पुंछ में बड़ा हादसा- सेेना का वाहन 350 फुट गहरी खाई में गिरा, पांच जवान शहीद और पांच घायल..
देश-विदेश: जम्मू कश्मीर में हुए एक सड़क हादसे में पांच जवानों की मौत हो गई है जबकि पांच जवान गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। हादसा जवानों को लेकर जा रहे वाहन के खाई में गिरने से हुआ है। वाहन में कुल 10 जवान सवार थे। मिली जानकारी के अनुसार जम्मू कश्मीर के पुंछ के मेंढर सब डिविजन के बलनोई क्षेत्र में भारतीय सेना का वाहन 300 फीट गहरी खाई में गिर गया है। मिली जानकारी के अनुसार सेना के जवान वाहन में सवार होकर एलओसी पर अपनी पोस्ट की ओर जा रहे थे, जब रास्ते में चालक ने वाहन से नियंत्रण खो दिया और यह हादसा हो गया। इस वाहन में कुल 10 जवान सवार थे जिनमें से पांच जवान हादसे में बलिदान हो गए जबकि पांच जवान गंभीर रूप से घायल हो गए।
सेना ने दी श्रद्धांजलि..
सेना की व्हाइट नाइट कोर ने एक्स पर बलिदानी जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, दुर्घटना ऑपरेशनल ड्यूटी के दौरान हुई। पांच बहादुर सैनिकों की दुखद मौत पर व्हाइट नाइट कोर के सभी रैंक अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। बचाव अभियान जारी है और घायल कर्मियों को चिकित्सा देखभाल मिल रही है।
जंगल की आग नियंत्रित नहीं हुई तो डीएफओ होंगे जिम्मेदार, वन मंत्री ने दिए निर्देश..
उत्तराखंड: हर साल उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की हजारों घटनाएं सामने आती हैं, जिसमें ना सिर्फ सैकड़ों हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो जाते हैं, बल्कि वनाग्नि के चलते जंगली जानवरों और इंसानों को भी नुकसान पहुंचता हैं। ऐसे में वनाग्नि को लेकर वन विभाग ने तैयारी तेज कर दी है। इसी क्रम में मंगलवार को वन मंत्री सुबोध उनियाल ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। समीक्षा बैठक में वनाग्नि नियंत्रण की तैयारियों समेत अन्य तमाम महत्वपूर्ण बिंदुओं पर समीक्षा की गई, जिसमें मुख्य रूप से तय किया गया कि वनाग्नि घटनाओं पर कंट्रोल की पूरी जिम्मेदारी संबंधित प्रभागीय वनाधिकारी की होगी।
समीक्षा बैठक के दौरान लिए गए निर्णय..
सभी जिलों में नोडल प्रभागीय वनाधिकारी संबंधित जिलाधिकारियों के साथ मिलकर, जिला स्तरीय वनाग्नि प्रबंधन प्लान- 2025 की बैठकें कर अनुमोदित कराएंगे. साथ ही सभी प्लान 10 जनवरी 2025 तक वन मुख्यालय को भेजेंगे।
भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून से मिलने वाले सभी फायर एलर्टस का सत्यापन करवाकर फीड बैंक रिपोर्ट भेजी जाएगी. साथ ही वास्तविक स्थिति / विभागीय कार्रवाई की जानकारी समय-समय पर जारी की जाएगी।
फायर एलर्ट सिस्टम से विभागीय कार्मिकों के साथ ही प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, वनाग्नि प्रबंधन समितियों, आपदा मित्रों और वन पंचायत सरपंचों को भी जोड़ा जाएगा, जिससे वनाग्नि नियंत्रण के लिए रेस्पॉन्स टाइम को कम से कम किया जा सके।
वनाग्नि को कंट्रोल करने के लिए जारी बजट का नियमानुसार और त्वरित रूप से इस्तेमाल कर व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाएगा।
वनाग्नि नियंत्रण में सक्रीय योगदान देने वाली वनाग्नि प्रबंधन समिति, वन पंचायतें और महिला व युवा मंगलदल को सम्मानित किया जाएगा।
अल्मोड़ा वन प्रभाग के तहत जन-सहभागिता के सफल प्रयास (शीतलाखेत मॉडल) को अन्य जिलों में भी अपनाया जाए, इसके लिए अन्य जिलों से वनाग्नि प्रबंधन समिति/विभागीय कार्मिकों को एक्सपोजर विजिट कराए।
वनाग्नि कंट्रोल के लिए संवेदनशील वन क्षेत्रों में जलकुंड/परकुलेशन टैंक/चाल-खाल का निर्माण किया जाए, ताकि इन क्षेत्रों की मॉइस्चर रिजीम बढ़ाई जा सके।
वनाग्नि नियंत्रण के लिए पिरूल एकत्रीकरण पर विशेष जोर दिया जाए, ताकि पिरूल से ब्रिकेट्स / पेलेट्स और बायोचार जैसे उत्पाद बनाने के लिए यूनिटों की स्थापना को उद्यमियों का आवश्यक सहयोग दिया जा सके।
स्पांसरशिप स्कीम से खैनुरी के अनाथ बच्चों को प्रतिमाह मिलेंगे चार-चार हजार रुपये..
उत्तराखंड: बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठने के बाद प्रशासन ने मदद के हाथ बढ़ाए हैं। जिससे अनाथ बच्चों की अच्छे से परवरिश हो सके।. स्पांसरशिप स्कीम से खैनुरी के अनाथ बच्चों को प्रतिमाह 4-4 हजार रुपए मिलेंगे। जिलाधिकारी संदीप तिवारी का कहना हैं कि आगे भी बच्चों की जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। चमोली जिले के खैनुरी गांव में माता-पिता का साया खोने के बाद अनाथ हुए बच्चों को मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत स्पांसरशिप योजना से जोड़कर लाभान्वित किया गया है। जिसमें दो बच्चों को प्रतिमाह 4-4 हजार की दर से कुल 8 हजार प्रतिमाह की आर्थिक सहायता के लिए जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। आर्थिक सहायता माह दिसंबर 2024 से ही प्रदान की जाएगी।
विगत कुछ दिनों पूर्व ग्राम खैनुरी में माता पिता की मृत्यु के बाद 15 वर्ष की संजना, 13 वर्ष की साक्षी और 10 वर्ष का आयुष अनाथ हो गए थे। बच्चों के सामने जीवन निर्वाह का संकट खड़ा हो गया था। सोशल मीडिया के माध्यम से यह मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में आया। जिलाधिकारी ने कहा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम राजस्व की टीम ने गांव में जाकर पड़ताल की और बच्चों के भरण-पोषण के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई गई।
इसके अतिरिक्त तहसील से बच्चों के सभी आवश्यक प्रमाण पत्र भी बनवाए गए। इसके बाद जिलाधिकारी ने जिला प्रोबेशन अधिकारी को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत बच्चों को स्पांसरशिप स्कीम से जोड़े जाने के निर्देश दिए। जिसके बाद बच्चों को स्पांसरशिप स्कीम से जोड़ा गया है। जिसमें दो बच्चों को 4-4 हजार प्रतिमाह की दर से 8 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगा। माह दिसंबर 2024 से बच्चों को आर्थिक सहायता का लाभ प्रदान किया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि आगे भी बच्चों की जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
उत्तराखंड में हर जिले में बनेगा नशा मुक्ति केंद्र..
उत्तराखंड: मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को अपने-अपने जिलों में एक-एक नशा मुक्ति केंद्र अनिवार्य रूप से स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही नशा मुक्ति केंद्रों के लिए अलग से बजट मद भी बनाने को कहा है। उन्होंने नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान को तेज करने समेत कई दिशा निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने यह निर्देश सोमवार को हुई नार्को को-ऑर्डिनेशन सेंटर (एनकॉर्ड) की बैठक में दिए। बैठक में नशे के खिलाफ इस साल की अब तक की कार्रवाई का लेखा-जोखा भी प्रस्तुत किया गया। मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी शिक्षण संस्थानों की तरह निजी स्कूलों और कॉलेजों में एंडी ड्रग्स कमेटी अनिवार्य रूप से गठित कराई जाए। एंटी ड्रग ई-प्लीज (ऑनलाइन शपथ) का दायरा बढ़ाने के निर्देश दिए। अब तक सवा दो लाख लोगों को ऑनलाइन शपथ दिलाई जा चुकी है।
इस मामले में उत्तराखंड छठवें स्थान पर है। सीएस ने शैक्षिक संस्थानों के कैंपस को ड्रग फ्री सुनिश्चित करने के लिए एनजीओ, सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ एमओयू करने के निर्देश भी दिए। कहा कि नशे को जड़ से उखाड़ने के लिए हर दिशा में कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। ऐसे में जो कोई इस दिशा में लापरवाही करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। बैठक में गृह सचिव शैलेश बगौली सहित पुलिस विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
पांच जिलों के जिलाधिकारियों को फटकार..
एनकॉर्ड की बैठक न कराने वाले पांच जिलों के जिलाधिकारियों को मुख्य सचिव ने फटकार भी लगाई। देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, चमोली और चंपावत आदि जिलों में इस साल में एक भी बैठक नहीं हुई। मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों से कहा कि हर माह एनकॉर्ड की बैठक होनी है। बैठक न कराने वाले अधिकारियों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि भी दर्ज की जाएगी। उन्होंने मेडिकल स्टोर पर दवाओं का नशे के रूप में दुरुपयोग होने पर सख्त निगरानी करने के निर्देश भी दिए। हर हाल में हर मेडिकल स्टोर पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएं। ये आदेश भी मुख्य सचिव ने दिए। साथ ही रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन करने को भी कहा।
स्वास्थ्य मंत्री ने दो नई डायलिसिस मशीनों का किया लोकार्पण..
उत्तराखंड: बेस हॉस्पिटल में नव स्थापित इमरजेंसी डायलिसिस यूनिट का प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने लोकार्पण किया। डायलिसिस की नई मशीन स्थापित होने के बाद मरीजों को इसका लाभ मिलेगा। विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती होने के बाद यहां मरीजों की रूटीन डायलिसिस की सुविधा बहाल की जाएगी।
नई डायलिसिस मशीन के लोकार्पण के अवसर पर प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि मशीनों के समय-समय पर देखरेख का जिम्मा अब बेस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक व उनकी टीम के अधीन रहेगा। जिसमें एक फिजिशियन व एक एनेस्थेटिस्ट के साथ ट्रेंड नर्सिंग आफिसर व नोडल (मेंटेनेंस ) रहेंगे। उन्होंने बेस अस्पताल के एमएस की टीम को समय-समय पर मशीनों से लेकर डायलिसिस सेवा की मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। धन सिंह रावत ने हॉस्पिटल प्रशासन को कहा कि भविष्य में पूर्व की भांति दिक्कतें नहीं आनी चाहिए। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत सहित तमाम विशेषज्ञ चिकित्सक, डायलिसिस टीम व सपोर्टिंग स्टाफ के साथ जनप्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।
विदित हो कि बेस अस्पताल श्रीकोट में पिछले लंबे समय से डायलिसिस मशीन खराब थी, जिसे ठीक करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने कई बार प्रयास किए।इसके साथ ही एआरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) मशीन भी बदली गई, लेकिन इसका भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। इस कारण से मशीन करीब दो माह तक बंद पड़ी रही, जिसके चलते मरीजों को डायलिसिस के लिए देहरादून या ऋषिकेश जाना पड़ता था। इससे मरीजों को न केवल समय की बर्बादी झेलनी पड़ी, बल्कि आर्थिक रूप से भी भारी खर्च उठाना पड़ा। मरीजों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कई बार आंदोलन भी किया। इन प्रयासों के बाद अस्पताल में एक नई डायलिसिस मशीन स्थापित की गई। उम्मीद है कि इससे मरीजों को अब बेहतर और सुगम सेवाएं मिलेंगी।
उत्तराखंड में अब यूनिफॉर्म सिविल कोड, नए साल में होगा लागू..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की घोषणा की हैं। उन्होंने कहा है कि यूसीसी लागू करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। वक्फ बोर्ड ने भी समान नागरिक संहिता का स्वागत किया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि नए साल में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) उत्तराखंड में लागू कर दिया जाएगा। जिसके बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला पहला प्रदेश बन जाएगा। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने यूसीसी का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यूसीसी उभरते हुए भारत की एक तस्वीर है और ये विकसित भारत की ओर एक मजबूत कदम है।
शादाब शम्स ने कहा यूसीसी देश के लिए नजीर होगी और पूरे देश में सभी राज्य यूसीसी को अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि यूसीसी किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है बल्कि इसमें रीतियों और परंपराओं का ध्यान रखा गया है। मुसलमान निकाह करेगा तो रजिस्टर कराएगा, हिन्दू फेरे लेगा तो रजिस्टर कराएगा, उसी तरीके से तलाक रजिस्टर कराना होगा। उन्होंने कहा कि ये कानून बेटियों को बराबरी का हक देगा और आने वाला वक्त उत्तराखंड का होगा।
UCC क्या होता है ?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) एक देश एक नियम के तहत काम करता है। इसके तहत सभी धर्म के नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेना, विरासत और उत्तराधिकार जैसे कानूनों को एक कॉमन कानून के तहत नियंत्रित करने की बात कही गई है। फिर चाहे वो व्यक्ति किसी भी धर्म का क्यों न हो। मौजूदा समय में अलग-अलग धर्मों में इन्हें लेकर अलग-अलग राय और कानून हैं। यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य बन जाएगा जहां पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया गया है।
सीएम के सख्त निर्देश, परिवहन निगम अलर्ट मोड पर..
उत्तराखंड: राजधानी दिल्ली में ग्रैप-4 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) पॉलिसी लागू होने के कारण दिल्ली में वाहनों के प्रवेश में दिक्कतें सामने आ रही हैं। जिस कारण यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके देखते हुए सीएम धामी ने इस रूट पर उत्तराखंड परिवहन निगम को सेवाएं सुचारू रखने के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश के बाद दिल्ली मार्ग पर बसों की उपलब्धता बनाए रखने के लिए अलर्ट मोड पर काम कर रहा है। दिल्ली रूट पर बसों की उपलब्धता बनाए रखने के सीएम धामी के निर्देश के बाद परिवहन निगम अलर्ट मोड में काम कर रहा है। परिवहन निगम अब बसों का फेरा बढ़ाने के साथ ही नई खरीदी गई बसों का संचालन करते हुए यात्रियों को हर तरह की सेवाएं देने का प्रयास कर रहा है।
अपर सचिव परिवहन, नरेंद्र कुमार जोशी का कहना हैं कि उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बीएस-3 एव बीएस-4 बसों के नई दिल्ली में प्रवेश के रोक के दृष्टिगत उत्तराखण्ड परिवहन निगम ने सीएम के निर्देश के क्रम में कई कदम उठाए हैं। वर्तमान में उत्तराखण्ड परिवहन निगम के पास 185 सीएनजी बसें उपलब्ध हैं, जिन्हें दिल्ली मार्ग पर संचालित किया जा रहा है। साथ ही बीएस 6 मॉडल की 12 वोल्वो बसों के फेरे बढ़ा दिए गए हैं। इसके साथ ही रिशेड्यूलिंग के जरिए दिल्ली मार्ग पर संचालित किया जा रहा है। इसके साथ ही निगम द्वारा हाल में खरीदी गई बीएस-6 माडल की 130 डीजल बसों को भी प्रदेश के विभिन्न स्टेशनों से दिल्ली मार्ग पर संचालित किया जा रहा है। अपर सचिव परिवहन का कहना हैं कि वर्तमान में लीन सीजन के कारण यात्रियों की उपलब्धता 50 प्रतिशत के लगभग ही चल रही है। फिर भी अगर किसी स्टेशन विशेष पर दिल्ली के यात्रियों की संख्या बढ़ती है तो तत्काल अतिरिक्त बसें संचालित किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि जो बसें दिल्ली में प्रवेश नहीं कर पा रही हैं। उनको यात्रियों की आवश्यकता के अनुसार मोहननगर व कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश) तक दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचाया जा रहा है। बॉर्डर से दिल्ली के अंदर यात्रियों को ले जाने के लिए डीटीसी की बसों के प्रयोग के लिए भी दिल्ली सड़क परिवहन से समन्वय बनाया जा रहा है। इसके साथ ही उत्तराखण्ड के सभी डिपोज और सभी अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। उत्तराखण्ड परिवहन निगम का प्रयास है कि एक भी यात्री को उत्तराखण्ड से दिल्ली आवागमन में कोई भी कठिनाई न हो। यात्रियों के आवागमन की स्थिति पूर्णतया सामान्य है।
फ्लोटिंग पॉपुलेशन की बढ़ती चुनौती से निपटने को केंद्र से मांगी सहायता, वित्त मंत्री ने उठाए ये मुद्दे..
उत्तराखंड: प्रदेश ने अस्थायी आबादी (फ्लोटिंग पॉपुलेशन) की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए केंद्र सरकार से विशेष सहायता मांगी है। शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जैसलमेर में राज्यों के साथ हुई प्री-बजट कंसल्टेशन बैठक में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया। इसके साथ ही बागेश्वर से कर्णप्रयाग व रामनगर से कर्णप्रयाग रेल लाइन का सर्वे कराने का आग्रह किया। वित्त मंत्री का कहना हैं कि उत्तराखंड की वर्तमान जनसंख्या से पांच गुना अधिक अस्थायी आबादी राज्य में है। तीर्थाटन व पर्यटन में पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ पर्यटन बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण दीर्घकालिक आवश्यकता है। अस्थायी आबादी के लिए साफ-सफाई, सीवरेज ट्रीटमेंट, सुरक्षित पेयजल, इलेक्ट्रिक वाहन व सर्विस स्टेशन की सुविधाएं विकसित करने की आवश्यकता है। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से विशेष वित्तीय सहायता दी जाए।
भूजल संरक्षण के लिए नई केंद्र पोषित योजना शुरू करने का अनुरोध..
आगामी केंद्रीय बजट में उत्तराखंड में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना करने का प्रावधान करने का अनुरोध किया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व साइबर सुरक्षा से संबंधित उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने में केंद्र सरकार से सहयोग मांगा। मंत्री ने बताया कि भूजल संरक्षण के लिए राज्य में लगभग 2500 करोड़ रुपये की सौंग बांध परियोजना का काम शुरू किया गया। केंद्र सरकार ने इसके लिए 100 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे दी है। उत्तराखंड ने भूजल संरक्षण के लिए एक नई केंद्र पोषित योजना शुरू करने का अनुरोध किया। वित्त मंत्री अग्रवाल ने राज्य के दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए दो करोड़ प्रति मेगावाट की दर से आठ हजार करोड़ की सहायता अंतराल अनुदान (वीजीएफ) का प्रावधान केंद्रीय बजट में करने का आग्रह किया। रोपवे परियोजनाओं के लिए पर्वतीय राज्यों के लिए वीजीएफ में केंद्रीय अंशदान 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाए। जल जीवन मिशन योजना के शेष कार्यों को पूरा करने के लिए समय सीमा बढ़ाई जाए।
मनरेगा में श्रम व सामग्री का अनुपात समान किया जाए..
वित्त मंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से कहा कि मनरेगा के तहत वर्तमान में श्रम व सामग्री का अनुपात 60:40 है। उत्तराखंड की ओर से पर्वतीय राज्या में श्रम व सामग्री का अनुपात 50:50 किया जाए। इसके अलावा मनेगा अर्द्ध प्रशिक्षित श्रमिकों को मानदेय में भी बढ़ोतरी की जाए। राज्य आपदा मोचन निधि के मानकों में संशोधन करने के साथ प्रदेश में 60 वर्ष से 79 आयु वर्ग के लिए वृद्धावस्था पेंशन में केंद्रांश को बढ़ाया जाए।
Nikay Chunav- नामांकन के साथ ही शुरू हो जाएगा प्रत्याशियों का खर्च मीटर, निगरानी को पूरा तंत्र तैयार..
उत्तराखंड: प्रदेश में जैसे ही निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद प्रत्याशी नामांकन करेगा तो उसके खर्च का मीटर चालू हो जाएगा। जिलाधिकारियों के स्तर से सभी प्रचार सामग्री से लेकर चाय तक के दाम तय कर दिए गए हैं। उसी हिसाब से प्रत्याशियों को अपने खर्च का पूरा रिकॉर्ड रखना पड़ेगा। इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव में खर्च की निगरानी का तंत्र मजबूत कर दिया है। पहली बार सभी जिलों में एक-एक व्यय प्रेक्षक बनाए जा रहे, जिनके नीचे पूरी टीम काम करेगी। भारत निर्वाचन आयोग की तर्ज पर यहां भी प्रत्याशियों के नामांकन के साथ ही खर्च का मीटर चालू हो जाएगा।
इसके बाद प्रत्याशी जो भी खर्च करेगा, उसका पूरा रिकॉर्ड प्रमाण के साथ रखना होगा। सभी रिटर्निंग अफसरों को ये जिम्मेदारी दी गई कि वह पूरे चुनाव के दौरान कम से कम तीन बार प्रत्याशियों को खर्च का रिकॉर्ड मिलान करने के लिए बुलाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग की टीम प्रत्याशियों के कार्यक्रमों पर भी पूरी नजर रखेगी। इस बार आयोग ने खर्च की सीमा बढ़ा दी है, लेकिन इसके साथ ही निगरानी का तंत्र भी मजबूत कर दिया है। व्यय प्रेक्षकों को निर्देश हैं कि वह एक जिले में कम से कम तीन दिन रहेंगे और सभी निकायों के प्रत्याशियों के खर्च ब्योरा लेंगे। जिलाधिकारियों ने चुनाव के लिए सभी जिम्मेदार अफसर तय कर दिए हैं। उन्हें उनकी जिम्मेदारी से संबंधित कार्यों की जानकारी भी दी जा रही है। माना जा रहा कि 25 दिसंबर से 31 दिसंबर के बीच निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है।
प्रदेश के खाते में जल्द जुड़ सकती है एक और उपलब्धि, बॉक्सिंग अकादमी खोलने की तैयारी..
उत्तराखंड: प्रदेश को 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने के बाद उसके खाते में जल्द एक और उपलब्धि जुड़ सकती है। बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया और शासन के बीच राज्य में अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग अकादमी खोलने पर सहमति बनी है। बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) के महासचिव हेमंत कलिता के अनुसार उनकी इस संबंध में विशेष प्रमुख सचिव खेल अमित सिन्हा बात हुई है। उन्होंने इस पर सहमति जताई है। वहीं विशेष प्रमुख सचिव खेल का कहना है कि इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा।
बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) के महासचिव हेमंत कलिता इन दिनों देहरादून में हैं। उनका कहना हैं कि उत्तराखंड ने कई शानदार बॉक्सर दिए हैं। राज्य में बॉक्सिंग की संभावनाओं को देखते हुए यहां अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग अकादमी खुलनी चाहिए। इसके लिए उनकी विशेष प्रमुख सचिव खेल से बात हुई है। बीएफआई इसके लिए पूर्ण तकनीकी सहयोग देगा। यहां खुलने वाली अकादमी कजाकिस्तान की तर्ज पर होगी, जिसमें देश, विदेश से खिलाड़ी प्रशिक्षण के लिए आएंगे। खेल विभाग के पूर्व अपर निदेशक धर्मेंद्र प्रकाश भट्ट ने कहा कि अकादमी खुलने से राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार होंगे, वहीं अकादमी को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुभवी कोच मिल सकेंगे। इससे बॉक्सरों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण मिलेगा।