उत्तराखंड में राजस्व बढ़ाने को लेकर बैठक, नवाचार और कर संग्रहण में वृद्धि पर जोर..
उत्तराखंड: सचिवालय में सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में वित्तीय मितव्ययता को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की गई। इसी दौरान सीएम धामी ने सभी विभागों को राजस्व संग्रहण में वृद्धि करने के लिए नए तरीके और रणनीति पर काम करने के निर्देश दिए गए। सीएम ने कहा कि कर संग्रहण प्रक्रिया में और सुधार के साथ-साथ कर चोरी रोकने के लिए नियमित कड़े कदम उठाये जाएं। ये सुनिश्चित किया जाए कि विकास और जनहित से जुड़े तमाम कार्यों का आमजन को पूरा लाभ मिले। कार्यों में मितव्ययता के साथ गुणवत्ता का भी विशेष ध्यान रखा जाए, क्योंकि सुदृढ़ वित्तीय प्रबंधन राज्य सरकार का मूल मंत्र हैं।
खनन क्षेत्र में राजस्व वृद्धि के लिए किए गए प्रयासों की सीएम ने सराहना की, क्योंकि इस वर्ष खनन क्षेत्र में पहली छमाही में पिछले साल की तुलना में 70 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो कुल वार्षिक लक्ष्य का 52 फीसदी है। सीएम धामी का कहना हैं कि एसजीएसटी, परिवहन, आबकारी, वानिकी और ऊर्जा समेत अन्य क्षेत्रों में राजस्व वृद्धि के लिए और प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सुदृढ़ कानून व्यवस्था से निवेश, आर्थिक गतिविधियां और राज्य के कर एवं करेत्तर आय में वृद्धि होती है। इसी प्रकार पॉलिसी इंटरवेंशन से भी राज्य की आय में वृद्धि हो सकती है और मितव्ययता सुनिश्चित की जा सकती है। सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित किया जाए कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई नीतियों और जिन नीतियों में संशोधन किया गया है, उनका असर उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था पर स्पष्ट रूप से दिखे।
सीएम धामी ने कहा कि नीतियों के सफल क्रियान्वयन के लिए होलिस्टिक एप्रोच (Holistic Approach) के साथ कार्य किए जाएंं। मितव्ययता से आशय यह नहीं है कि हम कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से समझौता करें। हमारी रणनीति होगी कि हम लोक कल्याण के कार्यों को और बेहतर ढंग से कर सकें।उन्होंने कहा कि महत्वाकांक्षी परियोजनाओं और लोक कल्याणकारी कार्यों को करने के लिए आवश्यक है कि हम राज्य के संसाधनों में वृद्धि करें। बड़ी परियोजनाओं का सही ढ़ंग से लागत और लाभ का विश्लेषण करें। मितव्ययता के लिए उत्पादकता में सुधार, अनावश्यक व्यय में कटौती, और संसाधनों का सही उपयोग करना है।
पिछले 20 महीने में राज्य की जीएसडीपी में 1.3 गुना वृद्धि हुई है। दो सालों में राज्य के प्रति व्यक्ति आय में 26 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2021-22 में प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 5 हजार रुपए थी। 2023-24 में यह बढ़कर 2 लाख 60 हजार रुपए हो गई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य ने 34 प्रतिशत की वृद्धि पूंजीगत कार्यों में की है। पहली बार 10 हजार करोड़ से अधिक के पूंजीगत काम प्रदेश में हुए. वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य के कर राजस्व में 12.52 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस साल 16.96 फीसदी की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में राज्य राजस्व संसाधनों में वृद्धि के लिये किये जा रहे प्रयासों, प्रतिबद्ध और गैर प्रतिबद्ध व्यय की प्रवृत्ति, महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता, राजकोषीय संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग समेत अन्य बिंदुओं पर चर्चा की गई। बैठक में डीपीआर बनाने से लेकर परियोजना पूरा करने तक पूंजीगत परियोजनाओें के कार्य की ई-मॉनिटरिंग, ई-गवर्नेंस का उपयोग और राजस्व स्रोतों की डिजिटल निगरानी, रिकार्ड, दस्तावेज और सेवाएं देने हेतु पेपरलेस विधि का उपयोग और ई-वाहन को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की गई। सीएम धामी ने निर्देश दिए कि जिन योजनाओं में केन्द्रांश और राज्यांश क्रमशः 90 और 10 के अनुपात में हो उनको अधिक प्राथमिकता दी जाए। नाबार्ड की ओर से वित्त पोषित सार्वजनिक कार्यों में तेजी लाने के भी निर्देश दिए गए।
महिलाओं को मिलेगी मजबूती की सौगात, कैबिनेट में पेश होगा महिला नीति का प्रस्ताव..
उत्तराखंड: राज्य महिला नीति-2024 को नौ नवंबर को राज्य स्थापना दिवस पर महिलाओं के लिए समर्पित की जा सकती है। महिला कल्याण मंत्री रेखा आर्या ने बुधवार को महिला नीति के ड्राफ्ट की समीक्षा की और कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को नीति में शामिल करने का सुझाव दिया।बैठक में मंत्री ने महिला सशक्तीकरण और बाल विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि महिला नीति में सभी पहलुओं को शामिल करके शीघ्र प्रस्ताव तैयार किया। ये प्रस्ताव नौ नवंबर से पहले कैबिनेट के सामने पेश करने की कोशिश है, ताकि कैबिनेट की मुहर लगने के बाद राज्य स्थापना दिवस पर महिलाओं को समर्पित किया जा सके।
मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि चाइल्ड ऐबयूज, पॉर्नोग्राफी, डीपफेक वीडियो और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुडी गंभीर समस्याओं के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य, ड्रग एडिक्शन और देह व्यापार में धकेल दी गई माहिलाओं के पुनर्वास जैसे विषयों को भी इस नीति में जगह दी जाएगी। इसका मतलब है कि अगर किसी महिला को इन मुद्दों का सामना करना पड़ता है तो उसे नीतिगत साहयता मिलेगी। मीडिया से बातचीत करते हुए महिला कल्याण मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि महिला नीति हमारी बहन बेटियों का ना केवल आर्थिक सशक्तीकरण सुनिश्चित करेगी बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का भी मार्ग प्रशस्त करेगी।
सीएम धामी ने नैनीताल में 18 योजनाओं का किया लोकार्पण व शिलान्यास..
उत्तराखंड: सीएम धामी ने नैनीताल को दी बड़ी सौगात है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नैनीताल में 494 प्रभावितों को एक अरब 95 करोड़ 51 लाख 67 हजार रूपए की धनराशि उनके खाते में ऑनलाइन डाली गई। शेष लाभार्थियों को भी शीघ्र ही धनराशि उनके खाते में सत्यापन के उपरान्त डाल दी जाएगी जिसकी कार्रवाई चल रही है। राज्य सरकार द्वारा परियोजना से विस्थापित परिवारों को उनके पुनर्वास के लिए जनपद उधम सिंह नगर के प्रयाग फार्म स्थित ग्राम गडरियाबाग में 300.5 एकड़ भूमि सिंचाई विभाग को निशुल्क आवंटित की गई है। ये भूमि इंडस्ट्रियल एरिया में दी गई है, जिसका सर्वांगीण विकास किया जाएगा।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जमरानी बांध परियोजना के प्रभावित के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने राज्य के लिए, राज्य के अच्छे भविष्य के लिए, आसपास के क्षेत्र के अच्छे भविष्य के लिए अपने भविष्य को इस परियोजना को समर्पित कर दिया। सीएम धामी का कहना हैं कि जमरानी बांध परियोजना से प्राप्त 117 एमएलडी पानी से हल्द्वानी शहर की वर्ष 2051 की आबादी को देखते हुये इस पेयजल योजना से आपूर्ति की जाएगी। जमरानी परियोजना बनने से भूजल का स्तर बढेगा तथा रोजगार भी सृजित होगा। इस योजना से जहां पेयजल की आपूर्ति होगी वही नैनीताल-उधमसिह नगर के किसानों को सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी मिलेगा। उन्होनें कहा हल्द्वानी शहर के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2000 करोड़ की लागत से विकास कार्य हो रहे हैं। जल्द ही हल्द्वानी महानगर एक आधुनिक और भव्य नगर के रूप में विकसित होगा। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड एवं उत्तरप्रदेश संपत्ति के लंबित बटवारे का समाधान कर दिया गया है।
जमरानी बांध परियोजना वर्ष 2029 तक पूर्ण कर ली जाएगी। उनका कहना हैं कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, बालविकास, महिला विकास, कनेक्टिविटी जैसे महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। उत्तराखंड में निवेशकों को एक विशेष माहौल दिया जा रहा है। मानस खण्ड योजना के अन्तर्गत कुमाऊं एवं गढ़वाल के मन्दिरों को इससे जोड़ा जा रहा है साथ ही आज उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों को देश व विदेशों में बढावा दिया जा रहा है जिससे स्थानीय लोगों की आर्थिकी मजबूत हो रही है।प्रदेश में महिला स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक रूप से मजबूत करने हेतु कार्य किए जा रहे हैं। लखपति दीदी योजना के अन्तर्गत महिलाओं को 1 लाख की धनराशि दी जा रही है। इसके साथ ही सरकारी भर्ती प्रक्रिया में 30 प्रतिशत मातृशक्ति की भागेदारी भी सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने कहा प्रदेश सरकार शीघ्र ही समान नागरिक संहिता कानून लागू करने जा रही है, जो महिला सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड देश का अग्रणी राज्यों में शुमार होगा।
पर्यटक 15 दिन और कर सकेंगे फूलों की घाटी के दीदार..
उत्तराखंड: विश्व धरोहर फूलों की घाटी अब 15 दिन बाद 31 अक्तूबर को पर्यटकों के लिए बंद कर दी जाएगी। इस साल अभी तक घाटी में 19,425 पर्यटक पहुंच चुके हैं। घाटी में अभी तक सबसे अधिक पर्यटक पहुंचने का रिकाॅर्ड 2022 का है, जब यहां 20830 पर्यटक पहुंचे थे। फूलों की घाटी हर साल एक जून को पर्यटकों के लिए खोली जाती है और 31 अक्तूबर को बंद कर दी जाती है। पर्यटक यहां प्राकृतिक सुंदरता और फूलों को देखने के लिए आते हैं। घाटी में जुलाई और अगस्त माह में सबसे अधिक फूल खिलते हैं। इसी समय यहां सबसे अधिक पर्यटक भी पहुंचते हैं। इस बार यहां 327 विदेशी पर्यटक भी घाटी पहुंचे हैं। हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने के बाद फूलों की घाटी में भी पर्यटकों की आवाजाही कम हो जाती है।
फूलों की घाटी की वन क्षेत्राधिकारी चेतना कांडपाल का कहना हैं कि पिछले साल की तुलना में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। अभी तक 19,425 पर्यटक घाटी पहुंचे हैं और विभाग को 31 लाख 73 हजार 400 रुपये की आय प्राप्त हुई है। 31 अक्तूबर तक पर्यटकों की संख्या में और इजाफा होगा। घाटी में पिछले साल की तुलना में इस साल पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ी है। पिछले साल अभी तक 13161 पर्यटक ही घाटी में आए थे जिसमें 401 विदेशी पर्यटक शामिल थे। जबकि इस साल अभी तक 19 हजार से अधिक पर्यटक यहां पहुंच चुके हैं। अभी घाटी में आवाजाही के लिए दो सप्ताह का समय शेष है।
अब यह संस्था करेगी तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर का पुनरोद्धार..
उत्तराखंड: पंच केदार में तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर का पुनरुद्धार और सौंदर्यीकरण का कार्य सीबीआरआई करेगा। संस्थान के विशेषज्ञ मंदिर का सर्वेक्षण कर चुके हैं। सीबीआरआई के विशेषज्ञ एक माह पूर्व मंदिर क्षेत्र का सर्वेक्षण कर चुके हैं। जल्द संस्थान रिपोर्ट श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को सौंपेगा।
हक-हकूकधारी लंबे समय से मंदिर के संरक्षण की मांग करते आ रहे हैं। समुद्रतल से 11942 फीट की ऊंचाई पर स्थित तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर, विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित शिवालय है। यहां भगवान आशुतोष के बाहु भाग की पूजा होती है। वर्ष 1991 में आए भूकंप से मंदिर पर व्यापक असर पड़ा है, जिससे यहां जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं। सभामंडप की स्थिति दयनीय है। बीकेटीसी के आग्रह पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के विशेषज्ञ, मंदिर का स्थलीय निरीक्षण कर चुके हैं।
इस संबंध में बीकेटीसी को रिपोर्ट भी सौंपी जा चुकी है। इसके अध्ययन के बाद बीकेटीसी ने केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की से भी राय मांगी थी। एक माह पूर्व सीबीआरआई के विशेषज्ञ तुंगनाथ मंदिर सहित मंदिर से लगे पूरे क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर चुके हैं। जल्द ही संस्थान अपनी रिपोर्ट बीकेटीसी को सौंपेगा। बीकेटीसी के अनुसार शासन ने सीबीआरआई को ही तृतीय केदार के पुनरुद्धार के लिए कार्ययोजना के साथ ही डीपीआर तैयार करने को कहा है। इसमें एएसआई व जीएसआई संस्थान को तकनीकी सहयोग करेंगे। श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अनुसार, तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के गर्भगृह और सभामंडप का चरणबद्ध पुनरुद्धार किया जाएगा। साथ ही मंदिर परिसर और यहां मौजूद अन्य छोटे-छोटे मंदिरों को सुरक्षित कर सौंदर्यीकरण किया जाएगा।
‘धर्म परिवर्तन, थूक जिहाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा’- सीएम धामी..
उत्तराखंड: प्रदेश में थूक ज़िहाद के मामले में उत्तराखंड सरकार ने की बड़ी बैठक ली है। सीएम पुष्कर धामी ने थूक जिहाद को लेकर बैठक की है। बैठक में सचिव गृह , डीजीपी और अन्य अधिकारी मौजूद रहे। बीते दिनों राजधानी देहरादून में रोटी में थूक लगाने और मसूरी से चाय में थूकने का मामला सामने आने के बाद से प्रदेश में ये मामला गरमाया हुआ है। अब थूक जिहाद मामले में सीएम धामी ने बड़ी बैठक बुलाई है। इस बैठक के बाद से प्रदेश में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
गृह विभाग से आज जारी हो सकता है बड़ा आदेश.,
इस बैठक को बेहद ही अहम माना जा रहा है। बैठक में सीएम धामी कहा कि कि सभी जिलाधिकारी ऐसे मामलों को गंभीरता से देखें। सूत्रों की मानें तो गृह विभाग से आज इसे लेकर कोई बड़ा आदेश जारी हो सकता है। बताया जा रहा है कि त्यौहारी सीजन को देखते हुए सख्त निगरानी को लेकर आदेश जारी होगा। बता दें कि दशहरे के दिन सीएम धामी ने देहरादून के परेड ग्राउंड से ये ऐलान किया था कि देवभूमि में क जिहाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके बाद रूद्रपुर के किच्छा और चंपावत में भी सीएम धामी ने थूक जिहाद को लेकर बड़ी बात कही थी। सीएम धामी ने कहा था कि वो उत्तराखंड से लव, लैंड और थूक जिहाद का कलंक मिटाकर दम लेंगे।
पर्यटकों के लिए डे सफारी के लिए खुला जिम कॉर्बेट पार्क का बिजरानी जोन..
उत्तराखंड: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का बिजरानी जोन मंगलवार की सुबह पर्यटकों के लिए खोला गया। विधायक और कॉर्बेट उपनिदेशक ने विधि विधान से गेट का शुभारंभ कर और हरी झंडी दिखाकर जिप्सी में सवार पर्यटकों को जंगल सफारी के लिए रवाना किया। मानसून सीजन के चलते 30 जून को बंद हुआ कॉर्बेट पार्क का बिजरानी जोन मंगलवार की सुबह 6 बजे पर्यटकों के लिए खोल दिया। सुबह की पाली में 30 जिप्सियो में सवार होकर पर्यटक जंगल सफारी के लिए गए। इससे पहले रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक राहुल मिश्रा, भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष मदन जोशी ने पूजा अर्चना करने के बाद विधि विधान से बिजरानी जोन के आमडंडा गेट को शुरू किया।
पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी का कहना हैं कि सुबह की पाली में 30 जिप्सी में सवार होकर पर्यटक जंगल सफारी को गए हैं। जंगल सफारी करने आए पर्यटक उत्साहित नजर आए। पार्क वार्डन के अनुसार जोन की एडवांस बुकिंग एक माह तक के लिए फुल है। पर्यटक इस दौरान जंगल की जैव विविधता के साथ ही वन्यजीवों के दर्शन करेंगे। इस दौरान बिजरानी जोन के रेंजर भानु प्रकाश हरबोला सहित वन कर्मियों और पर्यटन कारोबारी मौजूद रहे।
कुदरत रही मेहरबान तो राष्ट्रीय खेलों के बाद प्रदेश में होंगे विंटर गेम्स..
उत्तराखंड: अगर कुदरत मेहरबान रही तो उत्तराखंड विंटर गेम्स कराने वाला देश का पहला राज्य बनने वाला है। खेल सचिवालय में सोमवार को खेल अधिकारियों और उत्तराखंड ओलंपिक संघ के बीच बैठक में विंटर गेम्स कराने को लेकर चर्चा हुई। उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डीके सिंह का कहना हैं कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के बाद उत्तराखंड विंटर गेम्स करवाने के लिए तैयार है, अगर औली में पर्याप्त बर्फ गिरी तो राज्य को राष्ट्रीय खेलों के साथ विंटर गेम्स के आयोजन का गौरव भी हासिल होगा।
इस सिलसिले में खेल अधिकारियों के साथ चर्चा की गई है। फिलहाल प्राथमिकता पर राष्ट्रीय खेल हैं। खिलाड़ियों के चयन को लेकर मंगलवार को भी बैठक जारी रहेगी, जिसमें राज्य की सभी फेडरेशन को बुलाया गया है। वहीं दूसरी ओर सवाल उठ रहे हैं कि 28 जनवरी से 14 फरवरी के मध्य 38वें राष्ट्रीय खेल कराने की तारीख तय होने के बाद राज्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती बेहतर खिलाड़ियों के चयन की है, जिसके लिए अभी प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है।
चयन के बाद अभ्यास शिविर भी लगाए जाने हैं। उस लिहाज से समय कम है। इस बारे में खेल निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि जहां तक तैयारियों का विषय है, उसके लिए संभावित स्थान, स्टेडियम, मैदान व अन्य जगहों पर बाकी काम पूरे करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है। खिलाड़ियों का चयन राज्य ओलंपिक संघ और सभी खेल फेडरेशन को करना है। इसके लिए सोमवार को उत्तराखंड ओलंपिक संघ के साथ बैठक हुई, जिसे विस्तार देने के लिए मंगलवार को सभी खेल फेडरेशन को बुलाया गया है।
इन 87 शिक्षक-कर्मचारियों पर लटकी बर्खास्तगी की तलवार, नोटिस जारी..
उत्तराखंड: शिक्षा विभाग में 87 शिक्षक-कर्मचारी पिछले काफी समय से अनुपस्थित चल रहे हैं। विभाग की ओर से सभी को नोटिस जारी किया गया है। मूल तैनाती पर न लौटने या फिर संतोषजनक जवाब न मिलने पर इन्हें बर्खास्त किया जा सकता है। शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने विभाग में अनुपस्थित चल रहे शिक्षकों की रिपोर्ट तलब की गई थी। महानिदेशक की ओर से निदेशक माध्यमिक शिक्षा, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा और निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण समेत सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किया गया था। निर्देश में कहा गया था कि अनुपस्थित चल रहे इन शिक्षकों और कर्मचारियों की वजह से इनके स्थान पर अन्य शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पा रही हैं।
इससे शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। इस तरह के शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी आवश्यक है। शिक्षा महानिदेशक के निर्देश पर विभाग से मांगी रिपोर्ट के मुताबिक, 87 शिक्षक-कर्मचारी अनुपस्थित मिले हैं। इसमें नौ प्रवक्ता, 16 सहायक अध्यापक एलटी, 42 प्राथमिक शिक्षक, 13 मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी और सात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं।
विभाग के अधिकारियों का कहना हैं कि इन सभी को नोटिस जारी कर इनके खिलाफ नियुक्ति प्राधिकारी की ओर से कार्रवाई की जा रही है। प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों का नियुक्ति प्राधिकारी जिला शिक्षाधिकारी बेसिक, सहायक अध्यापक एलटी का अपर निदेशक मंडल, प्रवक्ता व प्रधानाध्यापक का निदेशक व प्रधानाचार्य का शासन है। शिक्षा विभाग में पिछले काफी समय से अनुपस्थित चल रहे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है, इन्हें नोटिस दिए जा चुके हैं। मूल तैनाती पर न लौटने एवं संतोषजनक जवाब न मिलने पर तय प्रक्रिया अपनाने के बाद इनकी सेवा समाप्त की जाएगी।
साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में भविष्य बना रहे उत्तराखंड के युवा..
741 युवक-युवतियां ले रहे पैराग्लाइडिंग की ट्रेनिंग..
उत्तराखंड: राज्य की 124 युवतियों समेत 741 युवा पैराग्लाइडिंग का कोर्स कर आसमान की ऊंचाइयां छूने को तैयार हो रहे हैं। सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से प्रथम चरण में टिहरी में 15 बैच में युवाओं को बेसिक से लेकर गाइडेड पैराग्लाइडिंग के पांच अलग-अलग कोर्स कराए जा रहे हैं। इसमें विभाग की ओर से प्रशिक्षण, रहने, खाने आदि सुविधा निशुल्क दी जा रही हैं। उत्तराखंड का पर्यटन अब तक मुख्य तौर पर धार्मिक और सामान्य पर्यटन के लिए जाना जाता था, लेकिन अब सरकार इसमें साहसिक पर्यटन के जरिए नए आयाम जोड़ रही है। उत्तराखंड के नैनीताल जिले के भीमताल और देहरादून में मालदेवता जैसे कुछ स्थानों पर पैराग्लाइडिंग पर्यटन बढ़ रहा है। नई संभावनाओं को देखते हुए पर्यटन विभाग नए स्पॉट तलाशने के साथ स्थानीय युवाओं को निशुल्क प्रशिक्षण भी दे रहा है।
प्रशिक्षणार्थियों ने बताए अपने अनुभव..
1- उत्तरकाशी जिले में सांकरी के पास सौड़ गांव निवासी संगीता रावत एक एडवेंचर टूरिज्म कंपनी चलाती हैं, अब वो पैराग्लाइडिंग का प्रशिक्षण लेने के बाद अपने काम को नई ऊंचाई देना चाहती हैं। संगीता अपनी बैच की अकेली महिला प्रशिक्षु हैं।
2- नैनीताल में भीमताल निवासी भरत जोशी डिप्लोमा करने के बाद दिल्ली में प्राइवेट जॉब कर रहे हैं। जोशी बताते हैं कि वो वापस अपने घर लौटना चाहते हैं, इसलिए जैसे ही सरकार की तरफ से निशुल्क पैराग्लाइडिंग कोर्स की जानकारी मिली तो रजिस्ट्रेशन करवा लिया। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वो भी वापस भीमताल लौट आएंगे।
3- सीमांत जिला चमोली के कुनौल गांव निवासी दिनेश सिंह
साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। युवाओं को पैराग्लाइडिंग, वाइट वाटर राफ्टिंग, माउंटेनियरिंग जैसे खेलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रयास है कि अगले कुछ सालों में उत्तराखंड के पास इस क्षेत्र में पर्याप्त प्रशिक्षित मानव संसाधन हों, ताकि राज्य में साहसिक पर्यटन न सिर्फ फूले फले बले, बल्कि सुरक्षित भी हो।