उत्तरकाशी के नेलांग और जादुंग घाटी में किया गया बाइक रैली का आयोजन..
उत्तराखंड: भारतीय सेना ने भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे जादूंग गांव में पर्यटन और पुर्नवास मिशन शुरू किया है। इस अभियान के तहत सेना के 21 जवानों ने पहली बार समुद्रतल से करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित नेलांग और जादूंग घाटी में बाईक रैली निकाली। गंगोत्री दर्शन के बाद यह रैली अब चमोली के नीती-मलारी घाटी के लिए रवाना हुई है।
केंद्र सरकार की सीमांत गांव को बसाने की योजना में अब भारतीय सेना ने पर्यटन और पुर्नवास को बढ़ावा देने का अभियान शुरू कर दिया है। इसकी शुरूआत जादूंग गांव से हुई है। इस गांव को दोबारा बसाने के लिए यहां पर होमस्टे का निर्माण शुरू हो गया है। इसी क्रम में ट्रैकिंग एजेंसी के संयोजक सूर्यप्रकाश ने कहा कि भारतीय सेना का 21 सदस्यीय बाइक रैली दल हर्षिल होते हुए जादूंग गांव पहुंचा। जहां भैरो घाटी से आगे नेलांग और जादूंग घाटी में इतिहास में पहली कोई बाईक रैली पहुंची होगी। इसमें सेना के जवानों के साथ एक निजि बाईक कंपनी की दो महिला राइडर सदस्य भी मौजूद थे।
जादूंग पहुंचने पर सेना के जवानों ने हर्षिल घाटी के गांव के युवाओं से सीमांत गांव को दोबारा बसाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। सैन्य अधिकारियों का कहना हैं कि विरान पड़ चुके गांवों को दोबारा उसी स्वरूप में बसाना चाहिए, जिस शैली में पहले थे। तभी इनकी शोभा बढ़ेगी और यह आज की पीढ़ी के लिए पर्यटन के साथ नया अनुभव और जानकारी प्रदान करेगा। यह अभियान करीब 13 दिन तक चलेगा। इसमें बाईक पर ही सभी सीमांत गांवों का भ्रमण किया जाएगा। गंगोत्री दर्शन के बाद अब वह मलारी के लिए रवाना हो गए हैं।
उत्तराखंड में तीन साल के लिए जारी किया जाए विद्युत लाइसेंस..
उत्तराखंड: पावर कांट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार से मांग की कि तीनों ऊर्जा निगमों में विद्युत लाइसेंस तीन साल के लिए जारी किया जाए। रविवार को जीएमएस रोड स्थित होटल में आयोजित बैठक में तीन निगमों के ठेकेदारों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष सुरेश बेलवाल ने की।बैठक में ऊर्जा निगमों कमीशनखोरी व उत्पीड़न के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए समिति गठित करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही एसोसिएशन ने पांच वर्ष पहले निर्धारित की गई श्रमिक दरों को बढ़ाने और काम पूरा होने के बाद शीघ्र भुगतान किया जाए। बाहरी क्षेत्रों के बजाय स्थानीय अनुभवी लोगों को काम देने की मांग की।एसोसिएशन ने निगम के बड़े अफसरों को चेतावनी दी कि उत्पीड़न बंद नहीं किया गया तो प्रदेश भर के कांट्रैक्टर एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे।
प्रवासी श्रमिक राशन कार्ड मामले में राज्यों को सुप्रीम फटकार, 6 हफ्ते में काम पूरा करने का निर्देश..
प्रवासी श्रमिक राशन कार्ड मामले में राज्यों को सुप्रीम फटकार, 6 हफ्ते में काम पूरा करने का निर्देश..
देश-विदेश: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमने अपना धैर्य खो दिया है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को 19 नवंबर तक इस मामले में आवश्यक कदम उठाने का अंतिम मौका दिया। पीठ का कहना हैं कि हमने अपना धैर्य खो दिया है, हम यह साफ कर रहे हैं कि अब और ढिलाई नहीं बरती जाएगी। पीठ ने कहा कि हम आपको हमारे आदेश का पालन करने के लिए एक आखिरी मौका दे रहे हैं। इसके बाद आपके सचिव मौजूद रहेंगे। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी का कहना हैं कि अंत्योदय अन्न योजना के तहत प्रत्येक प्राथमिकता वाले परिवार को केवल एक राशन कार्ड जारी किया जाता है। बता दे कि शीर्ष अदालत कोविड के दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों का संज्ञान लेने के बाद 2020 में स्वत: संज्ञान लिए गए मामले की सुनवाई कर रही थी।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने पहले केंद्र से एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था, जिसमें प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड और अन्य कल्याणकारी उपाय के उसके 2021 के फैसले और उसके बाद के निर्देशों के अनुपालन के बारे में बताया गया हो। शीर्ष अदालत ने 29 जून, 2021 के फैसले में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीयूडब्ल्यू) बनाने के प्रति केंद्र के उदासीनता को अक्षम्य करार दिया था। कोर्ट ने इसे 31 जुलाई, 2021 तक शुरू करने का आदेश दिया था, ताकि सभी प्रवासी श्रमिकों को पंजीकृत किया जा सके और कोविड संकट के दौरान उन तक कल्याणकारी उपाय पहुंचाए जा सकें। कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को महामारी के खत्म होने तक उन्हें मुफ्त सूखा राशन उपलब्ध कराने के लिए योजनाएं बनाने का आदेश दिया था, जबकि केंद्र को अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटित करना होगा।
गांवों में बंजर खेतों को आबाद करने के लिए जगदीशिला तीर्थाटन समिति ने बताई अपनी योजना..
उत्तराखंड: श्री विश्वनाथ जगदीशिला तीर्थाटन समिति अब पहाड़ों के बंजर खेतों को आबाद करेगी। समिति के सदस्य ने 25 वर्ष पूर्ण होने पहाड़ों के गांवों में अरसे से बंजर पड़े खेतों को दोबारा से आबाद करने का संकल्प लिया।प्रिंस चौक स्थित सभागार में प्रेसवार्ता को यात्रा संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी संबोधित कर रहे थे। उनका कहना हैं कि समिति अब सामाजिक सरोकारों से जुड़े काम भी करेगी। कहा कि संगठन की ओर से हर साल डोली यात्रा निकाली जाती है। अब समिति सामाजिक सरोकारों से जुड़े काम भी करेगी। इसमें सबसे पहले खेती बाड़ी को बचाने का काम होगा। डोली यात्रा के आयोजन की शुरूआत अपने गांवों से करेंगे। इससे पलायन रुकेगा और खेती से विमुख लोगों को दोबारा रोजगार प्राप्त होगा। इस संबंध में समिति द्वारा सचिव कृषि उत्तराखंड शासन को एक ज्ञापन भी भेजा गया है।
कचहरी रोड स्थित सौरभ होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि राज्य के पर्वतीय अंचलों में कृषि, पशुपालन व बागवानी लाभकारी व्यवसायों के रूप में विकसित नहीं हो पा रहे हैं। इस कारण स्थानीय युवक व युवतियों में कृषि के प्रति उदासीनता बढ़ी है और पलायन भी। कृषकों की आय बढ़ाने के लिए राज्य और केन्द्र सरकारों द्वारा कई उपाय किये जा रहे हैं लेकिन फिर भी पहाड़ों में खेती लाभप्रद नहीं हो पाई है। इसके मुख्य कारण छोटी और बिखरी जोतें, सिंचाई की सुविधा की कमी, कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन की सुविधाओं का न होना, उन्नत कृषि प्रसार सेवा की कमी और पलायन के कारण श्रमशक्ति का अभाव है। कृषि के प्रति युवाओं का आकर्षण बढ़ाने के लिए पहाड़ों में खेती बाड़ी के लिए उपकरणों और इनपुट्स सब्सिडी के अनुरूप श्रम सब्सिडी का प्राविधान करना नितांन आवश्यक है।
एनआईआरडी के पूर्व निदेशक डा. बीपी मैठाणी ने कहा कि उन्होंने अपने पैतृक गांव सेन्दुल (बालगंगा तहसील, टिहरी गढ़वाल) में एक गांव-एक जोत की अवधारणा पर गांव के सभी किसानों की भूमि को सम्मिलित (पूल) कर कृषक उत्पादक समिति के माध्यम से खेती करने का एक अभिनव प्रयोग किया। पिछले दो वर्षों में वहां कृषि कार्य पर लगभग 7,50,000 रुपये व्यय हुए और उत्पादन लगभग 5,00,000 रू मूल्य का हुआ। इस प्रकार सभी प्रसास करने पर भी 2,50,000 रू0 की हानि उठानी पड़ी। इससे यह सिद्ध होता है कि पहाड़ में जोतों को पूल करने या चकबन्दी कर देने मात्र से किसानों की आय नहीं बढ़ाई जा सकती है। खेती फिर भी हानि का व्यवसाय बना रहेगा। उनका कहना हैं कि इन परिस्थितियों में मेरा यह सुझाव है कि कृषि व्यवसाय को लाभकारी बनाने के लिए श्रम सब्सिडी का प्रावधान किया जाना अति आवश्यक है। इसके लिए सरकार को कृषि और ग्रामीण विकास की योजनाओं में कनवरजेन्स करना होगा। अर्थात सरकार को चाहिए कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का जो 60 प्रतिशत व्यय जल व भूमि संरक्षण आदि कार्यों के लिए निर्धारित है उसमें कृषि कार्य (बुआई-कटाई) को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए। यह मेरा नया सुझाव नहीं है। नीति आयोग ने वर्ष 2018 में कृषि और मनरेगा में समन्वय स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्रियों को उपसमूह गठित किया था उसने भी अपनी रिपोर्ट में कृषि की पत्पादन लागत को कम करने के इस तरह की व्यवस्था की संस्तुति की है।
मनरेगा में एक जॉब कार्डधारी परिवार को एक वर्ष में 100 दिनों का रोजगार देना प्राविधानित है। इससे कृषि सम्बन्धी कार्यों के लिए प्रति परिवार को खेती करने हेतु 60 प्रतिशत अथवा 12000 वार्षिक श्रम सब्सिडी दी जा सकती है। इसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को जोड़कर श्रम सबिडी की राशि 18000 रू० हो जायेगी। यह सब्सिडी डॉयरेक्ट पेमेंट ट्रांसफर (डी०पी०टी०) के माध्यम से कृषक परिवार के बैंक खाते में दी जानी चाहिए। इसके लिए यह शर्त भी लगाई जा सकती है कि यह सुविधा उन्हीं लोगों को मिलेगी जो गांव में रहकर खेती कर रहे हैं। इससे कई युवा जो छोटी नौकरियों में काम करते हुए शहरों में कष्टकारी जीवन व्यतीत कर रहे हैं वे अपने गांव जाकर खेती करने का विकल्प चुन सकते हैं। इससे पलायन कम होगा और युवकों का गांव में आगमन बढ़ने से कृषि और कृषि पर आधारित गैर कृषि उद्यमों का विकास होगा। कृषि व्यवसाय लाभदायी होने से गांवों में खुशहाली का माहौल बनेगा जो सुरक्षा की दृष्टि भी अनुकूल होगा। इस संबंध में सचिव कृषि को एक ज्ञापन भी भेजा गया है।
70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए आधार से बनेंगे आयुष्मान कार्ड, मिलेगी कैशलेस इलाज की सुविधा..
उत्तराखंड: आयुष्मान भारत योजना में 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए आधार नंबर से आयुष्मान कार्ड बनाए जाएंगे। इस योजना के शुरू होने से प्रदेश में रहने वाले बाहरी राज्यों के बुजुर्गों को सूचीबद्ध अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा जो अभी तक योजना के दायरे में नहीं है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी। केंद्र सरकार ने 2018 में आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। इसमें गरीब परिवाराें को पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा दी गई। केंद्रीय योजना में उत्तराखंड के 5.37 लाख परिवार शामिल थे।
पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा..
आपको बता दे कि 2019 में प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी 23 लाख राशन कार्डधारकों के लिए कैशलेस इलाज की सौगात दी थी। इनके इलाज पर आने वाला खर्चा राज्य सरकार को उठाना पड़ रहा है। अब केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाकर 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा दी है। इससे प्रदेश सरकार को बुजुर्गों के इलाज का खर्चा नहीं उठाना पड़ेगा। साथ ही राज्य में रहने वाले बाहरी राज्यों के बुजुर्गों को भी कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बुजुर्गों को कैशलेस इलाज की बढ़ी सौगात दी है। प्रदेश में यह सुविधा पहले से बुजुर्गों को मिल रही है। प्रदेश सरकार की ओर से संचालित राज्य आयुष्मान योजना के दायरे से बाहर बुजुर्गों का आधार नंबर से आयुष्मान कार्ड बनाए जाएंगे।
आयुर्वेद पैरामेडिकल कॉलेजों में इसी सत्र से शुरू होगा डायटीशियन कोर्स..
उत्तराखंड: प्रदेश के आयुर्वेद पैरामेडिकल कॉलेजों में इसी शैक्षिक सत्र से डायटीशियन कोर्स शुरू करने की तैयारी है। सात अक्टूबर को शासन स्तर पर प्रस्तावित बैठक में इस पर फैसला हो सकता है। इसके बाद 15 अक्टूबर से आयुर्वेद के कई कोर्सों में दाखिले के लिए काउंसलिंग शुरू की जाएगी। भारतीय चिकित्सा परिषद की रजिस्ट्रार नर्वदा गुसाईं का कहना हैं कि आयुर्वेद चिकित्सा में डायटीशियन की काफी मांग है। इसे देखते हुए परिषद ने शैक्षिक सत्र 2024-25 से डायटीशियन कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
इसके साथ ही आयुर्वेद फार्मासिस्ट, नर्सिंग, पंचकर्म सहायक, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सहायक कोर्स में शैक्षिक अर्हता में आयु सीमा में छूट के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। सचिव आयुष रविनाथ रामन की अध्यक्षता में सात अक्टूबर को डायटीशियन कोर्स, शैक्षिक अर्हता में छूट देने के लिए बैठक बुलाई है। जिसमें इन मुद्दों पर निर्णय हो सकता है। इसके बाद 15 अक्टूबर से आयुर्वेद पैरामेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसलिंग शुरू की जाएगी।
3.36 करोड़ से बनेगा परिषद का भवन..
भारतीय चिकित्सा परिषद का कार्यालय वर्तमान में किराये के भवन में चल रहा है। आयुर्वेद विवि हर्रावाला के पास परिषद का नया भवन बनाया जाएगा। सात अक्टूबर को भवन का शिलान्यास होगा। इस भवन पर 3.36 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान है।
उत्तराखंड में लागू हुई नई व्यवस्था, सड़क दुर्घटना में मिलेगा 1.50 लाख का तक कैशलेस इलाज..
उत्तराखंड: सड़क दुर्घटना में घायलों को अब आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों में 1.50 लाख तक कैशलेस इलाज मिलेगा। यह सुविधा आयुष्मान योजना से अलग होगी। घायलों के लिए इलाज पर खर्च राशि का भुगतान सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय करेगा। इस नई व्यवस्था को प्रदेश में लागू कर दिया गया। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने सभी सूचीबद्ध अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिए हैं। जिन लोगों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है और सड़क दुर्घटना में घायल हो जाते हैं, तो उन्हें भी नई व्यवस्था के तहत कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। अस्पतालों को इलाज पर आने वाले खर्च का भुगतान मंत्रालय की ओर से किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ.धन सिंह रावत का कहना हैं कि इस नई योजना को प्रदेश में लागू कर दिया गया है। इसके लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने सभी तैयारियां कर ली हैं। सड़क दुर्घटना के मरीज को अधिकतम सात दिन की अवधि के लिए 1.50 लाख तक का इलाज मिलेगा। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों की दृष्टि से उत्तराखंड संवेदनशील है। यह व्यवस्था घायलों के इलाज में मददगार साबित होगी।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि सड़क हादसे में घायल व्यक्ति की अस्पताल में ई-डीएआर यानी डिटेल एक्सीडेंट रिपोर्ट जनरेट होगी। उसी आईडी से उपचार शुरू हो जाएगा। इस सुविधा के लिए मरीज के पास आयुष्मान या किसी अन्य योजना का कार्ड होना भी अनिवार्य नहीं है।
धामी सरकार ने तीन साल में शुरु किए दो मेडिकल कॉलेज..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी के तीन साल के कार्यकाल के दौरान, उत्तराखंड में दो नए मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुके हैं। धामी सरकार के कार्यकाल के दौरान 2022 में अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुका है, और अब इसी सत्र से हरिद्वार मेडिकल कॉलेज भी शुरू होने जा रहा है। दोनों जगह की कुल 200 नई सीटें जुड़ने से उत्तराखण्ड में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में मेडिकल सीटों की संख्या बढ़कर 625 हो गई है।
धामी सरकार के कार्यभार ग्रहण करने से पहले प्रदेश में श्रीनगर, देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज ही संचालित हो रहे थे। हालांकि तब तक अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज और हरिद्वार मेडिकल कॉलेज पर भी काम शुरू हो चुका था। कार्यभार ग्रहण करने के तत्काल बाद प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ ही एमबीबीएस सीटों की संख्या बढ़ाने के संकल्प के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन दोनों मेडिकल कॉलेजों को प्राथमिकता पर शुरू करने के निर्देश दिए।
जिसके बाद दोनों मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर पूरा किया गया। जिसमें से अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज का निर्माण पहले पूरा होने पर यहां 2022 से ही मेडिकल की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। अब इसी क्रम में हरिद्वार मेडिकल कॉलेज का भी निर्माण कार्य पूरा होने से इसी शैक्षिक सत्र से यहां भी एमबीबीएस की 100 सीटों पर प्रवेश का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए मौजूदा शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए 100 सीटें मंजूर कर दी हैं। इसके लिए अब काउंसिलिंग शुरू की जा रही है। इससे प्रदेश के और अधिक बच्चों को एमबीबीएस करने का मौका मिलेगा, इसके लिए उन्हें सरकारी फीस ही चुकानी है।
हमारी सरकार नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के जरिए जहां स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार कर रही है, वहीं इससे मेधावी छात्रों को भी अपने प्रदेश में ही मेडिकल की पढ़ाई सस्ती दरों पर करने का मौका मिलेगा। हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए जल्द पहले बैच की काउंसिलिंग शुरू होगी, जल्द ही पिथौरागढ़ और रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज का निर्माण पूरा करते हुए जरूरी मान्यता दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
देश का पहला सैन्यधाम इस महीने बनकर होगा तैयार- सैनिक कल्याण मंत्री..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत राजधानी के गुनियाल गांव में बन रहा देश का पहला सैन्यधाम लगभग तैयार हो चुका है। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी का कहना हैं कि धाम का 85 फीसदी काम पूरा हो चुका है। 15 फीसदी काम इसी महीने पूरा हो जाएगा। विभागीय मंत्री ने धाम का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को सैन्यधाम के अंतिम चरण के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सैन्यधाम की भव्यता और दिव्यता पर अधिकारियों को विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। कहा, सैन्य धाम को जल्द ही प्रदेश की जनता को समर्पित किया जाएगा।
उनका कहना है कि देशभर के स्मारकों के अध्ययन के बाद सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा, जिसमे 1,734 शहीद जवानों के आंगन की मिट्टी और प्रदेश की 28 पवित्र नदियों का जल अमर जवान ज्योति के मुख्य स्तंभ में प्रतिस्थापित किया गया है। सैन्य धाम में लाइट एंड साउंड शो, म्यूजियम व ऑडिटोरियम टैंक, सैन्य जहाज सहित अन्य सैन्य उपकरण भी रखे जाएंगे।
धाम आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति के लिए करेगा प्रेरित..
शहीदों के प्रति सम्मान एवं सेना के शौर्य, पराक्रम व गौरवशाली इतिहास को संजोकर रखने के उद्देश्य से सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि हमारे अमर बलिदानियों की शौर्य गाथाओं के प्रतीक उत्तराखंड का पंचमधाम सैन्यधाम वीर नारियों, वीर माताओं और प्रदेश की जनता को समर्पित किया जाएगा। यह धाम निश्चित ही आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति के लिए प्रेरित करने का कार्य करेगा। निरीक्षण के दौरान कार्यदायी संस्था पेयजल निगम के एमडी रणवीर सिंह चौहान, उपनिदेशक कर्नल एमएस जोधा, उप सचिव निर्मल कुमार, परियोजना निदेशक रवींद्र कुमार, जिला पंचायत उपाध्यक्ष दीपक पुंडीर आदि रहे।
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने खुले बाजार से बिजली खरीदने पर लगाया सरचार्ज..
उत्तराखंड: खुले बाजार यानी ओपेन एक्सेस से बिजली खरीदने वालों को अब अतिरिक्त पैसा देना होगा। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल की याचिका पर सुनवाई करते हुए ओपेन एक्सेस उपभोक्ताओं के लिए 1.12 रुपये प्रति यूनिट की दर से एडिशनल सरचार्ज लगा दिया है। इससे आम उपभोक्ता प्रभावित नहीं होंगे। कई बड़े उपभोक्ता ऐसे भी हैं जो कि खुले बाजार से बिजली खरीदते हैं।
यूपीसीएल इन उपभोक्ताओं से सरचार्ज वसूल करता है। यूपीसीएल ने पिछले दिनों नियामक आयोग में याचिका दायर करते हुए एडिशनल सरचार्ज की मांग की थी। नियामक आयोग में अध्यक्ष एमएल प्रसाद व सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने 1.12 रुपये प्रति यूनिट की दर से एडिशनल सरचार्ज को मंजूरी दे दी है। यह सरचार्ज ओपेन एक्सेस उपभोक्ताओं से एक अक्टूबर से अगले साल 31 मार्च तक वसूल किया जाएगा। इससे आम बिजली उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। नियामक आयोग के सचिव नीरज सती का कहना हैं कि यह व्यवस्था केवल ओपेन एक्सेस उपभोक्ताओं के लिए है।