उत्तराखंड : भाजपा ने श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति के गठन के मुद्दे को चुनाव आयोग में ले जाने और इस पर हो- हल्ला मचाने पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि इससे कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता एक बार फिर उजागर हो गई है। पार्टी ने कहा कि इससे यह भी स्पष्ट हुआ है कि कांग्रेस की मंशा आगामी चारधाम यात्रा में रोड़ा अटकाने की है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि कांग्रेस हमेशा मठ- मंदिरों के सनातनी कार्यों और परम्पराओं में रोड़ा अटकाती रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बद्रीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति का गठन पूर्ण वैधानिक तरीके से गया है। विगत दिनों उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने के पश्चात प्रदेश सरकार द्वारा मंदिर समिति के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। चुनाव आचार संहिता के लागू होने से पहले इसका गठन कर दिया गया था।
मगर मंदिर समिति का गठन करना कांग्रेस को रास नहीं आ रहा है। मंदिर समिति को लेकर कांग्रेस का चुनाव आयोग में शिकायत करने के पीछे उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ चार धाम यात्रा की प्रक्रिया में विध्न डालना है। सभी जानते हैं कि देवस्थानम बोर्ड भंग होने के बाद से मंदिर समिति की व्यवस्था को शीघ्र पुनः लागू करना जरूरी था। क्योंकि आगामी 5 फरवरी को बसंत पंचमी से कपाट खुलने की आधिकारिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
यही वजह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही चार धामयात्रा के सुचारु संचालन हेतु अजेंद्र अजय की अध्यक्षता में मंदिर समिति का गठन किया है, ताकि यात्रा का संचालन कार्य सुचारू ढंग से हो सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से विगत वर्ष कोरोना काल में भी चारधाम यात्रा ऐतिहासिक रही। श्रद्धालुओं की संख्या ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। इससे प्रदेश की आर्थिकी को भी मजबूती मिली है।
उन्होने खुला आरोप लगाया कि सनातन धर्म के कामों में रोड़ा अटकाए बिना कांग्रेस को चैन नहीं आता है। मंदिर समिति के गठन को लेकर हो – हल्ला मचाए जाने से यह आभास हो रहा है कि कांग्रेस नहीं चाहती है कि आगामी यात्रकाल में व्यवस्थाएं चुस्त – दुरुस्त हों।
उन्होंने कहा कि इससे यह भी स्पष्ट हुआ है कि कांग्रेस पार्टी अपने राजनीतिक लाभ के लिए प्रदेश की आर्थिकी और हिंदू मान्यताओं व परंपराओं से छेड़छाड़ करने से भी नहीं चूकती है। उन्होंने कहा कि यात्रा व्यवस्था को लेकर प्रदेश सरकार के प्रयासों को संकीर्ण राजनीति में घसीटना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि धार्मिक कारण से ही नहीं, बल्कि प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ होने की वजह से भी चारधाम यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है। ग्रीष्मकाल में मंदिरों के कपाट खुलने से कई महिनों पहले ही यात्रा को लेकर सभी तैयारियां पूरी करनी पड़ती है। इस सबको पूरा करने के लिए मंदिर समिति का आधिकारिक रूप में कार्य करना अतिआवश्यक है। यही वजह है कि इस दैवीय यात्रा को निष्कंटक और सुगम बनाने के प्रयासों के तहत ही प्रदेश सरकार ने नियमों के अनुसार समिति का गठन किया है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की राजनीति में मुद्दा बन सकता है रोहित चौहान का ये गीत..
उत्तराखंड: विधानसभा के पहले दो आम चुनाव लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के नाम रहे। माना जाता है कि उनके गीतों ‘नौछमी नारेण’ और ‘अब कथगा खैल्यू’ से दोनों बार जनमत प्रभावित हुआ। हालांकि विगत कुछ चुनावों में नेगी का नया गीत नहीं आया लेकिन अब 2022 के चुनाव से ठीक पहले युवा गढ़वाली गायकों रोहित चौहान और राज टाइगर की जोड़ी का ‘पटवारी’ गीत बेरोजगारी की समस्या को लोकप्रिय माध्यम से हवा दे गया है।
आपको बता दे कि दोनों कलाकारों ने गीत के माध्यम से बेरोजगारों की जिंदगी में आने वाली मुश्किलों, समूह ग की भर्ती तैयारी और फिर विवादों के चलते कई साल तक भर्ती प्रक्रिया लटकने पर तंज कसा है। जिसे युवा खासा पसंद कर रहे हैं। रोहित चौहान जानी मानी गायिका कल्पना चौहान के बेटे हैं, जबकि राज टाइगर भी गढ़वाली डीजी गीतों में खासा नाम कमा चुके हैं। दो नवंबर को जारी इस वीडियो को अभी तक चार लाख 95 हजार से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं।
सात सौ से अधिक युवा इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। इसे उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों की हकीकत करार दे चुके हैं। गीत पर मिली प्रतिक्रिया से खुश राज टाइगर का कहना हैं कि उन्हें बेरोजगार फोन करके बधाई दे रहे हैं। हर किसी को लगता है कि जैसे हमने उनकी पीड़ा लिख डाली है। इतने कम समय में पांच लाख दर्शकों तक पहुंचने वाला यह उनका पहला गीत है। वही रोहित चौहान का कहना हैं कि उन्होंने इस गीत को हल्के फुल्के अंदाज में ही तैयार किया था, लेकिन यह गीत वास्तव में युवाओं की पीड़ा को छू गया है।
क्या है गीत में..
गीत में दो दोस्त अपनी प्रेमिका को इस वायदे के साथ शादी का इंतजार करने को कह रह हे हैं कि अब ‘समूह ग’ की भर्ती आ गई है, वो पटवारी बनने ही वाला है। इस बीच गीत आवेदन, तैयारी, फिजिकल की प्रक्रिया की बयां करता है, लेकिन अंत में एक खबर युवाओं का दिल तोड़ जाती है कि पटवारी भर्ती फिर अटक गई है। इस बीच उनकी प्रेमिका की शादी फौजी के साथ हो जाती है। गीत का अंत रोचक अंदाज में फिल्म ‘धड़कन’ में सुनील शेट्टी के चर्चित अंजलि, अंजलि…डायलॉग के साथ होता है।
वर्ष 2022 में होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में सत्ता बरकरार रखने के लिए प्रदेश भाजपा कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। विजय का रोड मैप तैयार करने के लिए पार्टी ने कार्बेट नेशनल पार्क के समीप ढिकुली (रामनगर) में तीन दिवसीय चिंतन शिविर आयोजित किया है। शिविर का औपचारिक उद्घाटन रविवार शाम उत्तराखंड भाजपा प्रभारी दुष्यंत गौतम, सह प्रभारी रेखा वर्मा, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक व प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार ने किया।
शिविर में प्रदेश भाजपा के कोर ग्रुप के सदस्यों के अलावा सरकार के सभी मंत्रियों की उपस्थिति बनी हुई है। चिंतन शिविर का सबसे महत्वपूर्ण पहलु यह है कि सोमवार को दूसरे दिन भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बी.एल.संतोष इसमें भाग लेने के लिए सुबह ढिकुली पहुंचे। संतोष दो दिन तक शिविर में भाग लेंगे और उत्तराखंड भाजपा के चिंतन को धार देंगे।
संतोष का एक माह के अंतराल में उत्तराखंड का यह दूसरा दौरा है। चिंतन शिविर में भाग लेने से पहले वे मई माह के अंत में राजधानी देहरादून पहुंचे थे। देहरादून के तीन दिनी दौरे में उन्होंने पार्टी संगठन और सरकार के विभिन्न स्तर के नेताओं के साथ ताबड़तोड़ बैठकें की थीं और सरकार व संगठन की थाह ली। इस दौरान उन्होंने विभिन्न स्तर के नेताओं से एक-एक कर भी मुलाकात की। जो भी उनसे मिला उसे पूरी तन्मयता के साथ और जम कर सुना। उनकी इस कार्यशैली के पार्टी कार्यकर्ता कायल भी हुए।
बोम्माराबेट्टु लक्ष्मीजनार्दन संतोष, जिन्हें बी.एल.संतोष के नाम से जाना जाता है, संगठनात्मक कौशल और रणनीतिक प्रबंधन के माहिर समझे जाते हैं। लो प्रोफाइल रहने के बावजूद संतोष को परदे के पीछे का कुशल रणनीतिकार माना जाता है। माना जा रहा है कि चिंतन शिविर में उनकी उपस्थिति से उत्तराखंड भाजपा के रोड मैप में विविध आयाम जुड़ेंगे।
यहां बता दें कि भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद सबसे प्रभावी भूमिका महामंत्री (संगठन) की होती है। महामंत्री (संगठन) के पद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक की नियुक्ति होती है। संतोष जुलाई, 2019 में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) नियुक्त हुए थे।
मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले संतोष ने कैमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने थोड़ा समय के लिए नौकरी की। मगर उनका मन नौकरी में नहीं रमा। अपना आकर्षक करियर छोड़ कर वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। उन्होंने कर्नाटक के विभिन्न क्षेत्रों में पूर्णकालिक कार्यकर्त्ता के रूप में संघ कार्य किया और अंततः संघ के प्रचारक बन कर अपना पूरा जीवन समाज कार्य के लिए समर्पित कर दिया।
अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़, तमिल अदि भाषाओं के जानकार संतोष वर्ष 2006 में कर्नाटक भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) नियुक्त हुए। वर्ष 2008 में पहले दक्षिणी राज्य कर्नाटक में भाजपा की सरकार के गठन में उनकी भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कर्नाटक में उन्होंने अपनी पहचान क्षमता वाले जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देने वाले के रूप में बनाई। संतोष का ध्यान पार्टी के कमजोर क्षेत्रों और पक्षों पर रहा है।
वर्ष 2014 में संतोष को भाजपा का राष्ट्रीय सह-महामंत्री (संगठन) नियुक्त किया गया और उनके जिम्मे दक्षिण के कई राज्य सौपें गए। उन्होंने केरल जैसे राज्य में पार्टी के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया।
आमतौर पर परम्परागत दक्षिण भारतीय धोती और आधे बांह का कुर्ता पहनने वाले संतोष अध्ययनशील प्रवृत्ति के हैं। कहा जाता है की उनकी स्मृति गजब की है। अपने सिद्धांतों के प्रति वे सख्त हैं। विभिन्न मुद्दों पर वे अपनी राय मुखरता के साथ रखते हैं। सोशल मीडिया पर भी वे विभिन्न मुद्दों पर मुखर रहते हैं। वे भाजपा में उस पीढ़ी के नेता हैं, जो तकनीकि प्रेमी हैं। तकनीकि का राजनीति में अधिकतम लाभ कैसे लिया जा सकता है, यह वे बखूबी जानते हैं।