उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में फिर से मौसम बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई गई है, जबकि मैदानी जिलों में चटक धूप खिलने से तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान
मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिले के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है। हालांकि, अन्य जिलों में मौसम शुष्क बना रहेगा। आगामी दिनों में, 13 से 15 मार्च के बीच 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी की संभावना है।
पश्चिमी विक्षोभ होगा सक्रिय
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ के फिर से सक्रिय होने की संभावना है। इसका प्रभाव मुख्य रूप से पर्वतीय इलाकों में दिखाई देगा, जहां बर्फबारी और बारिश के आसार हैं। हालांकि, मैदानी इलाकों में इस बदलाव का ज्यादा असर देखने को नहीं मिलेगा।
तापमान में बदलाव की उम्मीद
मैदानी इलाकों में दिनभर धूप खिलने से तापमान में 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी संभव है।
पर्वतीय क्षेत्रों में ठंड बरकरार रहने की संभावना है, खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में जहां बर्फबारी हो सकती है।
रात के तापमान में गिरावट से ठिठुरन बनी रह सकती है।
यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए अलर्ट
मौसम विभाग ने यात्रियों और स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। खासतौर पर चारधाम यात्रा मार्ग और ऊंचाई वाले पर्यटन स्थलों पर जाने वाले लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत होगी। उत्तराखंड में फिर से मौसम करवट बदल सकता है। जहां पर्वतीय इलाकों में बरसात और बर्फबारी की संभावना बनी हुई है, वहीं मैदानी इलाकों में गर्म मौसम का असर दिखाई देगा। इस दौरान, यात्रा करने वालों और स्थानीय निवासियों को मौसम के बदलाव को ध्यान में रखते हुए योजना बनानी चाहिए।
उत्तराखंड में विधायक निधि खर्च को लेकर आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार, 2022-23 से दिसंबर 2024 तक 70 विधायकों को 964 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें से 61% (589.21 करोड़ रुपये) खर्च हुए।
कैबिनेट मंत्रियों में कौन आगे, कौन पीछे?
कैबिनेट मंत्रियों में सौरभ बहुगुणा (सितारगंज) ने 85% निधि खर्च कर शीर्ष स्थान हासिल किया। उनके बाद गणेश जोशी (72%), रेखा आर्य (64%), सुबोध उनियाल (57%) और सतपाल महाराज (56%) का स्थान रहा। हालांकि, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (33%) और डॉ. धन सिंह रावत (29%) निधि खर्च में सबसे पीछे रहे, जिन्हें अधिक सक्रियता दिखाने की जरूरत है।
विधायकों में प्रदीप बत्रा सबसे आगे, किशोर उपाध्याय सबसे पीछे
विधायकों में प्रदीप बत्रा (रुड़की) ने 90% निधि खर्च कर पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि किशोर उपाध्याय (टिहरी) सिर्फ 15% निधि खर्च कर सबसे पीछे रहे।
61% से कम खर्च करने वाले प्रमुख विधायक
बंशीधर भगत (कालाढूंगी) – 43%
भरत सिंह चौधरी (रुद्रप्रयाग) – 43%
किशोर उपाध्याय (टिहरी) – 15%
सुमित ह्रदयेश (हल्द्वानी) – 46%
यशपाल आर्य (बाजपुर) – 45%
उत्तराखंड में विधायक निधि खर्च में बड़े अंतर देखने को मिले हैं। जहां कुछ मंत्री और विधायक 85-90% तक निधि खर्च कर चुके हैं, वहीं कई 50% से भी कम खर्च कर पाए हैं। यह आंकड़े जनप्रतिनिधियों की सक्रियता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
उत्तराखंड में पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को अब ऋषिकेश एम्स में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। यह सुविधा एक्स-सर्विसमैन कॉन्ट्रिब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ECHS) के तहत प्रदान की जाएगी।
एमओयू पर हुआ हस्ताक्षर
अब तक पूर्व सैनिकों को ऋषिकेश एम्स में कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं मिलती थी, जिससे उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। इस समस्या को हल करने के लिए ईसीएचएस देहरादून और ऋषिकेश एम्स के बीच एक समझौता (MoU) हुआ है। इस पर उत्तराखंड सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल प्रेम राज और एम्स ऋषिकेश के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ ने हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को भी लाभ मिलेगा। ईसीएचएस निदेशक ने इसे पूर्व सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल बताया है।
दून अस्पताल में एक क्लिक पर मिलेगा मरीजों का डिजिटल रिकॉर्ड
देहरादून मेडिकल कॉलेज में ‘ई-हॉस्पिटल’ सॉफ्टवेयर का नया वर्जन ‘नेक्स्ट जेन’ शुरू किया गया है, जिससे अस्पताल की व्यवस्थाएं पहले से अधिक सुचारु हो जाएंगी।
नई सुविधाएं
. मरीज के पर्चे पर डॉक्टर का नाम और ओपीडी-डे पहले से दर्ज होगा।
. डॉक्टर का लोकेशन भी दर्ज होगा, जिससे मरीजों को सही जानकारी मिलेगी।
. अब कोई डॉक्टर दूसरे डॉक्टर की आईडी से मरीज को भर्ती नहीं कर सकेगा।
. इससे यह भी पता चलेगा कि किस डॉक्टर ने कितने मरीज देखे और कितनों को भर्ती किया।
. ओटी मॉड्यूल शुरू हो गया है, जिससे ऑपरेशन से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा।
. जल्द ही फार्मेसी और भंडारण मॉड्यूल भी जोड़ा जाएगा, जिससे दवाओं का रिकॉर्ड ऑनलाइन रखा जा सकेगा।
हालांकि, शुक्रवार को सॉफ्टवेयर बार-बार हैंग होने के कारण ओपीडी, इमरजेंसी और भर्ती प्रक्रियाओं में परेशानी आई। अधिकारियों के मुताबिक, समस्या जल्द ही ठीक कर ली जाएगी।
उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद नए मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। दो बार छह-छह महीने का सेवा विस्तार मिलने के बाद अब उनके कार्यकाल के आगे बढ़ने की संभावना कम मानी जा रही है।
मुख्य सचिव पद की रेस में कौन-कौन?
मुख्य सचिव बनने के लिए 30 वर्ष की सेवा अवधि अनिवार्य होती है। इस मानदंड को पूरा करने वाले 1992 बैच के आईएएस अधिकारी आनंदबर्धन सबसे वरिष्ठ उम्मीदवार हैं। हाल ही में केंद्र में सचिव पद के लिए इम्पैनलमेंट होने के बावजूद उन्होंने राज्य में ही सेवाएं देने की इच्छा जताई है। अन्य संभावित नामों में 1997 बैच के प्रमुख सचिव एल. फैनई और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री आर.के. सुधांशु शामिल हैं। हालांकि, ये दोनों अधिकारी अभी अपर मुख्य सचिव पद के लिए पात्र हो रहे हैं, इसलिए सरकार के पास विकल्प सीमित हैं।
राधा रतूड़ी के भविष्य की योजना
मुख्य सचिव पद से हटने के बाद राधा रतूड़ी ने मुख्य सूचना आयुक्त के लिए आवेदन किया है, जिससे यह साफ है कि वह सेवा विस्तार की इच्छुक नहीं हैं।
जल्द होगा नाम का खुलासा
सरकार अगले कुछ दिनों में नए मुख्य सचिव के नाम की घोषणा कर सकती है। उत्तराखंड प्रशासन के इस महत्वपूर्ण पद पर कौन नियुक्त होगा, इसका फैसला मार्च के अंत तक हो सकता है।
धारचूला: तवाघाट-लिपुलेख मोटर मार्ग पर ग्लेशियर खिसकने से एक लोडर मशीन बर्फ में दब गई। गनीमत रही कि चालक ने समय रहते मशीन छोड़ दी, जिससे बड़ा हादसा टल गया। हालांकि, मार्ग अब भी कई जगह बाधित है और इसके खुलने में दो से तीन दिन का समय लग सकता है।
हिमपात के चलते बाधित हुआ मार्ग
हाल ही में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई, जिसके कारण तवाघाट-लिपुलेख मोटर मार्ग कई स्थानों पर अवरुद्ध हो गया। मंगलवार शाम नपल्च्यू के पास, जब एक लोडर मशीन ऑपरेटर सड़क से बर्फ हटाने में जुटा था, तभी खांगला ग्लेशियर का एक हिस्सा अचानक टूटकर मशीन पर गिर पड़ा। संयोगवश, चालक ने ग्लेशियर को खिसकते देख लिया और समय रहते मशीन छोड़ दी, जिससे वह सुरक्षित बच गया। मशीन को भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। बुधवार को मशीन को बर्फ से बाहर निकाल लिया गया।
सड़क पर अब भी जमा हैं हिमखंड
साक्ष्य प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इस समय नपल्च्यू से चाइना गेट तक सड़क के चौड़ीकरण और डामरीकरण का कार्य कर रही है, लेकिन भारी हिमपात के चलते यह कार्य प्रभावित हो रहा है। सीमा सड़क संगठन (BRO) के कर्मचारी चाइना गेट से आगे सीपी तक सड़क पर जमा हिमखंडों को हटाने में जुटे हैं। जल्द मार्ग खुलने की उम्मीद जताई गई है, लेकिन अगर फिर से हिमपात होता है, तो इसमें और देरी हो सकती है। गुरुवार को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम सामान्य बना रहा, जबकि निचले इलाकों में धूप खिली रही। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि मार्ग जल्द से जल्द सुचारू हो सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कार्यशैली और प्रदेश के विकास में उनकी भूमिका की सराहना की। हर्षिल में भाषण समाप्त होने के बाद, जैसे ही मुख्यमंत्री पीएम मोदी के पास पहुंचे, प्रधानमंत्री ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और उनकी पीठ थपथपाकर प्रशंसा की।
सीएम धामी को छोटे भाई और ऊर्जावान नेता बताया
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में सीएम धामी को “छोटे भाई” और “ऊर्जावान मुख्यमंत्री” कहकर संबोधित किया। उन्होंने उत्तराखंड सरकार की ओर से लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों—जैसे समान नागरिक संहिता (UCC) और राष्ट्रीय खेलों के आयोजन की सराहना की।
शीतकालीन यात्रा को बताया अभिनव पहल
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड सरकार द्वारा शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के प्रयासों की जमकर तारीफ की। उन्होंने इसे राज्य के आर्थिक विकास से जोड़ते हुए अभिनव पहल बताया और इसके लिए सीएम धामी और उनकी सरकार को धन्यवाद दिया।
उत्तराखंड के विकास की प्रशंसा
पीएम मोदी ने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का है, और राज्य सरकार बेहतरीन कार्य कर रही है। उन्होंने अपनी केदारनाथ यात्रा को याद करते हुए उत्तराखंड के तेजी से हो रहे विकास पर संतोष जताया।
जनसभा में दिखा जबरदस्त उत्साह
हर्षिल की जनसभा के दौरान “मोदी-मोदी” के नारों से माहौल गूंज उठा। प्रधानमंत्री ने कई बार मुस्कुराकर और हाथ जोड़कर जनता का अभिवादन किया। पारंपरिक परिधान और टोपी पहने पीएम मोदी ने अपने भाषण में स्थानीय आंचलिक शब्दों का भी उपयोग किया, जिससे जनता से उनका गहरा जुड़ाव झलका। प्रधानमंत्री की इस सराहना से साफ है कि मुख्यमंत्री धामी की नीतियों और उत्तराखंड सरकार की विकास योजनाओं को शीर्ष स्तर पर मजबूत समर्थन मिल रहा है।
उत्तराखंड का गोविंदघाट क्षेत्र आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील रहा है। पिछले 17 सालों में यह तीसरी बार हुआ है कि अलकनंदा नदी पर बना पुल टूट गया। इससे हेमकुंड साहिब जाने वाले श्रद्धालु, फूलों की घाटी के पर्यटक और पुलना गांव के ग्रामीण गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं। बुधवार को भूस्खलन की वजह से पुल धराशायी हो गया, जिससे एक बार फिर लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बीते वर्षों में आई आपदाओं का दर्द फिर उभरा
गोविंदघाट का इतिहास बार-बार आई प्राकृतिक आपदाओं और पुल टूटने की घटनाओं से भरा रहा है।
. 2007 में हेमकुंड साहिब जाने वाला झूला पुल क्षतिग्रस्त हो गया था।
. 2008 में बना वाहन पुल 2013 की आपदा में बह गया।
. 2013 के बाद घोड़ा पड़ाव और गुरुद्वारा के पास अस्थायी झूला पुल बनाए गए।
. 2015 में 105 मीटर लंबा सस्पेंशन ब्रिज तैयार किया गया, लेकिन यह अब ध्वस्त हो गया।
गांव के लोग संकट में, अप्रैल में शादियों और डिलीवरी की चिंता
पुलना गांव के 101 परिवारों की रोजमर्रा की जिंदगी इस पुल पर निर्भर थी। पुल टूटने से न सिर्फ उनकी आवाजाही बाधित हो गई, बल्कि गांव में होने वाले जरूरी कार्यक्रमों पर भी असर पड़ा है।
. अप्रैल में गांव में दो शादियां हैं – एक युवक की बारात बाहर जाएगी और एक युवती की शादी में बारात गांव आएगी। अब परिवारों को चिंता है कि अगर जल्द समाधान न हुआ तो विवाह समारोह प्रभावित होंगे।
. एक गर्भवती महिला की डिलीवरी भी अप्रैल में होनी है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो सकती हैं।
वाहनों और रोजमर्रा की जरूरतों पर असर
. पुल टूटने से गांव के कई वाहन फंसे हुए हैं। कुछ गोविंदघाट में रह गए हैं तो कुछ पुलना की तरफ अटके हैं।
. आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो गई है, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी हो रही है।
अस्थायी पुलिया बनी सहारा
ग्रामीणों ने मवेशियों के लिए एक कच्ची पुलिया बनाई थी, जो अब मुख्य रास्ता बन गई है। लोग इसी से किसी तरह नदी पार कर रहे हैं, लेकिन यह भी सुरक्षित नहीं है।
समाधान की जरूरत
बार-बार पुल टूटने की घटनाएं दर्शाती हैं कि इस क्षेत्र में मजबूत और आपदा-रोधी आधारभूत संरचना विकसित करने की सख्त जरूरत है। यदि जल्द कोई स्थायी समाधान नहीं निकला, तो यहां के लोगों और श्रद्धालुओं की परेशानी लगातार बनी रहेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चारधाम शीतकालीन यात्रा के संदेश के साथ उत्तराखंड का दौरा किया। अपने प्रवास के दौरान वह मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा पहुंचे और करीब 20 मिनट तक गर्भगृह में पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही, वह देश के पहले प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने मां गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पर दर्शन किए।
पीएम मोदी का उत्तराखंड से गहरा जुड़ाव है, और उन्होंने पहले भी कई ऐतिहासिक स्थलों का दौरा किया है। वह पहले प्रधानमंत्री हैं, जो भारत-तिब्बत (चीन) सीमा से सटे उत्तराखंड के माणा (चमोली) और गुंजी (पिथौरागढ़) जैसे सीमावर्ती गांवों में पहुंचे थे।
उत्तरकाशी का यह दौरा सीमावर्ती गांवों के विकास और स्थानीय निवासियों की वर्षों पुरानी मांगों के समाधान की उम्मीद जगा रहा है। पीएम मोदी ने जादूंग घाटी में विश्व के दूसरे सबसे ऊंचे ट्रेक जनकताल और नीलापानी घाटी में मुलिंगना पास का शिलान्यास किया। ये नए ट्रेक 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद वीरान पड़ी इस घाटी को पर्यटन के नए केंद्र के रूप में विकसित करेंगे।
इसके अलावा, सीमावर्ती गांव जादूंग को फिर से आबाद करने की योजना भी बनाई जा रही है। यहां पुराने घरों को होमस्टे में तब्दील किया जाएगा, जिसके लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) को जिम्मेदारी सौंपी गई है। पीएम मोदी के इस ऐतिहासिक दौरे से जादूंग गांव को पर्यटन स्थल के रूप में एक नई पहचान मिलने की उम्मीद है।
उत्तराखंड शासन ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के पांच वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला कर दिया है। गृह विभाग के सचिव शैलेश बगौली द्वारा इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी किए गए हैं। इस फेरबदल में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती में बदलाव किया गया है, जिससे पुलिस प्रशासन में नए सिरे से कार्यक्षमता बढ़ाने की कोशिश की गई है।
किन अधिकारियों को कहां मिली नई जिम्मेदारी?
1. मुकेश कुमार – पुलिस महानिरीक्षक (IG) PAC
आईपीएस मुकेश कुमार को उनके वर्तमान पद से मुक्त करते हुए पुलिस महानिरीक्षक, प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (PAC) के रूप में तैनात किया गया है। पीएसी उत्तराखंड पुलिस का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो विशेष सुरक्षा अभियानों और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
2. धीरेन्द्र सिंह गुंज्याल – पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG), अपराध एवं कानून व्यवस्था
आईपीएस धीरेन्द्र सिंह गुंज्याल, जो अभी तक सहायक पुलिस महानिरीक्षक (AIG) कारागार के पद पर कार्यरत थे, उन्हें पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG), अपराध एवं कानून व्यवस्था का पदभार सौंपा गया है। अपराध और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण होती है, और उनके अनुभव को देखते हुए यह नियुक्ति की गई है।
3. रचिता जुयाल – पुलिस अधीक्षक (SP), सतर्कता अधिष्ठान
आईपीएस रचिता जुयाल, जो अब तक पुलिस मुख्यालय में सेवाएं दे रही थीं, को पुलिस अधीक्षक (SP), सतर्कता अधिष्ठान के पद पर नियुक्त किया गया है। यह विभाग सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार, कदाचार और अनुशासनहीनता की निगरानी रखने का काम करता है।
4. जितेंद्र मेहरा – पुलिस अधीक्षक (SP), अपराध एवं यातायात, हरिद्वार
आईपीएस जितेंद्र मेहरा को हरिद्वार जिले के पुलिस अधीक्षक (SP), अपराध एवं यातायात का पद सौंपा गया है। वह पहले से हरिद्वार में अपर पुलिस अधीक्षक (Addl. SP) के रूप में कार्यरत थे। उनकी नई भूमिका में अपराध नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी शामिल होगी।
5. निहारिका तोमर – पुलिस अधीक्षक (SP), अपराध एवं यातायात, ऊधम सिंह नगर
आईपीएस निहारिका तोमर, जो पहले ऊधम सिंह नगर जिले में अपर पुलिस अधीक्षक (Addl. SP) के रूप में कार्यरत थीं, उन्हें अब पुलिस अधीक्षक (SP), अपराध एवं यातायात, ऊधम सिंह नगर बनाया गया है। यह क्षेत्र राज्य के सबसे संवेदनशील जिलों में से एक है, जहां अपराध नियंत्रण और यातायात प्रबंधन की अहम भूमिका होगी।
तबादले का उद्देश्य: पुलिस व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाना
उत्तराखंड सरकार द्वारा किए गए इन तबादलों का उद्देश्य राज्य में अपराध पर नियंत्रण, कानून-व्यवस्था बनाए रखना, सतर्कता विभाग को सशक्त बनाना और पुलिस प्रशासन की दक्षता को बढ़ाना है।
. मुकेश कुमार को IG PAC बनाकर कानून-व्यवस्था को और मजबूत करने का प्रयास किया गया है।
. धीरेन्द्र सिंह गुंज्याल को अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी देकर राज्य में अपराध दर को कम करने की दिशा में कदम उठाया गया है।
. रचिता जुयाल को सतर्कता अधिष्ठान में तैनात कर भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों को तेज करने का निर्णय लिया गया है।
. जितेंद्र मेहरा और निहारिका तोमर को हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में अपराध नियंत्रण और यातायात प्रबंधन का जिम्मा सौंपकर राज्य के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा को मजबूत किया गया है।
इस फेरबदल के बाद उत्तराखंड पुलिस प्रशासन में एक नई ऊर्जा का संचार होगा। इन अधिकारियों के पास अपने-अपने क्षेत्रों में व्यापक अनुभव है, जो राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सहायक साबित होगा। उत्तराखंड सरकार ने सही अधिकारियों को सही पदों पर तैनात करके पुलिस तंत्र को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
प्रदेश में विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समूह-क और समूह-ख अधिकारियों को अब हवाई यात्रा की अनुमति मिल गई है। सरकार के इस फैसले से निर्माण, निरीक्षण और अनुश्रवण कार्यों में तेजी आएगी।
हवाई यात्रा को लेकर नए दिशा-निर्देश
. वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किए।
. यह अनुमति 1 मार्च 2025 से 28 फरवरी 2026 तक के लिए दी गई है।
. इस अवधि के बाद योजना की समीक्षा होगी, और समूह-ग के कर्मचारियों को भी हवाई यात्रा की अनुमति देने पर विचार किया जाएगा।
. योजना से संबंधित सभी जानकारियां नागरिक उड्डयन विकास विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेंगी।
. राज्य से बाहर की सरकारी यात्राओं के लिए 23 जनवरी 2019 के शासनादेश का पालन करना होगा, यानी सरकार की अनुमति लेनी होगी।
तहसील दिवस में घटती रुचि, अधिकारियों को करना पड़ा इंतजार
जहां एक ओर सरकारी अधिकारी विकास योजनाओं में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं तहसील दिवस में आमजन की भागीदारी लगातार घट रही है।
. 31 विभागों के अधिकारी सुबह 11 बजे निर्धारित समय पर तहसील दिवस के लिए पहुंचे।
. पहले दो घंटे तक कोई फरियादी नहीं आया, अधिकारियों को इंतजार करना पड़ा।
. आखिरी घंटे में सिर्फ 9 फरियादी पहुंचे, जिनकी समस्याओं का मौके पर निस्तारण किया गया।
तहसील दिवस में घटती शिकायतों का कारण
. तहसील दिवस से पहले हर सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय में जनता दरबार लगता है, जहां अधिकतर शिकायतों का समाधान हो जाता है।
. पिछले 7 महीनों में 189 अधिकारियों की उपस्थिति रही, जबकि शिकायतें मात्र 77 दर्ज हुईं।
. सबसे ज्यादा अक्टूबर में 25 शिकायतें दर्ज हुईं, जबकि अन्य महीनों में यह संख्या कम रही।
अधिकारियों की उपस्थिति बनाम शिकायतों की संख्या (पिछले 7 महीने)
. सितंबर: 28 अधिकारी, 5 शिकायतें
. अक्टूबर: 31 अधिकारी, 25 शिकायतें
. नवंबर: 25 अधिकारी, 6 शिकायतें
. दिसंबर: 13 अधिकारी, 11 शिकायतें
. जनवरी: 33 अधिकारी, 6 शिकायतें
. फरवरी: 28 अधिकारी, 11 शिकायतें
. मार्च: 31 अधिकारी, 9 शिकायतें
सरकारी अधिकारियों के लिए हवाई यात्रा की अनुमति प्रशासनिक कामों में गति लाएगी, जबकि तहसील दिवस में शिकायतों की संख्या में गिरावट यह दर्शाती है कि जनता अन्य माध्यमों से अपनी समस्याएं सुलझा रही है।