उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15-16 नवंबर को दो दिन के उत्तराखंड दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे केदारनाथ व बद्रीनाथ के दर्शन करेंगे। साथ ही बद्रीनाथ में प्रस्तावित उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास करेंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस भ्रमण में उनके साथ रहेंगे।
सरकारी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15 नवंबर को दोपहर 2:50 बजे गोरखपुर से सरकारी जहाज से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे। वहां से वे हेलीकाप्टर से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। केदारनाथ मंदिर में दर्शन व पूजन के बाद वे वहां का भ्रमण भी करेंगे। उस दिन रात्रि को योगी आदित्यनाथ केदारनाथ में ही रुकेंगे।
16 नवंबर को प्रातः 4:30 बजे से एक घंटे तक योगी आदित्यनाथ केदारनाथ धाम में पूजा-अर्चना कर कपाट बंद होने के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद वे प्रातः 7:30 बजे बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। बद्रीनाथ में प्रातः 8 से 9 बजे तक उनका पूजा-अर्चना का कार्यक्रम है।
पूजा-अर्चना के बाद वे 10 बजे बद्रीनाथ में प्रस्तावित उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास करेंगे। यहाँ बता दें कि बद्रीनाथ में हेलीपैड के समीप उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित है। इस कार्यक्रम में वे एक घंटे तक शिरकत करेंगे। इसके बाद वे लखनऊ के लिए रवाना होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की 6 मेगा परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के शुरू होने से प्रदेश से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। लोकार्पित किए गए प्रोजेक्ट में जगजीतपुर (हरिद्वार) में 230 करोड़ रूपये की लागत से बना 68 एमएलडी क्षमता का एसटीपी व 20 करोड़ की लागत से बना 27 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, सराय (हरिद्वार) में 13 करोड़ की लागत से बना 18 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, चंडी घाट (हरिद्वार) में गंगा के संरक्षण और जैव विविधता को प्रदर्शित करता ‘गंगा संग्रहालय’, लक्कड़ घाट (ऋषिकेश) में 158 करोड़ की लागत से बना 26 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चंद्रेश्वर नगर-मुनि की रेती में 41 करोड़ की लागत से बना 7.5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चोरपानी (मुनि की रेती) में 39 करोड़ की लागत से बना 5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी और बद्रीनाथ में 19 करोड़ की लागत से बना 1.01 एमएलडी क्षमता का एसटीपी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने रोविंग डाउन द गंगेज (rowing down the ganges) व ग्राम पंचायतों और पानी समितियों के लिए बनाई गई मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया। उन्होंने जल जीवन मिशन के लोगो (प्रतीक चिह्न) का भी अनावरण किया।
नई सोच व नई एप्रोच से नमामि गंगे में मिली सफलता
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि मां गंगा हमारे सांस्कृतिक वैभव और आस्था से तो जुड़ी ही है, साथ ही लगभग आधी आबादी को आर्थिक रूप से समृद्ध भी करती है। नमामि गंगे मिशन, नई सोच और नई एप्रोच के साथ शुरू किया गया। यह देश का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान है। इसमें समन्वित रूप से काम किए गए। गंगा जी में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण किया गया या किया जा रहा है, अगले 15 वर्षों की आवश्यकता के अनुसार एसटीपी कीे क्षमता रखी गई, गंगा के किनारे लगभग 100 शहरों और 5 हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है और गंगा की सहायक नदियों को भी प्रदूषण से मुक्त रखने का काम किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड में 6 साल में सीवरेज ट्रीटमेंट क्षमता चार गुना हुई
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। राज्य में 6 साल में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता को 4 गुना कर दिया गया है। लगभग सभी नालों को टैप कर दिया गया है। इनमें चंद्रेश्वर नाला भी शामिल है। यहां देश का पहला 4 मंजिला एसटीपी शुरू हो चुका है। अगले वर्ष हरिद्वार कुम्भ मेले में श्रद्धालु गंगा की निर्मलता का अनुभव लेंगे। सैकड़ों घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया है। साथ ही रिवर फ्रंट भी बनकर तैयार है। गंगा म्यूजियम से हरिद्वार आने वाले लोग गंगा से जुड़ी विरासत को समझ पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा के निकटवर्ती पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर फोकस किया जा रहा है। यहां जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती की योजना है। आर्गेनिक फार्मिंग काॅरिडोर विकसित किया जा रहा है। मिशन डाॅल्फिन से डाॅल्फिन संवर्धन में मदद मिलेगी।
जल जीवन मिशन में त्रिवेंद्र सरकार एक कदम आगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी की महत्ता को माता-बहनों से अधिक कौन समझ सकता है। हमने जल से जुड़े मंत्रालयों को एक कर जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया। जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल से जल का लक्ष्य लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार एक कदम और आगे बढ़ी है। उन्होंने केवल एक रूपए में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है। वर्ष 2022 तक हर घर नल से जल देने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखण्ड में कोरोना काल में भी पिछले 4-5 माह में 50 हजार परिवारों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, जो कि उत्तराखण्ड सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल के लिए 2 अक्टूबर से अभियान
जल जीवन मिशन ने गांवों में पानी की समस्या से मुक्त करने का अवसर दिया है। 2 अक्टूबर से जल जीवन मिशन के तहत अभियान चलाकर 100 दिनों में सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल सुनिश्चित किया जाएगा। वर्ष 2014 के बाद देश हित में बहुत से बड़े काम किए गए। इनमें कृषि विधेयक, डिजीटल इण्डिया, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन शामिल हैं। वन रैंक वन पेंशन से उत्तराखण्ड के एक लाख से अधिक पूर्व सैनिक लाभान्वित हुए हैं। सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद को चोट पहुंचाई गई। राफेल से वायुसेना की ताकत काफी बढ़ी है। सरदार पटेल की मूर्ति राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से सारी दुनिया योग के महत्व से परिचित हुई। अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर का भूमि पूजन किया गया। देश को ताकतवार बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया गया है।
सीएम ने कहा गंगा किनारे जैविक व औषधीय खेती को प्रोत्साहन
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के चिन्हित 16 नगरों हेतु स्वीकृत 19 योजनाओं में से 15 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। शेष कुम्भ से पहले पूरी हो जाएंगी। इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 128 टैप किए गए हैं। शेष को कुम्भ से पहले टैप कर लिया जाएगा। गंगा किनारे उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न स्थानों पर 21 स्नान घाटों जिसमें भव्य चंडी घाट भी शामिल है और 23 मोक्षधामों का निर्माण किया गया है। गंगा नदी के कैचमेंट एरिया में जो कार्य कराए गए हैं, उनका लाभ आने वाले समय में अवश्य मिलेगा। गंगा के दोनों किनारों पर 5 से 7 किलोमीटर के क्षेत्र में जैविक खेती को विकसित करते हुए स्थाई कृषि प्रथाओं को भी नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम में निर्मित एसटीपी से निकलने वाले शोधित जल को भी कृषकों को सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है। गंगा जी की निर्मलता और अविरलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी के भगीरथ प्रयासों के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। यहां तक की गंगा मे डाल्फिन और महाशिर मछलियां भी पुनः दिखने लगी हैं। गंगा के किनारे आर्गेनिक खेती व औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
शेखावत बोले हरिद्वार कुम्भ में गंगा का जल होगा आचमन योग्य
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संचय व जल संरक्षण को लेकर जनचेतना का संचार हुआ है। यह आंदोलन जन-जन का विषय बनने लगा है। वर्ष 2014 से नमामि गंगे एक मिशन मोड में काम कर रहा है। इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई। समन्वित एप्रोच पर काम किया गया। गंगा प्रवाह क्षेत्र में 315 परियोजनाएं अभी तक इसमें ली गई हैं। कुल 28854 करोड़ की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 9 हजार करोड़ की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इनके स्पष्ट परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। हाईब्रिड एन्यूटी प्रणाली अपनाई गई है। गंगा प्रहरी और अनेक संगठनों के माध्यम से नमामि गंगे को जन अभियान बनाया गया है। गंगा की शुचिता के साथ ही अविरलता पर भी ध्यान दिया गया है। इसके लिए ई-फ्लो अधिसूचना जारी की गई। अगले वर्ष हरिद्वार में कुम्भ मेले के समय गंगा जल आचमन योग्य होगा। रिसाईकिल पानी को रियूज करने का भी प्रयास किया जा रहा है। गंगा की सहायक नदियों पर भी प्रभावी काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम में ये रहे जुड़े
इस वर्चुअल कार्यक्रम में उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया के अलावा प्रदेश के केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, सांसद तीरथ सिंह रावत, ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाईं, विधायक आदेश चौहान आदि भी जुड़े थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा श्री बदरीनाथ धाम के प्रस्तावित मास्टर प्लान का प्रस्तुतीकरण किया गया। साथ ही श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की जानकारी भी प्रधानमंत्री को दी गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने निर्देश दिए कि बद्रीनाथ धाम की आध्यात्मिकता व पौराणिकता बरकरार रखते हुए इसे स्पिरिचुअल सिटी के रूप में विकसित किया जाए।
वीडियो कांफ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम के प्रस्तावित मास्टर प्लान में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि वहां का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व बना रहे। बद्रीनाथ धाम को मिनी स्मार्ट व स्पिरीचुअल सिटी के रूप में विकसित किया जाए। वहां होम स्टे भी विकसित जा सकते हैं। निकटवर्ती अन्य आध्यात्मिक स्थलों को भी इससे जोड़ा जाए। बदरीनाथ धाम के प्रवेश स्थल पर विशेष लाइटिंग की व्यवस्था हो जो आध्यात्मिक वातावरण के अनुरूप हो। मास्टर प्लान का स्वरूप पर्यटन पर आधारित न हो बल्कि पूर्ण रूप से आध्यात्मिक हो। प्रधानमंत्री ने श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम व श्री केदारनाथ धाम के विकास कार्यों में स्थानीय लोगों का सहयोग मिल रहा है। निकटवर्ती गांवों में होम स्टे पर काम किया जा रहा है। सरस्वती व अलकनंदा के संगम स्थल केशवप्रयाग को भी विकसित किया जा सकता है। बदरीनाथ धाम में व्यास व गणेश गुफा का विशेष महत्व है। इनके पौराणिक महत्व की जानकारी भी श्रद्धालुओं को मिलनी चाहिए। बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर काम करने में भूमि की समस्या नहीं होगी। केदारनाथ की तरह बद्रीनाथ में भी 12 महीने कार्य किए जाएंगे।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना और चारधाम राजमार्ग परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। इससे श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा काफी सुविधाजनक हो जाएगी।
श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान का प्रस्तुतीकरण करते हुए अधिकारियों ने बताया कि इसमें 85 हैक्टेयर क्षेत्र लिया गया है। देवदर्शिनी स्थल विकसित किया जाएगा। एक संग्रहालय व आर्ट गैलेरी भी बनाई जाएगी। दृश्य एवं श्रव्य माध्यम से दशावतार के बारे में जानकारी दी जाएगी। बदरीनाथ मास्टर प्लान को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मास्टर प्लान को पर्वतीय परिवेश के अनुकूल बनाया गया है।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि आदि शंकराचार्य जी के समाधि स्थल का काम तेजी से चल रहा है। सरस्वती घाट पर आस्था पथ का काम पूरा हो गया है। दो ध्यान गुफाओं का काम इस माह के अंत तक पूर्ण हो जाएगा। ब्रह्म कमल की नर्सरी के लिए स्थान चिन्हित कर लिया गया है। नर्सरी के लिए बीज एकत्रीकरण का कार्य किया जा रहा है। गरुड़ चट्टी में ब्रिज का पुनर्निर्माण कर लिया गया है।