उत्तराखंड। साल 2020 में कोरोना नामक वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया की गति अनायास रोक दी थी। उत्तराखंड भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ। पहले लॉकडाउन और उसके बाद महामारी से जूझने के लिए अमल में लाई गई उपायों की लंबी श्रृंखला ने चारधाम यात्रा को लगभग ठप्प कर दिया था। इससे श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) की वित्तीय स्थिति भी डगमगा गयी थी।
महामारी के भय से उबरी दुनिया ने जब दोबारा गति पकड़ी तो प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से यात्रा मार्गों पर भी हलचल नज़र आने लगी। वर्ष 2022 प्रदेश सरकार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता अजेंद्र अजय को बीकेटीसी के अध्यक्ष का दायित्व सौंपा। अजेंद्र के नेतृत्व में बीकेटीसी ने नई ऊर्जा के साथ काम शुरू किया और शासन के सहयोग से यात्रा के लिए आवश्यक अवस्थापना विकास से लेकर परिवेश निर्माण तक के कार्यों को गतिमान किया।
पूर्व में कार्मिकों के वेतन, दैनिक क्रियाकलापों के संचालन और विभिन्न अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए बीकेटीसी को आर्थिक कठिनाइयों से जूझना पड़ता था। अजेंद्र के कार्यकाल में आय के नए स्रोतों के समुचित नियोजन से बीकेटीसी का वित्तीय तलपट आशातीत लाभ दर्शाने लगा है। विगत ढाई वर्षों में बीकेटीसी की परिधि में आने वाले अनेक पौराणिक मंदिरों के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण की सराहनीय पहल की गई। इसके साथ ही यात्रा मार्गों पर स्थित विभिन्न विश्राम गृहों के उच्चीकरण के भी अभूतपूर्व कार्य किये गए।
बाबा केदार की शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ स्थित श्री ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में कोठा भवन के जीर्णोद्वार और मंदिर परिसर के विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की मांग स्थानीय जनता द्वारा तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है। राजनीतिक लाभ के लिए पूर्व में करीब आधा दर्जन से अधिक बार यहां पर भूमि पूजन भी किये गए। मगर अजेंद्र ने इस परियोजना को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया और वर्तमान में न्यू इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सहयोग से पांच करोड़ रूपये की लागत से प्रथम चरण के कार्य तेजी से गतिमान हैं।
वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ धाम में पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके श्री ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण गत वर्ष एक दानीदाता के सहयोग से एक वर्ष के रिकॉर्ड समय में कराया गया। गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में ध्वस्त हो चुके भैरव मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग क्षेत्रीय जनता करीब एक दशक से उठाती रही है। मगर अजेंद्र के प्रयासों से कुछ माह पूर्व शुरू हुआ मंदिर निर्माण का कार्य शीघ्र ही पूरा होने को है। इसके अलावा तुंगनाथ व विश्वनाथ मंदिर की जर्जर हो चुकी छतरियों का पुनर्निर्माण कार्य भी सम्पन्न कराये गए हैं।
अजेंद्र के कार्यकाल का सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित कराना रहा है। सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, सिद्धि विनायक, राम मंदिर अयोध्या जैसे तमाम प्रमुख मंदिरों में स्वर्ण मंडित विभिन्न कार्य कराने वाले मुंबई के लाखी परिवार ने केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को पूरी तरह से स्वर्ण मंडित किया। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। मगर कुछ लोगों के दुष्प्रचार को नजरअंदाज कर दिया जाए तो वास्तव में बाबा केदार के गर्भगृह की स्वर्णमयी आभा देश-विदेश के श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुयी है।
बीकेटीसी में वित्तीय नियोजन एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। आश्चर्यजनक रूप से पूर्व में यहां इसके नियंत्रण की कोई सटीक व्यवस्था नहीं थी। अजेंद्र ने पदभार ग्रहण करते ही सबसे पहले वित्तीय पारदर्शिता के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित करने की पहल की और इस पर शासन से प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी की तैनाती करवाई। इससे आर्थिक गतिविधियों का नियामन त्रुटिहीन हो गया है। कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिणाम है कि बीकेटीसी आधारभूत ढांचे के विकास के लिए विभिन्न निर्माण कार्यों को सम्पादित करने के बावजूद आर्थिक दृष्टि से मजबूत स्थिति में आ गयी है। बीकेटीसी ने वर्तमान यात्राकाल में केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में यात्रा सुविधाओं के विकास के लिए प्रदेश सरकार को दस करोड़ रूपये की धनराशि प्रदान की। प्रदेश के इतिहास में यह पहला अवसर होगा कि जब किसी निगम अथवा बोर्ड ने प्रदेश सरकार को सहयोग के रूप में धनराशि दी होगी।
वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय में गठित बीकेटीसी में कर्मचारियों की नियुक्ति, पदोन्नति आदि के लिए कोई पारदर्शी व्यवस्था नहीं थी और ना ही कार्मिकों के लिए कोई सेवा नियमावली थी। बीकेटीसी के इतिहास में पहली बार अजेंद्र ने इसके लिए पहल की और तमाम गतिरोधों के बावजूद सेवा नियमावली बनायीं। धार्मिक संस्थाओं के लिए इस तरह की नियमावली का निर्माण करना दरअसल एक संवेदनशील विषय रहा है। प्रचलित परंपराओं के साथ आवश्यक वैधानिक शर्तों का संयोजन एक चुनौतीपूर्ण टास्क होता है। लिहाजा, इससे पूर्व किसी ने भी इस संवेदनशील विषय को छूने का साहस नहीं किया।
प्रशासनिक व्यवस्था के निर्बाध प्रचालन और कार्य संस्कृति में बदलाव लाने के लिए भी कई प्रयास किये गए। इसमें सबसे प्रमुख निर्णय कार्मिकों का स्थानांतरण था। मंदिर समिति के इतिहास में पहली बार कार्मिकों के स्थानांतरण किये गए। स्थानांतरण प्रक्रिया ने मंदिर समिति में भूचाल ला दिया था। मगर अध्यक्ष ने कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय देते हुए स्थानांतरण आदेशों को लागू करा कर छोड़ा। कर्मचारियों की लंबित पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त कर उनके मनोबल को बढ़ाने के साथ कार्मिकों को गोल्डन कार्ड सुविधा प्रदान करने जैसे अनेक निर्णय लिए गए।
सुधारों के क्रम में धामों में दर्शन व्यवस्था को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए बीकेटीसी ने अपना सुरक्षा संवर्ग बनाने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार को भेजा है। इसको सरकार ने स्वीकृति दे दी है। उम्मीद है कि शीघ्र ही बदरीनाथ व केदारनाथ मंदिरों में दर्शन व सुरक्षा की कमान बीकेटीसी के सुरक्षाकर्मियों के पास होगी।
हालांकि, सुधारों की राह कभी भी आसान नहीं होती है। बीकेटीसी में भी सुधार की बयार कुछ लोगों को पसंद नहीं आयी और वे अध्यक्ष अजेंद्र के विरुद्ध लगातार बात-बेबात के मुद्दों को लेकर विवाद खड़ा करने का प्रयास करते रहते हैं। मगर अजेंद्र ने सारे विरोधों को दरकिनार करते हुए अपना अभियान जारी रखा है।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध के बाद प्रदेश सरकार ने विगत विधानसभा चुनाव से पहले इसे भंग कर श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) को पुनर्जीवित कर दिया था। प्रदेश सरकार ने बीकेटीसी की कमान निर्विवादित व स्वच्छ छवि वाले वरिष्ठ भाजपा नेता अजेंद्र अजय को सौंपी। पूर्व में केदारनाथ आपदा घोटाला और प्रदेश में लैंड जिहाद जैसे मुद्दों को उठा कर चर्चाओं में रहे अजेंद्र अजय बीकेटीसी के अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद से फिर से न केवल खुद चर्चाओं में बने हुए हैं, बल्कि बीकेटीसी भी लगातार चर्चाओं में बनी हुई है। दरअसल, मंदिर समिति में दीमक की तरह लगे हुए कुछ लोगों ने वर्षों से ऐसी परंपरा कायम की हुयी है कि वो नए अध्यक्ष के आने पर उसे अपनी करबट में लेने की कोशिश करते हैं। यदि अध्यक्ष उनके अनुसार नहीं चलता है तो उसे घेरने और दबाब बनाने की कोशिश करते हैं। अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए बिना वजह के मुद्दों पर विवाद भी खड़ा करा देते हैं। अजेंद्र ने धामों में निजी स्वार्थों के लिए कार्य कर रहे कुछ लोगों के संगठित गिरोह पर भी चोट की और व्यवस्थाओं में परिवर्तन लाने का प्रयास किया है। इस कारण अजेंद्र लगातार स्वार्थी तत्वों के निशाने पर भी हैं और उन्हें घेरने की लगातार कोशिश की जा रही है। मगर अजेंद्र इन सब की परवाह किये बगैर लगातार मंदिर समिति में सुधारों को जारी रखे हुए हैं।
अध्यक्ष का कार्यभार संभालते ही अजेंद्र ने सबसे पहले बीकेटीसी की कार्यप्रणाली में बदलाव के प्रयास किए। वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय गठित हुई बीकेटीसी में कर्मचारियों व अधिकारियों के ट्रांसफर अपवादस्वरूप ही होते रहे हैं। अजेंद्र ने कर्मचारियों व अधिकारियों के स्थानांतरण कर बीकेटीसी में हड़कंप मचा दिया था।। कुछ कार्मिकों ने अध्यक्ष द्वारा किये गए ट्रांसफरों को धता बताने की कोशिश भी की, किन्तु अध्यक्ष के सख्त रूख के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। अध्यक्ष ने कार्मिकों की कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया। वर्षों से पदोन्नत्ति की मांग कर रहे कार्मिकों मुराद पूरी की और वेतन विसंगति का सामना कर रहे 130 से अधिक कार्मिकों के वेतन में वृद्धि भी की।
अजेंद्र ने लगभग 11 वर्षों से बीकेटीसी में मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर कुंडली जमाये बैठे विवादित अफसर बीडी सिंह को भी चलता किया। भाजपा हो अथवा कांग्रेस हर सरकार में बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर जमे रहने वाले बीडी सिंह ने मंदिर समिति से हटते ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ही ले ली थी। अजेंद्र ने बीकेटीसी में पारदर्शिता व भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए भी कई कदम उठाये। मंदिर समिति में वित्तीय पारदर्शिता कायम करने के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित कर शासन से वित्त अधिकारी की नियुक्ति कराई गयी। केदारनाथ धाम में दान चढ़ावे की गिनती के लिए पारदर्शी ग्लास हॉउस निर्मित कराया गया। अन्य भी कई नयी पहल शुरू की गयीं, जिनसे बीकेटीसी की आय में भी वृद्धि हुई है।
आजादी से पूर्व गठन होने के बावजूद बीकेटीसी में अभी तक कार्मिकों की सेवा नियमावली नहीं है। इस कारण कई विसंगतियां पैदा होती रही हैं। बीकेटीसी बोर्ड ने विगत माह बैठक में कार्मिकों की सेवा नियमावली का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिस पर शासन स्तर पर तेजी से कार्रवाई चल रही है। अजेंद्र ने सचिवालय की तर्ज पर बीकेटीसी में अलग से सुरक्षा संवर्ग तैयार करने की पहल भी की है। यह प्रस्ताव भी शासन में विचाराधीन है। बीकेटीसी का सुरक्षा संवर्ग गठित होने पर केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में मंदिरों की आंतरिक सुरक्षा पूरी तरह से बीकेटीसी के हाथों में रहेगी। अजेंद्र के कार्यकाल में बीकेटीसी में अवैध नियुक्तियों पर भी रोक लगी। अब तक अधिकांश अध्यक्षों के कार्यकाल में बीकेटीसी में बड़ी संख्या में कार्मिकों की अवैध रूप से नियुक्तियां की गयीं। इस कारण बीकेटीसी को सात सौ से भी अधिक कर्मचारियों का बोझ उठाना पड़ रहा है। आधे कार्मिकों के पास कोई काम तक नहीं है। पहली बार अजेंद्र के कार्यकाल में एक भी कर्मचारी की अवैध नियुक्ति नहीं हुयी।
अजेंद्र ने मंदिरों के जीर्णोद्वार, विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की दिशा में भी ठोस पहल की। उनके कार्यकाल में सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित किया जाना रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देख रेख में यह प्रक्रिया पूर्ण कराई। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। अजेंद्र ने बाबा केदारनाथ व भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन गद्दी स्थल उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के विकास व विस्तारीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी काम शुरू किया। इस कार्य के लिए स्थानीय जनता द्वारा करीब तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है और पूर्व में कई मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका शिलान्यास भी किया गया था।
आपदा में ध्वस्त हो चुके केदारनाथ मंदिर के समीप स्थित ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण भी अजेंद्र के कार्यकाल की उपलब्धि है। आपदा के इतने वर्षों पश्चात गत वर्ष इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। एक वर्ष के भीतर मंदिर का निर्माण कार्य करा कर इसकी प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी गयी। केदारनाथ धाम में बीकेटीसी कार्मिकों के आवास व कार्यालय भवन इत्यादि के कार्य भी विगत वर्ष ही शुरू हुए हैं। वर्तमान में बीकेटीसी द्वारा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ परिसर में स्थित भैरव मंदिर निर्माण के साथ-साथ तुंगनाथ मंदिर व त्रियुगीनारायण मंदिर के विकास व सौंदर्यीकरण की योजना पर भी काम किया जा रहा है। बहरहाल, अजेंद्र ने मंदिर समिति में बदलावों और सुधारों के लिए मुहिम जारी रखी हुयी है। मगर उनके प्रयासों की हवा निकालने के लिए मंदिर समिति के बाहर व भीतर के कुछ लोग लगातार अभियान छेड़े हुए हैं। मंदिर समिति में सुधारों की कवायद कितना परवान चढ़ पाती है, यह भविष्य के गर्भ में है।
उत्तराखंड : श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) में वित्तीय अनुशासन व पारदर्शिता के लिए प्रदेश सरकार ने वित्त नियंत्रक की नियुक्ति कर दी है। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के वित्त निदेशक जगत सिंह चौहान को तत्काल प्रभाव से बीकेटीसी के वित्त नियंत्रक का अस्थाई रूप से अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। प्रदेश सरकार द्वारा बीकेटीसी में पहली बार वित्त नियंत्रक की नियुक्ति की गई है। बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने वित्त नियंत्रक की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है।
बीकेटीसी अध्यक्ष श्री अजेंद्र अजय ने विगत दिवस मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट कर और प्रदेश के संस्कृति व धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल को पत्र लिख कर तत्काल वित्त नियंत्रक नियुक्त करने की मांग की थी। उन्होंने लिखा था कि बीकेटीसी में वित्तीय अनुशासन व पारदर्शिता बनाए रखने के लिए वित्त नियंत्रक की नियुक्ति आवश्यक है।
अजेंद्र के पत्र पर कार्रवाई करते हुए शासन ने पर्यटन विकास परिषद के वित्त निदेशक जगत सिंह चौहान को बीकेटीसी के वित्त नियंत्रक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। इस संबंध में वित्त विभाग के संयुक्त सचिव विक्रम सिंह राणा ने बुधवार को आदेश जारी किए हैं। आदेश में कहा गया है कि वित्त सेवा के अधिकारी चौहान को वर्तमान दायित्वों के साथ-साथ कार्यहित में बीकेटीसी के वित्तीय कार्यों के निर्वहन हेतु अस्थाई रूप से वित्त नियंत्रक का अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है।
वर्तमान में बीकेटीसी के ढांचे में वित्त सेवा से संबंधित पद सृजित नहीं है। इस कारण शासन ने श्री चौहान की नियुक्ति अस्थाई रूप से की है। लिहाजा, शासन ने संस्कृति व धर्मस्व विभाग के सचिव से यह भी अपेक्षा की है कि बीकेटीसी के ढांचे में वित्त सेवा से संबंधित पद का सृजन यथाशीघ्र कर लिया जाए। ताकि भविष्य में किसी प्रकार की समस्या पैदा ना हो।
उधर, बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने वित्त नियंत्रक की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि वित्त नियंत्रक की नियुक्ति के पश्चात बीकेटीसी में मुख्यमंत्री जी की भावना के अनुरूप वित्तीय अनुशासन व पारदर्शिता कायम होगी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद से अजेंद्र लगातार बीकेटीसी की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए जुटे हुए हैं। कर्मचारियों की वेतन विसंगति का मामला हो या अधिकारियों व कर्मचारियों की वर्षों से लटकी पड़ी पदोन्नत्तियां, अजेंद्र ने इनको तेजी से निस्तारित किया। इसके साथ ही पहली बार बीकेटीसी में कार्मिकों के स्थानांतरण भी किए गए।
उत्तराखंड। प्रबंधकीय सिद्धांतों के सिलेबस में अमूमन पढ़ाया जाता है कि किसी भी संस्थान की तरक्की के लिए उसके कर्मचारियों की आर्थिक व मानसिक स्थिति का बेहतर होना जरूरी होता है। कुछ इसी कार्यप्रणाली को अपनाती नज़र आ रही है श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी)।
BKTC के अध्यक्ष अजेंद्र अजय के प्रयासों से चार धामों के कपाट खुलने से पहले ही कर्मचारियों की वर्षों से लम्बित वेतन वृद्धि की मांग पूरी हो गयी है। लगभग 150 अस्थायी कर्मियों की पिछले कुछ सालों से लटकी वेतन वृद्धि के मामले में चली पत्रावली का 24 से 48 घंटे के भीतर निस्तारित होकर आदेश जारी होना, सरकारी प्रक्रिया में किसी अचरज से कम नहीं है।
अमूमन सभी लोग इस कड़वी सच्चाई से रूबरू होंगे कि सरकारी कार्यप्रणाली में किसी भी फाइल को अंजाम तक पहुंचने में लंबा समय लगना तय है। मगर अजेंद्र अजय का अध्यक्ष पद संभालने के बाद से ही BKTC की प्रबंधकीय प्रणाली में बहुत परिवर्तन नज़र आने लगा है। इसकी यह एक बानगी है।
सूत्रों के अनुसार जैसे ही अजेंद्र के संज्ञान में आया कि BKTC में स्थिर वेतन पर कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों की पिछले कुछ वर्षों से नियमित अंतराल पर होने वाली वेतन वृद्धि लंबित पड़ी हुई है। देवस्थानम बोर्ड का गठन होने और कोविड काल के कारण इन कर्मचारियों की वेतन वृद्धि को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया था।
अजेंद्र ने तुरंत BKTC के अधीन श्री केदारनाथ अधिष्ठान व श्री बदरीनाथ अधिष्ठान से कार्मिकों की सूची, उनको देय वेतन और अतिरिक्त व्यय भार को लेकर रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट के प्राप्त होते ही उन्होंने मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह से चर्चा की और उसी दिन उनके सामने फाइल तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
इस पर BKTC के दोनों अधिष्ठानों से एक ही दिन में फाइल तैयार कर ऑनलाइन माध्यम से अध्यक्ष के अनुमोदन के लिए भेजी गई। अध्यक्ष ने उसी दिन फाइल को अनुमोदित कर आदेश जारी करने के निर्देश दे दिए। अध्यक्ष के हस्ताक्षर होने के बाद दोनों अधिष्ठानों ने अगली सुबह तक लगभग डेढ़ सौ अस्थिर वेतन कार्मिकों की वेतन वृद्धि के लिखित आदेश जारी कर दिए।
गौरतलब है कि आगामी मई प्रथम सप्ताह में श्री बद्रीनाथ व श्री केदारनाथ के कपाट खुल रहे हैं। इस वर्ष श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए यात्रा का जबरदस्त दबाब BKTC पर पड़ने वाला है। लिहाजा, अजेंद्र ने तय किया कि कर्मचारियों की इस अहम समस्या को युद्धस्तर पर निपटाया जाए। इस निर्णय के बाद BKTC के कर्मचारियों में खुशी की लहर है। कर्मचारी BKTC अध्यक्ष का आभार जता रहे हैं।
BKTC अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के बाद से अजेंद्र लगातार कई बड़े निर्णय लेने में लगे हुए हैं। BKTC के स्थाई कार्मिकों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गोल्डन कार्ड बनाने के लिए उन्होंने बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित किया और उसे तत्काल राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को भिजवाया। प्राधिकरण के मुख्य कार्याधिकारी से बात कर उन्होंने जल्दी से कर्मचारियों के गोल्डन कार्ड बनाने को कहा। उम्मीद है कि जल्दी ही BKTC के स्थाई कार्मिकों को भी अन्य सरकारी कार्मिकों की तरह गोल्डन कार्ड का लाभ हासिल होगा।
अजेंद्र BKTC को प्रोफेशनल रूप देने की कोशिशों में लगे हुए हैं। कुछ माह पूर्व उन्होंने BKTC के विश्राम गृहों के प्रबंधकों और मंदिरों में फ्रंट लाइन वर्कर की भूमिका में रहने वाले कर्मचारियों के लिए तीन दिन का रिफ्रेशर कोर्स करवाया। यह कोर्स गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के पर्यटन व आतिथ्य विभाग में कराया गया, जिसमें कर्मचारियों को विशेषज्ञों द्वारा प्रोफेशनल अंदाज में कार्य करने और अतिथि सत्कार के गुर सिखाए गए।
उत्तराखंड : भाजपा ने श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति के गठन के मुद्दे को चुनाव आयोग में ले जाने और इस पर हो- हल्ला मचाने पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि इससे कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता एक बार फिर उजागर हो गई है। पार्टी ने कहा कि इससे यह भी स्पष्ट हुआ है कि कांग्रेस की मंशा आगामी चारधाम यात्रा में रोड़ा अटकाने की है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि कांग्रेस हमेशा मठ- मंदिरों के सनातनी कार्यों और परम्पराओं में रोड़ा अटकाती रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बद्रीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति का गठन पूर्ण वैधानिक तरीके से गया है। विगत दिनों उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने के पश्चात प्रदेश सरकार द्वारा मंदिर समिति के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। चुनाव आचार संहिता के लागू होने से पहले इसका गठन कर दिया गया था।
मगर मंदिर समिति का गठन करना कांग्रेस को रास नहीं आ रहा है। मंदिर समिति को लेकर कांग्रेस का चुनाव आयोग में शिकायत करने के पीछे उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ चार धाम यात्रा की प्रक्रिया में विध्न डालना है। सभी जानते हैं कि देवस्थानम बोर्ड भंग होने के बाद से मंदिर समिति की व्यवस्था को शीघ्र पुनः लागू करना जरूरी था। क्योंकि आगामी 5 फरवरी को बसंत पंचमी से कपाट खुलने की आधिकारिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
यही वजह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही चार धामयात्रा के सुचारु संचालन हेतु अजेंद्र अजय की अध्यक्षता में मंदिर समिति का गठन किया है, ताकि यात्रा का संचालन कार्य सुचारू ढंग से हो सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से विगत वर्ष कोरोना काल में भी चारधाम यात्रा ऐतिहासिक रही। श्रद्धालुओं की संख्या ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। इससे प्रदेश की आर्थिकी को भी मजबूती मिली है।
उन्होने खुला आरोप लगाया कि सनातन धर्म के कामों में रोड़ा अटकाए बिना कांग्रेस को चैन नहीं आता है। मंदिर समिति के गठन को लेकर हो – हल्ला मचाए जाने से यह आभास हो रहा है कि कांग्रेस नहीं चाहती है कि आगामी यात्रकाल में व्यवस्थाएं चुस्त – दुरुस्त हों।
उन्होंने कहा कि इससे यह भी स्पष्ट हुआ है कि कांग्रेस पार्टी अपने राजनीतिक लाभ के लिए प्रदेश की आर्थिकी और हिंदू मान्यताओं व परंपराओं से छेड़छाड़ करने से भी नहीं चूकती है। उन्होंने कहा कि यात्रा व्यवस्था को लेकर प्रदेश सरकार के प्रयासों को संकीर्ण राजनीति में घसीटना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि धार्मिक कारण से ही नहीं, बल्कि प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ होने की वजह से भी चारधाम यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है। ग्रीष्मकाल में मंदिरों के कपाट खुलने से कई महिनों पहले ही यात्रा को लेकर सभी तैयारियां पूरी करनी पड़ती है। इस सबको पूरा करने के लिए मंदिर समिति का आधिकारिक रूप में कार्य करना अतिआवश्यक है। यही वजह है कि इस दैवीय यात्रा को निष्कंटक और सुगम बनाने के प्रयासों के तहत ही प्रदेश सरकार ने नियमों के अनुसार समिति का गठन किया है।
भाजपा नेता व पूर्व दर्जा धारी अजेंद्र अजय ने रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर बाबा केदारनाथ की शीतकालीन गद्दिस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ स्थित पौराणिक कोठा भवन के जीर्णद्धार के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि शीतकाल में श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने पर बाबा केदार की चल-विग्रह उत्सव मूर्ति ऊखीमठ स्थित औंकारेश्वर मंदिर में प्रवास करती है। औंकारेश्वर मंदिर का ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व है। मंदिर का कोठा भवन अपने अद्भुत शिल्प व बनावट के लिए प्रसिद्ध है।
भगवान औंकारेश्वर मंदिर, उषा-अनिरुद्ध विवाह मंडप व कोठा भवन के दर्शनों के लिए प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु व तीर्थ यात्री ऊखीमठ पहुंचते हैं। मगर देखरेख के अभाव में कोठा भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है। किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा/भूकंप इत्यादि के आने पर यह कोठा भवन ध्वस्त हो सकता है।
उन्होंने कोठा भवन के पौराणिक व परम्परागत शिल्प व स्थापत्य (Architecture) को दृष्टिगत रखते हुए इसका जीर्णोद्वार की मांग की।
अजेंद्र ने रुद्रप्रयाग जनपद की कई अन्य समस्याओं को लेकर भी मुख्यमंत्री को पत्र सौंपे, जिनमें अगस्त्यमुनि विकास खंड में द्वारीधार – दयुका मोटर मार्ग निर्माण, फाटा- रैलगांव- जाल मोटर मार्ग निर्माण, चुन्नी बैंड- विद्यापीठ मोटर मार्ग का विस्तारीकरण आदि प्रमुख हैं।