अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर राष्ट्रपति मुर्मू, पीएम मोदी सहित कई नेताओं ने दी पुष्पांजलि..
देश-विदेश: देश में आज पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती है। इस मौके पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सदैव अटल स्मारक पर जाकर पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे। इसी के साथ केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, अश्विनी वैष्णव, अनुराग ठाकुर और अन्य नेताओं ने भी पूर्व प्रधानमंत्री को पुष्पांजलि अर्पित की।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी जयंती पर देश के सभी परिवारजनों की ओर से मेरा कोटि-कोटि नमन। वे जीवन भर राष्ट्र निर्माण को गति देने में जुटे रहे। मां भारती के लिए उनका समर्पण और सेवा भाव अमृतकाल में भी प्रेरणास्रत्रोत बना रहेगा। वही गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा, पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंत पर उनका स्मरण कर उन्हें नमन करता हूं। अटल जी ने निस्वार्थ भाव से देश व समाज की सेवा की और भाजपा की स्थापना के माध्यम से देश में राष्ट्रवादी राजनीति को नई दिशा दी। जहां एक ओर उन्होनें परमाणु परीक्षण और कारगिल युद्ध में विश्व को उभरते भारत की शक्ति का एहसास करवाया, तो वहीं दूसरी ओर देश में सुशासन की परिकल्पना को चरितार्थ किया। उनके विराट योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।
कुछ लोगों के लिए सुशासन की बात एक राजनीतिक नारा मात्र हो सकती है। मगर यह स्पष्ट देखा और अनुभव किया जा सकता है कि केंद्र व प्रदेशों में जब भी सरकारों का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी ने किया, उसने सुशासन के सिद्धांत को न केवल आत्मसात किया, अपितु इसके प्रति अपना दृढ़ संकल्प भी प्रदर्शित किया है। भाजपा सरकारों ने अपनी नीतियों, योजनाओं व व्यवहार से सुशासन को मूर्त रूप देना का प्रयास किया है। सीधे शब्दों में कहा जा सकता है कि सुशासन सदैव भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा का केंद्र बिंदु रहा है।
पहले चर्चा करते हैं अटल बिहारी वाजपेयी के राजनैतिक काल की। अटल जी की राजनीतिक यात्रा का सूक्ष्म विश्लेषण करें तो उनके जीवन में ऐसे अनेक मौके आए जहां कोई अन्य व्यक्ति होता तो शायद निजी हित को ही ऊपर रखता। मगर ये अटल जी के आदर्श ही थे, जिससे उन्होंने राजनीतिक शुचिता का नया उदाहरण प्रस्तुत किया। फिर चाहे वह एक वोट से अपनी सरकार को गिरने देना हो अथवा विपक्ष में होते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में पूरी जोरदारी से भारत का पक्ष रखना। हर एक परिस्थिति में उनके द्वारा अपनाए गए मानदंड भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट परम्परा की यशस्वी गाथा कहते हैं जो भविष्य की पीढ़ियों को सतत प्रेरित करते रहेंगे। वाजपेयी सरकार ने अपने कार्यकाल में देश में आधारभूत ढांचे के निर्माण में नए आयाम स्थापित किए। टेलीकॉम क्षेत्र में सुधार हों, अर्थव्यवस्था में लाया गया अनुशासन हो अथवा तमाम जन कल्याणकारी योजनाओं का संचालन, इन सबके द्वारा वे सरकार को जन के नजदीक ले गए। पोखरण परमाणु परीक्षण के माध्यम से उन्होंने भारत की शक्ति का अहसास दुनिया को कराया।
फिर आया वर्ष 2014। इस वर्ष हुए लोकसभा के आम चुनाव में भारतीय जनमानस ने अटल जी की ही परंपरा से निकले नरेंद्र मोदी पर विश्वास व्यक्त किया। मोदी सरकार द्वारा उज्जवला योजना के माध्यम से करोड़ों महिलाओं के जीवन में लाया गया सुधार हो, आयुष्मान योजना द्वारा परिवारों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराना हो अथवा 2022 तक सभी को आवास उपलब्ध कराने जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य हों, ये सभी उनके सुशासन के प्रति समर्पण को ही दर्शाते हैं। ये सभी निर्णय सुनिश्चित करते हैं कि गरीब से गरीब व्यक्ति को मूलभूत सुविधाओं से वंचित न रहना पड़े।
मोदी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मूल मंत्र के साथ काम कर रही है जो पं. दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय का ही एक मूर्त रूप है। भाजपा के मूलभूत सिद्धांत इसी विचारधारा पर आधारित हैं जिनका अनुसरण करते हुए मोदी सरकार जन कल्याण के कार्य कर राष्ट्र निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही है। आज की तारीख में हो रहे बहुत से छोटे-छोटे परिवर्तन शायद नगण्य प्रतीत होते हों, परन्तु उनके दूरगामी सुखद परिणाम होंगे। उदाहरणस्वरूप, भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया मिशन कर्मयोगी- जो सरकार में कार्यरत अधिकारियों के क्षमता निर्माण के लिए केंद्र सरकार की एक योजना है।
एक समूह को यह सरकार का अनावश्यक व्यय प्रतीत हो सकता है, परन्तु सुशासन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। सरकारी कर्मचारियों को नए ज़माने के अनुरूप तकनीकी एवं मानव संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में पुनः प्रशिक्षित करना मील का पत्थर साबित होगा। इसी प्रकार जब लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने हर घर तक शौचालय पहुंचाने की बात कही तो एक वर्ग ने इसे नकारात्मक रूप में लिया। हालांकि इस योजना के दूरगामी परिणामों के मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र संघ सहित अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इस प्रयास की सराहना की। इन योजनाओं का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पहलू एक गरीब व्यक्ति के जीवन में आया परिवर्तन, समाज में उसकी स्थिति में आया सुखद बदलाव है जो शायद समाज के एक वर्ग के लिए समझना मुश्किल हो।
राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ जब कोई पार्टी अथवा व्यक्ति चुनाव जीत कर सरकार बनाता है तब यही भावना सरकार के निर्णयों में सुशासन के रूप में परिलक्षित होती हैं। भाजपा आज देश के अनेकों राज्यों में एक मजबूत नेतृत्व के साथ सुशासन के लिए प्रतिबद्ध सरकारें चला रही है। केंद्र सरकार के सुशासन का ही परिणाम है कि आज तक जिन राज्यों में भाजपा गौण स्थिति में थी, उन राज्यों में भी एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभरी है। भाजपा जैसे विचारधारा आधारित संगठन से जनता की अत्यधिक अपेक्षाएं होना स्वाभाविक है।
आज 18 करोड़ कार्यकर्ताओं के साथ विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन चुकी भाजपा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। इस दल की विचारधारा अपने साधारण से साधारण कार्यकर्ता को अपने नेतृत्व क्षमता में सुशासन को समाहित करना सिखाती है। ताकि जब उसे किसी भी प्रकार का दायित्व मिले तब उसके मनो मस्तिष्क में सदैव यह विचार गूंजता रहे कि वह किस प्रकार सुशासन के माध्यम से समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के जीवन में बदलाव ला सके। समाज के विभिन्न तबकों एवं वर्गों से आने वाले करोड़ों कार्यकर्ताओं द्वारा समर्थित एक दल जब सुशासन के सिद्धांतों पर संचालित होता है तो यह विचार देश के नागरिकों को एक बेहतर समाज एवं राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रेरित करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण अटल टनल का उदघाटन किया। इस सुरंग के कारण मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा का समय भी चार से पांच घंटे कम हो जाएगा। अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग टनल है। यह टनल 9.02 किलोमीटर लंबी है। यह पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़कर रखेगी। अभी तक यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी।
अटल जी का सपना पूरा
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज सिर्फ अटल जी का ही सपना नहीं पूरा हुआ है, अपितु आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का भी दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। वाजपेयी सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया। हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था। जिस रफ्तार में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती। आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता।
20 साल का काम 6 साल में
मोदी ने कहा कि जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है। केंद्र में वर्ष 2014 में उनकी सरकार आने के बाद अटल टनल के काम में भी अभूतपूर्व तेजी लाई गई। नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।
देरी के कारण तीन गुना बड़ी लागत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साल 2005 में ये आंकलन किया गया था कि ये टनल लगभग 950 करोड़ रुपये में पूरी हो जाएगी। मगर लगातार होने वाली देरी के कारण ये तीन गुना से भी ज्यादा, यानी करीब 3200 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद पूरी हुई है। कल्पना कीजिए कि 20 साल और लग जाते तो क्या स्थिति होती ?
एक नजर अटल टनल की विशेषताओं पर
यह टनल हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में औसत समुद्र तल से 3000 मीटर अर्थात 10,000 फीट की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विनिर्देशों के साथ बनाई गई है। यह टनल मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम करती है और दोनों स्थानों के बीच लगने वाले समय में भी लगभग 4 से 5 घंटे की बचत करती है।
घोड़े की नाल के आकार और डबल लेन टनल
अटल टनल का दक्षिण पोर्टल (एसपी) मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तर पोर्टल (एनपी) लाहौल घाटी में तेलिंग सिस्सु गांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह घोड़े की नाल के आकार में 8 मीटर सड़क मार्ग के साथ सिंगल ट्यूब और डबल लेन वाली टनल है। इसकी ओवर हेड निकासी 5.525 मीटर है।
80 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकते वाहन
यह 10.5 मीटर चौड़ी है और इसमें 3.6x 2.25 मीटर फायर प्रूफ आपातकालीन निकास टनल भी है, जिसे मुख्य टनल में ही बनाया गया है। अटल टनल को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है।
कुछ अन्य प्रमुख विशेषताएं
यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडी एनियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से युक्त है। टनल के दोनों प्रवेश द्वार अर्थात पोर्टल पर प्रवेश बैरियर, आपातकालीन संचार के लिए प्रत्येक 150 मीटर दूरी पर टेलीफोन कनेक्शन, प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर फायर हाइड्रेंट तंत्र, प्रत्येक 250 मीटर दूरी पर सीसीटीवी कैमरों से युक्त स्वत: किसी घटना का पता लगाने वाली प्रणाली, प्रत्येक किलोमीटर दूरी पर वायु गुणवत्ता निगरानी, पूरी टनल में प्रसारण प्रणाली, प्रत्येक 50 मीटर दूरी पर फायर रेटिड डैम्पर्स, प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर कैमरे लगे हैं।
वाजपेयी सरकार ने लिया था टनल निर्माण का निर्णय
03 जून, 2000 तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रोहतांग दर्रे के नीचे एक रणनीतिक टनल का निर्माण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था। टनल के दक्षिण पोर्टल की पहुंच रोड़ की आधारशिला 26 मई, 2002 रखी गई थी। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने प्रमुख भू-वैज्ञानिक, भूभाग और मौसम की चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अथक परिश्रम किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक 24 दिसम्बर 2019 को आयोजितबैठक में इस टनल का नाम अटल टनल रखने का निर्णय लिया गया था।
2 अक्तूबर 1994 को मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर-तिराहा में अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस बर्बरता की 26 वीं बरसी पर प्रदेशभर में विभिन्न स्थानों में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रामपुर-तिराहा पहुंच कर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों की स्मृति में बनाए गए शहीद स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किये। शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों के अनुरूप उत्तराखण्ड का विकास हो, इसके लिए राज्य सरकार निरन्तर प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन को हम अनेक रूपों में मनाते हैं। यह दिन देश की आजादी के लिए अहिंसा व सत्याग्रह के सिद्धान्त पर चलने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और जय जवान-जय किसान का उदघोष करने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एवं तत्कालीन उत्तर प्रदेश के इतिहास में आज के दिन को एक काले धब्बे के रूप में भी हम लोग देखते हैं। रामपुर-तिराहा में राज्य आन्दोलनकारियों पर अमानवीय अत्याचार हुआ, अनेक नौजवान शहीद हुए। उन्होंने स्थानीय लोगों की सराहना करते हुए कहा कि पुलिस बर्बरता के दौरान यहां के लोगों ने उत्तराखंड के आंदोलनकारियों के सम्मान व सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। उनके इस योगदान को हमेशा याद किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य बड़े संघर्ष के बाद बना। राज्य के निर्माण में सभी वर्गों के लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड राज्य का निर्माण किया। आज राज्य तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उत्तराखण्ड की प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, इन्फ्रास्टक्चर में तेजी से वृद्धि हुई है। उत्तराखण्ड सीमान्त प्रदेश है, जिसकी लगभग पौने छः सौ किलोमीटर की अन्तरराष्ट्रीय सीमाएं हैं। आज हम चीन की सीमा तक सड़क पहुंचा चुके हैं।
इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत, विधायक हरवंश कपूर, प्रदीप बत्रा, मुजफ्फरनगर के विधायक प्रमोद उडवाल, गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष राजेन्द्र अंथवाल, रूड़की के मेयर गौरव गोयल आदि उपस्थित थे।
सीएम राजधानी देहरादून के कचहरी परिसर भी पहुंचे
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर भी आंदोलनकारियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज ही के दिन उत्तराखण्ड के इतिहास में एक काला अध्याय भी जुड़ा, जब अलग उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर-तिराहा में बर्बरतापूर्वक अत्याचार किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आन्दोलनकारियों के बलिदान के परिणामस्वरूप ही उत्तराखण्ड एक अलग राज्य बना।
विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल, भाजपा संगठन मंत्री अजेय ने अर्पित किए पुष्प चक्र
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, मेयर सुनील उनियाल गामा आदि ने भी अलग-अलग कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पहुंच कर शहीदों के चित्र पर पुष्प चक्र अर्पित किए। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन रामपुर-तिराहा में जिस प्रकार से आंदोलनकारी महिलाओं व पुरुषों पर बर्बरतापूर्वक अत्याचार किया गया, उसे भुलाया नहीं जा सकता है।