असामान्य जीवन शैली के कारण आज लगातार पूरे विश्व में लीवर रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। जब लीवर ठीक से अपनी मरम्मत और खुद को फिर से भरने में विफल रहता है, तो इससे नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीज (एनएएफएलडी) उत्पन्न होता है। एक बार जब यह स्थिति उत्पन्न हो जाती है, तो कोई इलाज उपलब्ध नहीं होता है। दुनिया भर में लगभग 1 बिलियन व्यक्तियों (वैश्विक आबादी का 20-30 प्रतिशत) के पीड़ित होने का अनुमान है। भारत में, यह जनसंख्या के 9-32 प्रतिशतके बीच है। यह तथ्य इस बात का सूचक है कि 10 भारतीयों में से 1 से 3 व्यक्तियों को फैटी लीवर या संबंधित बीमारी होगी।
सोमवार को विश्व लीवर दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने यह आंकड़े रखे। उन्होंने कहा कि लीवर दूसरा सबसे बड़ा अंग है जो चुपचाप सभी महत्वपूर्ण कार्य करता है। असामान्य जीवनशैली के कारण शरीर पर हमले का मुख्य रूप से सामना भी लीवर ही करता है। उन्होंने इसे एक मूक महामारी बताया और लोगों से सचेत रहने का आग्रह किया। उन्होंने धूम्रपान, मदिरापान व जंक फूड का त्याग करने की अपील की , क्योंकि ये इन बीमारियों को बढ़ाने वाले कारक हैं।
कोविड-19 महामारी के इस दौर में स्वास्थ्य के प्रति सजग हुए हैं। इसमें निरंतरता जरूरी है। @MoHFW_INDIA द्वारा #विश्वयकृतदिवस पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता की। बेहतर स्वास्थ्य के लिए यकृत की देखभाल आवश्यक है। इसके प्रति जागरूक रहने की जरूरत है। pic.twitter.com/jF31JZ9U5c
— Ashwini Kr. Choubey (@AshwiniKChoubey) April 19, 2021
उन्होंने स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालने वाले खर्राटे जैसे लक्षणों पर सतर्कता बरतने और चिकित्सा परामर्श लेने का भी आग्रह किया। उन्होंने ‘मित-भुक्ता’ और ‘ऋत-भुक्ता’ शब्दों पर जोर देते हुए उस प्राचीन अवधारणा को प्रतिपादित किया कि मितव्ययी रूप से और ज्यादातर मौसमी खाद्य पदार्थों के सेवन से लंबी आयु प्राप्त करने में मदद मिलती है।
This World Liver Day, promise yourself to keep your liver in good shape for maintaining a good health. #WorldLiverDay #SwasthaBharat #WorldLiverday2021 @PMOIndia @drharshvardhan @AshwiniKChoubey @PIB_India @mygovindia @NITIAayog pic.twitter.com/9imGaAq67M
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) April 19, 2021
वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह, अपर सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक वंदना गुरनानी, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. सुनील कुमार, संयुक्त सचिव (गैर-संक्रामक रोग) विशाल चौहान, यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) के निदेशक डॉ. एस.के.सरीन आदि उपस्थित थे।