन दिया कि उनके साथ एक महिला कांस्टेबल भी रुकेगी। लेकिन देर रात तक कोई महिला कांस्टेबल वहा नहीं आयी। जिसके बाद शराब के नशे मे दरोगा कुलदीप सिंह ने उनके साथ गंदी हरकते की। आरोप है कि ज़ब युवती ने अपने परिजनों को फ़ोन मिलाने का प्रयास किया तो कुलदीप ने युवती के साथ ज़बरदस्ती करने लगा और चौकी प्रभारी मंजुल रावत ने बाहर से महिला कैंप का दरवाज़ा बंद कर दिया। जिसके बाद बड़ी मुश्किल से युवती ने कैंप से बाहर निकल क़र अपनी जान बचाई। वही, सोनप्रयाग पुलिस ने मंजुल रावत व कुलदीप सिंह के खिलाफ छेड़छाड़ की धराओ मे मुकदमा दर्ज कर लिया है। साथ ही दोनों को ससपेंड भी क़र दिया गया है।
तीन बार टेंडर निकालने के बाद भी कोई हेली कंपनी आने को तैयार नहीं, कैसे होगा आपदा में राहत एवं बचाव कार्य..
उत्तराखंड: आपदा में हेलिकॉप्टर से राहत बचाव कार्य करने की सरकार की योजना पर हेली कंपनियां ही पानी फेर रही हैं। हालात ये है कि तीन बार टेंडर निकालने के बाद भी कोई हेली कंपनी आने को तैयार नहीं है। अब उत्तराखंड नागरिक उड्डयन एवं आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने नए सिरे से टेंडर निकाला है।राज्य में हर साल मानसून सीजन में आपदा बड़ी चुनौती लेकर आती है। आपदा में राहत बचाव कार्यों में भी खासी परेशानी आती है। ऐसे में सरकार ने तय किया था कि आपदा में राहत बचाव कार्यों के लिए अलग से हेलिकॉप्टर तैनात किए जाएंगे। ये भी तय हुआ था कि उत्तराखंड नागरिक उड्डयन एवं विकास प्राधिकरण (युकाडा) इसके लिए हेलिकॉप्टर का इंतजाम करेगा। जिसका खर्च आपदा प्रबंधन विभाग वहन करेगा।
इसके लिए युकाडा ने मई माह में टेंडर निकाल दिया था लेकिन कोई कंपनी नहीं आई। इसके बाद जून माह में टेंडर जारी किया लेकिन फिर भी किसी हेली कंपनी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब युकाडा ने जुलाई में तीसरी बार टेंडर निकाला है। यह हेलिकॉप्टर देहरादून के सहस्त्रधारा स्थित हेलिड्रोम पर तैनात किया जाना है। जो आपदा आने पर तत्काल राहत, बचाव कार्यों में इस्तेमाल हो सकेगा।
कंपनियों का न आना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा..
माना जा रहा है कि हेली कंपनियां इसे खतरों से भरा काम मानते हुए गुरेज कर रही हैं। दूसरी ओर कमाई वाली केदारनाथ हेली सेवा में हेलिकॉप्टर चलाने को लेकर इस बार भी हेली कंपनियों में मारामारी थी। इनमें से नौ कंपनियों ने मानसून से पहले राज्य में हेली सेवाएं दीं। वर्तमान मानसून सीजन में भी दो कंपनियां की केदारनाथ हेली सेवा चला रही हैं। लेकिन बार-बार टेंडर के बावजूद कंपनियों का न आना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है।
प्रदेश में पहले प्रयास के तौर पर गढ़वाल मंडल में और दूसरे प्रयास में कुमाऊं मंडल में अलग-अलग हेलिकॉप्टर तैनात किए जाने थे। पहला ही प्रयास विफल हो गया है। कुमाऊं को भी आपदा राहत में हेलिकॉप्टर के लिए इंतजार करना होगा। हालांकि युकाडा को उम्मीद है कि पहले हेलिकॉप्टर में इस बार कामयाबी मिल सकती है।
हाथरस हादसे से सबक, अब यहां में सत्संग-मेलों में भीड़ नियंत्रण के लिए बनेगी SOP..
उत्तराखंड: हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ के बाद उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने भी अतिरिक्त सुरक्षा बरतने के निर्देश दिए हैं। एडीजी कानून व्यवस्था एपी अंशुमान ने सभी जिला प्रभारियों को कहा है कि मेले व अन्य आयोजन की अनुमति से पहले ही भीड़ नियंत्रण के प्रबंध देखे जाएं। यदि वहां पर पर्याप्त प्रबंध नहीं हैं तो एनओसी न दें। इसके साथ ही उन्होंने हर जिले से एक एसओपी बनाकर मुख्यालय को उपलब्ध कराने को कहा है। इसके बाद पुलिस मुख्यालय इन एसओपी के अध्ययन के बाद विस्तृत एसओपी तैयार करेगा।
ये दिए निर्देश
भीड़ प्रबंधन के मद्देनजर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को संवेदनशीलता से लिए जाने, आयोजन हेतु एनओसी दिए जाने से पहले थाना प्रभारी वहां स्वयं निरीक्षण करेंगे।
आयोजन स्थल की भीड़ क्षमता, प्रवेश/निवासी द्वार, पार्किंग आदि का आंकलन करने के बाद ही कार्यक्रम की एनओसी दी जाए।
विभिन्न मेले, धार्मिक आयोजन व अन्य कार्यक्रम अनुमति के बाद ही आयोजित किए जाएंगे।
छोटे-बड़े आयोजनों के संबंध में एसओपी तैयार कर जल्द से जल्द पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराएं।
जनपदों में वर्ष में होने वाले मेले, त्योहारों और अन्य अवसरों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का वार्षिक कैलेंडर तैयार कर उसके अनुरूप ही आवश्यक पुलिस बल का प्रबंध कराया जाए।
बिना अनुमति के आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के आयोजकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
किसी भी मेले और धार्मिक आयोजनों की आयोजक 15 दिन पहले से प्रचार प्रसार करेंगे।
यूएस नगर को मिली बड़ी सौगात, खटीमा सहित इन जगह पर बनेंगे चार स्टेडियम..
उत्तराखंड: खेलों में रूचि रखने वाले युवाओं को अपनी प्रतिभा निखारने के लिए अब दूसरे प्रदेशों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा। सूबे की धामी सरकार ने प्रदेश को नौ स्टेडियम निर्माण की स्वीकृति दी है। इसमें से ऊधमसिंह नगर को चार स्टेडियम की बड़ी सौगात मिली है। प्रदेश सरकार ने जिले के जसपुर, नगला, खटीमा व किच्छा में स्टेडियम निर्माण को स्वीकृति दी है।
प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेश के 50 हजार से अधिक आबादी वाली जगहों पर स्टेडियम निर्माण की स्वीकृति दी है। इसके लिए प्रदेश के कुल नौ स्थानों को चिह्नित किया गया है, जिसमें चार केवल ऊधमसिंह नगर के हैं। प्रदेश सरकार की सूची में रुड़की, ऋषिकेश, रामनगर, मंगलौर व डोईवाला शामिल हैं। तो वहीं जिले में जसपुर, नगला, खटीमा व किच्छा को शामिल किया गया है। यहां स्टेडियम का निर्माण हो जाने से ग्रामीण प्रतिभाओं को तराशा जाएगा। 21 जून को निदेशक युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल जितेंद्र कुमार सोनकर ने हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल व ऊधमसिंह नगर के लिए पत्र जारी किया है।
यह होंगी सुविधाएं..
इंडोर स्टेडियम- 18.5 मीटर लंबाई, 17.5 मीटर चौड़ाई एवं 7.5 मीटर ऊंचाई। दो प्रशिक्षक व स्टोर कक्ष, अलग-अलग बालक-बालिका पांच-पांच-शौचालय व बाथरूम, विद्युत, पानी की व्यवस्था, बाउंड्रीवाल व गेट।
ओपन स्टेडियम- 120 मीटर लंबाई व 80 मीटर चौड़ाई। प्रशिक्षक व स्टोर कक्ष मय शौचालय-बाथरूम, खिलाड़ियों के लिए अलग-अलग बालक-बालिका पांच-पांच-शौचालय व बाथरूम, विद्युत, पानी की व्यवस्था, बाउंड्रीवाल व गेट।
यूएसनगर में हो जाएंगे 10 स्टेडियम..
ऊधमसिंह नगर के ग्रामीण इलाके सकैनिया, बिचपुरी, दिनेशपुर व कूल्हा में मिनी स्टेडियम संचालित हैं। वहीं खटीमा में मलखंब का स्टेडियम शासन से प्रस्तावित है। इधर प्रदेश सरकार ने जिले के चार जगहों पर इंडोर व ओपन स्टेडियम की बड़ी सौगात दे दी है। निदेशक युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल की ओर से पत्र जारी किया गया है। इसमें जसपुर, नगला, खटीमा व किच्छा को स्टेडियम के लिए चुना गया है।
मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना को लेकर हुई पहली बैठक..
महिलाओं को 1 लाख तक की वित्तीय सहायता देगी सरकार..
उत्तराखंड: मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना इसी साल लागू होगी। योजना के तहत 95 विकासखंडों में उन एकल महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने में वित्तीय सहयोग देगा, जो तलाकशुदा, विधवा, परित्यक्ता, किन्नर व एसिड हमलों से पीडि़त हैं। योजना के लिए 10 करोड़ की धनराशि निर्धारित की गई है। यह धनराशि आबकारी विभाग से प्राप्त होने वाले अतिरिक्त शुल्क से मिलेगी। मंगलवार को कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित उपसमिति की बैठक में योजना के सभी पहलुओं पर विचार किया गया। बैठक में तय हुआ कि उप समिति की आगामी बैठक में योजना के ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने के बाद इसे शासन में भेजा जाएगा। मंत्री का कहना हैं कि मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना प्रदेश के सभी जिलों में लागू की जाएगी। इसमें हर ब्लाॅक की एकल महिलाओं (विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता, किन्नर, अपराध एवं एसिड हमलों से पीड़ित महिला) को योजना के अन्तर्गत शामिल किया जाएगा।
बैठक में सदस्य सचिव, उप समिति चंद्रेश कुमार यादव, निदेशक, उप समिति, प्रशान्त आर्य आदि मौजूद थे। विधानसभा सभागार में वित्त मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना के क्रियान्वयन के लिए गठित मंत्री मंडलीय उप समिति की पहली बैठक हुई। इस योजना 18 से 50 आयुसीमा वाली एकल महिलाओं के लिए निर्धारित किया गया है। स्वरोजगार के तहत कृषि, बागवानी, पशुपालन, कुक्कुट पालन, भेड़ पालन, बकरी पालन, उद्यान, बुटीक, टेलरिंग, जनरल स्टोर, टिफिन सेवा, कैंटीन, कैटरिंग, प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन, डाटा एंट्री कार्य, कम्प्यूटर हार्डवेयर रिपेयरिंग, टेली काॅलिंग आदि जैसे कार्यों को जोड़ा गया है।
उत्तराखंड। साल 2020 में कोरोना नामक वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया की गति अनायास रोक दी थी। उत्तराखंड भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ। पहले लॉकडाउन और उसके बाद महामारी से जूझने के लिए अमल में लाई गई उपायों की लंबी श्रृंखला ने चारधाम यात्रा को लगभग ठप्प कर दिया था। इससे श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) की वित्तीय स्थिति भी डगमगा गयी थी।
महामारी के भय से उबरी दुनिया ने जब दोबारा गति पकड़ी तो प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से यात्रा मार्गों पर भी हलचल नज़र आने लगी। वर्ष 2022 प्रदेश सरकार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता अजेंद्र अजय को बीकेटीसी के अध्यक्ष का दायित्व सौंपा। अजेंद्र के नेतृत्व में बीकेटीसी ने नई ऊर्जा के साथ काम शुरू किया और शासन के सहयोग से यात्रा के लिए आवश्यक अवस्थापना विकास से लेकर परिवेश निर्माण तक के कार्यों को गतिमान किया।
पूर्व में कार्मिकों के वेतन, दैनिक क्रियाकलापों के संचालन और विभिन्न अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए बीकेटीसी को आर्थिक कठिनाइयों से जूझना पड़ता था। अजेंद्र के कार्यकाल में आय के नए स्रोतों के समुचित नियोजन से बीकेटीसी का वित्तीय तलपट आशातीत लाभ दर्शाने लगा है। विगत ढाई वर्षों में बीकेटीसी की परिधि में आने वाले अनेक पौराणिक मंदिरों के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण की सराहनीय पहल की गई। इसके साथ ही यात्रा मार्गों पर स्थित विभिन्न विश्राम गृहों के उच्चीकरण के भी अभूतपूर्व कार्य किये गए।
बाबा केदार की शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ स्थित श्री ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में कोठा भवन के जीर्णोद्वार और मंदिर परिसर के विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की मांग स्थानीय जनता द्वारा तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है। राजनीतिक लाभ के लिए पूर्व में करीब आधा दर्जन से अधिक बार यहां पर भूमि पूजन भी किये गए। मगर अजेंद्र ने इस परियोजना को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया और वर्तमान में न्यू इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सहयोग से पांच करोड़ रूपये की लागत से प्रथम चरण के कार्य तेजी से गतिमान हैं।
वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ धाम में पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके श्री ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण गत वर्ष एक दानीदाता के सहयोग से एक वर्ष के रिकॉर्ड समय में कराया गया। गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में ध्वस्त हो चुके भैरव मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग क्षेत्रीय जनता करीब एक दशक से उठाती रही है। मगर अजेंद्र के प्रयासों से कुछ माह पूर्व शुरू हुआ मंदिर निर्माण का कार्य शीघ्र ही पूरा होने को है। इसके अलावा तुंगनाथ व विश्वनाथ मंदिर की जर्जर हो चुकी छतरियों का पुनर्निर्माण कार्य भी सम्पन्न कराये गए हैं।
अजेंद्र के कार्यकाल का सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित कराना रहा है। सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, सिद्धि विनायक, राम मंदिर अयोध्या जैसे तमाम प्रमुख मंदिरों में स्वर्ण मंडित विभिन्न कार्य कराने वाले मुंबई के लाखी परिवार ने केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को पूरी तरह से स्वर्ण मंडित किया। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। मगर कुछ लोगों के दुष्प्रचार को नजरअंदाज कर दिया जाए तो वास्तव में बाबा केदार के गर्भगृह की स्वर्णमयी आभा देश-विदेश के श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुयी है।
बीकेटीसी में वित्तीय नियोजन एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। आश्चर्यजनक रूप से पूर्व में यहां इसके नियंत्रण की कोई सटीक व्यवस्था नहीं थी। अजेंद्र ने पदभार ग्रहण करते ही सबसे पहले वित्तीय पारदर्शिता के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित करने की पहल की और इस पर शासन से प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी की तैनाती करवाई। इससे आर्थिक गतिविधियों का नियामन त्रुटिहीन हो गया है। कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिणाम है कि बीकेटीसी आधारभूत ढांचे के विकास के लिए विभिन्न निर्माण कार्यों को सम्पादित करने के बावजूद आर्थिक दृष्टि से मजबूत स्थिति में आ गयी है। बीकेटीसी ने वर्तमान यात्राकाल में केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में यात्रा सुविधाओं के विकास के लिए प्रदेश सरकार को दस करोड़ रूपये की धनराशि प्रदान की। प्रदेश के इतिहास में यह पहला अवसर होगा कि जब किसी निगम अथवा बोर्ड ने प्रदेश सरकार को सहयोग के रूप में धनराशि दी होगी।
वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय में गठित बीकेटीसी में कर्मचारियों की नियुक्ति, पदोन्नति आदि के लिए कोई पारदर्शी व्यवस्था नहीं थी और ना ही कार्मिकों के लिए कोई सेवा नियमावली थी। बीकेटीसी के इतिहास में पहली बार अजेंद्र ने इसके लिए पहल की और तमाम गतिरोधों के बावजूद सेवा नियमावली बनायीं। धार्मिक संस्थाओं के लिए इस तरह की नियमावली का निर्माण करना दरअसल एक संवेदनशील विषय रहा है। प्रचलित परंपराओं के साथ आवश्यक वैधानिक शर्तों का संयोजन एक चुनौतीपूर्ण टास्क होता है। लिहाजा, इससे पूर्व किसी ने भी इस संवेदनशील विषय को छूने का साहस नहीं किया।
प्रशासनिक व्यवस्था के निर्बाध प्रचालन और कार्य संस्कृति में बदलाव लाने के लिए भी कई प्रयास किये गए। इसमें सबसे प्रमुख निर्णय कार्मिकों का स्थानांतरण था। मंदिर समिति के इतिहास में पहली बार कार्मिकों के स्थानांतरण किये गए। स्थानांतरण प्रक्रिया ने मंदिर समिति में भूचाल ला दिया था। मगर अध्यक्ष ने कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय देते हुए स्थानांतरण आदेशों को लागू करा कर छोड़ा। कर्मचारियों की लंबित पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त कर उनके मनोबल को बढ़ाने के साथ कार्मिकों को गोल्डन कार्ड सुविधा प्रदान करने जैसे अनेक निर्णय लिए गए।
सुधारों के क्रम में धामों में दर्शन व्यवस्था को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए बीकेटीसी ने अपना सुरक्षा संवर्ग बनाने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार को भेजा है। इसको सरकार ने स्वीकृति दे दी है। उम्मीद है कि शीघ्र ही बदरीनाथ व केदारनाथ मंदिरों में दर्शन व सुरक्षा की कमान बीकेटीसी के सुरक्षाकर्मियों के पास होगी।
हालांकि, सुधारों की राह कभी भी आसान नहीं होती है। बीकेटीसी में भी सुधार की बयार कुछ लोगों को पसंद नहीं आयी और वे अध्यक्ष अजेंद्र के विरुद्ध लगातार बात-बेबात के मुद्दों को लेकर विवाद खड़ा करने का प्रयास करते रहते हैं। मगर अजेंद्र ने सारे विरोधों को दरकिनार करते हुए अपना अभियान जारी रखा है।
निजी विश्वविद्यालयों में छात्रों की बैक डोर एंट्री बंद,शासन ने नकेल कसनी की शुरू..
उत्तराखंड: अब अधिकारों की स्वायत्तता की आड़ में राज्य के प्राइवेट विश्वविद्यालय एग्जाम से ठीक पहले तक छात्रों की बैक डोर एंट्री नहीं कर सकेंगे। प्राइवेट विवि के लिए अधिनियम बनने के बाद शासन ने नकेल कसते हुए नए सत्र में छात्रों को प्रवेश को लेकर निर्देश जारी किए हैं। जिसके तहत सभी प्राइवेट विवि पाठ्यक्रमों में प्रवेश की अंतिम तिथि को शैक्षिक कैलेंडर के साथ शासन को ई-मेल करेंगे।यही नहीं निर्धारित तिथि तक प्रवेश लेने के बाद एक सप्ताह के भीतर प्रवेशित छात्रों का विवरण वेबसाइट पर अपलोड करेंगे।
इस तिथि के बाद विवि कोई प्रवेश नहीं ले सकेंगे। 31 जनवरी 2024 को उत्तराखंड निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2023 के लागू होने के बाद अब प्राइवेट विश्वविद्यालयों की मनमानी पर नकेल कसी जा रही है। अधिनियम में पहले ही प्राइवेट विश्वविद्यालय में प्रबंधन के चांसलर और प्रो चांसलर पदों को समाप्त कर दिए गए हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार का दखल भी बढ़ गया है। जिसके तहत अनियमितता से जुड़े मामलों में राज्य सरकार को दखल करने के साथ ही कार्रवाई के अधिकार भी मिल गए हैं।
शिकायतों की जांच कराई..
नए सत्र में प्रवेश को लेकर शासन की ओर से जारी पत्र को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार राज्य के प्राइवेट संस्थानों की ओर से शासन को लगातार शिकायत की जा रही थी कि प्राइवेट संस्थान, विवि की ओर से निर्धारित तिथि के बाद एडमिशन नहीं ले पाते हैं। जबकि प्राइवेट विश्वविद्यालय साल भर प्रवेश लेते हैं। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार शासन ने अपने स्तर से भी शिकायतों की जांच कराई। जिसके बाद आठ जून को उपसचिव, उत्तराखंड शासन व्योमकेश दूबे की ओर से समस्त निजी विश्वविद्यालयों के कुलसचिव को पत्र भेजा गया। जिससे हड़कंप मचा है।
गुपचुप तरीके से छात्राें के प्रवेश नहीं ले सकेंगे..
इस पत्र का निहितार्थ यह माना जा रहा है कि अब प्राइवेट विवि गुपचुप तरीके से छात्राें के प्रवेश नहीं ले सकेंगे। विवि को निर्देश दिए गए हैं कि शैक्षणिक सत्र 2024-25 में संचालित पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया की समय सारणी निर्धारित कर शैक्षणिक कैलेंडर के साथ शासन को ई-मेल सूचना भेजेंगे। यही नहीं प्रवेश के लिए निर्धारित की गई अंतिम तिथि तक प्रवेशित छात्र-छात्राओं का नाम, पाठ्यक्रम और प्रवेश की तिथि के साथ संपूर्ण विवरण, अंतिम तिथि की समाप्ति के एक सप्ताह की समयावधि में विवि की वेबसाइट पर अपलोड कर दें। संवाद
बाहरी प्रदेशों के छात्रों के प्रवेश को लेकर उठते रहे हैं सवाल..
आपको बता दे कि प्राइवेट विश्वविद्यालय खुद ही पाठ्यक्रम का सिलेबस तैयार करते हैं। परीक्षा कार्यक्रम से लेकर कॉपियां जांचने और रिजल्ट जारी करने का काम भी खुद ही करते हैं। इसी तरह कक्षा में उपस्थिति की मॉनिटरिंग भी विवि के हाथ में होती है। ऐसे में कुछ प्राइवेट विवि पर प्रोफेशनल कोर्स में बड़ी संख्या में सैकड़ों मील दूरी से छात्रों के यहां आकर प्रवेश लेने को लेकर सवाल उठते रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इन छात्रों के एडमिशन परीक्षा से कुछ समय पहले तक किए जाते हैं।