उत्तराखंड के इस जिले में जल्द स्थापित होगी एयरोस्पेस लैब, पीएमओ से मिली मदद..
उत्तराखंड: सीमांत जिले चमोली में अंतरिक्ष शिक्षा विकास के लिए जल्द ही एयरोस्पेस लैब की स्थापना होने जा रही है। जिलाधिकारी संदीप तिवारी की पहल पर एयरोस्पेस लैब की स्थापना के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। अंतरिक्ष प्रयोगशाला की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत उप सचिव मंगेश घिल्डियाल ने जिलाधिकारी चमोली को बोइंग एयरोस्पेस से समन्वय स्थापित किया है। यह प्रयोगशाला युवाओं को अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने में मदद करेगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत उप सचिव मंगेश घिल्डियाल इससे पहले चमोली जिले के मुख्य विकास अधिकारी और टिहरी व रुद्रप्रयाग जिले में जिलाधिकारी के पद पर काम कर चुके हैं। पहाड़ी जिलों में किए गए विकास कार्यों के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। आईएएस मंगेश घिल्डियाल जब टिहरी के जिलाधिकारी थे, तब चमोली के मौजूदा जिलाधिकारी संदीप तिवारी उनके साथ टिहरी में एसडीएम के पद पर कार्यरत थे।
जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने 76 वें गणतंत्र दिवस समारोह में अपने संबोधन में उप सचिव मंगेश घिल्डियाल का जिक्र करते हुए कहा कि आज भी उनका अपने कनिष्ठ अधिकारियों को मार्गदर्शन और सहयोग मिलता रहता है। उनके सहयोग और मार्गदर्शन से ही आज सीमांत जनपद चमोली में अंतरिक्ष प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए बोइंग एयरोस्पेस के साथ समन्वय किया गया है। इसके लिए जिलाधिकारी ने उप सचिव का आभार भी व्यक्त किया। जिलाधिकारी का कहना हैं कि अंतरिक्ष प्रयोगशाला खुलने से युवा शिक्षार्थियों को अंतरिक्ष के चमत्कारों और रहस्यों का पता लगाने का मार्ग प्रशस्त होगा। अंतरिक्ष विज्ञान से परिचित होने पर अंतरिक्ष अन्वेषण क्षेत्र में देश की प्रगति में तेजी आएगी।
उत्तराखंड की 52 बालिकाएं बन रही है ‘ड्रोन दीदी’- रेखा आर्या..
उत्तराखंड: प्रदेश के दूरदराज इलाकों से आने वाली 52 बालिकाएं ड्रोन दीदी बनने जा रही हैं। युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल निदेशालय में वंचित वर्ग की इन लड़कियों के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। शिविर में उन्हें ड्रोन चलाने, उसे जोड़ने, अलग करने और मरम्मत करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने शिविर का निरीक्षण भी किया।
मंत्री आर्य का कहना हैं कि इन लड़कियों का चयन चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चंपावत समेत राज्य के सभी जिलों से किया गया है। कैंप का उद्देश्य इन लड़कियों को हुनरमंद बनाना है, ताकि वे अपना करियर संवार सकें। कैंप में कुल 52 इंटर पास लड़कियां हिस्सा ले रही हैं। इनका प्रशिक्षण 12 फरवरी को पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह आवासीय कैंप है और लड़कियों से रहने-खाने का कोई शुल्क नहीं लिया गया है।
पांच लड़कियों को फ्री ड्रोन गिफ्ट होगा
मंत्री आर्या का कहना हैं कि शिविर में बेहतर प्रदर्शन करने वाली पांच लड़कियों को ड्रोन फ्री में गिफ्ट किया जाएगा। उन्होंने शिविर में हिस्सा ले रही लड़कियों को किट वितरण भी किया। इस दौरान विशेष खेल सचिव अमित सिन्हा समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
प्रयागराज महाकुंभ में उत्तराखंड पवेलियन है खास, मन मोह लेंगी प्रतिकृतियां..
उत्तराखंड: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर 144 सालों बाद महाकुंभ का आयोजन हो रहा हैं। बीती 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित हो रहे इस महाकुंभ में उत्तराखंड पवेलियन स्थापित की गई है। प्रयागराज में उत्तराखंड पवेलियन स्थापित होने पर सीएम धामी का कहना है कि ने यह मात्र एक मेले का आयोजन न होकर भारत और विश्व की तमाम संस्कृतियों के मिलन का उत्सव है, जिसमें देश और विदेश के तीर्थ यात्री अपने आध्यात्मिक शुद्धि के लिए एकत्रित होते हैं।
सीएम धामी के निर्देश पर उत्तराखंड पवेलियन में राज्य के तीर्थयात्रियों को आवासीय सुविधा और स्थानीय भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। साथ ही टेंट सिटी का भी निर्माण किया गया है। उत्तराखंड पवेलियन में रोजाना 10 से 15 हजार तीर्थयात्री भ्रमण कर रहे हैं। तीर्थ यात्रियों के बीच देवभूमि उत्तराखंड के दिव्य मंदिरों के दर्शन और फोटोग्राफी के साथ ही पारंपरिक उत्पादों के स्टॉल, समृद्ध लोक संस्कृति की प्रस्तुति सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए दी जा रही है।
सीएम धामी का मानना है कि साल 2026 में हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ मेले के आयोजन व्यवस्थाओं के लिए भी इससे मदद मिलेगी। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को उत्तराखंड पवेलियन से संबंधित जानकारी उपलब्ध होगी। वहीं आयुक्त एवं महानिदेशक उद्योग प्रतीक जैन का कहना हैं कि सीएम पुष्कर धामी के निर्देश पर मंडपम में देवभूमि स्वरूप के साथ ही कला संस्कृति और विशिष्ट उत्पादों का प्रदर्शन किया जा रहा है। साथ ही बिक्री की भी व्यवस्था की गई है। इसके तहत उत्तराखंड का अंतरराष्ट्रीय ब्रांड ‘हाउस ऑफ हिमालया’, उत्तराखंड का हथकरघा एवं हस्तशिल्प ब्रांड ‘हिमाद्री’, राज्य के खादी एवं बांस समेत अन्य फाइबर उत्पाद, राज्य के पर्यटन स्थलों और आयुर्वेदिक एवं योग चिकित्सा को प्रदर्शित किया गया है। मंडपम में संस्कृति विभाग की ओर से कला और संस्कृति से जुड़ी सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाता है।
मन मोह लेंगी प्रतिकृतियां
उत्तराखंड मंडपम में प्रवेश द्वार के रूप में केदारनाथ द्वार और निकास द्वार के रूप में बद्रीनाथ द्वार निर्मित किया गया है। मंडपम के अंदर प्रवेश करने पर चारधाम यानी यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की दिव्य एवं भव्य प्रतिकृतियों के दर्शन होते हैं. इसके साथ ही हरकी पैड़ी, हरिद्वार और गंगा की अविरल धारा के भी दर्शन होते हैं। मंडपम में दूसरी ओर शीतकालीन चारधाम और मानसखंड मंदिर माला के तहत जागेश्वर धाम, गोल्ज्यू देवता के साथ ही नीम करौली बाबा की प्रतिकृतियों को प्रदर्शित किया गया है।
कहां पर स्थित है उत्तराखंड पवेलियन
वहीं आयुक्त एवं महानिदेशक उद्योग ने कहा कि उद्योग विभाग की ओर से प्रयागराज महाकुंभ क्षेत्र के सेक्टर 7, कैलाशपुरी मार्ग पर 40,000 वर्ग फीट क्षेत्रफल में भव्य उत्तराखंड पवेलियन स्थापित किया गया है। यह पवेलियन सिविल लाइन प्रयागराज बस स्टैंड से 6 किमी, प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन से 8 किमी और प्रयागराज एयरपोर्ट से मात्र 15 किमी की दूरी पर स्थापित है। पवेलियन से नजदीकी गंगा घाट मात्र 800 मीटर दूरी और पवित्र संगम से करीब 5 किमी की दूरी पर स्थित है।
राष्ट्रीय खेल के लिए आईओसी देगा उत्तराखंड को स्पाॅन्सरशिप..
उत्तराखंड: 38 वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी कर रहे उत्तराखंड के लिए एक अच्छी खबर आई है। उत्तराखंड को इंडियन ऑयल काॅरपोरेशन (IOC) का साथ मिला है। आईओसी इस आयोजन के लिए उत्तराखंड को स्पाॅन्सरशिप देगा। प्रारंभिक सहमति की सूचना उत्तराखंड को आधिकारिक रूप से मिल गई है। इसके बाद उत्तराखंड ने आईओसी को राष्ट्रीय खेलों का ब्राॅन्ज स्पाॅन्सर बना दिया है। आयोजन के प्रचार-प्रसार में अब आईओसी भी नजर आएगा।
काॅर्पोरेट सोशल रिस्पाॅन्सिबिलिटी (सीएसआर) मद में आईओसी जल्द ही यह तय करेगा कि इस आयोजन के लिए उसकी स्पाॅन्सरशिप का आकार क्या होगा। 28 जनवरी को जिस दिन राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन हो रहा है, उसी दिन आईओसी की बोर्ड बैठक भी प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि इस बैठक में ही स्पाॅन्सरशिप के आकार पर निर्णय ले लिया जाएगा। बहरहाल आईओसी ने स्पाॅन्सरशिप के लिए प्रारंभिक सहमति दे दी है। राष्ट्रीय खेलों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमित सिन्हा के अनुसार आईओसी का स्पाॅन्सरशिप के संबंध में आधिकारिक मेल प्राप्त हुआ है। इसके बाद आईओसी अब राष्ट्रीय खेलों का ब्राॅन्ज स्पाॅन्सर होगा।
सीएम धामी की पैरवी से बनी बात..
राष्ट्रीय खेलों के लिए स्पाॅन्सरशिप जुटाने के मामले में सीएम पुष्कर सिंह धामी मोर्चे पर खुद जुटे। केंद्र सरकार में मजबूत पैरवी की, तो बात बन गई। बता दे कि कुछ दिन पहले अपने दिल्ली प्रवास के दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी से मुलाकात की थी। उन्होंने पुरी को राष्ट्रीय खेलों के लिए आमंत्रित किया था। साथ ही आईओसी व ओएनजीसीसी से सीएसआर में स्पाॅन्सरशिप दिलवाने का अनुरोध किया था। इस पर मंत्री ने हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया था। सीएम धामी ने केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रति आभार प्रकट किया है।
क्या होता है इवेंट में ब्राॅन्ज स्पाॅन्सर..
बता दे कि किसी बडे़ इवेंट या कार्यक्रम में प्रायोजक से मिलने वाली स्पाॅन्सरशिप की राशि के हिसाब से उसकी श्रेणी तय की जाती है। आईओसी के स्तर पर राष्ट्रीय खेलों में हमेशा स्पाॅन्सरशिप दी जाती रही है। राष्ट्रीय खेल सचिवालय से जुडे़ अधिकारी प्रतीक जोशी के अनुसार-पिछले अनुभवों का अध्ययन करने के बाद आईओसी को ब्राॅन्ज कैटेगरी में स्पाॅन्सर बनाने का निर्णय लिया गया है। इस कैटेगरी के हिसाब से ही राष्ट्रीय खेलों के प्रचार-प्रसार में आईओसी नजर आएगा।
पदक विजेता खिलाड़ी अपने नाम लगाएंगे पौध, 38वें राष्ट्रीय खेल आयोजन की खास पहल..
उत्तराखंड: 38वें राष्ट्रीय खेलों की यादों को संजोने और पदक विजेताओं के लिए वन पार्क विकसित किया जाएगा। जिसमें राष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने वाले हर खिलाड़ी के नाम पर एक पेड़ लगाया जाएगा। वन पार्क में 10 हजार से ज्यादा पेड़ लगाने की योजना है। खेल मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि राष्ट्रीय खेलों को ग्रीन गेम्स के तौर पर ऐतिहासिक बनाने के लिए कई नई पहल की गई हैं। सभी खेल स्पर्धाओं में कुल करीब 4350 पदक दिए जाने हैं, इसलिए योजना बनाई गई है कि पदक विजेताओं के नाम पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं, ताकि वे भविष्य में उन यादों को संजोने के लिए उत्तराखंड आते रहें। इसके साथ ही खेलों में आने वाले अन्य मेहमानों के नाम पर भी पेड़ लगाए जाएंगे, इस तरह करीब 10 हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
खेल मंत्री का कहना हैं कि पटाखों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए खेलों के दौरान केवल प्रमाणित ग्रीन पटाखों का ही उपयोग किया जाएगा। आयोजन की सजावट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कलाकृतियां और सेल्फी प्वाइंट ई-वेस्ट और खेल उपकरणों के वेस्ट से बनाए जा रहे हैं। खेल मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि अधिकांश खेल स्थलों पर सौर ऊर्जा से चलने वाले हीटिंग स्ट्रक्चर का उपयोग किया जाएगा, जिससे गैर-नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भरता कम होगी। खिलाड़ियों को दिए जाने वाले मेडल और प्रमाण पत्र भी इको-फ्रेंडली और बायोडिग्रेडेबल मटीरियल से बनाए गए हैं। ट्रॉफी के निर्माण में ई-वेस्ट और लकड़ी के कचरे का उपयोग किया गया है। खेलों की ब्रांडिंग में प्लास्टिक की जगह कपड़े का उपयोग किया जाएगा, ताकि प्लास्टिक कचरे को कम किया जा सके।
खिलाड़ियों और अधिकारियों को खेल स्थलों तक पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल किया जाएगा। राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में दो मेगावाट क्षमता के सोलर रूफटॉप भी लगाए गए हैं जो खेल स्थल को ऊर्जा प्रदान करेंगे। यह आयोजन न केवल खेल प्रतिभाओं का उत्सव होगा बल्कि पर्यावरणीय जिम्मेदारी और स्थिरता का प्रतीक भी बनेगा। उत्तराखंड अपने “संकल्प से शिखर तक” के संदेश के साथ दुनिया को यह दिखाने के लिए तैयार है कि खेलों के माध्यम से एक टिकाऊ भविष्य हासिल किया जा सकता है।
उत्तराखंड में 10 लाख महिलाएं बनेंगी ‘आपदा सखी’..
राहत और बचाव कार्यों में होगी अहम भूमिका..
उत्तराखंड: मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में 65 हजार से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 10 लाख से अधिक महिलाओं को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए हैं। इन प्रशिक्षित महिलाओं को आपदा सखी नाम देते हुए आपदा के समय गांव और तहसील स्तर पर राहत एवं बचाव कार्यों में लेने के निर्देश दिए गए हैं। इसी तरह सैनिक कल्याण विभाग से सभी जिलों में रहने वाले भूतपूर्व सैनिकों की जानकारी और डेटा लेकर उन्हें आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देने और आपदा के समय स्थानीय स्तर पर उनकी मदद लेने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य सचिव ने सचिवालय में राज्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सेंडाई (जापान) फ्रेमवर्क के क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने आपदा प्रबंधन विभाग को आपदा प्रभावित क्षेत्रों व गांवों में जोखिम आंकलन के लिए मास्टर ट्रेनरों के प्रशिक्षण कार्यक्रम तत्काल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आपदा जोखिम न्यूनीकरण में बीमा योजना की कार्ययोजना बनाने में ढिलाई पर नाराजगी जताई। उन्होंने स्पष्ट किया कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य उत्तराखंड में बीमा योजना लोगों को विशेषकर जरूरतमंदों को बड़ी मदद कर सकती है। उन्होंने विभाग को इस विषय पर गंभीरता से विचार कर प्रभावी पहल करने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड केन्द्रित आपदा प्रबंधन माॅडल तैयार करें..
मुख्य सचिव ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अन्य देशों व राज्यों के मॉडल को अपनाने के बजाय उत्तराखंड की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य केंद्रित आपदा प्रबंधन मॉडल तैयार करने को कहा है। उनका कहना हैं कि आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अन्य देशों व राज्यों के मॉडल को अपनाने के बजाय उत्तराखंड की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य आधारित आपदा प्रबंधन मॉडल तैयार किया जाए। आपदाओं से निपटने व बचाव के लिए उत्तराखंड फ्रेमवर्क तैयार करते समय आपदा प्रबंधन विभाग को इसमें एनजीओ, सिविल सोसायटी, सामाजिक संगठनों व निजी विशेषज्ञों के सुझावों को भी शामिल करने के निर्देश दिए।
पाठयक्रम में आपदा प्रबंधन को शामिल करने के निर्देश..
मुख्य सचिव ने प्राथमिक विद्यालय स्तर से ही विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन को शामिल करने के निर्देश दिए हैं। राज्य में भारी निर्माण कार्यों पर चिंता जताई। मुख्य सचिव ने उच्च आपदा जोखिम के मद्देनजर चिह्नित गांवों में पुनर्वास योजना की स्थिति स्पष्ट करने को कहा। इसके साथ ही राज्य में हर साल आपदा से मरने वालों की संख्या की जानकारी मांगी गई। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि इस वर्ष 20 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है। मुख्य सचिव ने सभी गांवों का आपदा जोखिम आकलन करने के निर्देश जिलाधिकारियों को दिए हैं।
मुख्य सचिव ने पंचायती राज विभाग को जीपीडीपी प्लान में गांवों का आपदा जोखिम आकलन शामिल करने के निर्देश दिए हैं। राज्य में आपदाओं के तहत सड़क हादसों में होने वाली सर्वाधिक मौतों पर चिंता व्यक्त की गई। उन्होंने क्रश बैरियर विशेषकर बांस के क्रश बैरियर लगाने जैसे इनोवेटिव प्रयासों को अपनाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव का कहना हैं कि उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य है जहां पर राज्य, जिला, तहसील, पंचायत स्तर पर आईआरएस प्रणाली सक्रिय होने जा रही है। बैठक में गृह, सिंचाई, वन आदि विभाग के अधिकारी मौजूद थे।
यूसीसी- अभ्यास में पास, हुए 3500 डमी आवेदन,अब अधिसूचना का इंतजार..
उत्तराखंड: मंगलवार को पूरे प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के वेब पोर्टल का अभ्यास किया गया। इस दौरान पोर्टल पर 3500 डमी आवेदन पंजीकृत किए गए। जिसमें रजिस्ट्रार और सब रजिस्ट्रार द्वारा 200 डमी आवेदनों का निष्पादन किया गया। इस दौरान यूसीसी पोर्टल पर 7728 अधिकारियों की आईडी बनाई गई। अभ्यास के दौरान आधार से जुड़ी कुछ तकनीकी समस्या आई, जिसका समय रहते समाधान कर दिया गया। अब 24 जनवरी को पूरे प्रदेश में एक और अभ्यास किया जाएगा, जो सीएससी स्तर पर आयोजित किया जाएगा।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकार अभ्यास कार्यक्रम को इसलिए आगे बढ़ाना चाहती है ताकि यूसीसी की अधिसूचना जारी होने से पहले पोर्टल की तकनीकी पहुंच सुनिश्चित की जा सके। इसी मंशा से एक बार फिर पूरे प्रदेश में अभ्यास की तिथि तय की गई है। सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) और प्रशिक्षण से जुड़े अधिकारियों का कहना हैं कि पोर्टल पर पूरे दिन का अभ्यास संतोषजनक रहा। डमी आवेदन जल्दी जमा किए गए।
उन पर सक्षम अधिकारियों द्वारा कार्रवाई का अभ्यास भी किया गया। यूसीसी लागू होने से पहले पोर्टल के संचालन और काम करने की गति को परखने के लिए यह अभ्यास बहुत महत्वपूर्ण था। इस दौरान जो भी छोटी-मोटी तकनीकी समस्याएँ आईं, उनका समाधान किया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि समस्या फिर न आए। आईटीडीए ने कहा कि अभ्यास के दौरान आधार आधारित पंजीकरण प्रक्रिया में एक छोटी सी खामी पाई गई थी, जिसमें ओटीपी जनरेट करने में कुछ समस्या आ रही थी, उस प्रक्रिया को दुरुस्त कर दिया गया है। भविष्य में इसमें देरी न हो, इसके लिए काम किया जा रहा है। यूसीसी पोर्टल का मॉक ड्रिल पूरे राज्य में पहली बार किया गया, जो संतुलित बताया गया है। कुछ तकनीकी समस्याएं देखी गईं, जिन्हें समय रहते सुलझा लिया गया।
त्रिस्तरीय पंचायतों को लेकर शासन ने जिलाधिकारियों जारी किया ये आदेश..
उत्तराखंड: त्रिस्तरीय पंचायतों में हरिद्वार जिले को छोड़कर निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष, प्रधान और क्षेत्र प्रमुख सरकारी और विभागीय बैठकें नहीं कर सकते। प्रशासक नियुक्त होने के बाद वह बिना सरकार की अनुमति के कोई नया निर्माण कार्य नहीं करा सकते। शासन ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी कर दिए हैं। शासन ने प्रदेश की जिला पंचायतों, क्षेत्र और ग्राम पंचायतों में निवर्तमान प्रधान और अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त कर दिया है। प्रशासक बनाए जाने के बाद से ही उनके वित्तीय अधिकारों को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे।
जिस पर शासन ने आदेश जारी कर स्थिति स्पष्ट की है। निदेशक पंचायती राज व सभी जिलाधिकारियों को जारी आदेश में कहा गया है कि प्रशासक नियुक्ति की अधिसूचना से पूर्व स्वीकृत, अनुमोदित व चालू कार्यों का भौतिक व तकनीकी मूल्यांकन किया जा सकता है तथा पूर्व की भांति भुगतान किया जा सकता है, लेकिन प्रशासक नियुक्ति की अधिसूचना के बाद शासन की अनुमति के बिना कोई भी नया निर्माण कार्य नहीं कराया जा सकेगा। प्रशासक कोई भी सरकारी व विभागीय बैठक भी नहीं कर सकेंगे। उन्हें बैठक आयोजित करने का अधिकार नहीं है।
त्रिस्तरीय पंचायतों में निवर्तमान प्रधान, जिला पंचायत और क्षेत्र प्रमुखों को प्रशासक बनाए जाने से सवाल उठ रहा है कि अगर उन्हें नए निर्माण कार्य करने की अनुमति दी गई तो त्रिस्तरीय पंचायत से पहले वे किसी खास क्षेत्र पर ज्यादा फोकस करके निर्माण कार्य करवा सकते हैं। वहीं उनके वित्तीय अधिकारों को लेकर यह बात सामने आ रही थी कि वे न तो निर्वाचित हैं और न ही चयनित। वे मनोनीत हैं, उन्हें वित्तीय अधिकार नहीं दिए जा सकते।
उत्तराखंड के डायलिसिस सेंटर में बीपीएल एवं गोल्डन कार्ड धारकों को मुफ्त दी जा रही है डायलिसिस की सुविधा..
उत्तराखंड: बीपीएल परिवार के मरीजों और आयुष्मान कार्ड धारकों को प्रदेश के 13 जिलों में संचालित 19 डायलिसिस सेंटरों में निशुल्क सुविधा दी जा रही है। इसके साथ ही एपीएल परिवारों को न्यूनतम शुल्क पर हेमोडायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी तय करते हुए राज्य के सभी जिलों में सौ फीसदी कवरेज को समयबद्धता से पूरा करने की सख्त हिदायत दी है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम के तहत पीपीपी मोड के माध्यम से गरीबी रेखा से नीचे आने वाले मरीजों व आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए निशुल्क डायलिसिस सेवाओं की समीक्षा की। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए आवंटित सरकारी संसाधनों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। कहा, राज्य के 13 जिलों में स्थापित 19 सेंटरों में 153 डायलिसिस मशीनों की सहायता निशुल्क डायलिसिस सेवाएं दी जा रही हैं।
पीपीपी में सीएसआर के तहत 82 डायलिसिस मशीनें व हंस फाउंडेशन की ओर से 49 मशीनें संचालित हैं। वर्ष 2024 में दिसंबर तक 117490 डायलिसिस किए गए। मुख्य सचिव ने विभाग को डायलिसिस कराने वाले मरीजों का रिकॉर्ड रखने के लिए पीएमएनडीपी पोर्टल का उपयोग करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव का कहना हैं कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत डायलिसिस सेवाओं को उनके प्रदाताओं के बीच बेहतर कार्य प्रणाली के साथ स्थापित करना व किडनी से संबंधित रोगों से ग्रस्त रोगियों को उच्च गुणवत्ता और कम लागत में डायलिसिस सेवाएं प्रदान करना है। हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया एक बार संपन्न होने में अत्यधिक लागत आती है। इस प्रकार किडनी के रोगियों का वार्षिक खर्च बहुत ज्यादा हो जाता है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों की हेमोडायलिसिस केंद्रों से दूरी भी इस समस्या का प्रमुख कारण है।
चुनाव आयोग ने आचार संहिता के उल्लंघन पर इन विभागों को नोटिस भेजा..
उत्तराखंड: निकाय चुनाव के मद्देनजर सात विभागों, संस्थाओं को आचार संहिता उल्लंघन के आरोप में निर्वाचन आयोग ने नोटिस जारी किया है। वहीं सभी जिलाधिकारियों को ध्वनि प्रदूषण, सरकारी संपत्ति विरूपण रोकने को लेकर भी सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार का कहना हैं कि प्रदेशभर से तमाम मामलों में विभागों ने आचार संहिता के मद्देनजर अनुमतियां मांगी थीं। इनमें से जो जरूरी थीं, वे अनुमतियां दे दी गईं। तमाम प्रस्तावों को रद्द भी कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सात विभागों, संस्थाओं को आचार संहिता उल्लंघन का नोटिस जारी किया गया है। इनमें से तीन से अपना जवाब भी भेज दिया है, जिसका परीक्षण कराया जा रहा है। सभी जवाब आने के बाद नियमानुसार आयोग अपना निर्णय लेगा। आयुक्त सुशील कुमार ने कहा कि कई निकायों में ध्वनि प्रदूषण जैसी शिकायतें भी आ रही थीं। इसके मद्देनजर जिलाधिकारियों को ध्वनि प्रदूषण रोकने, सरकारी संपत्तियों पर प्रचार सामग्री लगाने वालों पर संपत्ति विरूपण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। जहां भी जरूरी होगा, वहां आयोग संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा।
1771 ने डाक मतपत्रों से किया मतदान..
प्रदेश में डाक मतपत्रों से मतदान की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मेयर, नगर पालिका, पंचायत अध्यक्ष के लिए 4196, पार्षद व वार्ड सदस्यों के लिए 4142 डाक मतपत्र जारी किए गए थे। यह मतपत्र चुनाव में लगे कर्मचारियों, सुरक्षा बलों में कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए हैं। निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि सोमवार तक प्रदेशभर में 1771 डाक मतपत्र लौटकर आ चुके हैं। अभी प्रक्रिया जारी है।