उत्तराखंड की धामी सरकार ने राज्य में बिना पंजीकरण के चल रहे मदरसों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। देहरादून के विकासनगर और सहसपुर में प्रशासन ने बुधवार को 12 और मदरसों को सील कर दिया। इससे पहले 19 मदरसों पर कार्रवाई की जा चुकी थी, जिससे अब तक कुल 31 अपंजीकृत मदरसों को बंद किया जा चुका है। प्रशासन ने साफ किया है कि बिना पंजीकरण के संचालित किसी भी शैक्षणिक संस्थान को अनुमति नहीं दी जाएगी।
मुख्य बिंदु:
. अब तक 31 अपंजीकृत मदरसों पर कार्रवाई
. शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता
. स्थानीय विरोध के बावजूद कार्रवाई जारी
. मुख्यमंत्री ने कहा – बच्चों के भविष्य के साथ समझौता नहीं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह कदम राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए जरूरी है। प्रशासन ने बताया कि सभी शैक्षणिक संस्थानों का सत्यापन किया जा रहा है और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर इसी तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।
देहरादून एयरपोर्ट पर उड़ानों की संख्या बढ़ाने के लिए एयर स्पेस का विस्तार किया जाएगा। वर्तमान में एयरपोर्ट के पास पांच नॉटिकल मील (करीब 9.26 किमी) लंबा और 7500 फीट ऊंचा एयर स्पेस है, जिसमें प्रति घंटे केवल सात विमानों की लैंडिंग संभव है। एयर स्पेस बढ़ने पर प्रति घंटे 12 विमानों की लैंडिंग की सुविधा मिल सकेगी। इस मुद्दे को हाल ही में सलाहकार समिति की बैठक में उठाया गया, जहां एयरपोर्ट निदेशक ने इस पर विस्तार से चर्चा की। अब समिति इस प्रस्ताव को भारत सरकार के समक्ष पेश करेगी।
एयर स्पेस बढ़ने से मिलेगी सुविधा
देहरादून एयरपोर्ट का एयर स्पेस वायु सेना द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यदि वायु सेना से अधिक एयर स्पेस की अनुमति मिलती है, तो एयरपोर्ट की रनवे क्षमता में वृद्धि होगी। इससे अधिक विमानों की लैंडिंग और उड़ानें संभव होंगी, जिससे हवाई यातायात प्रबंधन भी सुगम होगा। नए टर्मिनल के बनने के बाद एयरपोर्ट की कुल जगह बढ़कर 42,776 वर्ग मीटर हो गई है और इसकी वार्षिक क्षमता 50 लाख यात्रियों तक पहुंच गई है। लेकिन सीमित एयर स्पेस के कारण प्रति घंटे अधिक विमानों की लैंडिंग में दिक्कत हो रही है।
एयर स्पेस का महत्व
एयर स्पेस वह क्षेत्र होता है, जहां एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) विमानों की आवाजाही को नियंत्रित करता है। छोटे एयर स्पेस में सीमित संख्या में विमानों को नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि बड़े एयर स्पेस में अधिक विमानों का संचालन सुचारू रूप से किया जा सकता है। सीमित एयर स्पेस होने के कारण विमानों को लैंडिंग के लिए इंतजार करना पड़ता है और कई बार उन्हें आसमान में चक्कर लगाने पड़ते हैं।
तीन प्रमुख समस्याएं
देहरादून एयरपोर्ट को फिलहाल तीन प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:
1. एयर स्पेस की कमी – सीमित एयर स्पेस के कारण अधिक विमानों की लैंडिंग में समस्या हो रही है।
2. रनवे विस्तार के लिए भूमि की आवश्यकता – एयरपोर्ट को रनवे विस्तार और अन्य सुविधाओं के लिए 140.5 एकड़ भूमि की जरूरत है।
3.वन्य जीवों की गतिविधि – एयरपोर्ट के आसपास वन्य जीवों की आवाजाही से उड़ानों के संचालन में बाधा आ रही है।
उड़ानों की संख्या में होगा इजाफा
वर्तमान में देहरादून एयरपोर्ट पर सुबह 7:30 बजे से शाम 7:15 बजे तक प्रतिदिन 18 से 20 फ्लाइट्स का संचालन हो रहा है। एयर स्पेस बढ़ने के बाद यह संख्या बढ़कर प्रति घंटे 12 उड़ानों तक हो सकती है। इससे देहरादून एयरपोर्ट पर हवाई यातायात प्रबंधन बेहतर होगा और यात्रियों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
सरकार से मंजूरी का इंतजार
एयर स्पेस विस्तार का प्रस्ताव अब भारत सरकार के समक्ष पेश किया जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद देहरादून एयरपोर्ट पर प्रति घंटे अधिक विमानों की लैंडिंग संभव होगी, जिससे यात्रियों को कम प्रतीक्षा समय और अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
उत्तराखंड में विधायक निधि खर्च को लेकर आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार, 2022-23 से दिसंबर 2024 तक 70 विधायकों को 964 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें से 61% (589.21 करोड़ रुपये) खर्च हुए।
कैबिनेट मंत्रियों में कौन आगे, कौन पीछे?
कैबिनेट मंत्रियों में सौरभ बहुगुणा (सितारगंज) ने 85% निधि खर्च कर शीर्ष स्थान हासिल किया। उनके बाद गणेश जोशी (72%), रेखा आर्य (64%), सुबोध उनियाल (57%) और सतपाल महाराज (56%) का स्थान रहा। हालांकि, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (33%) और डॉ. धन सिंह रावत (29%) निधि खर्च में सबसे पीछे रहे, जिन्हें अधिक सक्रियता दिखाने की जरूरत है।
विधायकों में प्रदीप बत्रा सबसे आगे, किशोर उपाध्याय सबसे पीछे
विधायकों में प्रदीप बत्रा (रुड़की) ने 90% निधि खर्च कर पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि किशोर उपाध्याय (टिहरी) सिर्फ 15% निधि खर्च कर सबसे पीछे रहे।
61% से कम खर्च करने वाले प्रमुख विधायक
बंशीधर भगत (कालाढूंगी) – 43%
भरत सिंह चौधरी (रुद्रप्रयाग) – 43%
किशोर उपाध्याय (टिहरी) – 15%
सुमित ह्रदयेश (हल्द्वानी) – 46%
यशपाल आर्य (बाजपुर) – 45%
उत्तराखंड में विधायक निधि खर्च में बड़े अंतर देखने को मिले हैं। जहां कुछ मंत्री और विधायक 85-90% तक निधि खर्च कर चुके हैं, वहीं कई 50% से भी कम खर्च कर पाए हैं। यह आंकड़े जनप्रतिनिधियों की सक्रियता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद नए मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। दो बार छह-छह महीने का सेवा विस्तार मिलने के बाद अब उनके कार्यकाल के आगे बढ़ने की संभावना कम मानी जा रही है।
मुख्य सचिव पद की रेस में कौन-कौन?
मुख्य सचिव बनने के लिए 30 वर्ष की सेवा अवधि अनिवार्य होती है। इस मानदंड को पूरा करने वाले 1992 बैच के आईएएस अधिकारी आनंदबर्धन सबसे वरिष्ठ उम्मीदवार हैं। हाल ही में केंद्र में सचिव पद के लिए इम्पैनलमेंट होने के बावजूद उन्होंने राज्य में ही सेवाएं देने की इच्छा जताई है। अन्य संभावित नामों में 1997 बैच के प्रमुख सचिव एल. फैनई और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री आर.के. सुधांशु शामिल हैं। हालांकि, ये दोनों अधिकारी अभी अपर मुख्य सचिव पद के लिए पात्र हो रहे हैं, इसलिए सरकार के पास विकल्प सीमित हैं।
राधा रतूड़ी के भविष्य की योजना
मुख्य सचिव पद से हटने के बाद राधा रतूड़ी ने मुख्य सूचना आयुक्त के लिए आवेदन किया है, जिससे यह साफ है कि वह सेवा विस्तार की इच्छुक नहीं हैं।
जल्द होगा नाम का खुलासा
सरकार अगले कुछ दिनों में नए मुख्य सचिव के नाम की घोषणा कर सकती है। उत्तराखंड प्रशासन के इस महत्वपूर्ण पद पर कौन नियुक्त होगा, इसका फैसला मार्च के अंत तक हो सकता है।
प्रदेश में विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समूह-क और समूह-ख अधिकारियों को अब हवाई यात्रा की अनुमति मिल गई है। सरकार के इस फैसले से निर्माण, निरीक्षण और अनुश्रवण कार्यों में तेजी आएगी।
हवाई यात्रा को लेकर नए दिशा-निर्देश
. वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किए।
. यह अनुमति 1 मार्च 2025 से 28 फरवरी 2026 तक के लिए दी गई है।
. इस अवधि के बाद योजना की समीक्षा होगी, और समूह-ग के कर्मचारियों को भी हवाई यात्रा की अनुमति देने पर विचार किया जाएगा।
. योजना से संबंधित सभी जानकारियां नागरिक उड्डयन विकास विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेंगी।
. राज्य से बाहर की सरकारी यात्राओं के लिए 23 जनवरी 2019 के शासनादेश का पालन करना होगा, यानी सरकार की अनुमति लेनी होगी।
तहसील दिवस में घटती रुचि, अधिकारियों को करना पड़ा इंतजार
जहां एक ओर सरकारी अधिकारी विकास योजनाओं में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं तहसील दिवस में आमजन की भागीदारी लगातार घट रही है।
. 31 विभागों के अधिकारी सुबह 11 बजे निर्धारित समय पर तहसील दिवस के लिए पहुंचे।
. पहले दो घंटे तक कोई फरियादी नहीं आया, अधिकारियों को इंतजार करना पड़ा।
. आखिरी घंटे में सिर्फ 9 फरियादी पहुंचे, जिनकी समस्याओं का मौके पर निस्तारण किया गया।
तहसील दिवस में घटती शिकायतों का कारण
. तहसील दिवस से पहले हर सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय में जनता दरबार लगता है, जहां अधिकतर शिकायतों का समाधान हो जाता है।
. पिछले 7 महीनों में 189 अधिकारियों की उपस्थिति रही, जबकि शिकायतें मात्र 77 दर्ज हुईं।
. सबसे ज्यादा अक्टूबर में 25 शिकायतें दर्ज हुईं, जबकि अन्य महीनों में यह संख्या कम रही।
अधिकारियों की उपस्थिति बनाम शिकायतों की संख्या (पिछले 7 महीने)
. सितंबर: 28 अधिकारी, 5 शिकायतें
. अक्टूबर: 31 अधिकारी, 25 शिकायतें
. नवंबर: 25 अधिकारी, 6 शिकायतें
. दिसंबर: 13 अधिकारी, 11 शिकायतें
. जनवरी: 33 अधिकारी, 6 शिकायतें
. फरवरी: 28 अधिकारी, 11 शिकायतें
. मार्च: 31 अधिकारी, 9 शिकायतें
सरकारी अधिकारियों के लिए हवाई यात्रा की अनुमति प्रशासनिक कामों में गति लाएगी, जबकि तहसील दिवस में शिकायतों की संख्या में गिरावट यह दर्शाती है कि जनता अन्य माध्यमों से अपनी समस्याएं सुलझा रही है।
चमोली जिले के माणा क्षेत्र में हुए भीषण हिमस्खलन हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। जोशीमठ के एसडीएम को इस जांच का जिम्मा सौंपा गया है। यह हादसा 28 फरवरी को हुआ था, जिसमें बीआरओ (BRO) के 54 श्रमिक हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे।
रेस्क्यू ऑपरेशन: 46 श्रमिक सुरक्षित, 8 की मौत
. रेस्क्यू ऑपरेशन में ITBP, सेना और NDRF की टीमों ने तीन दिनों तक लगातार अभियान चलाया।
. पहले दिन 33 श्रमिकों को सुरक्षित निकाला गया।
. दूसरे दिन एनडीआरएफ भी अभियान में शामिल हुई, जिससे कुल 46 श्रमिकों को बचा लिया गया।
. हादसे में 8 श्रमिकों की मौत हो गई।
घटना का क्रम
. शुक्रवार, 28 फरवरी – भारी हिमस्खलन हुआ, जिसमें 54 श्रमिक फंस गए।
. पहले दिन – ITBP और सेना ने 33 श्रमिकों को सुरक्षित निकाला।
. दूसरे दिन – एनडीआरएफ के सहयोग से 46 श्रमिकों को बचाया गया, 4 शव बरामद।
. तीसरे दिन – लापता 4 श्रमिकों के शव मिले, जिससे मृतकों की संख्या 8 हो गई।
रेस्क्यू अभियान समाप्त
. आखिरी शव मिलने के बाद दोपहर करीब चार बजे रेस्क्यू अभियान समाप्त कर दिया गया।
. जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी किए।
. हादसे की जांच जोशीमठ एसडीएम को सौंपी गई है।
यह हिमस्खलन हादसा चिंताजनक है और इसकी विस्तृत जांच के बाद सुरक्षा उपायों पर भी निर्णय लिया जाएगा।
उत्तराखंड में सहकारिता समितियों की चुनाव प्रक्रिया को नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण ने अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है। प्राधिकरण की सदस्य सचिव रमिन्द्री मन्द्रवाल ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी किया है।
चुनाव प्रक्रिया पर लगा विराम
गौरतलब है कि सोमवार को राज्य के कई जिलों में सहकारी समितियों के चुनाव आयोजित किए गए थे। लेकिन अब हाईकोर्ट के निर्देश के बाद पूरी चुनाव प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। कोर्ट के आगामी आदेशों के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट का आदेश: पुरानी नियमावली से ही होंगे चुनाव
नैनीताल हाईकोर्ट ने एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सहकारिता समितियों के चुनाव पुरानी नियमावली के अनुसार ही कराए जाएं। वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की और सरकार के नए संशोधनों पर आपत्ति जताई।
मामले का पूरा विवरण
. सहकारी समिति ने एकलपीठ के आदेश को विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी।
. अपील में कहा गया था कि चुनाव के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधनों को लागू किया जाए।
. हालाँकि, याचिकाकर्ताओं (भुवन पोखरिया व अन्य) ने इसे नियमों के खिलाफ बताते हुए मांग की थी कि चुनाव पूर्व के नियमों के अनुसार ही कराए जाएं।
नियम संशोधन पर विवाद
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि राज्य सरकार ने चुनाव कार्यक्रम घोषित करने के बाद नियमावली में संशोधन किया, जो प्रक्रियात्मक रूप से गलत है।
. चुनाव प्रक्रिया दिसंबर से शुरू हो चुकी थी, ऐसे में संशोधन करना नियम विरुद्ध माना जा रहा है।
. सरकार ने संशोधन के जरिए सेवानिवृत्त और समिति के गैर-सदस्यों को भी मतदान का अधिकार दे दिया, जो पूर्व के नियमों का उल्लंघन है।
पूर्व के नियमों के अनुसार, केवल वही लोग चुनाव में प्रतिभाग कर सकते हैं, जो तीन वर्षों से समिति के सदस्य हैं।
सरकार की आगे की रणनीति पर नजर
अब राज्य सरकार को हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए पुरानी नियमावली के अनुसार ही चुनाव संपन्न कराने होंगे। सहकारी समितियों के चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए प्रशासन को सभी जरूरी कदम उठाने होंगे। इस निर्णय से सहकारी समितियों के सदस्यों और चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने वाले उम्मीदवारों के बीच कानूनी स्थिति स्पष्ट होगी। साथ ही, राज्य सरकार को अपने संशोधन प्रस्तावों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। भविष्य में हाईकोर्ट के अगले आदेश और सरकार की नई रणनीति पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में औद्योगिक वातावरण विकसित करने और युवाओं के स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए 200 करोड़ रुपये का वेंचर फंड स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस वेंचर फंड के लिए बजट में 20 करोड़ रुपये का शुरुआती प्रावधान भी किया गया है। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बजट प्रस्तुति के दौरान कहा कि राज्य के युवा सिर्फ शिक्षा में डिग्री ही नहीं बल्कि कौशल भी विकसित करेंगे। स्टार्टअप्स के माध्यम से नए प्रयोगों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें सरकार युवाओं का पूरा समर्थन करेगी।
स्टार्टअप्स के लिए प्रमुख कदम:
. वेंचर फंड: स्टार्टअप्स को आर्थिक सहायता देने के लिए 200 करोड़ रुपये का वेंचर फंड।
. प्रारंभिक प्रावधान: बजट में 20 करोड़ रुपये का प्रारंभिक आवंटन।
. युवाओं को प्रोत्साहन: स्टार्टअप्स में नवाचार और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
महिला सशक्तीकरण को मिलेगा बूस्ट: जेंडर बजट में 16.66% की बढ़ोतरी
धामी सरकार ने राज्य के विकसित उत्तराखंड के लक्ष्य को पूरा करने में महिलाओं की भूमिका को अहम मानते हुए जेंडर बजट में 16.66 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इस बार जेंडर बजट को बढ़ाकर 16,961 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
महिला सशक्तीकरण के लिए विशेष योजनाएं:
योजना का नाम बजट (करोड़ में)
नंदा गौरा योजना – 157.84
मातृत्व वंदन योजना – 21.74
सीएम बाल पोषण योजना – 29.9
महालक्ष्मी किट – 22.62
सीएम वात्सल्य योजना – 18.88
ईजा बोई शगुन योजना – 14.13
सीएम महिला पोषण योजना – 13.96
सीएम आंचल अमृत योजना – 14.00
महिला बहुमुखी विकास निधि – 08.00
विधवा की पुत्री का विवाह – 05.00
महिला एसएसजी सशक्तीकरण – 05.00
महिला उद्यमी विशेष सहायता – 05.00
अल्पसंख्यक मेधावी बालिका – 03.76
सतत आजीविका योजना – 02.00
सरकार की प्रतिबद्धता:
वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि महिला सशक्तीकरण केवल महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि समाज और प्रदेश के संपूर्ण विकास के लिए जरूरी है। सशक्त महिलाएं परिवार, समाज, प्रदेश और देश की समृद्धि का आधार बनेंगी। धामी सरकार के इन प्रयासों से राज्य में नए स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा और महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।
पर्यटन विकास के लिए केंद्र सरकार ने दी 100 करोड़ की मंजूरी, 66 करोड़ की पहली किश्त जारी..
उत्तराखंड: ऋषिकेश में पर्यटन विकास के लिए केंद्र सरकार ने 100 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। विशेष वित्तीय सहायता के लिए सीएम धामी ने केंद्र सरकार का आभार जताया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के प्रयास से 66 करोड़ रुपए की पहली किश्त जारी कर दी गई है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड को ‘स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट फॉर कैपिटल इनवेस्टमेंट 2024 – 25 योजना‘ के तहत 66 करोड़ रुपए का विशेष लोन (सहायता) जारी करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया है।
सीएम धामी ने केंद्र का जताया आभार..
केंद्रीय वित्त मंत्रालय में तीर्थनगरी ऋषिकेश में पयर्टन विभाग के अधीन विभिन्न परियोजनाओं के लिए योजना के तहत कुल 100 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। जिसमें से प्रथम किश्त के रूप में 66 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। जबकि दूसरी किश्त के 34 करोड़ रुपए, प्रथम चरण की सहायता 75 प्रतिशत तक खर्च करने पर जारी की जाएगी। सीएम पुष्कर सिंह धामी लंबे समय से इस विशेष वित्तीय सहायता के लिए प्रयासरत थे। उनकी इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बात भी हो चुकी थी। सीएम धामी ने इसके लिए केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया है। प्राप्त वित्तीय सहायता से सरकार ऋषिकेश को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करेगी।
उत्तराखंड को दो महीने के लिए मिली 144 मेगावाट और बिजली..
उत्तराखंड: प्रदेश में गर्मी के साथ ही बढ़ती जा रही मांग के बीच केंद्र सरकार से एक राहतभरी खबर आई है। केंद्र ने दो माह के लिए उत्तराखंड को गैर आवंटित कोटे से 12 प्रतिशत बिजली देने का फैसला लिया है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। उत्तराखंड को दो माह 12 प्रतिशत और इसके आगे के दो माह सात प्रतिशत बिजली मिलेगी।
राज्य को केंद्र से मिल रहा बिजली का कोटा 31 मार्च को समाप्त होने जा रहा है। इस बीच अगर समय रहते केंद्र से बिजली न मिलती तो प्रदेश में भारी किल्लत हो सकती थी। पिछले दिनों केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने राज्य को 150 मेगावाट बिजली अप्रैल, मई और जून माह के लिए देने का आदेश जारी कर दिया था। अब गैर आवंटित कोटे से विभिन्न राज्यों को बिजली आवंटित की गई है। उत्तराखंड को इसमें से अप्रैल माह में 12 प्रतिशत, मई में 12 प्रतिशत बिजली मिलेगी। जून, जुलाई माह में सात-सात प्रतिशत बिजली मिलेगी। करीब 1200 मेगावाट में से 12 प्रतिशत के हिसाब से राज्य को दो माह तक 144 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिलेगी। जबकि 2 माह 84 मेगावाट बिजली मिलेगी। इससे राज्य को फिलहाल राहत मिल गई है।
गर्मी के साथ बिजली की मांग बढ़ी..
राज्य में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे ही बिजली की मांग भी बढ़ने लगी है। शुक्रवार को बिजली की मांग चार करोड़ यूनिट का आंकड़ा पार कर गई। हालांकि यूपीसीएल के निदेशक परियोजना अजय कुमार अग्रवाल का कहना है कि फिलहाल कहीं भी रोस्टिंग नहीं की जा रही है। मांग के सापेक्ष बिजली जुटाई जा रही है। बाजार से भी कुछ बिजली अपेक्षाकृत कम दामों पर खरीदी जा चुकी है।
नई विद्युत दरों पर चुनाव बाद आयोग से अनुमति लेंगे..
प्रदेश में नई विद्युत दरें एक अप्रैल से लागू होनी हैं, लेकिन चुनाव आचार संहिता की वजह से आयोग ने फिलहाल इसे रोक लिया है। आयोग के अधिकारियों का कहना है कि 19 अप्रैल को राज्य में चुनाव होने के बाद चुनाव आयोग को एक पत्र भेजा जाएगा। ताकि समय रहते विद्युत दरें जारी हो सकें।