भूटान सरकार ने की पीएम मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की घोषणा..
देश-विदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। उन्हें जल्द ही एक और अंतरराष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाएगा।आपको बता दे कि भूटान सरकार ने पीएम मोदी को भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान Ngadag pel gi khorlo से सम्मानित करने की घोषणा की है। भूटान के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है।
जानकारी देते हुए भूटान पीएम कार्यालय ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिना किसी शर्त के दोस्ती, भूटान के लिए उनके समर्थन और विशेष तौर पर कोरोना महामारी के दौरान की गई मदद के लिए भूटान ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित करने का फैसला लिया है। उनका कहना हैं कि भूटान का हर नागरिक उन्हें इसके लिए बधाई दे रहा है। इस उपलब्धि पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पीएम मोदी को बधाई दी है।
लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना को केंद्र सरकार की मंजूरी..
उत्तराखंड: पिथौरागढ़ के नैनी सैनी हवाई अड्डे का संचालन और रखरखाव के लिए भारतीय विमानन प्राधिकरण अधिग्रहण करेगा। जिससे हवाई अड्डे का विस्तार होने से यहां पर बड़े विमानों की आवाजाही शुरू हो सकेगी। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस संबंध में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को पत्र भेज कर अवगत कराया है।
कैबिनेट मंत्री महाराज ने केंद्रीय मंत्री को 18 नवंबर को पत्र लिख कर पिथौरागढ़ के नैनी सैनी, चमोली जिले के गौचर और उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौंड हवाई अड्डे को भारतीय विमानन प्राधिकरण के अधीन लाने का मामला उठाया था। इसके अलावा जौलीग्रांट एयरपोर्ट के नवनिर्मित टर्मिनल के उद्घाटन अवसर पर महाराज ने इस मामले को केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखा था।
आपको बता दे कि केंद्रीय मंत्री ने महाराज को पत्र भेज कर अवगत कराया कि नैनी सैनी हवाई अड्डे का अधिग्रहण कर भारतीय विमानन प्राधिकरण संचालन और रखरखाव को अपने हाथों में ले सकता है। गौचर और चिन्यालीसौंड हवाई अड्डों के पास सीमित भूमि है। जिससे दोनों हवाई अड्डों के विकास की गुंजाइश कम है।
दोनों की हवाई अड्डों का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है। महाराज का कहना है कि नैनी सैनी हवाई अड्डा भारतीय विमानन प्राधिकरण अधीन होने से अवस्थापना विकास के साथ विस्तार हो सकेगा। जिससे नैनी सैनी के लिए ज्यादा सीटर विमानों आवाजाही बढ़ेगी। इससे पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को हवाई सेवाओं का लाभ मिलेगा।
वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लखवाड़ बहुउद्देश्यीय जल विद्युत परियोजना को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राष्ट्रीय महत्व की परियोजना जल्द पूरी होगी। वर्षों से लंबित इस परियोजना पर प्रधानमंत्री की इच्छाशक्ति से राष्ट्र हित में निर्णय लिया गया। 90 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण की इस परियोजना से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान राज्य लाभान्वित होंगे।
इससे इन सभी राज्यों को पानी की आपूर्ति हो सकेगी। परियोजना के जल घटक का लाभ छह राज्यों को मिलेगा तथा विद्युत घटक का लाभ उत्तराखंड को मिलेगा। जलघटक का 90 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा अनुदान सहायता के रूप में दिया जाएगा।
तिलवाड़ा की बदलेगी तस्वीर, हेलंग-मारवाड़ी बाईपास मार्ग के निर्माण की जगी उम्मीद..
उत्तराखंड: अब रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर तिलवाड़ा कस्बे में 10 मीटर चौड़ीकरण सहित दो बाईपास व अन्य रुके हुए कार्य शुरू हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश के बाद यह कार्य शुरू हो जाएंगे। एनएच अधिकारियों का कहना हैं कि आला स्तर पर निर्देश मिलते ही हाईवे चौड़ीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल चारधाम ऑलवेदर रोड परियोजना में अब रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे भी चकाचक हो जाएगा।
यहां तिलवाड़ा कस्बे में जहां 14 मीटर भूमि अधिग्रहण के बाद सड़क 10 मीटर ब्लैक टॉप होगी। साथ ही तीन किमी लंबे अगस्त्यमुनि बाईपास और 12 किमी लंबे कुंड-ल्वारा-गुप्तकाशी बाईपास का कार्य भी फिर से शुरू हो जाएगा।
आपको बता दे कि यहां दोनों जगहों पर पिछले लंबे समय से कार्य रुका हुआ था। हाईवे पर फाटा स्थित डोलिया मंदिर और सीतापुर में भी दो से तीन सौ मीटर के पैच पर मानकों के तहत 10 मीटर चौड़ाई और अन्य सुरक्षा कार्य हो सकेंगे। एनएच के अधिशासी अभियंता केएस असवाल का कहना हैं कि अभी तक लिखित में कोई आदेश नहीं आया है। लेकिन, माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड की एक समान चौड़ाई और बाईपास निर्माण का कार्य निर्विघ्न हो सकेगा।
बता दे कि पिछले तीन वर्ष से तिलवाड़ा बाजार क्षेत्र में सड़क की चौड़ाई को लेकर चल रहा संशय भी खत्म हो गया है। यहां पर पहले 24 मीटर भूमि अधिग्रहण की बात कही गई थी। लेकिन बाद में 14 मीटर भूमि अधिग्रहण की गई, जिसके तहत अब 10 मीटर हाईवे की चौड़ाई की जाएगी। इसके लिए जरूरी कार्रवाई आला स्तर से मिलने वाले दिशा-निर्देशों के तहत होगा। उनका कहना हैं कि हाईवे पर शुरूआती 17 किमी जवाड़ी बाईपास से अगस्त्यमुनि तक मुआवजा के लिए रिवाइज प्रस्ताव भेजा गया है। साथ ही अलकनंदा नदी पर मोटर पुल के दोनों तरफ के पुश्तों के निर्माण के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे जा चुके हैं।
सकारात्मक फैसला न लेने की वजह से बैंककर्मियों की दो दिवसीय हड़ताल..
उत्तराखंड: महासंघ युनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के आह्वान पर आज और कल राष्ट्रीयकृत बैंकों के बैंककर्मी हड़ताल पर रहेंगे। ऐसे में इन बैंकों में 16 और 17 दिसंबर को कोई कामकाज नहीं होगा। इसके साथ ही उत्तराखंड ग्रामीण बैंकों ने दो दिवसीय हड़ताल को नैतिक समर्थन देने का फैसला लिया है।
बैंककर्मियों का कहना हैं कि शीतकालीन सत्र में बैंकिंग अधिनियमों में परिवर्तन कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने की सरकार की मंशा का हम सख्त विरोध करते हैं। लंबे समय से आंदोलन करने के बाद भी सरकार की ओर से कोई सकारात्मक फैसला न लेने की वजह से दो दिवसीय हड़ताल करने का फैसला लिया गया है।
आपको बता दे कि 16-17 दिसंबर को राष्ट्रीयकृत बैंकों के बैंककर्मी एस्लेहाल स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के सामने हड़ताल कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। बैंककर्मियों ने कहा कि बैंकों का निजीकरण होने से बैंककर्मियों के साथ ही लोगों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। यूएफबीयू के संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल का कहना हैं कि बैंकों का निजीकरण कर सरकार कॉर्पोरेट पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती है। इसके विरोध में 16-17 दिसंबर को बैंककर्मी हड़ताल पर रहेंगे।
उनका कहना हैं कि सरकारी बैंक आम नागरिकों को सस्ती बैंकिंग सेवा उपलब्ध कराते हैं। लेकिन इन बैंकों का निजीकरण होने से जहां एक ओर लोगों को महंगी बैंकिंग सेवाएं मिलेंगी। उसके साथ ही इसका रोजगार पर भी बुरा असर पड़ेगा।
उधर, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक अधिकारी संगठन के महासचिव भुवनेंद्र बिष्ट ने कहा कि बैंकों के दो दिवसीय हड़ताल का संगठन नैतिक समर्थन करता है। हालांकि बैंकों में कामकाज जारी रहेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने फरवरी में पेश केंद्रीय बजट में घोषणा की थी कि दो सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा। सरकार अपने विनिवेश कार्यक्रम के तहत यह निजीकरण करने जा रही है।
थलीसैंण से देहरादून आते वक़्त हादसे का शिकार हुआ स्वास्थ्य मंत्री धनसिंह रावत का वाहन..
उत्तराखंड: स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का वाहन थलीसैंण में हादसे का शिकार हो गया है। जानकारी के अनुसार वह देहरादून आ रहे थे तभी रास्ते में उनका वाहन हादसे का शिकार हो गया। जिसके बाद वह दूसरे वाहन से देहरादून आये। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत थलीसैंण में विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करने के बाद देहरादून लौट रहे थे। यहां बुआखाल-रामनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भरसार व चौंरीखाल के बीच लट्ठीगाड नामक स्थान पर उनका वाहन पाले की चपेट में आकर पलट गया।
वाहन में मंत्री रावत के साथ राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह रावत, राज्य सहकारी संबंध अध्यक्ष मातवर सिंह व मंत्री के जन संपर्क अधिकारी सवार थे। वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने पर फ्लीट में शामिल अन्य लोगों ने मंत्री व अन्य को वाहन से रेस्क्यू किया। डीएम पौड़ी डा. विजय कुमार जोगदंडे का कहना हैं कि वाहन दुर्घटना में मंत्री सहित सभी लोग सुरक्षित हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सभी का स्वास्थ्य परीक्षण कर लिया है। डीएम जोगदंडे ने कहा स्वास्थ्य मंत्री को देहरादून छोड़ने के लिए वाहन व्यवस्था कर ली गई है।
केदारनाथ में होने जा रहा हैं शानदार काम, सीवरेज सिस्टम भी हो रहा तैयार..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप नए कलेवर में निखर रही केदारपुरी को प्लास्टिक फ्री जोन बनाया जाएगा। इसके लिए सरकार ने का भी शुरू कर दिया हैं। प्लास्टिक कचरा प्रबंधन को वहां ठोस कदम तो उठाए ही जाएंगे, केदारपुरी को प्लास्टिक की बोतलों से निजात दिलाने के मद्देनजर श्रद्धालुओं को तांबे की बोतलें उपलब्ध कराई जाएंगी। इनके डिजाइन और लागत के सिलसिले में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से संपर्क साधा जा रहा है। बोतलों का निर्माण अल्मोड़ा और बागेश्वर के ताम्र शिल्पियों से कराया जाएगा।
जून 2013 की आपदा में तबाह हुई केदारपुरी का पुननिर्माण प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। केदारपुरी में प्रथम चरण के पुनर्निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके हैं और द्वितीय चरण के चल रहे हैं। इन कार्यों की बदौलत केदारपुरी नए कलेवर में निखर चुकी है और श्रद्धालुओं के अधिक आकर्षण का केंद्र बनी है। केदारनाथ में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या इसका उदाहरण है। यही नहीं, प्रधानमंत्री ने सिंगल यूज प्लास्टिक के निस्तारण की मुहिम भी शुरू की है। यह केदारपुरी में भी आकार लेगी।
केदारपुरी को प्लास्टिक फ्री जोन बनाने के लिए वहां प्लास्टिक को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाएगा। इस कड़ी में श्रद्धालुओं को जागरूक करने के साथ ही प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन को कदम उठाए जाएंगे। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर का कहना हैं कि इसकी कार्ययोजना तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर श्रद्धालु पीने के पानी के साथ ही केदारनाथ से मंदाकिनी व सरस्वती नदियों के संगम का पवित्र जल ले जाने के लिए प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग करते हैं। प्लास्टिक की बोतलों से धाम को मुक्त करने के लिए तांबे की बोतलों को महत्व देने की योजना है।
सचिव पर्यटन जावलकर का कहना हैं कि केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं को पानी के लिए तांबे की बोतलें उपलब्ध कराने की योजना है। प्रयास ये रहेगा कि ये रियायती दर पर श्रद्धालुओं को मिलें। इसी क्रम में तांबे की बोतलों के डिजाइन और लागत के सिलसिले में डीआरडीओ से संपर्क किया जा रहा है। बोतलों के निर्माण के लिए अल्मोड़ा व बागेश्वर के ताम्र शिल्पियों से बातचीत चल रही है।
डिजाइन व लागत का विषय हल होने पर इनके माध्यम से ही बोतलें बनवाई जाएंगी, जिससे उन्हें रोजगार उपलब्ध होगा और श्रद्धालुओं को सुविधा। सचिव पर्यटन के अनुसार केदारपुरी में सीवरेज सिस्टम भी तैयार किया जा रहा है। इसमें उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अपनाई जाने वाली तकनीक को अपनाया जा रहा है। इसके आकार लेने पर सीवरेज का भी निस्तारण हो सकेगा।
विशेषज्ञों ने दी पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर बड़े जोखिम की चेतावनी..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट का कार्य अगले एक साल में पूरा होने वाला हैं। लेकिन इसी बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर 2013 जैसी स्थिति फिर से आती है तो चल रहे भारी निर्माण से और परेशानी हो सकती हैं। आपको बता दे कि 2013 में भारी बारिश के कारण आई आपदा ने उत्तराखंड में व्यापक तबाही मचाई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, केदारनाथ तीर्थ क्षेत्र ‘अत्यधिक नाजुक और अस्थिर इलाका’ है और निर्माण कार्य 2013 की बाढ़ से जमा हुए मलबे पर किया जा रहा है।
तीर्थ क्षेत्र में पुनर्निर्माण कार्यों में लगे उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों और एजेंसियों का कहना है कि मास्टर प्लान का कार्यान्वयन 2022 के अंत तक समाप्त हो जाएगा। कुछ प्रमुख परियोजनाओं के साथ काम आधे रास्ते पर पहुंच गया है. इनमें एक बहु-सुविधा अस्पताल और एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) शामिल हैं। राज्य के पर्यटन सचिव और केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के नोडल अधिकारी दिलीप जावलकर का कहना हैं कि कार्यों की निगरानी खुद प्रधानमंत्री कर रहे हैं।
जावलकर ने कहा, ‘हमारे पास सीमित समय है, साल में 6-7 महीने, केदारपुरी में काम करने के लिए मौसम की स्थिति के अलावा, यह वह समय भी है जब चार धाम की यात्रा होती है। इन सभी बाधाओं के बावजूद भी तीर्थ क्षेत्र में मास्टर प्लान निर्माण कार्य 2022 के तीर्थयात्रा सीजन के अंत तक समाप्त हो जाएगा।बता दे कि दीपावली से पहले पहला चरण समाप्त हो गया था, जबकि दूसरे चरण के कार्यों का उद्घाटन 5 नवंबर को केदारनाथ यात्रा पर पीएम ने किया था।
आपको बता दे कि 2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार को प्रस्तुत की गई जांच और रिपोर्ट का हिस्सा रहे विशेषज्ञों का कहना हैं कि केदारपुरी द्वीप में चल रहे निर्माण कार्यों से भविष्य में स्थिति फिर से उभरने पर और अधिक परेशानी हो सकती है। उन्होंने चेतावनी भी दी कि यहां तक कि तीन स्तरीय सुरक्षा दीवारें भी मदद नहीं करेंगी क्योंकि दोनों तरफ नदी के किनारे इतने उथले थे कि बाढ़ के पानी को केदारपुरी की ओर ले जाने में मदद कर सकते हैं।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक और ग्लेशियोलॉजिस्ट डी.पी. डोभाल का कहना हैं कि 2013 की बाढ़ से जमा हुए मलबे पर सभी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। केदारपुरी के नाम से जाना जाने वाला मंदिर क्षेत्र एक वी-आकार की घाटी है। यह बेहद नाजुक और अस्थिर इलाका है। मंदिर के ऊपर ग्लेशियर क्षेत्र में स्थित चोराबाड़ी झील के बाद जमा हुए विशाल मलबे पर निर्माण किया जा रहा है, जिससे भारी तबाही हुई है।
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सरकार के कार्यों पर ज्यादा नहीं बोल सकता लेकिन निर्माण कार्यों का सहारा लेने से पहले मलबे को कम से कम 8-10 साल तक बसने देना चाहिए था। डोभाल का कहना हैं कि केदारपुरी के आस-पास मंदाकिनी और सरस्वती दोनों नदियों ने 2013 की आपदा के बाद अपने स्वरुप बदल दिए थे, और परिणामस्वरूप उथले तल हैं। उनका कहना हैं कि अगर 2013 जैसी स्थिति फिर से आती है तो सुरक्षा दीवारें भी मदद नहीं करेंगी। सुरक्षा दीवारें चट्टान काटने वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, न कि केदारनाथ जैसे दलदली और अस्थिर इलाके के लिए।
वाडिया इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना हैं कि 2013 में बारिश की आपदा ने केदारनाथ और घाटी के आसपास के इलाकों में कई भूस्खलन क्षेत्र भी बनाए। वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, ‘इसी तरह की रिपोर्ट भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा भी तैयार की गई थी। इससे भविष्य में परेशानी होना तय है। तीर्थ स्थल पर भारी निर्माण कार्य करने की क्या मजबूरी थी? यदि तीर्थयात्रियों को बहुत अधिक समय तक वहां रहने की अनुमति नहीं है तो बड़े निर्माण की आवश्यकता नहीं है।
वाडिया संस्थान की रिपोर्ट
2013 की आपदा के बाद केदारनाथ पर अध्ययन रिपोर्टों ने केदारनाथ में निर्माण का कड़ा विरोध किया है। सितंबर 2013 में वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान द्वारा उत्तराखंड को प्रस्तुत केदारनाथ तबाही पर एक तकनीकी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पूरा केदारनाथ शहर क्षतिग्रस्त हो गया है और इस अचानक बाढ़ के कारण बड़ी संख्या में नए विकसित भूस्खलन के कारण नाजुक हो गया है। इसलिए यह दृढ़ता से अनुशंसा की जाती है कि भविष्य में मंदिर के आसपास किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं दी जाए।
नए जमा किए गए हिमनद-तरल सामग्री को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। इस विशाल मलबे को हटाने और डंप करने के लिए क्षेत्र में पर्याप्त जगह या मशीनरी नहीं है, राज्य सरकार इसे एक रॉक पार्क बनाने के बारे में सोच सकती है जो न केवल शहर को ऐसी भविष्य की आपदाओं से बचाएगा, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जन जागरूकता के लिए इस तबाही की यादें भी रखेगा।
प्रथम व द्वितीय चरण का कार्य
केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के पहले चरण में मंदिर को सीधे केदारपुरी उपनगर के शुरुआती बिंदु से जोड़ने वाली 70 फीट चौड़ी और 840 फीट लंबी कंक्रीट सड़क शामिल थी। केदारपुरी मंदाकिनी और सरस्वती नदियों से घिरा हुआ है, जो 2013 की बाढ़ का मुख्य कारण था, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 5,000 मौतें हुईं, सरस्वती के साथ लगभग 850 फीट लंबी तीन-स्तरीय रिटेनिंग वॉक का निर्माण और मंदाकिनी नदी के किनारे 350 फीट की सुरक्षा कवर पहले चरण के कार्यों की अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं थीं।
सरस्वती और मंदाकिनी के संगम पर निर्मित एक गोलाकार आगमन प्लाजा और केदारनाथ मंदिर के सामने एक मंदिर प्लाजा पहले चरण में पूरी की गई दो अन्य बड़ी संरचनाएं थीं। आगमन प्लाजा केदारपुरी के प्रवेश बिंदु को चिह्नित करता है, जहां से मंदिर की सड़क निकलती है, जो मंदिर प्लाजा की ओर बढ़ती है। संगम पर तीर्थयात्रियों के लिए एक घाट और तीर्थ पुरोहितों (तीर्थ पुरोहितों) के लिए कुछ घरों को भी पुनर्निर्माण के पहले चरण में पूरा किया गया था। दूसरे चरण के कार्यों में एक ऑपरेशन थियेटर, एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, एक नया पुल और संगम पर तीर्थयात्रियों के घाट सहित आधुनिक सुविधाओं वाला एक बड़ा अस्पताल भी शामिल है।
भाजपा की कैंट विधानसभा सीट पर अब कौन संभालेगा विरासत?
नए चेहरे को लेकर चर्चाएं शुरू हुई..
कांग्रेस ने तमाम बड़े नेता मैदान में उतारे लेकिन हरबंस कपूर को नहीं हरा पाए..
उत्तराखंड: देहरादून कैंट विधानसभा से लगातार चार बार विधायक रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री हरबंस कपूर के निधन के साथ ही कैंट सीट पर अब विरासत संभालने को लेकर चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। कैंट विधानसभा सीट भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती हैं हालांकि भाजपा वक्त आने पर अपने पत्ते खोलेगी।
आपको बता दे कि कैंट विधानसभा सीट पर जीत 32 साल से कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के लिए एक सपना है। कांग्रेस ने तमाम बड़े नेता कैंट विधानसभा सीट के मैदान में उतारे लेकिन कोई भी हरबंस कपूर को नहीं हरा पाया। 1989 में कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट, 1991 में विनोद, 1993 और 1996 में दिनेश अग्रवाल, 2002 में संजय शर्मा, 2007 में लालचंद शर्मा, 2012 में देवेंद्र सिंह सेठी और 2017 में सूर्यकांत धस्माना को हराकर रिकॉर्ड कायम करने वाले हरबंस कपूर की कुर्सी खाली हो चुकी है। हालांकि कैंट विधानसभा में भाजपा के पास करीब दस दावेदार हैं, लेकिन पार्टी आगामी चुनाव में भी हरबंस कपूर को ही टिकट देने की तैयारी में थी। उनके अचानक निधन से भाजपा को एक बहुत बड़ा झटका लगा है।
लेकिन अब सवाल यहां हैं कि भाजपा टिकट किसे देगी। हरबंस कपूर के परिवार के नजरिए से देखा जाये तो, उनकी पत्नी सविता कपूर मजबूत दावेदार कही जा सकती हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार पत्नी की दावेदारी की दो प्रमुख वजह हैं। एक वजह तो यह है कि वह पति के साथ ही लगातार सामाजिक संगठनों, कार्यक्रमों का हिस्सा बनी रही हैं। दूसरी यह है कि संघ में भी उनकी अच्छी पकड़ है। परिवार में दूसरा विकल्प उनका बेटा अमित कपूर है। परिवार के दोनों सदस्यों के लिए सकारात्मक बिंदु यह भी है कि विधायक कपूर के निधन से सिम्पैथी वोट भी मिलेगा। लेकिन अब यह आने वाला समय ही बताएगा कि पार्टी, कपूर परिवार को ही विरासत सौंपेगी या किसी अन्य को मैदान में उतारेगी।
आंदोलन की राह पर चलने को बिजली कर्मी फिर तैयार, मांगों पर कार्रवाई न होने से नाराज..
उत्तराखंड: ऊर्जा मंत्री के साथ सहमति बनने के दो माह बाद भी कार्रवाई न होने से ऊर्जा कर्मी फिर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इस संबंध में कार्मिक जल्द आंदोलन का नोटिस भेज सकते हैं। पुरानी एसीपी, पुरानी पेंशन समेत विभिन्न मांगों पर कार्रवाई न होने से ऊर्जा कर्मियों में आक्रोश है।
आपको बता दे कि रविवार को उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले ऊर्जा कर्मियों की बैठक ईसी रोड स्थित कार्यालय में हुई। बैठक में कार्मिकों ने भविष्य की रणनीति पर विमर्श किया। वक्ताओं का कहना हैं कि ऊर्जा के तीनों निगमों में वर्ष 2017 में सातवां वेतनमान लागू किए जाने के समय से ही पूर्ववर्ती तिथि से कर्मचारियों को मिल रहे वेतनमान व एसीपी की पुरानी व्यवस्था को समाप्त कर दिया था, इसमें नौ, 14, 19 वर्ष में तीन प्रोन्नत वेतनमान दिए जा रहे थे।
यह सेवा शर्तों का उल्लंघन था, जिसके विरोध में कर्मचारियों ने शांतिपूर्ण आंदोलन किया था, लेकिन जब कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो संगठनों ने मार्च 2021 में 14 सूत्री मांग पत्र के माध्यम से तीनों ऊर्जा निगम प्रबंधन को समस्या से अवगत कराया। इसके बाद कार्यबहिष्कार समेत हर प्रकार से मांगों को लेकर आवाज उठाई गई।
ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में हुए समझौते के अनुपालन की आशा में कर्मचारियों ने पिछले दो माह से कोई आंदोलन नहीं किया, लेकिन शासन कर्मचारियों के धैर्य की परीक्षा ले रहा है। लेकिन अब ऊर्जा कर्मियों का कहना हैं कि अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो जल्द ही दोबारा आंदोलन शुरू किया जाएगा।
पाकिस्तानी आतंकियों ने नई चाल, महिलाओं को बना रहा ढाल..
देश-विदेश: सेना ने आरएसपुरा इलाके में महिला पाकिस्तानी घुसपैठिए को मार गिराया है। इसके साथ ही इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया है। जानकारी के अनुसार सीमा पार से कुछ लोगों ने भारतीय इलाके में घुसने की कोशिश की। इलाके में गश्त कर रहे जवानों ने जब संदिग्ध हलचल देखी तो उन्हें चेतावनी दी। लेकिन घुसपैठियों ने इसे अनसुना कर दिया। जब घुसपैठिए भारतीय इलाके में पहुंचे तो जवानों ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह भागने लगे। इस बीच उसकी गोली लगने से एक की मौत हो गई। सर्च अभियान के बाद पता चला कि घुसपैठिया महिला थी। इसके बारे में एजेंसियां जांच कर रही हैं।
बीएसएफ प्रवक्ता का कहना हैं कि आरएसपुरा सेक्टर में एक महिला पाकिस्तानी घुसपैठिए को मार गिराया गया है। बीएसएफ के जवानों ने संदिग्ध हरकत के बाद घुसपैठिए को कई बार आईबी पार न करने की चेतावनी दी लेकिन वह फेंसिंग की तरफ लगातार बढ़ती रही। जिसके बाद से इलाके में तलाशी अभियान जारी है।
डीजीपी बोले, घाटी में कुछ पाकिस्तानी आतंकी घुसे, जल्द करेंगे सफाया..
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह का कहना हैं कि कुछ आतंकी घुसपैठ में कामयाब हुए हैं। घाटी में उन्हें तलाश कर जल्द ढेर किया जाएगा। उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले में शुक्रवार को आतंकी हमले में शहीद हुए दोनों पुलिस कर्मियों के परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त करने शनिवार को डीजीपी दिलबाग सिंह उनके घर पहुंचे। उनके साथ कश्मीर रेंज के आईजीपी विजय कुमार, डीआईजी एनकेआर, पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। आतंकी हमले में सोपोर के ड्राइवर मोहम्मद सुल्तान और लोलपुरा लोलाब कुपवाड़ा के फैय्याज अहमद शहीद हो गए थे।
डीजीपी ने कहा कि पुलिस लोगों की सुरक्षा और आतंक रोधी अभियानों में सेना व अर्द्धसैनिक बलों से समन्वय कर काम करती है। इसी के चलते आतंकी पुलिस को निशाना बनाने की फिराक में रहते हैं। उन्होंने बांदीपोरा हमले को लेकर कहा कि हमले से संबंधित कुछ सुराग हाथ लगे हैं, जिस पर पुलिस काम कर रही है। डीजीपी ने कहा कि लगातार उत्तरी कश्मीर में ऑपरेशन जारी है।