उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट कर उन्हें विगत दिवस जोशीमठ क्षेत्र में आई आपदा में सरकार द्वारा चलाए जा रहे राहत व बचाव कार्यों की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने शाह से राज्य में हिमनद एवं जल संसाधन शोध केन्द्र की स्थापना, राज्य के दुर्गम-अति दुर्गम आपदा संभावित क्षेत्रों और अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं की निरंतर देखरेख एवं निगरानी हेतु हैलीकॉप्टर उपलब्ध कराने तथा आपदा प्रबंधन व सीमा प्रबंधन के दृष्टिगत गैरसैंण में आईआरबी बटालियन की स्थापना की स्वीकृति का अनुरोध किया। साथ ही आगामी हरिद्वार कुंभ के दृष्टिगत, एन्टी ड्रोन तकनीक से संयोजित एक विशेष टीम की तैनाती की मांग भी की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य पुलिस को और अधिक प्रभावी व आधुनिक बनाए जाने के लिए राज्य पुलिस बल आधुनिकीकरण योजना में प्रतिवर्ष 20 से 25 करोड़ का बजट उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने राज्य में समय-समय पर तैनात सुरक्षा बलों की तैनाती के फलस्वरूप देय धनराशि रू0 36.46 करोड़ की छूट तथा भविष्य के लिए पूर्वोत्तर राज्यों/विशेष श्रेणी के राज्य की भांति 90ः10 के अनुपात में भुगतान की व्यवस्था निर्धारित करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री से चमोली के नीति घाटी तथा उत्तरकाशी के नेलांग घाटी को बेहतर सीमा प्रबंधन हेतु इनर लाईन परमिट की व्यवस्था समाप्त किए जाने का आग्रह किया, ताकि इन क्षेत्रों के गांवों में पर्यटन से आर्थिक गतिविधियों का विस्तार हो सके। केंद्रीय गृह मंत्री ने उक्त सभी बातों पर सैद्धांतिक सहमति देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखण्ड को हर संभव सहयोग दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने देर सांय भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से भी शिष्टाचार भेंट की। इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय शहरी विकास व उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी से भी भेंट की।
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में भारत नेट 2.0 प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है । इसके तहत उत्तराखंड के 12 हजार ग्राम इंटरनेट से जुड़ेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद से भेंट की। वार्ता में चारधाम क्षेत्र की डिजिटल कनेक्टिविटी को मज़बूत बनाने पर सहमति बनी। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि बॉर्डर एरिया में इन्टरनेट कनेक्टिविटी के सुदृढ़ीकरण के लिये प्रोजेक्ट बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण सहयोग से उत्तराखण्ड में बड़े पैमाने पर विकास कार्य हो रहे हैं। उत्तराखंड की कठिन भौगोलिक, महत्वपूर्ण सामरिक स्थिति और आपदा के प्रति संवेदनशीलता का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतनेट परियोजना की स्टेट-लेड माॅडल में समयबद्धता के साथ क्रियान्विति बहुत जरूरी है। परियोजना में अनावश्यक विलम्ब न हो, इसके लिए प्रशासनिक एंव वित्तीय अनुमोदन जल्द से जल्द दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘इंडिया एंटरप्राइज आर्किटेक्चर’ परियोजना में उत्तराखण्ड को भी शामिल किया जाए ताकि कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे विभागों की कार्यप्रणाली को राज्यव्यापी कम्प्यूटरीकृत किया जा सके। कोरोना संकट से सीख लेते हुए ऐसा किया जाना बहुत आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को हर सम्भव सहयोग के प्रति आश्वस्त किया।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे की कमी को पूरा करने के लिए शुक्रवार को राज्यों को 5,000 करोड़ रुपये की 17वीं किश्त जारी की है। अभी तक, राज्यों को कुल अनुमानित जीएसटी मुआवजे की कमी की 91 प्रतिशत यानी एक लाख करोड़ रूपये की राशि जारी की जा चुकी है।
भारत सरकार ने जीएसटी कार्यान्वयन के कारण पैदा हुई 1.10 लाख करोड़ रुपये की कमी को पूरा करने के लिए पिछले वर्ष अक्टूबर में एक विशेष उधार विंडो स्थापित की थी। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से भारत सरकार द्वारा इस विंडो के माध्यम से ऋण लिया जा रहा है। 23 अक्टूबर, 2020 से शुरू होने के बाद अब तक ऋण के 17 दौर पूरे हो चुके हैं।
विशेष विंडो के तहत, भारत सरकार 3 साल और 5 साल के कार्यकाल के लिए सरकारी स्टॉक में उधार ले रही है। प्रत्येक टेनर के तहत किए गए उधार को जीएसटी क्षतिपूर्ति की कमी के अनुसार सभी राज्यों में समान रूप से विभाजित किया गया है। वर्तमान जारी राशि के साथ, 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 5 साल के लिए लंबित जीएसटी अनुपात समाप्त हो गया है। ये राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश को पहली किस्त से जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी की जा रही थी।
इस सप्ताह जारी की गई राशि राज्यों को उपलब्ध कराई गई धनराशि की 17वीं किश्त थी। इस सप्ताह यह राशि 5.5924 प्रतिशत की ब्याज दर पर उधार ली गई है। अभी तक केंद्र सरकार द्वारा इस विशेष उधार विंडो के माध्यम से 4.8307 प्रतिशत की औसत ब्याज दर पर 1,00,000 करोड़ रुपये की राशि उधार ली गई है।
जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण राजस्व में हुई कमी को पूरा करने के लिए विशेष ऋण विंडो के माध्यम से धन उपलब्ध कराने के अलावा भारत सरकार ने जीएसटी मुआवजे की कमी को पूरा करने के लिए विकल्प-1 चुनने वाले राज्यों को उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.50 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति भी दी है, ताकि इन राज्यों की अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद की जा सके। सभी राज्यों ने विकल्प-1 के लिए अपनी प्राथमिकता दी है। इस प्रावधान के तहत 28 राज्यों को 1,06,830 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 0.50 प्रतिशत) की पूरी अतिरिक्त राशि उधार लेने की अनुमति दी गई है।
उत्तराखंड के हिस्से आया ये
उत्तराखंड को जीएसडीपी की 0.50 प्रतिशत की अतिरिक्त ऋण की अनुमति के रूप में अब तक 1405 करोड़ और विशेष विंडो के मार्फत 2227.49 की धनराशि जारी की गयी है।
उत्तराखंड देश के उन सात राज्यों में शामिल हो गया है, जिसने केंद्र सरकार द्वारा ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों को लेकर तय किये गए मानकों को पूरा कर लिया है। सुधार प्रक्रिया के हिस्से के रूप में उत्तराखंड ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा तय किए गए सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) हानियों में कमी अथवा औसत आपूर्ति लागत और औसत राजस्व प्राप्ति (एसीएस-एआरआर) में अंतर को कम करने के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल किया है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। वित्त मंत्रालय एटीएंड सी हानियों में कमी के राज्य के लिए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.05 प्रतिशत के बराबर राशि और एसीएस-एआरआर में अंतर में कमी का लक्ष्य हासिल करने पर अतिरिक्त जीएसडीपी के 0.05 प्रतिशत राशि की अतिरिक्त उधारी लेने की राज्यों को अनुमति दे रहा है।
उत्तराखंड ने एटीएंडसी हानियों और एसीएस-एआरआर अंतर में कमी के दोनों लक्ष्यों को हासिल किया है। राज्य में एटीएंडसी हानियां 19.35 प्रतिशत के लक्ष्य के विरुद्ध 19.01 प्रतिशत कम हो गई हैं। एसीएस-एआरआर में अंतर राज्य में प्रति इकाई 0.40 के लक्ष्य के मुकाबले 0.36 रुपए प्रति यूनिट तक कम हो गया है।
उत्तराखंड के अलावा जिन अन्य राज्यों ने ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों की प्रक्रिया पूरी की है, उनमें आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, गोवा, कर्नाटक व राजस्थान शामिल हैं। इससे पूर्व उत्तराखंड देश के उन 15 राज्यों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने कारोबार में सुगमता से जुड़े सुधारों (Ease of doing business) को लेकर केंद्र द्वारा तय मानकों को पूरा कर दिखाया है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी की वजह से संसाधन जुटाने की चुनौती को देखते हुए भारत सरकार ने पिछले वर्ष मई में राज्यों के लिए उधारी लेने की सीमा राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 2 प्रतिशत तक बढ़ा दी थी।
इस विशेष राशि में से आधी पूंजी यानी कि जीएसडीपी की एक प्रतिशत राशि जुटाने की अनुमति राज्य सरकारों को तब दी जा रही है, जब वे नागरिकों की सुविधा को लेकर केंद्र सरकार द्वारा तय मानकों कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने नागरिक केंद्रित चार सुधार कार्यक्रम चिन्हांकित किये हैं। इनमें एक देश, एक राशन कार्ड व्यवस्था लागू करना, कारोबार में सुगमता से जुड़े सुधार, शहरी स्थानीय निकाय/उपयोगिता सुविधाओं में सुधार और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार।
केंद्र सरकार ने सिमली-ग्वालदम-बागेश्वर-जौलजीबी मोटर मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
230 किमी लंबा यह राष्ट्रीय राजमार्ग भारतमाला परियोजना के तहत डबल लेन का निर्मित होगा। मोटर मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए जाने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस महत्वपूर्ण राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित होने से राज्य की बड़ी मांग पूरी हुई है। राज्य को सड़क मरम्मत आदि में होने वाली बड़ी राशि की भी इससे बचत हुई है। उन्होंने कहा कि यह मार्ग सीमांत क्षेत्रों को जोड़ने वाली प्रमुख सड़क थी।
उन्होंने कहा कि भारतमाला परियोजना के तहत इस सड़क के डबल लेन बनने से आवागमन में भी सुविधा होगी और साथ ही भविष्य में इसकी मरम्मत आदि में होने वाला व्यय भी भारत सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।
उत्तराखंड भी कारोबार में सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) सुधारों को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले राज्यों की श्रेणी में आ गया है। इस सुधार प्रक्रिया को पूरा करने के बाद राज्य को खुले बाजार से 702 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति मिल गई है। उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश व गुजरात द्वारा भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार के बाद इस श्रेणी में आने वाले राज्यों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी है। मंत्रालय के अनुसार इससे पहले, आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना इस श्रेणी में शामिल हो चुके हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सहायता प्रदान करने वाले सुधारों को पूरा करने पर इन 15 राज्यों को 38,088 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण जुटाने की अनुमति दी गई है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस देश में निवेश के अनुकूल कारोबार के माहौल का महत्वपूर्ण सूचक है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार राज्य अर्थव्यवस्था की भविष्य की प्रगति तेज करने में समर्थ बनाएंगे। इसलिए भारत सरकार ने पिछले वर्ष मई में यह निर्णय लिया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार करने वाले राज्यों को अतरिक्त ऋण जुटाने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा कुछ मानक तय किये गए हैं।
प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक करण राजदान अपनी आनेवाली फिल्म हिंदुत्व की अधिकांश शूटिंग उत्तराखंड में करेंगे। सोमवार को देहरादून में मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने फिल्म का मुहूर्त शाॅट लिया।

फिल्म के मुख्य कलाकार आशीष शर्मा व सोनारिका भदौरिया हैं। भजन सम्राट अनूप जलोटा फिल्म में गायकी के साथ ही अपने अभिनय का जलवा भी बिखेरेंगे। प्रसिद्ध टीवी सीरियल रामायण की सीता फेम दीपिका चिखालिया भी फिल्म में अभिनय करती दिखेंगी। फिल्म में अनूप जलोटा के अलावा दलेर मेहंदी भी गानों को अपनी आवाज देंगे। फिल्म की पटकथा करण राजदान ने खुद लिखी है।

इस अवसर मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस उद्देश्य के साथ हिंदुत्व फिल्म बनाई जा रही है, उम्मीद है कि यह फिल्म हिंदुत्व को दुनिया में पहुंचाने में सफल होगी। उन्होंने कहा कि फिल्मों का समाज एवं मानव जीवन कितना गहरा प्रभाव पड़ता है, इसके अनेक उदाहरण है। हिंदुत्व शब्द प्रेम, उदार और विश्वास का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति है, और सनातन संस्कृति का आधार हिंदुत्व है।

फिल्म के निर्देशक करण राजदान ने कहा कि हिंदुत्व फिल्म में प्रेम, बलिदान एवं सद्भावना के मिलन को दिखाने का प्रयास किया जाएगा। इसके साथ ही फिल्म के माध्यम से दुनियाभर में हिंदुत्व का संदेश देने की कोशिश भी होगी। उन्होंने कहा कि जल्द ही उत्तराखंड में एक और फिल्म की शूटिंग भी की जाएगी।
उत्तराखंड में आगामी सत्र में कार्मिकों के तबादले वार्षिक स्थानांतरण अधिनयम के प्रावधानों के तहत ही होंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्मिक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
पिछले साल 20-21 में वार्षिक स्थानांतरण सत्र को शून्य किया गया था। वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम की धारा-27 के अधीन गठित समिति की 3 फरवरी, 21 को हुई बैठक में शून्य सत्र को समाप्त किए जाने का निर्णय लिया गया था। मुख्य सचिव ने प्रस्ताव में बताया कि आगामी वर्ष में विधानसभा के निर्वाचन भी होने हैं। इस कारण निर्वाचन की आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। आम तौर पर निर्वाचन कार्य में संलग्न सभी विभागों के कार्मिकों के लिए एक स्थान पर 3 साल से अधिक रहने का निषेध है। इसलिए आगामी सत्र को शून्य नहीं किया जा सकता। इसमें वित्तीय दृष्टिकोण से 10 फीसदी या आदर्श चुनावी आचार संहिता के अनुरूप वांछित स्थानांतरण ही किए जाने की व्यवस्था की गई है।
इस प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष लाया गया था। इस पर मुख्यमंत्री ने अनुमोदन दे दिया है। साथ ही आगामी सत्र के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम के प्राविधान ही लागू किए जाने और स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू करने के प्रस्ताव पर भी मोहर लगा दी है।
निर्माणाधीन दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून आर्थिक गलियारा (Economic Corridor) के बन कर तैयार हो जाने पर दोनों शहरों के बीच की दूरी 235 किलोमीटर से घटकर 210 किलोमीटर हो जाएगी। दोनों शहरों के बीच यात्रा अवधि जो अभी लगभग 6.5 घंटा है वह केवल 2.5 घंटा हो जाएगी। यह देश का पहला राजमार्ग होगा जहां वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 12 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर होगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना को ईपीसी (Engineering, Procurement and Construction) मोड के तहत पूरा करने का निर्णय लिया गया है। पूरे कॉरिडोर को न्यूनतम 100 किमी प्रति घंटा की गति के साथ ड्राइविंग के लिए डिजाइन किया गया है।
इस कॉरिडोर पर ड्राइविंग करने वाले को बेहतर अनुभव देने के लिए हर 25-30 किमी की दूरी पर विभिन्न सुविधाओं का प्रावधान किया गया है। इस सड़क पर वाहन चालकों को टोल टैक्स के रूप में उतना ही भुगतान करना होगा, जितना की वो दूरी तय करेंगे। इसके लिए राजमार्ग पर क्लोज्ड टोल मैकेनिज्म को अपनाया जाएगा।
मंत्रालय के अनुसार इस कॉरिडोर के विकास से इसके आसपास के क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। विशेष रूप से उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। परियोजना के कार्यान्वयन के लिए दिल्ली के अक्षरधाम से देहरादून तक के इस राजमार्ग को 4 खंडों में विभाजित किया जाएगा।
खंड-1 में छह लेन के साथ छह लेन सर्विस रोड विकसित की जा रही है। इसे 2 पैकेजों में विभाजित किया गया है। पैकेज 1 दिल्ली के हिस्से में है यह 14.75 किमी में है और जिसमें से 6.4 किमी एलिवेटेड है। पैकेज 2 यूपी में 16.85 किमी की लंबाई में पड़ती है और यह 11.2 किमी एलिवेटेड है। इन दोनों पैकेजों की निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। यह खंड डीएमई के पास अक्षरधाम मंदिर से शुरू होगा और गीता कॉलोनी, खजुरीखास, मंडोला आदि से होकर गुजरेगा। इस राजमार्ग का उद्देश्य उत्तर पूर्वी दिल्ली पर जाम के बोझ को कम करना है। साथ ही ट्रोनिका सिटी, यूपी सरकार की मंडोला विहार योजना की विकास क्षमता को भी बढ़ाना है।
खंड-2 पूरी तरह से 6 लेन ग्रीनफील्ड योजना है जो बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिलों से गुजरती है। डीपीआर का काम पूरा हो गया है और चार पैकेजों में निविदा प्रक्रिया शुरू की गई है। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया चल रही है और वन / पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन दिए गए हैं।
खंड-3 सहारनपुर बाईपास से शुरू होता है और गणेशपुर पर समाप्त होता है। हाल ही में पूरी लंबाई को एनएचएआई ने चार लेन में पूरा किया है। न्यूनतम 100 किमी प्रति घंटे की गति को प्राप्त करने के लिए इसे पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए आवश्यक अंडरपास और सर्विस रोड की योजना बनाई जा रही है।
खंड-4 में छह लेन है जिसमें पूर्ण अभिगम नियंत्रित है। यह खंड मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में आरक्षित वन से होकर गुजरता है। 20 किमी में से, 5 किमी का विस्तार ब्राउनफील्ड है, और 15 किमी में से वन्य जीवन गलियारे (12 किमी) के लिए एलिवेटेड और सुरंग (340 मीटर) है। वन्यजीव की चिंताओं के कारण सामान्य तौर पर आरओडब्ल्यू 25 मीटर तक सीमित है। वन और वन्यजीव की मंजूरी मिल गई है। मूल्यांकन के तहत 3 पैकेजों में बोलियां प्राप्त हुई हैं।
केंद्र सरकार के सहयोग से देहरादून में 173 करोड़ रुपए की लागत से साइंस सिटी की स्थापना होगी। इसके लिए शुक्रवार को राज्य सरकार व केंद्र सरकार के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
मुख्यमंत्री आवास में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की उपस्थित में साइंस सिटी के लिए प्रदेश सरकार की ओर से उत्तराखण्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (यूकॉस्ट) और केंद्र सरकार की तरफ से राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद् (एनसीएसएम ) के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल एवं सचिव एनसीएसएम ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एनसीएसएम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की एक स्वायत्तशासी संस्था है जो देश में विज्ञान संग्रहालयों का निर्माण तथा संचालन करती है। देहरादून में स्थापित होने वाली साइंस सिटी झाझरा स्थित विज्ञान धाम में विकसित होगी।
साइंस सिटी लगभग चार वर्षों में बनकर तैयार हो जाएगी। 173 करोड़ रूपये की इस परियोजना के लिए 88 करोड़ रूपये केन्द्र सरकार एवं 85 करोड़ रूपये राज्य सरकार वहन करेगी।
इस अवसर पर त्रिवेंद्र ने कहा कि देहरादून में बनने वाले साइंस सिटी सबके आकर्षण का केन्द्र बने इसके लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने निर्देश दिए कि इसे निर्धारित समयावधि से पूर्व पूर्ण करने के प्रयास किये जाएं। उन्होंने कहा कि भारत की वैज्ञानिक संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। राज्य सरकार का प्रयास होगा कि उत्तराखण्ड के वैशिष्ट्य को लोग साइंस सिटी के माध्यम से देख सकें।
प्रस्तावित साइंस सिटी में खगोल एवं अंतरिक्ष विज्ञान, रोबोटिक्स, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विरासत, भू-गर्भीय जीवन, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, वर्चुअल रियलिटी, ऑग्मेंटेड रियलिटी, आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स के साथ स्पेस थियेटर सहतारामंडल, हिमालय की जैवविविधता पर डिजिटल पैनोरमा, सिम्युलेटर, एक्वेरियम, उच्च वोल्टेज व लेजर, आउटडोर साइंस पार्क, थीम पार्क, बायोडोम, बटरफ्लाई पार्क, जीवाश्म पार्क एवं मिनिएचर उत्तराखंड आदि होंगे।
साथ ही अन्य सुविधाओं के रूप में कन्वेंशन सेंटर तथा प्रदर्शनी हॉल आदि भी साइंस सिटी का हिस्सा होंगे। साइंस सिटी प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संचार, लोकव्यापीकरण तथा नवप्रवर्तन की दिशा में विद्यार्थियों, शिक्षकों, आम नागरिकों एवं पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण तथा आकर्षण का केन्द्र होगी।
इस अवसर पर विधायक सहदेव सिंह पुण्डीर, ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आर.के सुधांशु, एनसीएसएम के भूतपूर्व महानिदेशक गंगा सिंह रौतेला, निदेशक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम डॉ. अजंन रे, अपर सचिव विजय यादव, अपर प्रमुख वन संरक्षक डॉ. समीर सिन्हा, डॉ. प्रकाश चौहान आदि उपस्थित थे।