उत्तराखंड के सभी विश्वविद्यालयों में अगले सत्र से लागू होगी नई शिक्षा नीति..
उत्तराखंड: प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2022-23 से नई शिक्षा नीति लागू होगी। योजनाबद्ध तरीके से इस पर काम के लिए समिति का गठन किया गया है। उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने यह बात दून विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति पर अमल एवं पाठ्यक्रम तय करने को लेकर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कही।
मंत्री का कहना हैं कि इसके तहत विभिन्न कोर्सों के पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे जो शिक्षा नीति की मूल आत्मा के अनुरूप एवं व्यवहारिक होने के साथ-साथ रोजगारपरक भी होंगे।
उच्च शिक्षा मंत्री का कहना हैं कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का ड्रॉफ्ट आए हुए एक वर्ष हो चुका है। जिसे जल्द लागू किए जाने की आवश्यकता है। इस नीति के दूरगामी प्रभाव है। उन्होंने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, निदेशक, सभी विभागाध्यक्ष एवं अध्यापक नई शिक्षा नीति पर योजनाबद्ध तरीके से युद्ध स्तर पर काम करें।
इसके लिए उन्होंने पांचों विश्वविद्यालयों को आपस में तालमेल बनाकर काम शुरू करने को कहा। उन्होंने कहा कि राज्य में नई नीति के तहत क्रेडिट ट्रांसफर, क्रेडिट बैंक, डिजिटल मार्कशीट एवं सर्टिफिकेट आदि पर पहले से ही काम चल रहा है। ऐसे में विश्वविद्यालयों को अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जल्द लागू करने की आवश्यकता है ताकि छात्र-छात्राओं को इसका फायदा मिल सके।
कार्यशाला में नई शिक्षा नीति पाठ्यक्रम तैयार करने वाली कमेटी एवं कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एनके जोशी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नीति में कौशल विकास, विषयों के चुनने में सहजता, ऑनलाइन कोर्सेज को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
बच्चों के लिए कोरोना टीके का अभी करना पड़ सकता हैं इंतजार..
देश-विदेश: बच्चों के लिए कोरोना के टीके का इंतजार कर रहे अभिभावकों को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है। मंगलवार दोपहर मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि दो साल से लेकर 18 साल के आयु समूह के लिए कोवाक्सिन के टीके को मंजूरी दे दी गई है, लेकिन बाद में सरकार ने इस दावे का खंडन कर दिया और कहा कि अभी मंजूरी मिलना बाकी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार का कहना हैं कि बच्चों के लिए कोवाक्सिन का आकलन अभी जारी है। इसे लेकर कुछ शंकाए हैं और वैक्सीन को लेकर विशेषज्ञ समिति में बातचीत जारी है। अभी ड्रग कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीए) ने इसे मंजूरी नहीं दी है।
बच्चों पर टीकाकरण की मंजूरी से पहले कोवाक्सिन को लंबे ट्रायल से गुजरना पड़ा है। भारत बायोटेक ने 18 से कम आयु वर्ग के लिए तीन चरणों में ट्रायल पूरा किया था। सितंबर में दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल पूरा कर लिया गया था।
इसके बाद भारत बायोटेक की कोवाक्सिन को मंजूरी मिलने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। पूरी तरह मंजूरी मिलने के बाद बड़ों की तरह बच्चों को भी कोवाक्सिन के दो टीके लगाए जाएंगे। अब तक हुए ट्रायल में कोवाक्सिन का बच्चों पर कोई बुरा असर नहीं हुआ है। क्लीनिकल ट्रायल में यह वैक्सीन 78 प्रतिशत तक असरदार साबित हुई थी। इसके बाद केंद्र की ओर से इस वैक्सीन को मंजूरी दी गई है।
गोपेश्वर में भाजयुमो की दो दिवसीय प्रदेश कार्यसमिति आज से..
उत्तराखंड: भाजपा युवा मोर्चा की दो दिवसीय प्रदेश कार्यसमिति की बैठक शनिवार से गोपेश्वर में होगी। मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनोज पटवाल का कहना हैं कि प्रदेश कार्यसमिति में राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार पर चर्चा की जाएगी। साथ ही युवा मोर्चा 2022 विधानसभा चुनावों में अबकी बार 60 पार सीटों का संकल्प भी लेगा। प्रदेश कार्यसमिति में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक सहित कई मंत्री व भाजपा के बड़े पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे कार्यसमिति का शुभारंभ..
मनोज पटवाल का कहना हैं कि नौ अक्तूबर को शाम चार बजे प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक होगी और 10 अक्तूबर को प्रदेश कार्यसमिति का विधिवत शुभारंभ किया जाएगा। कार्यसमिति का शुभारंभ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे। कार्यसमिति चार सत्रों में आयोजित होगी।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, भाजपा के महामंत्री संगठन अजेय, प्रदेश महामंत्री संगठन कुलदीप कुमार, भाजयुमो के राष्ट्रीय महामंत्री वैभव सिंह, अलग-अलग सत्रों को संबोधित करेंगे। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में प्रदेश के सभी पदाधिकारी, प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य व जिलाध्यक्ष और जिला महामंत्री उपस्थित रहेंगे।
पर्यटकों के लिए बंद हुआ राजाजी नेशनल पार्क हुआ..
उत्तराखंड: राजाजी पार्क को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। वक्त से पहले खोले गए तीनों गेट शुक्रवार शाम तत्काल प्रभाव से बंद कर दिए गए। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी (एनटीसीए) के निर्देश पर ये कार्रवाई की गई हैं। इस मामले में एक बार फिर अधिकारियों ने वन विभाग व सरकार की किरकिरी करवा दी है। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग के निर्देश पर ये गेट समय से डेढ़ माह पहले ही खोल दिए गए थे।
गेट बंद होने के साथ ही इनमें घूमने के लिए की गई सभी बुकिंग भी तत्काल निरस्त कर दी गई हैं। जिससे दूर दराज से आने वाले पर्यटकों को भी काफी दिक्कत होगी। बताया जा रहा है कि गेट खोलने से पहले एनटीसीए की परमिशन भी नहीं ली गई थी। जिस पर एनटीसीए ने नाराजगी भी जताई है। टाइगर रिजर्व से जुड़े होने के कारण इस मामले को काफी गंभीर माना जा रहा है।
चीफ वाइल्ड लाइफ जेएस सुहाग के आदेश पर एक अक्टूबर से पार्क के चीला व मोतीचूर गेट खोल दिए गए थे। जबकि हर साल ये 15 नवंबर से खुलते थे। इसके अलावा मोतीचूर में सत्यनाराण मंदिर से एक नया गेट साल भर पर्यटन के लिए भी खोला गया था। इस मामले में किसी ने एनटीसीए में शिकायत की।
जिसके बाद एनटीसीए ने गेट तत्काल बंद करने के निर्देश दिए। जिस पर पार्क निदेशक ने आदेश करते हुए तीनों गेट तत्काल बंद करवा दिए। पर्यटकों की शनिवार व रविवार की सारी बुकिंग निरस्त कर दी गई हैं। बताया जा रहा है कि इस मामले में एनटीसीए काफी गंभीर है व सरकार से चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन के खिलाफ एक्शन की सिफारिश कर सकता है।
राम मंदिर के लिए इस राज्य से आया सबसे ज्यादा चंदा..
देश-विदेश: राम मंदिर निर्माण में सबसे ज्यादा आर्थिक सहयोग राजस्थान ने किया है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने ये जानकारी दी है। अहमदाबाद में राजस्थान-गुजरात मैत्री संघ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैलाश चौधरी ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए अभी तक आए चंदों में से सबसे ज्यादा राशि राजस्थान से आई है।
उनका कहना हैं कि मारवाड़ी समाज समाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाला समाज है। मंदिर बनाने के लिए इस समाज ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।
इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कोरोना काल को लेकर भी लोगों से चर्चा की। संतोष चौधरी का कहना हैं कि कोरोनाकाल के दौरान नरेंद्र मोदी के अलावा अगर कोई दूसरा प्रधानमंत्री होता तो देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ठप हो जाती।
केंद्रीय मंत्री चौधरी ने कहा कि पीएम मोदी ने मार्च 2020 में लॉकडाउन लागू कर अच्छा फैसला किया। नहीं तो कोरोना से कितने लोगों की मौत होती यह कह पानी मुश्किल होता। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में केंद्र सरकार ने महामारी से निपटने के लिए आवश्यक सैनिटाइटर और अस्पतालों में बेड,ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए भरपूर मदद की।
उत्तराखंड में 157 पदों पर नौकरी का अवसर..
उत्तराखंड: धामी सरकार बेरोजगारों पर मेहरबान है। बुधवार को पांच विभाग में 157 रिक्त पद की विज्ञप्ति जारी कर दी गई है। इन पदों के लिए 12 अक्टूबर से आनलाइन आवेदन शुरू होंगे और आवेदन शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। इसी सप्ताह प्रदेश सरकार ने चार अन्य सरकारी विभागों में रिक्त समूह ‘ग’ के 423 पद के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की थी।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी का कहना हैं कि प्राविधिक शिक्षा विभाग में कर्मशाला अनुदेशक के 109 पद, कर्मशाला अनुदेशक इलेक्ट्रोनिक्स व कर्मशाला अनुदेशक विद्युत के 16, जनजाति कल्याण विभाग में 15 पद, उत्तराखंड प्रशासनिक अकादमी में लाइनमैन का एक, लघु सिंचाई विभाग में सहायक बोरिंग टेक्नीशियन के 13 व उरेडा में तकनीकी सहायक के तीन पद पर अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं।
राज्य सरकार की ओर से कोरोना संक्रमण काल के कारण अधिकतम आयु वर्ग में एक वर्ष की छूट दी गई है। अभ्यर्थी को किसी भी पद पर आवेदन के लिए वन टाइम रजिस्टे्रशन (ओटीआर) भरना अनिवार्य है। आवेदन करने वाले सभी श्रेणियों के अभ्यर्थियों को शुल्क नहीं देना होगा।
शैक्षणिक योग्यता संबंधी संपूर्ण जानकारी आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। लिखित परीक्षा मार्च 2022 में संभावित है। अभ्यर्थी 12 अक्टूबर से अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की वेबसाइट www.sssc.uk.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 25 नवंबर हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने पहली नवरात्र पर देश को दिया प्राणवायु का तोहफा..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पहली नवरात्रि के दिन देवभूमि उत्तराखंड के साथ ही देश को 35 ऑक्सीजन प्लांट की सौगात दी। प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को एम्स ऋषिकेश पहुंचे और यहां आयोजित कार्यक्रम में एम्स में ऑक्सीजन प्लांट का लोकार्पण किया। इसके साथ ही रिमोट द्वारा वर्चुअली देशभर के अन्य ऑक्सीजन प्लांट का उद्धाटन भी किया।
इसके बाद पीएम मोदी ने पीएसए ऑक्सीजन प्लांट का निरीक्षण भी किया। प्रधानमंत्री ने एम्स से वर्चुअल माध्यम से देशभर के मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों में स्थापित करीब 35 ऑक्सीजन प्लांट का लोकार्पण भी किया। प्रधानमंत्री मोदी का कहना हैं कि उत्तराखंड की देवधरा ने मेरे जैसे अनेकों लोगों के जीवन में बदलाव लाने का काम किया है।
उत्तराखंड की भूमि मेरे कर्म और मर्म की भूमि है। यहां से मेरा नाता सत्व का भी है और तत्व का भी है। उन्होने कहा कि बीस साल पहले मुझे आज के ही दिन गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी मिली थी। जिस धरती ने मुझे स्नेह दिया है यहां आना मेरा सौभाग्य है। यहां आकर एक नई ऊर्जा मिलती है। कहा कि जहां योग और आयुर्वेद की शक्ति से जीवन को आरोग्य बनाने का समाधान हुआ है, आज वहीं से देश भर के ऑक्सीजन प्लांट का शुभारंभ हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की जल्द ही शत-प्रतिशत पहली कोरोना डोज का पड़ाव पूरा करने वाला है। उनका कहना हैं कि ऑक्सीजन के निर्माण के साथ उसका ट्रांसपोर्टेशन भी मुश्किल होता है। पूर्वी भारत में सबसे अधिक ऑक्सीजन निर्माण होता है। लेकिन दूसरी लहर के दौरान उत्तर और पश्चिम भारत में ऑक्सीजन की सबसे अधिक जरूरत थी। आज देश के हर जिले के पास अपना पीएसए ऑक्सीजन प्लांट है।
केदारनाथ में चिनूक हेलीकॉप्टर से पहुंचाई गई आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति..
उत्तराखंड: केदारनाथ मंदिर के थोड़ा पीछे आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इसी संत ने भारत में चार पावन धामों की स्थापना की थी, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं। इस प्रसिद्ध हिंदू दार्शनिक को 32 वर्ष की युवावस्था में निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि शंकराचार्य स्वयं ही धरती में समाहित हो गए थे।
हज़ारों की संख्या में श्रद्धालुगण यहां पर आते हैं, केदारनाथ में शंकराचार्य की समाधि बेहद लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। किंवदंती के अनुसार, शंकराचार्य 8वीं सदी में केदारनाथ आये थे और केदारनाथ मंदिर एवं अपने चार मठों में से एक का निर्माण कराया था। ऐसा माना जाता है कि शंकराचार्य ने अपने अनुयायियों के लिए गर्म पानी का कुंड बनाया था ताकि वे इलाके के बेहद ठंडे मौसम से बचाव कर सकें।
आपको बता दे कि आदिगुरू शंकराचार्य का समाधि स्थल पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। केदारनाथ धाम में बनाया जा रहा गुरु शंकराचार्य का समाधिस्थल इसी महीने के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा। धाम में हो रहे द्वितीय चरण के पुनर्निर्माण कार्यों में आदि गुरू शंकराचार्य का समाधि स्थल प्रमुख रूप से है।
इस समाधि स्थल का कार्य अपने अंतिम चरण में है और अनुमान है कि अक्टूबर के अंत तक कार्य पूरा हो जाएगा। कर्नाटक से वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से शंकराचार्य की मूर्ति भी केदारनाथ पहुंच चुकी है। धाम के पुनर्निर्माण कार्य के प्रथम चरण में तीर्थ पुरोहितों के लिये घर और घाटों का निर्माण कार्य किया गया है।
निर्माणकार्य के द्वितीय चरण में धाम में शंकराचार्य समाधि स्थल सहित अन्य प्रकार के पुनर्निर्माण कार्य कर पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को अंतिम आकार दिया जा रहा है। शंकराचार्य समाधि स्थल का निर्माण केदारनाथ मंदिर के पीछे लगभग बीस मीटर दूर हो रहा है।
समाधि स्थल में स्थापित होने के लिये शंकराचार्य की मूर्ति चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिये केदारनाथ पहुंच चुकी है। इस मूर्ति को 18 भागों में केदारनाथ धाम पहुंचाया गया है। यह मूर्ति कर्नाटक से केदारधाम पहुंची है। 2013 की आपदा में ध्वस्त हुए आदिगुरु शंकराचार्य के समाधिस्थल के पुनर्निर्माण की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तब की थी जब वे केदारनाथ पहुंचे थे।
इस समाधि स्थल को हाईटेक रूप तैयार किया जा रहा है और इसको इस प्रकार से तैयार किया जा रहा है कि भक्त समाधि स्थल की परिक्रमा भी कर पाएंगे। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मनुज गोयल का कहना हैं कि गुरु शंकराचार्य का समाधिस्थल का कार्य जोरों-शोरों से चल रहा है। यह पीएम मोदी का प्रयास है कि अक्टूबर अंतिम सप्ताह तक कार्य पूर्ण कर लिया जाए।
सबसे लंबे सस्पेंशन ब्रिज की मास्टिक में पड़ीं दरार..
उत्तराखंड: शुरूआती दौर से ही विवादों में रहे डोबरा-चांठी पुल बनने से दो लाख की आबादी के सपनों को पंख लगेंगे। जनता के संघर्षों से बने पुल से झील बनने के कारण अलग-थलग पड़े प्रतापनगर वासियों के लिए पुल जीवन रेखा का काम करेगा। प्रतापनगर के लोगों को अब 50-60 किमी अतिरिक्त सफर तय नहीं करना पड़ेगा। ऐसे कुछ सपने प्रतापनगर वासियों ने देखे थे। ये सपने कुछ हद तक सच भी हो गए थे।
पिछले साल नवंबर में ही नई टिहरी के निवासियों को भारत का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज डोबरा चांठी पुल के रूप में अनमोल सौगात मिली थी। मगर पुल के निर्माण के 11वें महीने में ही यह साबित हो गया है कि जनता के साथ भद्दा मजाक किया गया है। 11 महीने के भीतर ही पुल की सच्चाई सबके सामने आ गई है। अभी इस पुल के उद्घाटन को एक साल भी नहीं हुआ है और डोबरा चांठी पुल पर बिछी मास्टिक के जोड़ों में दरारें पड़ने लगी हैं। जानकारी के के अनुसार 50 से अधिक मास्टिक के जोड़ों में दरार पड़नी शुरू हो गई है।
लोग निर्माणदाई गुप्ता कंपनी पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जांच की मांग कर रहे हैं। 15 साल से इस पुल के निर्माण को लेकर टिहरी की जनता ने लंबी लड़ाई लड़ी है। 15 साल के बाद इस पुल ने आकार लिया है मगर आकार लेते ही यह पुल टूटने की कगार पर है। उद्घाटन के समय भी इस पुल पर दरार पड़ी थी जिसको कंपनी ने उसी समय ठीक करवा दिया था लेकिन एक बार फिर से 50 से अधिक मास्टिक में दरारें पड़ गई हैं जिसके बाद निर्माणदाई गुप्ता कंपनी और उसकी घटिया कार्यप्रणाली की असलियत सामने आ चुकी है।
साल भर के भीतर ही सस्पेंशन ब्रिज के ऊपर मास्टिक के जोड़ों में दरारें पड़ने से जनता के अंदर आक्रोश साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। लोगों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल लिया है और मुख्यमंत्री धामी से गुप्ता कंपनी के खिलाफ जांच की मांग कर रहे हैं। ब्रिज पर पड़ीं दरारें यह सबूत हैं कि निर्माणदाई कंपनी ने घटिया माल के साथ पुल का निर्माण किया है और यही कारण है कि यह पुल साल भर भी टिक नहीं पाया और इसमें 50 दरारें पड़ चुकी हैं।
प्रताप नगर के लोगों ने मांग की है कि गुप्ता कंपनी के खिलाफ जांच होनी चाहिए। प्रतापनगर की जनता का कहना है कि अगर पुल पर घटिया तरीके से मास्टिक बिछाने वाले गुप्ता कंपनी के खिलाफ जांच करते हुए सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है तो जनता आंदोलन के लिए बाध्य होगी। पुल के उपर बिछाई गई मास्टिक पर 4 बार दरार पड़ गई हैं। गुप्ता कंपनी मास्टिक पर पड़ी दरार पर केमिकल भरकर लीपापोती कर देती है
जानकारी के अनुसार 2 दिन पहले भी मास्टिक पर पड़ी दरार पर केमिकल भरकर कच्चा काम किया था। अब तक 50 मास्टिकों में दरारे पड़ चुकी हैं। प्रताप नगर के लोगों ने अब इस पुल के मामले में थर्ड पार्टी से जांच करवाने की मांग की है। बीते 8 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस से एक दिन पहले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पुल का उद्घाटन किया था। इसी के साथ पुल लोगों की आवाजाही के लिए खुल गया।
लेकिन अब देश के सबसे लंबे सिंगल लेन सस्पेंशन ब्रिज के निर्माण में गुणवत्ता में लापरवाही का मामला सामने आया है, जिससे जनता में आक्रोश है। आपको बता दे कि डोबरा चांठी पुल का निर्माण 2005 में शुरू किया गया था। इसको बनाने के लिए पूरे 15 साल का समय लगा। 8 नवंबर 2020 को इसका उद्घाटन किया गया। डोबरा-चांठी पुल देश का सबसे पहला झूला पुल है, जिसकी लंबाई 725 मीटर है और जो भारी वाहन चलाने लायक बना है। समुद्रतल से 850 मीटर की ऊंचाई पर पुल बना है। टिहरी झील को अधिकतम आरएल 830 मीटर तक भरा जा सकता है। पुल की चौड़ाई सात मीटर है।
केदारनाथ धाम गर्भ गृह में प्रवेश कर सकेंगे श्रद्धालु..
उत्तराखंड: हाईकोर्ट से चारधाम आने वाले यात्रियों की संख्या पर प्रतिबंध हटने के बाद देवस्थानम बोर्ड ने भी राहत दी है। अब श्रद्धालुओं को देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर भी पंजीकरण नहीं कराना होगा। बल्कि राज्य में प्रवेश के लिए सिर्फ स्मार्ट सिटी की साइट पर ही पंजीकरण कराना होगा। इसके साथ ही श्री केदारनाथ धाम के गर्भ गृह में भी श्रद्धालु प्रवेश कर सकेंगे। इसके बाद पर्यटक और श्रद्धालु कहीं भी घूम सकेंगे।
आपको बता दे कि अभी तक चार धाम यात्रा में आने वालों के लिए संख्या तय थी। प्रत्येक दिन केदारनाथ में 800 , बद्रीनाथ में 1000, गंगोत्री में 600, यमुनोत्री में कुल 400 श्रद्धालुओ को जाने की अनुमति हाईकोर्ट ने दी थी। केदारनाथ धाम के गर्भ गृह में श्रद्धालु प्रवेश कर करेंगे, हालांकि कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार जलाभिषेक नहीं होगा। भगवान केदारनाथ के ज्योर्तिलिंग का लेपन भी नहीं होगा।
मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाएगा। श्रद्धालु गर्भ गृह में केवल एक बार परिक्रमा कर सकेंगे। दूसरी ओर बद्रीनाथ में सामाजिक दूरी के तहत ही दर्शन होंगे। श्री बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में दर्शन के लिए निशुल्क मैनुअल टोकन मिलेंगे। ताकि तीर्थ यात्रियों को दर्शन हेतु निर्धारित समय दिया जा सकेगा।
इससे तीर्थयात्रियों को लंबे समय तक दर्शन को लाईन में नहीं लगना होगा। इससे यात्रियों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकेगा। इससे यात्रा सरल व सुगम बन सकेगी। चारधाम यात्रा को उत्तराखंड से बाहर के श्रद्धालुओं को देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल http://smartcitydehradun.uk.gov.in में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
श्रद्धालुओं की संख्या तय किए जाने का विरोध किया जा रहा था। सरकार और देवस्थानम बोर्ड की ओर से सही तरीके से अपना पक्ष कोर्ट में नहीं रखा जा रहा था। अगर सही तरीके से पहले ही पक्ष रखा जाता, तो पहले ही मंजूरी मिल गई होती। पहले समय सुप्रीम कोर्ट में जाकर खराब किया गया। इसके बाद हाईकोर्ट में सही तरीके से पैरवी नहीं की गई। नहीं तो श्रद्धालुओं की संख्या में लगी रोक पहले ही हट जाती।अब श्रद्धालुओं की संख्या के आने पर कोई रोक नहीं है। ऐसे में अब देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर पंजीकरण का कोई औचित्य नहीं है। अब लोग सीधे स्मार्ट सिटी की साइट पर पंजीकरण करा कर चारों धामों में दर्शन कर सकेंगे। लेकिन कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।