कुछ लोगों के लिए सुशासन की बात एक राजनीतिक नारा मात्र हो सकती है। मगर यह स्पष्ट देखा और अनुभव किया जा सकता है कि केंद्र व प्रदेशों में जब भी सरकारों का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी ने किया, उसने सुशासन के सिद्धांत को न केवल आत्मसात किया, अपितु इसके प्रति अपना दृढ़ संकल्प भी प्रदर्शित किया है। भाजपा सरकारों ने अपनी नीतियों, योजनाओं व व्यवहार से सुशासन को मूर्त रूप देना का प्रयास किया है। सीधे शब्दों में कहा जा सकता है कि सुशासन सदैव भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा का केंद्र बिंदु रहा है।
पहले चर्चा करते हैं अटल बिहारी वाजपेयी के राजनैतिक काल की। अटल जी की राजनीतिक यात्रा का सूक्ष्म विश्लेषण करें तो उनके जीवन में ऐसे अनेक मौके आए जहां कोई अन्य व्यक्ति होता तो शायद निजी हित को ही ऊपर रखता। मगर ये अटल जी के आदर्श ही थे, जिससे उन्होंने राजनीतिक शुचिता का नया उदाहरण प्रस्तुत किया। फिर चाहे वह एक वोट से अपनी सरकार को गिरने देना हो अथवा विपक्ष में होते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में पूरी जोरदारी से भारत का पक्ष रखना। हर एक परिस्थिति में उनके द्वारा अपनाए गए मानदंड भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट परम्परा की यशस्वी गाथा कहते हैं जो भविष्य की पीढ़ियों को सतत प्रेरित करते रहेंगे। वाजपेयी सरकार ने अपने कार्यकाल में देश में आधारभूत ढांचे के निर्माण में नए आयाम स्थापित किए। टेलीकॉम क्षेत्र में सुधार हों, अर्थव्यवस्था में लाया गया अनुशासन हो अथवा तमाम जन कल्याणकारी योजनाओं का संचालन, इन सबके द्वारा वे सरकार को जन के नजदीक ले गए। पोखरण परमाणु परीक्षण के माध्यम से उन्होंने भारत की शक्ति का अहसास दुनिया को कराया।
फिर आया वर्ष 2014। इस वर्ष हुए लोकसभा के आम चुनाव में भारतीय जनमानस ने अटल जी की ही परंपरा से निकले नरेंद्र मोदी पर विश्वास व्यक्त किया। मोदी सरकार द्वारा उज्जवला योजना के माध्यम से करोड़ों महिलाओं के जीवन में लाया गया सुधार हो, आयुष्मान योजना द्वारा परिवारों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराना हो अथवा 2022 तक सभी को आवास उपलब्ध कराने जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य हों, ये सभी उनके सुशासन के प्रति समर्पण को ही दर्शाते हैं। ये सभी निर्णय सुनिश्चित करते हैं कि गरीब से गरीब व्यक्ति को मूलभूत सुविधाओं से वंचित न रहना पड़े।
मोदी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मूल मंत्र के साथ काम कर रही है जो पं. दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय का ही एक मूर्त रूप है। भाजपा के मूलभूत सिद्धांत इसी विचारधारा पर आधारित हैं जिनका अनुसरण करते हुए मोदी सरकार जन कल्याण के कार्य कर राष्ट्र निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही है। आज की तारीख में हो रहे बहुत से छोटे-छोटे परिवर्तन शायद नगण्य प्रतीत होते हों, परन्तु उनके दूरगामी सुखद परिणाम होंगे। उदाहरणस्वरूप, भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया मिशन कर्मयोगी- जो सरकार में कार्यरत अधिकारियों के क्षमता निर्माण के लिए केंद्र सरकार की एक योजना है।
एक समूह को यह सरकार का अनावश्यक व्यय प्रतीत हो सकता है, परन्तु सुशासन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। सरकारी कर्मचारियों को नए ज़माने के अनुरूप तकनीकी एवं मानव संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में पुनः प्रशिक्षित करना मील का पत्थर साबित होगा। इसी प्रकार जब लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने हर घर तक शौचालय पहुंचाने की बात कही तो एक वर्ग ने इसे नकारात्मक रूप में लिया। हालांकि इस योजना के दूरगामी परिणामों के मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र संघ सहित अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इस प्रयास की सराहना की। इन योजनाओं का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पहलू एक गरीब व्यक्ति के जीवन में आया परिवर्तन, समाज में उसकी स्थिति में आया सुखद बदलाव है जो शायद समाज के एक वर्ग के लिए समझना मुश्किल हो।
राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ जब कोई पार्टी अथवा व्यक्ति चुनाव जीत कर सरकार बनाता है तब यही भावना सरकार के निर्णयों में सुशासन के रूप में परिलक्षित होती हैं। भाजपा आज देश के अनेकों राज्यों में एक मजबूत नेतृत्व के साथ सुशासन के लिए प्रतिबद्ध सरकारें चला रही है। केंद्र सरकार के सुशासन का ही परिणाम है कि आज तक जिन राज्यों में भाजपा गौण स्थिति में थी, उन राज्यों में भी एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभरी है। भाजपा जैसे विचारधारा आधारित संगठन से जनता की अत्यधिक अपेक्षाएं होना स्वाभाविक है।
आज 18 करोड़ कार्यकर्ताओं के साथ विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन चुकी भाजपा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। इस दल की विचारधारा अपने साधारण से साधारण कार्यकर्ता को अपने नेतृत्व क्षमता में सुशासन को समाहित करना सिखाती है। ताकि जब उसे किसी भी प्रकार का दायित्व मिले तब उसके मनो मस्तिष्क में सदैव यह विचार गूंजता रहे कि वह किस प्रकार सुशासन के माध्यम से समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के जीवन में बदलाव ला सके। समाज के विभिन्न तबकों एवं वर्गों से आने वाले करोड़ों कार्यकर्ताओं द्वारा समर्थित एक दल जब सुशासन के सिद्धांतों पर संचालित होता है तो यह विचार देश के नागरिकों को एक बेहतर समाज एवं राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रेरित करता है।