उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों पर सामने आया बड़ा अपडेट, देहरादून में होगा शुभारंभ, हल्द्वानी में होगा समापन..
उत्तराखंड: 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन उत्तराखंड में होने जा रहा है। जिसे लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। आगामी 38वें राष्ट्रीय खेलों का भव्य शुभारंभ देहरादून में होगा। जबकि राष्ट्रीय खेलों का समापन हल्द्वानी में किया जाएगा। 38वें राष्ट्रीय खेलों का भव्य शुभारंभ देहरादून में और समापन हल्द्वानी में किया जाएगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन राज्य में खेलों को बढ़ावा देने और युवाओं को प्रोत्साहित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
सीएम ने कहा कि उत्तराखण्ड के लोग जहां भी जाते हैं अपनी सांस्कृतिक धरोहर, लोक परंपराएं, खानपान और अपनत्व की भावना को जीवित रखते हैं। उनके घरों में हमेशा ऐपण और गंगा दशहरा द्वार पत्र की सुंदर झलक देखने को मिलती है। सीएम ने कहा कि हमारी सरकार राज्य के समग्र विकास और युवाओं के उत्थान के साथ ही प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता एवं स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पटल पर स्थापित करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। बता दें कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए प्रदेश में लंबे समय से तैयारी की जा रही है। उत्तराखंड में नेशनल गेम्स 25 जनवरी से 14 फरवरी तक होने जा रहे हैं।
जानिए क्या हैं सुभद्रा योजना? जिसके तहत महिलाओं को मिलेंगे 50 हजार रुपये..
देश-विदेश: ओडिशा सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सुभद्रा योजना शुरु कर रही है। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना और उन्हें डिजिटल ट्रांजेक्शन की ओर प्रोत्साहित करना है। बता दें कि सुभद्रा योजना ओडिशा सरकार की एक महत्तवकांक्षी पहल है। इस योजना का लक्ष्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत राज्य की एक करोड़ महिलाओं को लाभान्वित किया जाएगा।
ऐसे दी जाएगी महिलाओं को सहायता..
इस योजना के तहत महिलाओं को सालाना 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
यह राशि दो किस्तों में दी जाएगी।
प्रत्येक किस्त 5 हजार रुपये की होगी।
यह योजना 2024-25 से लेकर 2028-29 तक होगी।
इसमें पांच सालों में कुल 50 हजार रुपये महिलाओं के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से भेजे जाएंगे।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए नियम..
महिला की उम्र 21 से 60 साल होना।
ओडिशा राज्य का मूल निवासी होना।
सरकारी नौकरी वाली महिलाओं को नहीं मिलेगा लाभ।
इनकम टैक्स भरने वाली महिलाओं को नहीं मिलेगा लाभ
जो पहले से राज्य की कोई अन्य योजना के तहत 1500 रुपये का लाभ ले रही हो वो नहीं होंगी पात्र।
यूजी और पीजी सेमेस्टर की परीक्षाएं 29 नवंबर से होंगी शुरू..
उत्तराखंड: श्रीदेव सुमन विवि की सेमेस्टर परीक्षाओं को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। विवि ने स्नातक प्रथम, तृतीय व पांचवें और स्नातकोत्तर प्रथम और तृतीय सेमेस्टर का परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। विवि की उक्त सेमेस्टरों की परीक्षाएं 29 नवंबर से शुरू होगी, जो दिसंबर अंत तक चलेंगी। 200 केंद्रों पर सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित की जाएगी।
श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध राजकीय महाविद्यालयों और निजी कॉलेजों की स्नातक प्रथम, तृतीय व पांचवें और स्नातकोत्तर प्रथम और तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं पूर्व में 9 नवंबर से होनी थी, लेकिन छात्रों के विरोध के चलते विवि को परीक्षा कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा था। छात्रसंघ चुनाव कराने और सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी नहीं होने के चलते तब छात्र आंदोलनरत थे। विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. सीएम नेगी का कहना हैं कि स्नातक प्रथम, तृतीय व पांचवें और स्नातकोत्तर की परीक्षाएं अब 29 नवंबर से आयोजित की जाएगी। परीक्षा कार्यक्रम विवि की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। छात्र-छात्राएं विवि की वेबसाइट http://www.sdsu.ac.inपर अपना परीक्षा कार्यक्रम देख सकते हैं। परीक्षा के सफल आयोजन के लिए विवि के स्तर पर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। नकल विहीन परीक्षा संपन्न कराने के लिए उड़नदस्तों की टीम का गठन किया गया है।
उत्तराखंड के 13वें डीजीपी बने दीपम सेठ, 1995 बैच के हैं आईपीएस अधिकारी..
उत्तराखंड: दीपम सेठ उत्तराखंड के 13वें डीजीपी बन गए हैं। गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। एडीजी दीपम सेठ ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटकर सोमवार को मूल कैडर ज्वाइन किया। ज्वाइन करते ही उन्हें पुलिस के 13वें मुखिया की जिम्मेदारी भी दी गई। दीपम सेठ 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। और वर्ष 2019 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे। अभी उनकी प्रतिनियुक्ति अवधि पूरी नहीं हुई थी कि शासन ने उन्हें वापस बुलाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। पत्र के एक दिन बाद ही केंद्र ने उन्हें रिलीव भी कर दिया। बता दें कि एडीजी दीपम सेठ उत्तराखंड कैडर के वर्तमान में सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। पिछले साल पूर्व डीजीपी अशोक कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद सेठ के वापस आने की चर्चाएं हुई थीं।
इस मांग को केंद्र सरकार ने भी अगले ही दिन स्वीकृत कर लिया और सेठ को शनिवार को रिलीव कर दिया गया। अब एडीजी दीपम सेठ सोमवार को दून आकर अपना मूल कैडर ज्वाइन करेंगे। सूत्रों के अनुसार ज्वाइन करने के बाद उन्हें पुलिस की कमान सौंपने की तैयारियां भी की जा रही हैं। इस संबंध में शासन स्तर पर सारी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली हैं।
केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी के सिर सजा ताज..
उत्तराखंड: भारतीय जनता पार्टी बीजेपी ने उत्तराखंड का केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव जीत लिया हैं। उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है। हालांकि, राजनीतिक पार्टियों जहां एक ओर अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत का दम भर रही थीं, तो वहीं नतीजे सामने आने के बाद अब राजनीतिक पार्टियां चुनाव का विश्लेषण करने पर जोर दे रही हैं। मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद धामी सरकार के नेतृत्व में भाजपा ने केदारनाथ उपचुनाव को भारी बहुमत से जीत लिया है। भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल केदारनाथ उपचुनाव में बड़े अंतर से विजयी हुई हैं। ऐसे में भाजपा के उपचुनाव जीतने के क्या रहे हैं महत्वपूर्ण फैक्टर?
केदार घाटी में धार्मिक और मुस्लिम फैक्टर..
उत्तराखंड राज्य में धार्मिक और मुस्लिम फैक्टर का काफी असर देखा जा रहा है। हालांकि केदारनाथ विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ना के बराबर है। बावजूद इसके प्रदेश के तमाम हिस्सों में मुस्लिम फैक्टर का असर केदारनाथ विधानसभा सीट पर भी देखने को मिला है। यही वजह रही कि केदारनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा को धार्मिक और मुस्लिम फैक्टर की वजह से काफी फायदा मिला है।
उपचुनाव से पहले धामी सरकार की तमाम बड़ी सौगातें..
केदारनाथ उपचुनाव की तिथियां का ऐलान होने से पहले ही धामी सरकार ने केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लिए सौगातों का पिटारा खोल दिया था। 31 जुलाई को केदार घाटी में आई आपदा की वजह से करीब एक महीने तक केदारनाथ यात्रा प्रभावित रही थी। जिसके चलते धाम में सरकार ने स्थानीय व्यापारियों और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए न सिर्फ पैकेज दिया, बल्कि केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए तमाम योजनाओं को मंजूरी देते हुए वित्तीय स्वीकृति भी दी। ऐसे में भाजपा को केदारनाथ विधानसभा सीट पर मिली जीत में एक फैक्टर धामी सरकार की ओर से दी गई सौगातें और घोषणाएं भी मानी जा रही हैं।
केदारनाथ उपचुनाव में सरकार की मुस्तैदी..
केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान सरकार की काफी अधिक मुस्तादी क्षेत्र में देखने को मिली। बता दे कि मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा को मिली करारी हार के बाद भाजपा केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव को हारना नहीं चाहती थी। यही वजह थी कि भाजपा संगठन ने केदारनाथ उपचुनाव में न केवल पांच मंत्रियों को चुनाव की जिम्मेदारी दी, बल्कि तमाम नेताओं को भी धरातल पर काम करने के लिए भेजा।ताकि केदारनाथ उपचुनाव को हर हाल में बीजेपी जीत सके. कुल मिलाकर केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में सरकार की मुस्तैदी का असर रहा कि भाजपा ने केदारनाथ उपचुनाव को भारी बहुमत से जीत लिया है।
बता दे कि उत्तराखंड राज्य गठन के बाद इस साल जुलाई से पहले तक रूलिंग पार्टी का ही उपचुनाव को जीतने का रिकॉर्ड था। लेकिन जुलाई में हुए मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव में रूलिंग पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। यही नहीं, इससे पहले भी एक दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे रूलिंग पार्टी के अपोजिट दिखाई दिए। हालांकि केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में रूलिंग पार्टी के चुनाव जीतने का फैक्टर देखने को मिला।दरअसल रूलिंग पार्टी के चुनाव जीतने से एक बड़ा फायदा यही होता है कि उस क्षेत्र में विकास के कार्य की गति और अधिक तेज हो जाती है।
पीएम मोदी की आस्था और विकास कार्यों पर सक्रियता..
केदारनाथ धाम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आस्था जुड़ी हुई है। यह बात केदार घाटी की जनता बखूबी जानती है. साल 2013 में केदार घाटी में आई भीषण आपदा के बाद केदार घाटी में पुनर्निर्माण के कार्यों को तेज गति से किया गया था। इसके साथ ही साल 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद न सिर्फ केदार घाटी के लिए भारत सरकार ने कई बड़ी सौगातें दी हैं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद समय-समय पर केदार घाटी में चल रहे विकास कार्यों का निरीक्षण भी करते रहे हैं। यही वजह रही कि उपचुनाव के दौरान भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बाबा केदार में आस्था और विकास कार्यों के प्रति सक्रियता को भी एक बड़ा मुद्दा बनाया, जिसका असर केदार घाटी में देखने को मिला।
भाजपा के ब्राह्मण कैंडिडेट का फैक्टर..
केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा ने प्रदेश महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया। जिसका एक बड़ा फैक्टर यह था कि आशा नौटियाल ब्राह्मण हैं और केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में बड़ी तादाद में ब्राह्मण हैं। ऐसे में ब्राह्मण जाति के लोगों को टारगेट करने के लिए भाजपा का यह फार्मूला कामयाब हो गया। यही नहीं इस उपचुनाव के दौरान धार्मिक फैक्टर की वजह से ब्राह्मण जाति के लोग न सिर्फ एकजुट हो गए, बल्कि आशा नौटियाल के प्रत्याशी बनने की वजह से भी ब्राह्मण जाति के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाजपा को अपना समर्थन दिया।
निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन ने कांग्रेस के मतदाताओं में लगाई सेंध..
केदारनाथ उपचुनाव में एक बड़ा फैक्टर ये भी रहा कि जहां एक ओर भाजपा को अपने कैडर वोटरों का वोट तो मिला ही, वहीं धार्मिक मुद्दों की वजह से भाजपा को ब्राह्मण, ठाकुर और एससी/ एसटी जाति के लोगों का वोट भी मिला है। जबकि कांग्रेस का मतदाता बंटता दिखाई दिया। इसकी मुख्य वजह निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन सिंह का चुनावी मैदान में खड़ा होना था। कांग्रेस का वोट बंटने की वजह से भाजपा को चुनाव जीतने में एक और बड़ा फायदा मिला। इसका नतीजा रहा कि भाजपा केदारनाथ उपचुनाव को जीत गई।
राज्य स्तरीय साहसिक परीक्षण केंद्र का खेल मंत्री रेखा आर्या ने किया शुभारंभ..
उत्तराखंड: खेल मंत्री रेखा आर्या ने शुक्रवार को टिहरी गढ़वाल के शिवपुरी पहुंचकर राज्य स्तरीय साहसिक परीक्षण केंद्र का शुभारंभ किया। इस दौरान उनके साथ कैबिनेट मंत्री ओर नरेंद्र नगर विधायक सुबोध उनियाल भी मौजूद थे। मंत्री ने कहा कि राफ़्टिंग उत्साही खेल है। आज यह केंद्र राफ्टिंग करने वाले प्रशिक्षुओं को समर्पित किया जा रहा है। उम्मीद है कि आगामी राष्ट्रिय खेलों में यहां परीक्षण ले रहे उत्तराखण्ड के प्रशिक्षुओं के लिए उपयोगी होगा और हमारा प्रदेश राफ्टिंग में अच्छा प्रदर्शन कर पदक जीतेगा। प्रशिक्षु में युवतियों की संख्या को देखते हुए मंत्री ने कहा हमारी सरकार में बेटियां सशक्त बन रहीं हैं।
खिलाड़ियों के इनाम की धनराशि को किया है सरकार ने दोगुना- मंत्री..
रेखा आर्या का कहना हैं कि हमारी सरकार साहसिक कदम उठाते हुए राष्ट्रीय खेलों में मेडल प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को इनाम की धनराशि को दोगुना किया है। जिसके लिए सूबे के मुख्यमंत्री बधाई के पात्र हैं। मंत्री ने कहा अब समय बदल गया है। अब लोग मनोरंजन के बजाय करियर के रूप में खेल क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। खेल मंत्री रेखा आर्या ने राष्ट्रीय खेलों के निमित होने वाले वाटर स्पोर्ट्स प्रत्योगिताओं की तैयारियों का भी निरक्षण किया। इसके साथ ही राफ्टिंग कर खुद राफ्ट की लोकेशन का मुआयना किया। जिसके बाद मंत्री वॉलीबॉल के मैदान पर पहुंची और अधिकारियों को राष्ट्रीय खेलों का आयोजन ओलंपिक संघ के मानकों के अनुरूप सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0- खुद की जमीन पर घर बनाने पर सरकार देगी ढाई लाख रुपए की सब्सिडी..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 के तहत राज्य में अपनी जमीन पर घर बनाने वालों को अब ज्यादा पैसा मिलेगा। हाल में लांच योजना के तहत उत्तराखंड को विशेष राहत देते हुए केंद्रीय अंश 1.50 लाख से बढ़ाकर 2.25 लाख रुपये किया गया है। राज्य सरकार का अंश पहली योजना में 50 हजार रुपये था। पीएम आवास योजना में इस बार एफॉर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम (एआरएच) पर खास फोकस किया गया है। एआरएच परियोजना का कुल क्षेत्रफल का 10 प्रतिशत हिस्सा व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस बार टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रांट को इसमें खास महत्व दिया गया है। पीएम आवास 2.0 के तहत अब राज्यों को प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजने हैं। जिसके बाद एआरएच के लिए नगर निकायों के साथ मिलकर जमीन की तलाश शुरू कर दी गई है। नगर निकाय मलिन बस्तियों के पुनर्वास के लिए भी इस योजना के तहत आवेदन कर सकेंगे। सचिव शहरी विकास नितेश झा ने बताया, नई योजना के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
इन चार श्रेणियों में चलेगी पीएम आवास 2.0 योजना..
बीएलसी (लाभार्थी आधारित)- इस योजना के तहत खुद की जमीन पर मकान बनाने के लिए सरकार पैसा देगी। केंद्र सरकार से 2.25 लाख की ग्रांट मिलेगी। राज्य सरकार की ग्रांट अभी तय नहीं है। पहली योजना में 50 हजार रुपये दिए जाते थे।
एएचपी (हाउसिंग प्रोजेक्ट)- इस श्रेणी में निजी या सरकारी स्तर पर तैयार की गई हाउसिंग परियोजनाओं में ईडब्ल्यूएस भवन लिए जा सकेंगे। यहां भी केंद्र सरकार से 2.25 लाख और राज्य से 50 हजार मिलेंगे।
एआरएच (रेंटल हाउसिंग)- इस श्रेणी में किराये के लिए हाउसिंग प्रोजेक्ट बनेंगे। इनमें केंद्र सरकार 3000 रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रति यूनिट और राज्य सरकार 2000 रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रति यूनिट के हिसाब से टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रांट (टीआईजी) देगी।
आईएसएस (ब्याज सब्सिडी)- 35 लाख रुपये तक का 120 वर्ग मीटर या इससे कम क्षेत्र का आवास खरीदने वालों को 1.80 लाख रुपये तक की लोन सब्सिडी मिलेगी। इसके लिए 25 लाख रुपये तक ही होना स्वीकार्य होगा।
मसूरी का कंपनी गार्डन अब ‘अटल उद्यान’ से जाना जाएगा..
उत्तराखंड: पहाड़ों की रानी मसूरी में अंग्रेजों के जमाने से स्थापित कंपनी गार्डन का नाम अटल उद्यान हो गया हैं। मसूरी कंपनी गार्डन में आयोजित कार्यक्रम में शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और कृषि मंत्री गणेश जोशी ने अटल उद्यान का उद्घाटन किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को यह अटल उद्यान समर्पित किया गया है। अब जल्द ही अटल जी की आदमकद मूर्ति भी अटल उद्यान में स्थापित की जाएगी।
शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड का निर्माण में अहम योगदान दिया था। आज उनके सपनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का लगातार विकास किया जा रहा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में विभिन्न योजनाओं के तहत उत्तराखंड का विकास हो रहा है, सड़कों के जाल बिछाए जा रहे हैं और नए पर्यटन स्थल विकसित किया जा रहे हैं।
जल्द होंगे निकाय चुनाव..
मंत्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में जल्द नगर निकाय चुनाव होंगे। आरक्षण की प्रक्रिया करीबन पूरी हो चुकी है। जल्द ही निर्वाचन आयोग चुनाव की तिथि तय करेगा। सरकार नगर निकाय चुनाव को लेकर पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि केदारनाथ की सीट बीजेपी जीत रही है। जिस तरीके से बेवजह के आरोप कांग्रेस लगा रही है, उससे साफ है कि कांग्रेस केदारनाथ की सीट हार चुकी है। उनका कहना है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ के विकास के लिए बहुत कुछ किया है। वहां की जनता जानती है कि केदारनाथ का विकास मात्र बीजेपी ही कर सकती है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के नेताओं की ओर से प्रदेश की सरकार और बीजेपी को लेकर दुष्प्रचार किया गया, लेकिन उससे कुछ होने वाला नहीं है।
कौशाम्बी तक रोडवेज बस संचालन की अनुमति नहीं मिली..
उत्तराखंड: दिल्ली रूट पर बस सेवा प्रभावित होने के बाद फिलहाल उत्तर प्रदेश के कौशांबी तक भी उत्तराखंड रोडवेज की बसें नहीं चल पाएंगी। दो दिन पहले मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने परिवहन विभाग की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें विशेषकर वीकेंड पर दिल्ली मार्ग पर बसों के फेरे बढ़ाने और उत्तर प्रदेश के कौशांबी तक बस संचालन पर यूपी से बात करने के निर्देश दिए गए थे। परिवहन निगम के अधिकारियों ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश रोडवेज के अफसरों से बात की। उन्होंने अपनी बीएस-4 बसों को कौशांबी तक ले जाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन यूपी के अफसरों ने जगह देने से इनकार कर दिया। उत्तराखंड रोडवेज की दिल्ली मार्ग पर रोजाना 504 बसें संचालित होती थी, लेकिन दिल्ली में कोर्ट का आदेश लागू होने के बाद रोडवेज की बीएस-4 बसों की एंट्री बंद हो गई है। परिवहन निगम किसी तरह से आधी बसों के साथ दिल्ली मार्ग पर संचालन कर रहा है। जिस कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है।
हाईकोर्ट पहुंचा उत्तरकाशी मस्जिद विवाद, मुस्लिम समुदाय ने कर दी ये मांग..
उत्तराखंड: उत्तरकाशी मस्जिद विवाद एक बार फिर से चर्चाओं में है। अब ये मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया है। उत्तरकाशी मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम समुदाय हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और मस्जिद को सुरक्षा देने की मांग की है।उत्तरकाशी में बीते दिनों मस्जिद को लेकर जमकर बवाल हुआ था। यहां तक कि जिले में धारा 163 लागू करनी पड़ी थी। इस मामले को लेकर हिंदू संगठनों में लगातार आक्रोश देखने को मिल रहा है। लेकिन अब इस मामले में मुस्लिम समुदाय हाईकोर्ट की शरण में पहुंचा और और उन्होंने इस मस्जिद को सुरक्षा देने की मांग की है। मुस्लिम समुदाय ने लोग मस्जिद को अवैध बताने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिस मस्जिद को अवैध बताकर इतना विरोध किया जा रहा है वो पूरी तरह से वैध है। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मस्जिद को सुरक्षा देने की मांग की गई है। बता दें कि इस मामले में हाल ही में हिंदू संगठन के लोगों ने 25 नवंबर को तहसील स्तर पर ज्ञापन सौंपने और एक दिसबंर को महापंचायत करने का ऐलान किया था।
क्या है उत्तरकाशी मस्जिद विवाद ?
उत्तरकाशी के मौजा बाड़ाहाट, तहसील भटवाड़ी में एक मस्जिद है जिसे हिंदू संगठन के लोग हटाने की मांग कर रहे हैं। इसको लोकर 21 अक्टूबर को उत्तरकाशी में बाजार बंद रखे गए और एक जन आक्रोश रैली निकाली गई। इस रैली के दौरान जमकर बवाल हुआ था जिसके बाद इलाके में धारा 163 लागू कर दी गई थी।
मिली जानकारी के अनुसार इसी साल मौजा बाड़ाहाट, तहसील भटवाड़ी में स्थित मस्जिद को लेकर एक आरटीआई फाइल की गई। जिसके जवाब में प्रशासन ने कहा कि इस मस्जिद से जुड़े कागजात नहीं है। इसके बाद से ही हिंदू संगठन के लोगों ने इस मस्जिद को हटाने की मांग शुरू की। इस मस्जिद को गिराने के लिए उत्तरकाशी के डीएम को एक ज्ञापन भी सौंपा गया। जिसके बाद हिंदूवादी संगठन के सदस्य 6 सितंबर को मस्जिद गिराने की मांग को लेकर डीएम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। हिंदूवादी संगठन के सदस्यों ने प्रशासन को तीन दिना का अल्टीमेटम दिया था कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो वो खुद मस्जिद को धवस्त कर देंगे। जिसके बाद जिलाधिकारी ने इस पूरे मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया। कमेटी ने जांच के बाद जो रिपोर्ट प्रस्तुत की उसमें बताया गया था कि ये मस्जिद वैद्य है। जिस जमीन पर मस्जिद बनी है वो सरकारी नहीं है। प्रशासन ने इन संगठनों को ये जानकारी भी दी लेकिन संगठन इसे मानने को तैयार नहीं हैं और अब भी इसे हटाने की मांग कर रहे हैं।