ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन-13 स्टेशन, 16 सुरंगें,750 करोड़ से बिछेगा ट्रैक, जल्द शुरू होगा काम..
उत्तराखंड: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर तेजी से काम हो रहा है। अब रेलवे लाइन पर ट्रैक बिछाया जाएगा। चार जुलाई को इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। बता दें कि भारतीय रेलवे का उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर ट्रैक बिछाने का काम शुरू करेगा। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर 750 करोड़ की लागत से इरकॉन इंटरनेशनल जल्द ही ट्रैक बिछाने का काम शुरू करेगी। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है।
आपको बता दें कि सामरिक दृष्टि से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना बेहद ही महत्वपूर्ण है। इसी लिए इसका काम तेजी से पूरा किया जा रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन 125 किलोमीटर लंबी है। इस लाइन पर 16 सुरंगे हैं। इन सुरंगों के खुदान का काम भी लगभग 75 प्रतिशत तक पूरा हो गया है। साल 2025 तक इन सुरंगों के खुदान का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। बता दें कि इस रेलवे लाइन का 105 किलोमीटर हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा। बता दें कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का 120 किलोमीटर हिस्सा जहां सुरंगों से होकर गुजरेगा तो वहीं बाकी का 25 किलोमीटर हिस्से में पुल और रेलवे स्टेशन होंगे।
इस रेलवे परियोजना का काम तेजी से किया जा रहा है और अब रेलवे लाइन पर ट्रैक बिछाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गया है। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि साल 2026 के अंत तक ट्रैक बिछाने का काम भी पूरा कर लिया जाएगा। बता दें कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर कुल 13 स्टेशन हैं। जिसमें से योगनगरी रेलवे स्टेशन और वीरभद्र रेलवे स्टेशन का काम भी पूरा हो चुका है। सबसे खास बात कि योगनगरी रेलवे स्टेशन तक ट्रेनें चलने भी लगी हैं। इसके साथ ही देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर, धारीदेवी, तिलनी, घोलतीर, गौचर, शिवपुरी, ब्यासी और सिंवई (कर्णप्रयाग) में भी स्टेशन हैं।
इस रेल परियोजना के चल रहे कार्य से ग्रामीणों के घरों में आई दरारें..
उत्तराखंड: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना पर चल रहे कार्य ने ग्रामीणों के लिए एक मुसीबत खड़ी कर दी है। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में ऋषिकेश में मैदानी इलाकों को पहाड़ियों से जोड़ने के लिए तैयार है। वही इस परियोजना मार्ग पर स्थित मरोरा गांव में स्थित घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। लगभग 40 घरों में दरारें आ गई हैं और कुछ घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इस क्षेत्र के कुछ घरों और खेतों ने पहले ही खुदाई शुरू कर दी है।
ग्रामीणों को मुआवजा देने में हुए सहमत..
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मनुज गोयल का कहना हैं कि रेलवे ग्रामीणों की सहमति के बाद उनका पुनर्वास करने की प्रक्रिया में है। लगभग 19-20 परिवारों को रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) द्वारा पुनर्वासित किया गया है, जबकि शेष की प्रक्रिया चल रही है। वे ग्रामीणों की सहमति से मुआवजा देने पर सहमत हुए हैं।
125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन केंद्र की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 16,000 करोड़ रुपये है। यह तलहटी में ऋषिकेश को गढ़वाल पहाड़ियों पर कर्णप्रयाग से जोड़ेगा। इसमें देवप्रयाग और लछमोली के बीच देश की सबसे लंबी 15 किलोमीटर लंबी सुरंग भी होगी।
दूसरे स्थान पर जाने को कह रहा है आरवीएनएल..
गाँव की अधिकांश ज़मीन का अधिग्रहण कर लिया गया है और अब हमारे पास कुछ घर और गौशालाएँ बची हैं। अब, आरवीएनएल हमें यह कहते हुए दूसरे स्थान पर जाने के लिए कह रहा है कि वे हमारा किराया देंगे। हालांकि, हमारे आजीवन सामान, पशुधन आदि के साथ किराए के कमरे या घर में ले जाना असुविधाजनक है। यह एक व्यवहार्य विकल्प नहीं है।
ग्रामीण नौकरी के साथ-साथ पूर्ण पुनर्वास की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आरवीएनएल ने उनकी जमीन अधिग्रहण करने से पहले उपरोक्त सभी का वादा किया था। “हम चाहते हैं कि प्रोजेक्ट कंपनी हमें एक अलग जमीन पर घर दे, साथ ही प्रत्येक घर से एक परिवार के सदस्य को रोजगार दे, जैसा कि उन्होंने वादा किया था।