ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन-13 स्टेशन, 16 सुरंगें,750 करोड़ से बिछेगा ट्रैक, जल्द शुरू होगा काम..
उत्तराखंड: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर तेजी से काम हो रहा है। अब रेलवे लाइन पर ट्रैक बिछाया जाएगा। चार जुलाई को इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। बता दें कि भारतीय रेलवे का उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर ट्रैक बिछाने का काम शुरू करेगा। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर 750 करोड़ की लागत से इरकॉन इंटरनेशनल जल्द ही ट्रैक बिछाने का काम शुरू करेगी। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है।
आपको बता दें कि सामरिक दृष्टि से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना बेहद ही महत्वपूर्ण है। इसी लिए इसका काम तेजी से पूरा किया जा रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन 125 किलोमीटर लंबी है। इस लाइन पर 16 सुरंगे हैं। इन सुरंगों के खुदान का काम भी लगभग 75 प्रतिशत तक पूरा हो गया है। साल 2025 तक इन सुरंगों के खुदान का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। बता दें कि इस रेलवे लाइन का 105 किलोमीटर हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा। बता दें कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का 120 किलोमीटर हिस्सा जहां सुरंगों से होकर गुजरेगा तो वहीं बाकी का 25 किलोमीटर हिस्से में पुल और रेलवे स्टेशन होंगे।
इस रेलवे परियोजना का काम तेजी से किया जा रहा है और अब रेलवे लाइन पर ट्रैक बिछाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गया है। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि साल 2026 के अंत तक ट्रैक बिछाने का काम भी पूरा कर लिया जाएगा। बता दें कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर कुल 13 स्टेशन हैं। जिसमें से योगनगरी रेलवे स्टेशन और वीरभद्र रेलवे स्टेशन का काम भी पूरा हो चुका है। सबसे खास बात कि योगनगरी रेलवे स्टेशन तक ट्रेनें चलने भी लगी हैं। इसके साथ ही देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर, धारीदेवी, तिलनी, घोलतीर, गौचर, शिवपुरी, ब्यासी और सिंवई (कर्णप्रयाग) में भी स्टेशन हैं।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश का रोडमैप तैयार, तीन लाख लोगों को मिलेगा रोजगार..
उत्तराखंड: राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को दोगुनी करने और रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में निवेश का रोडमैप तैयार किया है। पांच साल में 1.26 लाख करोड़ रुपये के निवेश से तीन लाख लोगों को रोजगार संभावित है। दिसंबर 2023 में हुए वैश्विक निवेशक सम्मेलन में एमओयू किए निवेश प्रस्तावों में अब तक 79 हजार करोड़ के निवेश को धरातल पर उतारने का काम शुरू हो गया है। राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार निवेशकों को प्रोत्साहित कर रही है। इसके साथ ही निवेश को आसान बनाने के लिए औद्योगिक नीतियों में संशोधन किया। सरकार ने 2028 तक राज्य की जीपीडी को दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए औद्योगिक निवेश पर विशेष फोकस है। विनिर्माण क्षेत्र में पांच साल के भीतर सरकार ने 1.26 लाख करोड़ निवेश का लक्ष्य रखा है। इससे तीन लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
2026 तक पूरे होंगे कई बड़े निवेश प्रोजेक्ट..
आपको बता दे कि प्रदेश सरकार ने प्रस्तावित निवेश में 1,741 करोड़ के बड़े प्रोजेक्ट 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसमें 194 करोड़ से फ्लैटेड फैक्टरी, 30 करोड़ से श्रमिक आवास, 177 करोड़ से इलेक्ट्रॉनिक पार्क, 30 करोड़ से वेयर हाउस, 30 करोड़ से प्लास्टिक उत्पाद मूल्यांकन सेंटर, 50 करोड़ से इंडस्ट्रियल पार्क, 650 करोड़ से एजुकेशन सिटी, 500 करोड़ से एयरो सिटी, 50 करोड़ से स्टार्टअप के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर शामिल हैं। उद्योग विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य गठन के बाद जनवरी 2024 तक 16,523 करोड़ का निवेश हुआ है। इससे कुल 84 हजार एमएसएमई और 330 बड़े उद्योग स्थापित हैं। इन उद्योगों में 4.25 लाख लोगों को रोजगार मिला है। लेकिन, वैश्विक निवेशक सम्मेलन में सरकार ने 3.56 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव पर एमओयू हस्ताक्षर किए हैं। इसमें 79 करोड़ के प्रस्ताव पर काम शुरू हो गया है।
जल्द नौकरशाही में बड़ा फेरबदल, इस बार DM और SSP हटेंगे..
उत्तराखंड: प्रदेश में उपचुनाव के बाद नौकरशाही में बड़ा फेरबदल होने की चर्चाएं हैं। उपचुनाव के बाद कई जिलों के एसपी-एसएसपी और डीएम बदले जाएंगे। बता दें कि हालहई में उत्तराखंड की नौकरशाही में फेरबदल किया गया। कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के दायित्व में फिर फेरबदल किया गया और उन्हें इधर से उधर किया गया। वहीं अब कई जिलाधिकारियों और जिले कप्तानों के तबादले जल्द हो सकते हैं।
आपको बता दे कि उत्तराखण्ड में उप चुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर धामी कभी भी बड़ा फैसला ले सकते हैं। हाल ही में 15 आईएएस समेत 17 अफसरों के दायित्वों में फेरबदल किया था। इसके बाद से अब जिलों में डीएम और पुलिस कप्तानों के तबादलों की चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। इनके तबादलों पर प्रारंभिक कसरत भी शुरू हो चुकी है। कई ऐसे जिले हैं जहां जिलाधिकारी को एक ही जिले में टिके हुए दो या दो साल से अधिक का समय हो गया है। बात करें देहरादून की तो देहरादून डीएम सोनिका सिंह को भी 2 साल से ज्यादा हो गया है जिसके बाद अब खबर है कि कई जिलों के डीएम बदले जाएंगे। बात करें अन्य जिले पौड़ी, चमोली, पिथौरागढ़ और बागेश्वर के जिलाधिकारियों के भी दो-तीन माह बाद दो साल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी भी कुछ महीने बाद रिटायर होने वाले हैं ऐसे में नया डीएम पदभार संभालेंगे।
उत्तराखंड में कियोस्क एटीएम करेगा स्वास्थ्य की जांच, बताएगा मर्ज और आयुर्वेदिक इलाज..
उत्तराखंड: पहली बार सचिवालय समेत पांच अस्पतालों में प्रकृति परीक्षण कियोस्क मशीन लगेगी। परीक्षण के लिए शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य संबंधी 15 सवाल पूछे जाएंगे। प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में प्रकृति परीक्षण से कोई भी व्यक्ति आसानी से अपनी दिनचर्या और खानपान की स्थिति की जानकारी ले सकता है। पहली बार आयुर्वेद विभाग की ओर से सचिवालय समेत पांच जिला चिकित्सालयों में प्रकृति परीक्षण कियोस्क मशीन लगाई जा रही है। जल्द ही इस सुविधा को शुरू किया जाएगा
आयुर्वेद पद्धति में वात, पित, कफ दोष के आधार पर व्यक्ति के स्वास्थ्य का प्रकृति परीक्षण किया जाता है। जिसमें स्वस्थ और निरोग जीवनशैली के लिए दिनचर्या और खान-पान अपनाने की सलाह दी जाती है। प्रकृति परीक्षण में आयुर्वेद ग्रंथों के आधार पर व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य संबंधित सवाल किए जाते हैं। इन सवालों का जवाब देने पर व्यक्ति के प्रकृति को परखा जाता है। इसके आधार पर डॉक्टर दिनचर्या के साथ फल, सब्जी व भोजन करने की सलाह देते हैं।
प्रदेश में पहली बार प्रकृति परीक्षण के लिए कियोस्क मशीन स्थापित की जा रही है। इस मशीन से कोई भी व्यक्ति 15 सवालों का जवाब देकर अपनी दिनचर्या व खानपान की जानकारी हासिल कर सकता है। पहले चरण में सचिवालय परिसर के साथ ही हल्द्वानी, रुद्रपुर, हरिद्वार जिला चिकित्सालय और देहरादून के माजरा राजकीय आयुर्वेद चिकित्सा में प्रकृति परीक्षण कियोस्क स्थापित की जा रही है। जल्द ही इस सुविधा की शुरूआत की जाएगी।
ऐसे होगी जांच
प्रकृति परीक्षण कियोस्क मशीन में सबसे पहले व्यक्ति को अपना नाम, आयु, मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी दर्ज करनी होगी। इसके बाद मशीन शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित 15 सवाल पूछेगी। जिसका जवाब देना होगा। अभी तक आयुर्वेद डॉक्टर ही प्रकृति परीक्षण करते हैं। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने वाले मरीजों के साथ आम लोगों की सुविधा के लिए प्रकृति परीक्षण कियोस्क मशीन स्थापित की जा रही है। इस मशीन से कोई व्यक्ति प्रकृति परीक्षण कर दिनचर्या व खानपान की जानकारी प्राप्त कर सकता है। प्रदेश भर के अस्पतालों में इन मशीनों को स्थापित किया जाएगा।
पिथौरागढ़ और चमोली के कीड़ाजड़ी और गुच्छी मशरूम को वन उपज की श्रेणी में लाने की तैयारी
उत्तराखंड: पिथौरागढ़ और चमोली के उच्च हिमालय में लोग कीड़ाजडी के विदोहन के लिए जाते हैं। इसके अच्छे खासे दाम होते हैं। इसी तरह गुच्छी मशरूम की खासी डिमांड होती है। वन विभाग उच्च हिमालय के क्षेत्र में मिलने वाले कीड़ाजड़ी (यारसागुंबा) और गुच्छी मशरूम को वन उपज की श्रेणी में लाने की तैयारी है। इसके लिए वन मुख्यालय में हुई बैठक में फैसला लिया गया था कि जल्द ही प्रस्ताव बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। वन महकमे के अनुसार वन उपज की श्रेणी में आने के बाद कीड़ाजड़ी के अनियंत्रित विदोहन रोकने में मदद मिलेगी
तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर अप्रैल में जब बर्फ पिघलती है तो पिथौरागढ़ और चमोली के उच्च हिमालय में लोग कीड़ाजडी के विदोहन के लिए जाते हैं। इसके अच्छे खासे दाम होते हैं। इसी तरह गुच्छी मशरूम की खासी डिमांड होती है। जो बहुत महंगा बिकता है। यह दोनों हिमालय में होते हैं लेकिन अभी तक वन उपज की दोनों श्रेणियों में नहीं हैं। वर्ष-2018 में एक आदेश हुआ था। जिसमें कहा गया था कि कीड़ाजड़ी के लिए रवन्ना कटेगा और प्रति सौ ग्राम तक कीड़ाजड़ी के लिए संबंधित व्यक्ति को एक हजार रुपये तक राशि देनी होगी। इसके अलावा अन्य सूचना भी रेंजर के पास दर्ज करानी होगी। पर इस आदेश का कोई बहुत ज्यादा अनुपालन नहीं हो सका। अब नए सिरे से कोशिश को शुरू किया गया है।
अनियंत्रित विदोहन रोकने में मिलेगी मदद..
वन महकमे के अनुसार वन उपज की श्रेणी में आने के बाद कीड़ाजड़ी और गुच्छी के विदोहन का काम व्यवस्थित तरीके से हो सकेगा। कौन विदोहन कर रहा है कहां पर विदोहन किया जा रहा है। कितनी मात्रा में विदोहन हुआ है समेत अन्य जानकारी भी विभाग के पास रहेगी। इसके साथ ही कीड़ाजड़ी को लेकर वन उपज को लेकर दुविधा की स्थिति रहती है वह साफ हो सकेगी। स्पष्ट होने के बाद नियम को लागू कराने में मदद मिलेगी। इसके लिए ट्रांजिट फीस भी संबंधित व्यक्ति को देना होगा, इससे सरकार को राजस्व भी मिलेगा।
प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन कहते हैं कि बीते एक बैठक हुई थी, इसमें कीड़ जड़ी और गुच्छी मशरूम को वन उपज की श्रेणी में लाने का फैसला हुआ था, अब इसके मिनट्स बने हैं। आगे प्रस्ताव बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। मुख्य वन संरक्षक वन पंचायत डॉ. पराग मधुकर धकाते कहते हैं कि वन उपज में आने के बाद अनियंत्रित विदोहन को रोकने में मदद मिलेगी साथ ही राजस्व की प्राप्ति भी होगी।
जीका वायरस को लेकर सरकार अलर्ट, केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए जारी की एडवायजरी..
देश-विदेश: केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को जीका वायरस को लेकर एडवाइजरी जारी की है। ये एडवाइजरी हाल में महाराष्ट्र में पाए गए जीका वायरस को लेकर जारी की गई है। सरकार ने सभी राज्यों से आग्रह किया है कि वे अपने यहां प्रेग्नेंट महिलाओं में इस वायरस की जांच के जरिए निरंतर निगरानी बनाए रखें। केंद्र ने राज्यों को यह भी सलाह दी है कि वे गर्भवती महिलाओं में संक्रमण की जांच करके और जीका के लिए पॉजिटिव टेस्ट पाए जाने वाली गर्भवती महिलाओं के भ्रूण विकास पर निगरानी भी निरंतर बनाए रखें।
स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने एडवाइजरी में कहा, चूंकि जीका प्रभावित गर्भवती महिला के भ्रूण में माइक्रोसेफली और न्यूरोलॉजिकल परिणामो से जुड़ा हुआ है, इसलिए राज्यों को सलाह दी गई है कि वे डॉक्टरों को निगरानी के लिए अलर्ट करें। राज्यों से आग्रह किया जाता है कि वे प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं या प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले मामलों को संभालने के लिए गर्भवती महिलाओं की जांच करें, जीका के लिए पॉजिटिव पाए जाने वाली गर्भवती माताओं के भ्रूण के विकास की भी निगरानी करें। इसी के साथ राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे समाज के बीच डर को कम करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्मों पर एहतियाती आईईसी संदेशों के माध्यम से जागरुकता को बढ़ावा दें, क्योंकि जीका किसी भी अन्य वायरल संक्रमण की तरह है, जिसके अधिकांश मामले लक्षणहीन और हल्के होते हैं। हालांकि, इसे माइक्रोसेफली से जुड़ा हुआ बताया जाता है, लेकिन 2016 के बाद से देश में जीका से जुड़े माइक्रोसेफली की कोई रिपोर्ट नहीं आई है।
क्या होता है जीका वायरस?
जीका डेंगू और चिकनगुनिया की तरह एडीज मच्छर की वजह से होने वाली वायरल बीमारी है। यह एक गैर-घातक बीमारी है। हालांकि, जीका से प्रभावित गर्भवती महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में माइक्रोसेफली (सिर का आकार कम होना) होता है, जो इसे एक बड़ी चिंता का विषय बनाता है। बता दे कि 2024 में भारत में जीका वायरस के 8 केस मिले हैं। जिन्में पुणे से 6, कोल्हापुर और संगमनेर से एक-एक मामला सामने आया है।
भारी संख्या में बाबा बर्फानी के दर्शन करने पहुंच रहे श्रद्धालु..
देश-विदेश: इस साल भारी संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए अमरनाथ पहुंच रहे हैं। इतनी संख्या में दर्शन कर श्रद्धालुओं ने इतिहास रच दिया है। बताया जा रहा है कि हर दिन 20 हजार से ज्यादा लोग पवित्र गुफा के दर्शन कर रहे हैं। इतनी संख्या में बाबा बर्फानी के दर्शन कर श्रद्धालुओं ने इतिहास रच दिया है। अमरनाथ यात्रा शुरु होने के सिर्फ 5 दिनों में कुल 1,05,282 भक्तों ने बाबा अमरनाथ के दर्शन किए हैं। ये यात्रा 29 जून से शुरु हो गई थी।
आपको बता दें कि पहले पांच दिनों में ही एक लाख से ज्यादा भक्तों ने बाबा बर्फानी के दर्शन कर लिए हैं। पिछले साल के मुकाबले यह आंकड़ा काफी ज्यादा है। अकेले 3 जुलाई को 30,586 तीर्थयात्रियों ने अमरनाथ के दर्शन किए। अमरनाथ श्राइन बोर्ड और प्रशासन की तरफ से किए गए इंतजानों से यात्री इस बार काफी उत्साहित हैं। खास इंतजामों के चलते भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं। सुरक्षा के इंतजामों मे कोई कमी नहीं है। इसके साथ ही पवित्र गुफा के दोनों मार्गों पर तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए करीब 1 लाख से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। साथ ही तीर्थयात्रियों की सेवा के लिए लखनपुर पवित्र गुफा तक विभिन्न धार्मिक संगठनों द्वारा 132 से अधिक नि:शुल्क लंगर की व्यवस्था की गई है।
उत्तराखंड पुलिस के 2 दारोगाओं पर केदारनाथ में महिला श्रद्धालु से छेड़छाड़ का आरोप..
एक साल पुराने मामले में अब हुए सस्पेंड..
उत्तराखंड: प्रदेश मे एकाएक महिला उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे है। उत्पीड़न के आरोप भी उन पर लग रहे है जिनके जिम्मे महिला अपराध की रोकथाम है। पंतनगर मे हुई घटना के बाद अब रुद्रप्रयाग से एक युवती को चौकी की महिला पुलिस कैंप मे रोक क़र शराब के नशे मे दरोगा द्वारा छेड़छाड़ करने का मामला सामने आया है। युवती ने चौकी इंचार्ज केदारनाथ पर भी महिला पुलिस कैंप का दरवाज़ा बंद करने का आरोप लगाया है। युवती मध्यप्रदेश से केदारनाथ धाम दर्शन के लिए आयी थी। आपको बता दे कि यह संदेश अचानक या बेवजह नहीं था। बताया गया है कि करीब एक साल पुराने मामले में हुई कार्रवाई के बाद पुलिस महानिदेशक ने पुलिसकर्मियों को यह संदेश दिया है। दरअसल यह पूरा प्रकरण रुद्रप्रयाग जिले का है। यहां पिछले साल एक महिला द्वारा दो पुलिस दारोगाओं पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था।
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश निवासी एक युवती ने शिकायत क़र बताया कि वह बीते साल 26 मई को पैदल केदारनाथ दर्शन के लिए आयी थी। दर्शन के बाद उनको हेलीकाप्टर से वापस आना था। परन्तु मौसम ख़राब होने की वजह से हेलीकाप्टर सेवा बंद हो गई। जिस कारण उन्होंने वही रुक क़र होटल तलाश किए। होटल खाली ना मिलने के बाद उन्होंने चौकी प्रभारी केदारनाथ अंजुल रावत से सम्पर्क किया। चौकी प्रभारी ने उनको महिला पुलिस कैंप मे रुकने को कहा और आश्वासन दिया कि उनके साथ एक महिला कांस्टेबल भी रुकेगी। लेकिन देर रात तक कोई महिला कांस्टेबल वहा नहीं आयी। जिसके बाद शराब के नशे मे दरोगा कुलदीप सिंह ने उनके साथ गंदी हरकते की। आरोप है कि ज़ब युवती ने अपने परिजनों को फ़ोन मिलाने का प्रयास किया तो कुलदीप ने युवती के साथ ज़बरदस्ती करने लगा और चौकी प्रभारी मंजुल रावत ने बाहर से महिला कैंप का दरवाज़ा बंद कर दिया। जिसके बाद बड़ी मुश्किल से युवती ने कैंप से बाहर निकल क़र अपनी जान बचाई। वही, सोनप्रयाग पुलिस ने मंजुल रावत व कुलदीप सिंह के खिलाफ छेड़छाड़ की धराओ मे मुकदमा दर्ज कर लिया है। साथ ही दोनों को ससपेंड भी क़र दिया गया है।
तीन बार टेंडर निकालने के बाद भी कोई हेली कंपनी आने को तैयार नहीं, कैसे होगा आपदा में राहत एवं बचाव कार्य..
उत्तराखंड: आपदा में हेलिकॉप्टर से राहत बचाव कार्य करने की सरकार की योजना पर हेली कंपनियां ही पानी फेर रही हैं। हालात ये है कि तीन बार टेंडर निकालने के बाद भी कोई हेली कंपनी आने को तैयार नहीं है। अब उत्तराखंड नागरिक उड्डयन एवं आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने नए सिरे से टेंडर निकाला है।राज्य में हर साल मानसून सीजन में आपदा बड़ी चुनौती लेकर आती है। आपदा में राहत बचाव कार्यों में भी खासी परेशानी आती है। ऐसे में सरकार ने तय किया था कि आपदा में राहत बचाव कार्यों के लिए अलग से हेलिकॉप्टर तैनात किए जाएंगे। ये भी तय हुआ था कि उत्तराखंड नागरिक उड्डयन एवं विकास प्राधिकरण (युकाडा) इसके लिए हेलिकॉप्टर का इंतजाम करेगा। जिसका खर्च आपदा प्रबंधन विभाग वहन करेगा।
इसके लिए युकाडा ने मई माह में टेंडर निकाल दिया था लेकिन कोई कंपनी नहीं आई। इसके बाद जून माह में टेंडर जारी किया लेकिन फिर भी किसी हेली कंपनी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब युकाडा ने जुलाई में तीसरी बार टेंडर निकाला है। यह हेलिकॉप्टर देहरादून के सहस्त्रधारा स्थित हेलिड्रोम पर तैनात किया जाना है। जो आपदा आने पर तत्काल राहत, बचाव कार्यों में इस्तेमाल हो सकेगा।
कंपनियों का न आना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा..
माना जा रहा है कि हेली कंपनियां इसे खतरों से भरा काम मानते हुए गुरेज कर रही हैं। दूसरी ओर कमाई वाली केदारनाथ हेली सेवा में हेलिकॉप्टर चलाने को लेकर इस बार भी हेली कंपनियों में मारामारी थी। इनमें से नौ कंपनियों ने मानसून से पहले राज्य में हेली सेवाएं दीं। वर्तमान मानसून सीजन में भी दो कंपनियां की केदारनाथ हेली सेवा चला रही हैं। लेकिन बार-बार टेंडर के बावजूद कंपनियों का न आना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है।
प्रदेश में पहले प्रयास के तौर पर गढ़वाल मंडल में और दूसरे प्रयास में कुमाऊं मंडल में अलग-अलग हेलिकॉप्टर तैनात किए जाने थे। पहला ही प्रयास विफल हो गया है। कुमाऊं को भी आपदा राहत में हेलिकॉप्टर के लिए इंतजार करना होगा। हालांकि युकाडा को उम्मीद है कि पहले हेलिकॉप्टर में इस बार कामयाबी मिल सकती है।
हाथरस हादसे से सबक, अब यहां में सत्संग-मेलों में भीड़ नियंत्रण के लिए बनेगी SOP..
उत्तराखंड: हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ के बाद उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने भी अतिरिक्त सुरक्षा बरतने के निर्देश दिए हैं। एडीजी कानून व्यवस्था एपी अंशुमान ने सभी जिला प्रभारियों को कहा है कि मेले व अन्य आयोजन की अनुमति से पहले ही भीड़ नियंत्रण के प्रबंध देखे जाएं। यदि वहां पर पर्याप्त प्रबंध नहीं हैं तो एनओसी न दें। इसके साथ ही उन्होंने हर जिले से एक एसओपी बनाकर मुख्यालय को उपलब्ध कराने को कहा है। इसके बाद पुलिस मुख्यालय इन एसओपी के अध्ययन के बाद विस्तृत एसओपी तैयार करेगा।
ये दिए निर्देश
भीड़ प्रबंधन के मद्देनजर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को संवेदनशीलता से लिए जाने, आयोजन हेतु एनओसी दिए जाने से पहले थाना प्रभारी वहां स्वयं निरीक्षण करेंगे।
आयोजन स्थल की भीड़ क्षमता, प्रवेश/निवासी द्वार, पार्किंग आदि का आंकलन करने के बाद ही कार्यक्रम की एनओसी दी जाए।
विभिन्न मेले, धार्मिक आयोजन व अन्य कार्यक्रम अनुमति के बाद ही आयोजित किए जाएंगे।
छोटे-बड़े आयोजनों के संबंध में एसओपी तैयार कर जल्द से जल्द पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराएं।
जनपदों में वर्ष में होने वाले मेले, त्योहारों और अन्य अवसरों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का वार्षिक कैलेंडर तैयार कर उसके अनुरूप ही आवश्यक पुलिस बल का प्रबंध कराया जाए।
बिना अनुमति के आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के आयोजकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
किसी भी मेले और धार्मिक आयोजनों की आयोजक 15 दिन पहले से प्रचार प्रसार करेंगे।