आज नामांकन का अंतिम दिन, हरीश रावत लालकुंआ में दाखिल करेंगे पर्चा
उत्तराखंड: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपनी सीट लालकुंआ और किशोर उपाध्याय भी आज टिहरी सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरेंगे।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए आज यानी शुक्रवार को नामांकन का अंतिम रहेगा। इस दौरान भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवार नामांकन जमा करेंगे। इसी क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपनी सीट लालकुंआ से नामाकंन दाखिल करेंगे।
वहीं गुरुवार को भाजपा में शामिल हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी आज टिहरी सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरेंगे। कैबिनेट मंत्री व विधायक श्रीनगर धन सिंह रावत आज पौड़ी में नामांकन कराएंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी आज पौड़ी में श्रीनगर सीट के लिए नामांकन कराएंगे।
विधानसभा चुनाव के लिए कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने मसूरी क्षेत्र से नामांकन पत्र जमा किया। मंत्री जोशी ने कहा कि प्रदेश की जनता भाजपा को 60 प्लस सीटें दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। राज्य के विकास और जन कल्याणकारी योजनाओं से प्रदेश की जनता बड़ी संख्या में भाजपा से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि मसूरी सीट से वह हैट्रिक बनाने के लिए तैयार हैं।
देहरादून में 55 प्रत्याशियों ने दाखिल किए नामांकन..
विधानसभा चुनाव 2022 के लिए गुरुवार को 55 प्रत्याशियों ने अपने नामांकन दाखिल किए। चकाराता सीट पर कांग्रेस के प्रीतम सिंह, आप के दर्शन डोभाल, निर्दलीय दौलत कुंवर, कुलदीप सिंह चौहान व राजेंद्र दत्त ने नामांकन दर्ज किए।
विधानसभा विकासनगर से कांग्रेस के नवप्रभात, भाजपा से मुन्ना सिंह चौहान, बसपा से देशराज सिंह, निर्दलीय प्रत्याशी नवनीत बंसल, गुरमेल सिंह, सहसपुर से कांग्रेस के आर्येंद्र शर्मा, भाजपा के सहदेव पुंडीर, सैनिक समाज पार्टी से ले. कर्नल (रि) गिरिश चन्द्र, आम आदमी पार्टी से भरत सिंह व करेसनी दीवान, समाजवादी पार्टी से अमित यादव, निर्दलीय प्रत्याशी मौ अनीष व देवेश्वर के भट्ट मौजूद रहे।
विधानसभा धर्मपुर से कांग्रेस के दिनेश अग्रवाल, भाजपा के विनोद चमोली, प्रत्याशी हरकिशन बाबा, रक्षा मोर्चा से सुंदरलाल थपलियाल, निर्दलीय बीर सिंह पंवार, बसपा से मौ नासिर व ललित थापा, यूकेडी से किरन कश्यप, आम आदमी पार्टी से योगेन्द्र चौहान व सीमा रावत, राष्ट्रीय लोकदल से सरदार खान पप्पू विधानसभा रायपुर से कांग्रेस प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट, राईट टू रिकॉल पार्टी से राकेश बड़थ्वाल, न्याय धर्मसभा पार्टी से प्रीती डिमरी, बहुजन समाज पार्टी से समिष्टा प्रालियान, निर्दलीय प्रत्याशी सूरत सिंह नेगी, यूकेडी से अनिल डोभाल, आम आदमी पार्टी से नवीन चन्द्र व जितेन्द्र पंत, पीपुल्स पार्टी ऑफ इण्डिया (डी) से रामपाल सिंह, विधानसभा राजपुर से भाजपा प्रत्याशी खजानदास व कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार, कैंट से यूकेडी प्रत्याशी अनिरूद्ध काला, समाजवादी पार्टी से डॉ. आरके पाठक, निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश रावत व सचिन क्षेत्री, विधानसभा मसूरी से कांग्रेस प्रत्याशी गोदावरी थापली, आम आदमी पार्टी प्रत्याशी प्रेम किशन व पीटर प्रसाद, डोईवाला से यूकेडी प्रत्याशी शिव प्रसाद सेमवाल, निर्दलीय प्रत्याशी आनन्द सिंह व राहुल पंवार व विधानसभा ऋषिकेश से उततराखण्ड जन एकता पाटी से कनक धनाई, न्याय धर्म सभा पार्टी से श्रीवास्तव, शिरोमणी अकाली दल से जगजी सिंह, निर्दलीय प्रत्याशी उषा रावत, आम अदामी पाटी से राजे सिंह नेगी ने अपने नामांकन दाखिल किए।
आज अमित शाह रुद्रप्रयाग में करेंगे जनसंपर्क..
छह विस के कार्यकर्ताओं संग वर्चुअल संवाद भी..
उत्तराखंड: शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह हेलीकॉप्टर से गुलाबराय मैदान में पहुंचेंगे। यहां से वे अलकनंदा-मंदाकिनी नदी संगम स्थित रुद्रनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे।
विधानसभा चुनाव को लेकर गृहमंत्री अमित शाह रुद्रप्रयाग में घर-घर जनसंपर्क करेंगे। साथ ही छह विधानसभा के कार्यकर्ताओं व पार्टी पदाधिकारियों से वर्चुअल संवाद करेंगे। गृहमंत्री के जिला मुख्यालय भ्रमण को लेकर सुरक्षा बलों की टीमें तैनात हैं। साथ ही गुलाबराय मैदान में हेलीपैड भी तैयार है।
रुद्रनाथ मंदिर में करेंगे पूजा-अर्चना..
शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह हेलीकॉप्टर से गुलाबराय मैदान में पहुंचेंगे। यहां से वे अलकनंदा-मंदाकिनी नदी संगम स्थित रुद्रनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद गृहमंत्री रुद्रप्रयाग मुख्य बाजार में प्रतीकात्मक घर-घर जनसंपर्क करेंगे।
पहले चरण में पूर्व सैनिकों, दूसरे चरण में महिला समूह और तीसरे चरण में अनुसूचित जाति/जनजाति के कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे। गृहमंत्री के भ्रमण को लेकर रुद्रप्रयाग में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए हैं।
9000 कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल जनसंवाद..
इसके बाद वह पार्टी कार्यालय गुलाबराय में तीन चरणों में रुद्रप्रयाग, चमोली और पौड़ी गढ़वाल की रुद्रप्रयाग, केदारनाथ, कर्णप्रयाग, थराली, बदरीनाथ और श्रीनगर गढ़वाल विस के 9000 कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल जनसंवाद करेंगे।
प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल ने बताया कि वर्चुअल जनसंवाद को सफल बनाने के लिए गोपेश्वर, नारायणबगड़, श्रीनगर, अगस्त्यमुनि में एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं। इस मौके पर पार्टी के जिला प्रभारी शैलेंद्र बिष्ट गढ़वाली, जिलाध्यक्ष दिनेश उनियाल, जिपं अध्यक्ष अमरदेई शाह, जिपं सदस्य भारत भूषण भट्ट आदि थे।
बिहार में छात्रों ने ट्रेनों को पहुंचाया नुकसान..
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर सजा भी मिल सकती है..
देश – विदेश : रेलवे ने कुछ दिनों पहले बयान जारी कर कहा है कि ‘जो भी अभ्यर्थी रेलवे स्टेशनों पर हिंसा और तोड़फोड़ में शामिल होते हैं और वीडियो में उनकी पहचान होती है तो उन्हें आजीवन रेलवे में नौकरी नहीं दी जाएगी।’
रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटिगरी (एनटीपीसी) परीक्षा के रिजल्ट में धांधली का आरोप लगाते हुए छात्रों ने बुधवार को यूपी से बिहार तक तीसरे दिन भी जमकर हंगामा किया। बिहार में एक ट्रेन में आग लगा दी गई। यार्ड में खड़ी कई पैसेंजर ट्रेन को भी आग के हवाले कर दिया। साथ ही गया रेलवे स्टेशन में चलती ट्रेन पर पत्थरबाजी की गई। गया के एससपी आदित्य कुमार के मुताबिक शरारती तत्वों ने ट्रेन की बोगी में आग लगाई है। इसके लिए कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है।
पिछले तीन दिनों से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में रेलवे भर्ती परीक्षा के उम्मीदवारों की ओर से किए जा रहे आंदोलन को देखते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पांच सदस्यों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर गिया गया है। सभी अभ्यर्थी अपनी-अपनी शिकायत-सुझाव तीन हफ्तों के भीतर दर्ज करा सकते हैं। इसी आधार पर समाधान निकाला जाएगा। रेल मंत्री ने आंदोलनकारी छात्रों से यह अपील भी है कि वे सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट नहीं करे। इससे पहले रेलवे ने कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को आजीवन रेलवे में नौकरी नहीं दी जाएगी।
छात्रों के इस आंदोलन और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की खबरों के बीच इस बात को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो गई है कि आंदोलन करना छात्रों का या किसी का भी मौलिक अधिकार है लेकिन आन्दोलनों के प्रभाव और उसके परिणामस्वरूप सामान्य जीवन में व्यवधान होने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचने पर उन्हें सजा के दायरे में लाया जाए या नहीं?
2020 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और जनता को असुविधा पहुंचाने के आरोप में 450 लोगों को दंडित किया जिसे लेकर खूब राजनीति भी हुई थी। 2019 में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत देशभर में चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान कई जगहों पर हिंसा भड़की थी और उपद्रवी जगह-जगह सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान भी पहुंचा रहे थे।
कितना होता है नुकसान..
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को सजा देने का तर्क देने वालों का कहना है कि आंदोलन करना लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि बंद, विरोध या आंदोलनों में जब सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है तो आयोजकों और भाग लेने वाले ज्यादातर लोगों को कुछ घंटों की हिरासत के बाद छोड़ दिया जाता है, जबकि सार्वजनिक संपत्ति जिसे बनाने में जनता के ही करोड़ों रूपये खर्च होते हैं, उसको भारी नुकसान पहुंचाया जाता है।
एसोचैम का अनुमान है कि 2016 में हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान 1,800-2,000 करोड़ रुपये की सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। इसी तरह जनवरी 2020 में जैसे ही सरकार ने संसद में नागरिकता संशोधन विधयेक पेश किया पश्चिम बंगाल भड़क उठा। अनुमान है कि राज्य में भड़के विद्रोह से भारतीय रेलवे ने चार दिनों में 80 करोड़ की संपत्ति खो दी।
बीते कुछ सालों में सार्वजनिक संपत्ति को और कब-कब पहुंचाया गया नुकसान..
2015 में गुजरात में पाटीदार आंदोलन के दौरान भी तोड़फोड़ में 660 सरकारी वाहनों और 1,822 सार्वजनिक भवनों को आग लगा दी गई थी।
कर्नाटक में 2016 कावेरी दंगों में 30 से अधिक राज्य परिवहन बसों को क्षतिग्रस्त किया गया था।
2018 में जब केरल में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विरोध चल रहा था तब भी 49 सरकारी बसें क्षतिग्रस्त हो गईं थीं।
राजस्थान में 2017 में फिल्म पद्मावत की रिलीज के आसपास और 2019 में गुर्जर समुदाय के आरक्षण आंदोलन के दौरान भी तोड़फोड़ और आगजनी की कई घटनाएं देखी गईं।
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की वजह क्या..
सुप्रीम कोर्ट के वकील और कानूनी जानकार विराग गुप्ता छात्रों के आंदोलन के संदर्भ में मानते हैं कि कानून और संविधान के अलावा छात्रों के आंदोलन और हिंसा के कई और पहलू हैं। आजादी के पहले अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की जो परंपरा शुरू हुई वह आजादी के बाद भी जारी रही। जेपी आंदोलन हो या अन्य आंदोलन, उनमें छात्रों की विशेष भूमिका थी।
उनका कहना है ‘छात्र आंदोलनों को लोकतंत्र के भीतर विरोध का माध्यम भी बताया जाता है। परीक्षाओं में हो रही संस्थागत और सामूहिक गड़बड़ी को दूर करने के लिए सरकारों ने ठोस सुधार नही किया। इसलिए हिंसा और सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसलिए यह आंदोलनकारियों के साथ सरकार की भी संवैधानिक विफलता को दर्शाता है।’
बहरहाल, यह जानना जरूरी है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर किसी व्यक्ति को क्या सजा मिल सकती है? लेकिन पहले समझिए कि सार्वजनिक संपत्ति के दायरे में क्या-क्या आता है?
किसी भी ऐसे भवन या स्थान को सार्वजनिक संपत्ति माना जाता है जिसका इस्तेमाल पानी, बिजली या ऊर्जा के उत्पादन और वितरण के लिए किया जाता है। टेलिकॉम और ऑयल इंस्टॉलेशन की संपत्ति, सीवेज वर्क, माइन्स, फैक्ट्री या सार्वजनिक परिवहन के साधन जैसे सरकारी बस और रेल को भी सार्वजनिक संपत्ति माना जाता है।
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर क्या सजा हो सकती है..
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से बचाने के लिए सार्वजनिक संपत्ति रोकथाम अधिनियम, 1984 जैसा कानूनी प्रावधान है। इसके तहत दोषी पाए जाने वाले को कम से कम छह महीने और पांच साल तक की जेल की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी भरना होगा। बशर्ते प्रदर्शन के दौरान आगजनी और भीड़ को हिंसा के लिए उकसाने के जिम्मेदार की पहचान हो जाए और उसका गुनाह कोर्ट में साबित कर दिया जाए।
इस कानून के मुताबिक आग या विस्फोटक पदार्थ से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले शरारती तत्व को धारा 3 की उप-धारा (1) या उप-धारा (2) के तहत कठोर कारावास की सजा मिल सकती है जो एक साल से कम नहीं होगी लेकिन उसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है। लेकिन इस कानून में नुकसान की वसूली का कोई प्रावधान नहीं है।
इस संबंध में अदालतों के निर्देश क्या हैं..
आंदोलन या अन्य किसी वजहों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के संबंध में 2009 के सुप्रीम कोर्ट ने एक दिशा-निर्देश बनाया है।
इसके अनुसार, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर विद्रोहियों को इसका जम्मेदार ठहराया जा सकता है।
2007 में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस केटी थॉमस की अध्यक्षता वाली समिति ने 1984 के कानून में कुछ सख्त प्रावधान भी जोड़े। नियम बने कि विद्रोहों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की घटनाओं के लिए उसके नेता को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
वहीं, आंध्र प्रदेश के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में निर्देश दिए कि ‘अगर किसी विरोध प्रदर्शन में बड़े स्तर पर सार्वजनिक संपत्तियों की तोड़फोड़ की जाती है और उसे नुकसान पहुंचाया जाता है तो हाई कोर्ट स्वतः संज्ञान लेते हुए घटना व नुकसान की जांच के आदेश दे सकता है। साथ ही ऐसा अपराध करने वाले उपद्रवियों को भी जिम्मेदार ठहरा सकता है।’
कितनों पर होती है कार्रवाई..
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में देशभर में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने के करीब 8 हजार मामले दर्ज किए गए।एनसीआरबी की रिपोर्ट यह भी कहती है कि 2020 में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर 4,524 मामले दर्ज किए गए थे लेकिन केवल 868 पर ही आरोप साबित हो सके।
यानी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की पहचान और उन पर दोष सिद्ध कर पाना इस कानून की सबसे बड़ी चुनौती है। यही वजह है कि 2017 के आखिर तक सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के 14,876 केस देश की कई अदालतों में लंबित थे।
वजह क्या..
इसके पीछे दो बड़ी वजहें बताई जाती हैं। एक तो ऐसे जन आंदोलनों में उनका नेतृत्व या संचालन करने वालों का कोई निश्चित चेहरा नहीं होता। प्रदर्शनों के दौरान किसने क्या उपद्रव किया और किसने तोड़-फोड़ और आगजनी की, यह साबित करना मुश्किल हो जाता है।
जहां ऐसे आंदोलनों का नेतृत्व करने वाले का चेहरा और नाम स्पष्ट है, वहां भी कोर्ट में यह बात आसानी से साबित नहीं हो पाती है कि उन्होंने ही हिंसा भड़ाकने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की बात कही थी।
एक आंकड़े के अनुसार, पहचान न हो पाने के कारण सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर महज 29.8 फीसदी मामलों में ही दोषियों को सजा मिल पाती है। विराग गुप्ता के मुताबिक मान लीजिए कि अगर किसी के ऊपर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज भी हो जाता है, तो पुलिस के लिए उसके खिलाफ सबूत जुटाना मुश्किल काम हो जाता है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों ने भीड़ की वजह से फैली हिंसा या सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली के लिए भी नए कानून बनाए हैं लेकिन उसे कारगार बनाने की दिशा में अभी भी कई चुनौतियां हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की उत्तर प्रदेश वसूली विधेयक, 2021 पारित किया। इस कानून के तहत, प्रदर्शनकारियों को सरकारी या निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के दोषी पाए जाने पर एक साल की कैद या 5,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।
उपाय क्या..
माना जाता है कि चेहरे की पहचान तकनीक, सार्वजनिक स्थानों और सार्वजनिक संपत्तियों पर सीसीटीवी कैमरे की संख्या बढ़ाने और कुछ मामलों में पुराने डेटाबेस के आधार पर पुलिस ऐसे लोगों की पहचान कर सकती है जो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं।
अमेरिका की तरह सख्त कानून बने
सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ के लिए कड़ी दंडात्मक कार्रवाई का एकमात्र उदाहरण डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ मिलता है, पंथ के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की गिरफ्तारी के बाद उनके अनुयायियों ने 2017 में पूरे हरियाणा और पंजाब में संपत्तियों को नष्ट कर दिया था। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि संपत्ति के सभी नुकसान डेरा से वसूल किए जाएंगे।
कुछ जानकार आंदोलन की प्रवृति को देखते हुए भारत में अमेरिका की तरह प्रदर्शनकारियों के लिए सख्त कानून बनाने की मांग करते हैं। अमेरिका में ट्रैफिक को अवरुद्ध करने वाले प्रदर्शनकारियों के लिए हुए कठोर दंड का प्रावधान है। साथ ही कानून प्रवर्तन एजेंसियों को राष्ट्र के ‘महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे’ को नुकसान पहुंचाने या बाधित करने वाले प्रदर्शनकारियों से लागत वसूलने के भी अधिकार हासिल हैं। महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के तौर पर सार्वजनिक उपयोगिताओं में तेल और गैस पाइपलाइन, बिजली टावर, रेलवे और सार्वजनिक परिवहन वाहन शामिल है।
हरीश रावत की बदली सीट , अब रामनगर नहीं लड़ेंगे चुनाव..
पांच सीटों पर बदले गए टिकट..
देश – विदेश : कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत लाल कुआं से, पूर्व विधायक रणजीत रावत सल्ट से, महेश शर्मा कालाढूंगी से और पूर्व सांसद महेंद्र पाल रामनगर से उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में जारी बगावत और असंतोष के परिणाम लगता है आने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत की सीट बदल गई है।
कांग्रेस ने पांच सीटों पर टिकट बदल दिए हैं। डोईवाला से मोहित उनियाल का टिकट कटा। गौरव चौधरी को मिला। चौबट्टाखाल से केसर सिंह नेगी। नरेंद्रनगर से ओम गोपाल रावत और ज्वालापुर से बरखारानी का टिकट बदल कर रवि बहादुर को दिया। टिहरी पर अब भी सस्पेंस बना हुआ है।
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत लाल कुआं से, पूर्व विधायक रणजीत रावत सल्ट से, महेश शर्मा कालाढूंगी से और पूर्व सांसद महेंद्र पाल रामनगर से उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। उन्होंने बताया कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। रामनगर विधानसभा सीट पर हरीश रावत के कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर घोषित किए जाने के बाद ही इस सीट पर बगावत होने लगी थी।
कांग्रेस में परिवारवाद की छाया..
टिकटों में बदलाव को लेकर पार्टी में परिवारवाद की बात भी उठने लगी है। हरीश रावत, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, स्व. इन्दिरह रद्देश और संसद केसी सिंह बाबा के परिवार के सदस्यों को टिकट मिला है।
हरक की पुत्रवधू अनुकृति को लैंसडौन से, पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे को काशीपुर से, इंदिरा के बेटे सुमित ह्रदयेश को हल्द्वानी से और हरीश रावत की बेटी अनुपमा को हरिद्वार ग्रामीण से उम्मीदवार बनाया गया है। यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य नैनीताल से हैं प्रत्याशी।
पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी ऋतु खंडूड़ी को डोईवाला से उतारेगी भाजपा..
देश – विदेश : भाजपा डोईवाला और कोटद्वार सीट को लेकर ऋतु खंडूड़ी के नाम पर भी विचार कर रही है। बताया जा रहा है कि भाजपा मंगलवार तक फैसला करने के बाद 11 प्रत्याशियों की सूची जारी कर देगी।
भाजपा ने अभी 11 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है। इनमें से डोईवाला और कोटद्वार विधानसभा सीट पर सबसे अधिक पेच है।
सूत्रों ने बताया कि डोईवाला और कोटद्वार को लेकर पहले पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत के भाई कर्नल विजय रावत को लेकर चर्चा हुई लेकिन उनके चुनाव लड़ने को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। उसके बाद भाजपा की ओर से सीडीएस जनरल रावत की बेटियों के नाम पर भी चर्चा की गई।
सूत्रों का कहना है कि अब पार्टी कोटद्वार और डोईवाला सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी व यमकेश्वर से विधायक ऋतु खंडूड़ी के नाम पर चर्चा कर रही है।
कोटद्वार के लिए ऋतु अभी सहमत नहीं हुई हैं। हालांकि पार्टी की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। विधायक ऋतु खंडूड़ी ने इस संदर्भ में जानकारी होने से इनकार किया है। उन्होंने बताया कि वे दिल्ली में हैं और पार्टी ने अभी इस संदर्भ में उनकी राय नहीं ली है। उन्होंने कहा कि यदि उनसे पूछा जाएगा तो जरूर वह अपनी राय दे देंगी।
UKD: 26 विधानसभा सीटों पर अभी तक उम्मीदवारों का इंतजार..
उत्तराखंड: नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने में चंद दिन ही शेष हैं। इसके बावजूद उक्रांद अभी तक सभी सीटों पर टिकट फाइनल नहीं कर पाई है। उक्रांद को अभी 26 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा करनी है। उक्रांद अभी तक उम्मीदवारों की तीन सूची जारी कर चुकी है। पहली सूची में 16 जबकि दूसरी और तीसरी सूची में 14-14 प्रत्याशियों की घोषणा की गई। उक्रांद कुछ सीटें वामदलों समेत दूसरे सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ेगी।
ऐसे में कुल शेष 26 में से कितनी सीटों पर उक्रांद चुनाव लड़ेगा, ये भी तय नहीं है। इस पर मंगलवार को स्थिति साफ होगी। पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में प्रत्याशियों की घोषणा में देरी से नाराजगी है। इसी के चलते दूसरी सूची जारी होने के दौरान पार्टी मुख्यालय में हंगामे की स्थिति पैदा हो गई थी। केंद्रीय पदाधिकारियों को बंधक बना लिया गया था। उक्रांद अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी का कहना है कि सहयोगी दलों से सीटों पर मंगलवार को फाइनल बात हो जाएगी। इसके बाद तत्काल शेष सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी।
नामांकन पत्र निरस्त होने से नाराज AAP प्रत्याशी ने कलेक्ट्रेट में तेल डालकरकिया आत्मदाह का प्रयास..
देश – विदेश : यूपी विधानसभा चुनाव से पहले मुजफ्फनगर में आप प्रत्याशी का हाईवोल्डेज ड्रामा सामने आया है। आप प्रत्याशी ने अपने ऊपर तेल डालकर खुद को जलाने का प्रयस किया। हालांकि इससे पहले ही कलेक्ट्रेट में मौजूद पुलिस कर्मी ने प्रत्याशी को आत्मदाह करने से रोक लिया। विधानसभा चुनाव को लेकर पहले और दूसरे चरण के चुनाव को लेकर इन दिनों नामांकन हो रहे हैं। प्रथम चरण में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जनपद मुजफ्फरनगर की 6 विधानसभा सीटों पर करीब 97 प्रत्याशी ने नामांकन किया है। सोमवार सुबह इन नामांकन पत्रों की जांच शुरू हुई।
मीरापुर विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी जोगिंदर सिंह का नामांकन प्रशासन ने निरस्त कर दिया है। जोगिंदर सिंह ने कलेक्ट्रेट में आत्मदाह की चेतावनी दी है। जोगिंदर सिंह ने बताया कि वह आर्मी में सूबेदार मेजर रहे हैं। रिटायर होने के बाद जनता की सेवा में लगे हैं। मीरापुर विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी से नामांकन दाखिल किया था। नामांकन पत्र में निराश्रित का कॉलम खाली छोड़ने पर उनका नामांकन पत्र निरस्त कर दिया ।उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन दबाव में कार्य कर रहा है या फिर तानाशाही दिखा रहा है। अधिकारियों का अनुचित कृत्य का विरोध किया जाएगा। उसके बाद फिर से जोगिंदर सिंह रिटर्निंग ऑफिसर के पास पहुंचे।
आरोप है कि रिटर्निंग ऑफिसर ने उनकी कोई बात नहीं सुनी। रिटर्निंग ऑफिसर ने जोगिंदर सिंह से कहा कि उनका नामांकन पत्र निरस्त हो चुका है। इस बात से खफा जोगिंदर सिंह ने बाहर आकर अपने ऊपर पेट्रोल छिड़क दिया और आत्मदाह करने का प्रयास किया। मौके पर मौजूद पुलिस ने जोगिंदर सिंह के आत्मदाह को विफल कर दिया। कचहरी में हंगामे की सूचना मिलने पर एडीएम प्रशासन मौके पर पहुंचे। पीड़ित प्रत्याशी जोगिंदर सिंह ने एडीएम प्रशासन को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। एडीएम प्रशासन ने जोगिंदर सिंह को समझा कर शांत किया। उसके बाद जोगिंदर सिंह अपने अधिवक्ता के साथ डीएम से मिलने के लिए पहुंचे और डीएम को पूरे मामले की जानकारी दी।
उत्तराखंड में दो दिन और बारिश-बर्फबारी का अलर्ट,हाईवे बंद..
देश – विदेश : मौसम विभाग ने उत्तराखंड में अगले दो दिन और बारिश-बर्फबारी की संभावना जताई है। मैदानी क्षेत्रों में कोहरे की वजह से मौसम ठंडा बना रहेगा। मौसम को लेकर फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं है। बारीश के बाद हुई बर्फबारी की वजह से गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे सहित कई सड़कें बंद हो गई हैं, जिसकी वजह से जगह-जगह यात्री फंस गए हैं।
सोमवार को राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश व बर्फबारी होने की संभावना है। जबकि, मैदानी क्षेत्रों में कहीं-कहीं बारिश हो सकती है। राज्य के 2000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में बर्फबारी की संभावना है। 25 जनवरी को पर्वतीय क्षेत्रों में कहीं-कहीं हल्की बारिश-बर्फबारी की संभावना है। जबकि, 26 को राज्य में मौसम शुष्क रहेगा। मैदानी क्षेत्रों में विशेषकर हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर जिलों में छिछले से मध्यम कोहरा रहने की संभावना है। 27 जनवरी को प्रदेश में मौसम शुष्क रहेगा।
बर्फबारी के बाद बढ़ीं मुश्किलें,गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे जगह-जगह बंद;फंसे यात्री
उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी के बाद लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गई है। गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे सहित थल-मुनस्यारी सड़क बंद होने की वजह से जगह-जगह यात्री फंसे हुए हैं। बारिश- बूंदाबादी के कारण रविवार को मौसम के तेवर तल्ख रहे। पूरा उत्तराखंड कड़ाके की ठंड की चपेट में है। पहाड़ी इलाकों में बारिश और कोहरा छाए रहने से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। वहीं मैदानी क्षेत्र में कोहरा-बूंदाबांदी ने सर्दी का कहर बढ़ा दिया है।
उत्तरकाशी जनपद के ऊंचाई वाले इलाकों में दो दिनों से बर्फबारी का दौर जारी है। इस दौरान जमकर हुई बर्फबारी ने उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बर्फबारी के कारण गंगोत्री-यमुनोत्री राजमार्ग सहित 4 संपर्क मार्ग भी बंद पड़े हैं। केदारनाथ घनसाली और लंबगांव मोटरमार्ग भी बर्फबारी के कारण ठप है।
बीते शनिवार सुबह से जिले में गंगोत्री यमुनोत्री के अलावा हर्षिल, जानकी चट्टी, रैथल, बार्सू, गंगनानी, जखोली, सांकरी सहित आदि क्षेत्रों में बर्फबारी हुई। निचले इलाकों में जमकर बारिश हुई। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग से बीआरओ की टीम ने झाला तक बर्फ को तो हटाया है लेकिन, हाईवे पूरी तरह से बहाल नहीं हो पाया है। जिसमें फिसलन बनी हुई है।
ऐसे में हाईवे पर पर्यटकों के वाहनों की आवाजाही शुरू नहीं हुई है। धरासू यमुनोत्री राजमार्ग रविवार की शाम तक बंद रहा। एनएच की टीम ने रविवार की शाम को छोटे वाहनों के लिए राजमार्ग को सुचारू किया। लेकिन, छोटे वाहनों की आवाजाही के दौरान कई स्थानों पर फिसलन बनी हुई है। वहीं हनुमान चट्टी से जानकी चट्टी तक भी मार्ग बंद है। उत्तरकाशी से लंबगांव श्रीनगर मार्ग चौरंगी के आसपास बंद पड़ा हुआ है।
केदारनाथ सहित अनेक स्थानों पर दूसरे दिन भी बर्फबारी..
जिले के केदारनाथ धाम समेत ऊंची चोटियों पर रविवार को दिनभर बर्फवारी हुई। जबकि निचले क्षेत्रों में हल्की बारिश होने मौसम ठंडा हो गया। जिससे जिला मुख्यालय सहित अनेक कस्बों में लोगों की चहल कदली कम देखी गई। रविवार सुबह से ही आसमान में बादल छाने से मौसम गुमशुम रहा। जिसके बाद केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, चन्द्रशिला, चोपता, दुगलविट्टा, कार्तिक स्वामी, देवरियाताल समेत ऊंचाई वाले स्थानों पर दूसरे दिन भी दिनभर बर्फवारी होती रही।
पिछले दो दिन से लगातार हो रही बर्फबारी के चलते जनपद में शीतलहर का प्रकोप भी बढ़ गया। जिला मुख्यालय समेत निचले इलाकों में भी बादलों के साथ बीच-बीच हल्की बारिश होती रही। पूरे दिनभर सूर्यदेव ने दर्शन नहीं दिए। बर्फबारी और बिगड़े मौसम का असर निचले इलाकों में भी देखा जा रहा है। जिले में ठंड से बचने के लिए लोग घरों में ही कैद होने के साथ बाजार के कई कस्बों में व्यापारियों ने अलाव भी जलाए। बर्फबारी के चलते चोपता-गोपेश्वर मार्ग पर आवाजाही प्रभावित हो गई है। जनपद के सीमांत क्षेत्रों में बर्फबारी ने लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी है।
चकराता की ऊंची पहाड़ियों ने ओढी बर्फ की सफेद चादर, बाजार में एक फीट से अधिक बर्फबारी..
शनिवार सुबह से चकराता की ऊंची चोटियों पर पर शुरु हुई। बर्फबारी का सिलसिला देर रात तक जारी रहा रविवार सुबह तक क्षेत्र की ऊंची चोटियों सहित चकराता बाजार भी बर्फ की सफेद चादर से ढक गया। चकराता बाजार में बर्फबारी हो जाने से यहां आए पर्यटकों ने पड़ रही बर्फ का जमकर लुत्फ उठाया। चकराता बाजार में सीजन की दूसरी व ऊंचाई वाले इलाको में पांचवीं बार जमकर बर्फबारी हुई।
शनिवार सुबह से ही चकराता की ऊंची पहाड़ियों देवबन, खडम्बा, मुंडाली, लोखंडी, व्यास शिखर, लोखंडी, मोयला टॉप, सहित चकराता छावनी बाजार, जाड़ी, मुंगाड, कोटी कनासर, मोहना, इंद्रोली आदि क्षेत्र में बर्फबारी शुरू हो गयी थी। जो पूरे दिन रुक रुक कर चलती रही शनिवार देर शाम से चकराता बाजार में भी जम कर बर्फबारी हो रही है। जो खबर लिखे जाने तक जारी है।
क्षेत्र में शाम से जमकर हुई बर्फबारी से क्षेत्र की ऊंची चोटियाँ बर्फ से लकदक हो गयी जहां लोखंडी में दो फिट के आसपास बर्फ पड़ी वहीं क्षेत्र के देवबन, खडम्बा, बुधेर मोयला टॉप, व्यास शिखर, आदि स्थानों पर तीन फीट से अधिक बर्फबारी की सूचना है। साथ ही चकराता छावनी बाजार में एक फीट से ज्यादा बर्फ पड़ गई है।
व अन्य निचले इलाकों में तीन से छह इंच तक बर्फ पड़ी है। उधर क्षेत्र के खारसी, जाड़ी, कांडोई, भरम, कथियान वैली आदि ऊंचाई वाले इलाकों सहित मोहना सावरा से लेकर कम ऊंचाई वाले इलाकों में भी बर्फबारी की सूचना है। बर्फबारी की खबर लगते ही शनिवार शाम से ही पर्यटकों ने चकराता का रुख करना शुरू कर दिया था। छावनी बाजार व आसपास के होटलो में 50% कमरे कल शाम को ही फुल हो गए थे।
आज सुबह से ही पर्यटक बर्फ में खेलते नजर आए। पर्यटकों ने क्षेत्र में हुई बर्फबारी का जमकर लुत्फ उठाया। विकासनगर से सपरिवार चकराता आये अंकित जैन, जगाधरी के नवप्रीत सिह, देहरादून के ओम शर्मा, आदि का कहना है कि वह कल चकराता पहुंचे थे। दिन तक बर्फ न पड़ने से सब मायूस थे। लेकिन शाम से सुबह तक हुई बर्फबारी से जो नजारा सामने आया यह उन्होंने तस्वीरों में ही देखा था।
मार्ग बंद..
बर्फबारी होने से चकराता त्यूणी मोटर मार्ग यातायात के लिए बाधित हो गया है। मार्ग बंद होने से क्षेत्र के कोटी, लोहारी, बुल्हाड, लेबरा, बायला, उदावा, सहित एक दर्जन से अधिक गांवो के ग्रामीण बर्फबारी से प्रभावित हुए है।
फसलों के लिए लाभदायी..
इस बर्फबारी से गर्मियों में पेयजल की समस्या में कुछ कमी आएगी्र। पानी के श्रोत रिचर्जा होंगे। साथ ही यह बर्फ बागवानों व किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी। बर्फबारी से सेब, खुमानी, आड़ू, पुलम, अखरोट, नाशपती, के अलावा रवि की फसलों को लाभ मिलेगा। गेहूं, मटर, बेमौसमी सब्जी की अच्छी पैदावार होगी। बर्फबारी क्षेत्र में सेब आदि की फसलों के लिए सोना बरसी है। डॉ. संजय सिंह, कृषि विज्ञानकेंद्र ढकरानी
बर्फबारी से थल-मुनस्यारी सड़क बंद, फंसे लोग..
बर्फबारी के बाद थल-मुनस्यारी सड़क बंद रही। इस सड़क के बंद रहने से कई यात्री व पर्यटक वाहन फंसे रहे। पर्यटकों को माइनस 5 डिग्री के बीच वाहनों में बैठकर समय बिताना पड़ा। हिमनगरी सहित कालामुनी, बलाती में बीते शनिवार देर शाम जमकर बर्फबारी हुई। भारी हिमपात से थल-मुनस्यारी सड़क कालामुनी व बलाती में बंद हो गई। सड़क पर जमा 8 इंच से अधिक बर्फ में वाहन फंस गए।
आसमान से गिरती बर्फ व माइनस 5 डिग्री तापमान के बीच पर्यटकों को वाहन में बैठक सड़क खुलने का घंटों इंतजार करना पड़ा। लेकिन राहत नहीं मिली। भारी बर्फबारी के बीच लोनिवि के लिए सड़क से बर्फ हटाना मुश्किल हुआ। मजबूर होकर फंसे पर्यटकों को बिर्थी वापस लौटना पड़ा। किसी तरह 18 घंटे बाद दूसरे दिन रविवार को सड़क से बर्फ हटाकर आवाजाही शुरू कराई जा सकी। सड़क खुलने के बाद पर्यटकों व स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली।
बर्फबारी से निपटने के दावे हवाई..
भले ही बर्फबारी से निपटने के दावे किए जा रहे हों। लेकिन मुनस्यारी में आए दिन बर्फबारी से बंद हो रही सड़क इन दावों को खोखला साबित कर रही है। मुनस्यारी में अब तक पांच बार बर्फबारी हुई है। इसमें से चार बार थल-मुनस्यारी सड़क बंद रही। हैरान करने वाली बात यह है कि पर्याप्त मशीनरी के बाद भी सड़क को खोलने में 12 से 15 घंटे का समय लग रहा है।
कोरोना के बढ़ते के केसों के बीच 31 जनवरी तक स्कूल बंद..
उत्तराखंड : उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल सभी आंगनबाड़ी और 12वीं तक के स्कूल 31 जनवरी तक बंद रखने का निर्णय लिया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कोविड 19 को लेकर नई एसओपी जारी की है। इसके तहत उक्त अवधि में राजनीतिक रैलियां और धरना-प्रदर्शन पर भी रोक रहेगी। राज्य में 16 जनवरी को जारी एसओपी की अवधि रविवार को समाप्त हो गई।
प्राधिकरण के सीईओ और मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु के अनुसार, कोविड के तहत लागू प्रतिबंधों को 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया है। नाइट कर्फ्यू, व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए तय समयावधि पूर्व की तरह लागू रहेगी। सियासी दलों के किसी भवन में होने वाले कार्यक्रमों में सभागार की क्षमता के 50 अथवा 300 लोगों तक, जो भी कम होगा वहीं मान्य होगा। उधर, शिक्षा सचिव आर.मीनाक्षीसुंदरम के अनुसार स्कूल बंद रहने की अवधि में ऑनलाइन पढ़ाई जारी रहेगी। अधिकारियों को इस बाबत दिशानिर्देश दे दिए गए हैं।
बुरांश के फूल से कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज हो सकता है..
IIT मंडी की रिसर्च में किया गया दावा..
हिदेश -विदेश : मालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला बुरांश का फूल कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज हो सकता है। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित आईआईटी के शोध में यह बात कही गई है। बुरांश का वैज्ञानिक नाम रोडोड्रेंड्रॉन अर्बोरियम (Rhododendron arboreum) है। इसके फूल के अर्क का इस्तेमाल पहाड़ पर रहने वाले लोग पीने के लिए करते हैं। इसे जूस के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है और खासतौर पर गर्मियों के सीजन में इसे लोग काफी पसंद करते हैं। अब इसको लेकर वैज्ञानिकों ने एक नया शोध किया है जिसमें पाया गया है बुरांश की पंखुड़ियों के अर्क ने कोविड-19 वायरस को बनने से रोका है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के शोधकर्ताओं ने इस हिमालयी फूल की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है, जो संभवत कोविड-19 संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। अब शोध टीम बुरांश की पंखुड़ियों से हासिल विशिष्ट फाइटोकेमिकल्स से कोविड-19 का रेप्लिकेशन रोकने की सटीक प्रक्रिया समझने की कोशिश कर रही है। आईआईटी मंडी और आईसीजीईबी के शोधकर्ताओं ने बुरांश की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है। इसमें कोविड-19 के संक्रमण के इलाज की संभावना सामने आई है. शोध टीम के निष्कर्ष हाल ही में बायोमॉलिक्युलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
आईआईटी मंडी स्कूल ऑफ बेसिक साइंस में एसोसिएट प्रोफेसर श्याम कुमार मसाकापल्ली के मुताबिक उपचार के विभिन्न एजेंटों का अध्ययन किया जा रहा है। उनमें पौधे से प्राप्त रसायन फाइटोकेमिकल्स से विशेष उम्मीद है क्योंकि उनके बीच गतिविधि में सिनर्जी है और प्राकृतिक होने के चलते विषाक्त करने की कम समस्याएं पैदा होती हैं। हम बहु-विषयी दृष्टिकोण से हिमालयी वनस्पतियों से संभावित अणुओं की तलाश कर रहे हैं।’
पंखुड़ियों में वायरस रोधी गुण..
आईआईटी मंडी और आईसीजीईबी के वैज्ञानिकों ने वायरस रोकने के मद्देनजर शोध में विभिन्न फाइटोकेमिकल्स युक्त अर्क का वैज्ञानिक परीक्षण किया। उन्होंने बुरांश की पंखुड़ियों से फाइटोकेमिकल्स निकाले और इसके वायरस रोधी गुणों को समझने के लिए जैव रासायनिक परीक्षण और कंप्यूटेशनल सिमुलेशन का अध्ययन किया। आईसीजीईबी के रंजन नंदा ने बताया, ‘हमने हिमालय की वनस्पतियों से प्राप्त रोडोड्रेंड्रॉन अर्बोरियम की पंखुड़ियों के फाइटोकेमिकल का प्रोफाइल तैयार किया और परीक्षण किया. इनमें कोविड वायरस से लड़ने की उम्मीद दिखी है।