70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए आधार से बनेंगे आयुष्मान कार्ड, मिलेगी कैशलेस इलाज की सुविधा..
उत्तराखंड: आयुष्मान भारत योजना में 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए आधार नंबर से आयुष्मान कार्ड बनाए जाएंगे। इस योजना के शुरू होने से प्रदेश में रहने वाले बाहरी राज्यों के बुजुर्गों को सूचीबद्ध अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा जो अभी तक योजना के दायरे में नहीं है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी। केंद्र सरकार ने 2018 में आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। इसमें गरीब परिवाराें को पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा दी गई। केंद्रीय योजना में उत्तराखंड के 5.37 लाख परिवार शामिल थे।
पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा..
आपको बता दे कि 2019 में प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी 23 लाख राशन कार्डधारकों के लिए कैशलेस इलाज की सौगात दी थी। इनके इलाज पर आने वाला खर्चा राज्य सरकार को उठाना पड़ रहा है। अब केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाकर 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा दी है। इससे प्रदेश सरकार को बुजुर्गों के इलाज का खर्चा नहीं उठाना पड़ेगा। साथ ही राज्य में रहने वाले बाहरी राज्यों के बुजुर्गों को भी कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बुजुर्गों को कैशलेस इलाज की बढ़ी सौगात दी है। प्रदेश में यह सुविधा पहले से बुजुर्गों को मिल रही है। प्रदेश सरकार की ओर से संचालित राज्य आयुष्मान योजना के दायरे से बाहर बुजुर्गों का आधार नंबर से आयुष्मान कार्ड बनाए जाएंगे।
आयुर्वेद पैरामेडिकल कॉलेजों में इसी सत्र से शुरू होगा डायटीशियन कोर्स..
उत्तराखंड: प्रदेश के आयुर्वेद पैरामेडिकल कॉलेजों में इसी शैक्षिक सत्र से डायटीशियन कोर्स शुरू करने की तैयारी है। सात अक्टूबर को शासन स्तर पर प्रस्तावित बैठक में इस पर फैसला हो सकता है। इसके बाद 15 अक्टूबर से आयुर्वेद के कई कोर्सों में दाखिले के लिए काउंसलिंग शुरू की जाएगी। भारतीय चिकित्सा परिषद की रजिस्ट्रार नर्वदा गुसाईं का कहना हैं कि आयुर्वेद चिकित्सा में डायटीशियन की काफी मांग है। इसे देखते हुए परिषद ने शैक्षिक सत्र 2024-25 से डायटीशियन कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
इसके साथ ही आयुर्वेद फार्मासिस्ट, नर्सिंग, पंचकर्म सहायक, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सहायक कोर्स में शैक्षिक अर्हता में आयु सीमा में छूट के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। सचिव आयुष रविनाथ रामन की अध्यक्षता में सात अक्टूबर को डायटीशियन कोर्स, शैक्षिक अर्हता में छूट देने के लिए बैठक बुलाई है। जिसमें इन मुद्दों पर निर्णय हो सकता है। इसके बाद 15 अक्टूबर से आयुर्वेद पैरामेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसलिंग शुरू की जाएगी।
3.36 करोड़ से बनेगा परिषद का भवन..
भारतीय चिकित्सा परिषद का कार्यालय वर्तमान में किराये के भवन में चल रहा है। आयुर्वेद विवि हर्रावाला के पास परिषद का नया भवन बनाया जाएगा। सात अक्टूबर को भवन का शिलान्यास होगा। इस भवन पर 3.36 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान है।
उत्तराखंड में लागू हुई नई व्यवस्था, सड़क दुर्घटना में मिलेगा 1.50 लाख का तक कैशलेस इलाज..
उत्तराखंड: सड़क दुर्घटना में घायलों को अब आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों में 1.50 लाख तक कैशलेस इलाज मिलेगा। यह सुविधा आयुष्मान योजना से अलग होगी। घायलों के लिए इलाज पर खर्च राशि का भुगतान सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय करेगा। इस नई व्यवस्था को प्रदेश में लागू कर दिया गया। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने सभी सूचीबद्ध अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिए हैं। जिन लोगों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है और सड़क दुर्घटना में घायल हो जाते हैं, तो उन्हें भी नई व्यवस्था के तहत कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। अस्पतालों को इलाज पर आने वाले खर्च का भुगतान मंत्रालय की ओर से किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ.धन सिंह रावत का कहना हैं कि इस नई योजना को प्रदेश में लागू कर दिया गया है। इसके लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने सभी तैयारियां कर ली हैं। सड़क दुर्घटना के मरीज को अधिकतम सात दिन की अवधि के लिए 1.50 लाख तक का इलाज मिलेगा। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों की दृष्टि से उत्तराखंड संवेदनशील है। यह व्यवस्था घायलों के इलाज में मददगार साबित होगी।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि सड़क हादसे में घायल व्यक्ति की अस्पताल में ई-डीएआर यानी डिटेल एक्सीडेंट रिपोर्ट जनरेट होगी। उसी आईडी से उपचार शुरू हो जाएगा। इस सुविधा के लिए मरीज के पास आयुष्मान या किसी अन्य योजना का कार्ड होना भी अनिवार्य नहीं है।
धामी सरकार ने तीन साल में शुरु किए दो मेडिकल कॉलेज..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी के तीन साल के कार्यकाल के दौरान, उत्तराखंड में दो नए मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुके हैं। धामी सरकार के कार्यकाल के दौरान 2022 में अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुका है, और अब इसी सत्र से हरिद्वार मेडिकल कॉलेज भी शुरू होने जा रहा है। दोनों जगह की कुल 200 नई सीटें जुड़ने से उत्तराखण्ड में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में मेडिकल सीटों की संख्या बढ़कर 625 हो गई है।
धामी सरकार के कार्यभार ग्रहण करने से पहले प्रदेश में श्रीनगर, देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज ही संचालित हो रहे थे। हालांकि तब तक अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज और हरिद्वार मेडिकल कॉलेज पर भी काम शुरू हो चुका था। कार्यभार ग्रहण करने के तत्काल बाद प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ ही एमबीबीएस सीटों की संख्या बढ़ाने के संकल्प के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन दोनों मेडिकल कॉलेजों को प्राथमिकता पर शुरू करने के निर्देश दिए।
जिसके बाद दोनों मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर पूरा किया गया। जिसमें से अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज का निर्माण पहले पूरा होने पर यहां 2022 से ही मेडिकल की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। अब इसी क्रम में हरिद्वार मेडिकल कॉलेज का भी निर्माण कार्य पूरा होने से इसी शैक्षिक सत्र से यहां भी एमबीबीएस की 100 सीटों पर प्रवेश का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए मौजूदा शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए 100 सीटें मंजूर कर दी हैं। इसके लिए अब काउंसिलिंग शुरू की जा रही है। इससे प्रदेश के और अधिक बच्चों को एमबीबीएस करने का मौका मिलेगा, इसके लिए उन्हें सरकारी फीस ही चुकानी है।
हमारी सरकार नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के जरिए जहां स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार कर रही है, वहीं इससे मेधावी छात्रों को भी अपने प्रदेश में ही मेडिकल की पढ़ाई सस्ती दरों पर करने का मौका मिलेगा। हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए जल्द पहले बैच की काउंसिलिंग शुरू होगी, जल्द ही पिथौरागढ़ और रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज का निर्माण पूरा करते हुए जरूरी मान्यता दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
देश का पहला सैन्यधाम इस महीने बनकर होगा तैयार- सैनिक कल्याण मंत्री..
उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत राजधानी के गुनियाल गांव में बन रहा देश का पहला सैन्यधाम लगभग तैयार हो चुका है। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी का कहना हैं कि धाम का 85 फीसदी काम पूरा हो चुका है। 15 फीसदी काम इसी महीने पूरा हो जाएगा। विभागीय मंत्री ने धाम का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को सैन्यधाम के अंतिम चरण के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सैन्यधाम की भव्यता और दिव्यता पर अधिकारियों को विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। कहा, सैन्य धाम को जल्द ही प्रदेश की जनता को समर्पित किया जाएगा।
उनका कहना है कि देशभर के स्मारकों के अध्ययन के बाद सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा, जिसमे 1,734 शहीद जवानों के आंगन की मिट्टी और प्रदेश की 28 पवित्र नदियों का जल अमर जवान ज्योति के मुख्य स्तंभ में प्रतिस्थापित किया गया है। सैन्य धाम में लाइट एंड साउंड शो, म्यूजियम व ऑडिटोरियम टैंक, सैन्य जहाज सहित अन्य सैन्य उपकरण भी रखे जाएंगे।
धाम आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति के लिए करेगा प्रेरित..
शहीदों के प्रति सम्मान एवं सेना के शौर्य, पराक्रम व गौरवशाली इतिहास को संजोकर रखने के उद्देश्य से सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि हमारे अमर बलिदानियों की शौर्य गाथाओं के प्रतीक उत्तराखंड का पंचमधाम सैन्यधाम वीर नारियों, वीर माताओं और प्रदेश की जनता को समर्पित किया जाएगा। यह धाम निश्चित ही आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति के लिए प्रेरित करने का कार्य करेगा। निरीक्षण के दौरान कार्यदायी संस्था पेयजल निगम के एमडी रणवीर सिंह चौहान, उपनिदेशक कर्नल एमएस जोधा, उप सचिव निर्मल कुमार, परियोजना निदेशक रवींद्र कुमार, जिला पंचायत उपाध्यक्ष दीपक पुंडीर आदि रहे।
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने खुले बाजार से बिजली खरीदने पर लगाया सरचार्ज..
उत्तराखंड: खुले बाजार यानी ओपेन एक्सेस से बिजली खरीदने वालों को अब अतिरिक्त पैसा देना होगा। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल की याचिका पर सुनवाई करते हुए ओपेन एक्सेस उपभोक्ताओं के लिए 1.12 रुपये प्रति यूनिट की दर से एडिशनल सरचार्ज लगा दिया है। इससे आम उपभोक्ता प्रभावित नहीं होंगे। कई बड़े उपभोक्ता ऐसे भी हैं जो कि खुले बाजार से बिजली खरीदते हैं।
यूपीसीएल इन उपभोक्ताओं से सरचार्ज वसूल करता है। यूपीसीएल ने पिछले दिनों नियामक आयोग में याचिका दायर करते हुए एडिशनल सरचार्ज की मांग की थी। नियामक आयोग में अध्यक्ष एमएल प्रसाद व सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने 1.12 रुपये प्रति यूनिट की दर से एडिशनल सरचार्ज को मंजूरी दे दी है। यह सरचार्ज ओपेन एक्सेस उपभोक्ताओं से एक अक्टूबर से अगले साल 31 मार्च तक वसूल किया जाएगा। इससे आम बिजली उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। नियामक आयोग के सचिव नीरज सती का कहना हैं कि यह व्यवस्था केवल ओपेन एक्सेस उपभोक्ताओं के लिए है।
हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में 3 अक्टूबर से शुरू होगी 100 सीटों पर काउंसलिंग..
उत्तराखंड: स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत आज धर्मनगरी पहुंचे, जहां उन्होंने निर्माणाधीन राजकीय मेडिकल कॉलेज जगजीतपुर (हरिद्वार मेडिकल कॉलेज) का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कॉलेज में किए गए निर्माण कार्य और सुविधा पर संतोष व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने घोषणा की है कि यह मेडिकल कॉलेज इसी वर्ष से शुरू हो जाएगा। मेडिकल कॉलेज का 80 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है और हॉस्टल भी लगभग 80% बन गए हैं। दो-तीन महीने में फर्स्ट ईयर के बच्चों को कक्षा और लाइब्रेरी की सुविधा मिलने लगेगी।
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का कहना हैं कि हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए 3 से 20 अक्टूबर तक काउंसलिंग शुरू की जाएगी। उत्तराखंड में अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज और देहरादून मेडिकल कॉलेज हैं। अब इस साल से हरिद्वार मेडिकल कॉलेज भी शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में 58 प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त कर दिए गए हैं। अब पैरामिलिट्री स्टाफ की भी नियुक्ति की जाएगी।
लैब और नर्सिंग कॉलेज मानकों के तहत होंगे संचालित..
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि प्राइवेट हॉस्पिटल, लैब और नर्सिंग कॉलेज मानकों के तहत संचालित हों, इस संबंध में सभी सीएमओ को आदेश जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने राज्यों के लिए भी एक एसओपी जारी की है और जो भी मानक हैं, उसी के तहत सभी लोग कार्य करेंगे। आपको बता दें कि भारत सरकार ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए 100 एमबीबीएस की सीटें आवंटित कर दी हैं। जिस पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का धन्यवाद देते हुए आभार जताया है।
उत्तराखंड में 143 शिक्षक बीमार, अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई शुरू..
उत्तराखंड: प्रदेश में 143 शिक्षक बीमार मिले हैं। शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने कहा कि शारीरिक और मानसिक अस्वस्थ इन शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति की दिए जाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसमें सबसे अधिक 100 शिक्षक देहरादून जिले के हैं। गढ़वाल मंडल के शिक्षकों की तीन अक्तूबर को स्क्रीनिंग होगी। इसके बाद शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। शिक्षा विभाग में तबादले और संबद्धता के लिए कई शिक्षक बीमार हो जाते हैं, जिससे इनके मूल विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है।
जबकि बीमार शिक्षकों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने के पूर्व में कई बार आदेश हो चुके हैं। शिक्षा मंत्री और शासन के आदेश के बाद भी जिलों से विभाग को इस तरह के शिक्षकों की रिपोर्ट नहीं मिल रही थी। विभाग की ओर से इस तरह के शिक्षकों की सूची तलब की गई। शिक्षा महानिदेशक का कहना हैं कि प्रदेश में 142 शिक्षक और एक कर्मचारी शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ मिले हैं। इसमें प्राथमिक के 84, सहायक अध्यापक एलटी के 44, प्रवक्ता 11, एक लिपिक और तीन प्रधानाचार्य शामिल है।
इन जिलों में बीमार हैं शिक्षक और कर्मचारी..
बागेश्वर-03, अल्मोड़ा-02, नैनीताल-04, चमोली-08, रुद्रप्रयाग-03, ऊधमसिंह नगर-01, पिथौरागढ़-शून्य, चंपावत-02, पौड़ी-02, देहरादून-100, उत्तरकाशी-02, हरिद्वार-13, टिहरी-03
दो साल में जो रिपोर्ट नहीं मिली तीन दिन में मिल गई..
शिक्षा विभाग में बीमार शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के समय-समय पर आदेश जारी होते रहे हैं। वर्ष 2002 में भी इसका आदेश हुआ, लेकिन अब तक शिक्षा महानिदेशालय को इस तरह के शिक्षकों की रिपोर्ट नहीं मिल पा रही थी। अब नवनियुक्त शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान की ओर से 26 सितंबर को सभी जिलों से तीन दिन के भीतर रिपोर्ट तलब की गई, जिस पर हर जिले से विभाग को शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ शिक्षकों की रिपोर्ट मिली है। शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए शासनादेश के अनुसार कार्रवाई होगी। गढ़वाल मंडल में इसके लिए स्क्रीनिंग की तिथि भी तय हो चुकी है।
पिथौरागढ़ का आखिरी गांव नामिक अब बिजली से होगा रोशन, 340 परिवारों को मिलेगी बिजली..
उत्तराखंड: पिथौरागढ़ जिले का अंतिम गांव जल्द ही बिजली की रोशनी से जगमगाएगा। यहां पहली बार ग्रिड से बिजली पहुंचेगी। 340 परिवारों के घर रोशन होंगे। यूपीसीएल ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। मुनस्यारी विकासखंड मुख्यालय से 50 किमी दूर नामिक जिले का अंतिम गांव है। इस दुर्गम गांव में पहुंचने के लिए 24 किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। अब तक नामिक बिजली से रोशन नहीं हो सका है, इस गांव के 340 परिवारों की एक हजार से अधिक की आबादी दुश्वारियां झेल रही हैं।
अब पहली बार नामिक में बिजली पहुंचेगी इसकी पहल यूपीसीएल ने की है। गांव को रोशन करने के लिए 3.46 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसकी स्वीकृति मिल चुकी है। यूपीसीएल का दावा है कि जल्द ही यहां ग्रिड से बिजली पहुंचाई जाएगी।
15 किमी लंबी बिछेगी लाइन, लगेंगे 12 ट्रांसफार्मर..
धारचूला यूपीसीएल के ईई बीके बिष्ट का कहना हैं कि गोला गांव तक ग्रिड से बिजली पहुंचाई गई है। यहां से नामिक तक बिजली पहुंचाने के लिए 11 केवीए की 15 किमी लंबी लाइन बिछाई जाएगी। वहीं नामिक को रोशन करने के लिए 12 ट्रांसफार्मर स्थापित होंगे।
उरेडा की योजना से सिर्फ चार घंटे मिलती है बिजली..
नामिक गांव में अब तक ग्रिड से बिजली नहीं पहुंची है। उरेडा की बिजली परियोजना से भी ग्रामीणों को राहत नहीं मिल रही है। ऐसा इसलिए कि इस छोटी परियोजना से ग्रामीण सिर्फ दो घंटे सुबह और दो घंटे शाम को ही घरों को रोशन कर सकते हैं। बल्ब के साथ ही कोई अन्य उपकरणों का प्रयोग नहीं किया जा सकता। नामिक गांव को प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत चयनित किया गया है। यहां ग्रिड से बिजली पहुंचेगी। ग्रामीणों को पर्याप्त बिजली मिलेगी। योजना को धरातल पर उतारने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। जल्द काम शुरू होगा।
राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण की स्थापना को सरकार की मंजूरी नहीं मिली..
उत्तराखंड: प्रदेश के सरकारी और निजी विद्यालयों में शिक्षा में सुधार के लिए प्रस्तावित राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना को दो साल बाद भी शासन की मंजूरी नहीं मिली। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने शासन को वर्ष 2022 में इसका प्रस्ताव भेजा था। जिसे मंजूरी न मिलने से विद्यालयों के न्यूनतम मानक तय करने में परिषद एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सिफारिश की गई है कि सभी विद्यालयों में न्यूनतम व्यावसायिक एवं गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए राज्य एक स्वतंत्र राज्य व्यापी निकाय का गठन करेगा। राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण बुनियादी मानदंडों, सुरक्षा, बचाव, आधारभूत ढांचे, विद्यालयों में कक्षाओं और विषयों के आधार पर शिक्षकों की संख्या आदि के आधार पर न्यूनतम मानक तय करेगा।
प्राधिकरण की ओर से तय किए गए इन सभी मानकों का राजकीय एवं निजी विद्यालय पालन करेंगे। शासन ने इसके लिए पांच जनवरी 2022 को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड को राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण के रूप में काम करने के लिए नामित किया था। जिसे एक एक स्वतंत्र इकाई के रूप में काम करना था। एससीईआरटी ने प्राधिकरण की स्थापना के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था। जो शासन की फाइलों में ही दबकर रह गया।
प्राधिकरण का इन्हें बनाया जाना था अध्यक्ष और सदस्य..
प्रस्ताव के अनुसार शासन की ओर से नामित शिक्षाविद, सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी या सेवानिवृत्त न्यायाधीश जिनका शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा हो। उन्हें इसका अध्यक्ष बनाया जाना था। महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, निदेशक एससीईआरटी, निदेशक एनआईसी, क्षेत्रीय निदेशक सीबीएसई, अपर निदेशक एससीईआरटी, संयुक्त निदेशक शिक्षा महानिदेशालय, शासन की ओर से आईसीएसई विद्यालय के नामित प्रधानाचार्य, सीबीएसई से संबद्ध निजी विद्यालय के प्रधानाचार्य, विद्यालय भारती स्कूल के निरीक्षक एवं शासन की ओर से नामित शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन को प्राधिकरण का सदस्य बनाया जाना प्रस्तावित है। शासन को भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया कि प्राधिकरण के सदस्य तीन साल के लिए नामित होंगे।
उत्तराखंड में खासकर निजी विद्यालयों पर हर साल फीस में मनमानी वृद्धि और जरूरी सुविधाओं की कमी के आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में प्राधिकरण को करीब 16501 सरकारी और 5396 निजी विद्यालयों में न्यूनतम मानक तय करने थे। बताया गया था कि प्राधिकरण विद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले विषय, फीस आदि की सूचनाओं को सार्वजनिक कराएगा। निजी विद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए वेतन भी तय करेगा। विद्यालयों की मान्यता की शर्त तय करने, उसका पालन कराने और विद्यालयों से संबंधित किसी भी तरह की कोई शिकायत मिलने पर उसकी जांच भी प्राधिकरण को करनी थी। प्राधिकरण एक अर्द्ध न्यायिक आयोग होगा, जो किसी स्कूल की मान्यता पूरी तरह से समाप्त करने के साथ ही स्कूल को दंडित कर सकेगा। निदेशक एससीईआरटी बंदना गर्ब्याल का कहना हैं कि प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, जिसे अभी मंजूरी नहीं मिली।