- अजेंद्र अजय
वर्ष 2016 में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री स्व.अरुण जेटली जी ने राज्यसभा में कहा था कि रोज-रोज की अदालती दखल से सरकार को परेशानी हो रही है। प्रख्यात वकील और अपनी विद्वता के लिए विख्यात जेटली जी ने यहां तक कहा था कि – “अब लगता है कि सरकार का काम बजट तैयार करना और टैक्स वसूली करना ही रह गया है। क्योंकि बाकी कामों में किसी न किसी तरह से अदालत का दखल हो जाता है, जिससे समय पर काम पूरा नहीं हो पाता है।”
जेटली जी ने वित्त मंत्री रहते हुए उसी वर्ष किसी एक कार्यक्रम में न्यायिक सक्रियता को लेकर भी एक गंभीर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था सक्रियता के साथ संयम का मिश्रण होना चाहिए। न्यायपालिका की स्वतंत्रता के नाम पर संविधान के बुनियादी ढांचे के अन्य आयामों के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि था – न्यायिक समीक्षा न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र का वैध पहलू है, लेकिन फिर भी सभी संस्थाओं को स्वयं लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी”।
उन्होंने जोर देते हुए कहा था कि सरकारी निर्णय (एक्जकयूटिव) कार्यपालिका द्वारा ही लिए जाने चाहिए। न्यायपालिका द्वारा नहीं। क्योंकि अगर कोई निर्णय कार्यपालिका लेती है तो तब उसमें विभिन्न स्तरों पर पर जवाबदेही तय की जा सकती है। इसे चुनौती दी जा सकती है। उसकी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है। साथ ही जनता भी अगर ये समझती है कि ये जनहित में नहीं है तो वोट के माध्यम से उस सरकार के विरुद्ध जनादेश दे सकती है। कोर्ट भी कानून सम्मत नहीं पाने पर इसे रद्द कर सकती हैं। मगर अदालत की ओर से सरकारी फैसला लिया जाएगा तो ये सभी विकल्प उपलब्ध नहीं होंगे।
जेटली जी की इन टिप्पणियों का उल्लेख उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के संदर्भ में करना आज आवश्यक लगता है। यह सर्वविदित है कि नैनीताल हाई कोर्ट ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए पहले चारधाम यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। प्रदेश सरकार के लगातार प्रयासों के बाद कोर्ट ने यात्रा शुरू करने की अनुमति दी। मगर तमाम प्रतिबंध थोप दिए।
हाईकोर्ट की शर्तो का परिणाम यह है कि यात्रा में अनेक दुश्वारियां पैदा हो गई हैं। पर्याप्त संख्या में श्रद्धालुओं को यात्रा करने की अनुमति नहीं मिल पा रही है। अनेकों लोग आधी-अधूरी यात्रा कर वापस लौट रहे हैं। कोर्ट के निर्देशों के चलते पुलिस श्रद्धालुओं की ऐसी जांच – पड़ताल कर रही है, मानो वे तीर्थ यात्रा पर नहीं, अपितु किसी आतंकी मिशन पर निकले हों।
विगत वर्ष भी कोविड काल के कारण यात्रा व्यवस्था पूरी तरह से ठप रही। इस वर्ष महामारी के काफी हद तक नियंत्रित रहने के कारण श्रद्धालुओं को जहां तीर्थ यात्रा को लेकर उत्साह था, वहीं यात्रा व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों को उम्मीद थी कि किसी हद तक उनकी टूटी हुई आर्थिक स्थिति को संबल मिलेगा। यही नहीं प्रदेश सरकार को भी अपने आर्थिक संसाधनों को मजबूत करने का अवसर मिलता।
मगर कोर्ट के निर्देशों ने सब की आशाओं पर गहरा तुषारापात कर दिया। श्रद्धालुओं से लेकर यात्रा व्यवसायियों और प्रदेश सरकार तक को फजीहत झेलनी पड़ रही है। कई स्थानों पर देश-विदेश से आए यात्री व स्थानीय व्यवसाई धरना- प्रदर्शन और बंद कर रहे हैं।
आश्चर्य की बात है कि तमाम मुद्दों पर स्वतः संज्ञान लेने वाली न्यायपालिका इसका क्यों नहीं संज्ञान ले पा रही है? इस वर्ष यात्रा को लगभग एक माह का ही समय रह गया है। प्रदेश सरकार ने फिर से हाई कोर्ट में गुहार लगा दी है। यदि समय रहते न्यायालय ने लोगों को राहत नहीं दी तो न्यायालय की अति सक्रियता पर सवाल खड़े होंगे ही।
उत्तराखंड में UKSSSC में निकली बंपर भर्तियां..
उत्तराखंड: सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं को चुनावी साल में धामी सरकार कई सौगातें दे रही है। सरकार ने बेरोजगारों के लिए नौकरियों का पिटारा खोल दिया है। इसी कड़ी में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने समूह-ग के 423 रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाला है। उक्त पदों के लिए पांच अक्टूबर से आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी। भर्ती के माध्यम से पशुपालन, कृषि, उद्यान, डेयरी विकास विभाग में खाली पदों को भरा जाएगा।
आयोग की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार पशुपालन विभाग में चारा सहायक ग्रुप, उद्यान विभाग में खाद्य प्रसंस्करण शाखा, डेरी विकास विभाग में वरिष्ठ दुग्ध निरीक्षक, कृषि विभाग में सहायक कृषि अधिकारी, उद्यान विभाग में उद्यान विकास शाखा, सहायक मशरूम विकास अधिकारी, सहायक पौध सुरक्षा अधिकारी, मधु विकास निरीक्षक, सहायक प्रशिक्षण अधिकारी, प्रयोगशाला सहायक और औद्योगिक विकास शाखा में पर्यवेक्षक के खाली पद भरे जाने हैं।
कुल 423 खाली पदों पर भर्ती होनी है। आवेदन की प्रक्रिया 5 अक्टूबर से शुरू होगी। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 18 नवंबर है। इसके बाद 20 नवंबर तक ऑनलाइन माध्यम से ही फीस जमा की जा सकती है। आयोग के सचिव संतोष बडोनी की ओर से शुक्रवार शाम को विज्ञापन जारी किया गया।
सचिव संतोष बडोनी का कहना हैं कि आवेदन के लिए अभ्यर्थियों को पूर्व में आयोग के पास रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इसलिए जिन अभ्यर्थियों ने अब तक अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है तो वो इस प्रक्रिया को जरूर पूरा कर लें।
आर्थिक आधार पर आरक्षण वाले अभ्यर्थियों को आवेदन से पूर्व तिथि तक का आय प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। इन पदों के लिए परीक्षा मार्च में हो सकती है। सरकार के फैसले के अनुसार अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु सीमा में एक साल की छूट दी गई है।
पीएम मोदी ने उत्तराखंड की महिलाओं से की बात..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी जयंती पर देश की पांच ग्राम सभाओं के साथ जल-जीवन मिशन योजना के तहत वर्चुअल संवाद किया। इस दौरान उन्होंने मसूरी के निकटवर्ती गांव क्यारकुली की ग्राम प्रधान कौशल्या रावत से संवाद किया। उनका कहना हैं कि पहाड़ पर पानी की समस्या और उसके हल पर विस्तार से बात की।
कौशल्या रावत ने जल-जीवन मिशन के तहत किए गए कार्यों के बारे में बताया। संवाद के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘पहाड़ का पानी और जवानी कभी भी पहाड़ के काम नहीं आती है, लेकिन आज पहाड़ का पानी और जवानी पहाड़ के ही काम आ रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कौशल्या रावत से गांव में संचालित हो रहे होम स्टे व गांव में आने वाले पर्यटकों के बारे में भी जानकारी ली। देशभर के गांवों के साथ क्यारकुली गांव के लोगों से भी प्रधानमंत्री ने वर्चुअल संवाद किया। प्रधानमंत्री के संवाद कार्यक्रम को लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारी गांव पहुंचे और कार्यक्रम में शामिल हुए।
प्रधानमंत्री ने पहाड़ की महिलाओं से जल संरक्षण और वैक्सीनेशन अभियान की प्रगति के बारे में जाना। महिलाओं ने बताया कि उनके गांव में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं।
इसके लिए गांव में 10 कैंप लगाए गए थे। प्रधानमंत्री ने अभियान की सफलता को सराहा। साथ ही कहा कि युवा मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश में सभी योजनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि योजनाएं तभी सफल होती हैं, जब जन भागीदारी होती है। चाहे कोरोना टीकाकरण हो या फिर जल-जीवन मिशन।
उन्होंने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आपने पानी की ताकत को समझा है। पेड़ भी लगाए। होम स्टे भी किया। पानी के जरिए गांव में क्रांति ले आए। इसके लिए आपको बधाई देता हूं। आपके गांव ने पलायन को भी पीछे छोड़ दिया है। एक वक्त था जब गांव में लोग ठहरते नहीं थे, यहां से चले जाते थे, अब वे लोग वापस आने लगे हैं।
आज पर्यटक भी गांव आने के लिए प्रेरित हो रहा है। इस तरह पानी सिर्फ जीवन ही नहीं देश की अर्थव्यवस्था को भी बदलने की ताकत रखता है। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त, 2019 में जल-जीवन मिशन की घोषणा की थी। इस मिशन का उद्देश्य हर घर में पानी की सप्लाई पहुंचाना है। वर्तमान में सिर्फ ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 17 प्रतिशत लोगों के पास ही पानी की सप्लाई है।
सीएम धामी ने राज्य आंदोलनकारियों के लिए की ये घोषणा..
उत्तराखंड: राज्य आंदोलन के रामपुर तिराहा कांड बरसी पर शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुजफ्फनगर शहीद स्थल पर जाकर शहीदों को श्रद्धाजंलि दी। इस दौरान मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमारी सरकार शहीदों के सपनों और राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप उत्तराखंड को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाएगी। जनता, सरकार के भाव को समझे।
मुख्यमंत्री ने राज्य आंदोलनकारियों के लिए कई घोषणाएं भी की, जिनमें राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी अस्पतालों की तर्ज पर राजकीय मेडिकल कॉलेजों में मुफ्त उपचार उपलब्ध करवाने, उद्योग धंधों में राज्य आंदोलनकारियों और उनके परिजनों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार देने व विभिन्न विभागों में सेवारत राज्य आंदोलनकारियों को हटाए जाने सम्बंधी मामले में ठोस पैरवी करना शामिल रहा।
मुख्यमंत्री का कहना हैं कि मैं उन शहीदों को नमन करता हूं, जिनके सर्वोच्च बलिदान की वजह से हमें अलग राज्य मिला है। राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान खटीमा, मसूरी व मुजफ्फरनगर में लाखों आंदोलनकारियों ने भाग लिया, जिसमें से कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उनका कहना हैं कि 1 सितम्बर 2021 को घोषणा की गई थी कि राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण की प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी, उसका शासनादेश भी जारी कर दिया गया है।
उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी मिलेगी पेंशन..
उत्तराखंड: प्रदेश में अब चिह्नित राज्य आंदोलनकारी की मृत्यु होने पर उनके आश्रित (पति अथवा पत्नी) को भी 3100 रुपये की पेंशन मिलेगी। इस संबंध में शासन ने आदेश जारी कर दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ समय पहले राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी पेंशन देने की घोषणा की थी।
आपको बता दे कि प्रदेश में राज्य आंदोलनकारियों की एक श्रेणी ऐसी है, जिन्हें 3100 सौ रुपये पेंशन दी जा रही है। इस श्रेणी में वे आंदोलनकारी शामिल हैं, जिनका चिह्नीकरण सामान्य आंदोलनकारी के रूप में हुआ है।
इस श्रेणी के आंदोलनकारियों के आश्रितों को पेंशन देने का प्रविधान नहीं था। राज्य आंदोलनकारियों ने कुछ समय पहले इसका प्रकरण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष रखा था। मुख्यमंत्री ने इसके बाद मसूरी में गत दो सितंबर को आयोजित एक कार्यक्रम में इसकी घोषणा की। अब शासन ने इसका आदेश जारी कर दिया है।
जिसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि राज्य आंदोलनकारी के रूप में चिह्नित पति की मृत्यु होती है, तो यह पेंशन पत्नी को दी जाएगी और यदि आंदोलनकारी के रूप में चिह्नित पत्नी की मृत्यु होती है, तो फिर यह पेंशन पति को दी जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी से मिलने पहुंचे पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी..
देश-विदेश: चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने उनके घर पर यानी प्रधानमंत्री आवास पहुंचे हैं। पीएम आवास में दोनों नेताओं के बीच मुलाकात जारी हैं। बताया जा रहा है कि सीएम चन्नी ने प्रधानमंत्री के समक्ष किसानों की समस्या संबंधी कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठा सकते हैं।
आपको बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के सीएम पद से इस्तीफे के बाद कांग्रेस आलाकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया है। चन्नी पंजाब में कांग्रेस का दलित चेहरा हैं। इसके साथ ही चन्नी के रूप में पंजाब को अब तक का पहला दलित मुख्यमंत्री मिला है।
बर्फीले तूफान की चपेट में वायुसेना के दस पर्वतारोही लापता, निम से रेस्क्यू टीम रवाना..
उत्तराखंड: माउंट त्रिशूल के आरोहण के लिए गया वायुसेना का दल हिमस्खलन की चपेट में आ गया है। जिसमें करीब 10 पर्वतारोही लापता बताए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार माउंट त्रिशूल के आरोहण के दौरान हिमस्खलन आने से वायुसेना का पर्वतारोही दल इसकी चपेट में आ गया है। हिमस्खलन की चपेट में आने से दस पर्वतारोही लापता बताए जा रहे हैं। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से राहत-बचाव टीम कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में त्रिशूल चोटी के लिए रवाना हो गई है।
शुक्रवार सुबह दल चोटी के समिट के लिए आगे बढ़ा
वायुसेना का दल करीब 15 दिन पहले 7,120 मीटर ऊंची त्रिशूल चोटी के आरोहण के लिए गया था। शुक्रवार सुबह दल समिट के लिए आगे बढ़ा तो इसी दौरान हिमस्खलन हो गया। जिसकी चपेट में वायु सेना के पर्वतारोही आ गए। इस बारे में निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया यह घटना शुक्रवार सुबह पांच बजे के करीब हुई है।
वायुसेना के करीब 10 पर्वतारोही हिमस्खलन की चपेट में आए हैं और लापता चल रहे हैं। त्रिशूल चोटी की ऊंचाई 7,120 मीटर है। इस चोटी के आरोहण के लिए चमोली जनपद के जोशीमठ और घाट के लिए पर्वतारोही टीमें जाती हैं। वायु सेना के पर्वतारोहियों की टीम भी घाट होते हुए त्रिशूल के लिए गई थी। तीन चोटियों का समूह होने के कारण इसे त्रिशूल कहते हैं।
द कपिल शर्मा शो में सिद्धू के लौटने की चर्चा पर अर्चना ने कहा कुछ ऐसा..
देश-विदेश: बॉलीवुड का राजनीति से भी कुछ ऐसा जुड़ाव रहा है कि अगर राजनीति में कुछ विवाद हो तो उसका असर मनोरंजन जगत में भी देखने को मिलता है। इन दिनों नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद के इस्तीफे के बाद से टीवी जगत में ऐसे ही हलचल मची हुई है। आपको बता दे कि सिद्धू ‘द कपिल शर्मा शो’ में जज की कुर्सी संभाल रहे थे लेकिन जब उन्हें पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनने का मौका मिला तो उन्होंने शो छोड़ दिया। इसके बाद अर्चना पूरन सिंह को शो में जज बनाया गया।
आपको बता दे कि कपिल शर्मा अक्सर मजाक करते हैं कि अर्चना ने यहां से एक मंत्री तक निकलवा दिया साथ ही ये भी कि अर्चना का पहला प्यार उनके पति परमीत नहीं बल्कि कुर्सी है। अब जैसे ही सिद्धू के इस्तीफे की खबर सामने आई सोशल मीडिया पर अर्चना को लेकर मीम बनने लगे कि उनकी नौकरी संकट में है। वहीं अर्चना ने एक इंटरव्यू में इस बारे में अपनी राय साफ कर दी है। साथ ही उन्होंने कह दिया कि अगर सिद्धू शो पर लौटते हैं तो वो क्या करेंगी।
इस पर अर्चना का कहना हैं कि ये एक ऐसा मजाक है जो सालों से होता आया है और सच तो ये है कि मुझे फर्क ही नहीं पड़ता है, ना ही मैं इसे बहुत गंभीरता से लेती हूं। अगर सिद्धू सच में फिर से शो में एंट्री लेते हैं और मेरी जगह आते हैं तो मेरे पास और भी दूसरे काम हैं जो मैं कर सकती हूं। मैं काफी सालों से कुछ और करना चाहती थी।
अर्चना पूरन सिंह लंबे समय से कॉमेडी शोज को जज करती आईं हैं। कॉमेडी सर्कस के दौरान अर्चना जज की कुर्सी पर विराजमान थी और उनके जबरदस्त हंसने का अंदाज फैंस को काफी पसंद आता है। ऐसे में जब सिद्धू शो से बाहर हुए तो कपिल के पास अर्चना से बेहतर कोई रिप्लेसमेंट ही नहीं था।
बता दें कि अर्चना ने खुलासा किया कि जब सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे तो मेरे घर पर लोगों ने खूब फूल भेजे थे। उन्होंने कहा कि लोगों ने फूलों के साथ संदेश भेजा था कि, अर्चना मैम मुबारक हो क्योंकि वो वहां पर बन गए हैं। दरअसल लोगों का ये कहना था कि अब सिद्धू पार्टी को लेकर अपना फर्ज पूरा करेंगे तो शो पर लौटेंगे नहीं। ऐसे में अर्चना की कुर्सी को कई नुकसान नहीं होगा।
आपको बता दे कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन उनका कहना है कि वे कांग्रेस में बने रहेंगे। सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे खत में कहा कि वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने रहेंगे। 23 जुलाई को उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था।
कर्मकार कल्याण बोर्ड से शमशेर सिंह सत्याल की छुट्टी..
उत्तराखंड: भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल की बोर्ड से छुट्टी कर दी गई है। इसके साथ ही शासन ने बोर्ड का पुनर्गठन भी कर दिया है। सचिव श्रम हरबंस सिंह चुघ को बोर्ड के अध्यक्ष और पीसीएस डा अभिषेक त्रिपाठी को सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ ही बोर्ड को लेकर सत्याल और श्रम मंत्री डा हरक सिंह रावत के मध्य छिड़ी रार के अब खत्म होने के आसार हैं।
आपको बता दे कि कर्मकार कल्याण बोर्ड पिछले साल अक्टूबर में तब सुर्खियों में आया, जब तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी देख रहे श्रम मंत्री डा हरक सिंह रावत से यह जिम्मा वापस ले लिया था। जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी माने जाने वाले शमशेर सिंह सत्याल को अध्यक्ष बना दिया गया। इस पर श्रम मंत्री ने सख्त नाराजगी जताई थी, लेकिन तब सरकार के निर्णय के अनुरूप शासन ने बोर्ड का पुनर्गठन कर दिया था।
बोर्ड के सचिव की जिम्मेदारी देख रही दमयंती रावत को भी उनके मूल विभाग में भेज दिया गया था। जिसके बाद सत्याल की अध्यक्षता वाले बोर्ड ने पिछले बोर्ड के सभी फैसले पलट दिए थे। साथ ही बोर्ड के तमाम कार्यों में नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए इसका स्पेशल आडिट कराने का निर्णय लिया था। लेकिन तब इसे टाल दिया गया था।
सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद तीरथ सरकार के कार्यकाल में बोर्ड की सचिव को हटाकर हरिद्वार की उपश्रमायुक्त को यह जिम्मा सौंपा गया। इस पर बोर्ड अध्यक्ष सत्याल ने आपत्ति जताई और तभी से दोनों के मध्य तलवारें खिंची थी।
इतना ही नहीं, इसके बाद बोर्ड को लेकर सत्याल और श्रम मंत्री भी एक-दूसरे के खिलाफ मुखर थे। इस बीच बोर्ड का मामला हाईकोर्ट में भी पहुंच गया। इन सबके चलते सरकार की किरकिरी हो रही थी। जिसके बाद धामी सरकार ने बोर्ड से सत्याल को हटाने का निर्णय लिया। श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने सत्याल को हटाए जाने की पुष्टि की।
खुशखबरी- दरोगा के पदों पर भर्ती को मिली मंजूरी..
उत्तराखंड: पुलिस सिपाही भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ होने के साथ ही अब दरोगा भर्ती का भी रास्ता साफ हो गया है। कैबिनेट ने दरोगा सेवा नियमावली में संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी हैं। इसके साथ पुलिस मुख्यालय ने 150 पदों पर भर्ती की तैयारी शुरू कर दी है। पुलिस मुख्यालय ने इसी सप्ताह 1521 कांस्टेबल के रिक्त पदों पर भर्ती का अधिचयन अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भेज दिया है।
अब मुख्यालय दूसरे चरण में दरोगा के 150 पदों पर भर्ती की तैयारी कर रहा है। इसके लिए मुख्यालय उप निरीक्षक सेवा नियमावली में बदलाव का इंतजार कर रहा था। अब कैबिनेट से नई नियमावली को हरी झंडी मिल गई है। नई नियमावली के तहत अब सिविल पुलिस का कोटा 50 प्रतिशत हो गया है।
जो पहले 34 प्रतिशत ही था। शेष 50 प्रतिशत पद इंटेलीजेंस और पीएससी के बीच बटेंगे। इसी के साथ गृह विभाग ने वर्तमान में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास लंबित दरोगा रैंकर्स भर्ती का परिणाम जारी करने को हरी झंडी दे दी है।
उक्त परिणाम अब नई नियमावली के अधीन ही जारी होगा। इसी के साथ रैंकर्स भर्ती अब हमेशा के लिए समाप्त कर दी गई है। जिसके बाद अब पुलिस में कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल में पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर होंगे। दरोगा भर्ती के लिए नियमावली संशोधन का इंतजार किया जा रहा था। अब नई नियमावली के तहत अक्तूबर में भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी।