हिमखंड हटाकर गौरीकुंड-केदारनाथ मार्ग खोला गया, छह से दस फीट बर्फ काटी गई..
उत्तराखंड: केदारनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए राहत की खबर है। भारी बर्फबारी के कारण बंद हुआ गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग अब आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। हिमखंड जोन में 6 से 10 फीट तक बर्फ काटकर रास्ता बनाया गया हैं। मार्ग को घोड़ा-खच्चर संचालन के लिए सुरक्षित किया जा रहा है। जल्द ही केदारनाथ धाम तक आवश्यक सामानों की ढुलाई शुरू होगी। प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि मार्ग पूरी तरह सुरक्षित होने तक सतर्कता बरतें और अनावश्यक जोखिम न लें।
बुधवार देर शाम को मजदूरों की टीम ने लिनचोली से छानी कैंप और छानी कैंप से रुद्रा प्वाइंट होते हुए केदारनाथ तक बर्फ हटाने का काम पूरा कर लिया। हिमखंड जोन में 6 से 10 फीट तक जमी बर्फ काटकर मार्ग को सुगम बनाया गया। वहीं, फिसलन वाले स्थानों पर मिट्टी और पत्थर डालकर सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। हालांकि मार्ग खोल दिया गया है, लेकिन प्रशासन ने यात्रियों से सावधानी बरतने और सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है। खासकर हिमखंड जोन और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में फिसलन को लेकर सतर्कता आवश्यक है।
20 दिन में नौ किमी क्षेत्र में बर्फ हटाई..
हिमखंड जोन में आठ से दस फीट तक बर्फ काटकर रास्ता तैयार किया गया है। लोनिवि के अधिशासी अभियंता विनय झिक्वांण का कहना हैं कि गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग को धाम तक पैदल आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। 70 मजूदरों ने 20 दिन में 9 किमी क्षेत्र में बर्फ हटा दी है। दूसरे चरण में रुद्रा प्वाइंट से हेलिपैड और हेलिपैड से मंदिर तक बर्फ हटाई जाएगी। एमआई-26 हेलिपैड क्षेत्र से बर्फ हटाना पहली प्राथमिकता है। दस अप्रैल तक केदारनाथ में सभी प्रमुख जगहों से बर्फ हटा दी जाएगी।
सरकारी स्कूलों में घटती छात्र संख्या पर सख्त रुख, शिक्षा मंत्री ने दिए जांच के आदेश..
उत्तराखंड: उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में लगातार घटती छात्र संख्या को लेकर शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने गंभीर चिंता जताते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। इसके लिए शिक्षा महानिदेशालय स्तर पर जांच समिति गठित की जाएगी। समिति विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी विद्यालयों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। समस्या की जड़ तक पहुंचकर समाधान निकाला जाएगा।
उत्तराखंड में सरकारी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है। 2800 से अधिक ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्र संख्या 10 या उससे भी कम रह गई है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। विभागीय समीक्षा बैठक में शिक्षा मंत्री ने शिक्षा महानिदेशालय को एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश। रिपोर्ट के आधार पर छात्रवृद्धि के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
वही मंत्री ने निजी स्कूलों को लेकर भी सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आरटीई (निःशुल्क शिक्षा) के तहत बच्चों के प्रवेश को सुनिश्चित किया जाए। किताबों, स्कूल ड्रेस और मनमानी फीस वृद्धि से संबंधित शिकायतों का शीघ्र निस्तारण हो। इसके लिए विभाग द्वारा जारी टोल-फ्री नंबर पर आने वाली शिकायतों की निगरानी बढ़ाई जाए।
विद्यालयों में जरूरत के अनुसार शुरू होंगे नए विषय..
उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में जल्द ही आवश्यकतानुसार नए विषय शुरू किए जाएंगे। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों (CEO) को अपने जिलों के प्रस्ताव शिक्षा महानिदेशालय को भेजने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना हैं कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अभिभावक संघों की मांग को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। हर जिले के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में दो-दो विद्यालयों के उच्चीकरण का प्रस्ताव तैयार होगा। राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों की स्थापना के लिए भी प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। शिक्षा मंत्री का कहना हैं कि सरकारी विद्यालयों को छात्रों के अनुरूप आधुनिक और विषयगत रूप से सशक्त बनाना हमारा उद्देश्य है। नए विषयों की शुरुआत से छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी।
इसी महीने शासन को प्रस्ताव भेजने के निर्देश..
शिक्षा मंत्री ने कहा कि विद्यालयों के उच्चीकरण, क्लस्टर विद्यालयों की स्थापना, डी व सी श्रेणी के स्कूलों से संबंधित प्रस्ताव इस माह तक शासन को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए जिन जिलों से प्रस्ताव समय पर प्राप्त नहीं होंगे, ऐसे जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इसके साथ ही डॉ. रावत ने अधिकारियों को सभी विद्यालयों में पेयजल, विद्युत, फर्नीचर, कंप्यूटर और शौचालय की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
चारधाम यात्रा से पहले विश्राम गृहों का होगा सौंदर्यीकरण, बीकेटीसी ने प्रबंधकों को दिए सख्त निर्देश..
चारधाम यात्रा से पहले विश्राम गृहों का होगा सौंदर्यीकरण, बीकेटीसी ने प्रबंधकों को दिए सख्त निर्देश..
उत्तराखंड: बद्री-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के मुख्य कार्याधिकारी का कहना हैं कि चारधाम यात्रा से पहले सभी विश्राम गृहों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाएगा। इसके लिए बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने विश्राम गृह प्रबंधकों को निर्देश दिए हैं। उनका कहना हैं साफ-सफाई, पेयजल, बिजली, बिस्तर, सुरक्षा और अन्य सुविधाओं को दुरुस्त किया जाएगा। यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित विश्राम गृह मिलें, इसके लिए यह कदम अहम साबित होगा।
बुधवार को वर्चुअल बैठक में सीईओ ने कहा, केदारनाथ धाम के कपाट दो मई और बद्रीनाथ धाम के कपाट चार मई को खुल रहे हैं। यात्रा से पहले मंदिर समिति के विश्राम गृहों में सौंदर्यीकरण, विद्युत, पेयजल, स्वच्छता, आवासीय व्यवस्था, सीसीटीवी लगाने का काम किया जा रहा है। जिससे तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल सके। चारधाम यात्रा की तैयारियों को और अधिक सशक्त बनाने का प्रयास है, जिससे तीर्थयात्रियों को सुगम और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिले। इन व्यवस्थाओं से न केवल यात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा, बल्कि चारधाम यात्रा के दौरान भीड़ प्रबंधन और निगरानी भी प्रभावी होगी। उन्होंने विश्राम गृह प्रबंधकों से भी अलग-अलग बातचीत की तथा प्रबंधकों की समस्याओं को सुना। बैठक में अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी ने कहा कि यात्रा से पहले सभी विश्राम गृहों में मूलभूत सुविधाओं में सुधार किया जाएगा।
देहरादून, ऋषिकेश, पौड़ी, टिहरी, देवप्रयाग श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गुप्तकाशी, सोनप्रयाग, चमोली, नंदप्रयाग, पीपलकोटी, जोशीमठ, बद्रीनाथ धाम स्थित विश्राम गृहों के व्यवस्थापकों ने समस्याओं को सीईओ के समक्ष रखा। इस मौके पर सहायक अभियंता गिरीश देवली, विपिन तिवारी, मीडिया प्रभारी डाॅ. हरीश गौड़, इंटरनेट कार्डिनेटर दीपेंद्र रावत, कुलदीप नेगी मौजूद रहे।
चारधाम यात्रा से पहले दमकल सेवा होगी मजबूत, 15वें वित्त आयोग के बजट से 20 नए फायर टेंडर तैनात..
उत्तराखंड: दमकल वाहनों की कमी से जूझ रही फायर सर्विस को जल्द ही नए वाहन मिलने वाले हैं। इनमें छोटे बड़े 20 वाटर और फोम टेंडर (दमकल वाहन) चार धाम यात्रा से पहले विभिन्न जिलों की फायर सर्विस यूनिट और स्टेशन में तैनात किए जाएंगे। इनमे से दो दमकल वाहन देहरादून जिले को भी आवंटित किए गए हैं। इन नए दमकल वाहनों से पर्वतीय और शहरी क्षेत्रों में आग बुझाने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे यात्रा मार्ग और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
इसके साथ ही फायर सर्विस जल्द ही कई और वाहनों को खरीदने जा रही है।विश्व बैंक से दमकल वाहनों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता मांगी गई है। लंबे समय से प्रदेश के दमकल विभाग में मूलभूत सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। कई जिलों में फायर सर्विस के भवन तक नहीं हैं, जिससे आपातकालीन सेवाओं में बाधा आती है। यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि फायर सर्विस केवल आगजनी की घटनाओं तक सीमित नहीं होती, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं और अन्य आपात स्थितियों में भी अहम भूमिका निभाती है। यदि बजट स्वीकृत होता है और नई गाड़ियाँ व सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं, तो यह प्रदेश की आपातकालीन सेवाओं को और अधिक प्रभावी बनाएगा। ऐसे में पिछले दिनों विश्व बैंक की मदद से 19 फायर स्टेशन और यूनिट के लिए बजट मिला था। इनमें से कुछेक जगहों पर काम शुरू हो गया है। जबकि, हरिद्वार के बहादराबाद में भवन बनकर तैयार हो गया है। इसी तरह दमकल विभाग में आग बुझाने वाले वाहनों की भी कमी चली आ रही है।
चारधाम यात्रा से पहले तैनाती स्थलों पर भेजा जाएगा
यह दमकल विभाग के लिए एक बड़ी राहत की खबर है, खासकर चारधाम यात्रा और पर्वतीय इलाकों में आगजनी की घटनाओं को देखते हुए। देहरादून जिले की ही बात करें तो यहां पिछले साल 5 पुराने वाहन निष्प्रयोज्य घोषित किए गए थे, जिनमें से एक वाहन ने 26 साल तक सेवा दी थी। लेकिन अब विभाग ने विभिन्न मदों से मिले बजट से 20 नए दमकल वाहन खरीदे हैं। जिनमें से 10 वाटर टेंडर (पानी से आग बुझाने वाले वाहन) 10 फोम टेंडर (तेल व रसायन जनित आग बुझाने के लिए विशेष वाहन हैं। जिन्हें चारधाम यात्रा से पहले सभी वाहनों को उनके तैनाती स्थलों पर भेजा जाएगा। छोटे वाहन विशेष रूप से पहाड़ी और संकरे इलाकों में आग बुझाने के लिए तैनात किए जाएंगे।
इसके साथ ही अधिकारियों का कहना हैं कि 15वें वित्त आयोग से भी अच्छा खासा बजट मिला है। इससे छोटे फायर टेंडर खरीदे जाएंगे, जो संकरे और पहाड़ी क्षेत्रों में आग बुझाने के लिए उपयोगी होंगे। ताकि, फायर सर्विस के बेड़े को मजबूत किया जा सके। साथ ही विश्व बैंक को भी दमकल वाहन खरीद के लिए प्रस्ताव विभाग की ओर से भेजा गया है।
ये होंगे दमकल वाहन..
फोम टेंडर- 05 सात हजार लीटर और 05 तीन हजार लीटर
वाटर टेंडर-05 तीन हजार लीटर ओर 05 सात हजार लीटर
फायर सर्विस के लिए 20 दमकल वाहनों की खरीद गई है। इन्हें जल्द ही विभिन्न जिलों के लिए भेज दिया जाएगा। इसके साथ ही कुछ और वाहन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। विश्व बैंक को भी वाहन खरीदने के लिए बजट का प्रस्ताव भेजा गया है।
वन संसाधनों से राजस्व बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए- सीएम धामी..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में वन विभाग और ऊर्जा निगम की गेम चेंजर योजनाओं की समीक्षा की। बैठक में उन्होंने वन विभाग को वनों के संरक्षण के साथ-साथ वन संपदाओं से राजस्व बढ़ाने के लिए और अधिक प्रभावी प्रयास करने के निर्देश दिए। साथ ही ऊर्जा निगम को ऊर्जा क्षेत्र में नई संभावनाओं पर कार्य करने की सलाह दी। सरकार नवीकरणीय ऊर्जा, जलविद्युत और अन्य ऊर्जा स्रोतों के बेहतर उपयोग पर फोकस कर रही है, जिससे प्रदेश की ऊर्जा क्षमता को बढ़ावा दिया जा सके।
सीएम धामी ने वन विभाग को निर्देश दिए कि गेस्ट हाउस के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।
इसके साथ ही उन्होंने मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए कारगर उपाय अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। सीएम ने कहा कि वन संपदाओं के बेहतर उपयोग से प्रदेश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार को बढ़ावा दिया जाए, जिससे स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ हो सके।
बैठक में अधिकारियों ने कहा कि इको टूरिज्म के अंतर्गत इको कैंपिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास, पुराने फॉरेस्ट रेस्ट हाउस के रिस्टोर, स्थानीय युवाओं को विभिन्न गतिविधियों जैसे नेचर गाइड का प्रशिक्षण और क्षमता विकास कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इको टूरिज्म के लिए समर्पित एक वेबसाइट बनाई जाएगी। अभी तक विभिन्न क्षेत्रों में संचालित इको टूरिज्म क्षेत्र से स्थानीय युवाओं को लगभग पांच करोड़ रुपये, जिप्सी संचालन से 17 करोड़ और स्वयं सहायता समूह को 30 लाख की आय हुई है।
कागजों में नहीं धरातल पर दिखाई दें प्रयास..
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वनाग्नि (जंगल की आग) की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना और रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये प्रयास केवल कागजों तक सीमित नहीं रहने चाहिए, बल्कि धरातल पर प्रभावी रूप से लागू होने चाहिए। सीएम धामी ने यह भी कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस का अध्ययन किया जाए और राज्य में इसके आधार पर एक ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। सरकार का उद्देश्य वन संरक्षण को मजबूत करने, जंगलों में आग की घटनाओं को कम करने और स्थानीय समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
ऊर्जा के क्षेत्र में अनेक संभावनाओं पर कार्य करने की जरूरत..
सीएम धामी ने ऊर्जा निगम की समीक्षा बैठक में कहा कि राज्य में ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने की दिशा में तेजी से कार्य किया जाए। लघु जल विद्युत परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दें। कहा कि राज्य की मुख्य अवधारणा में ऊर्जा और पर्यटन प्रदेश था। पर्यटन के क्षेत्र में राज्य में तेजी से कार्य हो रहे हैं, लेकिन ऊर्जा के क्षेत्र में अनेक संभावनाओं पर कार्य करने की जरूरत है। शहरी क्षेत्रों में बिजली लाइन को भूमिगत करने का कार्य मानसून शुरू होने से पहले पूरा किया जाए। सरकारी भवनों में सोलर रूफ टॉप लगाने का कार्य जल्द पूरा करें। यूजेवीएनएल, यूपीसीएल की जो परिसंपत्तियां उपयोग में नहीं है, उनको उपयोग में लाने के लिए प्रभावी कार्य योजना बनाएं।
बैठक में अधिकारियों ने कहा कि वर्ष- 2023 में संशोधित जल विद्युत नीति के अनुसार वन टाइम एमनेस्टी के तहत कुल 160.80 मेगावाट के आठ प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई हैं। ये प्रोजेक्ट 2030 तक 1790 करोड़ की लागत से पूरे होंगे। साथ ही 121 मेगावाट के छह प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली है। इससे क्षेत्र का सामाजिक आर्थिक विकास होगा। यूजीवीएनएल 2028 से तीन पंप स्टोरेज का कार्य शुरू कर 2031 में पूरा करेगा। लगभग 5660 करोड़ की लागत इन तीनों पंप स्टोरेज में इच्छारी , लखवार-व्यासी और व्यासी-कटापत्थर प्रोजेक्ट शामिल हैं।
15 अप्रैल से बहाल होंगे राष्ट्रीय खेलों के कोच, अन्य विभागों के बजट से वेतन देने की तैयारी..
उत्तराखंड: राष्ट्रीय खेलों के दौरान संविदा पर नियुक्त 279 कोचों को 15 अप्रैल से दोबारा बहाल किया जाएगा। पहले बजट की कमी के कारण इन कोचों के वेतन पर संकट बना हुआ था, लेकिन सरकार और खेल विभाग ने अन्य विभागों के बचे बजट से वेतन देने का समाधान निकाला है। इस फैसले से राज्य में खेल विकास को बढ़ावा मिलेगा और खिलाड़ियों को निरंतर प्रशिक्षण मिल सकेगा।
बजट की कमी के कारण राज्य की खेल तैयारियों पर असर पड़ने की आशंका को देखते हुए सरकार ने अन्य विभागों के बचे हुए बजट से कोचों के वेतन का समाधान निकालने का फैसला किया है। फिलहाल 20 करोड़ रुपये का इंतजाम किए जाने की बात कही जा रही है। बता दे कि राष्ट्रीय खेलों से पहले कोचों के वेतन के लिए 2025-26 के बजट में 11 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे, लेकिन मात्र 10 लाख रुपये ही मिले। बजट संकट के चलते 28 फरवरी को सभी कोचों को एक महीने का ब्रेक दे दिया गया था। अब सरकार 15 अप्रैल से कोचों को फिर से बहाल करने और उनके वेतन का प्रबंध करने का दावा कर रही है, जिससे राज्य में खेल गतिविधियां प्रभावित न हों।
खेल एवं युवा कल्याण सचिव अमित सिन्हा का कहना हैं कि राष्ट्रीय खेलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके सभी संविदा कोच 15 अप्रैल से तय अनुबंध के अनुसार बहाल कर दिए जाएंगे। हालांकि अभी उनके वेतन के लिए बजट का प्रावधान पूरी तरह से नहीं हो सका है, जिससे वेतन मिलने में कुछ देरी हो सकती है। सरकार अन्य विभागों के बचे बजट से वेतन देने का प्रयास कर रही है, जिससे कोचों को जल्द से जल्द भुगतान किया जा सके। बाद में इसके लिए अनुपूरक बजट भी जारी किया जाएगा। राज्य में कई खेल गतिविधियां जारी हैं और आगामी प्रतियोगिताओं की तैयारी के लिए कोचों की सक्रिय भूमिका बेहद जरूरी होगी। इस फैसले से राज्य के खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण और मार्गदर्शन मिलने की उम्मीद है।
नया शिक्षा सत्र शुरू, किताबें समय पर न पहुंचने से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी..
उत्तराखंड: सरकारी और अशासकीय विद्यालयों में आज से नया शिक्षा सत्र 2025-26 शुरू हो गया है। हालांकि हर साल की तरह इस बार भी 10 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को समय पर मुफ्त पाठ्य पुस्तकें नहीं मिलीं, जिससे छात्रों और अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक अप्रैल से पहले सभी छात्रों को मुफ्त किताबें मिल जानी चाहिए। विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए यह सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। हर साल की तरह इस बार भी छात्रों को खाली हाथ लौटना पड़ा। अभिभावकों को निजी दुकानों से महंगे दामों पर किताबें खरीदनी पड़ रही हैं।
सरकार की ओर से सरकारी और अशासकीय विद्यालयों में कक्षा एक से 12वीं तक पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकें दी जाती हैं। नया शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले विभाग के पास छात्रों तक पाठ्य पुस्तकें पहुंचाने के लिए साल भर का समय रहता है। सिस्टम की सुस्ती का आलम यह है कि शासन से विभाग को इसके लिए मात्र 11 दिन पहले सहमति मिली। साल भर का समय होने के बावजूद विभाग को छात्रों तक किताबें पहुंचाने के लिए 11 दिन पहले ही सहमति मिल पाई। यह देरी नए शिक्षा सत्र की शुरुआत में छात्रों को किताबों के बिना पढ़ाई शुरू करने के लिए मजबूर करती है। समय पर किताबें नहीं मिलने से छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान आ रहा है।
वहीं पिछले सप्ताह प्रिंटर को एनसीईआरटी से उपलब्ध सीडी दी गई। जबकि अन्य राज्यों में ब्लॉक स्तर तक पाठ्य पुस्तकें पहुंच चुकी है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डाॅ. मुकुल कुमार सती का कहना है कि पाठ्य पुस्तकों के लिए शासन से सहमति मिल चुकी है। तीन अप्रैल से छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकें मिलने लगेंगी। जब तक पाठ्य पुस्तकें नहीं पहुंचेंगी विद्यालयों में बने बुक बैंक से छात्र-छात्राओं को इसे उपलब्ध कराया जाएगा।
कापियां मिलने में लगेगा अभी समय..
सरकारी और अशासकीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को मुफ्त पाठ्य पुस्तकों के बाद मुफ्त कापियां दी जानी है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मुफ्त कापियों के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। अनुमति मिलने के बाद पहली बार छात्र-छात्राओं को मुफ्त कापियां उपलब्ध कराई जाएंगी। बता दे कि प्रदेश में पौड़ी जिले में सबसे अधिक 1994 सरकारी स्कूल हैं। अल्मोड़ा में 1713, बागेश्ववर में 768, चमोली में 1325, चंपावत में 682, देहरादून में 1296, हरिद्वार में 938, नैनीताल में 1349, पिथौरागढ़ में 1487, रुद्रप्रयाग में 765, टिहरी में 1901, ऊधमसिंह नगर में 1110 और उत्तरकाशी में करीब 1173 सरकारी स्कूल हैं। निदेशक माध्यमिक शिक्षा डाॅ. मुकुल कुमार सती का कहना है कि मुफ्त पाठ्य पुस्तकों के लिए 20 मार्च को शासन से सहमति मिली है। प्रिंटर के साथ इसके लिए एमओयू हो चुका है। जल्द छात्रों को पुस्तकें मिलने लगेंगी।
उत्तरकाशी और गौचर के लिए हेली सेवा का संचालन अब थंबी एविएशन करेगी..
उत्तराखंड: उत्तराखंड हवाई संपर्क योजना के तहत उत्तरकाशी (जोशियाड़ा) और चमोली (गौचर) के लिए हेली सेवा का संचालन अब थंबी एविएशन करेगी। उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) ने इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है, और जल्द ही नई हेली सेवा शुरू की जाएगी। इससे चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को बेहतर हवाई सुविधा मिलेगी। पर्यटकों को उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों तक आसान पहुंच मिलेगी। साथ ही स्थानीय लोगों को भी हवाई सेवा का लाभ मिलेगा, जिससे यात्रा सुगम होगी।
उत्तराखंड में हवाई सेवा का विस्तार करते हुए 7 नवंबर 2024 को जोशियाड़ा (उत्तरकाशी) और गौचर (चमोली) के लिए हेली सेवा शुरू की गई थी। प्रारंभ में यह सेवा अस्थायी रूप से पवन हंस को सौंपी गई थी, लेकिन अब उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) ने नए टेंडर के तहत थंबी एविएशन का चयन किया है। बता दे कि फिलहाल जोशियाड़ा और गौचर के लिए हेली सेवा बंद है। नई कंपनी के चयन के बाद जल्द ही संचालन शुरू होगा।जिससे चारधाम यात्रा और स्थानीय यात्रियों को मिलेगी बेहतर हवाई सुविधा। शीघ्र ही औपचारिक घोषणा और सेवा बहाल करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। यूकाडा के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी दयानंद सरस्वती का कहना हैं कि जोशियाड़ा व गौचर के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। थंबी एविएशन के माध्यम से हेली सेवा का संचालन किया जाएगा।
भूदेव एप से मिलेगी भूकंप की पूर्व चेतावनी, आईआईटी रुड़की की अनूठी तकनीक..
उत्तराखंड: आईआईटी रुड़की के सहयोग से उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने एक उन्नत भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली भूकंप की प्रारंभिक (प्राथमिक) तरंगों का पता लगाएगी, जो हानिकारक (सेकेंडरी) तरंगों के आने से पहले उत्पन्न होती हैं। वैज्ञानिक विधि से भूकंप का पहले ही आभास कर लिया जाएगा। इसके बाद भूदेव एप और सायरन के माध्यम से लोगों को 15 से 30 सेकंड पहले सतर्क किया जा सकेगा। इस पूर्व चेतावनी से लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने का मौका मिलेगा। जिससे भूकंप के दौरान होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा। यह प्रणाली भूकंप संवेदनशील उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए वरदान साबित होगी।
आईआईटी रुड़की के भूविज्ञान केंद्र और आपदा जोखिम एवं न्यूनीकरण विभाग के प्रो. कमल कहते हैं कि भूकंप का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। पर भूकंप से कैसे लोगों को सुरक्षित किया जा सकता है, इसको लेकर वर्ष-2017 में राज्य सरकार ने संस्थान को जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसके तहत काम किया जा रहा था। इसी के तहत भूदेव एप को विकसित किया गया है। प्रो. कमल का कहना हैं कि राज्य में अलग-अलग जगहों पर 169 सेंसर और 112 सायरन लगाए गए हैं। जब भूकंप आता है तो उसमें दो तरह की प्राइमरी और सेकेंडरी तरंग निकलती है। इसमें सेकेंडरी तरंग घातक होती है। प्राइमरी तरंग तेज होती है और सेकेंडरी तरंग की गति तुलनात्मक तौर पर गति कम होती है।
भूदेव एप को प्ले स्टोर व एप स्टोर के माध्यम से डाउन लोड कर सकते..
उत्तराखंड में आईआईटी रुड़की और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा विकसित भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली के तहत राज्यभर में लगे सेंसर भूकंप की प्राथमिक (P-Waves) तरंगों का तुरंत पता लगाएंगे। भूकंप आते ही सेंसर इसकी प्रारंभिक तरंगों को पकड़ लेंगे। यह डेटा तुरंत प्रोसेस होकर इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित होगा। भूदेव एप और विभिन्न स्थानों पर लगे सायरनों तक यह सूचना तत्काल पहुंचाई जाएगी। इससे लोगों को 15-30 सेकंड पहले सतर्क कर सुरक्षित स्थानों पर जाने का अवसर मिलेगा। जिससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा। पर यह चेतावनी रियेक्टर स्केल पर 5 से अधिक तीव्रता का भूकंप आने पर मिलेगी। यह भूदेव राज्य के भीतर ही काम करेगा। इस भूदेव एप को प्ले स्टोर व एप स्टोर के माध्यम से डाउन लोड कर सकते हैं। इससे बड़े भूकंपों के दौरान लोगों को समय रहते बचाव का मौका मिलेगा। साथ ही आपदा प्रबंधन की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भेजा प्रस्ताव..
राज्य में राष्ट्रीय भूकंप जोखिम न्यूनीकरण योजना के तहत 169 सेंसर लगे हैं, इनकी संख्या बढ़ाकर 500 करने और सायरनाें की संख्या एक हजार तक करने की योजना है। इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को 150 करोड़ से अधिक का प्रस्ताव भेजा है।
गंगोत्री धाम कपाटोद्घाटन की तिथि घोषित, 30 अप्रैल को खुलेंगे कपाट..
उत्तराखंड: हिंदू नववर्ष और चैत्र प्रतिपदा के शुभ अवसर पर गंगोत्री धाम मंदिर समिति ने कपाटोद्घाटन की तिथि और समय निश्चित कर लिया है। गंगोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन सुबह 10:30 बजे विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। हर साल लाखों श्रद्धालु गंगा माता के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं। कपाटोद्घाटन के साथ ही चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो जाएगा।
गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल का कहना हैं कि पंचांग गणना के अनुसार कपाटोद्घाटन की तिथि और समय निर्धारित किया गया है। 29 अप्रैल दोपहर में माँ गंगा की विग्रह डोली शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव से विधिवत पूजा-पाठ के साथ गंगोत्री धाम के लिए रवाना होगी। भैरों घाटी स्थित भैरव मंदिर में डोली का रात्रि प्रवास होगा। 30 अप्रैल सुबह डोली गंगोत्री धाम पहुंचेगी और सुबह 10:30 बजे कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। बता दे कि चारधाम यात्रा की आधिकारिक शुरुआत गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम के कपाटोद्घाटन से होती हैं, जिसे लेकर श्रद्धालुओं में भी भारी उत्साह रहता है।
यमुना जयंती पर तय होगा यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का समय..
यमुनोत्री धाम के कपाट भी अक्षय तृतीय के अवसर पर ही खुलेंगे। यमुनोत्री मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष प्रदीप उनियाल ने कहा कि यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का समय आगामी तीन अप्रैल को यमुना जंयती के अवसर पर निश्चित किया जाएगा।