चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी का उत्तराखंड दौरा 16 सितंबर से
उत्तराखंड: अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी बनाए गए केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी 16 सितंबर को सह प्रभारियों के साथ पहली बार देहरादून आ रहे हैं। अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान वह पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारियों, विधायकों, मंत्रियों, विधानसभा प्रभारियों और पार्टी के कोर ग्रुप के साथ चुनाव प्रबंधन को लेकर विचार विमर्श करेंगे।
आपको बता दे कि भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने आठ सितंबर को उत्तराखंड समेत पांच राज्यों के लिए चुनाव प्रभारियों की घोषणा की। उत्तराखंड में केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी को चुनाव प्रभारी का दायित्व सौंपा गया, जबकि बंगाल से सांसद लाकेट चटर्जी और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सरदार आरपी सिंह को सह प्रभारी बनाया गया। यह दायित्व मिलने के बाद तीनों ही 16 सितंबर की सुबह देहरादून पहुंच रहे हैं।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने चुनाव प्रभारी और सह प्रभारियों के दौरे की पुष्टि करते हुए कहा कि 16 व 17 सितंबर को चुनाव प्रभारी छह-सात बैठकों में भाग लेंगे। वह पार्टी के मीडिया और सोशल मीडिया विभाग की बैठकों में भी शिरकत करेंगे।
विधानसभा चुनाव से पहले BJP के लिए रेड सिग्नल, शुरू हुई गुटबाज़ी..
उत्तराखंड: देहरादून जिले में रायपुर के भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ के मामले के बहाने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में मंत्री और विधायक बने नेताओं ने ठीक विधानसभा चुनाव के वक्त एकजुटता का सूत्र तलाश लिया है। काऊ के समर्थन में खड़े होने वाले नेताओं में अब एक नाम कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का भी जुड़ गया है।
सियासी जानकारों का मानना है कि जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं पर पार्टी कार्यकर्ताओं की घेराबंदी बढ़ रही है। इससे निपटने के लिए अब ये मंत्री और विधायक कड़ियों की तरह जुड़ रहे हैं ताकि पार्टी में अपने प्रभाव को बनाए रख सकें। पिछले करीब साढ़े चार साल में महाराज पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के साथ भाजपा में आए विधायकों से फासला बनाकर चलते रहे हैं। लेकिन बुधवार को विधायक काऊ के समर्थन में खुलकर बयान दिया।
काऊ प्रकरण पर महाराज ने बेशक यह कहा कि ये कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मैं काऊ के साथ हूं और उनकी बात पार्टी फोरम पर रखूंगा।उन्होंने कहा कि हम सब में समन्वय की भावना है। बातचीत से हर समस्या का हल है। पिछले दिनों ही कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने भी काऊ के समर्थन में खुलकर बयान दागे थे।
भाजपा में अब गुटबाजी सतह पर दिखने लगी है। रायपुर में भाजपा विधायक काऊ के साथ पार्टी के नेता की तकरार के बाद दोनों ओर से केंद्रीय नेतृत्व को एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें की गईं। दिल्ली से लौटकर काऊ ने यह कहकर हलचल पैदा कर दी कि उनकी समस्या का निदान नहीं हुआ तो वह पार्टी से बाहर बने संगठन में ये बात रखेंगे।
आपको बता दे कि काऊ का इशारा उनके साथ भाजपा में आए सभी विधायकों व पूर्व विधायकों की ओर है जो अब पार्टी नेतृत्व को भी यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अच्छे व बुरे वक्त में वे एक-दूसरे के साथ मजबूती से खड़े हैं। उनकी यह एकजुटता पार्टी नेताओं को असहज कर रही है।
निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार भाजपा में शामिल..
उत्तराखंड: धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह ने भाजपा का हाथ थाम लिया है। आपको बता दें पहले यूकेडी औऱ इस बार निर्दलीय चुनाव जीते विधायक प्रीतम सिंह को राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी भाजपा में इंट्री करवा रहे हैं। प्रीतम सिंह पूर्व में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं ।चुनाव शुरू होने से ऐन वक्त पहले लगातार सियासी हलचले तेज हैं । क़ई पार्टीयो के नेता इधर से उधर हो रहे हैं।
आपको बता दें कि प्रीतम पंवार धनोल्टी के निर्दलीय विधायक रहे हैं। उन्होंने साल 2002 में उत्तराखंड क्रांति दल के टिकट पर पहली बार विधानसभा चुनाव जीता था। इसके बाद 2012 में वो चुनाव जीते। इसके अलावा प्रतीम पंवार विजय बहुगुणा और बाद में हरीश रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। प्रीतम पंवार को अपने खेमे में लाने की कांग्रेस भी कोशिश कर रही थी। इस खेल में बीजेपी बाज़ी मार गई। प्रीतम के बीजेपी में शामिल होनी की जानकारी खुद राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी पहले ही साझा कर चुके हैं। अनिल बलूनी ने बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यालय में किसी वरिष्ठ नेता के बीजेपी में शामिल होने की सूचना दी थी।
उत्तराखंड को बनाएंगे नंबर वन राज्य- मुख्यमंत्री धामी..
उत्तराखंड: अल्मोड़ा के रैमजे मैदान से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों से एक वादा किया हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को दस वर्षों में देश का पहला अग्रणी राज्य बनाएंगे। इसके साथ ही उनका कहना हैं कि केंद्र की मोदी सरकार के सात साल के कार्यकाल में देश का अभूतपूर्व विकास हुआ है।
भाजपा की केंद्र और प्रदेश सरकार विकास के एजेंडे पर कार्य कर रही है। 60 दिन में उनकी सरकार ने 150 फैसले लिए हैं। सभी घोषणाएं धरातल पर उतारेंगे। मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित कलक्ट्रेट भवन का लोकार्पण करने सहित 299 करोड़ लागत की 102 विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।
जन आशीर्वाद रैली के रैमजे इंटर कॉलेज पहुंचने पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने घोषणाओं की झड़ी लगा दी। उन्होंने मछोड़ उप तहसील को तहसील का दर्जा देने, अल्मोड़ा में एक बड़ा पार्किंग स्थल बनाने, अल्मोड़ा को रेल लाइन से जोड़ने का प्रयास करने, जागेश्वर श्रावणी मेले, पूर्व पर्वतीय विकास मंत्री रहे सोबन सिंह जीना के चार अगस्त को पैतृक गांव में होने वाले समारोह, द्वाराहाट के स्याल्दे बिखौती मेले और चनौदा शहीद दिवस समारोह को राज्य मेले का दर्जा देने समेत दर्जनों घोषणाएं कीं।
मुख्यमंत्री का कहना हैं कि प्रदेश में 22 से 24 हजार पदों पर नियुक्त प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पदों को जल्द भरा जाएगा। कोरोना काल के चलते सरकारी सेवा में अधिकतम आयु पार करने वालों के लिए एक साल बढ़ाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के ऐसे युवा जो संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में प्री परीक्षा पास करते है उन्हें तैयारी के लिए 50 हजार रुपये की सहायता देगी। कोरोना के कारण आर्थिक नुकसान झेल रहे पर्यटन व्यवसाय और अन्य व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए 200 करोड़ की धनराशि बतौर राहत पैकेज के रूप में जारी की गयी है।
आजीविका क्षेत्र से जुड़े स्वयं सहायता समूहों, महिला मंगल दलों समेत कलस्टर के आधार पर आजीविका चलाने वालों के लिए 119 करोड़ का राहत पैकेज दिया गया है। कोविड से अपने माता-पिता खोने वाले बच्चों के भरण-पोषण वात्सल्य योजना के तहत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि खेलों में राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए खेल नीति बनाई गई है।
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना हैं कि भाजपा के पक्ष में जनसैलाब उमड़ रहा है। भाजपा दोबारा 2022 में पुन: प्रदेश की सत्ता में काबिज होगी। राष्ट्रीय नेतृत्व ने सोच समझकर युवा नेता धामी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है। रैमजे इंटर कॉलेज में हुई जनसभा में केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनियां के नंबर एक नेता बन गए हैं। मोदी के शासनकाल में पूरा देश सुरक्षित है। सरकार जनहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। भाजपा सरकार ईमानदारी, त्याग, समर्पण से काम करना संकल्प है।
वही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांग्रेस पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि देश में 55 से 60 साल एक पार्टी विशेषकर एक परिवार का शासन रहा है। इस पार्टी ने समझौते, तुष्टीकरण को बढ़ावा दिया। इस परिवार ने निजी, पार्टी और निजी लाभ के लिए कई समझौते किए। जिसका देश को कोई लाभ नहीं मिला।
भाजपा विधायक और कार्यकर्ताओं में हुई भिड़ंत..
उत्तराखंड: देहरादून के रायपुर विधान सभा क्षेत्र में भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ और भाजपा कार्यकर्ताओं के एक खेमे में चल रही रार फिर खुलकर सामने आ गई है। मौका था मालदेवता में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यक्रम से पहले का। इस दौरान भाजपा विधायक और कार्यकर्ताओं में जबरदस्त भिड़ंत हो गई।
आपको बता दे कि मालदेवता (रायपुर) में डिग्री कॉलेज के भवन के लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पहुंचने से कुछ देर पहले विधायक उमेश शर्मा काऊ की भाजपा कार्यकर्ताओं से जोरदार बहस हो गई। बहस इतनी बढ़ गयी कि विधायक ने कुछ कार्यकर्ताओं को औकात में रहने की बात तक कह डाली। यह सारा वाकया उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के सामने हुआ।
गुस्साए विधायक काऊ ने कार्यक्रम को छोड़ने तक की धमकी दे दी। भाजपा विधायक ने जिला पंचायत सदस्य वीर सिंह और उनके साथ मौजूद कुछ कार्यकर्ताओं को कहा कि उन्हें यहां किसने बुलाया है। साथ ही कहां कि जब वह उन्हें अपना विधायक मानते ही नहीं तो कार्यक्रम में आने की क्या जरूरत है। विधायक उमेश शर्मा काऊ ने वीर सिंह रावत और उनके समर्थकों पर क्षेत्र में लगे उनके पोस्टर बैनर फाड़ने का भी आरोप लगाया।
जिला पंचायत सदस्य वीर सिंह का कहना हैं कि विधायक को मर्यादा में रहना चाहिए। वह जिस तरह से अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं वह बहुत ही गलत है।वहीं विधायक उमेश काऊ ने मंत्री धन सिंह रावत से शिकायत करते हुए कहा कि यह मुझे अपना विधायक नहीं मानते हैं और इस क्षेत्र में जो भी पोस्टर लगते हैं उनको यह फाड़ देते हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिति को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा एक जिम्मेदार पार्टी की भूमिका निभाते हुए बंगाल के बिगड़ते हालात से देश के आमजन को अवगत कराएगी, ताकि जम्मू-कश्मीर जैसी स्थिति को वहां आने से रोका जा सके।
विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रभारी भी हैं। उन्होंने मंगलवार को चुनाव पश्चात बंगाल की वर्तमान परिस्थिति के संबंध में उत्तराखंड भाजपा द्वारा आयोजित एक वेबिनार को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बंगाल की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किस प्रकार हिन्दू समाज का कुछ कट्टरपंथियों द्वारा दमन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बंगाल के हालात राज्य के साथ—साथ देश के लिए चिंता का विषय बने हैं।
उन्होंने कहा कि प्रखर राष्ट्रवाद के अगुआ डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बांग्ला बचाओं के लिए काम किया था। भाजपा के लोग मुखर्जी के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए बंगाल के बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे। भाजपा एक जिम्मेदार पार्टी होने के नाते वहां की संस्कृति, भाषा और क्रांतिकारियों के योगदान को कमजोर नहीं होने देगी।
आज पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की परिस्थितियों पर वेबिनार के जरिए विचार-विमर्श किया गया।
जिसमें @ukcmo श्री @TIRATHSRAWAT जी, @BJP4UK के प्रदेशाध्यक्ष श्री @madankaushikbjp जी, राष्ट्रीय महामंत्री श्री @dushyanttgautam जी एवं उत्तराखंड भाजपा के पदाधिकारीगण उपस्थित रहे। pic.twitter.com/naMogHHniW
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) June 1, 2021
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की धरती से आनन्द मठ, वंदेमातरम, जनगण मन जैसे नारे और गीत राष्ट्र को मिले हैं। ऐसी महान धरती के लोगों के साथ अन्याय और चिन्हित कर सताने का काम किया जा रहा है। भाजपा देश विरोधी गतिविधियों के हमेशा से लड़ती आई है और आगे भी लड़ेगी।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम से कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल खुश है। लेकिन उन्हें वहां अपनी हार पर तरस नहीं आ रही। वहां के लोगों के संकटपूर्ण जीवन व बिगड़ते माहौल पर विपक्ष भी मौन बना हुआ। भाजपा पश्चिम बंगाल के लोगों के साथ खड़ी है।
वेबीनार में प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत गौतम, प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय, महामंत्री सुरेश भट्ट, प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान समेत तमाम पार्टी पदाधिकारी जुड़े थे। बेबीनार का संयोजन प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने किया।
- सुभाष चमोली
उत्तराखंड की सल्ट विधानसभा के प्रतिष्ठापूर्ण उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बाजी मार ली। रविवार को हुई मतगणना में भाजपा प्रत्याशी महेश जीना ने कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली को 4697 मतों से पराजित किया।
चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जीना को 21,874 जबकि कांग्रेस की गंगा को 17,177 मत प्राप्त हुए। उप चुनाव में भाजपा, कांग्रेस समेत कुल सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इस सीट पर मतदान 17 अप्रैल को हुआ था। चुनाव में कुल 43.28 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

महेश जीना
भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के मृत्यु के बाद खाली हुई इस सीट पर पार्टी ने उनके बड़े भाई महेश जीना को अपना प्रत्याशी बनाया था, जबकि कांग्रेस पार्टी ने विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दे चुकीं गंगा पंचोली को फिर से मैदान में उतारा था।
उत्तराखंड में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में सल्ट विधानसभा उपचुनाव दोनों ही पार्टियों भाजपा व कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ था। उपचुनाव प्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए इम्तिहान भी था। उनके नेतृत्व में यह कोई भी पहला चुनाव था। सल्ट के परिणामों ने उनके नेतृत्व पर मोहर मार दी और कोरोना काल में उन्हें घेर रहे विपक्ष को भी बड़ा झटका दे दिया है।

गंगा पंचोली
उधर, सत्ता में वापसी के लिए छटपटा रही कांग्रेस के लिए सल्ट उपचुनाव के परिणाम किसी सदमे से कम नहीं है। सल्ट में कांग्रेस ही नहीं, अपितु पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की साख भी दांव पर लगी थी। कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली को हरीश रावत के गुट का माना जाता है। इन चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस की राजनीति में नेतृत्व की लड़ाई के और तेज होने के आसार हैं।
उल्लेखनीय है कि हरीश रावत अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की बात उठा चुके हैं। इसके बाद हरीश रावत के समर्थकों द्वारा लगातार उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ाई जाने की मांग की जा रही थी। मगर सल्ट उपचुनावों से उनकी इस मुहिम को निश्चित ही धक्का पहुंचा है।
- प्रवीण गुगनानी
लेखक व स्वतंत्र स्तंभकार
बंगाली में एक कहावत है – डूबे डूबे झोल खाबा। इसी भावार्थ की एक देसी कहावत है – ऊंट की चोरी नेवड़े नेवड़े नहीं हो सकती। दोनों ही कहावतों का एक सा अर्थ है कि बड़ी चोरी आज नहीं तो कल पकड़ी ही जाएगी। पश्चिम बंगाल में हिंदू हितों की चोरी ममता दीदी की एक ऐसी ही चोरी थी जिसका पकड़ा भी जाना तय था और उसका दंड मिलना भी तय था। तुर्रा यह था की यहां ममता दीदी द्वारा हिंदू हितों को चोरी करना या बलि चढ़ाने का कार्य डूबे डूबे झोल खाबा की शैली में नहीं, बल्कि बड़ी ही बेशर्मी से सीनाजोरी करके किया जा रहा था। चोरी ऊपर से सीनाजोरी करने की ही हद थी जब ममता दीदी ने उनके द्वारा प्रतिवर्ष कराए जाने वाले एक कार्यक्रम में कहा था – ”पश्चिम बंगाल में 31 फीसद मुस्लिम हैं। इन्हें सुरक्षा देना मेरी जिम्मेदारी है और अगर आप इसे तुष्टीकरण कहते हैं तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।” यहां उल्लेखनीय है कि ममता दीदी उन्हें केवल सुरक्षा नहीं दे रही थी, बल्कि मुस्लिमों को हिन्दुओं के विरुद्ध समय-समय पर भड़का रही थी और हिंदुओं को बार-बार चिढ़ा रही थी।
ममता दीदी पंडालों में दुर्गा पूजा व विद्यालयों में सरस्वती पूजा को रोक रही थी। मुहर्रम के कारण दुर्गा विसर्जन की तिथियां आगे बढ़ाई जा रही थी। मुस्लिमों हेतु नई सस्ती, सहज, आसान कर्ज नीति लाई जा रही थी। उनके लिए नई रोजगार नीति, मदरसों को धड़ाधड़ मान्यता व सहायता, आवास सब्सिडी, आवास भत्ता, फुरफुरा शरीफ डेवलपमेंट अथारिटी के माध्यम से वित्तीय सहायता से लाद देना, दो करोड़ बच्चों को छात्रवृत्ति, मुस्लिमों को उच्च शिक्षा व सरकारी नौकरी में 17% आरक्षण आदि आदि ऐसे कार्य थे जो मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए तीव्र गति से किए जा रहे थे। ममता दीदी के लिए इस चुनाव में संकट बन चुके अब्बास सिद्दीकी भले ही भाजपा से चिढ़कर कहते हों, किंतु कहते अवश्य हैं कि – “मुहर्रम के कारण दुर्गा विसर्जन की तिथि आगे बढ़ाये जाने के निर्णय गलत थे।”
बंगाल में 35 वर्ष वामपंथ का शासन व 10 वर्ष ममता दीदी का शासन वस्तुतः ऐसा शासन था जिसमें राम के इस प्रदेश में राम का नाम लेना ही गुनाह हो गया था। वामी तो राम के विरोधी थे ही, दीदी उनसे भी बड़ी राम विरोधी निकली और चलती गाड़ी से स्वयं निकलकर जय श्रीराम के नारे लगाते बच्चों को बड़ी ही निर्लज्जता से डांटने लगी थी। बच्चों को श्रीराम का नारा लगाने पर डांटना एक छोटी किंतु प्रतीकात्मक बड़ी घटना है जिसके बड़े ही विशाल अर्थ निकलते हैं।
अतीव ईश्वरवादी, संस्कृतिनिष्ठ व राष्ट्र्प्रेमी प्रदेश बंगाल में 35 वर्षो तक अनीश्वरवादी व संस्कृति विरोधी वामियों व 10 वर्षों का ऐसा ही ममता का शासन अपने आप में आश्चर्य का ही विषय है। 45 वर्षों के इस रामविरोधी या यूं कहें हिंदू विरोधी शासनकाल में भाजपा बंगाल में 2016 तक एक-एक विधानसभा सीट जीतने को भी तरसती रही। इसी मध्य चमत्कार हुआ जब 2018 के पंचायत चुनाव में भाजपा ने अच्छा-खासा मत लेकर सनसनी फैला दी। फिर यहां से प्रारंभ हुई बंगाल में वामपंथ से रामपंथ की यात्रा, जिसका अगला पड़ाव 2019 के लोकसभा चुनाव में आया और भाजपा को बंगाल ने जयश्रीराम कहते हुए 40 प्रतिशत मत व 42 में से 18 लोकसभा सीटें दे दी।
वर्तमान समय में जबकि विधानसभा चुनाव के पांच चरण संपन्न हो चुके हैं तब बंगाल में पुराने वामपंथी भी एक सुर में यह कहते दिखाई दे रहे हैं कि – “21 में राम और 26 में वाम” यानि वर्तमान में सत्ता ममता से लेकर भाजपा को दे दो और फिर 2026 के विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चा की सरकार पुनः ले आओ। आश्चर्यजनक है किंतु यही सत्य है। बंगाल में मैदानी स्तर पर यह बात सतह से ऊपर आकर दिख रही है। बंगाल में मृत्युशैया पर पड़े वामपंथ का अब यही मंतव्य भी है और नियति भी। सार यह कि ममता को सबक सिखाने का मन बंगाल ने बना लिया है।
ये सब अचानक नहीं हुआ है, मुस्लिम तुष्टिकरण की दीदी की नीति ने बंगाल की जनता को विवश कर दिया था। भाजपा के घोर विरोधी व ममता के समर्थक माने जाने वाले नोबेल सम्मानित अर्थशास्त्री अमृत्य सेन की संस्था प्रतीचि ट्रस्ट ने अपनी 2016 की रिपोर्ट “लिविंग रिएलिटी ऑफ़ मुस्लिम्स इन वेस्ट बंगाल” में कहा था कि तृणमूल के प्रभाव वाले क्षेत्रों में मुसलमानों की स्थिति अन्य लोगों की अपेक्षा बहुत सुधर गई है। हावड़ा के पंचपारा मदरसे के बड़े इमाम के अनुसार – ” ममता बनर्जी के आने के बाद से स्थिति बेहतर हुई है। अब बच्चों को राशन, कपड़ा, किताबें सब कुछ मिलता है। पुरानी सरकार की तुलना में इस सरकार ने बेहतर काम किया है।
हुबली के एक शख़्स मोहम्मद फ़ैसल का कहना है कि “दीदी ने जो काम किया है, उसके बाद दीदी के खिलाफ कोई नहीं जा सकता है। दीदी ने जो हम लोगों के लिए किया है, हमारे बच्चों के लिए किया है, वैसा कभी नहीं हुआ। हम लोग बहुत ख़ुश हैं दीदी के राज में। दीदी ने हम लोगों का बहुत ध्यान रखा है।” एक बात यह भी बड़ी विशेष है कि ममता राज में बंगाल पुलिस में भी मुस्लिम नियुक्ति का अनुपात भी बड़े आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ गया है। कम शिक्षित मुस्लिम समाज को अधिक शिक्षित हिंदू समाज की अपेक्षा अधिक नौकरियां मिलना भला बिना किसी उच्चस्तरीय षड्यंत्र के कैसे संभव है? ममता दीदी द्वारा राज्य की 97 प्रतिशत मुस्लिम जनता को ओबीसी में सम्मिलित कर लिया जाना एक बड़ा सामाजिक अन्याय और असमानता उत्पन्न करने का कारण है यहां।
इन कष्टप्रद व संघर्षप्रद परिस्थितियों में 2019 के लोकसभा चुनाव के पूर्व भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने संगठन सुदृढ़ करने हेतु मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता व हरियाणा चुनाव में प्रभारी के तौर पर स्वयं को सिद्ध कर चुके कैलाश विजयवर्गीय को बंगाल भेजा। कैलाश विजयवर्गीय ने भी जैसे इंदौर को छोड़कर बंगाल को अपना घर ही बना लिया। अथक परिश्रम, सुदृढ़ योजना, कार्यकर्ताओं के घर परिवार तक पहुंचना, उनके दुःख सुख में सतत सम्मिलित होना, केंद्र सरकार की योजनाओं को बंगाल में सुव्यवस्थित रीती-नीति से संचालित करना आदि कैलाश विजयवर्गीय की इस सफल कार्यशैली की विशेषताएं रही है।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बंगाली जनता के विश्वास को मतों में बदलने में सफल होते दिखाई पड़ रहे हैं। इन सब कार्यों से बंगाल में भाजपा का संगठन नये सिरे से खड़ा होता चला गया। बंगाल में एक नया राष्ट्रीय भाव भी सम्मिलित होता चला गया और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राग में राग मिलाकर “आमार शोनार बांग्ला” भारत माता की जय का भी जयघोष करने लगा। बंगाल की भद्र जनता को “खेला होबे” जैसा असभ्य नारा चिढ़ा रहा है, शोनार बांग्ला के लोग कभी खिलंदड़ नहीं रहे हैं। वे समूचे भारत को बौद्धिक दिशा देने में सक्षम लोग रहे हैं। बंगाल के इस विधानसभा चुनाव में बंगाल की जनता शेष राष्ट्र को क्या संदेश देती है यह देखना बड़ा ही रुचिकर व चर्चा का विषय रहने वाला है।
वॉट कांग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्स (कांग्रेस और गांधी ने अछूतों के लिए क्या किया)। यह शीर्षक एक पुस्तक का है। पुस्तक के शीर्षक को देखकर यह अनुमान लगाने में किसी को कठिनाई नहीं होनी चाहिए कि इसका लेखक कांग्रेस का कोई घोर आलोचक होगा। यह आलोचक कोई और नहीं, दलितों, पिछड़ों, मजदूरों व महिला अधिकारों और सामाजिक समरसता के ध्वजवाहक बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर थे। बाबा साहेब ने अपनी इस पुस्तक में कांग्रेस पार्टी के दलित प्रेम को ढोंग करार दिया है। पुस्तक में डॉ आंबेडकर ने लिखा है कि कांग्रेस ने अनुसूचित जातियों के उद्धार के लिए सैद्धांतिक सहमति देकर भी केवल राजनीतिक लाभ के लिए उनका उपयोग किया। उन्होंने कांग्रेस पर सुधार विरोधी बनने का आरोप लगाया है।
असाधारण प्रतिभा संपन्न व सामाजिक क्रांति के अग्रदूत डॉ आंबेडकर जैसे व्यक्ति को अनुसूचित समाज के प्रति कांग्रेस के रवैए पर पुस्तक लिखने को विवश होना पड़ा तो इसके निहितार्थ तलाशने में किसी को भी कठिनाई नहीं होनी चाहिए। बाबा साहेब ने दलित समाज की कठिनाइयों को न केवल देखा, बल्कि दलित होने की त्रासदी को जमकर झेला। परिणामस्वरुप, उन्होंने सामाजिक हो या राजनीतिक हर माध्यम से वंचित समाज की लड़ाई को लड़ा। इस लड़ाई के दौरान डॉ साहब को कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क महसूस हुआ तो उन्होंने न केवल अपनी सभाओं में कांग्रेस के चरित्र को उजागर किया, अपितु पुस्तक के द्वारा भी तथ्यों को सामने रखा।
डॉ.आंबेडकर की कांग्रेस के प्रति ऐसी सोच बेवजह नहीं थी। अपने समकालीन राजनेताओं में सर्वाधिक पढ़े-लिखे प्रख्यात कानूनविद व अर्थशास्त्री डॉ आंबेडकर को खुद कांग्रेस के राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार होना पड़ा। कांग्रेस नहीं चाहती थी बाबा साहब को पंडित नेहरू जैसे नेता के समकक्ष मान्यता मिले। कांग्रेस डॉ आंबेडकर की भूमिका मात्र एक दलित नेता तक सीमित रखना चाहती थी। इसका सबसे बड़ा प्रमाण वर्ष 1952 में देश के पहले लोकसभा चुनाव के दौरान देखने को मिला। कांग्रेस ने कम्युनिस्टों के साथ मिलकर बाबा साहेब को संसद में न पहुंचने देने के लिए पूरी ताकत का इस्तेमाल किया। बाबा साहेब उत्तरी मुंबई लोकसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए। डॉ आंबेडकर ने वर्ष 1954 में भंडारा लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा। इस उपचुनाव में पंडित जवाहरलाल नेहरु खुद चुनाव प्रचार में उतरे और डॉ आंबेडकर को हार का सामना करना पड़ा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दोनों चुनावों में डॉ आंबेडकर का समर्थन किया।
यहां इस तथ्य की चर्चा करना प्रासंगिक होगा कि डॉ अंबेडकर संघ के सामाजिक समरसता के प्रयासों से प्रभावित थे। संघ के संस्थापक डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार के अनुरोध पर आंबेडकर वर्ष 1936 में पुणे में संघ के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। कार्यक्रम की समाप्ति के बाद वे स्वयंसेवकों के बीच घूमे और स्वयंसेवकों से मिले। महात्मा गांधी की हत्या के बाद वर्ष 1948 में संघ पर जब पहली बार प्रतिबंध लगा तो डॉ अंबेडकर ने इसका विरोध किया। प्रतिबंध समाप्त होने के बाद संघ के तत्कालीन सर संघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ”श्री गुरु जी” ने डॉ अंबेडकर को पत्र लिखकर इसके लिए कृतज्ञता ज्ञापित की।
डॉ.आंबेडकर के प्रति उपेक्षित व्यवहार के बावजूद कई बार कांग्रेस के कुछ नेता उनके नाम को भुनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं। कुछ कांग्रेसी तर्क देते हैं कि उनकी पार्टी ने उन्हें संविधान निर्माण की जिम्मेदारी दी और केंद्र सरकार में मंत्री बनाया। मगर यह बात पूरी तरह से सही नहीं है।
देश की आजादी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। इसके लिए संविधान सभा का गठन किया जाना था। संविधान सभा के लिए कुल 389 प्रतिनिधियों में से विभिन्न प्रांतों से 296 सदस्यों का चुनाव होना था। डॉ आंबेडकर तत्कालीन संविधान सभा के लिए निर्दलीय सदस्य चुने गए। संविधान सभा का निर्वाचन होने पर कई समितियां गठित की गई। जिनमें से एक समिति संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष डॉ अंबेडकर को नियुक्त किया गया। डॉ आंबेडकर की योग्यताओं क्षमताओं को देखते हुए ही प्रारूप समिति जैसे जटिल कार्य की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई। देश की पहली अंतरिम सरकार में डॉ अंबेडकर को बतौर मंत्री शामिल करने के पीछे सरदार पटेल जैसे नेताओं की सोच थी।
पटेल जैसे नेताओं का मानना था कि मंत्रिमंडल को राष्ट्रीय स्वरूप देने के लिए कुछ वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को शामिल किया जाना चाहिए। इस क्रम में भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, शिक्षाविद् व अर्थशास्त्री जान मथाई एवं डॉ आंबेडकर जैसे तीन गैर कांग्रेसी नेताओं को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया। हालांकि, सरकार से मतभेदों के चलते तीनों ने बाद में मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसे दुर्योग ही कहना चाहिए कि तत्कालीन भारतीय राजनीति के दो प्रखर व दिग्गज नेता डॉ मुखर्जी की वर्ष 1953 में रहस्यमय तरीके से मृत्यु हो गई और वर्ष 1956 में बीमारी के कारण डॉ.आंबेडकर चल बसे।
कांग्रेस ने बाबा साहब को उनकी मृत्यु के बाद भी अपेक्षित सम्मान देना उचित नहीं समझा। इंदिरा गांधी अपने प्रधानमंत्रित्व काल में भारत रत्न पुरस्कार पा गईं। पंडित नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक को भारत रत्न से नवाजा गया, किंतु डॉ आंबेडकर को 1990 में भाजपा के समर्थन से गठित वीपी सिंह की सरकार ने डॉ सुब्रमण्यम स्वामी की पहल पर भारत रत्न प्रदान किया। संसद के सेंट्रल हॉल में बाबा साहेब का चित्र लगाने से लेकर अन्य तमाम अवसरों पर बाबा साहब के प्रति कांग्रेस का रवैया नकारात्मक रहा है।
देश में राजनीतिक व सामाजिक परिवर्तन लाने वाले डॉ आंबेडकर के व्यक्तित्व का असल मूल्यांकन केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में गठित नरेंद्र मोदी सरकार ने किया। मोदी सरकार ने बाबासाहेब के व्यक्तित्व व विचारों को चिरस्थाई बनाने के लिए वर्ष 2017 में दिल्ली में डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर की स्थापना की। मोदी सरकार का एक बड़ा निर्णय बाबा साहेब के जीवन से जुड़े पांच स्थानों को “पंचतीर्थ” के रूप में विकसित करने का है। पहला तीर्थ, महू (मध्य प्रदेश) बाबा साहेब का जन्म स्थान। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद महू गए। मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो बाबा साहेब के जन्म स्थान पर गए। दूसरा तीर्थ, लंदन (ब्रिटेन)में जहां बाबा साहब ने अध्ययन के दौरान निवास किया था। तीसरा, नागपुर की वह दीक्षाभूमि जहां उन्होंने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। चौथा, दिल्ली के अलीपुर स्थित महापरिनिर्वाण स्थल और पांचवां, मुंबई स्थित चैत्यभूमी पर समारक।
बहरहाल, डॉ अंबेडकर ने कांग्रेस के विरुद्ध जो अभियान छेड़ा था, आज उसके परिणाम सामने आने लगे हैं। वर्षों तक दलित वोट बैंक की ठेकेदार बनी रही कांग्रेस की कारगुजारियों से आज यह वर्ग भली-भांति वाकिफ हो चुका है और दलित समाज समझ रहा है कि उनके नाम पर कांग्रेस और अन्य गैर भाजपाई दलों ने केवल राजनीति की है। इसका स्पष्ट प्रमाण यह है कि आज देश में सर्वाधिक दलित सांसद, विधायक व मेयर भाजपा के हैं।
कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मंगलवार को राजधानी देहरादून से लेकर कुंभनगरी हरिद्वार तक ताबड़तोड़ कई कार्यक्रमों में भाग लिया। मुख्यमंत्री तीरथ की 22 मार्च को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई थी। इसके बाद वे होम आइसोलेशन में चले गए थे।
जनता की सुनी समस्याएं
मुख्यमंत्री ने सबसे पहले बीजापुर सेफ हाउस में विभिन्न समस्याओं को लेकर पहुंचे लोगों से मुलाकात की और उनके निस्तारण के निर्देश दिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता सर्वोपरि है। जनता की समस्याओं को दूर करना सरकार का दायित्व है। कोशिश की जा रही है कि लोगो की शिकायतों और समस्याओं का निराकरण स्थानीय स्तर पर ही हो जाए। वर्चुअल रात्रि चौपाल इसी क्रम में आयोजित की जा रही हैं। अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये गए हैं कि लोगों को अपने काम के लिए अनावश्यक चक्कर न काटने पड़ें। जनता और प्रशासन के बीच संवाद कायम किया जा रहा है।
भाजपा स्थापना दिवस के कार्यक्रम में हुए सम्मिलित
मुख्यमंत्री तीरथ बीजापुर सेफ हाउस से प्रदेश भाजपा के मुख्यालय पहुंचे। पार्टी मुख्यालय में उन्होंने भाजपा के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने भाजपा के क्रमिक विकास पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अटल जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। अटल जी ने कहा था – अंधेरा छंटेगा, सूरज उगेगा, कमल खिलेगा। आज भाजपा का कमल पूरे देश में खिल रहा है और भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत समेत कई नेता उपस्थित थे।
विस अध्यक्ष का 4 साल का कार्यकाल पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग
मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के अध्यक्ष के रूप में 04 साल पूर्ण होने पर रायवाला में आयोजित कार्यक्रम में भी प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 04 साल से विधानसभा अध्यक्ष के रूप में अग्रवाल का कुशल नेतृत्व राज्य को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जनभावनाओं के अनुरूप प्रदेश के विकास के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल के अलावा कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम आदि उपस्थित थे।
कुंभनगरी में गंगा महापूजन में लिया भाग
कार्यक्रमों की श्रृंखला में मुख्यमंत्री तीरथ कुंभनगरी हरिद्वार भी पहुंचे। वहां उन्होंने हर की पैड़ी में श्री गंगा सभा द्वारा आयोजित गंगा महापूजन कार्यक्रम में भाग लिया। महापूजन का आयोजन कुंभ मेले के सफल आयोजन के उद्देश्य से किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिव्य और भव्य के साथ ही सुरक्षित कुंभ का आयोजन करने के लिए सरकार संकल्पित है। हरिद्वार के तीन संस्कृत महाविद्यालयों से आए 151 आचार्यों ने महापूजन के दौरान चारों ओर से मंत्रोच्चारण और शंखनाद किया। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि, मुख्य सचिव ओमप्रकाश समेत पुलिस–प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।