देहरादून। पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) के पद पर पदोन्नत होने के बावजूद लम्बे समय से राजधानी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) की कुर्सी पर बैठे रहे अरुण मोहन जोशी का आखिरकार तबादला हो गया। उन्हें DIG, सतर्कता, पीएसी व एटीसी के पद पर स्थानांतरित किया गया है। देहरादून के SSP की कुर्सी योगेंद्र सिंह रावत को सौंपी गई है।
प्रदेश सरकार ने गुरूवार को पांच IPS अधिकारियों के कार्यभार में फेरबदल किया है। इस फेरबदल में DIG गढ़वाल की जिम्मेदारी संभाल रहे IG स्तर के अधिकारी अभिनव कुमार को प्रभारी अपर पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) के रूप में पुलिस मुख्यालय भेज दिया गया है।
पुलिस उप महानिरीक्षक, सतर्कता व पीएसी के पद पर तैनात नीरू गर्ग को DIG गढ़वाल परिक्षेत्र का प्रभार दिया गया है। देहरादून के SSP बनाये गए योगेंद्र सिंह रावत की जगह पर तृप्ति भट्ट को टिहरी के SSP के पद पर स्थानांतरित किया गया है। तृप्ति के पास अभी तक SDRF के सेनानायक की जिम्मेदारी थी
देहरादून। 21 दिसम्बर से प्रारंभ होने वाले उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विधायकों को सत्र में भाग लेने से पहले कोरोना का आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना अनिवार्य होगा। यही नहीं सत्र के दौरान किसी भी गैर सरकारी व्यक्ति को विधान सभा परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यह जानकारी विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान दी। उन्होंने कहा कि सत्र में भाग लेने से पहले सभी विधायकों को अपने क्षेत्रों में अथवा देहरादून स्थित विधायक निवास में कोरोना का रैपिड टेस्ट, आरटी-पीसीआर कराना अनिवार्य होगा। सत्र के दौरान टेस्ट की रिपोर्ट विधायकों द्वारा विधानसभा को देनी होगी।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा के अधिकारियों एवं कर्मचारियों एसओपी का पालन करना होगा। साथ ही प्रवेश द्वार पर सभी आगंतुकों का थर्मल स्कैनिंग की जाएगी। सत्र के दौरान पूरे विधान सभा परिसर को सैनिटाइज करवाया जाएगा।
उन्होंने बताया कोविड-19 के दृष्टिगत शीतकालीन सत्र के दौरान पत्रकार दीर्घा, दर्शक दीर्घा एवं अधिकारी दीर्घा में किसी व्यक्ति को प्रवेश पत्र जारी नहीं किया जाएगा। सत्र के दौरान गैर सरकारी व्यक्तियों को परिसर में प्रवेश की अनुमति प्राप्त नहीं होगी।
विधानसभा परिसर में विधायकों के साथ आने वाले सहवर्ती का प्रवेश वर्जित किया गया है। पूर्व विधायकों को भी परिसर में आने से बचने का अनुरोध किया गया है। सत्र के दौरान अधिकारियों को विधानसभा परिसर में अलग हॉल में बैठने की व्यवस्था की जाएगी, जिसमें की स्क्रीन के माध्यम से सत्र का लाइव प्रसारण दिखाया जाएगा।
विधानसभा की कार्यवाही प्रिंट मीडिया को समाचार एजेंसी पीटीआई तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को एएनआई तथा सूचना विभाग के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी। मीडिया कर्मियों को विधानसभा परिसर के बाहर मीडिया हाउस की व्यवस्था की जाएगी।
इससे पूर्व, विधान सभा अध्यक्ष अग्रवाल ने विधान सभा सत्र की तैयारियों को लेकर उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने विधानसभा सचिवालय और पुलिस विभाग के अधिकारियों को सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चाकचौबंद रखने के निर्देश दिए। उन्होंने रेस कोर्स स्थित विधायक निवास में सुरक्षा, स्वच्छता को लेकर भी अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने को कहा।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुलिस महानिरीक्षक अजय प्रकाश अंशुमान, स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे, सचिव आईटीडीए अमित सिन्हा, सचिव बीएस मनराल, जिला अधिकारी आशीष श्रीवास्तव, सूचना महानिदेशक डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके डिमरी, अपर नगर आयुक्त मोहन सिंह, अपर सचिव प्रशासन प्रताप सिंह शाह, एसएसपी अरुण मोहन जोशी, विधान सभा के प्रभारी सचिव मुकेश सिंघल सहित शासन एवं विभिन्न विभाग के उच्च अधिकारी मौजूद थे।
हरिद्वार। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों के हित में लाये गये कानून है। किसानों की आय दुगनी करने का केंद्र सरकार ने जो लक्ष्य रखा है, उसे प्राप्त करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानून के माध्यम से किसानों को स्वतंत्रता प्रदान की गयी है, अब किसान को जहां अच्छा मूल्य मिलेगा, वहां अपनी फसल बेचेगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र बुधवार को यहां ऋषिकुल मैदान में भाजपा किसान मोर्चा द्वारा आयोजित किसान सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञानी एम.एस.स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ये कानून बनाये गए हैं, जो किसानों के व्यापक हित में हैं।
नए कानूनों में किसानों के लिए अनेक विकल्प रखे गये हैं। पहले किसान की उपज की केवल मण्डी ही खरीदारी करती थी। मगर नए कानून लागू होने के बाद आज उसके लिए ओपन मार्केट की व्यवस्था हो गई है।
उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को दूर करने हेतु उनसे लगातार वार्ता कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। प्रदेश में सरकारी गन्ना मिलों द्वारा किसानों को सौ प्रतिशत गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया गया है। धान मूल्य का भुगतान आरटीजीएस के माध्यम से बिल प्राप्त होने के 24 घण्टे के अन्दर किसानों के खाते में किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में निजी क्षेत्र की बन्द पड़ी इकबालपुर शुगर मिल को 36 करोड़ की गारन्टी देकर खुलवाया है, ताकि किसानों को उनके गन्ना मूल्य का भुगतान हो सके। राज्य में खाद्य की सब्सिडी दो साल पहले से ही दी जा रही है। किसानों को 03 लाख तक का ऋण एवं किसानों समुहों को 05 लाख तक का ऋण बिना ब्याज का दिया जा रहा है।
कार्यक्रम में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, भाजपा प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार, विधायक यतीश्वरानन्द, कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन, देशराज कर्णवाल, सुरेश राठौर, प्रदीप बत्रा, आदेश चौहान एवं संजय गुप्ता आदि भी उपस्थित थे।
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की बैठक में जनपद बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक व आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने एवं पलायन को कम करने हेतु आयोग द्वारा की गई सिफारिशों से सम्बन्धित पुस्तिका का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पलायन आयोग द्वारा पलायन के मूल कारणों से सम्बन्धित दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट से ही स्पष्ट था कि इसके लिए मुख्यतः शिक्षा व स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा एवं रोजगार की कमी रही है। उन्होंन कहा कि आयोग के सुझावों पर राज्य सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जा रहे है। उन्होंने कहा कि आयोग को वर्किंग एजेन्सी के रूप में नहीं, अपितु राज्य से पलायन रोकने तथा ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिये थिंकटेक के रूप में कार्य करना होगा।
बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट के सम्बन्ध में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ0 एस0एस0नेगी ने बताया कि जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार जनपद बागेश्वर की जनसंख्या 2,59,898 है, इनमें 1,24,326 पुरूष तथा 1,35,572 महिलाएं है। पिछले 10 वर्षों में 346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 व्यक्तियों द्वार अस्थायी रूप से पलायन किया गया है। पिछले 10 वर्षों में 195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों द्वार पूर्णरूप से स्थायी पलायन किया गया है। आंकड़े दर्शाते है कि जनपद के सभी विकास खण्डों में स्थायी पलायन की तुलना में अस्थायी पलायन अधिक हुआ है। जनपद की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 के लिए अनन्तिम रूप से 1,00,117 रूपये है।
आयोग द्वारा जनपद हेतु जो सिफारिशें रखी हैं उनमें प्रमुख रूप से पशुधन की गुणवत्ता में सुधार लाने, दुग्ध उत्पादन और उससे जुड़े व्यवसायों का प्रशिक्षण, होम स्टे, इकोटूरिज्म, पर्यटन से जुड़े कौशल विकास प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाने की बात कही है। इसके साथ ही मनरेगा में समान अवसर और भागीदारी सुनिश्चित करके महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बनाए रखना, फसलों को जंगली जानवरों से बचाव के लिए बन्दरबाड़ों/सोलर पावर फैन्सिंग का निर्माण कराए जाने, औषधीय, सुगंधित पौंधों व जड़ी-बूटी की खेती और बागवानी पर जोर देने की सिफारिश की गई है।
इस अवसर पर आयोग के सदस्यों रामप्रकाश पैन्यूली, सुरेश सुयाल, दिनेश रावत घण्डियाल, अनिल सिंह शाही व रंजना रावत ने भी अपने सुझाव रखे।
मुख्यमंत्री ने की स्मार्ट सिटी परियोजना की समीक्षा, कार्यों को निर्धारित समय पर पूरा करने के निर्देश
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में देहरादून स्मार्ट सिटी योजना की समीक्षा की। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने स्मार्ट सिटी के अन्तर्गत कराये जा रहे सभी कार्यों को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूर्ण कराए जाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि स्मार्ट सिटी के तहत हो रहे सभी कार्यों में समयबद्धता के साथ ही गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने माॅडर्न दून लाईब्रेरी की धीमी गति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इसे शीघ्र पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों से आम जनता को कोई परेशानी न हो, यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए समय-समय पर ठेकेदारों आदि के साथ भी बैठक आयोजित की जानी चाहिए, ताकि उन्हें आ रही समस्याओं का भी निराकरण किया जा सके। उन्होंने देहरादून में वर्षा जल के संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर अधिक फोकस करने की जरुरत पर जोर दिया।
समार्ट सिटी के मुख्य कार्याधिकारी व जिला मजिस्ट्रेट आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि स्मार्ट सिटी परियोजना की कुल लागत रू0 1407 करोड़ है, जिसमें 100 प्रतिशत कार्यों की निविदाएं आमंत्रित कर ली गयी हैं और इनसे सम्बन्धित कार्यादेश भी जारी कर दिए गए हैं।
इस अवसर पर सचिव शैलेश बगोली, सुशील कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे नित्यानंद स्वामी की आठवीं पुण्यतिथि पर शनिवार को उन्हें याद कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। राजधानी देहरादून के अखिल भारतीय महिला आश्रम में पं.दीनदयाल उपाध्याय सेवा प्रतिष्ठान के तत्वाधान में हवन व कीर्तन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि नित्यानंद स्वामी ने प्रदेश के विकास के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया l उनके विचार आज भी प्रदेश के विकास के लिए प्रसांगिक है l
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के साथ बिताए गए दिनों को याद करते हुए कहा है कि स्वामी जी का उद्देश्य प्रदेश का विकास करना था l उन्होंने कहा है कि स्वामी जी ने अपने जीवन काल मे उपेक्षित, वंचित समाज को आगे लाकर मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य किया l
कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक हरबंस कपूर, विधायक खजान दास , विधायक विनोद चमोली, भारत विकास परिषद की सविता कपूर, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, शुभम वर्मा, स्वर्गीय नित्यानंद स्वामी की सुपुत्री ज्योत्सना शर्मा, सरस्वती सिंह, आरके बक्शी, गीतिका, विनायक शर्मा आदि सहित अनेक लोग उपस्थित थे l
मुख्य सचिव ओमप्रकाश की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में 1580 करोड़ की सौंग बांध पेयजल योजना के सम्बन्ध में उच्च अधिकार प्राप्त समिति की बैठक आयोजित हुई । बैठक के दौरान इस परियोजना के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन हेतु नीति का ड्राफ्ट भी प्रस्तुत किया गया।
बैठक में बताया गया कि सौंग बांध पेयजल परियोजना, सौंग नदी पर मालदेवता से 10 किमी अपस्ट्रीम में सौंदणा गांव में प्रस्तावित है। परियोजना की प्रस्तावित लागत 1580 करोड़ है। बांध की ऊँचाई 130.60 मी. एवं लम्बाई 225 मी. होगी। इससे निर्मित होने वाली झील की लम्बाई 3.5 कि.मी. तथा धारण क्षमता 264 लाख घनमीटर होगी।
परियोजना से देहरादून नगर की 10 लाख की जनसंख्या को वर्ष 2051 तक 150 एमएलडी पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। परियोजना से पेयजल आपूर्ति के बाद भूजल दोहन में कमी आएगी, जिसके फलस्वरूप नलकूपों के निर्माण, अनुरक्षण एवं संचालन में कमी के साथ ही इनके संचालन में विद्युत व्यय में भी कमी आएगी। बताया गया कि परियोजना के निर्माण से कुल 275 परिवार एवं 10.641 हैक्टेयर भूमि प्रभावित होगी।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि पुनर्वास नीति में परियोजना से प्रभावित परिवारों को बेहतर जीवन स्तर उपलब्ध कराने हेतु प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि देहरादूनवासियों को इस योजना का लाभ समय पर मिल सके, इसके लिए परियोजना को धरातल पर लाने हेतु शीघ्रअतिशीघ्र प्रयास किए जाएं। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
बैठक में सचिव नितेश झा, सौजन्या, सुशील कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
लगभग 9 साल पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दरिंदगी व गैंगरेप की शिकार हुई एक गुमनाम निर्भया के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पहल करेंगे। मुख्यमंत्री ने निर्भया के माता-पिता को आश्वासन दिया है कि प्रदेश सरकार उनकी हर प्रकार से सहायता करेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की इस पहल के बाद यह प्रकरण चर्चा में आ गया है।
बुधवार को निर्भया के माता-पिता ने देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र से भेंट की। निर्भया के माता-पिता से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटी के साथ जो हुआ, वह दिल दहलाने वाला था। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए उनका पूरा सहयोग किया जाएगा। राज्य सरकार पीड़िता के परिवार के साथ है और हर प्रकार की मदद के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री ने उन लोगों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से इस आवाज को उठाया है। उन्होंने अपील की कि जिस तरह से राज्यवासियों ने पहले भी दिल्ली में न्याय के लिए आवाज उठाने में पीड़ित परिवार का साथ दिया, अब भी इस आवाज को उठाने में पूरा सहयोग करेंगे। उल्लेखनीय है कि, निर्भया को न्याय दिलाने के लिए मीडिया पर काफी समय से #JusticeForKiranNegi अभियान चल रहा है।
क्या था प्रकरण
दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया कांड से लगभग दस माह पहले एक और लड़की किरण नेगी दरिंदों का शिकार बनी थी। मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी (गढ़वाल) की निवासी किरण नेगी अपने परिजनों के साथ दिल्ली के छावला में रहती थी। वह गुरुग्राम में एक कंपनी में नौकरी करती थी। उसकी आंखों में अपने भविष्य को लेकर तमाम स्वप्न थे।
9 फरवरी, 2012 की एक मनहूस शाम किरण अपनी अन्य सहेलियों के साथ नौकरी से वापस घर लौट रही थी। रास्ते में तीन दरिंदों ने अंधेरे का फायदा उठा कर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। किरण की सहेलियां किसी तरह से जान बचाकर वहां से भाग गई और किरण को दरिंदों ने एक कार में अगवा कर लिया। चार दिन बाद उसकी लाश हरियाणा से बरामद हुई।
दरिंदों ने किरण के साथ जो बर्ताव किया, उसे सुन कर किसी की भी रूह कांप जाएगी। दरिंदे उसे एक सुनसान जगह ले गए। वहां उन्होंने उससे बारी-बारी से बलात्कार किया। फिर हैवानियत की सारी हदों को पार करते हुए किरण को मौत के घाट उतार दिया। लड़की के सिर पर गाड़ी के जैक व पाने से लगातार प्रहार किए गए। लड़की की पहचान छिपाने के लिए उसके शरीर को दागा गया और बियर की बोतल तोड़ कर उसके शरीर पर तब तक वार किया गया, जब तक उन्होंने यह सुनिश्चित नहीं कर लिया की लड़की की मौत हो गई।
पुलिस ने कार व मोबाइल लोकेशन के आधार पर तीनों दरिंदों राहुल, रवि व विनोद को गिरफ्तार कर लिया। 19 फरवरी 2014 को द्वारका की एक अदालत ने तीनों दरिंदों को फांसी की सजा सुनाई। अदालत में अभियोजन पक्ष ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ बताते हुए दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए कहा था कि ऐसे लोगों को जिंदा रहने दिया गया तो समाज में गलत सन्देश जाएगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी दोषियों की सजा को बरकरार रखा था। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट में यह प्रकरण विचाराधीन है।
किरण के माता-पिता अपराधियों को शीघ्र मृत्यु दंड दिलाने के लिए लगातार संघर्षरत हैं। किरण के माता-पिता को न्याय दिलाने के लिए दिल्ली स्थित विभिन्न प्रवासी उत्तराखंडियों के संगठन भी सक्रिय हैं। गत वर्ष दिल्ली-एनसीआर में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों ने प्रकरण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय संग्रहालय से इंडिया गेट तक कैंडल मार्च भी निकाला था। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर लंबे समय से अभियान चल रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा 5 से 7 दिसंबर तक तीन दिन के उत्तराखंड भ्रमण पर रहेंगे। इस दौरान नड्डा राजधानी देहरादून में पार्टी की निचली इकाई मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं से लेकर प्रदेश की सर्वोच्च मानी जानी वाली कोर कमेटी तक के नेताओं से मिलेंगे और बैठक लेंगे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रदेश भ्रमण के लिए केंद्रीय संगठन की ओर से 5,6 व 7 दिसंबर की तिथि दी गई है। कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविवार को महामंत्रियों के साथ बैठक करेंगे। कार्यक्रम की रूपरेखा तय कर केंद्र को भेजी जाएगी। केंद्र उसे अंतिम रूप देगा।
नड्डा अपने तीन दिवसीय भ्रमण के दौरान प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी के अलावा विधायकों, मंत्रियों, सांसदों, विभिन्न स्तरों के पार्टी पदाधिकारियों, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख पदाधिकारियों आदि के साथ अलग-अलग लगभग एक दर्जन बैठक करेंगे।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि बिहार चुनाव से निजात पाने के बाद भाजपा अध्यक्ष नड्डा सभी प्रदेशों का इसी तरह से भ्रमण करेंगे और राज्यों में पार्टी संगठन की गतिविधियों का जायजा लेंगे। साथ ही आगामी रणनीति तैयार करेंगे। आगामी समय में जिन राज्यों में विधान सभाओं के चुनाव होने हैं, उन पर नड्डा का विशेष फोकस रहेगा।
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बतौर नड्डा गत वर्ष नवम्बर माह में भी देहरादून के एक दिवसीय भ्रमण पर आए थे। मगर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उत्तराखंड का उनका यह पहला भ्रमण है। नड्डा इससे पूर्व कई बार उत्तराखंड आ चुके हैं। वर्ष 2017 में उत्तराखंड विधान सभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें व केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी दी थी। तब नड्डा केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे।
विधान सभा चुनाव में नड्डा ने लगातार कई दिन तक उत्तराखंड में डेरा डाले रखा था। चुनावी रणनीति तैयार करने से लेकर चुनाव प्रबन्धन और सभाओं को संबोधित करने तक में उनकी सक्रिय भूमिका रही है।
पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र (विजन डॉक्यूमेंट) नड्डा की देखरेख में तैयार हुआ था।
उत्तराखंड के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में महिलाओं की बढ़चढ़ कर भागीदारी के उदाहरण भरे पड़े हुए हैं। उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण आंदोलन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अलग राज्य पाने के लिए यहां की मातृ शक्ति को अथाह संघर्ष व बलिदान ही नहीं देना पड़ा, अपितु अपनी अस्मिता तक लुटानी पड़ी है। मगर फिर भी उसने अलग राज्य मिलने तक हार नहीं मानी थी।
विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन के कारण यहां की महिलाओं का अपने पर्यावरण के प्रति दृष्टि का लोहा दुनिया ने माना है। चिपको आंदोलन के बाद विकास व पर्यावरण की एक नई बहस शुरू हो गई थी। नशामुक्ति के विरुद्ध आंदोलन हो या अन्य तमाम मुद्दे, पहाड़ की की महिलाएं किसी मोर्चे पर पीछे नहीं दिखी हैं। स्वतंत्रता से पूर्व की बात करें तो देश की आजादी के आंदोलन में भी उसकी भागीदारी रही है।
मगर इसे विडंबना ही कहना चाहिए कि राजनीतिक व सामाजिक तौर पर अपनी पूरी सजगता प्रदर्शित करने के बावजूद पहाड़ की महिलाओं का पहाड़ जैसी कठिनाइयों से लगातार वास्ता पड़ता रहा है। रोजगार की तलाश में पहाड़ से होने वाले पलायन की मार का सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं के जीवन पर दिखता है।
बच्चों के लालन-पालन से लेकर चूल्हा-चौका, खेत-खलिहान और अंदर-बाहर तक पूरी गृहस्थी की धुरी महिलाओं के इर्द-गिर्द सिमट कर रह जाती है। सरकारों की तमाम कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद पहाड़ की महिलाओं के पीठ का बोझ कम नहीं हुआ है। महिलाएं सुबह जंगल चली जाती हैं और जब घास-लकड़ी की गठरी तैयार हो जाए तभी लौटकर आती हैं और ऐसे में कई बार तो शाम के अंधेरे में ही घर पहुंच पाती हैं।
घास लेने जंगल गई महिलाओं के पेड़ से गिरने अथवा चट्टानों से फिसल कर मौत होने की घटनाएं भी अक्सर सुनाई देती हैं। इसके साथ ही जंगली जानवरों से भी उसका साबका अक्सर पड़ता रहता है। प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि कार्यों का पूरा जिम्मा आमतौर पर महिलाओं के ही कंधे पर होता है। खेत जुतवाने हों या उनकी निराई-गुड़ाई-कटाई के तमाम काम उन्हें ही करने होते हैं। मगर जिन खेतों में वो अपना पूरा खून-पसीना बहाती हैं, उसका स्वामित्व भी उनके पास नहीं है।
इसे सुखद संकेत मानना चाहिए कि उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने इस दिशा में एक नई पहल की है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ समय पूर्व घोषणा की थी कि उनकी सरकार भूमि के स्वामित्व में महिलाओं को भी अधिकार प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में प्रदेश मंत्रिमंडल की विगत 18 नवम्बर को आयोजित बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई।
प्रदेश मंत्रिमंडल ने भूमि के स्वामित्व में महिलाओं (बालिग) को अधिकार देने के लिए राज्य के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने का निर्णय लिया है। समिति में राजस्व व न्याय विभाग के सचिवों को भी शामिल किया गया है। यह समिति तय करेगी कि भूमि के स्वामित्व में महिलाओं की हिस्सेदारी किस प्रकार से तय की जाएगी। समिति शीघ्र ही इसका प्रस्ताव तैयार कर अगली बैठक में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उम्मीद है की जल्दी ही प्रदेश में महिलाओं को भूमि के स्वामित्व में अधिकार मिल जाएगा।
महिलाओं के नाम पर भूमि होने से वे बैंक से ऋण लेकर अपना कुछ भी व्यवसाय शुरू कर सकेंगी। बहरहाल, महिलाओं को भूमि के स्वामित्व में अधिकार देना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा और वो केवल दूसरे पर ही निर्भर नहीं रहेंगी। महिलाओं के आत्मनिर्भर होने का मार्ग प्रशस्त होगा। महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिलेगा।