शीतकालीन चारधाम यात्रा में अब तक 14,406 श्रद्धालुओं ने किये दर्शन..
उत्तराखंड: ग्रीष्मकालीन चारधाम यात्रा के बाद शीतकालीन चारधाम को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह दिख रहा हैं। यहीं कारण है कि शीतकालीन में अभी तक 14,406 श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके है। हालांकि बारिश और बर्फबारी के कारण श्रद्धालुओं को थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिसको देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने शीतकालीन चारधाम यात्रा के संबंध में विस्तृत एडवाइजरी जारी की है।
आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से जारी की गई एडवाइजरी में बताया गया है कि उत्तराखंड शीतकालीन चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं को क्या करना है और क्या नहीं। ताकि उन्हें किसी भी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े. सरकार की तरफ से जो आंकड़ा जारी किया गया, अभी तक शीतकालीन चारधाम यात्रा के दौरान 14,406 श्रद्धालु धामों के दर्शन कर चुके हैं। वही पिछले 24 घंटे के भीतर 767 श्रद्धालु दर्शन कर चुके है। जिसमें पांडुकेश्वर में 357 श्रद्धालु, ओंकारेश्वर में 395 श्रद्धालु, मुखवा में 13 श्रद्धालु और खरसाली में 2 श्रद्धालु दर्शन कर चुके है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार 4 नवंबर से यमुनोत्री धाम के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली के लिए शीतकालीन यात्रा शुरू हो गई थी, जिसके बाद से अभी तक 606 श्रद्धालु खरसाली के दर्शन कर चुके है। चार नवंबर से ही गंगोत्री धाम के प्रवास स्थल मुखवा के लिए शीतकालीन यात्रा शुरू हो गई थी, जिसके बाद से अभी तक 3096 श्रद्धालु मुखवा के दर्शन कर चुके है।
इसी तरह 24 नवंबर से केदारनाथ धाम के प्रवास स्थल ओंकारेश्वर के लिए यात्रा शुरू हो गई थी, जिसके बाद से अभी तक 5964 श्रद्धालु ओंकारेश्वर के दर्शन कर चुके है। इसके साथ ही नौ दिसंबर से बद्रीनाथ धाम के प्रवास स्थल पांडुकेश्वर के लिए यात्रा शुरू हो गई थी, जिसके बाद से अभी तक 4770 श्रद्धालु पांडुकेश्वर के दर्शन कर चुके है।
हाई एल्टीट्यूड सिकनेस जैसी हो सकती है समस्या..
उत्तराखंड में बदलते मौसम के बीच शीतकालीन यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए एडवाइजरी जारी कर दी है। आपदा विभाग ने स्वास्थ्य संबंधित सावधानियां को लेकर कहा कि शीतकालीन चारधाम यात्रा के दौरान ऊंचाई पर जाने से हाई एल्टीट्यूड सिकनेस जैसी समस्याएं हो सकती है। इसलिए यात्रा से पहले अपने स्वास्थ्य की जांच करवाना और डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। ठंडे मौसम में सर्दी जुकाम जैसी समस्याएं आम होती हैं। ऐसे में गर्म कपड़े, खांसी-जुकाम की दवाइयां और गर्म पानी की बोतल लेकर यात्रा करें। ठंड में लोग कम पानी पीते हैं, लेकिन शरीर को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है।खासकर जब उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर यात्रा कर रहे हो। सीने में दर्द, सांस फूलना, चक्कर आना, भ्रम की स्थिति और उल्टी जैसी स्थिति बनने पर तत्काल डॉक्टर से परामर्श लें।
मौसम देखकर ही यात्रा पर निकले..
एडवाइजरी जारी कर आपदा विभाग ने यात्रियों से मौसम की जानकारी के आधार पर यात्रा करने की बात कही है। क्योंकि बर्फबारी के कारण मार्गों में फिसलन हो सकती है और कई रास्ते अवरुद्ध हो सकते हैं। इसलिए यात्रा से पहले मौसम का पूर्वानुमान अवश्य लें। बर्फबारी और भूस्खलन के कारण मार्गों पर रुकावटें हो सकती हैं। स्थानीय प्रशासन से मार्ग की स्थिति और मौसम की जानकारी प्राप्त करें। बर्फबारी या खराब मौसम के दौरान आपातकालीन स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए यात्रा से पहले एक आपातकालीन संपर्क योजना तैयार करें। मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए यात्रा की योजना बनाएं और यदि मौसम अधिक खराब होने का अनुमान हो तो यात्रा को स्थगित करना बेहतर हो सकता है। यात्रा के दौरान मौसम में तेजी से बदलाव हो सकता है, इसलिए आपको मोबाइल पर मौसम अपडेट लेते रहना चाहिए।
रजिस्ट्रेशन जरूर कराए..
एडवाइजरी में आपदा विभाग ने शीतकालीन चारधाम यात्रा के रजिस्ट्रेशन पर भी जोर दिया है। जारी एडवाइजरी के अनुसार शीतकालीन चारधाम यात्रा के लिए अपना और अपने वाहन का पंजीकरण अनिवार्य है। इससे यात्रियों के ट्रैक पर निगरानी रखने और किसी भी आपातकालीन स्थिति में सहायता प्रदान करने में मदद मिलती है। यात्रा के दौरान सुरक्षा के सभी उपायों का पालन करें। यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें। ऊंचाई पर और ठंडे मौसम में शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता अधिक होती है। हल्का, गर्म और पोषक भोजन लें। यात्रा के दौरान उचित विश्राम और आराम की व्यवस्था का ध्यान रखें। रुकने की व्यवस्था पूर्व में ही करा लेना बेहतर रहता है। थकान और ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी से शरीर को आराम देने की जरूरत होती है।