राज्य स्तरीय समिति ने कक्षा 3 से 12वीं तक के पाठ्यक्रम का खाका किया तैयार..
उत्तराखंड: प्रदेश में कक्षा 3 से 12वीं तक के पाठ्यक्रम को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है। फिलहाल इस पर लंबा होमवर्क करने के बाद राज्य स्तरीय समिति ने पाठ्यक्रम की रूपरेखा तय कर ली है। इसे हरी झंडी भी दे दी गई है। हालांकि तय प्रक्रिया के अनुसार विभिन्न कक्षाओं के लिए तैयार पाठ्यक्रम को राज्य सरकार से अंतिम मंजूरी मिलनी बाकी है, इसके लिए पाठ्यक्रम के लिए तय रूपरेखा को जल्द ही सरकार के समक्ष रखा जाएगा। इसके बाद सरकार को इस पर फैसला लेना है।
राज्य स्तरीय समिति ने कक्षा 3 से पाठ्यक्रम के रूप में संस्कृत की पढ़ाई जारी रखने की सिफारिश की है। इसके साथ अलग-अलग कक्षाओं के लिए विषयों की संख्या पर भी विचार किया गया है। सभी बिंदुओं पर विचार करने के बाद समिति ने फैसला लिया है कि कक्षा 3 से कक्षा 5 तक सात विषय अनिवार्य होंगे। इसके अलावा छात्रों को कक्षा 6 से कक्षा 8 तक 9 विषय पढ़ने होंगे, जबकि कक्षा 9 और 10 में 10 विषय अनिवार्य किए गए हैं। इस दौरान छात्रों को गणित को अनिवार्य विषय के रूप में लेना होगा।
नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए जा रहे हैं। इसके तहत स्कूली शिक्षा में छात्रों के बेहतर शैक्षणिक कार्य के लिए भी काम किया जा रहा है। स्कूलों में अलग-अलग कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम का चयन भी छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। समिति द्वारा लिए गए निर्णय पर अब राज्य सरकार अंतिम मुहर लगाएगी। इसके बाद राज्य में स्कूलों के लिए तय पाठ्यक्रम के साथ ही छात्रों का शैक्षणिक कार्य करवाना अनिवार्य हो जाएगा।
इसमें 9वीं और 10वीं कक्षा के लिए गणित को अनिवार्य कर दिया गया है। यानी सभी छात्रों को जिलेवार गणित पढ़ना होगा। इसी तरह निचली कक्षाओं में संस्कृत को भी महत्व दिया गया है। शिक्षा महानिदेशक झरना कामठान की मौजूदगी में समिति ने इस पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दे दिया है। वैसे इसके लिए काफी समय से होमवर्क किया जा रहा था और सभी बातों पर विचार करने के बाद छात्रों के लिए विषय तय किए गए हैं।
डीएम मेहरबान सिंह बिष्ट ने किया पीएम मोदी के मुखबा दौरे को लेकर की जा रही तैयारियों का निरीक्षण..
उत्तराखंड: डीएम मेहरबान सिंह बिष्ट ने रविवार को हर्षिल क्षेत्र का दौरा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित दौरे को लेकर की जा रही तैयारियों का निरीक्षण किया। डीएम ने अधिकारियों को प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर की जा रही तैयारियों को समय से पूरा करने तथा गुणवत्ता और सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। इस दौरान डीएम ने पुलिस अधीक्षक सरिता डोबाल के साथ प्रस्तावित कार्यक्रम से जुड़ी सुरक्षा व्यवस्थाओं पर भी चर्चा की और सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े विभिन्न पहलुओं का जायजा लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इसी माह गंगा जी के शीतकालीन प्रवास मुखवा और सीमांत क्षेत्र हर्षिल के जीवंत गांव में आने की संभावना है। प्रधानमंत्री के संभावित दौरे से जुड़ी व्यवस्थाओं को लेकर जिला प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं। मुखवा-हर्षिल क्षेत्र में कई कार्य किए जा रहे हैं। बगोरी हेलीपैड तक सड़क बनाने के साथ ही गंगोत्री मार्ग से लगे युकाडा हेलीपैड तक सड़क की रंगाई-पुताई और रखरखाव के कई कार्य पूरे किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए हर्षिल में प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर उद्यान विभाग परिसर में समतलीकरण व सौंदर्यीकरण के साथ ही कई स्थानों पर पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है। मुखबा में गंगा मंदिर व आसपास के घरों को प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए सजाया जा रहा है। मुखबा में मंदिर के लिए पैदल मार्ग के सुधारीकरण व सीढ़ियां बनाने के साथ ही पार्किंग का निर्माण भी प्रगति पर है। इस क्षेत्र में बिजली व पानी की आपूर्ति सुचारू रखने के लिए भी कार्य किया जा रहा है। सोलर हाईमास्ट लाइट व स्ट्रीट लाइट लगाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री के दौरे की तैयारियों की कमान डीएम ने खुद संभाल ली है। डीएम ने पुलिस अधीक्षक सरिता डोबाल व मुख्य विकास अधिकारी एसएल सेमवाल व अन्य अधिकारियों की टीम के साथ रविवार को फिर हर्षिल क्षेत्र का दौरा कर प्रधानमंत्री के प्रस्तावित दौरे को लेकर चल रही तैयारियों का स्थलीय निरीक्षण किया।
गणतंत्र दिवस झांकी के कलाकारों को मिलेगा 50-50 हजार रुपये का इनाम..
उत्तराखंड: गणतंत्र दिवस पर विभिन्न राज्यों की झांकियों में उत्तराखंड की ‘‘सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेल’’ झांकी को तीसरा स्थान मिला था। शुक्रवार को महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी और टीम लीडर संयुक्त निदेशक सूचना के.एस.चौहान सहित झांकी के कलाकारों ने नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड निवास स्थित मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की।
सीएम धामी का कहना हैं कि उत्तराखंड को “सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेल” झांकी को तीसरा पुरस्कार मिलना प्रदेश के लिए सम्मान की बात है। उन्होंने झांकी में शामिल सभी 16 कलाकारों को 50-50 हजार मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष के अंतर्गत प्रदान करने की घोषणा की। सीएम ने कहा कि लोगों की पसंद पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखंड की झांकी को तीसरा स्थान प्राप्त होने से राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति एवं धार्मिक विरासत को देश-विदेश में विशिष्ट पहचान मिल रही है।
साहसिक खेलों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का था प्रयास..
सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार राज्य की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और साहसिक खेलों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए गणतंत्र दिवस की परेड में झांकी के रूप में प्रदर्शित करने का निर्णय लिया गया था। मुख्यमंत्री धामी के निर्णयों से साहसिक खेलों के लिए अवस्थापना सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। आपको बता दे कि नई दिल्ली स्थित नेशनल स्टेडियम कैम्प में सांस्कृतिक कार्यक्रम में उत्तराखण्ड की झांकी के कलाकारों को द्वितीय पुरस्कार मिला था। वहीं गणतंत्र दिवस परेड में कर्तव्य पथ पर ‘‘सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेलों’’ पर आधारित उत्तराखंड की झांकी को भी लोगों की पसंद के आधार पर देश भर में तीसरा स्थान मिला था।
24 व 25 फरवरी को होगा सहकारी समितियों में प्रबंध सदस्यों का चुनाव..
उत्तराखंड: प्रदेश में 24 और 25 फरवरी को सहकारी समिति के चुनाव होंगे। 670 से अधिक समितियों में चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। राज्य सहकारी चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष हंसा दत्त पांडे के अनुसार प्रबंध समिति के सदस्यों के लिए 24 फरवरी और प्रतिनिधियों के लिए 25 फरवरी को चुनाव होंगे।
सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष के अनुसार चुनाव में पहली बार महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। प्रबंध कमेटी के सदस्यों के चुनाव के लिए 11 फरवरी को अनंतिम मतदाता सूची जारी की जाएगी। 14 फरवरी को नामांकन पत्रों की बिक्री होगी। 24 फरवरी को मतगणना एवं निर्वाचन परिणाम की घोषणा की जाएगी। सभापति, उपसभापति एवं अन्य संस्थाओं को भेजे जाने वाले प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए 25 फरवरी को नामांकन पत्रों की बिक्री होगी। वहीं 25 फरवरी को मतदान के बाद उसी दिन चुनाव परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।
बद्रीनाथ-केदारनाथ रेल नेटवर्क में कनेक्टिविटी के विस्तार के लिए विशेष सहायता की दरकार..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम को रेल नेटवर्क से जोड़ने के प्रयासों के गति पकड़ने के बाद अब उत्तराखंड को उत्तरकाशी और बागेश्वर रेल परियोजनाओं में तेजी लाने की दरकार है। राज्य सरकार इस बार इन दोनों परियोजनाओं के लिए केंद्रीय बजट में विशेष सहायता मिलने की उम्मीद कर रही है।राज्य इन दोनों परियोजनाओं के निर्माण में विशेष सहायता के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अनुरोध कर चुका है। उत्तराखंड सरीखे पर्वतीय राज्य के लिए रेल परियोजनाएं ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी एक बेहतर और श्रेष्ठ विकल्प माना जा रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन बनाने का काम जिस तेजी से चल रहा है, उससे राज्य की अपेक्षाएं और ज्यादा बढ़ गई हैं।
सरकार चाहती है कि चारधाम रेल परियोजना के तहत बद्रीनाथ-केदारनाथ के साथ गंगोत्री और यमुनोत्री धाम भी रेल लाइन से जुड़ें। इसलिए डोईवाला से उत्तरकाशी तक प्रस्तावित रेल परियोजना पर ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की तरह वित्तीय मंजूरी और तेज गति से इस पर काम शुरू होने की आवश्यकता महसूस जा रही है। इसी तरह बागेश्वर-टनकपुर ब्राड गेज रेल परियोजना के निर्माण में भी केंद्र से तेजी दिखाने की अपेक्षा की जा रही है।
सामरिक महत्व इन परियोजनाओं के पक्ष में एक महत्वपूर्ण तर्क है। सरकार चाहती है कि दोनों परियोजनाओं के लिए केंद्रीय बजट में प्रावधान हो, ताकि स्थानीय लोगों को परिवहन के सुगम साधन मिल सके। सचिव वित्त दिलीप जावलकर कहते हैं, हमने रेल कनेक्टिविटी की प्रस्तावित परियोजनाओं के संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री के समक्ष अपने अपेक्षा रख दी है। हम इसके लिए केंद्रीय बजट से उम्मीद कर रहे हैं।
बजट सत्र को लेकर विधानसभा अध्यक्ष की प्रेसवार्ता, नौ फरवरी तक मांगे गए लोगों से सुझाव..
उत्तराखंड: देहरादून में बजट सत्र को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण ने प्रेसवार्ता की। प्रदेश सरकार ने एक बार फिर जनभावनाओं के अनुरूप बजट बनाने की पहल की है। आगामी बजट पर सुझाव के लिए प्रदेश सरकार हितधारकों के साथ संवाद कार्यक्रम करेगी। महत्वपूर्ण सुझावों को सरकार बजट में भी शामिल करेगी। प्रदेश सरकार ने एक बार फिर जनभावनाओं के अनुरूप बजट बनाने की पहल की है। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने ‘जनता का बजट, जनता के द्वारा, जनभावनाओं के अनुरूप बनेगा बजट हमारा’ स्लोगन के तहत देवभूमि की जनता से सुझाव मांगे हैं। वित्त मंत्री अग्रवाल ने कहा कि उनकी सरकार ने बजट से पूर्व जनता के सुझाव लेने की परंपरा शुरू की है। इसी परंपरा के तहत देवभूमि की जनता से वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट निर्माण को लेकर सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। बजट निर्माण प्रक्रिया में जन भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 9 फरवरी 2025 तक बजट सुझाव मांगे गए हैं।
दून विश्वविद्यालय में शुरू होगा हिंदू अध्ययन का एमए कोर्स..
उत्तराखंड: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय के बाद अब जल्द ही उत्तराखंड के दून विश्वविद्यालय में हिंदू स्टडीज का कोर्स संचालित किया जाएगा। जिस दिशा में दून विश्वविद्यालय ने तैयारियां तेज कर दी है। संभावना जताई जा रही है कि इसी साल 2025 में शुरू होने वाले नए शैक्षिक सत्र से ही हिंदू स्टडीज का मास्टर कोर्स संचालित कर दिया जाएगा। इसके लिए बाकायदा एक अलग से हिंदू स्टडीज विभाग भी बनाया जा रहा है। इसके साथ ही दून विश्वविद्यालय, बीएचयू और डीयू में संचालित कर रहे हिंदू स्टडीज प्रोग्राम के फैकल्टी से सिलेबस तैयार कराएगा।
दून विश्वविद्यालय में हिंदू स्टडीज कोर्स शुरू किए जाने की तैयारियां जोरों शोरों पर चल रही है। हिंदू स्टडीज कोर्स की खास बात ये है कि छात्रों को हिंदू धर्म के साथ पुरातन विद्या-विज्ञान, धर्म-विज्ञान, हिंदू धर्म शास्त्र, प्राचीन परंपरा की जानकारी दी जाएगी। बता दे कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने सबसे पहले हिंदू अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के लिए एक सिलेबस जारी किया था। इसके बाद बीएचयू और डीयू ने हिंदू स्टडीज की ओर अपने कदम बढ़ाए। साथ ही कोर्स का संचालन भी शुरू किया। वहीं अब दून विश्वविद्यालय ने भी हिंदू स्टडीज कोर्स संचालित करने की तैयारियों में जुटा हुआ है।
हिंदू स्टडीज कोर्स में छात्र छात्राओं को क्या पढ़ाया जाएगा, इसको लेकर लोगों में तमाम की जिज्ञासाएं हैं। लेकिन दून विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार हिंदू स्टडीज कोर्स में बच्चों को रामायण, महाभारत, वेद, वेदांत, वेदांग, ज्ञान मीमांसा, भाषा विज्ञान, कालिदास, तुलसीदास, आर्य समाज, बुद्ध, जैन, स्वामी विवेकानंद के जीवन से परिचय कराया जाएगा। साथ ही इनके सिद्धांतों के बारे में भी बच्चों को शिक्षा दी जाएगी। इसके साथ ही हिंदू साहित्य, भूगोल, प्राचीन सैन्य विज्ञान, हिंदू केमिस्ट्री, स्थापत्य कला, पुरातत्व, कला, शास्त्रीय संगीत और नाटक की विधाएं भी बताई जाएगी।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल का कहना हैं कि उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने ये तय किया था कि दून यूनिवर्सिटी में हिंदू स्टडीज का एक डिपार्टमेंट खोला जाएगा। ऐसे में जुलाई महीने से शुरू हो रहे आगामी शैक्षिक सत्र 2025-26 से मास्टर्स इन हिंदू स्टडीज का कोर्स शुरू किया जाएगा। हालांकि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में साल 2021 में सबसे पहले एमए हिंदू स्टडीज का कोर्स शुरू किया गया था। इसके बाद साल 2023 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिंदू स्टडीज के लिए पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी का प्रोग्राम शुरू किया गया था। ऐसे में बीएचयू और डीयू में हिंदू स्टडीज का कोर्स चला रहे लोगों से बातचीत चल रही है।
डंगवाल का कहना कि दून यूनिवर्सिटी में हिंदू स्टडी के लिए सिलेबस तैयार किया जाना है, जिसके लिए जल्द ही सिलेबस फाइनल कमेटी गठित कर ली जाएगी। जिसमें बीएचयू और डीयू के लोगों को भी बुलाया जाएगा, जो हिंदू स्टडीज का सिलेबस तैयार करेंगे। साथ ही कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत हिंदू स्टडीज विभाग इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि एनईपी में भाषा और भारतीय ज्ञान परंपरा पर जोर दिया गया है। लेकिन अभी तक भारतीय ज्ञान परंपरा को कोई भी विश्वविद्यालय बेहतर ढंग और विस्तृत रूप से पढ़ा नहीं पा रहा है। जबकि यूजीसी ने नेट एग्जाम में भी हिंदू स्टडीज विषय को शुरू किया है।
ऐसे में अब हिंदू स्टडीज के लिए जो टीचर मिलेंगे वो भी काफी क्वालीफाइड होंगे। साथ ही दून के पूरे कैंपस में जो भारतीय ज्ञान परंपरा का कंपोनेंट (भौतिक और रसायन विज्ञान) है, उसको एक करके इसकी जानकारी हिंदू स्टडीज विभाग को दी जा सकती है। साथ ही कहा कि जल्द भी हिंदू स्टडीज का सिलेबस भी फाइनल कर लिया जाएगा। हाल ही में राज्य सरकार ने हिंदू स्टडीज विभाग में पोस्ट के लिए पत्र भी भेजा था, जिसके तहत विभाग में पोस्ट का खाका तैयार कर लिया गया है। ऐसे में अगले सत्र के बाद हिंदू स्टडीज विभाग में परमानेंट टीचिंग फैकल्टी पढ़ाएगी। फिलहाल 20 सीटों के साथ एमए इन हिंदू स्टडीज को शुरू किया जा रहा है। जिसको जरूरत के अनुसार बढ़ाया जा सकता है।
मेडिकल कॉलेजों में पर्चे की नई दरें लागू, ओपीडी और वार्ड चार्ज भी बदले..
उत्तराखंड: प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में जांच-पर्चे, इलाज की नई दरें लागू हो गई हैं। सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार ने नई दरों का शासनादेश जारी किया। अब ओपीडी का पर्चा 20 और आईपीडी का 50 रुपये में बनेगा। आगामी तीन साल तक इन दरों में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।देहरादून, श्रीनगर, हल्द्वानी, अल्मोड़ा व हरिद्वार में राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल संचालित हैं। निर्माणाधीन राजकीय मेडिकल कॉलेज रुद्रपुर व पिथौरागढ़ के संबद्ध चिकित्सालय भी संचालित हैं। सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में जांच, पर्चे आदि की एकसमान दरें निर्धारित कर दी गई हैं। अभी तक सभी मेडिकल कॉलेजों में यूजर चार्ज की दरें अलग-अलग थीं।
सचिव स्वास्थ्य का कहना हैं कि नई दरें तीन साल तक लागू रहेगी। उसके बाद दरों की समीक्षा कर नई दरों का निर्धारण किया जाएगा। जांच, पर्चे आदि के शुल्क से प्राप्त धनराशि मेडिकल कॉलेजों की जन सुविधाओं पर खर्च किया जाएगा।
रेडियोलॉजिस्ट व पैथोलॉजी जांच सीजीएचएस दरों पर..
राजकीय मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई, डायलिसिस की दरें केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) दरों के समान होंगी।
UCC में सैनिकों की वसीयत के लिए किया गया विशेष प्रावधान..
उत्तराखंड: धामी सरकार ने सोमवार को प्रदेश में UCC (UNIFORM CIVIL CODE) लागू कर दिया हैं। जिसके बाद उत्तराखंड UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। राज्य सरकार के अबुसार UCC व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। साथ ही शादी, तलाक, उत्तराधिकार (वसीयत) और लिव-इन रिलेशनशिप से संबंधित कानूनों को नियंत्रित करता है।
सेना में राज्य के युवाओं के बलिदान और उनके योगदान के मद्देनजर UCC के तहत अधिनियम “विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत” को विशेष महत्व दिया गया है।जिसके अनुसार सक्रिय सेवा (एक्टिव सर्विस) या तैनाती (Deployment) पर सैनिक, वायु सेना के कर्मी या मरीन (Marines) सरल और लचीले नियमों के तहत वसीयत तैयार कर सकते हैं।
वसीयत- हस्तलिखित हो सकती है
मौखिक रूप से लिखवाई गई हो सकती है
गवाहों के सामने शब्दशः प्रस्तुत की गई हो सकती है
इस सुव्यवस्थित प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कठिन और उच्च जोखिम वाली स्थितियों में तैनात लोग भी अधिनियम के अनुसार अपनी संपत्ति की इच्छाओं को प्रभावी ढंग से रजिस्टर्ड करा सकें। अगर कोई सैनिक अपने हाथ से वसीयत लिखता है, तो हस्ताक्षर या सत्यापन की औपचारिकताओं की जरूरत नहीं होती है। बशर्ते यह स्पष्ट हो कि दस्तावेज़ उसके अपने शब्दों में तैयार किया गया था।
वसीयत लिखने के लिए लिखित निर्देश..
अगर सैनिक ने वसीयत लिखने के लिए लिखित निर्देश दिए थे, लेकिन इसे अंतिम रूप दिए जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई, तो उन निर्देशों को अभी भी वसीयत माना जाएगा, बशर्ते यह साबित हो जाए कि वे उसकी इच्छाएं थी। जरूरी बात ये है कि एक विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत (Privileged will) को सैनिक भविष्य में रद्द या संशोधित भी कर सकते हैं। इसे रद्द कर वो एक नई विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत या साधारण वसीयत बना सकते हैं।
राष्ट्रीय खेल- लम्बे इंतजार के बाद खिलाड़ी चमकने को तैयार, हर किसी की निगाहें टिकीं..
उत्तराखंड: छह साल के इंतजार के बाद 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड के खिलाड़ी जलवा बिखेरने को तैयार हैं। खेलों के उद्घाटन पर दूसरे राज्यों से आने वाले खिलाड़ियों का भव्य स्वागत किया जाएगा। उत्तराखंड की नजर खास तौर पर अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर रहेगी, जिसमें विश्व चैंपियनशिप में कांस्य और यूथ ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले ओलंपियन लक्ष्य सेन, अंकिता ध्यानी, सूरज पंवार, परमजीत सिंह शामिल हैं।
बता दे कि उत्तराखंड को 2018 में 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेज़बानी करनी थी। राज्य को 2014 में ही आयोजन स्थल आवंटित कर दिया गया था, लेकिन विभिन्न कारणों से खेल स्थगित होते रहे। उस दौरान भारतीय ओलंपिक संघ ने 34 खेल विधाओं का प्रस्ताव रखा था। खेलों के आयोजन के लिए दो मुख्य और छह सैटेलाइट स्थलों का चयन किया गया था। इसमें देहरादून और हल्द्वानी को मुख्य स्थल के रूप में चुना गया था और हरिद्वार, ऋषिकेश, गूलरभोज, रुद्रपुर, नैनीताल और पिथौरागढ़ को सैटेलाइट स्थल के रूप में चुना गया था।
तब खेल अवस्थापना सुविधाओं का नहीं हुआ विकास..
उत्तराखंड को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने के बावजूद खेलों का आयोजन न होने की एक वजह तब खेल अवस्थापना सुविधाओं का विकास न हो पाना भी रहा है। वहीं, खेल संघों के बीच समन्वय की कमी के चलते भी इसमें देरी हुई है। राष्ट्रीय खेलों में राज्य के खिलाड़ी छा जाने को तैयार हैं। बॉक्सिंग, बैडमिंटन, कैनोइंग एवं कयाकिंग, वुशु सहित कई प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग के लिए राज्य के खिलाड़ी पिछले काफी समय से अभ्यास कर रहे हैं। राष्ट्रीय खेलों में टेबल टेनिस में 136, फेंसिंग में 264, रेसलिंग में 288, मलखंब में 192, हैंडबॉल में 416, कबड्डी में 288, वॉलीबाल में 256, बास्केटबॉल में 256 सहित विभिन्न प्रतियोगिताओं में कई खिलाड़ी प्रतिभाग करेंगे।