सारकोट पहुंचे सीएम धामी, बलिदानी सैनिक बसुदेव के घर पहुंचकर परिजनों से मिले..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी गुरुवार को गैरसैंण ब्लाक के सारकोट गांव पहुंचे। यहां सीएम लेह में बलिदान हुए सैनिक बसुदेव के परिजनों से मिले और परिजनों को ढांढस बंधाया और शोक संवेदना व्यक्त की। सीएम ने कहा कि हवलदार बसुदेव सिंह ने देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, जिसके लिए पूरा देश उनका ऋणी रहेगा। प्रदेश सरकार शहीद के परिजनों के साथ खड़ी है। उन्होंने बलिदानी हवलदार के परिजनों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।
वहीं प्रदेश के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी भी सारकोट गांव पहुंचे और बलिदानी सैनिक के परिजनों से मिले। साथ ही परिवारजनों को केंद्र एवं राज्य सरकार की तरफ से हर संभव मदद का भरोसा भी दिलाया।गांव में ग्रामीणों ने क्षेत्रीय समस्याओं के संबंध में मंत्री गणेश जोशी को ज्ञापन भी सौंपा। बता दें कि सारकोट गांव के 31 वर्षीय और बंगाल इंजीनियरिंग के हवलदार बसुदेव सिंह 16 अगस्त को लेह में एक दुर्घटना में बलिदान हो गए। इस अवसर पर बलिदानी सैनिक की मां माहेश्वरी देवी, भाई जगदीश, सतीश, बहन वैसाखी देवी सहित अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।
बीफार्मा के हजारों अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट ने दी राहत, 527 विभिन्न पदों के लिए ये थी शर्त..
उत्तराखंड: नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य के पॉलिटेक्निको में 527 विभिन्न खाली पड़े पदों को भरने के लिए जारी विज्ञप्ति की शर्तों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद उन अभ्यर्थियों को भी परीक्षा में शामिल करने को कहा है जिनकी विज्ञप्ति में जारी शर्तों के अनुसार बीफार्मा में फर्स्ट डिवीजन नही थे। यानी कि अब वे अभ्यर्थी भी इसमे प्रतिभाग कर पाएंगे जिनकी बीफार्मा में सेकंड डिविजन व अन्य थी।
यह प्रक्रिया कोर्ट के निर्णय के अधीन रहेगी। वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खण्डपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. मामले के अनुसार पौड़ी निवासी विनोद सहित कई अन्य अभ्यर्थियो ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर 7 जुलाई को जारी विज्ञप्ति को चुनौती देते हुए कहा था कि राज्य सरकार ने पॉलिटेक्निक में खाली पड़े 527 विभिन्न पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति जारी की थी। लेकिन विज्ञप्ति में शर्त यह रखी थी कि वे ही अभ्यर्थी इसमे शामिल होंगे जिनकी बी फार्मा में फर्स्ट डिवीजन होगी।
जिसकी वजह से वे इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल नही हो पा रहे है। इसलिए उन्हें इसमे प्रतिभाग करने की अनुमति दी जाय। क्योंकि राज्य सरकार ने खाली पड़े पदों को भरने के लिए 2015 के बाद अब विज्ञप्ति जारी की है। इससे पहले यह नियम लागू नही था। हम कई वर्षों से इसकी तैयारी कर रहे अब राज्य सरकार ने नियमों में संशोधन करके बी फार्मा में फर्स्ट डिवीजन होना अनिवार्य कर दिया। जो गलत है। इसलिए उन्हें परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया जाए।
उत्तराखंड का एक ऐसा स्कूल, जहां ओपन थिएटर में बच्चे जगा रहे कॉन्फिडेंस..
उत्तराखंड: अक्सर बच्चे कॉपी किताबों के बोझ में फंसे रहते हैं। जिस कारण से उन्हें अन्य चीजों की जानकारी कम हो पाती है। ऐसे में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में एक ऐसा स्कूल है। जहां पर बच्चों को थिएटर की जानकारी दी जा रही है और ये स्कूल जिले का पहला स्कूल है। जहां पर थिएटर की जानकारी स्कूली बच्चों को दी जा रही है। अल्मोड़ा के शारदा पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें थिएटर भी कराया जा रहा है।
थिएटर के जरिए बच्चों को कैसे मंच पर परफॉर्मेंस करनी चाहिए और किसी भी कैरेक्टर में आपको कैसे अभिनय करना है, उसके बारे में भी बारीकी से बच्चों को जानकारी दी जा रही है। सबसे ज्यादा फायदा उन बच्चों के लिए है, जो थिएटर लाइन में जाना चाहते हैं, उन बच्चों की नींव अभी से मजबूत होगी और वह आगे जाकर अच्छे कलाकार बन सकते हैं। वहीं, स्कूल की छात्रा अर्पिता जोशी ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ थिएटर मन को रिफ्रेश भी करता है। थिएटर में आपको अपने भाव को प्रकट करने पड़ता है। उन्हें काफी अच्छा लग रहा है कि उनके स्कूल में थिएटर कराया जा रहा है और वह थिएटर के जरिए बहुत कुछ सिख भी रही हैं।
शिक्षा विभाग ने छात्रों की कक्षा के हिसाब से तय किया बस्ते का वजन..
उत्तराखंड: शिक्षा विभाग ने छात्र-छात्राओं की कक्षा के हिसाब से स्कूल बस्ते का वजन तय किया है। शिक्षा सचिव रविनाथ रामन की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। शिक्षा महानिदेशक को जारी आदेश में कहा गया है कि पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों को बस्ते से मुक्त रखा गया है। वहीं कक्षा 6 और 7 के छात्रों का 3 और 12वीं के छात्रों के बस्ते का वजन 5 किलोग्राम से अधिक नहीं होगा।
शिक्षा सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश पर 11 जनवरी 2024 को प्रदेश के विद्यालयों में बस्ता रहित दिवस के संचालन के निर्देश दिए गए थे। जबकि अब केंद्र सरकार के स्कूल बैग पॉलिसी 2020 के आधार पर स्कूल बस्ते का वजन तय किया गया है। इस संबंध में निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। जिसके आधार पर कक्षावार स्कूल बस्ते का वजन तय किया गया है।
बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास हो रहा प्रभावित..
अभिभावकों के अनुसार नर्सरी से लेकर 12वीं तक के छात्र-छात्राओं के बस्ते का अच्छा खासा वजन है। बस्ते का अधिक वजन होने से बच्चे बुरी तरह से थक जाते हैं। इससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है। पहले बच्चे स्कूल से घर आने पर खेलते थे, अब घर आते ही थक कर सो जाते हैं। बस्ते का वजन कम करने के लिए वजन तय करना सरकार की अच्छी पहल है।
कक्षा बस्ते का अनुमानित वजन किलो में
पूर्व प्राथमिक बस्ता मुक्त
कक्षा 1 व 2 1.6 से 2.2
कक्षा 3 से 5 1.7 से 2.5
कक्षा 6 से 7 2 से 3
कक्षा 8 2.5 से 4
कक्षा 9 व 10 2.5 से 4.5
कक्षा 11 व 12 3.5 से 5
केंद्र सरकार के निर्देश के बाद कक्षावार छात्रों के बस्ते का वजन तय किया गया है। यह व्यवस्था प्रदेश के सरकारी और निजी सभी विद्यालयों के लिए लागू होगी।
पर्यटकों को मोह रही बद्रीनाथ हाईवे पर स्थित जोगीधारा की खूबसूरती..
सामने से गुजरने वाला खुद को नहीं रोक पाता..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ हाईवे पर जोशीमठ से दो किमी पहले जोगीधारा अपना सम्मोहन बिखेर रहा है। यही वजह है कि यहां से गुजरने वाले यात्री इस झरने में स्नान का मोह नहीं त्याग पा रहे। झरने के पास सेल्फी लेने के लिए भी यात्री व पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यह झरना इस बार मई में पूरी तरह सूख गया था, लेकिन वर्षाकाल में झरने के दोबारा अपने मूल स्वरूप में लौटने से प्रकृति प्रेमी खुश हैं। औली के जंगल में मौजूद प्राकृतिक स्रोत से निकलने वाला यह झरना बद्रीनाथ हाईवे से गुजरने के बाद अलकनंदा नदी में मिल जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर आने वाले साधु-संत इस धारे के आसपास स्थित गुफाओं में विश्राम करते थे। साधु-संतों को प्रिय होने के कारण ही इस धारे का नाम जोगीधारा पड़ा। इस बार मई आखिर में यह झरना पूरी तरह सूख गया था, लेकिन अब यह पहले जैसे ही मनोहारी स्वरूप में यहां से गुजरने वालों को आनंदित कर रहा है।
जोगीधारा अपने आप में ही एक खूबसूरत पर्यटन स्थल..
औली के होटल कारोबारी अजय भट्ट कहते हैं कि जोगीधारा अपने आप में ही एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। स्थानीय होटल कारोबारी इसे डेस्टिनेशन के रूप में प्रचारित कर यात्री व पर्यटकों को यहां पर भेजते हैं। जोशीमठ के पूर्व पालिकाध्यक्ष शैलेंद्र पंवार का कहना हैं कि नगर पालिका की ओर से इस नए पर्यटन डेस्टिनेशन का सुंदरीकरण किया गया है। यहां पुल के साथ नहाने के लिए एक तालाब और पास ही में एक प्रतीक्षालय व एक शौचालय भी बनाया गया है। इस झरने में मिट्टी-पत्थर बहकर भी नहीं आते, इसलिए यहां स्नान करना पूरी तरह सुरक्षित है। जोगीधारा को नगर के पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए कार्य योजना बनाए जाने की आवश्यकता है।
उत्तराखंड खनन विभाग में इन अफसरों को मिला प्रमोशन, शासन से आदेश जारी..
उत्तराखंड: खनन विभाग में लंबे समय से इंतजार कर रहे सीनियर अधिकारियों को प्रमोशन का तोहफा मिला हैं। शासन ने निदेशालय स्तर पर तीन अधिकारियों के प्रमोशन के आदेश जारी किए हैं। विभाग में अपर सचिव लक्ष्मण सिंह ने प्रमोशन से जुड़ा आदेश जारी किया है। उत्तराखंड शासन ने खनन विभाग में तीन अधिकारियों के प्रमोशन किए हैं। आदेश के अनुसार खनन निदेशालय में संयुक्त निदेशक की जिम्मेदारी देख रहे अनिल कुमार को अपर निदेशक पद पर प्रमोशन दिया गया है। उप निदेशक गंगाधर प्रसाद को संयुक्त निदेशक के पद पर प्रमोशन मिला है। इसी तरह उप निदेशक दिनेश कुमार को भी संयुक्त निदेशक पद पर प्रमोशन दिया गया है। खनन विभाग में यह तीनों ही अधिकारी काफी समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे थे। जिस पर विचार करने के बाद आखिरकार अब शासन ने प्रमोशन देने का फैसला लिया है।
आपको बता दे कि अब तक खनन विभाग के लिए विभागीय नियमावली नहीं बन पाई थी, जिसके लिए शासन स्तर पर विचार किया जा रहा था। ऐसे में विभागीय नियमावली बनने के बाद विभागीय ढांचे को मिली मंजूरी के फौरन बाद प्रमोशन दिया गया है। खनन विभाग में अपर निदेशक और संयुक्त निदेशक का पद खाली चल रहा था। ऐसे में अब इन तीन अधिकारियों को प्रमोशन मिलने के बाद इन खाली पदों को भरा जा सकेगा और विभिन्न खनन से जुड़े कार्यों में भी तेजी लाई जा सकेगी। खनन विभाग उत्तराखंड में राजस्व के लिहाज से महत्वपूर्ण विभाग है। ऐसे में खनन विभाग अपने राजस्व से जुड़े लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास कर रहा है। खनन विभाग में निदेशालय स्तर पर कुल ढांचा 72 कर्मियों का है, लेकिन इसमें कुछ पद खाली थे, जिन्हें प्रमोशन के जरिए भर गया है। इन तीन अधिकारियों के प्रमोशन के बाद अब बाकी पदों पर भी प्रमोशन का रास्ता खुल गया है।
राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों के लिए खुशखबरी, नौकरी में मिला 10% आरक्षण..
उत्तराखंड: प्रदेश में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की अधिसूचना जारी होने के बाद अब सभी भर्तियों के विज्ञापन बदलेंगे। इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है। शासन या विभागों से कई भर्तियों के अधियाचन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को भेजे गए हैं। इनकी विज्ञप्ति अभी जारी नहीं हुई। इस बीच 10 प्रतिशत राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण लागू हो गया है। लिहाजा इन सभी भर्तियों के विज्ञापन अब इस आरक्षण के साथ लागू होंगे। इसके साथ ही जिन भर्तियों के अधियाचन अभी आयोगों को नहीं गए हैं, उन्हें अब क्षैतिज आरक्षण के साथ ही भेजा जाएगा। कार्मिक विभाग लोअर पीसीएस भर्ती के अधियाचन में ये बदलाव करके ही आयोग को भेजेगा। इसी प्रकार अन्य भर्तियां भी अब आंदोलनकारी आरक्षण के साथ ही होंगी।
आपको बता दे कि विधायी विभाग ने सरकारी नौकरियों की भर्ती में चिह्नित राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की अधिसूचना जारी कर दी है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने रविवार को क्षैतिज आरक्षण संबंधी विधेयक को मंजूरी दी थी। मंजूरी मिलने के बाद विधायी विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी। इस कानून के लागू होने के बाद अब प्रदेश के चिह्नित आंदोलनकारियों के सभी आश्रितों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण लाभ मिलेगा।
पूर्व सरकारों में राज्य आंदोलनकारियों के केवल एक आश्रित के लिए क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। उसमें एक आश्रित पुत्र अथवा विवाहित पुत्री का जिक्र था, लेकिन नए कानून में चिह्नित आंदोलनकारियों की परित्यक्ता, विधवा, तलाकशुदा पुत्री को भी क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। प्रवर समिति ने जितने भी संशोधन सुझाए थे, उन्हें एक्ट में शामिल किया गया है। राज्य आंदोलनकारी क्रांति कुकरेती के मुताबिक, एक्ट की परिभाषा को व्यापक किया गया है और इसके दायरे में सभी आश्रितों को लाया गया है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि राज्य अधीनस्थ चयन आयोग और लोकसेवा आयोग को भेजे जाने वाले अधियाचन में चिह्नित राज्य आंदोलनकारियों को दिए जाने वाले क्षैतिज आरक्षण संबंधी संशोधन कर दिया जाए, ताकि आने वाले समय में होने वाली भर्तियों में इसका लाभ मिल सके।
राजकीय इंटर कॉलेज श्रीनगर की भूमि पर बनेगा डिग्री कॉलेज- शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत..
उत्तराखंड: कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज करोड़ों रुपए की लागत के शिलान्यास एवं लोकार्पण किए हैं। साथ ही श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों से संवाद कार्यक्रम में भी प्रतिभाग किया। इसी बीच कमलेश्वर मंदिर में पौने दो करोड़ की लागत से होने वाले नवनिर्माण कार्यों का निरीक्षण किया और जानकारी देते हुए कहा कि कमलेश्वर मंदिर का गर्भ ग्रह अष्टधातु से बनाया गया है, जिसकी लागत 11 लाख रुपए है। कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत राजकीय प्राथमिक विद्यालय (श्रीनगर) पहुंचे, जहां उन्होंने 21 लाख 14 हजार रुपए की लागत से विद्यालय के नव निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया। साथ ही वार्ड नंबर 10 में बुघाणी रोड के समीप स्वागत द्वार का लोकार्पण किया, जिसकी लागत 5 लाख 27 हजार रुपए है। उनका कहना है कि राजकीय इंटर कॉलेज श्रीनगर की 20 नाली भूमि पर एक डिग्री कॉलेज भी बनाया जाएगा, जिससे दूर-दराज के छात्रों को केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने की समस्या से छुटकारा मिलेगा।
धन सिंह रावत का कहना हैं कि प्रत्येक स्कूलों में टीचरों की कमियों को पूरा किया जा रहा है। पूरे प्रदेश में 7 हजार टीचरों की नियुक्तियां चल रही हैं। पौड़ी जिले में 300 नियुक्तियां प्राथमिक स्कूलों में होनी हैं, जिसमें 150 अभ्यार्थियों को नियुक्ति पत्र दे दिए गए हैं, जबकि अन्य को 5 सितंबर से पहले नियुक्ति पत्र दे दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिस स्कूल में 1 से 9 तक छात्र संख्या होगी, वहां एक टीचर दिया जाएगा। वहीं जहां 10 से 30 तक छात्र संख्या होगी, वहां पर दो टीचर दिए जाएंगे, जबकि 30 से 70 तक छात्र संख्या वाले स्कूलों में तीन टीचर होंगे। वहीं 70 से 100 छात्र संख्या वाले स्कूलों में चार टीचर और 100 से अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों में पांच अध्यापकों की नियुक्ति की जाएगी।
धन सिंह रावत ने कहा कि कई गांव के स्कूल ऐसे हैं, जहां रास्ते सही नहीं हैं, उन स्कूलों में लाइट की व्यवस्था की जाएगी. साथ ही श्रीनगर नगर निगम के अंतर्गत 100 से अधिक लाइटें लगाई जाएगी, जिससे समस्त नगर निगम क्षेत्र रात में जगमगाता नजर आएगा और गोला बाजार को डेढ़ करोड़ की लागत से भव्य बनाया जाएगा। वहीं, उन्होंने रामलीला कमेटी के लोगों के साथ बैठक कर रामलीला मैदान को और अधिक भव्य बनाने हेतु विचार-विमर्श किया। राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर गढ़वाल में सभी सीनियर रेजिडेंट व समस्त जूनियर रेजिडेंट ( पीजी एवं नॉन पीजी ) एवं इंटर्न चिकित्सकों से व्यवस्थाओं को सुधारने हेतु सुझाव लिए, जिस पर कैबिनेट मंत्री ने कहा कि 40 दिनों के अंतर्गत 100 प्रतिशत समस्त उत्तराखंड में नर्सिंग स्टाफ दे दिया जाएगा और मेडिकल कॉलेज में जहां-जहां जरूरत होगी, वहां सीसीटीवी कैमरे लगा दिए जाएंगे।
आपको बता दे कि धन सिंह रावत द्वारा राजकीय प्राथमिक विद्यालय श्रीकोट गंगानाली के नवनिर्माण कार्य (लागत 36 लाख 30 हजार रुपए) का शिलान्यास भी किया गया। इसके बाद राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में नर्सेस हॉस्टल के मरम्मत कार्य, आवासीय कॉलोनी में जाने वाले मार्ग के निकट नाले के मरम्मत कार्य, आठ प्राइवेट कक्षा कक्ष की मरम्मत और पुताई के कार्य समेत फार्माकालॉजी विभाग को जाने वाले मार्ग के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया।
आईएएस विनय शंकर पांडेय को मिली बड़ी जिम्मेदारी..
डीजी उद्योग और सिडकुल के एमडी भी बने..
उत्तराखंड: शासन ने आईएएस अधिकारी विनय शंकर पांडेय को तीन और अहम प्रभार सौंपे हैं। उन्हें उद्योग विभाग में महानिदेशक व आयुक्त की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही उत्तराखंड राज्य औद्योगिक विकास निगम (सिडकुल) का भी जिम्मा देखेंगे। उत्तराखंड खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के मुख्य कार्यपालक का भी उन्हें अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वर्तमान में वह सीएम पुष्कर सिंह धामी के सचिव हैं और वहां औद्योगिक विकास और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग का दायित्व देख रहे हैं। साथ ही वह गढ़वाल मंडल आयुक्त का जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं।
उनके पास नई दिल्ली में निवेश आयुक्त का भी दायित्व है। इस हिसाब शासन में पांडेय का कद और बढ़ गया है। बता दें कि सिडकुल के एमडी पद पर रोहित मीणा थे। उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है। उद्योग महकमे की जिम्मेदारी मिलने के बाद अब पांडेय पर औद्योगिक निवेश को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी होगी। प्रदेश सरकार ने निवेशक सम्मेलन में 3.56 लाख करोड़ रुपये के एमओयू किए थे। सरकार का जोर अब इन सभी एमओयू की ग्राउंडिंग पर है। माना जा रहा कि इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर शासन ने पांडेय को उद्योग विभाग की जिम्मेदारी सौंपी है।
गैरसैंण में मानसून सत्र को लेकर तैयारियां जोरों पर, लोगों में नहीं दिख रहा उत्साह..
उत्तराखंड: गैरसैंण (भराड़ीसैंण) में 21 तारीख से तीन दिवसीय मानसून सत्र को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। एक ओर जहां वर्षों से सड़कों में बने गड्ढों को पाटा जा रहा है तो वहीं दूसरी और रंगरोगन कर विधानसभा भवन सहित माननीयों के आवासों को चमकाया जा रहा है। वहीं माननीयों की सुरक्षा व अन्य सुविधाओं को चाक-चौबंद करने में प्रशासन दिन-रात जुटा हुआ है। तीन दिवसीय सत्र को लेकर क्षेत्रीय जनता में कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है। वहीं सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता सत्र को लेकर काफी उत्साहित दिखाई पड़ रहा है। गैरसैंण को लेकर किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद लगाए हुए हैं। वहीं जनता में गैरसैंण में सत्र कराए जाने को लेकर उत्साह न दिखाना सरकारों का गैरसैंण के प्रति उदासीन रवैया भी इसका एक मुख्य कारण माना जा रहा है।
आपको बता दे कि कि गैरसैंण में पूर्व की बहुगुणा सरकार की कैबिनेट बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल व तत्कालीन कर्णप्रयाग विधायक व डिप्टी स्पीकर अनुसूया प्रसाद मैखुरी के प्रयासों के बाद साल 2013 में विधानसभा भवन का भूमिपूजन किया गया. साल 2013 में ही हरीश रावत सरकार ने राजकीय इंटर कॉलेज गैरसैंण के क्रीड़ा मैदान में टैंट वाली विधानसभा का आयोजन के साथ विधानसभा भवन का शिलान्यास भी किया। साल 2020 में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इच्छाशक्ति दिखाते हुए गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर गैरसैंण स्थाई राजधानी की ओर एक कदम बढ़ा दिया। वहीं साल 2022 में त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा ही गैरसैंण को मंडल बनाकर गैरसैंण के विकास के नये रास्ते खोलने की बात कही गई। वहीं भराड़ीसैण विधानसभा परिक्षेत्र के विकास हेतु 25 हजार करोड़ के भारी भरकम बजट की घोषणा की गई। लेकिन वो बजट आज तक स्वीकृत नहीं हो पाया। जिससे जनता ठगा सा महसूस कर रही है। यही कारण है कि जनता में सत्र को लेकर उत्साह नहीं दिखाई दे रही है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलते ही तीरथ सिंह रावत ने गैरसैंण मंडल की घोषणा को रद्द कर दिया गया। जिससे क्षेत्रीय जनता निराश हो गई।
आपको बता दे कि जिला इकाई बनने से एक और जहां सरकार को ग्रीष्मकालीन राजधानी संचालन में आसानी होती तो वहीं क्षेत्रवासियों को जिला बनने से तमाम सुविधाओं का लाभ भी मिलता। गैरसैंण को जिला बनाये जाने की मांग को लेकर कई बार क्षेत्रवासियों ने आंदोलन की राह चुनी, लेकिन सरकारों की उदासीनता के कारण मांग आज तक पूरी नहीं हो पायी है। जिले की मांग को लेकर क्षेत्रीय विधायक अनिल नौटियाल ने कहा कि क्षेत्रवासी लंबे समय से जिले की मांग कर रहे हैं,जो प्रशासनिक ओर विकासीय लिहाज से आवश्यक भी है। उन्होंने प्रस्तावित सत्र में मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष उठाने की बात कहते हुए कहा कि, आशा है गैरसैंण को जल्द जिला बनाया जाएगा। वहीं पूर्व कनिष्ठ प्रमुख प्रेम संगेला ने कहा कि जरूर क्षेत्रवासी तीन दिवसीय सत्र को लेकर उदासीनता हैं। लेकिन दूसरी ओर क्षेत्रवासी सत्र को लेकर आशान्वित भी हैं। कहा कि क्षेत्रवासियों की लंबे समय से गैरसैंण को जिला बनाये जाने की जो मांग है, उसे जरूर पूरा किया जाना चाहिए। जिला बनने से क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं का समय पर निस्तारण हो पायेगा।