केदारनाथ में मोबाइल फोन की नो एंट्री, मंदिर समिति ने लगाया प्रतिबंध..
उत्तराखंड: हाल ही में कई विवादास्पद वीडियो के कारण सुर्खियों में रहे केदारनाथ मंदिर में मोबाइल फोन प्रवेश, फोटोग्राफी और वीडियो रिकॉर्डिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मंदिर के डिजाइन के प्रभारी बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने मंदिर परिसर के भीतर विभिन्न स्थानों पर पट्टिकाएं लगाई हैं।
ये नोटिस बोर्ड दर्शाते हैं कि मंदिर के मैदान में सेल फोन की अनुमति नहीं है, मंदिर के अंदर किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी या वीडियो रिकॉर्डिंग सख्त वर्जित है, और मंदिर की निगरानी सीसीटीवी कैमरों द्वारा की जाती है। हाल ही में गढ़वाल हिमालय के केदारनाथ मंदिर में रिकॉर्ड किए गए ऐसे कई वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं, जहां तीर्थ पुरोहितों से लेकर आम भक्तों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने आपत्ति जताई है और धार्मिक स्थलों पर इस तरह के कृत्यों की गलत तरीके से निंदा की है।
उत्तराखंड। केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में लगे सोने को पीतल में बदलने का सबसे पहले वीडियो वायरल करने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत खुद सवालों के घेरे में आ गए हैं। भाजपा ने केदारनाथ आपदा के समय आपदा राहत कार्यों को लेकर ना केवल तत्कालीन कांग्रेस सरकार को घेरा है, बल्कि आपदा घोटाले में मनोज रावत को भी कठघरे में खड़ा किया है।
भाजपा ने केदारनाथ में स्वर्णमंडन के कार्य में घोटाले का आरोप लगाने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें केदारनाथ आपदा में हुए घोटालों पर सही स्थिति जनता के सामने रखने की जरूरत है, क्योंकि सभी मामले उनके क्षेत्र से जुड़े हैं और उन्हें धार्मिक स्थलों को की छवि से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता बिपिन कैन्थोला ने कहा कि केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के मामले में कांग्रेस घृणित राजनीति कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के निर्देश पर मनोज रावत के नेतृत्व में केदारनाथ गए दल ने प्रेस कांफ्रेंस में जो आरोप लगाए वो भ्रामक व तथ्यहीन हैं। कांग्रेस नेताओं ने अब तक जितने भी आरोप लगाए हैं, उनका श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा बिंदुवार जवाब दे दिया गया है। इसके बावजूद कांग्रेस नेता बेवजह के आरोप-प्रत्यारोप लगा कर केदारनाथ धाम की छवि को धूमिल करने का दुष्प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने को लेकर तमाम आरोप लगा रहे हैं। मगर उनके द्वारा अभी तक इसका कोई भी दस्तावेज अथवा प्रमाण जनता के सामने नहीं रखा गया है। इसके विपरीत केदारनाथ आपदा के समय आपदा के लिए आयी राहत राशि में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किस प्रकार से बंदरबांट की, यह जग जाहिर है। आपदा पीड़ितों के हिस्से की धनराशि को अनाप-शनाप तरीके से खर्च किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत को तत्कालीन हरीश रावत सरकार द्वारा “हिटो-केदार” अभियान के नाम पर लाखों रूपये दिए गए। आपदा के पैंसे को ट्रैकिंग के नाम पर लुटा दिया गया। गढ़वाल मंडल विकास निगम के माध्यम से माऊंटेनियर्स एंड ट्रैकर्स एसोसियशन (माटा) नाम की एक संस्था को आनन-फानन में ट्रैकिंग अभियान संचालित करने का जिम्मा सौंप दिया गया। माटा संस्था का सोसायटी रजिस्ट्रार के यहां 22 सितंबर, 2016 को पंजीकरण किया गया और उसी माह इस संस्था को ट्रैकिंग अभियान संचालित करने की अनुमति दे गयी।
इस संस्था के अध्यक्ष कांग्रेस नेता मनोज रावत थे। इस प्रक्रिया में नियम-कानूनों का किसी प्रकार से पालन नहीं किया गया। इस संस्था के पास किसी प्रकार का अनुभव नहीं था। ना ही संस्था के चयन के लिए कोई प्रक्रिया अपनायी गयी। मनोज रावत की संस्था को किस आधार पर यह कार्य दिया गया, इसमें प्रतिभागियों का चयन किसने किया और वो कौन थे, ये कहीं स्पष्ट नहीं है।
केदारनाथ गर्भगृह मामला- सोने की परत मामले की जांच के लिए विशेषज्ञों की कमेटी होगी गठित..
उत्तराखंड: केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाने को लेकर उठे विवादों की जांच गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित कमेटी करेगी। कमेटी में तकनीकी विशेषज्ञों संग सोने की परत चढ़ाने का काम करने वाले सुनार को भी शामिल किया जाएगा। पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज का कहना हैं कि गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के मामले में अफवाह फैलाकर राजनीति की जा रही है। इससे धार्मिक आस्था आहत हो रही है। अफवाहों पर विराम लगाने और सच्चाई सामने लाने के लिए सचिव धर्मस्व को गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर जांच करने के निर्देश दिए हैं।
कहा, विपक्षी दल आस्था से जुड़े मामले को अनावश्यक तूल देकर चारधाम यात्रा में खलल डालने की कोशिश कर रहे हैं। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश सरकार धार्मिक आस्था से जुड़े मामले को लेकर संवेदनशील है। मंत्री ने सभी से आग्रह किया कि केदारनाथ धाम पर विवाद खड़ा न करें।
सोने की परत चढ़ाने की अनुमति आस्था और भावना के अनुरूप गई थी..
सतपाल महाराज का कहना हैं कि बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम-1939 में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप ही दानदाता से दान को स्वीकारा है। समिति की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित कर गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के लिए प्रदेश शासन से अनुमति ली।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देखदेख में ही स्वर्ण मंडित करने का कार्य किया गया था। बीकेटीसी की ओर से गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की अनुमति दानदाता की आस्था और भावना के अनुरूप गई थी। सोना खरीदने से लेकर गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का संपूर्ण कार्य दानी की ओर से अपने स्वर्णकार से कराया गया। स्वर्ण व तांबे की प्लेटों के आधिकारिक बिल और बाउचर भी बीकेटीसी को कार्य पूर्ण होने के बाद दिए गए।
केदारनाथ दर्शन के लिए एक तीर्थयात्री को मिल रहा तीन से पांच सेकंड का समय..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा में बाबा केदार के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है। जिसके चलते धाम में रोजाना भीड़ बढ़ रही है। केदारनाथ में बाबा के दर्शन के लिए एक श्रद्धालु को 3 से 5 सेकंड का समय मिल रहा है लेकिन अब दिनोदिन बढ़ती यात्रा में यह समय कम हो सकता है। सोमवार को दिनभर केदारनाथ में भक्तों की भीड़ जुटी रही। इस सीजन में 21 दिनों में ही दर्शनार्थियों का आंकड़ा तीन लाख के पार हो गया है। सुबह 4 से 10 बजे तक कम भीड़ रहने पर भक्तों को गर्भगृह से दर्शन कराए जा रहे हैं।
इस दौरान बाबा के दर्शन के लिए एक भक्त को पांच सेकंड तक का समय मिल रहा है लेकिन पूर्वाह्न से यहां भीड़ बढ़ने पर श्रद्धालुओं को सभामंडप से ही दर्शन कराए जा रहे हैं। बीकेटीसी के कार्याधिकारी रमेश चंद्र तिवारी का कहना हैं कि पिछले तीन दिनों केदारनाथ में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। सोमवार को बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लाइन संगम तक लगी रही।
15 मई तक चारधाम यात्रा में अब तक 30 लाख से अधिक यात्री पंजीकरण कर चुके हैं। केदारनाथ धाम के लिए 15 से 25 मई तक 2.79 लाख यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। सोनप्रयाग से सोमवार को कुल 17345 श्रद्धालुओं को केदारनाथ भेजा गया। सेक्टर मजिस्ट्रेट का कहना हैं कि पूरे दिनभर मौसम सामान्य रहा। इस दौरान अपराह्न बाद चार बजे तक श्रद्धालुओं को भेजा गया।
स्वास्थ्य विभाग ने सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 1900 श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य की जांच कर इलाज किया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एचसीएस मार्तोलिया ने बताया कि अब तक कुल 15 यात्रियों को एयर लिफ्ट किया जा चुका है जिसमें छह को एम्स ऋषिकेश में भर्ती किया गया है।
केदारनाथ धाम में रात 11 से सुबह पांच बजे तक हो रही पूजाएं..
उत्तराखंड: केदारनाथ में रात 11 से सुबह पांच बजे तक भक्तों की बुकिंग की गई पूजाएं हो रही हैं। कपाट खुलने के बाद अभी भीड़ के चलते सिर्फ षोडषोपचार अभिषेक पूजा हो रही है। साथ ही सुबह पांच बजे से धर्म दर्शन शुरू हो रहे हैं जो अपराह्न तीन बजे तक हो रहे हैं। इसके बाद शाम पांच बजे से सांयकालीन आरती तक श्रृंगार दर्शन कराए जा रहे हैं। बता दे कि बीकेटीसी द्वारा पूजाओं को संपादित करने का समय रात 11 से सुबह पांच बजे तक निर्धारित किया गया है।
मंदिर समिति के अनुसार, कपाट खुलने के बाद प्रतिदिन 20 ऑनलाइन बुकिंग पूजाएं संपादित हो रही है। इसके साथ ही औसतन 102 पूजाएं ऑफलाइन की जा रही हैं। मंदिर समिति के पूजा प्रभारी प्रदीप सेमवाल का कहना हैं कि 25 अप्रैल को ऑफलाइन बुकिंग की 40 व ऑनलाइन बुकिंग की 20 पूजाएं संपादित की गईं जबकि 27 अप्रैल को ऑफलाइन 61 व 29 को 117 पूजाएं संपादित की गई हैं। साथ ही प्रतिदिन 20 ऑनलाइन पूजाएं हो रही हैं।
दान के लिए क्यूआर कोड बोर्ड लगाने पर बीकेटीसी ने पुलिस को दी तहरीर
केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर में कई स्थानों पर दान के लिए क्यूआर कोड के बोर्ड लगाने के मामले में बीकेटीसी ने पुलिस को तहरीर दी है। समिति का कहना है कि मंदिरों में दान के लिए क्यूआर कोड के बोर्ड बीकेटीसी की ओर से नहीं लगाए गए थे। बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना हैं कि दोनों धामों में कपाट खुलने के दिन ये बोर्ड लगाए गए थे।
मामला बीकेटीसी के अधिकारियों के संज्ञान में आने पर उसी दिन बोर्ड उतार दिए गए थे। बीकेटीसी अधिकारियों ने पहले अपने स्तर से इस मामले की छानबीन की। इसके बाद रविवार को केदारनाथ मंदिर अधिकारी ने केदारनाथ पुलिस चौकी और बद्रीनाथ में प्रभारी अधिकारी की ओर से कोतवाली में तहरीर दी गई है। मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना हैं कि बीकेटीसी की ओर से वर्तमान में अपने कामकाज में पेटीएम का प्रयोग नहीं किया जाता है।
21 अक्टूबर को पीएम मोदी केदारनाथ में पूजा अर्चना के बाद पुननिर्माण कार्यो का लेंगे जायजा..
उत्तराखंड: आगामी 21 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड आएंगे। जहाँ वो भगवान केदारनाथ के दर्शनों के साथ ही विशेष पूजा अर्चना करेंगे। पीएम मोदी का बद्रीनाथ में भी पूजा अर्चना का कार्यक्रम है। चीन सीमा पर जवानों से मिलने के साथ ही वो केदारनाथ और बद्रीनाथ में पुननिर्माण कार्यो का भी जायजा लेंगे। पीएम मोदी का दीपावली से पहले उत्तराखंड दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पीएम मोदी 21 अक्टूबर की शाम को विशेष विमान से जोलीग्रांट पहुंचेंगे। जहाँ से वो सेना के हेलीकॉप्टर से केदारनाथ को रवाना होंगे।पीएम मोदी सातवीं बार केदारनाथ के दौरे पर होंगे। इससे पहले भी वो दीपावली के मौके पर केदारनाथ दर्शनों को आ चुके हैं। उल्लेखनीय है कि इन दिनों मुख्यमंत्री धामी गढ़वाल के दौरे पर हैं। जहाँ वो बद्रीनाथ व केदारनाथ में हुए पुननिर्माण कार्यो का जायजा ले रहे हैं।
केदारनाथ गर्भगृह विवाद- मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय आए आगे..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय के अनुसार केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को सोने से अलंकृत किया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि इस रचनात्मक कार्य पर रार तकरार उचित नहीं। उन्होंने इस कार्य में सभी से सहयोग की अपील की। उनका कहना है कि तीर्थ पुरोहित समाज के अधिकांश लोग केदारनाथ मंदिर के अंदर स्वर्ण मंडित किये जाने के समर्थन में हैं।
समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार का कहना हैं कि केदारनाथ मंदिर के लिए एक महाराष्ट्र के एक दानी दाता ने स्वर्ण दान किया है। जिससे मंदिर का गर्भगृह स्वर्णमंडित किया जा रहा है। और इसका विरोध नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने जनता से केदारनाथ धाम के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के प्रयास में मदद करने का आग्रह किया है।
मंदिर समिति के सदस्य वीरेंद्र असवाल ने सोमनाथ मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि यह सदियों से सोने की परत चढ़ा हुआ है। काशी विश्वनाथ समेत देश के सभी मंदिरों में सोना और रत्न चढ़ाए जाते हैं। केदारनाथ धाम में सोना चढ़ाने की कोई आलोचना नहीं होनी चाहिए। मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ का कहना हैं कि मंदिर समिति ने आम जनता,तीर्थ पुरोहित एवं हकूक धारियों से केदारनाथ मंदिर के अंदर स्वर्णमंडित किये जाने में सहयोग करें।
मंदिर समिति सदस्य पुष्कर जोशी, नंदा देवी, जय प्रकाश उनियाल, कृपा राम सेमवाल, राजपाल जड़धारी का कहना हैं कि केदारनाथ मंदिर हेतु स्वर्ण दान का विरोध किया जाना गलत है। उल्लेखनीय है कि केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णमंडित किये जाने का विरोध कर रहे है। वे मंदिर के वास्तु और मन्दिर शिल्प के साथ किसी भी छेड़छाड़ के पक्ष में नहीं हैं। गर्भ गृह के चारों स्तंभों और दीवार पर भी देव देवता हैं।
- प्रह्लाद सबनानी
वरिष्ठ स्तंभकार
अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने घोषणा की है कि वे प्रदेश के 6 जिलों सीतापुर, लखीमपुर, पीलीभीत, बरेली, शाहजहांपुर एवं फर्रुखाबाद के 5 तीर्थस्थलों को आपस में जोड़ने हेतु 500 किलोमीटर से भी लम्बा श्री परशुराम तीर्थ सर्किट बनाने जा रहे हैं। ये पांचों तीर्थ स्थल, नैमिष धाम, महर्षि दधीचि स्थल मिश्रिख, गोला गोकर्णनाथ, गोमती उद्गम, पूर्णागिरी मां के मंदिर के बॉर्डर से बाबा नीब करोरी धाम और जलालाबाद परशुराम की जन्मस्थली, हिंदुओं की आस्था के प्रमुख केंद्र हैं।
इसी प्रकार दक्षिण भारत की शैली में वृंदावन के ‘रंगजी’ मंदिर के आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण कर उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना को पूर्ण करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने 16.20 करोड़ रुपये की कार्ययोजना बनाई है। इस दिव्यदेश मंदिर का निर्माण वर्ष 1833 में शुरू हुआ था। भगवान नारायण के लोक को ‘दिव्यदेश’ की संज्ञा दी जाती है। दिव्यदेश की पहचान पांच प्रमुख स्तंभों से होती है। इसमें गरुड़ स्तंभ, गोपुरम, पुष्करणी, पुष्प उद्यान और गोशाला होती है। ऐसे 107 दिव्यदेश भारत में और एक नेपाल में स्थित हैं।
अयोध्या में भी भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य जोर शोर से चल रहा है। 5 अगस्त 2020 को शुरु हुए श्रीराम मंदिर के निर्माण कार्य का लगभग एक तिहाई काम सम्पन्न हो चुका है। अब श्रीराम मंदिर के गर्भगृह का निर्माण कार्य शुरू हुआ है। मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने गर्भगृह की पहली शिला रखते हुए कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ‘राष्ट्र मंदिर’ का रूप ले लेगा। 1100 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से बनने वाले इस श्रीराम मंदिर के निर्माण में अभी तक 192 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। श्रीराम जन्मभूमि परिसर से कुछ दूरी पर दक्षिण भारत के द्रविड़ शैली में भव्य श्रीरामलला देवस्थानम मंदिर भी बनाया जा रहा है।
पूर्व में केंद्र सरकार ने भी देश के 12 शहरों को “हृदय” योजना के अंतर्गत भारत के विरासत शहरों के तौर पर विकसित करने की घोषणा की है। ये शहर हैं, अमृतसर, द्वारका, गया, कामाख्या, कांचीपुरम, केदारनाथ, मथुरा, पुरी, वाराणसी, वेल्लांकनी, अमरावती एवं अजमेर। हृदय योजना के अंतर्गत इन शहरों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, ताकि इन शहरों की पुरानी विरासत को पुनर्विकसित कर पुनर्जीवित किया जा सके। इस हेतु देश में 15 धार्मिक सर्किट भी विकसित किये जा रहे हैं। जिनमें शामिल हैं, हिमालय सर्किट, नोर्थ ईस्ट सर्किट, कृष्ण सर्किट, बुद्धिस्ट सर्किट, कोस्टल सर्किट, डेजर्ट सर्किट, ट्राइबल सर्किट, वाइल्ड लाइफ सर्किट, रुरल सर्किट, स्पीरीचुअल सर्किट, रामायण सर्किट, हेरीटेज सर्किट, तीर्थंकर सर्किट एवं सूफी सर्किट। “हृदय” योजना को लागू करने के बाद से केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने कई परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इनमें से अधिकतर परियोजनाओं पर काम भी प्रारम्भ हो चुका है। इन सभी योजनाओं का चयन सम्बंधित राज्य सरकारों की राय के आधार पर किया गया है।
इसी प्रकार, पर्यटन मंत्रालय ने “प्रसाद” नामक एक विशेष योजना को प्रारम्भ किया है। जिसके अंतर्गत 15 राज्यों में धार्मिक स्थलों पर 24 परियोजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढांचे को विकसित करने के उद्देश्य से पर्यटन मंत्रालय द्वारा वित्त की व्यवस्था की जाती है। “प्रसाद” योजना के अंतर्गत रोड, रेल एवं जलमार्ग के माध्यम से परिवहन की व्यवस्था विकसित की जा रही है। इन चुने हुए धार्मिक स्थलों पर बैंकों के एटीएम का जाल बिछाया गया है। वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था, पीने के पानी की व्यवस्था, रेस्ट रूम का निर्माण, वेटिंग रूम का निर्माण, फर्स्ट-एड के अंतर्गत दवाईयों की व्यवस्था, बिजली की व्यवस्था, दूरसंचार के साधनों की व्यवस्था, आदि की जा रही है। इन विभिन्न परियोजनाओं को निजी एवं सरकारी क्षेत्र में, पीपीपी मॉडल के अंतर्गत, संयुक्त रूप से चलाने के प्रयास किये जा रहे है। इस योजना को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भी प्रयास किए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार भारत में धार्मिक स्थलों को विकसित करने में एकाएक इतनी दिलचस्पी क्यों लेने लगीं हैं? इसका उत्तर दरअसल इस तथ्य में छुपा है कि भारत में यात्रा एवं पर्यटन उद्योग 8 करोड़ व्यक्तियों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रहा है एवं देश के कुल रोजगार में पर्यटन उद्योग की 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। भारत में प्राचीन समय से धार्मिक स्थलों की यात्रा, पर्यटन उद्योग में, एक विशेष स्थान रखती है। एक अनुमान के अनुसार, देश के पर्यटन में धार्मिक यात्राओं की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत के बीच रहती है। देश के पर्यटन उद्योग में लगभग 19 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित की जा रही है जबकि वैश्विक स्तर पर पर्यटन उद्योग केवल 5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कर रहा है। भारत में पर्यटन उद्योग लगभग 23,400 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आय अर्जित कर रहा है। देश में पर्यटन उद्योग में 87 प्रतिशत हिस्सा देशी पर्यटन का है जबकि शेष 13 प्रतिशत हिस्सा विदेशी पर्यटन का है। अतः भारत में रोजगार के नए अवसर निर्मित करने के उद्देश्य से केंद्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार धार्मिक स्थलों को विकसित करने हेतु प्रयास कर रही हैं।
पर्यटन उद्योग में कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियों का समावेश रहता है। यथा, अतिथि सत्कार, परिवहन, यात्रा इंतजाम, होटल आदि। इस क्षेत्र में व्यापारियों, शिल्पकारों, दस्तकारों, संगीतकारों, कलाकारों, होटेल, वेटर, कूली, परिवहन एवं टूर आपरेटर आदि को भी रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। उक्त कारणों में चलते हाल ही के समय में भारत में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के चार मंत्रालय – पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, रेल्वे मंत्रालय एवं परिवहन मंत्रालय, आपस में तारतम्य बनाते
हुए मिलकर कार्य कर रहे हैं। इन चारों मंत्रालयों के संयुक्त प्रयासों से देश में धार्मिक यात्राओं को आसान बना दिया गया है। परिवहन मंत्रालय द्वारा विभिन्न तीर्थ स्थलों पर आसानी से पहुंचने हेतु मार्गों को विकसित किया गया है एवं बुनियादी ढांचे को भी विकसित किया जा रहा है। जिसके चलते देश के नागरिकों द्वारा धार्मिक यात्राएं करने की मात्रा में काफी उच्छाल देखने में आ रहा है।
भारतीय रेल ने कई विशेष सर्किट मार्ग पर विशेष रेलगाड़ियों को चलाने का अभियान भी प्रारम्भ किया है। नवम्बर 2018 से श्री रामायण एक्सप्रेस नामक विशेष रेलगाड़ी प्रारम्भ की गई है। यह रेल भारत एवं श्रीलंका में प्रभु श्रीराम से सम्बंधित महत्वपूर्ण स्थानों के मार्ग के बीच चलायी जा रही है। यह रेल प्रभु श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या से प्रारम्भ होती है एवं रेल के मार्ग में पड़ने वाले प्रभु श्रीराम की श्रद्धा के प्रमुख केंद्रों पर रूकती है। साथ ही, यदि श्रद्धा स्थल रेल्वे मार्ग से कुछ दूरी पर स्थित है तो भारतीय रेल श्रद्धालुओं को उक्त स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था भी करती है। इस तरह की कई अन्य विशेष रेलगाड़ियां राजकोट, जयपुर एवं मदुरई आदि स्थानों से भी चलाई जा रही हैं।
साथ ही अब वैष्णो देवी मंदिर पर पहुंच मार्ग को भी आसान बना दिया गया है। अब जम्मू-उधमपुर-कटरा रेलवे लाइन भी प्रारम्भ कर दी गई है। अब दिल्ली से कटरा तक रेल सेवा उपलब्ध करा दी गई है। कई रेलगाड़ियां अब सीधे कटरा तक पहुंच रही हैं। इससे वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को बहुत आसानी हो गई है। इसी प्रकार, एक विशेष पर्यटन रेलगाड़ी भारत दर्शन के लिए भी चलायी जा रही है। इस पैकेज टूर में 6 धार्मिक स्थल शामिल किए गए हैं, यथा, बैद्यनाथ, गंगासागर, कोलकत्ता, वाराणसी, प्रयागराज, आदि।
बुद्धिस्ट सर्किट पर भी विशेष रेलगाड़ियां अब चलाई जाने लगी हैं। विशेष पैकेज टूर के अंतर्गत बोद्धगया, नालंदा एवं वाराणसी शहरों के बीच 8 दिन की धार्मिक यात्रा सम्पन कराई जा रही है। भगवान बुद्ध के दर्शनार्थ यात्री विभिन्न देशों यथा जापान, चीन, थाईलैंड एवं श्रीलंका आदि से आते हैं। बुद्धिस्ट सर्किट पर पड़ने वाले अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन भी विदेशों से आए हुए इन यात्रियों को कराए जाते हैं एवं इनके सुख सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। पूरी सुविधाएं रेल्वे विभाग द्वारा प्रदान की जाती हैं।
गुरुद्वारा सर्किट पर पंज तख़्त एक्स्प्रेस नामक रेलगाड़ी चलायी जा रही है। इसके माध्यम से सिख धर्माविलंबियों को इस सर्किट पर पड़ने वाले गुरुद्वारों की यात्रा बहुत ही सहज तरीके से करायी जा रही है। इनमें शामिल हैं, अमृतसर में श्री अकाल तख़्त, श्री आनन्दपुर साहिब में तख़्त केशगड़, भटिंडा में तख़्त श्री दमदमा साहिब, पटना में तख़्त श्री पटना साहिब एवं नांदेड़ में तख़्त श्री हजूर साहिब।
उत्तराखंड में चार धाम – केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री – को भी बारहों महीने के लिए रोड के माध्यम से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे है। यह एक विशेष सर्किट के तौर पर विकसित किया जा रहा है।
उक्त विभिन्न सर्किट को विकसित करने के पीछे भारत की जड़ें तलाशने के साथ ही देश में धार्मिक पर्यटन को पंख देने की मंशा भी काम कर रही है। योग एवं आयुर्वेद भी हाल ही के समय में विदेशों में काफी लोकप्रिय हो गया है। अतः इसकी खोज के लिए विदेशों से भी कई पर्यटक भारत में धार्मिक पर्यटन करने के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। इससे विदेशी पर्यटन भी देश में तेजी से वृद्धि दर्ज कर रहा है।
केंद्र सरकार के साथ साथ हम नागरिकों का भी कुछ कर्तव्य है कि देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हम भी कुछ कार्य करें। जैसे प्रत्येक नागरिक, देश में ही, एक वर्ष में कम से कम दो देशी पर्यटन स्थलों का दौरा अवश्य करे। विदेशों से आ रहे पर्यटकों के आदर सत्कार में कोई कमी न रखें ताकि वे अपने देश में जाकर भारत के सत्कार का गुणगान करे। आज करोड़ों की संख्या में भारतीय, विदेशों में रह रहे हैं। यदि प्रत्येक भारतीय यह प्रण करे की प्रतिवर्ष कम से कम 5 विदेशी पर्यटकों को भारत भ्रमण हेतु प्रेरणा देगा तो एक अनुमान के अनुसार विदेशी पर्यटकों की संख्या को एक वर्ष के अंदर ही दुगना किया जा सकता है।
केदारनाथ में प्रशासन ने भेजे दस हजार झंडे..
उत्तराखंड: विश्व विख्यात केदारनाथ धाम में आजादी के अमृत महोत्सव पर केदारनाथ धाम में मानव श्रृंखला बनायी जायेगी। साथ ही केदारनाथ में स्थित सभी भवनों में तिरंगा लगाया जायेगा। केदारनाथ आने वाले प्रत्येक यात्री को पैदल मार्ग सहित केदारनाथ धाम में तिरंगे वितरित किये जा रहे हैं। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर प्रशासन की ओर से सभी तैयारियां पूर्ण हो गई हैं। सम्पूर्ण जनपद के साथ ही केदारनाथ में भी विशेष तैयारियां की गई हैं। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम में 15 अगस्त को ध्वजा रोहण के बाद मानव श्रृंखला बनायी जायेगी।
साथ ही केदारनाथ के सभी भवनों में तिरंगे को लगाया जायेगा। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में छोटे-बड़े मिलाकर दस हजार झंडे भेज दिये गये हैं। सभी यात्रियों को भी झंडे वितरित किये जा रहे हैं। साथ ही धाम पहुंचने वाले यात्रियों को भी आजदी के अमृत महोत्सव में शामिल किया जायेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि विभागीय अधिकारियों को आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर आवश्यक जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
वहीं आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के कुशल नेतृत्व एवं निर्देशन में जनपद के सभी विभागों की ओर से अपने-अपने स्तर से आम जनमानस को घरों में तिरंगा फहराने के लिए जागरूक किया जा रहा है। केदारनाथ धाम में दर्शन करने आ रहे तीर्थ यात्रियों को पुलिस के जवान झंडे उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे की अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके।
इसके साथ ही जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास विभाग ने जनपद के आंगनबाड़ी केन्द्रों में अध्ययनरत छोटे बच्चों में देश प्रेम की भावना उजागर करने के उद्देश्य से चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है तथा जिला सूचना कार्यालय में पंजीकृत सांस्कृतिक दलों ने भी जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों मे नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सभी घरों में तिरंगा झंडे लगाये जाने के लिए जागरुक किया जा रहा है।
पंचायती राज विभाग द्वारा जनपद के सभी गांवों में 13 से 15 अगस्त तक राष्ट्रीय ध्वज लगाये जाने के लिए ग्राम स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर राष्ट्रीय ध्वज उपलब्ध कराये जा रहे हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात कार्मिक भी सभी लोगों को अपने घरों में तिरंगा लगाये जाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
उत्तराखंड। प्रबंधकीय सिद्धांतों के सिलेबस में अमूमन पढ़ाया जाता है कि किसी भी संस्थान की तरक्की के लिए उसके कर्मचारियों की आर्थिक व मानसिक स्थिति का बेहतर होना जरूरी होता है। कुछ इसी कार्यप्रणाली को अपनाती नज़र आ रही है श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी)।
BKTC के अध्यक्ष अजेंद्र अजय के प्रयासों से चार धामों के कपाट खुलने से पहले ही कर्मचारियों की वर्षों से लम्बित वेतन वृद्धि की मांग पूरी हो गयी है। लगभग 150 अस्थायी कर्मियों की पिछले कुछ सालों से लटकी वेतन वृद्धि के मामले में चली पत्रावली का 24 से 48 घंटे के भीतर निस्तारित होकर आदेश जारी होना, सरकारी प्रक्रिया में किसी अचरज से कम नहीं है।
अमूमन सभी लोग इस कड़वी सच्चाई से रूबरू होंगे कि सरकारी कार्यप्रणाली में किसी भी फाइल को अंजाम तक पहुंचने में लंबा समय लगना तय है। मगर अजेंद्र अजय का अध्यक्ष पद संभालने के बाद से ही BKTC की प्रबंधकीय प्रणाली में बहुत परिवर्तन नज़र आने लगा है। इसकी यह एक बानगी है।
सूत्रों के अनुसार जैसे ही अजेंद्र के संज्ञान में आया कि BKTC में स्थिर वेतन पर कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों की पिछले कुछ वर्षों से नियमित अंतराल पर होने वाली वेतन वृद्धि लंबित पड़ी हुई है। देवस्थानम बोर्ड का गठन होने और कोविड काल के कारण इन कर्मचारियों की वेतन वृद्धि को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया था।
अजेंद्र ने तुरंत BKTC के अधीन श्री केदारनाथ अधिष्ठान व श्री बदरीनाथ अधिष्ठान से कार्मिकों की सूची, उनको देय वेतन और अतिरिक्त व्यय भार को लेकर रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट के प्राप्त होते ही उन्होंने मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह से चर्चा की और उसी दिन उनके सामने फाइल तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
इस पर BKTC के दोनों अधिष्ठानों से एक ही दिन में फाइल तैयार कर ऑनलाइन माध्यम से अध्यक्ष के अनुमोदन के लिए भेजी गई। अध्यक्ष ने उसी दिन फाइल को अनुमोदित कर आदेश जारी करने के निर्देश दे दिए। अध्यक्ष के हस्ताक्षर होने के बाद दोनों अधिष्ठानों ने अगली सुबह तक लगभग डेढ़ सौ अस्थिर वेतन कार्मिकों की वेतन वृद्धि के लिखित आदेश जारी कर दिए।
गौरतलब है कि आगामी मई प्रथम सप्ताह में श्री बद्रीनाथ व श्री केदारनाथ के कपाट खुल रहे हैं। इस वर्ष श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए यात्रा का जबरदस्त दबाब BKTC पर पड़ने वाला है। लिहाजा, अजेंद्र ने तय किया कि कर्मचारियों की इस अहम समस्या को युद्धस्तर पर निपटाया जाए। इस निर्णय के बाद BKTC के कर्मचारियों में खुशी की लहर है। कर्मचारी BKTC अध्यक्ष का आभार जता रहे हैं।
BKTC अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के बाद से अजेंद्र लगातार कई बड़े निर्णय लेने में लगे हुए हैं। BKTC के स्थाई कार्मिकों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गोल्डन कार्ड बनाने के लिए उन्होंने बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित किया और उसे तत्काल राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को भिजवाया। प्राधिकरण के मुख्य कार्याधिकारी से बात कर उन्होंने जल्दी से कर्मचारियों के गोल्डन कार्ड बनाने को कहा। उम्मीद है कि जल्दी ही BKTC के स्थाई कार्मिकों को भी अन्य सरकारी कार्मिकों की तरह गोल्डन कार्ड का लाभ हासिल होगा।
अजेंद्र BKTC को प्रोफेशनल रूप देने की कोशिशों में लगे हुए हैं। कुछ माह पूर्व उन्होंने BKTC के विश्राम गृहों के प्रबंधकों और मंदिरों में फ्रंट लाइन वर्कर की भूमिका में रहने वाले कर्मचारियों के लिए तीन दिन का रिफ्रेशर कोर्स करवाया। यह कोर्स गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के पर्यटन व आतिथ्य विभाग में कराया गया, जिसमें कर्मचारियों को विशेषज्ञों द्वारा प्रोफेशनल अंदाज में कार्य करने और अतिथि सत्कार के गुर सिखाए गए।