21 सितंबर तक उत्तराखंड में बढ़ा कोविड कर्फ्यू..
उत्तराखंड: प्रदेश सरकार ने कोरोना कर्फ्यू 21 सितंबर तक बढ़ा दिया है। मुख्य सचिव एवं राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सुखबीर सिंह संधू ने कोविड कर्फ्यू के संबंध में सोमवार को नई एसओपी (मानक परिचालन प्रक्रिया) जारी कर दी है। नई एसओपी के तहत अब विवाह समारोह में अधिकतम 50 लोगों के शामिल होने की बाध्यता खत्म कर दी गई है। अब शादी समारोह में अधिक लोग शामिल हो पाएंगे। लेकिन इसके लिए भी जिला प्रशासन से अनुमति लेनी आवश्यक होगी। एसओपी में बाकी नियम और शर्तें पहले जैसी ही रखी गईं हैं।
रात्रि कर्फ्यू जारी रहेगा..
प्रदेश में रात्रि कर्फ्यू जारी रहेगा। बाजार सुबह आठ बजे से रात नौ बजे तक खुलेंगे। नगरीय क्षेत्रों में स्थित होटल रेस्तरां, भोजनालय व ढाबे रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक बंद रहेंगे।
ये बंदिशें हैं बरकरार..
1- कोरोना वैक्सीन की डबल डोज लेने के 15 दिन की रिपोर्ट पर राज्य में प्रवेश मिलेगा।
2- कोविड वैक्सीन की डबल डोज न लेने वालों के लिए 72 घंटे की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट जरूरी।
3- शवयात्रा में भी 50 से अधिक लोग शामिल नहीं हो सकेंगे।
4- दूसरे राज्यों से अपने पैतृक गांव लौटने वाले प्रवासियों के लिए ग्राम प्रधान की निगरानी में आवश्यकतानुसार सात दिन क्वारंटीन सेंटर में एकांतवास में रहेंगे।
प्रदेश में सभी स्पा और सैलून खोलने की अनुमति है। सभी स्पा व सैलून 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खुलेंगे। इसके साथ ही जिम, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल व स्वीमिंग पूल, मनोरंजन पार्क, थियेटर, ऑडिटोरियम व इनसे संबंधित सभी गतिविधियां 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की अनुमति है। वहीं, सरकार ने होटलों में स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल, स्पा व जिम को भी 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दी है। प्रदेश में 18 वर्ष से ऊपर के प्रशिक्षुओं के लिए सरकारी और गैरसरकारी प्रशिक्षण संस्थान कोविड प्रोटोकॉल के अनुपालन के साथ खोलने की अनुमति है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गुरूवार को अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर सचिवालय में आयेाजित एक संक्षिप्त कार्यक्रम में ‘सेवा, समर्पण और विश्वास के 100 दिन’ विकास पुस्तिका का विमोचन किया। पुस्तिका का प्रकाशन सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग द्वारा किया गया है। पुस्तिका के विमोचन से पूर्व दो मिनिट का मौन रख कर 2013 की केदारनाथ आपदा व कोविड में प्राण गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी गई।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि पिछले 100 दिन में सरकार ने कोविड से सफलतापूर्वक संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ दिन में ही वे स्वयं कोविड संक्रमित हो गए। इस पर गाईडलाईन का पूरी तरह से पालन करते हुए उन्हें एक कक्ष में ही कई दिनों तक रहना पड़ा। परंतु इस अवधि में भी उन्होंने अधिकारियों से वर्चुअल मीटिंग कीं। दूर-दराज के क्षेत्रों की समस्याओं का मौके पर निस्तारण के लिए वर्चुअल चौपालों का आयेाजन किया। इनमें वर्चुअल प्रतिभाग करते हुए लोगों की समस्याओं को सुना और उनका निदान करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया।
तीरथ ने कहा कि वे गांव की मिट्टी से जुड़े हैं और ग्रामीणों व आम जन के दुःख-दर्द को भली भांति जानते हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों से विकास प्राधिकरणों को हटाया ताकि ग्रामीणों को अनावश्यक औपचारिकताओं के लिए परेशान न होना पड़े।
उन्होंने कहा कि वे जब विकास की रणनीति बना रहे थे तो कोविड की दूसरी लहर पूरे देश में आ गई। किसी को पता नहीं था कि कोविड की दूसरी लहर इस तरह का रूप लेगी। परंतु जल्द ही हमने स्थिति को पूरी तरह से सम्भाल लिया। पिछले लगभग तीन माह में हमने आईसीयू बेड, आक्सीजन बेड, वेंटिलेटर आदि की संख्या कई गुना तक बढ़ा दी। प्रत्येक जिला अस्पताल में आक्सीजन प्लांट स्थापित किए। सीएससी तक भी आक्सीजन प्लांट लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के निर्देशों पर डीआरडीओ ने ऋषिकेश में 500 बेड का कोविड अस्पताल 14 दिन में तैयार कर दिया जबकि हल्द्वानी में 21 दिन में तैयार कर दिया। हमने राज्य में काफी तैयारी कर ली हैं। हम कोविड की तीसरी लहर के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
मुख्यमंत्री ने 18-44 वर्ष वालों को निशुल्क टीकाकरण और गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न देने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 45 से अधिक उम्र वालों में लगभग 65 फीसदी का वैक्सीनेशन किया जा चुका है। कोविड को देखते हुए प्रदेश में हम विशेष खाद्यान्न सहायता दे रहे हैं। साढ़े सात किलो प्रति राशन कार्ड खाद्यान्न मिलता था जिसको बढ़ाकर बीस किलो प्रतिमाह कर दिया है। आपदा में पहली बार चीनी उपलब्ध कराई गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री और अनेक केंद्रीय मंत्रियों से भेंट कर राज्य के विकास पर विचार विमर्श किया। उन्हें राज्य की आवश्यकताओं से अवगत कराया। प्रधानमंत्री का देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रति विशेष लगाव है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि उत्तराखण्ड को लेकर किसी प्रकार की कमी नहीं रहेगी।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, गणेश जोशी, राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, विधायक हरबंस कपूर, विनोद चमोली, मुन्ना सिंह चौहान, उमेश शर्मा काउ, खजानदास, सहदेव सिंह पुंडीर, राजकुमार ठुकराल, रामसिंह कैड़ा, विनोद कण्डारी, सूचना महानिदेशक रणबीर सिंह चौहान व अन्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अपर निदेशक डा.अनिल चंदोला ने किया।
कोरोना से बचाव को लेकर देश में वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है। वैक्सीन को लेकर राजनीति भी हो रही है, विपक्षी दलों के नेता केंद्र को तो निशाना बना रहे हैं, लेकिन अपने दल द्वारा शासित राज्यों में अव्यवस्थाओं पर कुछ नहीं बोल रहे। उदाहरण, कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार-बार केंद्र से वैक्सीन का मुद्दा उठा रहे हैं, यह भी पूछ रहे हैं कि हमारे बच्चों की वैक्सीन कहां गई? लेकिन, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर चुप हैं। जहां उनकी या उनके सहयोगियों की सरकार है. झारखंड (37 %) और छत्तीसगढ़ (30 %) कोरोना वैक्सीन की बर्बादी में पहले तीन राज्यों में शामिल हैं।
राजस्थान में भी वैक्सीन की बर्बादी के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों पर 500 वायल में लगभग 2500 से भी ज्यादा डोज तो केवल डस्टबिन में मिले हैं। ये वायल 20-75% तक भरे हुए थे। 16 जनवरी से लेकर 17 मई तक राज्य में 11.50 लाख से भी अधिक कोविड-19 वैक्सीन की डोज बर्बाद हुई हैं।
राहुल गाँधी जी पूछ रहे थे हमारे बच्चों के #Vaccine कहाँ हैं ?@RahulGandhi जी,कचरे के डिब्बों में हैं हमारे बच्चों के वैक्सीन
आकर देखिये राजस्थान में👇 pic.twitter.com/5NussFjPjg— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) May 31, 2021
सबसे बुरी स्थिति राजस्थान के चूरू जिले की है। जिले में 39.7% वैक्सीन की डोज बर्बाद कर दी गई। हनुमानगढ़ में 24.60 प्रतिशत वैक्सीन तो भरतपुर में 17.13%, कोटा में 16.71%, चित्तौड़गढ़ में 11.81%, जालौर में 9.63%, सीकर में 8.83%, अलवर में 8.32% और धौलपुर में 7.89% वैक्सीन बर्बाद की गई। जयपुर प्रथम में 4.67% और द्वितीय में 1.31% वैक्सीन की डोज बर्बाद कर दी गई।
राजस्थान में 2500 कोविड की डोज कचरे में !आपदा के समय क्या ये निंदनीय नही है।@Rahulgandhi @priyankagandhi
इस पर भी बोलिये राजस्थान की जनता भी भारत की जनता है।हां ये अलग बात है यहा कांग्रेस की सरकार है pic.twitter.com/FytspbOC70— Dr. Alka Gurjar (@alka_gurjar) May 31, 2021
माना कि बड़ी वैक्सीनेशन ड्राइव में कुछ सीमा तक वैक्सीन की बर्बादी होती है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में वेस्टेज होने पर जवाबदेही तो बनती है। एक ओर कांग्रेस व राज्य सरकार वैक्सीन की कमी बताते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है और दूसरी ओर स्वयं इस तरह की बर्बादी भी नहीं रोक पा रही। वैक्सीन की एक डोज की वेस्टेज का अर्थ है, एक जीवन को सुरक्षा कवच नहीं दे पाना।
राजस्थान सरकार का कोरोना प्रबंधन का मॉडल देखिये
कचरे में वैक्सीन
कबाड़ में वेंटिलेटर
फाइलों में ऑक्सीजन प्लांट
इंजेक्शन व दवाइयों की कालाबाजारी
कोरोना से मौत के आंकड़ों की जादूगरी
चिरंजीवी योजना में निःशुल्क इलाज का झूठा दावा#GehlotWastedVaccine— Arjun Ram Meghwal (@arjunrammeghwal) May 31, 2021
महामारी की दूसरी लहर ने बता दिया कि वैक्सीन का कितना महत्व है। वेस्टेज से लोगों का सुरक्षा कवच तो प्रभावित होता ही है, सप्लाई चेन पर भी खासा असर पड़ता है। वैक्सीन वेस्टेज यदि बहुत अधिक है तो इसकी मांग बढ़ती जाएगी और गैर-आवश्यक मात्रा में इसे खरीदना पड़ेगा। आज जब सवा अरब नागरिकों का वैक्सीनेशन होना है तो ऐसे में एक डोज के महत्व व उसकी कीमत को आसानी से समझा जा सकता है।
Negligence or politics ..? @INCIndia has to answer for this total failure of its Rajasthan State Govt . They keep preaching the whole world about vaccination . pic.twitter.com/XvM0PNpFll
— B L Santhosh (@blsanthosh) May 31, 2021
राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी ट्वीटर पर मुद्दा बन गई है। केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेगवाल, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बी.एल.संतोष समेत भाजपा की राष्ट्रीय सचिव अलका गुर्जर, मेजर सुरेंद्र पूनिया आदि तमाम लोगों ने ट्वीट कर कांग्रेस से इस पर सवाल पूछा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इन ख़बरों को गंभीरता से लेते हुए राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा को पत्र लिख कर मामले की जांच करने को कहा है।
राजस्थान के कुछ ज़िलों में कोरोना वैक्सीन की बर्बादी की ख़बरों को गंभीरता से लेते हुए मैंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री @RaghusharmaINC जी को पत्र लिखकर मामले की जांच करने को कहा है।
मैंने वैक्सीन की बर्बादी रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर बेहतर योजना बनाने को कहा है।@PMOIndia pic.twitter.com/nBsfGGAhtN
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) May 31, 2021
उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि राज्यों से लगातार आग्रह किया जा रहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके यहां सप्लाई की गई कुल वैक्सीन में से एक प्रतिशत से भी कम बर्बाद हो। जिन राज्यों में वैक्सीन की अधिक बर्बादी हो रही है, वे टीकाकारण अभियान को सही तरीके से चलाएं। इन राज्यों को वैक्सीनेशन में किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचना चाहिए. एक वैक्सीन बर्बाद होने का अर्थ है कि कोई व्यक्ति इसकी डोज से वंचित रह जाएगा।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को गन्ना विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वामी यतीश्वरानंद के साथ उत्तरकाशी जनपद का भ्रमण किया। उन्होंने बड़कोट में कोविड केयर सेंटर और नौगांव में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निरीक्षण कर विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने कोविड सेल से होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों से फोन से वार्ता कर उनका हालचाल भी जाना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। डॉक्टरों को दूरस्थ क्षेत्रों में तैनाती दी गई है। कोविड के दौरान डॉक्टरों की कमी न हो, इसके लिए जिलाधिकारियों को भी अधिकार दिया गया है कि कोविड के दौरान मानक के अनुसार एवं आवश्यकतानुसार डॉक्टरों की तैनाती कर सकते हैं।
उन्होंने ने कहा कि उत्तरकाशी जनपद में कोविड के नियंत्रण के लिए अच्छे प्रयास हुए हैं। जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के दृष्टिगत सरकार द्वारा पूरी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। अस्पतालों एवं कोविड केयर सेंटरों में बच्चों के लिए अलग वार्ड की व्यवस्था के साथ ही उनके अभिभावकों के लिए भी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। सीएचसी स्तर तक भी आक्सीजन प्लांट की व्यवस्था की जा रही है।
तीरथ ने भ्रमण के दौरान उत्तरकाशी में लगभग 52 करोड़ 37 लाख रूपये की 26 योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास भी किया। जिसमें से 17 करोड़ 41 लाख रूपये की 12 योजनाओं का लोकार्पण एवं 34 करोड़ 46 लाख रूपये की 14 योजनाओं के शिलान्यास हुवा।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में स्थापित 30 नए आईसीयू बेड का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कोविड के समय में इन आईसीयू बेड की उपलब्धता से विशेषकर पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग एवं टिहरी जिले के लोगों को ईलाज में मदद मिलेगी। इन जनपदों से अधिकांश मरीज ईलाज के लिए श्रीनगर आते हैं। कोविड के बाद अन्य बीमारियों के ईलाज के लिए भी इन आईसीयू बेड का उपयोग होगा।
कोविड-19 के संक्रमण काल में इन आईसीयू बेड की उपलब्धता से विशेषकर पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग एवं टिहरी जिले के लोगों को उपचार में मदद मिलेगी।
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) May 26, 2021
उन्होंने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में आईसीयू, ऑक्सीजन बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता है। मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पतालों में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इनका विस्तार सीएचसी एवं पीएचसी लेवल तक किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जल्द ही नैनीडांडा, थलीसैंण एवं प्रदेश के अन्य दूरस्थ क्षेत्रों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कोविड की तीसरी लहर के लिए अभी से सतर्कता बरतनी होगी। सभी अस्पतालों में बच्चों के लिए अलग से व्यवस्था हो। इसकी समय से पूरी तैयारी रखी जाय।
इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से उच्च शिक्षा एवं सहकारिता राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, जिलाधिकारी पौड़ी विजय जोगदंडे, सीएमओ पौड़ी डॉ मनोज शर्मा, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ सीएमएस रावत आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलाधिकारियों के साथ सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिग के द्वारा प्रदेश में कोविड की रोकथाम और बचाव कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने ऐसे बच्चों के लिए विशेष योजना बनाने के निर्देश दिये जिनके माता-पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु कोविड के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों की सहायता की जा सके, इसके लिये जल्द से जल्द इनका चिन्हीकरण सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि कोविड की तीसरी लहर के लिये तैयारियों को शीघ्रता से धरातल पर लागू किया जाए। वर्तमान में कोविड के मामलों में कमी देखने को मिल रही है, फिर भी हमें पूरी तरह से सावधान रहना है। किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। तीसरी लहर में बच्चों पर फोकस करना है। जिला व ब्लॉक स्तर तक इसकी मैपिंग हो। फील्ड में काम करने वालों को मालूम होना चाहिए कि किसी तरह की परिस्थिति में उन्हें क्या करना है। उन्होंने ने कहा कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन और कालाबाजारी करने वालों पर जरूरी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि ई-संजीवनी का अच्छा रेस्पोंस मिल रहा है। इसे और अधिक सुदृढ़ और प्रचारित किया जाए।
मैंने निर्देशित किया हैं कि ऐसे बच्चों के लिए विशेष योजना बनाई जाए, जिनके माता-पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु कोविड के कारण हुई है। इसके लिये जल्द से जल्द इनका चिन्हीकरण सुनिश्चित किया जाए। pic.twitter.com/0pC3FyvTfh
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) May 22, 2021
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड को लेकर अधिक ध्यान देना है। इसके लिए विकेंद्रीकृत योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। आशा, एएनएम की सही तरीके से ट्रेनिंग हो। पीएचसी व सीएचसी स्तर तक तैयारियां हों। हर ब्लाॅक में कन्ट्रोल रूम हों। ग्राम सभाओं का सहयोग लिया जाए। जहाँ तक सम्भव हो दूरस्थ क्षेत्रों के लिए मोबाईल टेस्टिंग वैन, मोबाईल लैब, सेम्पलिंग वैन की व्यवस्था हो। गांव-गांव, घर- घर तक जरूरी मेडिकल किट व दवाओं की उपलब्धता हो। गांवों में क्वारेंटाईन सेंटर चिन्हित कर उन्हें जरूरी सुविधाओं से युक्त किया जाए।
उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन में धन की कमी नहीं है। इसके लिये हर सम्भव प्रयास कर वैक्सीनैशन की प्रक्रिया में तेजी लानी है। प्रस्तावित और निर्माणाधीन ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट को जल्द पूरा किया जाए। ऑक्सीजन आपूर्ति में बहुत सुधार हुआ है। इसे आगे भी बनाये रखना है। हमारे सभी आईसीयू संचालित होने चाहिए। कोविड से सम्बंधित सूचनाओं की रियल टाईम डाटा एन्ट्री सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डेंगू को लेकर भी तैयारियां की जाएं। इसके बचाव के संबंध में जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं। यह देख लिया जाए कि हमारे कोविड अस्पताल और कोविड केयर सेंटर के आस-पास पानी एकत्र न हो।
बैठक में मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार शत्रुघ्न सिंह, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, डीजीपी अशोक कुमार, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, डॉ पंकज कुमार पाण्डेय सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड सरकार ने विदेशों से वैक्सीन का आयात करने का लिया निर्णय लिया है। इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। राज्य सरकार अगले दो महीने में स्पूतनिक वैक्सीन के 20 लाख डोज का आयात करेगी।
राजधानी में आयोजित नियमित प्रेस ब्रीफिंग में बुधवार को मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि भारत सरकार से हम लगातार वार्ता कर रहे हैं। जितनी वैक्सीन अभी मिली है, वे अपेक्षाकृत कम है। केंद्र सरकार से इस महीने हमें 8 लाख और अगले महीने 9 लाख वैक्सीन मिल पाएगी, उसमें भी यह शर्त है कि जिन्हें वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है, उन्हें सेकंड डोज दी जाए।
जो हॉस्पिटल या दवा विक्रेता ओवर चार्जिंग और दवाइयों की कालाबाजारी कर रहे हैं या नकली दवाओं को बेच रहे हैं, उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। : मुख्य सचिव, श्री ओम प्रकाश#UttarakhandFightsCorona pic.twitter.com/DUxU4MhD9L
— Department Of Health(Uttarakhand) (@MinOfHealthUK) May 12, 2021
उन्होंने बताया कि देश की प्रमुख वैक्सीन कंपनियों से भी हमारी बातचीत चल रही है कि वे केंद्र सरकार के अतिरिक्त हमें भी वैक्सीन दे। कुछ वैक्सीन हमें मिल भी चुकी है और कुछ मिलनी बाकी है। राज्य की जरूरतों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने विदेश से भी वैक्सीन आयात करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि हम अगले दो महीने में स्पूतनिक वैक्सीन के 20 लाख डोज का आयात करेंगे। इसके लिए समिति गठित हो गई है और धनराशि की भी व्यवस्था हो गई है।
मुख्य सचिव ने कहा कि जो हाॅस्पिटल एवं दवा विक्रेता ओवर चार्जिंग कर रहे हैं या दवा की कालाबाजारी कर रहे हैं या वास्तविक दवा न देकर नकली दवाइयां दे रहे हैं, उनके खिलाफ सख्ती से प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।
पूर्व दायित्वधारी व भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से दूरभाष पर बात कर रुद्रप्रयाग जिले की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की और उन्हें एक पत्र भी प्रेषित किया।
दूरभाष पर बातचीत में अजेंद्र ने स्वास्थ्य सचिव को बताया कि जनपद रुद्रप्रयाग में कोविड रोगियों के लिए कोटेश्वर में कोविड हेल्थ केयर सेंटर स्थापित किया गया है। कोविड सेंटर में रोगियों के लिए भोजन, पानी आदि की समुचित सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कोविड रोगियों को समय पर समुचित पौष्टिक भोजन इत्यादि की तत्काल स्थायी व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की। स्वास्थ्य सचिव ने इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग से बातचीत कर तत्काल भोजन आदि की व्यवस्था शुरू करने का आश्वासन दिया।
भाजपा नेता ने स्वास्थ्य सचिव को अवगत कराया कि कहा कि मौसम में लगातार भारी बदलाव और शादी-विवाह समारोह के चलते पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बुखार -जुखाम आदि की शिकायत से पीड़ित हैं। मगर कई लोग कोरोना बीमारी के भय से अथवा टेस्टिंग सेंटर दूर होने के कारण जांच कराने में हिचकिचा रहे हैं। इससे संक्रमण के अधिक फैलाव की आशंका है। लिहाजा, ग्राम प्रधानों आदि के माध्यम से उनके गांवों में बुखार आदि से पीड़ित लोगों की जानकारी जुटा कर टेस्ट अथवा उपचार की प्रक्रिया शुरू करवाई जानी चाहिए।
इसके साथ ही अजेंद्र ने होम आइसोलेशन में रह रहे ग्रामीणों के स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी के लिए प्रत्येक गांव में कम से कम 2 -3 ऑक्सीमीटर और 2-3 थर्मामीटर की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग भी रखी। उन्होंने कई निजी एम्बुलेंस मालिकों द्वारा मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रख कर लोगों से मनमाने रूपये वसूले जाने के मामले की चर्चा करते हुए का एम्बुलेंस किराया निश्चित करने और उल्लंघन करने की दशा में कठोर कार्रवाई का प्रावधान करने की मांग भी उठाई।
उन्होंने स्वास्थ्य सचिव से रुद्रप्रयाग जिले में पर्याप्त चिकित्साधिकारियों की नियुक्ति और वैक्सीनेशन सेंटर जनता की सहूलियतों को ध्यान में रख कर निर्धारित करने की मांग भी उठाई। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने सभी मुद्दों पर समुचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सीएम राहत कोष से आशा कार्यकत्रियों को एक-एक हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही शादियों में 25 लोगों से अधिक को अनुमति नहीं होगी।
यह निर्देश मुख्यमंत्री ने शनिवार को सचिवालय में कोविड -19 को लेकर एक बैठक में दिए। बैठक में शासन के उच्च अधिकारियों के अलावा वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिलों के जिलाधिकारी भी जुड़े हुए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार खुलने के समय को जिलाधिकारी अपने अनुसार घटा सकते हैं। उन्होंने डोर-टू-डोर सर्वे के भी निर्देश दिए।
इसके साथ ही 104, सीएम हेल्पलाइन व पुलिस विभाग के कॉल सेंटर में फोन लाईनों की संख्या बढ़ाने को कहा। उन्होंने कहा कि कॉल सेंटर और हेल्पलाईन पूरी तरह से सक्रिय रहें और बेड, इंजेक्शन सम्बंधी जानकारी भी अपडेट रखें।
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने के लिये हर सम्भव कोशिश की जाए। इसमें विभिन्न संगठनों, उद्योगों की सहायता भी ली जा सकती है। कोविड अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भोजन, पानी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने में कोई ढिलाई न हो। इसके साथ ही छोटे- छोटे स्थानों में भी सेनेटाइजेशन का काम किया जाए, जहां संक्रमण की अधिक सम्भावनाएं हैं ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड टेस्ट की रिपोर्ट में समय न लगे। टेस्ट होते ही तुरंत सभी को कोविड किट दिया जाए। ई-संजीवनी पोर्टल को और प्रभावी बनाते हुए प्रचारित किया जाए ताकि जन सामान्य उसका अधिक लाभ उठा सके। होम आइसोलेशन में रहने वालों को मालूम होना चाहिए कि उन्हें किन बातों का ध्यान रखना है।
सीएम ने कहा कि सरकारी व निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों की व्यवस्था को लगातार क्रास चैक करवाया जाए। संबंधित मरीजों और उनके परिजनों से इसका फीड बैक लिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कोविड मरीज़ों हेतु एम्बुलेंस की दरें निर्धारित करने और ओवररेटिंग जैसी शिकायतों को दूर करने के लिए कहा। दवाओं की कालाबाजारी को रोकने के लिए 147 एसटीएफ टीमें बनाई गई हैं।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, डीजीपी अशोक कुमार, सचिव अमित नेगी, शैलेश बगोली, डाॅ पंकज कुमार पाण्डेय, सूचना महानिदेशक रणबीर सिंह चौहान सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
भारत सरकार ने देश में रेमेडिसविर की कमी को दूर करने के लिए दूसरे देशों से इस महत्वपूर्ण दवा का आयात शुरू किया है। इसके तहत शुक्रवार को रेमेडिसविर की 75,000 शीशियों की पहली खेप भारत पहुंचेगी।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में जानकारी गई है कि भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड ने अमेरिका के मेसर्स गिलियड साइंसेज इंक और मिस्र की मेसर्स ईवीए फार्मा को रेमेडिसविर की 4,50,000 शीशियां बनाने का ऑर्डर दिया है। अमेरिका से अगले एक या दो दिनों में 75,000 से 1,00,000 शीशियां भारत पहुंचेगी। इसके अलावा 15 मई से पहले एक लाख शीशियों की आपूर्ति की जाएगी। साथ ही ईवीए फार्मा शुरुआत में लगभग 10,000 शीशियों की आपूर्ति करेगी, जिसके बाद हर 15 दिन या जुलाई तक 50,000 शीशियां मिलेंगी।
https://twitter.com/DVSadanandGowda/status/1388069953547374594
सरकार ने देश में भी रेमेडिसविर की उत्पादन क्षमता को बढ़ा दिया है। 27 अप्रैल तक सात लाइसेंस प्राप्त घरेलू निर्माताओं की उत्पादन क्षमता प्रति माह 38 लाख शीशियों से बढ़कर 1.03 करोड़ शीशियों प्रति माह हो गई। पिछले सात दिनों में दवा कंपनियों द्वारा देश भर में कुल 13.73 लाख शीशियों की आपूर्ति की गई है। दैनिक आपूर्ति 11 अप्रैल को 67,900 शीशियों से बढ़कर 28 अप्रैल को 2.09 लाख शीशियों तक पहुंच गई है। गृह मंत्रालय द्वारा रेमेडिसविर आपूर्ति को सुचारू रूप से करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एडवाजरी जारी की गई थी।
सरकार ने भारत में इसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए रेमेडिसविर के निर्यात पर भी रोक लगा दी। आम लोगों के बीच इंजेक्शन की लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए, एनपीपीए ने इस माह 17 अप्रैल को संशोधित अधिकतम खुदरा मूल्य जारी किया, जिससे सभी प्रमुख ब्रांडों की लागत 3500 रुपये प्रति शीशी से नीचे आ गई।
रेमेडिसविर के उत्पादन तेजी से बढ़ाने और उपलब्धता को आसानी से सुनिश्चित बनाने के लिए, राजस्व विभाग ने 20 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर रेमेडिसविर इंजेक्शन पर सीमा शुल्क की पूरी तरह से खत्म करने का ऐलान किया था। इसके साथ ही रेमेडिसविर के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले एपीआई और बीटा साइक्लोडोडेक्सट्रिन पर भी यह छूट दी गई थी। सीमा शुल्क में यह छूट इस वर्ष 31 अक्टूबर तक लागू रहेगी।