पहली बार सरकारी विभागों के लिए खाका तैयार..
उत्तराखंड: उत्तर प्रदेश की रीति और अनुभवों के आधार पर अपनी नीति तय करने वाली प्रदेश सरकार अब अपनी टूल किट से नीतियां बनाएगी। इसमें नियोजन विभाग का लोक नीति एवं सुशासन केंद्र(सीपीपीजीजी) सहयोग करेगा। पहली बार सीपीपीजीजी ने नीति बनाने के लिए एक टूल किट का खाका तैयार किया है। यह टूल किट नीति बनाने का बुनियादी आधार सुझाएगी और वैज्ञानिक, व्यावहारिक और विषय केंद्रित नीति का दस्तावेज तैयार करने में मदद करेगी। सचिव नियोजन डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम ने साक्ष्य आधारित और डाटा केंद्रित नीति बनाने के लिए इस पॉलिसी मेकिंग टूल किट की मार्गदर्शिका सभी विभागों को भेज दी है। इसमें कदम दर कदम नीति बनाने और उसे लागू करने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
सचिव का मानना है कि यह टूल किट प्रगतिशील नीति बनाने में निश्चित तौर पर सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने विभागों से भी अपेक्षा की है कि वे विभागीय नीति निर्माण की प्रक्रिया में इस टूल का प्रयोग करेंगे। उनका मानना है कि इससे साक्ष्य आधारित विभागीय नीतियां तैयार करने में मदद मिलेगी।
सीपीपीजीजी के अपर मुख्य कार्याधिकारी डॉ. मनोज कुमार पंत का कहते हैं, पहली बार नीति बनाने के लिए कोई मार्गदर्शिका उपलब्ध कराई गई है। हमें नहीं लगता कि किसी अन्य राज्य में ऐसा कोई प्रयोग हुआ है। इस टूल किट की मदद से विभागीय नीतियां बनाने में काफी मदद मिलेगी।
यह बात सही है कि नीति बनाते समय सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक और पर्यावरणीय कारण महत्वपूर्ण होते हैं और उत्तराखंड जैसे राज्य में सभी क्षेत्रों और विभागों में नीति बनाने के लिए कोई एक समान दृष्टिकोण लागू नहीं किया जा सकता। लेकिन यह मार्गदर्शिका नीति बनाने का वह बुनियादी आधार प्रदान करती है, जो इसकी आवश्यकता, साक्ष्य, प्रभाव, हित धारकों पर केंद्रित होता है।
- प्रह्लाद सबनानी
वरिष्ठ स्तंभकार
अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने घोषणा की है कि वे प्रदेश के 6 जिलों सीतापुर, लखीमपुर, पीलीभीत, बरेली, शाहजहांपुर एवं फर्रुखाबाद के 5 तीर्थस्थलों को आपस में जोड़ने हेतु 500 किलोमीटर से भी लम्बा श्री परशुराम तीर्थ सर्किट बनाने जा रहे हैं। ये पांचों तीर्थ स्थल, नैमिष धाम, महर्षि दधीचि स्थल मिश्रिख, गोला गोकर्णनाथ, गोमती उद्गम, पूर्णागिरी मां के मंदिर के बॉर्डर से बाबा नीब करोरी धाम और जलालाबाद परशुराम की जन्मस्थली, हिंदुओं की आस्था के प्रमुख केंद्र हैं।
इसी प्रकार दक्षिण भारत की शैली में वृंदावन के ‘रंगजी’ मंदिर के आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण कर उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना को पूर्ण करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने 16.20 करोड़ रुपये की कार्ययोजना बनाई है। इस दिव्यदेश मंदिर का निर्माण वर्ष 1833 में शुरू हुआ था। भगवान नारायण के लोक को ‘दिव्यदेश’ की संज्ञा दी जाती है। दिव्यदेश की पहचान पांच प्रमुख स्तंभों से होती है। इसमें गरुड़ स्तंभ, गोपुरम, पुष्करणी, पुष्प उद्यान और गोशाला होती है। ऐसे 107 दिव्यदेश भारत में और एक नेपाल में स्थित हैं।
अयोध्या में भी भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य जोर शोर से चल रहा है। 5 अगस्त 2020 को शुरु हुए श्रीराम मंदिर के निर्माण कार्य का लगभग एक तिहाई काम सम्पन्न हो चुका है। अब श्रीराम मंदिर के गर्भगृह का निर्माण कार्य शुरू हुआ है। मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने गर्भगृह की पहली शिला रखते हुए कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ‘राष्ट्र मंदिर’ का रूप ले लेगा। 1100 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से बनने वाले इस श्रीराम मंदिर के निर्माण में अभी तक 192 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। श्रीराम जन्मभूमि परिसर से कुछ दूरी पर दक्षिण भारत के द्रविड़ शैली में भव्य श्रीरामलला देवस्थानम मंदिर भी बनाया जा रहा है।
पूर्व में केंद्र सरकार ने भी देश के 12 शहरों को “हृदय” योजना के अंतर्गत भारत के विरासत शहरों के तौर पर विकसित करने की घोषणा की है। ये शहर हैं, अमृतसर, द्वारका, गया, कामाख्या, कांचीपुरम, केदारनाथ, मथुरा, पुरी, वाराणसी, वेल्लांकनी, अमरावती एवं अजमेर। हृदय योजना के अंतर्गत इन शहरों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, ताकि इन शहरों की पुरानी विरासत को पुनर्विकसित कर पुनर्जीवित किया जा सके। इस हेतु देश में 15 धार्मिक सर्किट भी विकसित किये जा रहे हैं। जिनमें शामिल हैं, हिमालय सर्किट, नोर्थ ईस्ट सर्किट, कृष्ण सर्किट, बुद्धिस्ट सर्किट, कोस्टल सर्किट, डेजर्ट सर्किट, ट्राइबल सर्किट, वाइल्ड लाइफ सर्किट, रुरल सर्किट, स्पीरीचुअल सर्किट, रामायण सर्किट, हेरीटेज सर्किट, तीर्थंकर सर्किट एवं सूफी सर्किट। “हृदय” योजना को लागू करने के बाद से केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने कई परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इनमें से अधिकतर परियोजनाओं पर काम भी प्रारम्भ हो चुका है। इन सभी योजनाओं का चयन सम्बंधित राज्य सरकारों की राय के आधार पर किया गया है।
इसी प्रकार, पर्यटन मंत्रालय ने “प्रसाद” नामक एक विशेष योजना को प्रारम्भ किया है। जिसके अंतर्गत 15 राज्यों में धार्मिक स्थलों पर 24 परियोजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढांचे को विकसित करने के उद्देश्य से पर्यटन मंत्रालय द्वारा वित्त की व्यवस्था की जाती है। “प्रसाद” योजना के अंतर्गत रोड, रेल एवं जलमार्ग के माध्यम से परिवहन की व्यवस्था विकसित की जा रही है। इन चुने हुए धार्मिक स्थलों पर बैंकों के एटीएम का जाल बिछाया गया है। वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था, पीने के पानी की व्यवस्था, रेस्ट रूम का निर्माण, वेटिंग रूम का निर्माण, फर्स्ट-एड के अंतर्गत दवाईयों की व्यवस्था, बिजली की व्यवस्था, दूरसंचार के साधनों की व्यवस्था, आदि की जा रही है। इन विभिन्न परियोजनाओं को निजी एवं सरकारी क्षेत्र में, पीपीपी मॉडल के अंतर्गत, संयुक्त रूप से चलाने के प्रयास किये जा रहे है। इस योजना को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भी प्रयास किए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार भारत में धार्मिक स्थलों को विकसित करने में एकाएक इतनी दिलचस्पी क्यों लेने लगीं हैं? इसका उत्तर दरअसल इस तथ्य में छुपा है कि भारत में यात्रा एवं पर्यटन उद्योग 8 करोड़ व्यक्तियों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रहा है एवं देश के कुल रोजगार में पर्यटन उद्योग की 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। भारत में प्राचीन समय से धार्मिक स्थलों की यात्रा, पर्यटन उद्योग में, एक विशेष स्थान रखती है। एक अनुमान के अनुसार, देश के पर्यटन में धार्मिक यात्राओं की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत के बीच रहती है। देश के पर्यटन उद्योग में लगभग 19 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित की जा रही है जबकि वैश्विक स्तर पर पर्यटन उद्योग केवल 5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कर रहा है। भारत में पर्यटन उद्योग लगभग 23,400 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आय अर्जित कर रहा है। देश में पर्यटन उद्योग में 87 प्रतिशत हिस्सा देशी पर्यटन का है जबकि शेष 13 प्रतिशत हिस्सा विदेशी पर्यटन का है। अतः भारत में रोजगार के नए अवसर निर्मित करने के उद्देश्य से केंद्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार धार्मिक स्थलों को विकसित करने हेतु प्रयास कर रही हैं।
पर्यटन उद्योग में कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियों का समावेश रहता है। यथा, अतिथि सत्कार, परिवहन, यात्रा इंतजाम, होटल आदि। इस क्षेत्र में व्यापारियों, शिल्पकारों, दस्तकारों, संगीतकारों, कलाकारों, होटेल, वेटर, कूली, परिवहन एवं टूर आपरेटर आदि को भी रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। उक्त कारणों में चलते हाल ही के समय में भारत में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के चार मंत्रालय – पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, रेल्वे मंत्रालय एवं परिवहन मंत्रालय, आपस में तारतम्य बनाते
हुए मिलकर कार्य कर रहे हैं। इन चारों मंत्रालयों के संयुक्त प्रयासों से देश में धार्मिक यात्राओं को आसान बना दिया गया है। परिवहन मंत्रालय द्वारा विभिन्न तीर्थ स्थलों पर आसानी से पहुंचने हेतु मार्गों को विकसित किया गया है एवं बुनियादी ढांचे को भी विकसित किया जा रहा है। जिसके चलते देश के नागरिकों द्वारा धार्मिक यात्राएं करने की मात्रा में काफी उच्छाल देखने में आ रहा है।
भारतीय रेल ने कई विशेष सर्किट मार्ग पर विशेष रेलगाड़ियों को चलाने का अभियान भी प्रारम्भ किया है। नवम्बर 2018 से श्री रामायण एक्सप्रेस नामक विशेष रेलगाड़ी प्रारम्भ की गई है। यह रेल भारत एवं श्रीलंका में प्रभु श्रीराम से सम्बंधित महत्वपूर्ण स्थानों के मार्ग के बीच चलायी जा रही है। यह रेल प्रभु श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या से प्रारम्भ होती है एवं रेल के मार्ग में पड़ने वाले प्रभु श्रीराम की श्रद्धा के प्रमुख केंद्रों पर रूकती है। साथ ही, यदि श्रद्धा स्थल रेल्वे मार्ग से कुछ दूरी पर स्थित है तो भारतीय रेल श्रद्धालुओं को उक्त स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था भी करती है। इस तरह की कई अन्य विशेष रेलगाड़ियां राजकोट, जयपुर एवं मदुरई आदि स्थानों से भी चलाई जा रही हैं।
साथ ही अब वैष्णो देवी मंदिर पर पहुंच मार्ग को भी आसान बना दिया गया है। अब जम्मू-उधमपुर-कटरा रेलवे लाइन भी प्रारम्भ कर दी गई है। अब दिल्ली से कटरा तक रेल सेवा उपलब्ध करा दी गई है। कई रेलगाड़ियां अब सीधे कटरा तक पहुंच रही हैं। इससे वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को बहुत आसानी हो गई है। इसी प्रकार, एक विशेष पर्यटन रेलगाड़ी भारत दर्शन के लिए भी चलायी जा रही है। इस पैकेज टूर में 6 धार्मिक स्थल शामिल किए गए हैं, यथा, बैद्यनाथ, गंगासागर, कोलकत्ता, वाराणसी, प्रयागराज, आदि।
बुद्धिस्ट सर्किट पर भी विशेष रेलगाड़ियां अब चलाई जाने लगी हैं। विशेष पैकेज टूर के अंतर्गत बोद्धगया, नालंदा एवं वाराणसी शहरों के बीच 8 दिन की धार्मिक यात्रा सम्पन कराई जा रही है। भगवान बुद्ध के दर्शनार्थ यात्री विभिन्न देशों यथा जापान, चीन, थाईलैंड एवं श्रीलंका आदि से आते हैं। बुद्धिस्ट सर्किट पर पड़ने वाले अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन भी विदेशों से आए हुए इन यात्रियों को कराए जाते हैं एवं इनके सुख सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। पूरी सुविधाएं रेल्वे विभाग द्वारा प्रदान की जाती हैं।
गुरुद्वारा सर्किट पर पंज तख़्त एक्स्प्रेस नामक रेलगाड़ी चलायी जा रही है। इसके माध्यम से सिख धर्माविलंबियों को इस सर्किट पर पड़ने वाले गुरुद्वारों की यात्रा बहुत ही सहज तरीके से करायी जा रही है। इनमें शामिल हैं, अमृतसर में श्री अकाल तख़्त, श्री आनन्दपुर साहिब में तख़्त केशगड़, भटिंडा में तख़्त श्री दमदमा साहिब, पटना में तख़्त श्री पटना साहिब एवं नांदेड़ में तख़्त श्री हजूर साहिब।
उत्तराखंड में चार धाम – केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री – को भी बारहों महीने के लिए रोड के माध्यम से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे है। यह एक विशेष सर्किट के तौर पर विकसित किया जा रहा है।
उक्त विभिन्न सर्किट को विकसित करने के पीछे भारत की जड़ें तलाशने के साथ ही देश में धार्मिक पर्यटन को पंख देने की मंशा भी काम कर रही है। योग एवं आयुर्वेद भी हाल ही के समय में विदेशों में काफी लोकप्रिय हो गया है। अतः इसकी खोज के लिए विदेशों से भी कई पर्यटक भारत में धार्मिक पर्यटन करने के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। इससे विदेशी पर्यटन भी देश में तेजी से वृद्धि दर्ज कर रहा है।
केंद्र सरकार के साथ साथ हम नागरिकों का भी कुछ कर्तव्य है कि देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हम भी कुछ कार्य करें। जैसे प्रत्येक नागरिक, देश में ही, एक वर्ष में कम से कम दो देशी पर्यटन स्थलों का दौरा अवश्य करे। विदेशों से आ रहे पर्यटकों के आदर सत्कार में कोई कमी न रखें ताकि वे अपने देश में जाकर भारत के सत्कार का गुणगान करे। आज करोड़ों की संख्या में भारतीय, विदेशों में रह रहे हैं। यदि प्रत्येक भारतीय यह प्रण करे की प्रतिवर्ष कम से कम 5 विदेशी पर्यटकों को भारत भ्रमण हेतु प्रेरणा देगा तो एक अनुमान के अनुसार विदेशी पर्यटकों की संख्या को एक वर्ष के अंदर ही दुगना किया जा सकता है।
सड़क हादसा, पुल से नीचे गिरी रोडवेज बस, मची चीख पुकार..
देश-विदेश: उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में लखनऊ-कानपुर हाईवे पर अचलगंज थाना इलाके में आजाद नगर की रोडवेज बस आजाद मार्ग चौराहा पर पुल से नीचे गिर गई। हादसे में बस में सवार 35 यात्रियों में से 25 लोग घायल हो गए। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिनमें से सात की हालत गंभीर है।अन्य को मामूली चोटें आई हैं। सभी को कानपुर रेफर कर दिया गया। बता दें कि हादसा रात लगभग दो बजे का है। आजाद नगर डिपो की रोडवेज बस 35 यात्रियों को लेकर लखनऊ से कानपुर जा रही थी। जैसे ही बस आजाद मार्ग चौराहा के पास पहुंची तो बेकाबू होकर पुल से नीचे गिरी गई। यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई।
चीख-पुकार के बीच आसपास के ढाबों से आए लोगों ने पुलिस की मदद से बस में फंसे यात्रियों को बाहर निकाला और जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां से सभी को कानपुर रेफर कर दिया गया। जिन्हें मामूली चोट आई, वह प्राथमिक उपचार के बाद घर चले गए। हादसे के बारे में बस में सवार यात्रियों का कहना हैं कि चालक काफी तेज गति से बस को चला रहा था। कई बार टोकने के बाद भी उसने रफ्तार धीमी नहीं की, जिसके चलते हादसा हो गया। पुलिस जांच कर रही है।
कांग्रेस के उम्मीदवारों को टिकट के लिए ढीली करनी होगी जेब, 11 हजार रुपये के साथ जमा होंगे आवेदन
देश-विदेश: अगले साल उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं इसके तहत सभी पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं। इस बीच कांग्रेस पार्टी के यूपी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सूचना जारी की है कि जिन लोगों को कांग्रेस का टिकट चाहिए वह आवेदन के साथ 11000 रुपये जमा कर दे।
सभी आवेदनकर्ताओं को यूपी विधानसभा की टिकट पाने के लिए 25 सितंबर तक आवेदन कर देना होगा। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरह से जो ज्ञापन जारी किया गया है उसमें लिखा है, आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए आवेदन-पत्र जमा करने हेतु जिला मुख्यालय पर जिला/शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों एवं प्रदेश स्तर पर संजय शर्मा और विजय बहादुर को अधिकृत किया गया गया है। सभी आवेदक जिला या प्रदेश स्तर पर उक्त अधिकृत लोगों के पास अपना आवेदन-पत्र सहयोग राशि 11 हजार रुपये के आरटीजीएस अथवा डिमांड ड्राफ्ट या पे ऑर्डर से 25 सितंबर तक जमा कर पावती प्राप्त कर सकेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने भले ही लव जिहाद, जबरन, लोभ लालच या धोखे से धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कानून बना दिया हो, लेकिन हिन्दू युवतियों को बहकाने और छलने के जिहादी मिशन को अंजाम देने वाले असामाजिक तत्व नए-नए तरीके खोज रहे हैं। कभी विद्यालय शिक्षक बनकर, तो कभी विश्वविद्यालय परिसरों में अपने आप को मीडियाकर्मी बताकर छात्राओं को अपने जाल में फंसा लेते हैं।
नया प्रकरण मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का है। जहां दो युवक खुद को दो बड़े चैनलों का रिपोर्टर बताकर छात्राओं को अपने जाल में फंसा रहे थे। मामले का खुलासा उस समय हुआ जब एक युवक विश्वविद्यालय परिसर के अंदर मौजूद स्वामी विवेकानंद पार्क के पास एक छात्रा से उसका मोबाइल नंबर मांग रहा था, छात्रा के मना करने पर युवक ने जबरन उसका हाथ पकड़कर खींचने की कोशिश की। छात्रा के विरोध और शोर मचाने पर वहां छात्र और कर्मचारी एकत्रित हो गए।
इसके बाद घटना की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय लोग और विहिप, बजरंग दल के कार्यकर्ता वहां पहुंचे और उन्होंने युवक से पूछताछ शुरू की। आरोपी ने अपने आप को ज़ी न्यूज का रिपोर्टर बताते हुए छात्रों पर रौब जमाने की कोशिश की। जब छात्रों और उपस्थित स्थानीय लोगों ने उससे मेरठ के किसी मीडियाकर्मी को फोन लगाकर बुलाने को कहा तो उसके मोबाइल में किसी भी मीडियाकर्मी का नंबर नहीं मिला, जिससे लोगों का संदेह बढ़ गया।
उसके मोबाइल में गर्लफ्रेंड नाम से एक फोल्डर बना था, जिसमें 59 हिंदू लड़कियों के नाम और इसी प्रकार लगभग 350 फोटो सेव थे। युवक से जब उसका नाम पूछा गया तो उसने श्याम बताया। लेकिन उसके गले में मौजूद ज़ी न्यूज़ का आई कार्ड दिखा तो उसमें उसका नाम श्यान सिद्दिकी था। आरोपी को पुलिस को सौंपा गया तो वहां उसने अपना नाम पहले साहिल और बाद में सालिक बताया।
पुलिस ने जिहादी सालिक के पास से ज़ी न्यूज़ चैनल की माइक आईडी, ज़ी न्यूज़ का लोगो लगा हुआ बैग, ज़ी न्यूज़ का आई कार्ड, जिंदा कारतूस, रिवाल्वर का कवर और एक वायरलेस सेट बरामद किया। वायरलेस सेट पर तो मोदी गिफ्ट लिखा था, जिससे वो सबको ये बताता था कि ये वायरलेस उसको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिफ्ट किया है। अर्थात् इन सब छल प्रपंच के जरिए वह योजना बनाकर किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में था।
जब जिहादी सालिक की पुरानी अपराध हिस्ट्री खंगाली गई तो मालूम हुआ कि वह पहले भी धोखाधड़ी के मामले में थाना सदर बाजार से जेल जा चुका है। पुलिस ने सालिक को तो गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन उसके साथी अनस और इस नापाक मिशन से जुड़े अन्य जिहादी अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं जो बड़े स्तर पर लव जिहाद के इस खेल में कुचक्र रच रहे थे। देखना होगा कि पुलिस लव जिहाद के खेल में शामिल अपराधियों तक कब और कैसे पहुंच पाती है।
हिंदू संगठनों ने मांग की है कि सालिक से मिला सामान, दस्तावेज और हथियार ही नहीं लव जिहाद के इस खतरनाक मोड्यूल की गहन जांच होनी चाहिए, ताकि कथित मजहबी शान्तिदूतों की करतूतें और उनके बचाव में सदा खड़े रहने वाले देशविरोधी अर्बन नक्सल गठजोड़ की पोल भी समाज के सामने खुल सके।
लव जिहाद या रोमियो जिहाद अर्थात मुस्लिम पुरुषों अथवा युवकों द्वारा हिन्दू महिलाओं या युवतियों को छल-कपट और बहला-फुसलाकर प्रेम का स्वांग रचाकर इस्लाम कबूलने के लिए विवश करना है। मुस्लिम युवा अपनी पहचान छिपाकर न सिर्फ हिन्दू समुदाय की लड़कियों को बहलाते फुसलाते हैं, बल्कि घर से भगा कर उनका यौन शोषण करते हैं। शादी के लिए मजबूर कर जबरन धर्म परिवर्तन के लिए भी बाध्य करते हैं।
पहली बार वर्ष 2009 में केरल और कर्नाटक में लव जिहाद की अवधारणा सामने आई और आज एक दशक पूरा होने के बाद पूरे देश में चिंता का बड़ा सबब बन गयी है। भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन में इस्लामी जिहादी ताकतें सैकड़ों लव जिहाद के मामलों को अंजाम दे चुकी हैं।
पाकिस्तान में आए दिन अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ी हिन्दू, सिक्ख और ईसाई नाबालिग बच्चियां शिकार बन रही हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में 2009, 2010, 2011 और 2014 से लगातार बढ़ रहे लव जिहाद के मामलों से हिन्दू, सिक्ख और ईसाई संगठन बेहद चिंतित हैं। केरल हाईकोर्ट वर्षों पूर्व लव जिहाद के बढ़ते मामलों को बड़ा खतरा बता चुका है।
भारत के अन्य राज्यों के साथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में लव जिहाद की घटनाएं प्रशासन के लिए सरदर्द और सामाजिक वैमनस्यता का कारण बन गयी हैं। देश के सभी राज्यों में लव जिहाद पर नियन्त्रण के लिए ठोस क़ानून की मांग के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 24 नवम्बर को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी गई है।
इस कानून के लागू होने के बाद छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से दस वर्ष तक की सजा हो सकती है। खासकर किसी नाबालिग लड़की या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का छल से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दोषी को तीन से दस वर्ष तक की सजा भुगतनी होगी।
धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को स्वीकृति देकर जबरन धर्मांतरण के मामलों में दो से सात साल तक की सजा के प्रस्ताव को सरकार ने और कठोर करने का निर्णय किया है। सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में भी तीन से 10 वर्ष तक की सजा होगी। जबरन या कोई प्रलोभन देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध माना जाएगा। दूसरे धर्म में शादी से दो माह पहले नोटिस देना अनिवार्य हो गया है। इसके साथ ही जिला अधिकारी की अनुमति भी जरूरी हो गई है। नाम छिपाकर शादी करने पर 10 साल की सजा होगी।
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा ने अध्यादेश का स्वागत करते हुए कहा कि बच्चियों को बहलाने-फुसलाने वालों के खिलाफ हम लगातार सख्त हैं। लव जिहाद के सिंडीकेट का खुलासा हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने किया था। दिनेश, रमेश, सुरेश नाम रखने वालों की जब जांच हुई तो वे मुख्तार, अंसार, रईस निकले। जो इस प्रकार का षड्यंत्र कर रहे थे, उनके खिलाफ कानून लाया गया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी पिछले दिनों अपने एक निर्णय में स्पष्ट किया कि शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है। लव जिहाद की व्याधि से परेशान राज्य चाहे कर्नाटक हो, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार अथवा केरल या पश्चिम बंगाल हो, देर-सवेर सभी को इस्लामी जिहाद की इस घिनौनी चाल को रोकने के लिए ठोस क़ानून बनाना ही होगा।
इसमें किसी समुदाय विशेष को टार्गेट करने की कोई बात नहीं है। यह क़ानून व्यक्तिगत विवाह की स्वतंत्रता को भी बाधा नहीं पहुंचाएगा। बल्कि यह बेटियों को सुरक्षा और अधिकार देगा। संवैधानिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता में शादी के बाद जबरन धर्म परिवर्तन को कैसे जायज माना जाए। जब क़ानून बनेगा तो उसमें भारत के सभी नागरिक आएंगे, फिर मुस्लिम समुदाय की चिंता की बात ही क्यों?
योगी सरकार उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बद्रीनाथ धाम में एक पर्यटक आवास गृह का निर्माण करेगी। उत्तराखंड दौरे के तीसरे दिन मंगलवार को बद्रीनाथ पहुंचे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ पर्यटक आवास गृह का भूमि पूजन व शिलान्यास किया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बद्रीनाथ जाने वाले तीर्थ यात्रियों व पर्यटकों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के माध्यम से एक पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित किया है। इसकी लागत लगभग 11 करोड़ रूपये है और यह बद्रीनाथ हेलीपैड के निकट 4 हजार वर्ग मीटर भूमि पर बनेगा। आवास गृह का निर्माण पहाड़ी शैली में होगा।
यहां बता दें कि, आवास गृह का शिलान्यास सोमवार को प्रस्तावित था। मगर केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान दोनों मुख्यमंत्री भारी बर्फबारी के कारण दिनभर वहीं फंसे रहे। सोमवार शाम को मौसम खुलने पर दोनों नेता रात्रि विश्राम के लिए चमोली जिले के गौचर पहुंचे और मंगलवार सुबह वहां से बद्रीनाथ रवाना हुए।। बद्रीनाथ में उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास किया। इस दौरान उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
यहां बता दें कि, आवास गृह का शिलान्यास सोमवार को प्रस्तावित था। मगर केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान दोनों मुख्यमंत्री भारी बर्फबारी के कारण दिनभर वहीं फंसे रहे। सोमवार शाम को मौसम खुलने पर दोनों नेता रात्रि विश्राम के लिए चमोली जिले के गौचर पहुंचे और मंगलवार सुबह वहां से बद्रीनाथ रवाना हुए।। बद्रीनाथ में उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास किया। इस दौरान उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज मुझे कई वर्षों के बाद भगवान श्री बद्री विशाल के दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। उत्तराखण्ड के चारों धाम पर्यटन के विकास एवं श्रद्धालुओं की श्रद्धा व आस्था के सम्मान को ध्यान में रखते हुए आज की आवश्यकता के अनुरूप विकास की जिन नई ऊंचाईयों को छूते हुए दिखाई दे रहे हैं, वह अत्यंत सराहनीय एवं अभिनंदनीय है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के नेतृत्व में हो रहे इन कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के विकास के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों के लिए हृदय से उनका अभिनन्दन करता हूं।
योगी ने कहा कि उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के बीच पिछले 18-20 वर्षों से बहुत से विवाद चले आ रहे थे। ये विवाद उत्तराखण्ड के नये राज्य बनने के बाद से ही चल रहे थे। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने रचनात्मक और सकारात्मक पहल से इन सभी समस्याओं का समाधान करने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड मेरी जन्म भूमि भी है। मैंने अपना बचपन यहीं बिताया है। पिछले तीन दिनों से यहां के तीर्थ स्थलों के दर्शन करने करने का सौभाग्य मिला है।
उन्होंने कहा कि अगले वर्ष यात्रा प्रारम्भ होने पर बद्रीनाथ में पर्यटक आवास गृह का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। प्रयास किया जाएगा कि एक वर्ष के अन्दर यह कार्य पूर्ण कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि अनेक संतों व योगियों ने अपनी साधना, योग व तप से इस धरती को पवित्र किया है। योगराज सुन्दरनाथ जी की तपस्थली भी श्री बदरीनाथ में है। यहां पर योगराज सुन्दरनाथ जी की गुफा भी है। उन्होंने इच्छा जताई कि उत्तराखण्ड सरकार उनकी गुफा का पुनरूद्धार करे तो बहुत अच्छा कार्य होगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पिछले तीन दिनों से योगी आदित्यनाथ के साथ केदारनाथ एवं बद्रीनाथ के दर्शन करने का अवसर मिला। बद्रीनाथ में उत्तर प्रदेश के पर्यटक आवास का भूमि पूजन व शिलान्यास हुआ, यह एक बड़ी उपलब्धि है। देशभर से श्रद्धालु एवं पर्यटक यहां आते हैं, इस पर्यटक आवास गृह बनने से उनके लिए एक और सुविधा बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि योगी जी नेतृत्व में उत्तर प्रदेश जैसा विशाल राज्य आज विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है। उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश एक उत्तम प्रदेश बने इसके लिए कामना करता हूं।
शिलान्यास कार्यक्रम के बाद दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने बद्रीनाथ से कुछ दूरी पर स्थित देश के अंतिम गांव माणा, भीम पुल एवं सरस्वती पुल का भ्रमण भी किया। दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री आईटीबीपी, सेना एवं बीआरओ के जवानों से मिले व उनका हौंसला बढ़ाया। इससे पूर्व, बद्रीनाथ पहुंचने पर योगी आदित्यनाथ व त्रिवेन्द्र सिंह रावत का देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों ने स्वागत किया।