भूटान सरकार ने की पीएम मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की घोषणा..
देश-विदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। उन्हें जल्द ही एक और अंतरराष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाएगा।आपको बता दे कि भूटान सरकार ने पीएम मोदी को भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान Ngadag pel gi khorlo से सम्मानित करने की घोषणा की है। भूटान के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है।
जानकारी देते हुए भूटान पीएम कार्यालय ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिना किसी शर्त के दोस्ती, भूटान के लिए उनके समर्थन और विशेष तौर पर कोरोना महामारी के दौरान की गई मदद के लिए भूटान ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित करने का फैसला लिया है। उनका कहना हैं कि भूटान का हर नागरिक उन्हें इसके लिए बधाई दे रहा है। इस उपलब्धि पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पीएम मोदी को बधाई दी है।
विशेषज्ञों ने दी पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर बड़े जोखिम की चेतावनी..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट का कार्य अगले एक साल में पूरा होने वाला हैं। लेकिन इसी बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर 2013 जैसी स्थिति फिर से आती है तो चल रहे भारी निर्माण से और परेशानी हो सकती हैं। आपको बता दे कि 2013 में भारी बारिश के कारण आई आपदा ने उत्तराखंड में व्यापक तबाही मचाई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, केदारनाथ तीर्थ क्षेत्र ‘अत्यधिक नाजुक और अस्थिर इलाका’ है और निर्माण कार्य 2013 की बाढ़ से जमा हुए मलबे पर किया जा रहा है।
तीर्थ क्षेत्र में पुनर्निर्माण कार्यों में लगे उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों और एजेंसियों का कहना है कि मास्टर प्लान का कार्यान्वयन 2022 के अंत तक समाप्त हो जाएगा। कुछ प्रमुख परियोजनाओं के साथ काम आधे रास्ते पर पहुंच गया है. इनमें एक बहु-सुविधा अस्पताल और एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) शामिल हैं। राज्य के पर्यटन सचिव और केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के नोडल अधिकारी दिलीप जावलकर का कहना हैं कि कार्यों की निगरानी खुद प्रधानमंत्री कर रहे हैं।
जावलकर ने कहा, ‘हमारे पास सीमित समय है, साल में 6-7 महीने, केदारपुरी में काम करने के लिए मौसम की स्थिति के अलावा, यह वह समय भी है जब चार धाम की यात्रा होती है। इन सभी बाधाओं के बावजूद भी तीर्थ क्षेत्र में मास्टर प्लान निर्माण कार्य 2022 के तीर्थयात्रा सीजन के अंत तक समाप्त हो जाएगा।बता दे कि दीपावली से पहले पहला चरण समाप्त हो गया था, जबकि दूसरे चरण के कार्यों का उद्घाटन 5 नवंबर को केदारनाथ यात्रा पर पीएम ने किया था।
आपको बता दे कि 2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार को प्रस्तुत की गई जांच और रिपोर्ट का हिस्सा रहे विशेषज्ञों का कहना हैं कि केदारपुरी द्वीप में चल रहे निर्माण कार्यों से भविष्य में स्थिति फिर से उभरने पर और अधिक परेशानी हो सकती है। उन्होंने चेतावनी भी दी कि यहां तक कि तीन स्तरीय सुरक्षा दीवारें भी मदद नहीं करेंगी क्योंकि दोनों तरफ नदी के किनारे इतने उथले थे कि बाढ़ के पानी को केदारपुरी की ओर ले जाने में मदद कर सकते हैं।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक और ग्लेशियोलॉजिस्ट डी.पी. डोभाल का कहना हैं कि 2013 की बाढ़ से जमा हुए मलबे पर सभी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। केदारपुरी के नाम से जाना जाने वाला मंदिर क्षेत्र एक वी-आकार की घाटी है। यह बेहद नाजुक और अस्थिर इलाका है। मंदिर के ऊपर ग्लेशियर क्षेत्र में स्थित चोराबाड़ी झील के बाद जमा हुए विशाल मलबे पर निर्माण किया जा रहा है, जिससे भारी तबाही हुई है।
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सरकार के कार्यों पर ज्यादा नहीं बोल सकता लेकिन निर्माण कार्यों का सहारा लेने से पहले मलबे को कम से कम 8-10 साल तक बसने देना चाहिए था। डोभाल का कहना हैं कि केदारपुरी के आस-पास मंदाकिनी और सरस्वती दोनों नदियों ने 2013 की आपदा के बाद अपने स्वरुप बदल दिए थे, और परिणामस्वरूप उथले तल हैं। उनका कहना हैं कि अगर 2013 जैसी स्थिति फिर से आती है तो सुरक्षा दीवारें भी मदद नहीं करेंगी। सुरक्षा दीवारें चट्टान काटने वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, न कि केदारनाथ जैसे दलदली और अस्थिर इलाके के लिए।
वाडिया इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना हैं कि 2013 में बारिश की आपदा ने केदारनाथ और घाटी के आसपास के इलाकों में कई भूस्खलन क्षेत्र भी बनाए। वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, ‘इसी तरह की रिपोर्ट भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा भी तैयार की गई थी। इससे भविष्य में परेशानी होना तय है। तीर्थ स्थल पर भारी निर्माण कार्य करने की क्या मजबूरी थी? यदि तीर्थयात्रियों को बहुत अधिक समय तक वहां रहने की अनुमति नहीं है तो बड़े निर्माण की आवश्यकता नहीं है।
वाडिया संस्थान की रिपोर्ट
2013 की आपदा के बाद केदारनाथ पर अध्ययन रिपोर्टों ने केदारनाथ में निर्माण का कड़ा विरोध किया है। सितंबर 2013 में वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान द्वारा उत्तराखंड को प्रस्तुत केदारनाथ तबाही पर एक तकनीकी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पूरा केदारनाथ शहर क्षतिग्रस्त हो गया है और इस अचानक बाढ़ के कारण बड़ी संख्या में नए विकसित भूस्खलन के कारण नाजुक हो गया है। इसलिए यह दृढ़ता से अनुशंसा की जाती है कि भविष्य में मंदिर के आसपास किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं दी जाए।
नए जमा किए गए हिमनद-तरल सामग्री को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। इस विशाल मलबे को हटाने और डंप करने के लिए क्षेत्र में पर्याप्त जगह या मशीनरी नहीं है, राज्य सरकार इसे एक रॉक पार्क बनाने के बारे में सोच सकती है जो न केवल शहर को ऐसी भविष्य की आपदाओं से बचाएगा, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जन जागरूकता के लिए इस तबाही की यादें भी रखेगा।
प्रथम व द्वितीय चरण का कार्य
केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के पहले चरण में मंदिर को सीधे केदारपुरी उपनगर के शुरुआती बिंदु से जोड़ने वाली 70 फीट चौड़ी और 840 फीट लंबी कंक्रीट सड़क शामिल थी। केदारपुरी मंदाकिनी और सरस्वती नदियों से घिरा हुआ है, जो 2013 की बाढ़ का मुख्य कारण था, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 5,000 मौतें हुईं, सरस्वती के साथ लगभग 850 फीट लंबी तीन-स्तरीय रिटेनिंग वॉक का निर्माण और मंदाकिनी नदी के किनारे 350 फीट की सुरक्षा कवर पहले चरण के कार्यों की अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं थीं।
सरस्वती और मंदाकिनी के संगम पर निर्मित एक गोलाकार आगमन प्लाजा और केदारनाथ मंदिर के सामने एक मंदिर प्लाजा पहले चरण में पूरी की गई दो अन्य बड़ी संरचनाएं थीं। आगमन प्लाजा केदारपुरी के प्रवेश बिंदु को चिह्नित करता है, जहां से मंदिर की सड़क निकलती है, जो मंदिर प्लाजा की ओर बढ़ती है। संगम पर तीर्थयात्रियों के लिए एक घाट और तीर्थ पुरोहितों (तीर्थ पुरोहितों) के लिए कुछ घरों को भी पुनर्निर्माण के पहले चरण में पूरा किया गया था। दूसरे चरण के कार्यों में एक ऑपरेशन थियेटर, एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, एक नया पुल और संगम पर तीर्थयात्रियों के घाट सहित आधुनिक सुविधाओं वाला एक बड़ा अस्पताल भी शामिल है।
भाजपा की कैंट विधानसभा सीट पर अब कौन संभालेगा विरासत?
नए चेहरे को लेकर चर्चाएं शुरू हुई..
कांग्रेस ने तमाम बड़े नेता मैदान में उतारे लेकिन हरबंस कपूर को नहीं हरा पाए..
उत्तराखंड: देहरादून कैंट विधानसभा से लगातार चार बार विधायक रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री हरबंस कपूर के निधन के साथ ही कैंट सीट पर अब विरासत संभालने को लेकर चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। कैंट विधानसभा सीट भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती हैं हालांकि भाजपा वक्त आने पर अपने पत्ते खोलेगी।
आपको बता दे कि कैंट विधानसभा सीट पर जीत 32 साल से कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के लिए एक सपना है। कांग्रेस ने तमाम बड़े नेता कैंट विधानसभा सीट के मैदान में उतारे लेकिन कोई भी हरबंस कपूर को नहीं हरा पाया। 1989 में कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट, 1991 में विनोद, 1993 और 1996 में दिनेश अग्रवाल, 2002 में संजय शर्मा, 2007 में लालचंद शर्मा, 2012 में देवेंद्र सिंह सेठी और 2017 में सूर्यकांत धस्माना को हराकर रिकॉर्ड कायम करने वाले हरबंस कपूर की कुर्सी खाली हो चुकी है। हालांकि कैंट विधानसभा में भाजपा के पास करीब दस दावेदार हैं, लेकिन पार्टी आगामी चुनाव में भी हरबंस कपूर को ही टिकट देने की तैयारी में थी। उनके अचानक निधन से भाजपा को एक बहुत बड़ा झटका लगा है।
लेकिन अब सवाल यहां हैं कि भाजपा टिकट किसे देगी। हरबंस कपूर के परिवार के नजरिए से देखा जाये तो, उनकी पत्नी सविता कपूर मजबूत दावेदार कही जा सकती हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार पत्नी की दावेदारी की दो प्रमुख वजह हैं। एक वजह तो यह है कि वह पति के साथ ही लगातार सामाजिक संगठनों, कार्यक्रमों का हिस्सा बनी रही हैं। दूसरी यह है कि संघ में भी उनकी अच्छी पकड़ है। परिवार में दूसरा विकल्प उनका बेटा अमित कपूर है। परिवार के दोनों सदस्यों के लिए सकारात्मक बिंदु यह भी है कि विधायक कपूर के निधन से सिम्पैथी वोट भी मिलेगा। लेकिन अब यह आने वाला समय ही बताएगा कि पार्टी, कपूर परिवार को ही विरासत सौंपेगी या किसी अन्य को मैदान में उतारेगी।
नहीं रहे बीजेपी देहरादून कैंट विधायक हरवंश कपूर..
उत्तराखंड: बीजेपी के वरिष्ठ विधायक हरवंश कपूर का आज निधन हो गया हैं। उनके निधन बीजेपी के लिए एक बड़ा सदमा हैं। पूरे उत्तराखंड बीजेपी में शोक की लहर दौड़ गई हैं। हरवंश कपूर इस समय देहरादून की कैंट विधानसभा से विधायक थे। आपको बता दे कि हरवंश कपूर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों प्रदेशों के सदन में सदस्य रह चुके हैं।
इस समय उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है ऐसे समय में उनके निधन से पार्टी को बड़ी क्षति हुई हैं। हरवंश कपूर विधायक के साथ साथ उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके निधन पर सीएम पुष्कर धामी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि हमने अपने एक सरंक्षक को खो दिया हैं।
जनता की समस्याओं को लेकर वह हमेशा रहते थे सजग..
आपको बता दे कि हरबंस कपूर भाजपा के बेहद सहज और शालीन नेता थे। उनकी जनता में अच्छी पकड़ थी। जनता की समस्याओं को लेकर वह हमेशा सजग रहते थे।विधायक की मौत की खबर मिलते ही पार्टी के नेताओं के साथ ही समर्थकों का उनके आवास पर पहुंचना शुरू हो गया है। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए आज दोपहर दो बजे प्रदेश कार्यालय में लाया जाएगा। इसके बाद तीन बजे उनके शव को अंत्येष्टि के लिए लक्खीबाग श्मशान में ले जाया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी की जनता से वर्चुअल माध्यम से जुड़ने के लिए की गई है ये व्यवस्था..
उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री ई-यात्रा के अंतर्गत मोबाइल वैन के जरिये वर्चुअल माध्यम से जनता से जुड़ने के लिए की गई व्यवस्था की जानकारी प्राप्त की। उनका कहना हैं कि इससे प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं की जानकारी के साथ ही जनता से आपसी संवाद की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
शुक्रवार को आवास पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस व्यवस्था से जनता की बात सामने आ सकेगी तथा आम जनता तक हम अपनी बात भी पहुंचा सकेंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि इसके प्रभावी संचालन की व्यवस्था सुनिश्चित कर मुख्यमंत्री कार्यालय से इसे जोड़ा जाए। इसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में भी जरूरी व्यवस्था बनाई जाए।
मुख्यमंत्री का कहना हैं कि हमारा प्रयास आम जनता की समस्याओं के समाधान के साथ ही राज्यहित में जनता के सुझाव प्राप्त करना भी है। इस दिशा में बोधिसत्व विचार श्रृंखला शुरू की गई है। इसमें राज्य के विकास में विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों, समाजसेवियों एवं लोक संस्कृति से जुड़े बु़द्धजीवियों के सुझाव आमंत्रित किए जा रहे हैं। इससे राज्य को देश के अग्रणी राज्यों की पहचान दिलाने तथा राज्य के समग्र विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को भी बल मिलेगा।
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर की प्रबंध कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में विधायक राजेश शुक्ला एवं सौरभ बहुगुणा को नामित किया है। इस संबंध में विधानसभा द्वारा अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि दोनों नामित सदस्य प्रबंध कार्यकारिणी में संबंधित नियम की अपेक्षा के अनुसार निर्धारित अवधि के लिए विधिवत निर्वाचित समझे जाएंगे।
विस अध्यक्ष ने लिया सत्र की तैयारियों का जायजा..
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने शुक्रवार को विधानसभा स्थित अपने कार्यालय में आयोजित बैठक में नौ दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र की तैयारियों और व्यवस्था का जायजा लिया। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन के भीतर बैठने की व्यवस्था से लेकर साउंड व स्वच्छता व्यवस्था के बारे में विधानसभा के प्रभारी सचिव मुकेश सिंघल से जानकारी ली। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था, दलीय नेताओं और कार्यमंत्रणा समिति की बैठकों की तारीख निर्धारित करने के संबंध में भी चर्चा। अग्रवाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विधानसभा संचालन से संबंधित सभी आवश्यक कार्यवाही समय पर पूर्ण की जाएं। बैठक में प्रमुख सचिव विधायी प्रेम सिंह खीमाल भी उपस्थित थे।
नए साल के छुट्टी कैलेण्डर से ‘इगास’ हुआ गायब..
उत्तराखंड: साल समाप्त होने को महज 28 दिन रह गए है और इसी के साथ आगमी साल 2022 का कैलेंडर जारी हो गया है। वही बीते माह नवंबर में ईगास पर्व की घोषणा की गई थी लेकिन जारी हुए 2022 के कैलेंडर में छुट्टियों की सूची में से इगास पर्व शामिल ही नहीं है। बता दे कि नवंबर में सीएम धामी की घोषणा के बाद इगास पर्व को सर्वजनिक अवकाश के रूप घोषित किया गया था जिसके बाद 25 नवंबर को उत्तराखंडवासियों ने इगास पर्व को धूम धाम से मनाया था।
लेकिन अब बात यह है की इसे सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के बावजूद भी आगामी साल 2022 के कैलेंडर में इसे जगह नहीं मिली। वही जब बीजेपी से इसका जवाब मांगा गया तो उन्होंने कहा की सार्वजनिक घोषणा हुई है तो अवकाश होगा या शायद कैलेंडर में मिस प्रिंट हुआ होगा।
आपको बता दे कि सीएम धामी ने सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया था। क्यूंकि 2022 विधानसभा चुनाव नजदीक है और भाजपा पार्टी पूरी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। लेकिन नए कैलेंडर के गायब होने का साफ मतलब है कि यह छुट्टी सिर्फ चुनाव थी। उत्तराखंड में पहली बार इगास पर्व को सार्वजिक अवकाश के तौर मनाया गया था।
हरेला की छुट्टी शामिल, इगास की गायब..
इस पर्व में सीएम धामी से लेकर कई मंत्रियों ने प्रतिभाग किया था जिसका उदेश्य था की उत्तराखंड की परंपरा और लोक संस्कृति को बढ़ावा मिले। साथ इसे हर साल घरों में मानाने के लिए सर्वजनिक अवकाश में शामिल किए जाने के लिए कहा गया था। लेकिन अब जारी हुए कैलेंडर में हरेला की छुट्टी शामिल है लेकिन एगास की छुट्टी गायब है। इस साल दिवाली 24 अक्टूबर को पड़ रही है लेकिन सूची में इगास पर्व का कुछ पता नहीं। वही उत्तराखंड में चुनावी रेलगाड़ी में भाजपा के साथ आप पार्टी भी अपने घोषणाओं के रंग बिखेर रही है। लेकिन अब मैदान में कौन खरा उतरेगा और किसकी घोषणाएँ रंग लाएगी यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा।
राज्य कर्मचारियों के लिए 26 अवकाश..
फिलहाल ईगास पर्व पर सर्वजनिक अवकाश कर क्या भाजपा वोट के लिए लुभावने तरीके अपना रही है। वही इस साल कैलेंडर में राज्य कर्मचारियों के लिए 26 अवकाश घोषित किए गए है जिनमे से 6 रविवार और तीन शनिवार पड़ रहे है। हालाकिं विधानसभा व सचिवालय में पांच दिवसीय सप्ताहिक कार्य होने के कारण से केवल 22 दिन के अवकाश अनुमन्य होगा।
त्रिवेंद्र सिंह रावत का आश्वासन नहीं आया किसी काम, तीन साल के बाद भी नहीं मिली पक्की सड़क
उत्तराखंड: पौड़ी गढ़वाल में बीते वर्ष 2018 में एक बस दुर्घटना के बाद से ग्रामीणों के बेहतर और बुनियादी सड़क नहीं मिल पाई है। इस सड़क दुर्घटना में 48 लोगों की मौत हो गई थी जिसके बाद गुस्साए स्थानीय लोगों को त्रिवेंद्र सरकार ने पीड़ितों को आश्वासन दिया गया था, लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी क्षेत्र में अभी तक पक्की सड़क नहीं बन पाई। टंडोली के ग्राम प्रधान दीपक कंधारी का कहना हैं कि दुर्घटना के दौरान बस में 58 लोग सवार थे।
इनमें धूमकोट के पास बस के खाई में गिरने से 48 की मौत हो गई। दुर्घटना के समय वाहन नैनीताल जा रहा था। यह राज्य की सबसे भयानक सड़क दुर्घटना त्रासदियों में से एक थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शोक संतप्त परिवारों के लिए अनुग्रह राशि की घोषणा की और लोगों को आश्वासन दिया कि क्षेत्र में सड़क के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाया जाएगा।
12 वर्षों से जर्जर है मार्ग
तीन साल बाद, हमें अभी तक मोर्चे पर कोई विकास नहीं दिख रहा है। पौड़ी निवासियों का कहना है कि उनके गांवों को धूमकोट जैसे बड़े शहरों से जोड़ने वाली 25 किलोमीटर लंबी धूमकोट-पिपली-भान सड़क राज्य की सार्वजनिक परिवहन बसों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मार्ग पिछले 12 वर्षों से जर्जर है।
पौरी के चैनपुर गांव के निवासी ने कहा हमने अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ इस मुद्दे को उठाया है लेकिन हमारी सारी चिंताएं बहरे वर्षों में आ गई हैं। ग्रामीणों का दावा है कि खराब सड़क संपर्क के कारण उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। गड्ढा मुक्त सड़कों पर राज्य सरकार के दावे के विपरीत, हमारे पास एक भी उचित पक्की सड़क नहीं है। खराब कनेक्टिविटी के कारण, यहां के अस्पतालों और स्कूलों में कई पद खाली रहते हैं।
चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम सकता हैं कांग्रेस का ये दिग्गज नेता..
उत्तराखंड: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भाजपा का दामन थाम सकते हैं, इसे लेकर सियासी हलकों में चर्चाएं गर्म हैं। हालांकि इसे लेकर दोनों ओर से ही चुप्पी साधी गई है। अलबत्ता, भाजपा के सूत्र प्रधानमंत्री मोदी के चार दिसंबर को दून दौरे के दौरान कुछ बड़े नेताओं के शामिल होने के संकेत दे रहे हैं।
आपको बता दे कि प्रदेश में कांग्रेस के भीतर अंतर्कलह फिर सतह पर है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय 2017 की हार का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष हरीश रावत को निशाने पर लिए हुए हैं। हरीश रावत ने किशोर की टिप्पणी पर नसीहत और चेतावनी भी दी थी। किशोर उपाध्याय सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में इस पर भी कटाक्ष करने से नहीं चूके।
किशोर के तेवरों से कांग्रेस हलकान है। इसे देखते ही किशोर उपाध्याय के भाजपा में जाने की चर्चाएं हैं। हालांकि संपर्क करने पर किशोर ने सीधे तौर पर न इसका खंडन किया और न ही समर्थन। उनका कहना हैं कि वह उत्तराखंड को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। उधर, भाजपा संगठन भी इस पर सीधी टिप्पणी से बच रहा है। सूत्रों के अनुसार पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के चार दिसंबर को दून दौरे के दौरान कुछ बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कराने की कोशिश में है।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण के बीच भी सोशल मीडिया पर वार-पलटवार तेज है। शूरवीर सिंह सजवाण ने सोनिया के साथ बैठकर चर्चा करने और इस दौरान खड़े दिखाई दे रहे किशोर को लेकर पुरानी फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की।
अपनी पोस्ट में उन्होंने यह दावा भी किया कि 1985 में उन्हें कांग्रेस के तत्कालीन नेताओं कमलनाथ, वीर बहादुर सिंह व चंद्रमोहन सिंह नेगी के आशीर्वाद से देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र का टिकट मिला था। सजवाण के इस दावे पर किशोर ने चुटकी ली। उनका कहना हैं कि सजवाण शपथ लेकर यह बात कह दें तो वह अपनी बात वापस लेंगे।
उत्तराखंड में पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतर जाएगी भाजपा..
उत्तराखंड: प्रदेश में भाजपा शुक्रवार से विधानसभा चुनाव के लिए पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर जाएगी। पार्टी हर घर भाजपा, घर-घर भाजपा अभियान से अपने प्रचार का आगाज करेगी। कल पार्टी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम, सह प्रभारी रेखा वर्मा, सह चुनाव प्रभारी आरपी सिंह व लॉकेट चटर्जी चुनाव प्रचार गरमाने के लिए विधानसभा क्षेत्रों में उतर जाएंगे। इन सभी केंद्रीय नेताओं को अनुसूचित जाति, ओबीसी, बंगाली और सिख मतदाताओं को साधने के उद्देश्य से जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
पार्टी प्रभारी दुष्यंत गौतम व रेखा वर्मा को टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून और हरिद्वार की विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है। दोनों नेताओं को अनुसूचित जाति और ओबीसी मतदाताओं के प्रभाव वाली सीटों का जिम्मा सौंपा गया है। चुनाव सह प्रभारी लॉकेट चटर्जी यूएस नगर की बंगाली मतदाता प्रभाव वाली छह सीटों की जिम्मेदारी संभालेंगी।
पार्टी ने उन्हें बंगाली वोटरों को साधने के लिए दायित्व सौंपा है। इसके साथ ही वह अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर व चंपावत जिले की विधानसभा सीटों को भी देखेंगी। सह चुनाव प्रभारी आरपी सिंह यूएसनगर की सिख प्रभाव वाली तीन सीटों के अलावा नैनीताल जिले की छह विधानसभा सीटों पर मोर्चा संभालेंगे।
देहरादून में 12 को बनेंगी प्रचार की रणनीति..
जानकारी के अनुसार 12 नवंबर को देहरादून प्रदेश पार्टी कार्यालय में बैठकों के दौर चलेंगे। पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी भी बैठक में शामिल होंगे। इसी दिन प्रदेश टोली की बैठक होगी, जिसमें पार्टी के आगामी कार्यक्रमों पर अंतिम मुहर लगेगी। इस बैठक में 15 दिसंबर तक के कार्यक्रम तय हो जाएंगे।
चुनाव प्रचार अभियान को धार देने के लिए भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक इस महीने के अंत में होगी। चुनावी बैठक होने की वजह से इसमें 200 से अधिक सदस्य भाग लेंगे। बैठक में 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार की रणनीति बनाई जाएगी। बैठक में प्रदेश पदाधिकारियों के अलावा सांसद, विधायक, जिलाध्यक्ष, मोर्चों के अध्यक्ष भाग लेंगे।
नड्डा का दौरा तय, मोदी-शाह जल्द आएंगे..
विधानसभा चुनाव प्रचार में जान फूंकने के लिए पार्टी ने केंद्रीय नेताओं के प्रस्तावित दौरे तकरीबन तय कर दिए गए हैं। टोली कमेटी की बैठक में इन दौरों पर अंतिम मुहर लगेगी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का दौरा तय हो गया है। वह 15 नवंबर को दो दिवसीय दौरे पर आएंगे। वह कुमाऊं में प्रवास करेंगे। बता दे कि नड्डा कुमाऊं में अल्मोड़ा व रुद्रपुर में प्रवास कर सकते हैं। प्रधानमंत्री व गृह मंत्री के दौरे भी प्रस्तावित हैं।
देवस्थानम बोर्ड को लेकर सीएम धामी का बड़ा फैसला..
उत्तराखंड: देवस्थानम बोर्ड की स्थापना के बाद से ही चारों धाम के तीर्थपुरोहित और पुजारी बोर्ड का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। तीर्थ पुरोहित बोर्ड के विरोध में 2019 से ही आंदोलन चल रहा है। आपको बता दे कि इन दिनों चारों धामों में जबरदस्त विरोध हो रहा है जो कि भाजपा के लिए चिंताजनक है।
सरकार के खिलाफ सभी हकहकूकधारियों एवं तीर्थपुरोहितों ने हुंकार भर ली है जिससे सरकार की चिंता भी बढ़ गई हैं। चुनावी वर्ष होने के कारण अगर बीजेपी ने इसको प्राथमिकता नहीं दी तो भाजपा को आगामी चुनावों में गलती का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
बद्रीनाथ से लेकर यमुनोत्री तक हर जगह देवस्थानम बोर्ड का विरोध किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी तीर्थ पुरोहितों से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का वचन दिया था मगर बीते दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से वार्तालाप नहीं की गई जिस वजह से चारों धामों में देवस्थानम बोर्ड और सरकार का पुरजोर विरोध किया जा रहा है।
कृष्णकांत कोटियाल का कहना है कि पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत व वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उचित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं होने से तीर्थपुरोहित व हक-हकूकधारी आंदोलन करने के लिए बाध्य हैं।
इसी बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर एक बड़ा बयान दे दिया है। उनका कहना हैं कि सरकार देवस्थानम बोर्ड को लेकर इसी माह अपना निर्णय लेगी। अगले कुछ ही दिनों में कमेटी की रिपोर्ट मिलते ही सरकार अपना फैसला सुना देगी। सीएम धामी ने कहा कि मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है।
कुछ लोगों का कहना था कि बोर्ड बनाए जाने से पहले उनका पक्ष सुना नहीं गया था। इसलिए सरकार ने एक कमेटी बनाई जो सभी पक्षों को सुन रही है। कमेटी सभी की भावनाओं के अनुरूप काम कर रही है। मुख्यमंत्री का कहना हैं कि सरकार सबकी भावनाओं को मध्यनजर रखकर ही देवस्थानम बोर्ड पर कोई निर्णय लेगी।